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सौतेला बाप

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रश्मि ने उसके बाद समीर से कोई बात नहीं की, वो अपना मुंह फुला कर दूसरी तरफ मुंह करके लेटी रही , उसकी हिम्मत अपनी बेटी के सामने जाने की भी नहीं हो रही थी , समीर ने भी उसके साथ बात करने की कोई कोशिश नहीं की, वो भी उसके साथ ही जाकर सो गया


दूसरी तरफ, काव्या की आँखों के सामने अभी तक उसकी माँ ,समीर का लंड चूसते हुए दिख रही थी. किस तरह से वो उसके सामने दासी की तरह बैठी थी, समीर के लम्बे लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी, और उसकी मलाई को भी कैसे चपर -२ करके खा गयी, पूरी रंडी लग रही थी उसकी माँ उस वक़्त..

और उसकी माँ का ये रूप देखकर काव्या भी हैरान थी, उसने सोचा भी नहीं था की सेक्स के मामले में वो ये सब भी करती होगी, पर पिछले कुछ दिनों में जो उसने देखा था, उसे देखकर तो उसकी सारी धारणाएं ही बदल गयी थी अपनी माँ के बारे में, वो आजकल की लड़कियों की तरह ही सेक्स की दीवानी थी, लंड चूसने में और अपनी चूत चुस्वाने में उसे बड़ा मजा आता था, और चुदवाते हुए चीखने में भी उसका कोई जवाब नहीं था, काव्या की सोच में पहले उसकी माँ एक कंजरवेटिव औरत थी, पुराने ज़माने की औरतों की तरह, जो सिर्फ टाँगे पसार कर , बिना किसी फोरप्ले के , चुदाई करवाती थी, पर दो-तीन बार उन्हें देखने के बाद काव्या को पता चला था की वो कितना गलत सोचती थी अपनी माँ के बारे में, वो सेक्स का मज़ा लेने में सच में उसकी माँ थी ...

वैसे होना भी यही चाहिए, औरत चाहे बीस साल की हो या चालीस की, चुदाई के समय उसे रंडी जैसा बिहेव करना चाहिए, ऐसा करने में उसे भी मजा आएगा और उसके पार्टनर को भी..

और काव्या को समझ में आ रहा था की ये सब उसकी माँ किस वजह से कर रही है ........

समीर की वजह से.

क्योंकि जहाँ तक उसे याद है, समीर से शादी के बाद ही ऐसे चेंज आये है उसकी माँ में, कहाँ तो वो पहले उसके सामने कपडे बदलने में भी शर्माती थी, और आज ऐसे खुले में नंगी होकर समीर का लंड चूस रही है.

कितना बदल दिया है उसके सौतेले बाप ने उसकी माँ को , और सौतेले बाप समीर का नाम आते ही उसकी सोच का रुझान उसकी तरफ चल दिया..

उसके सामने समीर का बलिष्ट शरीर और उसकी टांगो के बीच लटकता लम्बा लंड लहराने लगा, और उसके बारे में सोचते ही उसकी खुद की टांगो के बीचो बीच एक टीस सी उभर आई..

और उसके हाथ लहराकर अपने आप वहां पहुँच गए , और उसे वहां पर गीलापन देखकर आश्चर्य बिलकुल भी नहीं हुआ.

एक ही दिन में दो-२ लंड देखकर ऐसा गीलापन तो स्वाभाविक ही था , पहले लोकेश अंकल का और फिर अपने नए बाप का..

काव्या ने अपना तकिया अपनी टांगो के बीच फंसाया और उसके ऊपर उलटी होकर लेट गयी..

और फिर उसके ऊपर लेटकर ऐसे हिलने लगी, जैसे तकिये की चुदाई कर रही हो , आगे पीछे हिलकर वो उसके ऊपर अपने पूरे शरीर को झुलाने लगी …हिलाने लगी ....

आँखों के सामने कभी लोकेश अंकल नाव पर नंगे बैठे हुए अपना लंड मसलते हुए दीखते और कभी समीर झील के किनारे खड़ा होकर अपना लंड चुसवाते हुए दिखता..

और वो सब सोचते-२ कब उसकी चूत ने तकिये को गीला कर दिया, उसे भी पता नहीं चला, बस उसके मुंह से गर्म साँसे निकल रही थी , जिसकी तपन उसे अपने चेहरे पर भी महसूस हो रही थी..

अपनी आँखों में रंग बिरंगे सपने बुनते-२ कब उसे नींद आ गयी उसे भी पता नहीं चला.

और ग्राउंड फ्लोर पर अपने आलिशान कमरे में घुसते ही लोकेश ने अपने सारे कपडे उतार फेंके और अपने लंड को बुरी तरह से मसलने लगा...

आज जो उसने देखा था, वो आज से पहले कभी नहीं देख सका था, एक ही दिन में माँ-बेटी को नंगा देखने का सौभाग्य हर किसी के नसीब में नहीं होता.

एक तरफ काव्या की कच्ची जवानी थी और दूसरी तरफ रश्मि का हरियाली कबाब जैसा मांसल शरीर.

रश्मि जिस तरह से समीर के लंड को चूस रही थी , उसे पूरा विश्वास था की चुदाई के समय वो पूरा मजा लेने वाली मस्तानी औरत है.

रश्मि और काव्या को याद करते -२ उसका लंड बुरी तरह से फ़ुफ़कारने लगा..

उसने जल्दी से फ़ोन उठाया और रिसोर्ट के रिसेप्शन पर फ़ोन लगाया..

लोकेश : "रितु, जल्दी से मेरे कमरे में आओ, फ़ौरन ....''

बस इतना कहकर उसने फ़ोन पटक दिया और अपने लंड को सहलाकर शांत कराने की कोशिश करने लगा ..

पांच मिनट के अंदर ही दरवाजे पर खट-२ हुई, लोकेश नंगा ही भागकर वहां गया और दरवाजा खोल दिया .

सामने होटल की रिसेप्शनिस्ट रितु खड़ी थी, सिल्वर कलर का ब्लाउसौर पर्पल कलर की साडी पहन कर , जिसमे वो काफी सेक्सी लग रही थी , नीचे उसने हील वाले सेंडल पहने हुए थे . .

लोकेश ने उसका हाथ पकड़कर अंदर खींच लिया और दरवाजा बंद कर दिया और फिर उससे बुरी तरह से लिपट कर उसके जिस्म को अपने हाथों से रोंदने लगा..

रितु (हँसते हुए) : "रुकिए सर, इतने उतावले क्यों हो रहे हो , आराम से करिये न, मुझे वापिस रिसेप्शन भी सम्भालना है, कपडे मत फाड़िए मेरे ''

लोकेश थोड़ी देर के लिए शांत हुआ और गहरी साँसे लेता हुआ बेड पर जाकर बैठ गया..

लोकेश : "चल, जल्दी से उतार ये सारे कपडे , और नंगी हो जा ''

रितु ने कातिलाना हंसी में मुस्कुराते हुए, अपने बॉस की बात मानते हुए, धीरे-२ अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए..

रितु : "मैं अभी थोड़ी देर पहले सोच ही रही थी, आपको आये हुए इतनी देर हो गयी, मुझे बुलाया ही नहीं, कोई गलती हुई है क्या मुझसे "

अपनी ब्रा को उतारते हुए उसने बड़े ही सेक्सी अंदाज में लोकेश से कहा..

लोकेश और समीर ने ना जाने कितनी बार रितु की चुदाई की थी मिलकर, वो जब भी रिसोर्ट में आकर ठहरते , रितु उनके साथ ही रहती थी, पूरी नंगी होकर वो उनके कमरे में घूमती रहती, जिसका जब मन करता, उसकी चूत और गांड मार लेता..

पर इस बार समीर अपनी नयी बीबी और बेटी के साथ आया था, और लोकेश को अभी तक रितु को बुलाने का टाइम ही नहीं मिल पाया था, इसलिए रितु ऐसी शिकायत कर रही थी..

जैसे ही रितु ने अपने शरीर का आखिरी कपडा उतारा, लोकेश उसके सामने जाकर खड़ा हुआ और उसे धक्का देकर उसके पंजों पर बिठा दिया और अपने लंड को उसके चेहरे के सामने लहरा दिया, जिसे रितु ने एक ही बार में पकड़ा और उसे चूसना शुरू कर दिया..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स चूऊस साली ''

लोकेश के जहन में रश्मि भाभी की तस्वीर दौड़ने लगी, जो थोड़ी देर पहले उसी अवस्था में समीर का लंड चूस रही थी...

उसने रितु के सर को पकड़ा और अपने लंड से उसके मुंह को चोदना शुरू कर दिया..

रहा नहीं जा रहा था उससे , और वो सब करते हुए उसकी आँखे भी बंद थी.

वैसे एक बात है, जो भी लड़की या लड़का सेक्स करते हुए अपनी आँखे बंद कर लेते है, और लम्बी -२ सिस्कारियां लेते है, वो उस वक़्त अपने सामने वाले पार्टनर के बारे में नहीं, बल्कि किसी और ही के बारे में सोच रहे होते है, कोई पुराना आशिक़, कोई क्रश या फिर कोई फेंटेसी …

और यही इस वक़्त लोकेश भी कर रहा था, उसकी आँखों के सामने एक नहीं बल्कि दो-२ तस्वीरें तैर रही थी , माँ और बेटी की..

लोकेश ने रितु को एक टेबल पर बिठाया और उसकी टांगो को खोलकर अपनी खोलती हुई जीभ उसकी चाशनी उगल रही चूत के ऊपर रख दी और अपनी जीभ को घुमा घुमाकर जलेबियाँ बनाने लगा..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''

रितु ने लोकेश के सर को पकड़ कर अपनी अंदर ठोंस लिया, जितना अंदर हो सकता था , उतना अंदर …

रितु के अंदर एक आग सी लगनी शुरू हो गयी थी, वो एक ऐसी रंडी थी जो एक बार सुलगने पर बुरी तरह से जलती भी थी और सामने वाले को जलाती भी थी..

और अपनी जलन को महसूस करते ही वो अपने फेवरेट रोल प्ले पर उतर आई , जैसा वो अक्सर पहले भी करती थी , लोकेश और समीर से चुदते वक़्त..

रितु : "ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह पापा ............. अब मत तरसाओ ………आओ न , आपकी बेबी चुदना चाहती है अब ……''

लोकेश भी रोल प्ले में उसका साथ देने लगा

लोकेश : "उम्म्म्म्म्म्म माय डॉल , कम टू पापा ''

और उसने नंगी रितु को अपने गले से लगा लिया और उसकी ही चूत के पानी को उसके होंठों पर रगड़कर उसे पिलाने लगा

ऐसी हालत में तो रितु लोकेश का पेशाब भी पी जाती, ये तो फिर भी उसकी अपनी चूत का रस था, वो अपनी लम्बी जीभ निकाल कर लोकेश के पूरे मुंह को पालतू कुतिया की तरह चाटने लगी

और फिर लोकेश को सोफे पर धक्का देकर वो 69 की पोजीशन पर आ गयी और दोनों एक दूसरे के अंगो को अपने मुंह में लेकर उनका रसपान करने लगे..

आज तो रितु ऐसे चूस रही थी , जैसे वो लोकेश के गन्ने का सारा रस निचोड़कर पी जाएगी..

और लोकेश भी उसकी दोनों जाँघों को पकड़कर उसकी चूत के सागर में अटके उस मोती को अपनी जीभ से कुदर रहा था जैसे उसे बाहर निकल लेना चाहता हो..

उसकी जीभ की कुतरन से रितु बावली हो उठी और अपनी चूत को जोरों से उसके मुंह पर मारती हुई जोर -२ से चीखने लगी..

''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्स्स्स्स पापा ……… सक ईट , उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''

समीर और रश्मि तो सो चुके थे, पर अपनी मुठ मारकर सुस्ता रही काव्या के कानों में जब यस पापा ...यस पापा... की आवाज पहुंची तो वो एकदम से उठकर बैठ गयी , कान लगाकर उसने सुनने की कोशिश की तो पता चला की आवाज तो नीचे से आ रही है , उसने जल्दी-२ कपडे पहने और नीचे चल दी, वो भी देखना चाहती थी की ये कौन सी बेटी है जो अपने पापा से चुद रही है..

अपने मम्मी पापा के कमरे के आगे से निकलते हुए उसने सुनने की कोशिश की, पर वहां से कोई आवाज नहीं आ रही थी,..

तभी नीचे से फिर से आवाज आई

''पापा , अब मत तरसाओ …फ़क मी , जल्दी से करो अब ''

वो समझ गयी की आवाज नीचे लोकेश अंकल के रूम से आ रही है , पर ये पापा की बेटी कहाँ से आ गयी..

वो नीचे उतरी तो सीढ़ियों के साइड में बने हुए एक रोशनदान को थोड़ा सा खुला पाकर उसने अंदर झाँका तो हैरान रह गयी ..

लोकेश अंकल एक लड़की के साथ पूरे नंगे थे और दोनों 69 की पोजीशन में एक दूसरे को चूस रहे थे

लड़की को गौर से देखने पर उसे मालुम चला की ये तो होटल की रिसेप्शनिस्ट है, जो उनके स्वागत में फूल और माला लेकर बाहर खड़ी थी , वो समझ गयी की ये उन दोनों का पुराना चक्कर है, और ये पापा-बेटी का रोल प्ले वो सेक्स में मजा लाने के लिए कर रहे है..

वो पहले से ही गर्म थी, उनका नाटक देखकर फिर से गरमाने लगी..

रितु अब पलटकर लोकेश के ऊपर आ गयी और उसके खड़े हुए लंड को अपनी चूत से रगड़ने लगी , लोकेश भी बड़ा शातिर था, वो उसे अंदर नहीं डाल रहा था , बल्कि उसे तरसा रहा था..

रितु : "ओह्ह्ह्ह्ह्ह पापा , मत तरसाओ अपनी लाड़ली को, उसे लेने दो अपने पापा को अंदर ''

लोकेश मुस्कुराया और अपनी बेटी की बात मानकर उसने आखिरकार उसकी चूत के दरवाजे पर अपने लंड को रख दिया और एक दो घिस्से देने के बाद अंदर धकेल दिया..

रितु किसी कच्ची कली की तरह, ओह्ह्ह पापा , उम्म्म पापा करती हुई लोकेश के लंड पर फिसलती हुई नीचे तक आई और अपनी गांड टिकाकर वहीँ बैठ गयी..

थोड़ी देर तक उसके मोटे लंड को अपने अंदर एडजस्ट करने के बाद उसने धीरे-२ ऊपर नीचे उछलना शुरू किया और लोकेश ने भी नीचे से धक्के मारकर उसकी चूत की टाईटनेस्स को लूस करना शुरू कर दिया

चूत में लंड जाता हुआ देखकर , रोशनदान से झाँक रही काव्या की आँखे फट कर बाहर ही आ गयी, उसने अभी थोड़ी देर पहले ही लोकेश अंकल का लंड काफी पास से देखा था, उसे रितु से जलन हो रही थी, क्योंकि अगर वो चाहती तो इस वक़्त वो झूल रही होती लोकेश अंकल के झूले पर

जैसे रितु झूल रही थी अब, अपनी टाँगे फैलाये हुए, अपने पापा के ऊपर , उनका लंड अपनी छोटी सी चूत में फंसाकर

काव्या भी लोकेश अंकल की ताकत देखकर रोमांचित हो उठी, कितनी आसानी से वो रितु को दोनों हाथों में लेकर आगे पीछे कर रहे थे, उनके हाथों में इतनी ताकत है तो छोटे शेर में कितनी होगी..

इतना सोचते ही उसका हाथ फिसलकर फिर से अपनी चूत पर पहुँच गया, जिसे थोड़ी देर पहले ही तकिये से रगड़कर शांत किया था , अब उसे अपनी उँगलियों से सहलाकर शांत करना था..

इसी बीच, लोकेश उठकर बैठ गया और अपना लंड रितु की चूत में फंसाये -२ खड़ा हो गया और चलता हुआ बेड तक आया और उसे घोड़ी बनाकर पेलने लगा फिर से उस रंडी को
 
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और इस बार वो अपनी पूरी ताकत से उसकी चूत की रस्सियाँ ढीली करने में लगा था, वो अपना पूरा लंड बाहर खींचता और फिर उतनी ही ताकत से वापिस अंदर धकेल देता, हर धक्के में घच की आवाज आती और रितु का मुंह खुला का खुला रह जाता..


अपने पापा के इन्ही धक्को की कायल थी रितु, वो अपनी गुळगुळाती हुई गांड को पीछे की तरफ धक्का देकर ज्यादा से ज्यादा लंड हड़पने की कोशिश करने लगी..

काव्या तो रितु को देखकर हैरान हुई जा रही थी, कितनी आसानी से और कितने इनोवेटिव तरीके से वो लोकेश अंकल का लंड ले रही थी, ले तो वो रही थी पर महसूस वो खुद कर रही थी , अपनी खुद की उँगलियाँ अंदर पेलकर.

लोकेश अब उसके सामने खड़ा हो गया और उसकी टांगो को फैलाकर अंदर दाखिल हो गया, बाकी का काम रितु ने किया, अपनी कमर उचका -२ कर लोकेश के खूंटे पर अपनी चूत का लिफाफा चिपकाने लगी वो

काव्या की उँगलियाँ भी अपने क्लिट के दाने को खरोंच कर उसके अंदर छुपा हुआ अमृत निकालने में लगी थी, दो बार वो अपनी मसालेदार चूत मसलती और तीसरी बार उन उँगलियों को चाटकर खुद ही साफ़ कर देती , इतना रस तो आजतक उसकी चूत ने नहीं बरसाया था..

और अपनी उत्तेजना के शिखर पर पहुंचकर लोकेश ने रितु की कमर को पकड़कर ऊपर उठा लिया , हवा में, और रितु भी बड़ी नजाकत से अपने हाथों का सहारा लेकर हवा में झूल गयी और अपने प्यारे और मुंह बोले पापा का लंड लेने लगी..

ऐसा घर्षण तो उसे आज तक फील नहीं हुआ था.

और उन्ही घिस्सों को अंदर फील करते हुए वो भरभराकर , वहीँ हवा में झड़ने लगी..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। …… ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह पापा …… मैं तो गयी ....''

और हवा में लटकी हुई रितु की चूत में से गरम रस की धार नीचे गिरकर ऐसी लग रही थी मानो कोई झरना गिर रहा हो ऊपर से.

और यही वो पल था जब पापा बने लोकेश के लंड ने भी जवाब दे दिया, उसने जल्दी से अपना हथियार बाहर खींचा और और अपनी गरम -२ मलाई को उसने ताजा चुदी चूत के चेहरे पर छिड़ककर उसकी बची-खुची प्यास भी बुझा दी.

अंदर दोनों शांत हुए तो बाहर एक तूफ़ान आकर गुजर गया, काव्या ने भी अपनी चूत के रस की धार वहीँ सीढ़ियों पर निकालकर उन्हें पवित्र कर दिया

तभी काव्या को ऊपर का दरवाजा खुलने की और किसी के नीचे उतरने की आवाज आई और वो भागकर नीचे उतर गयी और सीढ़ियों के नीचे बनी हुई जगह पर छुप गयी.

उपर से उतरने वाला कोइ और नहीं, बल्कि उसका सौतेला बाप समीर था.

उसने लोकेश के रूम कि बेल बजाई, और लोकेश ने दरवाजा खोलकर समीर को अंदर बुला लिया

काव्या भी भागकर वापिस सीढ़ियों पर चढ़ गयी, और अंदर देखने लगी.

समीर बिस्तर पर नंगी पड़ी हुई रितु को देखकर हैरानी से बोला : "ओहो , तो यहाँ ये सब चल रहा है … मै भी सोचु, इतनी देर से ये चीखने कि आवाजें कहां से आ रही थी ''…

रितु ने जब समीर को देख तो उठ खड़ी हुई और नंगी ही चलती हुई समीर के पास पहुंची और उसके गले से लिपट गयी.

समीर ने भी उसे अपनी ताकतवर बाजुओं मे पकडकर उसके हलवे जैसे शरीर को मसल दिया..

रितु (शिकायती लहजे मे ) : "मुझे आपसे तो बहुत शिकायत है, इतने टाइम बाद आये हो और वो भी अपनी बीबी के साथ , आपको पता है न जब तक आप दोनो एक साथ मुझे ना चोदे तो मेरी प्यास नहीं बुझती , देखिये न, अभी -२ सर ने मेरी चूत बुरी तरह से मारी है और मैं अभी -२ झड़ी हु, पर आपको यहॉँ देखकर फ़िर से अंदर कि चिंगारियां निकलने लगी है ''

शिकायत करते -२ उसका लहजा बदलकर कामुक हो ग़या और उसकी उन्गलियों ने अपनी चूत पर जमा हुआ घी खुरचकर अपनी क्लिट पर मला और उसे गरम करके पिघलाने लगी

लोकेश ने भी समीर कि शिकायत का जवाब देते हुए कहा : "यार, एक तो तुम भाभी के साथ खुल्ले मे चुसम चुसाई कर रहे थे , वो सीन देखकर मेरा क़्या हाल हो रहा था इतनी देर से तुम्हे क्या पता , इसलिए मैने रीतु को यहॉँ बुलाया ''

लोकेश कि बात सुनकर समीर हंस दिया और नीचे झुककर उसने रितु निप्पल को अपने दांतों से कचोट लिया और धीरे -२ अपनी जीभ से उसकी गर्दन को चाटते हुए उपर कि तरफ़ आया , वो भी उसकी गर्दन से झूलकर समीर का साथ देने लगी

सच मे, एक नम्बर कि रंडी थी वो रीतु।

तभी समीर ने कुछ ऐसा बोला कि सीडियो पर छुपकर उनकी बाते सुन रही काव्या को अपने कानो पर विश्वास ही नहीं हुआ ....

समीर : "अब तो देख लिया ना तूने अपनी भाभी का नंगा जिस्म, ……… बता , कैसा लगा ??"

लोकेश कुछ देर तक चुप रहा और फ़िर अपने मुरझाये हुए लँड को अपने हाथों से मसलता हुआ बोला : "यार, कसम से, ऐसी चीज तो मैने आज तक नहीं देखी, साली के मोंटे मुम्मे देखकर मेरा तो मन कर रहा था कि वहीँ के वहीँ अपना लँड उसके तरबूजों के बीच फंसा कर अपना रस निकाल दु, अब तो बस मन कर रह है कि साली को जल्द ही चोद डालु ''

अपने जिगरी दोस्त कि बीबी के बारे मे लोकेश अंकल ऎसी बातें कह रहे थे और उपर से उनका दोस्त, यानी काव्या का सौतेला बाप बडे मजे ले-लेकर उसकी बातें सुन रहा था और अपनी बाहों मे मचल रही रीतु के मोंटे मुम्मों को चूस रहा था.

काव्या कि समझ मे नहीं आ रहा था कि वो दोनो ऐसा क्यो कर रहे हैं, पर उसका जवाब भी जल्द ही मिल ग़या उसे..

समीर : "यार, आज तक हमने जो भी काम किया है, मिल बांटकर किया है ,जब तूने मुझे अपनी बीबी को चोदने से नहीं रोका, तो मै कौन होता हु तुझे रोकने वाला, कोइ प्लान बना और चोद डाल उसे, वैसे एक बात बोलू, तुझे उस वक़्त अपने सामने देखकर वो काफी नाराज हुई थी, उसे अपनी बोतल मे उतारना आसान नहीं होगा तेरे लिये ''

और इसी के साथ समीर की तीन उँगलियाँ एक साथ रितु कि चूत के अंदर घुस गयी, वो बेचारी अपनी आंखें फैला कर अपने पंजों पर खड़ी होकर सिसकारने लगी

समीर ने रितु को बेड पर लिटाया और अपनी तीनो उँगलियों से उसकी चूत को किसी पिस्टन कि तरह चौदने लगा

लोकेश का लँड भी अब पूरे शबाब पर था, शायद रश्मि के बारे मे सोचते हुए ऐसा हुआ होगा

लोकेश : "उसकी चिंता तू छोड़ दे, ऐसी औरतों को कैसे बोतल में उतरा जाता है वो मुझे अच्छी तरह से पता है ''

काव्या बेचारी अभी तक शॉक में थी, अपनी माँ के बारे मे ऎसी गन्दी बात उसने आज तक नहीं सुनी थी , पर ना जाने क्यो, उसे गुस्सा नहीं आ रहा था इस बात पर, क्योंकि अचानक उसने अपनी माँ कि जगह पर अपने आप को रख कर देखा, तब उसे महसूस हुआ कि एक तरफ तो उसे मज़ा देने के लिये समीर है, और दूसरी तरफ उसके हुस्न पर अपनी गिद्ध जैसी नजरें लगाये हुए उसके पति का जिगरी दोस्त लोकेश है, और जब समीर दूसरी लडकियों के साथ मौज मस्ती कर रहा है और उसे कोइ आपत्ति नहीं है कि उसकी बीबी उसके ही दोस्त के साथ चुदाई का खेल खेले, तो उसकी माँ रश्मि को क्या प्रोब्लेम हो सकती है

पर शायद काव्या के ये सोचना उसकी खुद कि सोच थी, उसकी माँ थोडे पुराने विचारों कि थी, वो शायद उसकी तरह या फ़िर इन मर्दों कि तरह खुल कर ना सोचती हो

काव्या ने सोचा कि काश, वो सब उसके साथ हो रहा होता .

वो सोच ही रही थी कि उसके कानों मे रीतु के चीखने कि आवाज आई, उसने अंदर देख तो समीर ने रीतु को सोफ़े पर लिटाकर उसकी टाँगे हवा मे घुमाकर अपनि तरफ़ घुमा लिया और अपना मुँह उसकी चूत पर लगाकर उसकी ताजा मलाई को खा रहा था

उसकी उंगलियाँ अभी तक उसकी चूत कि मालिश कर रही थी और अन्दर का माल बाहर निकाल रही थी , और जो माल बाहर निकलता उसे समीर अपनि जीभ से चाटकर अन्दर निगल जाता.

कुछ देर तक उसे चाटने के बाद समीर ने रितू को घोडी बना दिया और उसकी चूत के अन्दर अपना लंड पेल दिया..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म मयेस्सस्सस्सस्सस ऐसी ही ………… अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह, जोर से मारो अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''

समीर ने आगे झुककर उसकी बालों को पकड़ा और झटके मारकर लगाम कि तरह उसके बालों को खींचकर उसकी घुड़सवारी करने लगा

''अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह हाआआन ऐसे ही ……… उम्म्म्म्म्म्म मजा आ गया , इतने दिनों के बाद असली प्यास बुझी है मेरी …। उम्म्म्म अह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ्फ्फ़ और जोर से सर ....... और जोर से …… कोई रहम मत करो मुझपर … फाड़ डालो मेरी चूऊऊऊत अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''..

रितु अपनी चुदाई करवाते हुए बड़बड़ाती जा रही थी , उसे सच में बहुत मजा आ रहा था समीर का लम्बा लंड अंदर लेने में .

और लोकेश भी अपनी आँखे मूँद कर अपनी रश्मि भाभी के हुस्न को याद करते हुए अपने लंड को रितु के मुंह के अंदर डालकर जोरों से हिलाने लगा, रितु अपने मुंह के अमृत से उसके लिंग को नहला कर बाबू बच्चा बनाने में लगी हुई थी..


लोकेश के लंड को पूरी तरह अपनी थूक से गीला करने के बाद रितु ने लोकेश को अपने नीचे लेटने का इशारा किया , और जैसे ही लोकेश बेड पर लेटा , वो अपने हाथ पैरों पर किसी कुतिया की तरह चलती हुई उसके ऊपर तक आई और अपने मुम्मे को उसके मुंह के आगे लटका दिया, जिसे लोकेश ने किसी भेड़िये की तरह झपट्टा मारकर दबोच लिया और उसके अंगूरों का रस पीने लगा

रितु के आगे खिसक जाने की वजह से समीर का लंड बाहर निकल आया, जो उसकी चूत के रस में भीगकर बुरी तरह से चमक रहा था , वो अपने हाथों में अपने लंड को लेकर उसपर सारा रस चोपड़ने लगा

और रितु की चूत पर जैसे ही लोकेश के खड़े हुए लंड ने दस्तक दी, उसने बिना किसी वार्निंग के उसे अपने अंदर खींच लिया , लोकेश तो रितु को अभी थोड़ा और तरसाना चाहता था, पर उस रंडी के अंदर जो आग जल रही थी उसके आगे ये छिछोरी हरकतें नहीं चलने वाली थी, वो हुमच -२ कर उसके लंड को अपने अंदर लेने लगी

अब समीर के सामने थी रितु की थिरक रही गांड, जिसके छेद को अभी थोड़ी देर पहले ही लोकेश ने मारकर थोड़ा और खोल दिया था , वो आगे आया और अपने पंजों पर खड़ा होकर उसने अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिकाया और एक जोरदार झटके के साथ आगे हो गया

फफक्छ्ह्ह्ह की आवाज के साथ रितु की गांड भी पूरी भर गयी

एक लड़की के जीवन का सबसे सुनहरा पल होता है ये, जब उसकी चूत और गांड एक साथ मोटे-२ लंड से भरी होती है .

और यही ख़ुशी रितु महसूस कर रही थी ....... और वो भी पूरी अंदर तक..

और जब रितु को दोनों तरफ से झटके लगने शुरू हुए तो उसका बड़बड़ाना फिर से शुरू हो गया..

''अह्ह्ह्हह्ह येस्सस्सस्स। …… यही तो मैं कह रही थी ……। अह्ह्हह्ह्ह्ह यी फीलिंग …… उम्म्म्म्म्म्म .... दोनों का एक साथ अंदर लेना, कितना मजेदार है ……… अब चोदो मुझे दोनों, जोर जोर से, अह्ह्हह्ह्ह्ह , फाड़ डालो ,मेरी गांड …… और चूत उम्म्म्म्म्म्म्म ''

और वो दोनों दोस्त लग गए अपने पुराने काम पर फिर से एक साथ …।

अगले पन्द्रह मिनट में उन दोनों ने मिलकर उसकी ऐसी रेल बनायीं की आखिर में उसके मुंह से सिसकियों के साथ-२ लम्बी -२ लार भी निकलने लगी , और उसके साथ ही निकलने लगे दोनों की तोपों के अंदर से गरमा गरम गोले..

समीर ने अपना सारा माल रीतु के गोदाम यानी गांड मे पहुंचा दिया और लोकेश ने अपना माल उसके मैन शोरूम यानी चूत में .

काव्य भी कायल हो गयी रितु की , ऐसी चुदाई की कला तो वो भी सीखना चाहेगी …

काव्या ने वहां छुपना सही नहीं समझा , वो चुपके से वहां से निकल कर वापिस अपने कमरे मे चली गयी.

और उसने रूम मे पहुँचते ही सबसे पहले फोन निकाला और अपनी सहेली श्वेता को फोन लगाकर उसे अभी तक कि सारी बाते सुना डाली..

श्वेता उसकी बाते सुनकर काफी हैरान हुई, और नाव वाला किस्सा सुनकर खुश भी हुई, उसने आने वाले दिनो के बारे मे काव्या को कुछ समझाया और फ़िर उसने फ़ोन रख दिया.

अब अपने बेड पर लेटकर काव्या अभी तक कि सारी बाते सोच रही थी.

समीर ने उसकी माँ से शादी तो कर ली, पर एक पति कि तरह वो पोसेसिव बिल्कुल भी नहीं है, उसे अपनी बीबी को अपने दोस्त के साथ शेयर करने मे कोई परेशानी नहीं है, और जब वो अपनी बीबी के साथ ये कर सकते है तो एक दिन उसके साथ भी वो सब करेगा..

नहीं , वो अपने सौतेले बाप कि साजिश का हिस्सा कभी नहीं बनेगी, वो ऐसा कभी नहीं चाहेगी कि वो और उसकी माँ समीर की गुलामी करते हुए अपनी जिंदगी गुजारे..

उसे ही कुछ करना होगा, ताकि समीर के सामने वो और उसकी माँ लाचार बनकर ना रहे, बल्कि समीर उनके इशारों पर नाचे और इसकी लिये उसकी पास सिर्फ़ एक ही हथियार था..

उसका योवन, उसकी जवानी..

और जैसा की प्लान था, उसे सबसे पहले लोकेश को आपने बस मे करना होगा , क्योंकि जो काम वो करना चाहती थी, वो सिर्फ़ और सिर्फ़ लोकेश की मदद से ही हो सकता था.

शाम को काव्या टहलती हुई होटल के रिसेप्शन वाले एरिया मे जा पहुंची , जहां रितु तीन चार लड़कियों के साथ खड़ी थी. वो रीतु को देखकर मुस्कुराई, रीतु ने भी उसे देख और मुस्कुरा कर उसके पास आ गयी

रितु : "हाय , मेर नाम रितु है, मैं यहॉँ फ्रंट ऑफिस मैनेजर हु , "

काव्या : "यस, पता है मुझे, लोकेश अंकल के साथ देखा था तुम्हे "

उसकी बात सुनकर रितु एकदम से सकपका सी गयी

रितु :" तुमने .... तुमने कब देख मुझे "

काव्या मन ही मन हंस रही थी, चोर कि दाड़ी मे तिनका

काव्या : "वो, कल जब हम आये थे यहाँ, तो तुम लोकेश अंकल से बात कर रही थी न अलग से जाकर, मैँ समझ गयी थी कि तुम यहाँ होटल कि मैनेज़र हो "

रितु (थोड़ा मायूसी से बोली ) : "होटल कि नहीं , सिर्फ़ फ़्रंट ऑफिस कि , बस अपने प्रोमोशन के बारे मे ही बात कर रही थीं उस वक़्त , जब तुमने मुझे सर के साथ देखा था "

काव्या समझ गयी कि क्यो वो अपने सर कि "हर" बात मान रही थी

तभी रिसेप्शन पर एक नया गेस्ट आया तो रितु उसे अटेंड करने के लिये वहां चली गई

और अटेंड करते-२ उसने अपनी शर्ट के दो बटन खोल दिये, काव्या दूर खड़ी होकर उसकि हरक़तें देख रही थी, और सीख रही थी कि कैसे मर्दों को आपने काबू मे लाया जाता है

वो वापिस अपने कमरे मे आयी और अपने कपड़ो मे से एक हॉट पेंट (छोटी सी निक्कर) निकाल कर पहन ली और उसके उपर एक कसी हुई सी टी शर्ट

उस ड्रेस मे वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी

उसे पता था कि जब उसकी माँ ऎसी ड्रेस यहाँ देखेगी तो जरूर गुस्सा करेगी , घर कि अलग बात है , पर बाहर ऐसी ड्रेस मे वो कभी नहीं निकली थी

उसकी माँ अभी-२ सोकर उठी थी और समीर के साथ बालकनी मे बेठ कर चाय पी रही थी

उसे ऐसे कपड़ो मे देखते ही वो उठ खड़ी हुई और शुरु हो गयी : "काव्या , ये क्य पहन रख है, तुझे शर्म नहि है, जगह देख ले पहले, "

तभी समीर बोल पड़ा : "अरे, क्या प्राब्लम है इसमे, इतनी अच्छि तो लग रही है ..."

उसकी नज़रें काव्या की मांसल जांघों को घूर रही थी, जैसे उनका टँगड़ी कबाब बना कर खा जायेगा वो ..

समीर की शह मिलते ही काव्या समीर के पास गयी और सीधा उसकी गोद मे जाकर बैठ गयी, समीर भी उसकी इस हरकत से चोंक सा गया, पर काव्या बड़े ही आराम से उसके गले मे अपनी बाहें डालकर बोली : "पापा, आप ही बताइए, हम घूमने आए है, ऐसी ड्रेसस यहा ना पहनु तो कहा पहनु, वैसे भी यहा कोई देखने वाला नही है..''

समीर की साँसे तेज़ी से चलने लगी, उसे तो यकीन ही नही हो रहा था की काव्या ऐसी हरकत करेगी, उसके लंड ने अपना सिर उठना शुरू कर दिया था, जिसे काव्या अपनी गान्ड के नीचे सॉफ महसूस कर रही थी , वो थोड़ा और चिपक कर बैठ गयी समीर से, जिसकी वजह से उसकी छोटी गेँद समीर की गर्दन से टच करने लगी, अब तो समीर के लंड ने पूरी बग़ावत कर दी और उफान मारते हुए काव्या की गांड पर धक्के मारने लगा..

रश्मि ने भी जब देखा की काव्या कितने प्यार और अपनेपन से समीर की गोद मे जाकर बैठ गयी है, तो उसने भी आगे टोकना सही नही समझा, शादी के बाद से ही समीर और काव्या के बीच का तनाव उसकी परेशानी बना हुआ था, पर अब समीर काव्या को अपनी बेटी की तरह अपनी गोद मे बिताकर उसकी तरफ़दारी कर रहा था तो रश्मि को ये देखकर बहुत अच्छा लगा..

अब उसे कौन बताए की समीर के मन मे क्या चल रहा है...

थोड़ी देर तक वहाँ बैठने के बाद काव्या उठ खड़ी हुई और जाते-2 उसने एक और काम किया और वो भी इतनी तेज़ी से की समीर को रियेक्ट करने का समय ही नही मिला, काव्या ने देखा की जैसे ही रश्मि की नज़रें दूसरी तरफ गयी, उसने जल्दी से समीर के होंठों पर एक हल्की सी पप्पी दी और बोली ''थेंक्स पापा , बाय , मैं उपर अपने कमरे मे हू'' और वहाँ से उठकर अपने रूम मे भागती चली गयी..

वो बेचारा अपने लंड को मसलता हुआ, उसकी मोटी गाण्ड कि थिरकन ही गिनता रह गया.

रश्मि को कुछ पता भी नही चला, और समीर अपने होंठों पर उसके रुई जैसे होंठों के स्पर्श से सिहर उठा था, और अपने होंठों को मसलता हुआ उन्हे अपनी जीभ से भिगो कर चूस रहा था.

रात का खाना खाने के बाद सभी सोने की तैयारी करने लगे, शाम को जिस तरह से काव्या ने समीर के लँड को खड़ा कर दिया था, उससे एक बात तो पक्की थी की वो आज रश्मि की खूब बजाएगा..

और अपने रूम मे जाते ही उसने अपने पुर कपड़े निकाल फेंके और सोफे पर जाकर बैठ गया.

रश्मि नहाने गयी हुई थी उस वक़्त, समीर ने उसे पहले से ही बोल दिया था की वो बिना कपड़ो के और बिना अपने बदन को पोंछे बाहर आएगी..

अपने बदन को शावर जैल से मसलने के बाद वो ऐसे ही भीगी हुई सी बाहर निकल आई, उसके नंगे बदन से पानी की बूंदे बहकर नीचे गिर रही थी और कारपेट को भी गीला कर रही थी

समीर ने सिगरेट सुलगा ली और दूसरे हाथ मे पेग पकड़ लिया और रश्मि से बोला : "अब मेरे पास कुतिया की तरह चलती हुई आओ ''

रश्मि ने समीर को ना कहना तो सीखा ही नही था अब तक, और वैसे भी, सेक्स के मामले मे वो अब इतना खुल चुकी थी की उसे भी मज़ा आने लगा था ऐसी हरकतें करने मे..

वो अपने घुटनो के बल बैठ गयी और हाथों को आगे रखकर धीरे-2 चलती हुई समीर की तरफ बढ़ने लगी.

उसके उरोजों पर अटका हुआ पानी, इकट्ठा होकर उसके निप्पल्स तक जा रहा था और बूंदे बनकर नीचे गिर रहा था, जैसे मोटी तोप से छोटे-2 पानी के गोले निकल रहे हो.
 
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उसके पास आते ही समीर ने अपने पैर की उंगलियों से उसके चेहरे की बूँदो को मसलना शुरू कर दिया और फिर उसके होंठों के अंदर अपना अंगूठा डाल दिया, जिसे वो बड़े भयानक ढंग से चूसने लगी, जैसे वो पैर का अंगूठा ना हो उसका लॅंड हो.


फिर अपने गीले अंगूठे को वो रश्मि के मुम्मों तक ले गया और उसके निप्पल को अंगूठे और उंगली के बीच फँसा कर नीचे की तरफ खींच दिया.

रश्मि दर्द से कराह उठी : "अहह उम्म्म्मममम ''..

पर साथ ही उसकी चूत से भी गर्म हवा के भभके निकलने लगे..

समीर का लॅंड उसके पेट पर ठोकरे मार रहा था, समीर ने उसे आँखो से इशारा किया तो वो झपटकर उपर आई और उसके लॅंड को अपने मुँह मे लेकर उसका रस पीने लगी.

आज तो वो ऐसे बिहएव कर रही थी जैसे वो उसके लॅंड को उखाड़ कर खा जाएगी

झटके लगने से उसका पेग भी छलक रहा था

उसने गिलास और सिगरेट को साईड मे रखा और फिर दोनो हाथों से उसके बालों को पकड़कर ज़ोर-2 से अपने लॅंड के उपर मारने लगा

और जब उसे लगने लगा की अब ज़्यादा नही रोक पाएगा तो उसने अपना लॅंड छुड़ा लिया और रश्मि को अपनी गोद मे खींच कर उसकी चूत के अंदर अपना लॅंड पेल दिया

वहीं सोफे पर बैठे -2 वो रश्मि को अपनी गोद मे बिठा कर चोदने लगा

और यही वो समय था जब काव्या अपने कमरे से निकल कर नीचे जा रही थी, लोकेश के पास, अपने मा बाप के कमरे से आ रही उत्तेजना से भरी चुदाई की आवाज़ों को सुनकर वो समझ गयी की ये उसके जलवे का ही कमाल है जो समीर उसकी मा को ऐसे चोद रहा है

वो मुस्कुराती हुई नीचे उतर आई, क्योंकि अब खुजली उसकी चूत मे भी हो रही थी

इसी बीच, समीर ने रश्मि को बेड पर लेजाकर घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी चूत मे दाखिल हो गया

और अगले दस मिनट तक वो उसे बुरि तरह चोदता रहा

और जैसे ही उसके लॅंड का पानी निकल कर रश्मि की चूत मे जाने लगा, उसके मुँह से अनायास ही निकल गया : "ओह काव्य्ाआआआअ''..

वैसे तो उसने सिर्फ़ बुदबुड़ाए थे वो शब्द पर रश्मि के तेज कानो ने उन्हे सुन ही लिया..

और उन्हे सुनते ही उसके पुर शरीर मे एक सनसनाहट सी दौड़ गयी...

उसे समझते देर नही लगी की समीर की गंदी नज़रें उसकी जवान बेटी पर है, इसलिए वो उसे चोदते हुए अपनी आँखे बंद करके उसकी बेटी का नाम ले रहा है...पर वो कर भी क्या सकती थी...उसने मन ही मन निश्चय कर लिया की वो अपनी बेटी को जितना हो सकेगा , समीर से दूर रखेगी..अभी उसे पता चल गया है, ऐसा उसने शो ही नही किया..

चुदाई के बाद समीर ने अपना जाम ख़त्म किया और दस मिनट मे ही गहरी नींद के आगोश मे चला गया, और पीछे रह गयी अपनी बेटी की चिंता मे उसकी माँ रश्मि, जिसकी आँखो से नींद कोसो दूर थी.

पर उस बेचारी को ये पता नही था की जिस बेटी को बचाने के लिए वो अपनी नींद खराब कर रही है वो खुद इस समय क्या करने गयी हुई है..

लोकेश के कमरे के बाहर पहुँचकर काव्या ने धीरे से दरवाजा खड़काया.

लोकेश अपने बाथरूम मे था , अपने शरीर कि गर्मी को वो नहा कर निकाल रहा था

उसने टॉवल लपेटा और दरवाजा खोलने के लिये बाहर आया

दरवाजा खोलते ही काव्या जल्दी से लोकेश को धक्के देते हुए अन्दर आ गयी और दरवाजा बंद कर दिया

लोकेश का टॉवल गिरते-2 बचा.…

लोकेश : "क्या हुआ, इतनी जल्दी किस बात की है ''

काव्या : "वो.....मुझे लगा की शायद कोई मुझे यहा आते हुए देख रहा है''.

लोकेश (हंसते हुए) : "इस वक़्त कोई नही जाग रहा होगा, और तुम्हारे मम्मी-पापा तो मस्ती का खेल खेलकर आराम कर रहे होंगे...उनकी आवाज़ें नीचे तक आ रही थी''

काव्या उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी

उसकी नज़रें लोकेश की बॉडी से होती हुई उसके उभार तक जा पहुँची

काव्या ने एक झटके मे उसका टॉवल खींच कर नीचे गिरा दिया

लोकेश को इस बात की आशा भी नही थी, वो अपने लॅंड को अपने हाथों से ढक कर उसे छुपाने की कोशिश करने लगा

काव्या (हंसते हुए) : "हा हा, आप तो ऐसे शरमा रहे है, जैसे मैने इसे पहले देखा ही नही , भूल गये, कैसे आप मेरे सामने पुर नंगे होकर बैठे थे ''

तब तक लोकेश भी संभल चुका था, क्योंकि उसे भी पता था की रात के इस समय काव्या उसके रूम मे क्या करने के लिए आई है और जब उसने टॉवल खींच कर गिरा दिया तो वो समझ गया की आज की रात उसकी चाँदी होने वाली है

वो बोला : "वहाँ नाव मे तो तुम भी पूरी नंगी थी ''

उसकी बात सुनकर काव्या की मुस्कान गायब हो गयी और उसकी जगह कामुक हाव भाव ने ले ली, उसने अपनी टी शर्ट को पकड़ा और उसे उतार दिया और अपनी छोटी सी निक्कर को भी पकड़ कर नीचे खिसका दिया

अब वो सिर्फ़ अपनी ब्रा और पेंटी मे थी

वो मदहोशी वाली चाल मे चलती हुई आगे आई और लोकेश के पास जाकर रुक गयी , दोनो एक दूसरे की साँसे अपने चेहरे पर महसूस कर पा रहे थे

काव्या ने लोकेश के हाथों को पकड़ा और उन्हे अपनी कमर के उपर की तरफ रख दिया और उपर खिसकाने लगी उन्हे

लोकेश समझ गया की वो अपनी ब्रा उसके हाथों से खुलवाना चाहती थी

उसने भी धीरे-2 हाथ खिसका कर उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और वो फिसलकर नीचे जा गिरी

फिर उन्ही हाथों को पकड़कर काव्या ने अपनी पेंटी पर रख दिया

लोकेश फिर समझ गया की वो अपनी पेंटी भी उतरवाना चाहती है

लोकेश का लॅंड इस समय तक झटके मारता हुआ काव्या के पेट पर ज़ोर-2 से दस्तक दे रहा था

काव्या की पिंक पेंटी को भी खिसका कर लोकेश ने नीचे कर दिया

और अब थी काव्या पूरी नंगी, जैसे की लोकेश था इस समय

काव्या : "अब तो ठीक है ना, मैं भी पूरी न्यूड हो गयी हू अब तो , चलो अब शुरू हो जाओ, तुमने कहा था की मेरे एहसान का बदला उतरोगे''

लोकेश को याद आ गयी अपनी बात , जब नाव मे काव्या ने उसका लॅंड चूसा था तो उसने ये बात कही थी

लोकेश ने काव्या को अपनी बाहों मे भरा और उसके नन्हे से शरीर को अपनी बलिष्ठ बुझाओं मे दबा कर निचोड़ डाला

उसके छोटे-2 बूब्स उसकी सख़्त छाती से दबकर नीचूड़ से गये

लोकेश के हाथों मे काव्या की गोल-मटोल गाँड थी, जिसे दबाने मे उसे बहुत मज़ा आ रहा था

काव्या तो पागल हुई जा रही थी, उसकी साँसे इस समय रेल के इंजन की तरह तेज और गर्म थी

उसने आवेश मे आकर लोकेश की गर्दन, छाती गाल और फिर एकदम से उसके होंठों को चूमना और चूसना शुरू कर दिया

काव्या के शरीर को जब लोकेश ने ज़ोर से दबा कर अपनी छाती से लगाया तो उसका बदन टूटने सा लगा, लोकेश ने उसे उपर हवा मे उठा कर ज़ोर से स्मूच करना शुरू कर दिया

''उम्म्म्मममममम मुकक्चह अहह''

ये काव्या की लाइफ का पहला स्मूच और किस्स था


उसकी चूत का गीलापन उसे बाहर निकलता हुआ महसूस हो रहा था

और साथ ही एक-दो ठोकरे लोकेश के लॅंड की भी लग चुकी थी वहाँ, इसलिए कुछ ज़्यादा ही गीली हो गयी थी वो

और लोकेश ने जब काव्या के होंठों को चूसा तो उसमे से निकलने वाली मिठास का वो कायल हो गया, ऐसी ठंडक और मीठापन उसने आज तक किसी को भी किस करते हुए महसूस नही की थी, उसका मन कर रहा था की उसके मोटे होंठों की मदिरा वो पूरी तरह से पी जाए

लोकेश ने उसे शीशे के सामने खड़ा कर दिया और खुद उसके पीछे जाकर उसकी उभरी हुई गांड के बीच अपने लँड को फंसा कर घिस्से मारने लगा , और साथ ही साथ उसकी चूचियाँ भी रोंदने लग आपने कठौर हाथोँ से


लोकेश ने काव्या को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके कसमसाते हुए जिस्म को देखकर अपने होंठों पर जीभ फिराने लगा

वो उसपर पूरी तरह से लेट गया , और नीचे झुककर उसके फूल चुके मुम्मों को अपने हाथोँ से दबाकर उन्हे बड़ा करने लगा और साथ ही उसके निप्पल चूसकर उसका दुध निचोड़ने लगा

उसे तो अपनी किस्मत पर विश्वास ही नही हो रहा था की एक 18 साल की कच्ची कली को वो आज चोदने जा रहा था

उसकी नज़र काव्या की रस उगलती चुत पर पड़ी, जो अपने ही रंग मे नहाकर चमक रही थी

उसने एक बार और अपने होंठों पर जीभ फेराई और नीचे झुक कर उसकी चूत के सामने भिखारी की तरह बैठ गया

काव्या समझ गयी थी की अब उसके साथ क्या होने वाला है, उसने अपनी साँसे रोक ली, अपनी कोहनियों के बल आधी लेट कर वो लोकेश की तरफ देखने लगी

लोकेश ने जैसे ही अपना सिर उसकी चूत पर झुकाया और अपनी जीभ से उसे छुआ, काव्या ने तड़प कर अपनी चूत वाला हिस्सा आगे किया और उसके मुँह पर दे मारा और अपनी टाँगो से लोकेश की गर्दन लपेट ली और उसकी गर्म जीभ को अपनी लाल भट्टी के अंदर महसूस करते हुए जोरों से सिसकारियाँ मारने लगी

''अहह उम्म्म्मममममममम वाआआव अंकल .........मज़ा आ गया ''

अपनी कुँवारी चूत की पहली चुसाई लोकेश से करवाते हुए वो मचल रही थी, उसके शरीर मे लहरें उठ रही थी, उसने लोकेश के बालों को पकड़ लिया और अपनी चूत पर घिसाई करने लगी उसके मुँह से

लोकेश के लिए साँस लेना भी मुश्किल हो गया था

पर उसकी चूत का गरमा गरम मीठा रस इतना मजेदार था की वो अपना मुँह वहाँ से हटा ही नही पा रहा था

लोकेश की खुरदूरी जीभ जब काव्या की वेल्वेट जैसी चूत के उपर चली तो वहाँ से निकल रही सारी चिकनाहट को सॉफ करती चली गयी

अब तक काव्या का मुँह भी सूखने लगा था

उसने बड़ी मुश्किल से अपनी चूत से जोंक की तरहा चिपके लोकेश को पीछे हटाया और उन्हे बेड पर आकर लेटने को कहा, और जैसे ही लोकेश वहाँ लेटा , काव्या ने उसके रॉकेट को अपने मुँह के अन्दर रखा और उसे ऊंची उड़ान पर भेज दिया और उसके लॅंड को आइस्क्रीम की तरह चूसने लगी




अब लोकेश का लॅंड पूरी तरहा से बग़ावत पर उतार आया था, स्टील जैसा कड़ा हो चुका था वो, उसने सोचा यही वक़्त है कुँवारी चूत का उद्घाटन करने का

उसने अपने आप को छुड़ाना चाहा पर काव्या ने उसे छोड़ा ही नही, उसका लॅंड चूसती ही रही

अब लोकेश को भी लगने लगा की वो ज़्यादा देर तक अपने आप पर कंट्रोल नही कर सकेगा, क्योंकि काव्या किसी रंडी की तरह उसके लॅंड को चूस रही थी

अपनी जीभ और दांतों का हल्क़ा इस्तेमाल और होठो से किसी मशीन कि तरह उसके लंड को चूसते हुए काव्या क चेहरा तमतमा उठा , इतनी उत्तेज़ना उसे आज तक महसूस नहि हुई थी

और फिर अचानक लोकेश के मुंह से अजीब - २ सी आवाजें निकलने लगी

काव्या समझ गयी कि उसका निकलने वाला है

वो उठकर बैठ गयी और लोकेश को अपने सामने खड़ा करके अपनी जीभ निकाल कर उसके लंड को मसलने लगी

और आखिर लोकेश ने अपने लंड का माल उगल ही दिया उसके चेहरे पर

लोकेश के रस कि लँबी -२ लकीरे निकल कर काव्या के चेहरे और होंठों पर गिरने लगी



और इस बार काव्या ने उस रस का अपमान नही किया उसे बाहर फेंक कर, बल्कि एक ही झटके मे वो सारा रस अपने गले से नीचे उतार कर पी गयी

लोकेश ने पूछा : "तुम हटी क्यो नही, मुझे ये अंदर डालना था तुम्हारे''

उसने अपने लॅंड की तरफ इशारा करते हुए कहा

वो मुस्कुरा कर रह गयी

उसने लोकेश की तरफ देखते हुए अपनी चूत की तरफ इशारा किया, यानी वो चाहती थी की वो उसे भी चूस कर झड़ने मे मदद करे..

वो उठा और उसके सामने फिर से उसी पोज़ मे आ गया जिसमे पहले चूस रहा था उसकी नर्म चूत को

उसने चूसना शुरू किया, और साथ ही साथ अपने लॅंड को भी मसल कर फिर से खड़ा करने लगा, ताकि उसकी चूत को फाड़ सके

और अगले पाँच मिनट मे वो खड़ा हो भी गया

उसने उसकी चूत को चाटना छोड़ दिया और अपने लॅंड को मसलते हुए आगे की तरफ आया

पर तभी काव्या बोल पड़ी : "नही अंकल .....ये नही...''

लोकेश बेचारा उसका चेहरा देखता रह गया

एक जवान लड़की उसके साथ सब कुछ कर रही है, पर अपनी चूत मरवाने से मना कर रही है, ऐसा क्यो..

उसकी तो के एल पी ड़ी हो गयी

काव्या ने उसे फिर से अपनी चूत चाटने को कहा

और वो बेचारा मन ही मन उसे गालियाँ देता हुआ उसे फिर से चाटने लगा

और काव्या उत्तेजना के शिखर पर पहुँचकर जब झड़ने लगी तो मन ही मन मुस्कुरा भी रही थी

की किस तरहा से लोकेश उसके इशारे पर नाच रहा है

उसने अपने जिस्म का इस्तेमाल करके उसे अपना दीवाना बना लिया था

पर जो काम वो करवाना चाहती थी, उसके लिए अपने पास एक हुक्म के इकके को बचाकर रखना ज़रूरी था

और वो हुक्म का इक्का था उसकी कुँवारी चूत

कुँवारी चूत एक ऐसी चीज़ होती है जिसे मारने के लिए आदमी कुछ भी कर सकता है

और यही हाल इस वक़्त लोकेश का हो रहा था, उसके मन मे पता नही क्या-2 चल रहा था, की ये क्यो अपनी चूत बचा कर रख रही है, इतना कुछ तो कर ही चुकी है, तो इसके लिए क्यो मना कर रही है

पर वो कर भी क्या सकता था, ज़बरदस्ती वो कर नही सकता था

सिर्फ़ उस समय का वेट कर सकता था जब वो इसके लिए राज़ी हो जाए
 
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कुँवारी चूत एक ऐसी चीज़ होती है जिसे मारने के लिए आदमी कुछ भी कर सकता है

और यही हाल इस वक़्त लोकेश का हो रहा था, उसके मन मे पता नही क्या-2 चल रहा था, की ये क्यो अपनी चूत बचा कर रख रही है, इतना कुछ तो कर ही चुकी है, तो इसके लिए क्यो मना कर रही है

पर वो कर भी क्या सकता था, ज़बरदस्ती वो कर नही सकता था

सिर्फ़ उस समय का वेट कर सकता था जब वो इसके लिए राज़ी हो जाए


***********
अब आगे
***********

अपना काम करवा कर काव्या वहा से निकल कर अपने कमरे मे आ गयी, और हमेशा की तरह उसने अपनी सहेली श्वेता को सारी बाते बता डाली, श्वेता भी उसकी पर्फॉर्मेन्स से काफ़ी खुश थी, क्योंकि अभी तक सब कुछ उनके अनुसार ही चल रहा था.

एक इंसान को उस चीज़ की चाहत तब तक रहती है, जब तक वो उसे ना मिल जाए, और यही हाल इस समय लोकेश का हो रहा था, काव्या की कुँवारी चूत उसके मुँह तक आकर निकल गयी थी, वो उसे मार नही पाया था...

और उसकी चूत मारने की चाहत अब और भी बढ़ चुकी थी, और इसके लिए वो कुछ भी करने को तय्यार था, पर समझ नही पा रहा था की आख़िर काव्या क्या चाहती है.

अगले दिन भी यही सिलसिला चला, वो उसके कमरे मे आई, दोनो ने चाटम - चाटी की पर चुदाई नहीं करने दी काव्या ने, ज़्यादा ज़ोर देने पर सिर्फ़ इतना कहा की वक़्त आने पर वो सब भी करेगी, पर इसके लिए उन्हे तोड़ा इंतजार करना होगा.

अगले दिन वो सब वापिस निकल पड़े, एक हफ्ते का हनिमून मना कर समीर और रश्मि भी काफ़ी खुश थे.

वापिस आकर काव्या सीधे श्वेता के घर गयी.

दोनो एक दूसरे से मिलकर काफ़ी खुश हुए और श्वेता ने तो काव्या के होंठों पर एक जोरदार किस भी कर दी.

वो चोंक कर बोली : "ये क्या कर रही है, आंटी ने देख लिया तो ??"

श्वेता : "कोई नही देखेगा, मम्मी घर पर नही है"

इतना सुनते ही काव्या की आँखे भी चमक उठी और उसने भी दुगने उत्साह के साथ उसके होंठों को चूम लिया

और ऐसे ही चूमते-2 दोनो सहेलिया श्वेता के रूम तक पहुँच गयी और दोनो एक दूसरे के कपड़े भी उतारती चली गयी.

अब तक दोनो उत्तेजना के शिखर पर पहुँच चुकी थी..

दोनो अब पेंटी और ब्रा मे थी बस..

श्वेता : "साली, तूने तो इतने मज़े ले लिए, अब तो मेरे से भी आगे निकल गयी है तू''.

और इतना कहकर उसने काव्या की ब्रा और पेंटी नोचकर फेंक दी, और उसके छोटे-2 मुम्मों को ज़ोर से मसल दिया ..

दोनो जब भी उत्तेजित होती थी तो एक दूसरे को गालियाँ देकर बाते करती थी.

काव्या : "अहह, यु बिच ...धीरे कर ना, दर्द होता है.....और मैं तेरे से आगे नही निकली हू, मेरी चूत की पेकिंग अभी तक सलामत है''

उसने अपनी डबलरोटी जैसी चूत के उपर अपनी उंगलियों को नचाते हुए कहा

उसकी गुलाबी चूत देखकर श्वेता के मुँह मे पानी भर आया, वो झपटकर उसके पास पहुँची और उसे बेड पर लिटा कर उसकी चूत के अंदर अपनी दो उंगलिया घुसेड़ डाली और झुककर उसके निप्पल को मुंह में डालकर चूसने लगी



और फिर वो खिसककर नीचे की तरफ जा पहुंची और उसकी नमकीन चूत के ऊपर अपनी जीभ रख कर अंदर घुसेड़ डाली

''अहह एसस्स्स्स्स्सस्स ऐसे ही चूसा था लोकेश अंकल ने भी .....अहह और अंदर डाल ना अपनी जीभ कुतिया .......एसस्स्सस्स अहह ऐसे ही ....उम्म्म्ममममममम ''

उसकी जीभ के साथ - 2 ढेर सारी लार भी उसकी गुल्लक के अंदर जाकर उसे और गीला कर रही थी

बेडशीट पूरी तरहा से भीग चुकी थी

अचानक काव्या को महसूस हुआ की वो झड़ने वाली है, उसने तुरंत श्वेता को उपर की तरफ खींच लिया और अपने ऑर्गॅज़म को थोड़ी देर के लिए टाल दिया, क्योंकि वो इतनी जल्दी नही झड़ना चाहती थी, उपर खींचने के बाद वो उसके फूल जैसे होंठों पर लेगे अपनी चूत के शहद को चाटने लगी


दोनो की चूतें एक दूसरे से रगड़ खा रही थी

अपने ओर्गास्म को थोड़ा शांत करने के बाद काव्या ने घूमकर श्वेता को 69 की पोज़िशन मे जकड़ लिया और दोनो ने एक दूसरे की दहक रही भट्टी पर अपने-2 होंठ रख दिए और एकसाथ दोनो सिसक भी उठी

''उम्म्म्ममममम.......सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....अहह''


ऐसी मक्खन जैसी चिकनी चूत जब किसी के मुँह से लगती है तो ऐसी ही आवाज़ें आती है

श्वेता बुदबुदाई : "ज़रा चूस कर बता, कैसे चूसा था तूने अपने लोकेश अंकल का लॅंड....''

इतना सुनते ही जैसे काव्या के अंदर किसी उर्जा का संचार हो गया, उसने अपने दोनो हाथों से उसकी चूत के होंठों को पकड़ा और जैसे ही माँस इकट्ठा होकर उभरा, उसने उस उभरे हुए भाग को अपने मुँह मे लेकर किसी लॅंड की तरहा चूसना शुरू कर दिया,

और इस समय काव्या को ऐसा लग रहा था की 69 की पोज़िशन मे वो श्वेता के साथ नही बल्कि लोकेश अंकल के साथ ही है, उनका मोटा ताज़ा लॅंड निगल रही है और वो उसकी चूत को चूस कर उसकी मलाई चाट रहे है



श्वेता की तितली के पंख जैसी छूट जब काव्या के मुँह मे गयी तो वो तड़प उठी, उसे लगा की शायद उसने लोकेश के बारे मे पूछकर और काव्या को उसके लॅंड चूसने के बारे मे याद दिलाकर कोई ग़लती की है, पर जब उसकी चूत के बीच फँसा हुआ मोती काव्या के मुंह के अंदर उभरा और उसने उसे चुभलाया और हल्का सा काटा तो उसकी चिंताए दूर हो गयी और वो आनंद सागर मे गौते खाकर भरभरा कर झड़ने लगी

''अहह .....उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ....काव्य्ाआआआआआआ .....उम्म्म्मममममममम ....एसस्स्सस्स''

और काव्या के मुँह मे जब मीठे शहद की नदी ने प्रवेश किया तो उसकी खुद की झील का झरना श्वेता के मुँह मे गिरकर उसकी प्यास बुझाने लगा..

''उम्म्म्मममममम....अहह''

दोनो के चेहरे ऐसे लग रहे थे जैसे उनपर आमरस मल दिया हो बहुत सारा.

दोनो ने एक दूसरे के आमरस को चाटकार सॉफ किया और फिर एक दूसरे के गले से मिलकर अठखेलिया करने लगे

और जब वो ये सब कर रहे थे तो वो ये नही जानते थे की उन्हे कोई देख रहा है दरवाजे की औट से ...

और वो था श्वेता का भाई नितिन

जो कॉलेज से वापिस आ चुका था, और श्वेता और काव्या की नासमझी की वजह से बाहर का दरवाजा खुला रह गया

और जब वो अंदर आया तो सबसे पहले उसे सामने पड़ी हुई टी शर्ट दिखाई दी और उसके बाद जीन्स और पेंटी भी

वो उन्हे उठाता गया और सूंघटा गया

और उन गिरे हुए कपड़ो का पीछा करते-2 वो जब अपनी बहन श्वेता के रूम के बार पहुँचा और अंदर से आ रही आवाज़ों को सुना तो उसे पक्का विश्वास हो गया की आज ज़रूर उसे कुछ गरमा गरम देखने को मिलेगा, और हुआ भी ऐसा ही..अंदर उसके सपनो की रानी काव्या पूरी तरहा से नंगी थी और उसकी सग़ी बहन के साथ वो 69 की पोज़िशन मे मज़े ले और दे रही थी ..

काव्या के हुस्न पर तो वो काफ़ी पहले से मरता था, पर अपनी बहन को उसने उस नज़र से आज तक नही देखा था, पर आज उसकी भरी हुई गांड और मादकता से भरे हुए मुम्मे देखकर उसके लॅंड ने पहली बार अपनी बहन के नाम की अंगड़ाई ली

उसने झट से अपना लॅंड बाहर निकाल लिया और मसलने लगा..

वो फ़ैसला नहीं कर पा रहा था की अपनी बहन को देखकर मूठ मारे या काव्या को देखकर ...

पर जिस तरहा से दोनो बिल्लिया एक दूसरे को नोच रही थी, एक बात तो पक्की थी, उनमे से कोई भी उसे मिल जाए, एकदम वाइल्ड सेक्स करेंगी वो दोनो ही उसके साथ..

बस यही सोचते-2 उसके लॅंड ने पिचकारियाँ मारनी शुरू कर दी , वहीं अपनी बहन के दरवाजे के सामने..उसके मुंह से हलकी सी गुरगुराहट निकल गयी

और अचानक श्वेता को लगा की उसने कोई आवाज़ सुनी है..उसने काव्या को अपने उपर से हटाया दोनो ने जल्दी-2 कपड़े पहने ...

नितिन ने जब देखा की वो बाहर आने को तय्यार हो रहे है तो वो झट से भागकर उपर अपने कमरे मे चला गया

बाहर निकालकर श्वेता ने देखा की नितिन का बेग टेबल पर पड़ा हुआ है तो उसे ये समझते देर नही लगी की वही था बाहर, उसने काव्या को कुछ नही कहा और उसे जल्दी से वापिस जाने के लिए कहा, वो भी बिना कोई बात पूछे वहा से चली गयी, क्योंकि उसे भी जल्दी घर पहुँचना था..

अपने कपड़े समेटकर वो जैसे ही अपने कमरे के बाहर पहुँची वो फिसलते-2 बची, नीचे देखा तो नितिन के लॅंड से निकला चिपचिपा पानी था, उसे समझते देर नही लगी की नितिन वहां खड़ा होकर क्या कर रहा था, वैसे तो वो उसका बड़ा भाई था, और उसने उसके बारे मे कभी ऐसा नही सोचा था, पर आज उसके माल को महसूस करके उसके अंदर ना जाने कैसी चिंगारियाँ दहकने लगी...वो फिर से गर्म होने लगी...
 
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अपने कपड़े समेटकर वो जैसे ही अपने कमरे के बाहर पहुँची वो फिसलते-2 बची, नीचे देखा तो नितिन के लॅंड से निकला चिपचिपा पानी था, उसे समझते देर नही लगी की नितिन वहां खड़ा होकर क्या कर रहा था, वैसे तो वो उसका बड़ा भाई था, और उसने उसके बारे मे कभी ऐसा नही सोचा था, पर आज उसके माल को महसूस करके उसके अंदर ना जाने कैसी चिंगारियाँ दहकने लगी...वो फिर से गर्म होने लगी...


********
अब आगे
********

अपने कमरे मे जाकर वो फिर से नंगी हो गयी और अपने भाई के बारे मे सोचते हुए अपनी चूत के अंदर अपनी चारों उंगलियों से खुदाई करके वहा छुपा हुआ अमृत निकालने लगी

और जैसे ही वो गर्म पानी का फव्वारा वहाँ से निकला, उसे ये एहसास हुआ की ये उसकी जिंदगी का सबसे अछा ऑर्गॅज़म था

वो अब एक सही मौके का इंतजार करने लगी, ताकि अपने भाई के साथ वो सब कर सके, जिसके बारे मे सोचकर ही इतने मज़े मिल रहे थे उसको.

और वो मौका जल्द ही मिल गया, एक दुर्घटना के रूप मे ..

अपने कॉलेज से आते हुए नितिन की बाइक एक कार से टकरा गयी और वो गिर गया, जिसकी वजह से उसके दांये हाथ पर एक महीने का प्लास्टर लग गया, और बाँये हाथ पर भी कुछ पट्टियाँ लगी थी.

श्वेता के मम्मी-पापा जॉब करते थे, इसलिए अपने भाई को संभालने की ज़िम्मेदारी उसके पर आ गयी.

उस एक्सीडेंट के दो दिन के बाद श्वेता अपने रूम मे बैठ कर टीवी देख रही थी तब नितिन ने उसे पुकारा

वो भागकर नीचे पहुँची तो नितिन ने सिर झुकाए हुए, उससे नज़रे चुरा कर कहा : "श्वेता .... वो ....मुझे ....नहाना था ...''

दो दिन से नही नाहया था नितिन, इसलिए शायद उस से अब बर्दाश्त नही हो रही थी अपने अंदर से आ रही दुर्गंध..

श्वेता भी उसकी बात सुनकर हैरान रह गयी, उसने इस बारे मे तो कभी सोचा भी नही था, की उसे अपने जवान भाई को कभी नहलाना भी पड़ेगा ..

उसके दिमाग़ मे फिर से वही तस्वीरे आने लगी, जिनके बारे मे सोचकर उसने अपनी चूत मे उंगलियाँ डाली थी

श्वेता ने भी ऐसे मुँह बनाया जैसे वो ये सब करना चाहती ही नही है और बोली : "क्या ???? तुम चाहते हो की मैं तुम्हारी मदद करू, नहाने मे ...दिमाग़ तो ठीक है ना तुम्हारा ...''

नितिन भी अपनी बहन का ये रूप देखकर घबरा गया, उसने तो सोचा था की उसकी हालत देखकर वो कभी मना नही करेगी और उसके नाज़ुक हाथों का स्पर्श अपने शरीर पर महसूस होगा, पर यहा तो पासा ही उल्टा पड़ गया..

नितिन : "श्वेता ....माँ ने कहा था ना की मेरा हर काम अब तुम्हे ही देखना होगा...सो....प्लीज़...''

वो कुछ देर तक सोचने का नाटक करते हुए अपना मुँह बना कर खड़ी रही...फिर बोली : "चल ठीक है, ज़्यादा सेंटी मत कर अब ...''

नितिन का चेहरा खिल उठा, वो बोला : "थॅंक्स ...ये एहसान मैं कभी नही भूलूंगा ...इसके बदले मैं कुछ भी कर सकता हू..''

श्वेता ने उसके चेहरे को गौर से देखा, उसकी आँखों मे आ रही चमक को देखकर वो भी खुश हो गयी .

श्वेता ने पूछा : "कैसे करना है ?"

नितिन के मन मे आया की बोल दे : "तू नंगी होकर घोड़ी बन जा, मैं पीछे से तेरी चूत मारूँगा ...''


उसको सोचते देखकर वो बोली : "बोल ना, कैसे नहाना है ...''

वो शायद उसके प्लास्टर को देखकर चिंतित थी ..की कही वो भीग ना जाए ..

नितिन : "ओह, इस प्लास्टर के उपर तो मैं प्लास्टिक शीट लगा कर इसको ढक लेता हू, और फिर बाथ टब में या शावर मे नहा सका हू ..''

श्वेता : "तुम्हे किसमे कम्फर्टेबल रहेगा ..?"

नितिन : "बाथ टब ठीक रहेगा ...''

उसकी खुली आँखो ने सपने देखने शुरू कर दिए ..

श्वेता : "अब चलो भी...क्या सोचने लगे...''

नितिन अपने सपनो से बाहर आया और बाथरूम की तरफ चल पड़ा..वहा पहुँचकर श्वेता ने उससे कहा : "तुम ऐसा करो, अंदर जाओ और टब मे अपने कपड़े उतारकर लेट जाओ ..फिर मुझे आवाज़ दे देना ..''

वो सिर हिला कर अंदर चला गया और अपने कपड़े उतारकर उसने अपनी दोनो बाजुओं को प्लास्टिक शीट से कवर कर लिया और बाथ टब भरने के बाद उसमे जाकर लेट गया..

और फिर उसने श्वेता को आवाज़ देकर अंदर बुला लिया

अंदर जाते हुए श्वेता का दिल ज़ोर-2 से धड़क रहा था, उसके दिमाग़ मे उस दिन की पिक्चर आ रही थी जब उसके कमरे के बाहर उसने नितिन के लॅंड का माल बिखरा हुआ देखा था, उसके बारे मे सोचते ही उसकी चूत गीली होने लगी..

वैसे नितिन के बारे मे उसने और काव्या ने कई बार स्कूल मे भी डिसकस किया था, काव्या उसके बारे मे बोलकर हमेशा श्वेता को चिढ़ाती रहती थी की काश ऐसा भाई उसका होता तो वो कब का उसे फँसा कर मज़े ले चुकी होती,

हालाँकि काव्या का नितिन के प्रति कुछ भी नही था, पर आज वो सब बाते याद करके श्वेता को बहुत अच्छा फील हो रहा था

वो अंदर गयी तो देखा की नितिन का पूरा शरीर झाग वाले पानी के अंदर है, सिर्फ़ उसकी गर्दन और दोनो बाजुए बाहर थी, और बाजुओं पर उसने प्लास्टिक लपेट कर उन्हे भीगने से बचा रखा था.

वो बाथ टब के किनारे पर बैठ गयी और साबुन उठा कर नितिन को सीधा बैठने के लिए कहा, और फिर उसके कंधे और पीठ पर साबुन लगा कर अपने कोमल हाथों से रगड़ने लगी

उसने पहली बार नोट किया की उसके भाई की बॉडी कितनी सुडोल हो चुकी है पिछले कुछ सालो मे..उसके कंधे कितने चौड़े थे ...और उसकी मांसपेशियाँ भी अलग ही चमक रही थी..शायद जिम जाने का फल था ये..लड़कियो को हमेशा जिम जाने वाले लड़के और उनकी मसकुलर बॉडी पसंद आती है...और श्वेता के उपर भी ये बात लागू होती थी..

वो मंत्रमुग्ध सी होकर उसकी पीठ रगड़ रही थी..कुछ देर बाद उसने नितिन को फिर से पीछे होकर लेटने के लिए कहा, और फिर उसकी छाती पर साबुन लगाने लगी..चौड़ी छाती पर हल्के-2 बॉल थे, जिनमे अपनी नाज़ुक उंगलिया घुमाकर वो एक अलग ही दुनिया मे पहुँच चुकी थी ..

उसके बाद उसने नितिन को बोला : "टांगे ...''

नितिन ने अपनी टांगे उठा कर बाथ टब के किनारे पर रख दी..श्वेता खिसक कर नीचे की तरफ गयी और उसकी दोनो टाँगो पर साबुन लगाने लगी..और तब उसने देखा की नितिन ने अंदर कुछ भी नही पहना हुआ है...वो पूरा नंगा था..उसकी मोटी-2 गोटियां झाग वाले पानी मे चमक रही थी..और एक बार तो उसने नितिन के लंबे लॅंड का निचला हिस्सा भी देख लिया..जिसे देखकर उसकी आँखों मे गुलबीपन सा उतार आया ...

नितिन को भी शायद ये एहसास हो चुका था की उसके खड़े हुए लॅंड के दर्शन श्वेता ने कर लिए है, इसलिए वो उससे आँखे मिलाने से कतरा रहा था .

और श्वेता भी उससे नज़रे चुरा कर बार -2 उसकी टाँगो के बीच ही देख रही थी..हालाँकि उसे नितिन के लॅंड के पूरे दर्शन नही हो पा रहे थे, पर उसकी छुपी-2 सी झलक भी उसे अंदर तक रोमांचित कर रही थी ..

दोनो भाई-बहन एक दूसरे से नज़र नही मिला रहे थे ..

नितिन की आँखे बंद थी, और लॅंड खड़ा था..और वो तो तब से खड़ा था जब से श्वेता ने उसे नहलाने की हामी भारी थी ..और अपनी बंद आँखों से वो उस दिन का नज़ारा देख रहा था जब वो और काव्या नंगी होकर एक दूसरे को चूसने मे लगी हुई थी ...


पर वो दस फीट का फासला था और अब कुछ भी नही , वही श्वेता अब उसके इतने करीब बैठी थी ..काश वो पूरी नंगी होकर उसे नहला रही होती ..

वो श्वेता के शरीर को निहारने लगा

उसने एक पिंक कलर का टॉप पहना हुआ था, जो उसकी बॉडी से पूरी तरहा से चिपका हुआ था, उसके मोटे-2 मुम्मे ब्रा के अंदर जकड़े हुए थे, और गोर से देखने पर उसे श्वेता के खड़े हुए निप्पल भी दिख रहे थे, जो कपड़े की दोनो परतों की परवाह किए बिना बाहर तक उजागर होकर ये बता रहे थे की वो किस जगह पर है ..

उसकी पतली कमर के नीचे का हिस्सा वो देख नही पा रहा था, पर उसे मालूम था की उसकी फेली हुई गाण्ड भी कम सेक्सी नही है ..

चूँकि श्वेता उससे नज़रें मिलाने से कतरा रही थी, इसलिए नितिन अब बेख़ौफ़ सा होकर उसके हर अंग को अपनी आँखो से तोल रहा था ..

उसकी दोनो टाँगो को भी पूरा रगड़ने के बाद वो बोली : "हो गया सब...अब मैं चलती हू ...''

नितिन : "वो ...बस बाथ टब का पानी निकालने मे मेरी मदद कर दो..''

श्वेता ने अपना हाथ अंदर डालकर पानी रोकने वाले प्लग को ढूँढने की कोशिश की..जिसमे उसका हाथ एक-दो बार उसके खड़े हुए लॅंड से भी टकरा गया ...पर पानी उपर तक भरा था , इसलिए उसका हाथ नीचे तक नही पहुँच पा रहा था...वो थोड़ा और झुकी और उसने प्लग को खींच कर बाहर निकाल दिया, पर ऐसा करते हुए , उसकी दोनो ब्रेस्ट पूरी तरह पानी मे भीग गयी..और जब वो उठकर खड़ी हुई तो उसकी टी शर्ट पानी मे भीगकार पूरी ट्रांसपेरेंट हो चुकी थी, उसकी ब्लॅक ब्रा चमक रही थी , जैसे वो सिर्फ़ अपनी ब्रा मे ही खड़ी हो उसके सामने ...और उसके उभरे हुए निप्पल और भी सॉफ दिखने लगे ..

नितिन को अपनी छातियों की तरफ घूरते हुए देखकर श्वेता को अपनी हालत का एहसास हुआ और वो भागकर अपने कमरे की तरफ चल दी ...

और पीछे रह गया खाली टब मे बैठा हुआ नितिन और उसकी टाँगो के बीच खड़ा हुआ उसका लंबा लॅंड..

अपने कमरे का दरवाजा बंद करके श्वेता ने अपने सारे कपड़े उतार फेंके ..और अपनी गीली छातियों को मसलते हुए अपनी रसीली चूत के अंदर अपनी उंगलियाँ पेल कर उसे जोतने लगी...

और दूसरी तरफ नितिन बेचारा तो वो भी नही कर सकता था..उसका एक हाथ प्लास्टर मे था और दूसरे मे इतनी शक्ति नही थी की अपनी ज़ख्मी उंगलियो से अपने लॅंड की सेवा कर सके..बस श्वेता के बारे मे सोचते हुए वो वहा काफ़ी देर तक बैठा रहा और फिर जैसे-तैसे कपड़े पहने और अपने रूम मे जाकर लेट गया..

पर उसके दिमाग़ ने अब काम करना शुरू कर दिया था की कैसे श्वेता की रसीली जवानी का मज़ा लिया जाए..

आग दोनो तरफ थी, पर पहल कौन करे,इसका इंतजार था बस..

शाम को दोनो के बीच कोई ख़ास बात नही हुई, श्वेता भी ना जाने क्या सोचने मे लगी थी, ये पहला मौका था जब उसने इतनी बड़ी बात अपनी सहेली काव्या को नही बताई थी, वो ये तय नही कर पा रही थी की उसे कैसे बताए, अभी बता दे या कुछ होने का वेट करे और उसके बात बताए..

अगले दिन दोनो के मा बाप अपनी-2 जॉब पर चले गये..और दोनो भाई बहन मिलकर मूवी देखने लगे

नितिन ने झिझकते-2 श्वेता से कहा : "श्वेता, क्या आज भी तुम मुझे नहाने मे हेल्प कर सकती हो ...''

श्वेता को पता था की ये सवाल कभी भी आ सकता है..वो तो पहले से ही तय्यार थी..पर फिर भी सोचने का नाटक करते हुए बोली : "मेरे पास और कोई चारा भी तो नही है ...''

नितिन के चेहरे पर मुस्कान आ गयी .

श्वेता : "लेकिन आज शावर मे नहाना तुम, कल तुम्हे नहलाते हुए मैं पूरा टाइम झुकी रही और मेरी कमर बुरी तरह से अकड़ गयी थी ...अभी तक पेन हो रही है ..''

नितिन को क्या प्राब्लम हो सकती थी, उसने हा मे सिर हिला दिया और बोला : "जैसा तुम्हे ठीक लगे..मैं उपर तुम्हारा वेट कर रहा हू..''

और फिर वो उपर अपने कमरे की तरफ चल दिया

थोड़ी देर बाद धड़कते दिल से श्वेता भी वहा पहुँची , नितिन अपने दोनो हाथों को प्लास्टिक से कवर कर रहा था

श्वेता टब के अंदर गयी और उपर लगे शवर को ऑन कर दिया, ठंडे और गर्म पानी का तालमेल बिठाने मे एक दो मिनट लगे , इसी बीच नितिन ने अपने कपड़े उतार दिए , अब वो सिर्फ़ अपने जॉकी में था

श्वेता ने उसे अंदर जाने के लिए कहा और खुद बाहर खड़ी होकर उसके बदन पर साबुन लगाने लगी

पर नितिन के जिस्म से छिटककर पानी उसके उपर आ रहा था और वो भी गीली हो रही थी..

श्वेता थोड़ी देर के लिए रुकी और नितिन से बोली : "मैं अभी आई ...''

और इतना कहकर वो एकदम से बाथरूम से बाहर निकल गयी, वो बेचारा सोचता रह गया की ऐसे वो एकदम से क्यो चली गयी ..पर अगले पाँच मिनट मे जब वो आई तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी..

श्वेता सिर्फ़ अपने अंदुरूनी कपड़ो मे थी...सिर्फ़ ब्रा और पेंटी मे.

उसकी मोटी ब्रेस्ट उस सेक्सी ब्रा मे समा भी नही पा रही थी, और उसके डाइमंड की तरहा चमक रहे निप्पल सॉफ दिख रहे थे.

और नीचे उसने डोरी वाली पेंटी पहनी हुई थी..जो पीछे से इतनी पतली थी की उसकी गांड के दोनो ग्लोब्स पुरे नंगे दिख रहे थे और आगे वी के आकार के पेच ने उसकी चूत को ढक कर रखा हुआ था .

अपनी सग़ी बहन को इतने सेक्सी रूप मे देखकर उसके लॅंड ने उपर उठना शुरू कर दिया..पर उसकी हालत ऐसी थी की वो अपने उभार को छुपा भी नही सकता था.

श्वेता : "यही एक तरीका था, भीगना तो मुझे वैसे भी था, अब कम से कम मेरे कपड़े तो बचे रहेंगे...''

इतना कहकर श्वेता मटकती हुई उसकी तरफ चल दी, चलते हुए उसके मोटे-२ मुम्मे ब्रा में ऐसी उछल कूद मचा रहे थे मानो अपने सारे बंधन तोड़कर बाहर निकलना चाहते हो ....

अब श्वेता भी टब के अंदर आ गयी और नितिन के सामने खड़ी हो गयी.

नितिन ने दूसरी तरफ मुँह कर लिया, ताकि श्वेता उसके लॅंड के उभार को ना देख सके.
 
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श्वेता ने अपने हाथ मे साबुन लिया और उसके कसरती बदन को अपने कोमल हाथों से रगड़कर साफ़ करने लगी...उसकी नाज़ुक उंगलियाँ पीठ पर ऐसे लग रही थी मानो किसी कुशन मे धँस रही हो..साबुन लगाते -2 वो नीचे तक पहुँची, जहाँ उसके सुडोल और सख़्त चूतड़ उसके हाथों मे आ गये, उसने अंडरवीयर के उपर से ही उन्हे दबा कर देखा की उनमे कितनी जान है..और फिर अचानक अपने हाथों मे ढेर सारा साबुन मलकर उसने अपने हाथ को अंदर खिसका दिया...और एक - एक करके उन्हे मसलने लगी..


नितिन को श्वेता से ऐसा करने की उम्मीद नही थी..उसका पूरा जिस्म ऐंठ सा गया और उसके कूल्हों मे थोड़ा और कसाव आ गया, जिसे श्वेता भी महसूस कर पा रही थी.

श्वेता ने नितिन को घूमने के लिए कहा, वो दीवार की तरफ मुँह करके अपने दोनो हाथ उसपर लगा कर खड़ा हो गया, क्योकी वो अपने लॅंड के उभार को उसके बिल्कुल सामने नही लेकर आना चाहता था, श्वेता ने उसकी छाती पर साबुन लगाना शुरू कर दिया, उसकी नज़र सीधा नितिन के अंडरवीयर पर गयी जहा बड़ा सा तंबू बना हुआ था..उसकी साँसे रुकने सी लगी..नितिन ने भी देखा की श्वेता की नज़रे कहा पर है, वो धीरे से बोला : "ये ..तो बस ...ऐसे ही...यू नो. ....''

श्वेता : "हाँ .... कोई बात नही, इट्स नॉर्मल ...''

नितिन की नज़रे श्वेता की ब्रा पर टिक कर रह गयी, पानी की एक लंबी धार उसके उभारों के बीच बनी घाटी मे जा रही थी, और उसके नुकीले निप्पल वो बड़ी आसानी से देख पा रहा था, उसका सपाट पेट और चिकनी जांघे भी बड़ी सेक्सी लग रही थी.

साबुन लगते हुए श्वेता नीचे घुटनो के बल बैठ गयी, वो उसकी टाँगो पर साबुन लगा रही थी..एक-दो बार तो उसके हाथ अंडरवीअर मे भरे हुए समान को भी छू गये..पर दोनो अपनी-2 साँसे रोक कर उसे इगनोर करते रहे..

नितिन अब घूम कर उसकी तरफ मुँह करके खड़ा हो गया, और अपने सामने घुटनो के बल बैठी हुई श्वेता अब उसको ऐसे लग रही थी मानो उसके लॅंड को चूसने के लिए ही बैठी है वहा..उपर से देखने पर उसकी गोलाइयाँ भी काफ़ी बड़ी और गोल दिख रही थी..उसे ऐसी हालत मे देखकर नितिन के छोटे सिपाही ने एक दो सलामी ठोक डाली नीचे बैठी श्वेता के चेहरे पर ही...जिसे उसने भी साफ़ महसूस किया.

श्वेता जब एक टाँग पर साबुन लगाकर दूसरी की तरफ मुड़ी तो अपने सिर को पीछे किया और फिर आगे क्योंकि नितिन का लॅंड इतना आगे निकला हुआ था की अगर वो ऐसा ना करती तो उसके चेहरे से टकरा जाता वो..उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, वो मन ही मन सोच रही थी की इस वक़्त उसका कोई बाय्फ्रेंड होता तो कब का उसका लॅंड उसके मुँह मे होता.

और उसके दिमाग़ मे अपने बीएफ के बारे मे ये बात चल ही रही थी की उसके हाथों ने हरकत की और उसकी टाँगो से होते हुए वो उपर तक आए और एक ही झटके मे उसके खड़े हुए लॅंड को पकड़ लिया..

ओह्ह गॉड , कितना सख़्त है ये...बिल्कुल स्टील के जैसा..

उसकी आँखो मे गुलाबीपन उतर आया..वो अंडरवीयर के उपर से ही अपने साबुन वाले हाथों से उसके लॅंड का नाप लेने लगी..

नितिन को तो विश्वास ही नही हो रहा था की श्वेता ने पहल कर दी है उस खेल की, जिसका शायद दोनो कल से इंतजार कर रहे थे..

श्वेता की नज़रें उसके लॅंड से होती हुई उपर तक आई...और अपने भाई को देखकर ना जाने उसके दिमाग़ मे एकदम से क्या आया और वो उछल पड़ी : "ओह्ह्ह फककक''

और इतना कहकर वो उठ खड़ी हुई और टब से बाहर निकल आई..और एक टावल अपने गीले शरीर पर लपेटा और दूसरा नितिन की तरफ फेंक कर बाहर भागती चली गयी..

नितिन पीछे से चिल्लाता रह गया की मत जाओ, मत जाओ...पर वो रुकी नही.

नितिन ने अपना अंडरवीयर उतार फेंका और अपने नंगे बदन को साफ़ करने लगा

अपने कमरे मे पहुँचकर श्वेता ने दरवाजा बंद किया और अपना टावल फेंक कर बिस्तर पर लेट गयी, उसके सामने बाथरूम मे खड़ा हुआ नितिन ही दिख रहा था, सोचना कितना आसान था पर जब करने की बारी आई तो उसकी फट कर हाथ मे आ गयी, हिम्मत ही नही हुई कुछ और करने की, पर पहला कदम अपनी तरफ से उठा कर उसने हिम्मत तो दिखाई थी ना...और उसके भाई का लॅंड कितना बड़ा था, कितना सख़्त था..उसके बारे मे सोचते हुए उसने अपनी जाँघो को भींच लिया एक दूसरे के साथ..अब इतना कुछ होने के बाद उसके शरीर ने कुछ ना कुछ तो रिएक्ट करना ही था ना.

''वो क्या सोच रहा होगा मेरे बारे मे..." इतना सोचते हुए उसने अपनी ब्रा की डोरी खोल दी और वो नीचे गिर गयी, अपने लंबे निप्पल्स को अपनी हथेली मे छुपा कर वो उसे मसलने लगी, पानी मे भीगकार ठंडे हो चुके निप्पल्स को रगड़कर वो उन्हें गर्म करने लगी और उनमे उर्जा का संचार करने लगी..

उंगली मे पकड़कर वो उन्हे खींचने भी लगी..जिसमे उसे मज़ा भी आ रहा था, और साथ ही साथ अपनी ब्रेस्ट को दबाने भी लगी, उसकी खुली आँखो के सामने उसके भाई का लॅंड था, अंडरवीयर में , लंबा सा, जिसे महसूस वो कर रही थी पर असल मे पकड़ अपनी ब्रेस्ट रही थी..

दूसरे हाथ से उसने अपनी डोरी वाली पेंटी को भी खोल कर नीचे गिरा दिया..

अब वो पूरी तरहा से नंगी थी.

अपने भाई के बारे मे सोचते हुए उसने फिर से अपनी नमकीन चूत के अंदर उंगलियाँ घुमानी शुरू कर दी , और उंगलियाँ अंदर बाहर करते हुए उसकी सोच उस पल मे पहुँच गयी जब उसने नितिन का लॅंड पकड़ा था, फिर उसने उस पल से आगे इमैजिन करना शुरू कर दिया, वो उसका अंडरवीयर उतार देती है, और उसका खड़ा हुआ लॅंड एक ही झटके मे उसके चेहरे पर ठोकर मारता हुआ उसके सामने प्रकट हो जाता है..

फिर वो धीरे से उसे पकड़ कर उसके सिरे पर चूमती है और फिर भूखी कुतीया की तरह उसे अपने मुँह के अंदर धकेल लेती है...नितिन बेचारा अपने पंजो पर खड़ा होकर चिल्लाने लगता है की धीरे करो, पर वो नही सुनती और अपने दांतो और होंठों का इस्तेमाल करते हुए उसके लंबे लॅंड की धज्जियाँ उड़ाते हुए उसे ज़ोर-2 से चूसने लगती है...

और जैसे ही उसे ये एहसास होता है की उसके लॅंड का पानी निकल रहा है, उसी वक़्त उसकी चूत की दीवारों से रिस रहा पानी बाहर निकलने लगा और उसे लगातार दूसरे दिन परमानंद की प्राप्ति हुई.

उसने एक निक्कर और टी शर्ट पहन ली, बिना ब्रा और पेंटी के और वही बेड पर लेटी रही, अपने भाई के बारे मे सोचती रही..

और नीचे, अपने कपड़े पहन कर नितिन टीवी के सामने बैठा था, पर उसका दिमाग़ भी श्वेता की तरफ ही था, की कैसे उसने उसके खड़े हुए लॅंड को पकड़ लिया था, काश वो वहा से भाग ना गयी होती तो उसके लॅंड की तो ऐश हो जाती आज...जब भी श्वेता का नाम उसके जहन मे आ रहा था, उसका लॅंड खड़ा हो जाता, और फिर कुछ देर बैठने के बाद फिर से झटके मारने लगता ..काश वो अपने हाथों से मुठ मार सकता..

तभी उसने देखा की श्वेता नीचे आ रही है.

वो कुछ बोलने ही वाला था की श्वेता ने बीच मे टोक दिया : "कुछ बोलने की ज़रूरत नही है..मुझे अभी उस बारे मे कोई बात नही करनी, अभी टीवी देखते है बस...''

वो चलती हुई उसके सामने आई और साथ वाली खाली जगहा पर बैठ गयी, नितिन की नज़रें उसका एक्सरे करने मे लगी थी, उसकी मोटी-2 जांघे उस छोटी से निक्कर मे बुरी तरह से फंसी हुई थी,और जिस तरह से उसकी ब्रेस्ट हिल रही थी, वो समझ गया की उसने अंदर ब्रा नही पहनी है, इतना सोचते ही उसका लॅंड फिर से बग़ावत करता हुआ उठ खड़ा हुआ..उसने बड़ी मुश्किल से अपने हाथों से ढक कर उसे दिखने से बचाया..

नितिन लगभग दस मिनट तक तो ऐसे ही बैठा रहा पर जब उसके लॅंड ने अपनी अकड़ नही छोड़ी तो वो उठ कर वहा से चल दिया, अपनी बहन को गुड नाइट बोल कर जब वो अपने कमरे मे जा रहा था तो श्वेता की नज़रें उसके चेहरे पर नही बल्कि उसकी दोनो टाँगो के बीच दिख रहे उभार पर थी, जिसे देखकर वो सोचने लगी की ये अब तक ऐसे ही खड़ा है...उसके अंदर की रंडी ने एक बार तो सोचा की झपटकर उसकी पेंट नीचे उतार दे और सक कर ले उसके लॅंड को पर वो ऐसा नही कर पाई..और वहीं बैठ कर टीवी देखती रह गयी अकेली..और कुछ देर बाद वो भी जाकर सो गयी.

अगले दिन दोनो जब ब्रेकफास्ट कर रहे थे तो अचानक श्वेता ने नितिन से पूछा : "क्या आज भी तुम्हे हेल्प चाहिए नहाने के लिए..''

नितिन के लिए ये किसी सरप्राईस से कम नही था, क्योंकि कल वाले इन्सिडेंट के बाद रात को जिस तरह से श्वेता बिहेव कर रही थी वो सोचने लग गया था की शायद वो नाराज़ हो गयी है और इसलिए उसने तय कर रखा था की आज वो श्वेता की मदद नही लेगा नहाने के लिए..पर उसने खुद ही उसके सामने ऑफर रख दिया था, इसलिए उसने खुशी -2 अपना सिर हिला कर हाँ बोल दिया.

श्वेता : ''पर तुम्हे भी मेरा एक काम करना होगा...''

नितिन : "क्या ....?"

श्वेता (शरमाते हुए) : "वो...वो ...शाम को केतन आएगा, और तुम हम दोनो को डिस्टर्ब नही करोगे कुछ देर के लिए...''

केतन और श्वेता का चक्कर काफ़ी समय से चल रहा था, और ये बात नितिन को भी पता थी, केतन के साथ श्वेता लगभग सब कुछ कर चुकी थी, सिवाए चुदाई के, उसने अपनी चूत के अंदर उसकी उंगलीया और जीभ के अलावा कुछ और नही जाने दिया था अब तक..और शायद इसलिए वो अब तक उसके पीछे पागलों की तरहा घूमता था...वो एक रईस बाप का बिगड़ा हुआ लड़का था..और श्वेता पर पानी की तरहा पैसे बहाता था.

और ये बात नितिन अच्छी तरह से जानता था की उसकी बहन का एक बाय्फ्रेंड है..और उसका नाम केतन है..

नितिन ने जब ये बात सुनी तो उसके सारे अरमान पानी की तरहा बह गये, उसके लॅंड की अकड़न ढीली पड़ गयी और उसका लॅंड भी उसके चेहरे की तरह मायूस होकर लटक गया.

पर वो श्वेता की हिम्मत की दाद दे रहा था की वो उसे घर पर लाएगी , ये उसने सोचा नही था..

नितिन : "पर मम्मी ने मना किया है ना की ऐसे घर पर किसी को नही लेकर आना...''

श्वेता : "मम्मी को पता चलेगा तब ना, मैं तुम्हारी नहाने मे हेल्प कर रही हू, तुम मेरी इतनी सी हेल्प नही कर सकते...''

श्वेता ने आगे बड़कर उसकी जाँघ पर हाथ रखकर उसे थोड़ा सा दबा दिया, नितिन और उसके लॅंड के लिए इतना ही बहुत था..उसने हाँ मे सिर हिला दिया.

श्वेता की खुशी का कोई ठिकाना नही था..वो हंसते हुए उपर चल दी..अपने कपड़े चेंज करने के लिए..

और नितिन बाथरूम की तरफ...उसे उम्मीद थी की शायद आज कुछ ज़्यादा हो जाए कल के मुक़ाबले...

अंदर पहुँचकर वो अपने कपड़े उतार कर खड़ा हो गया, उसके लॅंड ने अपना आकार लेना शुरू कर दिया था..श्वेता अंदर आई, उसने वही कल वाली ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी, जिसमे उसके मोटे मुम्मे और अखरोट की तरह सख़्त निप्पल साफ़ दिख रहे थे..उसने नितिन के हाथों को प्लास्टिक से कवर किया और फिर दोनो शावर के अंदर चले गये..

श्वेता ने उसके पुर जिस्म पर साबुन लगाना शुरू कर दिया, आज वो कुछ ज़्यादा ही खुले तरीके से साबुन लगा रही थी, क्योंकि एक-दो बार जब नितिन का खड़ा हुआ लॅंड उसके हाथों से रगड़ खा गया तो भी वो बिना रुके साबुन लगती रही..

श्वेता का बदन भी भीग कर पारदर्शी सा हो चुका था, आज वो कुछ ज़्यादा ही भीग रही थी, और कुछ ज़्यादा ही रगड़ रही थी अपने बदन को भी नितिन के बदन के साथ..नितिन को आगे खड़ा करके उसने जब उसके सीने पर साबुन लगाया तो उसकी दोनो चुचियाँ उसकी पीठ पर धँस गयी..श्वेता का तो पता नही पर नितिन के मुँह से ज़रूर एक आहह सी निकल गयी, उसे श्वेता के निप्पल अपनी पीठ पर चुभते हुए से महसूस हो रहे थे...

उसके हाथ साबुन लगाते हुए नीचे तक आए और अचानक श्वेता को लगा की उसने नितिन के नंगे लॅंड को छू लिया है...और हुआ भी ऐसा ही था, दरअसल नितिन का खड़ा हुआ लॅंड लगभग दो इंच बाहर निकल आया था अपने अंडरवीयर से और उपर की तरफ मुँह करके वो श्वेता के नाज़ुक हाथों को छू रहा था..उन्हे चूम रहा था..

श्वेता ने भी बिना किसी झिझक के उपर से नीचे हाथ करते हुए नितिन के लॅंड पर भी अपनी उंगलियाँ फिसला दी और उस पर भी साबुन लगा दिया..और फिर उपर हाथ करते हुए उसके सीने पर साबुन लगाने लगी..ऐसा उपर नीचे उसने दो-तीन बार किया...हर बार साबुन से सने हाथ उसके लॅंड पर फिसल रहे थे..और नितिन के चेहरे की रंगत हर बार बदल रही थी..

दोनो एक दूसरे का चेहरा नही देख पा रहे थे, पर जब भी श्वेता के हाथ उसके लॅंड पर फिसलते, उसका मुँह खुल सा जाता और अंदर से ठंडी सिसकारियाँ बाहर निकलने लगती..श्वेता ने थोड़ा आगे होकर शावर ओन कर दिया और ठंडा पानी नितिन की छाती पर पड़ने लगा..

श्वेता अपने हाथ उपर नीचे करते हुए उसके बदन का साबुन सॉफ करने लगी...और जब साबुन की चिकनाहट ख़त्म हुई तो श्वेता के नाज़ुक हाथ नितिन के बदन पर चिपक-2 कर चल रहे थे..

और अंत मे जब उसके हाथो ने उसके लॅंड के उपरी भाग पर जमे हुए साबुन को सॉफ किया तो नितिन ने एक जोरदार झटका दिया और उसका आधे से ज़्यादा लॅंड उसके अंडरवीयर से बाहर निकल कर श्वेता के हाथ मे आ गया...

श्वेता के दिल की धड़कन एकदम से इतनी तेज हो गयी की नितिन को अपनी पीठ पर हथोड़े बजते हुए सुनाई दे रहे थे...

श्वेता ने धीरे-2 अपनी उंगलियाँ उपर नीचे करते हुए उसके लॅंड को पूरी तरह से सॉफ किया और शावर बंद कर दिया..और फिर कल की ही तरह ही अपना टावल उठा कर वहाँ से भागती हुई उपर अपने कमरे मे चली गयी..

अपने कपड़े उतार कर उसने ऐसे फेंके जैसे आज के बाद उनकी कोई ज़रूरत ही नही पड़ने वाली..और फिर से नितिन के खड़े लॅंड के बारे मे सोचते हुए अपनी उंगलियाँ अपनी चूत के अंदर धकेल दी..

दो दिनों से वो जो करना चाह रही थी वो ना तो खुद कर पाई थी और ना ही नितिन...पर जब तक दोनो कुछ करे उस आग को बुझाने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा...और उसके लिए केतन के अलावा कोई और हो ही नही सकता था...इसलिए उसने उसे अपने घर पर बुलाया था आज ....

और अपने भाई और केतन के बारे मे सोचते हुए उसने एक जोरदार हुंकार के साथ अपनी चूत का पानी अपने बिस्तर पर निकाल दिया.
 
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दो दिनों से वो जो करना चाह रही थी वो ना तो खुद कर पाई थी और ना ही नितिन...पर जब तक दोनो कुछ करे उस आग को बुझाने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा...और उसके लिए केतन के अलावा कोई और हो ही नही सकता था...इसलिए उसने उसे अपने घर पर बुलाया था आज ....


और अपने भाई और केतन के बारे मे सोचते हुए उसने एक जोरदार हुंकार के साथ अपनी चूत का पानी अपने बिस्तर पर निकाल दिया.

*******
अब आगे
*******

अपने सारे काम निपटाने के बाद रश्मि अपने बाथरूम मे घुस गयी और रग़ड़ -2 कर नहाने लगी, साथ ही एक रेजर निकाल कर अपनी चूत को भी पूरी तरह से साफ़ किया, सिर्फ़ एक हल्की सी लाइन छोड दी उपर की तरफ क्योंकि वो काफ़ी सेक्सी लग रही थी..

अपने रूम मे जाकर उसने अपनी अलमारी मे से सबसे सेक्सी शॉर्ट स्कर्ट और टॉप निकाला, टॉप भी शॉर्ट मे था इसलिए स्कर्ट तक ही आ रहा था, उसने अपनी स्कर्ट की बेल्ट को नीचे की तरफ दो बार मोड़ कर और नीचे कर दिया, अब उसकी गांड की लकीर भी दिख रही थी पीछे से और उसकी कमर के कर्व भी..

अपने आपको इतनी सेक्सी ड्रेस मे देखकर उसने खुद ही सिटी मार दी.

अब तो बस इंतजार था केतन के आने का..

उसने शीशे की तरफ अपनी गांड करी और पीछे की तरफ देखते हुए झुक गयी, वाव, क्या सीन उभर कर आ रहा था, उसकी गांड की शेप और उसकी लकीर सॉफ दिख रही थी..केतन का तो लॅंड आज फट जाएगा ये देखकर..

वो उछलती हुई नीचे की तरफ चल दी, क्योंकि केतन के आने का समय हो रहा था.

नीचे नितिन टीवी देख रहा था, उसने जब अपनी बहन को ऐसी ड्रेस मे देखा तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया, और उसका निचला जबड़ा ऐसे खुला जैसे ज़मीन से छू जाएगा..वो मटकती हुई जब उसके करीब से गुज़री तो उसकी गांड को देखकर उसके पूरे शरीर मे झुनझुनी सी दौड़ गयी..उसकी स्कर्ट का कपड़ा इतना पतला था की वो दोनो चूतड़ों के बीच फँस कर रह गया था..शायद उसने नीचे पेंटी भी नही पहनी थी..

श्वेता उसके पास ही आकर बैठ गयी और टीवी देखने लगी, नितिन का लॅंड अब तक पूरी तरह से खड़ा होकर अपना तंबू गाड़ चुका था उसकी पेंट मे. उसको बड़ी मुश्किल हो रही थी, तभी बाहर की घंटी बाजी तो उसने चैन की साँस ली, श्वेता दरवाजा खोलने के लिए चली गयी..तब तक उसने बड़ी मुश्किल से अपने खड़े हुए लॅंड को मार-पीटकर अंदर दबा दिया..

दरवाजा खोलने जाती हुई श्वेता ने मुड़कर नितिन से कहा : "याद है ना अपना वादा ..थोड़ा स्पेस देना हम दोनो को आज..ओके .."

"हाँ ..हाँ ....याद है...मैं अपने कमरे मे ही रहूँगा..."

इतना कहकर नितिन बेमन से उठा और अपने कमरे की तरफ चल दिया..पीछे से उसे सिर्फ़ दरवाजा खोलने और उसके बाद केतन की आवाज़ सुनाई दी : "ओह्ह माई गोड ...तुम इस ड्रेस मे इतनी सेक्सी लग रही हो..वाव..क्या स्कर्ट है तुम्हारी....उम्म्माअहह...''

शायद दोनो वहीं दरवाजे पर ही एक दूसरे को चूमने खड़े हो गये थे..


पर तब तक नितिन अपने कमरे मे पहुँच चुका था और उसने दरवाजा बंद कर लिया..

केतन के सीने से श्वेता के मोटे-2 मुममे पीसकर उसके लॅंड को भी खड़ा कर रहे थे..

केतन के अचानक उसकी टी शर्ट को नीचे खिसकाया किया और उसकी दोनों ब्रेस्ट बाहर निकाल ली और उनको एक-२ करके बुरी तरह से चूसने लगा, एक -२ करके वो उसके मुम्मे को अपने मुंह में डाल रहा था और उन्हें जोर-२ से चूस रहा था ,


ये सब इतना अचानक हुआ की श्वेता को कुछ कहने का मौका ही नहीं मिला, उसने बड़ी मुश्किल से उसे पीछे किया और अपनी ब्रैस्ट को वापिस अंदर डाल लिया ,दोनों फिर से स्मूच करने लगे .

श्वेता ने किस्स तोड़ी और बोली : "थॅंक्स फॉर कमिंग..आज का दिन हम खूब ऐश करेंगे...मम्मी पापा ने आज किसी पार्टी मे जाना है, इसलिए वो लेट् आएँगे..''

केतन के तो खड़े लॅंड पर चिंटियाँ रेंगने लगी..वो खुशी से उछल पड़ा : "वाव...इसका मतलब हमे कोई डिस्टर्ब नही करेगा आज...''

श्वेता (हंसते हुए) : "ऐसा भी नही है...मेरा भाई घर पर ही है..यू नो, उसका एक्सिडेंट हुआ था..इसलिए वो कही बाहर भी नही जा सकता, पर उसने प्रोमिस किया है की वो हमे पूरा स्पेस देगा...''

उसका भाई घर है, ये सुनकर उसे थोड़ी मायूसी तो हुई पर फिर भी वो बोला : "अच्छा , ठीक है, पर प्रोग्राम क्या है...''

श्वेता : "हम कोई मूवी देखेंगे मिलकर...और पिज़्ज़ा मँगवाते हैं डिन्नर मे...''

केतन का तो मन ऐसा कर रहा था की जो भी मिल जाए आज वो ही ठीक है...श्वेता ने उसके साथ आज तक जो भी किया था, उससे ज़्यादा करने का मन था उसका आज...उसने हाँ मे सिर हिला दिया.

श्वेता : "ठीक है फिर, अभी हम दोनो मूवी लेने चलते है कोई, मैं नितिन से भी पूछ कर आती हू अगर उसे भी कोई मूवी चाहिए ताकि वो भी अपने रूम मे देख सके..और बोर ना हो..''

इतना कहकर वो उछलती हुई उपर की तरफ चल दी, केतन नीचे खड़ा हुआ उसकी भारी भरकम गांड को हिलते हुए देखता रहा, और जब वो उपर तक पहुँची तो उसकी शॉर्ट स्कर्ट के अंदर का भी नज़ारा दिख गया उसको, सॉफ सुथरी चूत थी उसकी क्योंकि उसने पेंटी नही पहनी थी अंदर ...अब तो उसके खड़े हुए लॅंड ने बग़ावत सी कर दी..वो पेंट फाड़कर बाहर निकालने को आतुर हो गया.

श्वेता नितिन के रूम मे दनदनाती हुई घुस गयी..वो नीचे ज़मीन पर लेट कर इयरफोन लगा कर गाने सुन रहा था..

दरवाजे की कंपन सुनकर उसने नज़रे उपर करके देखा तो दंग रह गया, उसके सामने श्वेता खड़ी थी और वो सीधा उसकी स्कर्ट के अंदर देख पा रहा था, और शायद एक्साईटमेंट मे श्वेता को भी ये पता नही था की वो किस पोज़ मे खड़ी है, उसका भाई उसकी नंगी चूत को सॉफ देख पा रहा है..

श्वेता : "हम दोनो मार्केट जा रहे हैं, मूवी की सीडी लेने, तुम्हे कोई मूवी देखनी है यहाँ तो बता दो..और हम डिन्नर मे पिज़्ज़ा ऑर्डर कर रहे हैं, तुम्हारे लिए भी पिज़्ज़ा मंगवा लू या कुछ और खाओगे..''

इयरफोन लगाने की वजह से वो सुन नही पाया, उसने वो निकाले और श्वेता को दोबारा बोलने को कहा, वो बेबाकी से खड़ी होकर फिर से वो सब दोहराने लगी..

पर नितिन का ध्यान उसकी स्कर्ट के अंदर ज़्यादा था, उसने बात सुनी और सिर हिला कर उसकी हाँ मे हाँ मिला दी..

श्वेता :"ठीक है , मैं तुम्हारे लिए भी कोई मूवी ले आउंगी और पिज़्ज़ा भी ऑर्डर कर दूँगी..''

इतना कहकर वो मटकती हुई वहाँ से निकल गयी...ये भी नही देखा की उसके लॅंड ने कितनी बुरी नज़र से उसकी तरफ देखा था अभी..

उसके जाने के बाद वो उसी मुद्रा मे वहाँ पड़ा रहा, और सोचने लगा की काश श्वेता ऐसे ही उसके चेहरे के उपर आकर खड़ी हो जाए, अपने पैर उसके सिर के दोनो तरफ करके, और अपनी चूत को तब तक रगडे जब तक अंदर का गरमा गरम पानी उसके चेहरे पर नही गिरने लगा.....अहह...उस गर्म बारिश मे भीगने का मज़ा अलग ही होगा...

श्वेता और केतन सीधा वीडियो पार्लर मे गये और वहाँ शेल्फ पर लगी मूवीस देखने लगे, केतन जान बूझकर श्वेता से नीचे के रेक मे रखी हुई डीवीडी उठाने के लिए कह रहा था, ताकि वो उसकी मोरनी जैसी गांड के दर्शन कर सके..और वो भी जानती थी की केतन ऐसा क्यो करवा रहा है, उसे भी मज़े आ रहे थे ऐसा करने मे और अपनी गांड की नुमाइश करने मे..

दोनो ने मिलकर 3 मूवीस पसंद कर ली.

श्वेता : : "अब एक काम करो, तुम नितिन के लिए भी कोई मूवी पसंद कर दो, तुम लड़के लोग एक दूसरे की मेंटेलिटी अच्छी तरह से जानते हो, उसे किस तरह की मूवीस पसंद होगी...तुम ज़रा देख लो.''

इतना कहकर वो दूसरे सेक्शन की तरफ चल दी..पीछे की तरफ एक छोटा सा काउंटर था जहाँ अडल्ट मूवीस थी बस...उसने हैरानी से उन्हे उठा-2 कर देखा और फिर एक मोविए ले भी ली.

तब तक केतन बिलिन्ग काउंटर पर पहुँच चुका था..और 4 मूवीस की पेमेंट कर रहा था..श्वेता ने मुस्कुराते हुए अपनी लाई अडल्ट डीवीडी भी उसमे डाल दी, जिसे देखकर केतन की आँखे भी खुली रह गयी...पर फिर भी उसने बिना कुछ कहे पेमेंट की और दोनो वहाँ से निकलकर बाहर आ गये..

पिछले बीस मिनट मे श्वेता इतनी एक्ससाइटेड़ हो चुकी थी की उसकी चूत का रस बाहर बहने लगा था..कार मे बैठते ही केतन के हाथ उसकी जांघों पर रेंगने लगे...और जैसे ही थोड़ा उपर की तरफ खिसके वहाँ का गीलापन उसे अपनी हथेलियों पर महसूस हुआ...दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुरा दिए..

घर पहुँचकर श्वेता भागकर उपर गयी और नितिन को अपनी लाई हुई डीवीडी दे दी..

और जब वो जाने लगी तो नितिन बोला : "थेंक्स ..और कंट्रोल मे रहना ज़रा..समझी..''

जवाब मे श्वेता ने अपने होंठों को गोल किया और अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उसे चिढ़ाती हुई बाहर निकल गयी..

तब तक केतन ने एक मूवी लगा दी थी..

दोनो काउच पर बैठकर मूवी देखने लगे..साथ ही साथ दोनो के हाथ एक दूसरे के शरीर पर भी चल रहे थे..बीच-2 मे दोनो एक दूसरे को स्मूच भी कर रहे थे..मूवी काफ़ी रोमॅंटिक थी और उसमे काफ़ी हॉट सीन्स भी थे..इसलिए जैसे ही कोई हॉट सीन आता, दोनो एक दूसरे पर टूट पड़ते..श्वेता से सहन नही हुआ, उसने झुककर उसकी जींस की जीप खोली और उसके खड़े हुए लॅंड को आज़ाद कर दिया..

और उसे मुँह मे लेकर ज़ोर-2 से चूसने लगी..और केतन किसी राजा की तरह उसके बालों को सहलाते हुए फिल्म का मज़ा लेने लगा..

अब उन्हे मूवी मे कोई इंटेरेस्ट नही रह गया था..वो काफ़ी देर तक उसके लॅंड को चूसती रही...पर जैसे ही केतन का निकलने वाला होता वो उसे उठा देता और स्मूच करने लगता..उसने झड़ने नही दिया अपने लॅंड को.

श्वेता : "तुम वो मूवी देखना चाहोगे जो मैने पसंद की थी...''

केतन समझ गया की वो अडल्ट मूवी की बात कर रही है, वो बोला : "ठीक है..''

श्वेता जब डीवीडी चेंज करने के लिए झुकी तो जान बूझकर इतना झुकी की उसकी गीली चूत के दर्शन साफ़ कर सके केतन...ऐसे टीज करने मे उसको काफ़ी मज़ा आता था.

वापिस आते ही वो फिर से उसके लंड पर टूट पड़ी और उसे ज़ोर-2 से चूसने लगी..

दोनो की नज़रें टीवी स्क्रीन पर थी.

वो एक बी ग्रेड मूवी थी, जिसमे खुलकर टॉपलेस सीन थे..पर लड़की की चूत या लड़के का लंड नही दिखाया गया था.

श्वेता ने लंड चूसना बंद कर दिया और केतन से बोली : "ये तो काफ़ी देर से सिर्फ़ उपर के सीन ही दिखा रहे हैं..नीचे के नही..दोनो के पार्ट्स तो दिखाने चाहिए ना..अंदर जाते हुए भी नही दिखा रहे..सिर्फ़ धक्के मार रहे हैं..''

उसकी बात सुनकर केतन मुस्कुरा दिया और बोला : "तुम्हे मूवी पार्लर से ऐसी मूवीज नही मिलेगी, इनकी भी रेटिंग होती है..वो तो तुम्हे ग्रे मार्केट से ही मिलेगी..''

उसकी बात सुनकर श्वेता मायूस हो गयी, उसने सोचा था की आज शायद XXX देखते हुए उसका भी मन बन जाए और वो अपने बॉय फ्रेंड से चुद जाए..पर ये तो XX मूवी निकली..

उसका मायूस चेहरा देखकर केतन बोला : ''अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे लंड को चूत मे जाते हुए दिखा सकता हू...''

केतन की बात सुनकर श्वेता के दिल की धड़कने तेज हो गयी...उसकी साँसे तेज़ी से चलने लगी..

केतन समझ गया की श्वेता की हाँ है इसमे..

वो उठा और अपनी जींस के बटन खोलने लगा..
 
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श्वेता काउच पर बैठी हुई थी , उसने अपनी टांगे फेला दी थी..और शायद उसकी चूत को केतन साफ़ देख भी पा रहा था..


उसने अपनी जींस उतार कर साईड मे रख दी और झुककर श्वेता को स्मूच कर लिया, उसके अंडरवीयर मे क़ैद लंड ने उसकी चूत के उपर एक रग़ाड पैदा कर दी,

पिछले दो दीनो से वो अपने भाई के लंड को जाने-अंजाने से छू चुकी थी, इसलिए अब अपने सामने खड़े हुए लंड को देखकर उससे सहन नही हुआ और उसने झपटकर अपना हाथ नीचे किया और केतन के लंबे और तगड़े पहलवान को पकड़ लिया..

''अहह धीरे पकड़ो.....उखाड़ ही डालगी तुम तो.....''

दोनो ने फिर से एक दूसरे को स्मूच करना शुरू कर दिया, इसी बीच केतन का अंडरवीयर भी उतर चुका था और अब उसका खड़ा हुआ लंड श्वेता की गीली चूत पर दस्तक दे रहा था,और अचानक वो उसमे फँस भी गया

श्वेता कुछ समझ पाती या उसको रोक पाती, केतन ने अपना भार उसके उपर डाल दिया और केतन का लंड उसकी चूत मे सरकता चला गया..और एक ही पल मे पूरा उसके अंदर समा गया.

श्वेता को तो विश्वास ही नही हुआ की केतन का लंड इतनी आसानी से अंदर चला जाएगा..उसने तो सुना था की पहली बार करने मे काफ़ी दर्द होता है, खून भी निकलता है, मुश्किल से अंदर जाता है, चीखे निकलती है..पर ऐसा कुछ भी नही हुआ, उसे कुछ भी महसूस नही हुआ, हांलांकि उसे चूत के अंदर सब कुछ भरा-2 सा लग रहा था, पर कुछ अलग नही था ये सब..वो हैरान हुई जा रही थी की केतन ने झटके मारने शुरू कर दिए..

अब उसको भी मज़ा आने लगा था, पर अचानक केतन ज़ोर से हाँफने लगा, जैसा की वो तब करता था जब वो झड़ने वाला होता था..

केतन : "ओफफफफ्फ़ .....अहह .....आई एम कमिंग .........''

श्वेता : "ओह .....नही .......अभी नही .....कुछ देर तो और करो ना .....मैं अभी तैयार नही हू ....... नओओओओओओ ''

पर तब तक केतन का ओर्गास्म आ चूका था ...उसने अपने लंड को बाहर खींचा और उसके चेहरे और टॉप के ऊपर अपना रस गिरा दिया .

श्वेता ने पहली बार चूत मरवाई और उसमे भी प्यासी रह गयी वो.

वो सोचने लगी की काश वो कुछ देर और करता तो वो भी झड़ जाती और वो अगर उसकी चूत के अंदर ही रस निकालता तो एक साथ झड़ने मे कितना मज़ा आता ...

पर सब बेकार, उसका मूड बुरी तरह से ऑफ हो चुका था .

पर केतन पूरा संतुष्ट था, उसके चेहरे पर एक अलग तरह की खुशी थी ...शायद श्वेता की चूत पहली बार मारने की खुशी थी वो ..

केतन : "अह्ह्हह्ह ...मज़ा आ गया आज तो ...चलो जाओ और ये सब वाश करके आओ ...''

श्वेता उठ कर उपर अपने कमरे की तरफ चल दी ... और सोचने लगी की इसको सिर्फ़ अपनी फ़िक्र है, अपना माल निकालकर इसको तो मज़ा आ गया पर मेरी प्यास नही बुझी , इसका कुछ अंदाज़ा नही है केतन को ...

पर ये बात केतन को बोलकर वो उसको नाराज़ नही करना चाहती थी .

जैसे ही वो नितिन के कमरे के आगे से निकली, नितिन एक दम से बाहर आ गया, दोनो की नज़रें एक दूसरे से मिली, श्वेता के चेहरे पर केतन के लंड का रस अभी तक जमा हुआ था, जिसे देखकर नितिन की आँखे फैल गयी..जैसे ही श्वेता को इस बात का एहसास हुआ वो भागकर अपने कमरे के अंदर चली गयी..नितिन भी बिना कुछ बोले नीचे चल दिया और फ़्रीज से पानी की बोतल लेकर वापिस अपने कमरे मे आ गया.

श्वेता अपने कमरे मे पहुँची और अपने सारे कपड़े उतार कर एक कोने मे फेंके, गीले कपड़े से अपने चेहरे और बालों को सॉफ किया और फिर एक टी शर्ट और पायज़ामा पहन कर नीचे आ गयी.

फिर दोनो मिलकर एक दूसरी मूवी देखने लगे. पर श्वेता अब कुछ भी बोल नहीं रही थी

केतन को अब इस बात का एहसास हो चुका था की श्वेता अभी तक नही झड़ी है, इसलिए वो रूखा सा बर्ताव कर रही है, उससे ज़्यादा बात भी नही कर रही.

आधे घंटे बाद केतन फिर से उसके शरीर से चिपकने लगा, उसकी जांघे और मुम्मे दबाने लगा..श्वेता को भी अंदर से कुछ-2 होने लगा था पर वो नाराज़गी का नाटक करती रही और चुपचाप मूवी देखती रही,

केतन : सुनो...नाराज़ मत हो ऐसे...ये देखो, मूवी मे कैसे वो लड़का उसके पीछे खड़ा होकर उसकी मार रहा है...चलो ना, ये पोज़िशन ट्राइ करते हैं...''

श्वेता (थोड़ा चिड़ते हुए) : "तुम्हारे बस की है ये सब करना...''

केतन : "तुम साथ तो दो मेरा...फिर देखना मेरा कमाल...''

इतना कहकर उसने टी शर्ट के उपर से ही उसके निप्पल को ज़ोर से पिंच कर दिया, ये उसका वीक पॉइंट था, इसलिए उसके उपर हमला होते ही उसकी चूत फिर से दहकने लगी..और दोनो एक दूसरे को ज़ोर-2 से स्मूच करने लगे...

स्मूच करते-2 दोनो खड़े हो गये...और इस बार केतन ने श्वेता की टी शर्ट और पायज़ामा भी उतार कर उसको पूरा नंगा कर दिया..और खुद भी एक ही पल मे नंगा होकर उसके जिस्म से लिपट गया...

दोनो एक दूसरे के शरीर पर अपने हाथ लगा रहे थे, दबा रहे थे..चूस रहे थे..

केतन ने श्वेता को डाइनिंग टेबल के साथ खड़ा खड़ा किया और उसे झुकने के लिए कहा..श्वेता ने टेबल पर हाथ रखे और अपनी गांड पीछे की तरफ निकाल कर खड़ी हो गयी.

केतन ने झुककर अपने लंड को उसकी गीली चूत के अंदर लगाया और एक जोरदार झटके से उसके अंदर दाखिल हो गया..

''अहह .....उम्म्म्मममममम ......येस्स ......''

और फिर केतन ने ज़ोर-2 से झटके देते हुए उसकी चूत मारनी शुरू कर दी.

और उपर अपने कमरे मे बैठा हुआ नितिन नीचे से आ रही आवाज़ें सुनकर बेचैन हो रहा था...पहले अपनी बहन के चेहरे पर गिरे माल को देखकर उसे अंदाज़ा तो हो गया था की दोनो ने क्या किया होगा, पर अब आ रही आवाज़ों से साफ़ लग रहा था की नीचे चुदाई चल रही है..

वो धीरे से अपने कमरे से बाहर निकला, और दबे पाँव सीडियां उतरकर नीचे की तरफ चल दिया..और जैसे ही उसने नीचे का नज़ारा देखा, उसका लंड फिर से स्टील की तरहा कड़ा होकर खड़ा हो गया..सामने थी उसकी बहन श्वेता, टेबल पर झुकी हुई, अपनी चूत मरवाती हुई..उसे सिर्फ़ उसके झूलते हुए मुम्मे दिख रहे थे और केतन की हिलती हुई गांड ..सॉफ था की वो कितनी बुरी तरहा से उसकी चूत मार रहा है...

श्वेता को अचानक अपने भाई के लंड का ध्यान आ गया, उसके बाय्फ्रेंड के मुक़ाबले कितना लंबा और मोटा है उसके भाई का..काश वो मार रहा होता उसकी चूत इस समय...और अपने भाई के लंड के बारे मे सोचते हुए उसके चेहरे पर एक अलग ही तरहा की लालिमा आ गयी..

तभी केतन का ऑर्गॅज़म करीब आ गया...वो बोला : "मेरा निकलने वाला है......''

श्वेता अपने सपनो से बाहर आई...उसका अभी तक कुछ नही हुआ था पर पिछली बार से काफी बेहतर था , पर फिर भी वो एकदम से बोली : "रूको...अंदर मत निकालना....मेरे मुँह के अंदर डालो सब....''

और वो एकदम से पलटी और उसके लंड के सामने पंजों के बल बैठ गयी..केतन ने अपने लंड को ज़ोर-2 से मसला और फिर जैसे ही उसका माल निकलने वाला हुआ, उसने अपने लंड का सिरा उसकी जीभ पर रख दिया, और गरमा गरम माल उसकी जीभ की थाली पर परोस दिया...वो उसका सारा माल निगल गयी...इसी बीच उसने अपनी चूत को अपने हाथ से मसलकर खुद ही संतुष्ट किया

सीडियों पर खड़ा हुआ नितिन ये सब काफ़ी गौर से देख रहा था...अपनी बहन को किसी रंडी की तरहा बिहेव करता देखकर उसे गुस्सा नही आ रहा था बल्कि उत्तेजना हो रही थी..उसका लंड बैठने का नाम ही नही ले रहा था...

अपना माल निकालने के बाद केतन निढाल सा होकर सोफे पर लूड़क गया..और श्वेता ने उठकर अपने कपड़े पहने और अपना चेहरा धोने के लिए वापिस उपर की तरफ चल दी..नितिन जल्दी से अपने कमरे मे जाकर छुप गया.

उसका लंड बुरी तरह से दर्द कर रहा था...पर उसकी लाचारी थी की वो मूठ भी नही मार सकता था...उसके दोनो हाथों मे पट्टियाँ जो थी..

श्वेता ने सब सॉफ किया और फिर से नीचे आ गयी...उसने पिज़्ज़ा आर्डर , थोड़ी ही देर मे पिज़्ज़ा आ गया, श्वेता ने नितिन को नीचे बुलाया और सबने मिलकर पिज़्ज़ा खाया..और थोड़ी देर बाद केतन अपने घर चला गया, क्योंकि श्वेता के मम्मी-पापा के आने का टाइम हो रहा था..

दोनो भाई बहन अकेले रह गये

श्वेता : "थॅंक्स भाई....हम दोनो को प्राइवेसी देने के लिए...''

वो बस मुस्कुरा दिया, कुछ बोला नही..

श्वेता : "कल तुम्हे अच्छी तरह से नहलाऊंगी मैं...ये है तुम्हारा बोनस...''

उसकी बात सुनकर नितिन का चेहरा एक दम से खिल उठा...पर सिर्फ़ श्वेता ही जानती थी की उसके दिमाग़ मे क्या चल रहा है..
 
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दोनो भाई बहन अकेले रह गये


श्वेता : "थॅंक्स भाई....हम दोनो को प्राइवेसी देने के लिए...''

वो बस मुस्कुरा दिया, कुछ बोला नही..

श्वेता : "कल तुम्हे अच्छी तरह से नहलाऊंगी मैं...ये है तुम्हारा बोनस...''

उसकी बात सुनकर नितिन का चेहरा एक दम से खिल उठा...पर सिर्फ़ श्वेता ही जानती थी की उसके दिमाग़ मे क्या चल रहा है..

*******
अब आगे
*******

अगले दिन नितिन बड़ी बेसब्री से अपनी बहन का वेट कर रहा था, पर वो थी की अपने कमरे मे बंद होकर अपनी अभी तक की कहानी काव्या को सुनाने मे लगी थी..

काव्या को जैसे ही पता चला की वो चुद चुकी है तो उसकी हैरानी की सीमा ही नही रही..और ना चाहते हुए भी वो अपनी सहेली के बाय्फ्रेंड नितिन के लंबे लॅंड के बारे मे सोचने लगी, की कैसे उसने श्वेता की चूत मे अपना लॅंड पेला होगा, कैसे झटके दिए होंगे, और कैसे अपना रस उसके चेहरे और मुँह के अंदर निकाला होगा...

और साथ ही साथ वो श्वेता को गालियाँ भी देती जा रही थी की कैसे वो चूत मरवाने मे उससे आगे निकल गयी..

काव्या : "साली, तू तो एक नंबर की कुतिया निकली, इतने सालो तक अपना कुँवारापन बचा कर रखा और एक झटके मे लूटा बैठी ....यू बिच...''

श्वेता (हंसते हुए) : "यार, तुझे क्या बताऊ ...पिछले दो दिनों से मेरे साथ क्या-2 हो रहा है...उन सबकी वजह से ही मुझसे रहा नही गया और मैने केतन को रोका नही वो सब करने से...''

काव्या : "ऐसा क्या हो गया जो तेरे अंदर ऐसी आग लग गयी....चल जल्दी से बता मुझे ...''

श्वेता : "नही यार....वो ..वो ...बताने वाली बात नही है ...''

पर काव्या भी कहा मानने वाली थी, उसने अपनी कसम देकर उसे बोलने पर मजबूर कर ही दिया और जब श्वेता ने अपने और नितिन के बारे मे वो सब उसे बताया तो काव्या के हाथ अपने आप अपनी चूत के उपर चले गये ...और जब तक उसकी बात ख़त्म हुई, वो उसकी पेंटी के अंदर तक घुसकर अपनी नर्म चूत को सहला रहे थे...



काव्या : "ओह यू बिच .....तेरे तो घर मे इतना बढिया जुगाड़ है, और तू है की बाहर अपना हलवा बाँटती फिर रही है...मुझे तो बेचारे नितिन पर तरस आ रहा है, एक तो उसके हाथ टूटे पड़े हैं और बेचारा अपनी सेक्सी बहन को अपने बाय्फ्रेंड के साथ देखकर कुछ कर भी नही पाता होगा हा हा ...बेचारा ..मैं होती ना ...''

उसने अपनी बात बीच मे ही छोड़ दी ...

श्वेता समझ गयी की वो क्या कहना चाहती है ...आख़िर उसके भाई के बारे मे पहले भी एक-दो बार काव्या बोल चुकी थी की वो कितना हॉट लगता है ...

काव्या : "चल जो हुआ, उसको भूल जा, और आगे क्या करना है वो देख ले तू ...मेरे साथ भी आजकल कुछ अजीब सा हो रहा है यहाँ, कल मेरे घर आ जा, सब डीटेल मे बताउंगी ...चल बाय , अभी मम्मी बुला रही है मुझे ..''

इतना कहकर उसने फोन रख दिया.

श्वेता खोई-2 सी नीचे पहुँची, जहाँ नितिन टेबल पर उसका वेट कर रहा था..

दोनो ने बिना कुछ बोले नाश्ता खाया, इस बीच श्वेता ना जाने क्या-2 सोचती रही और अचानक वो नितिन से बोली : "तुम्हे नहाना नही है क्या...''

नितिन : "हाँ ...हाँ हन ...मैं तो कब से तुम्हारा वेट कर रहा था, पर तुम ही ...''

श्वेता : "ओके ...चलो जल्दी, अंदर, मैं करती हू तुम्हारा ...''

उसने ''करती हू तुम्हारा'' तो ऐसे बोला था जिसका कुछ और ही मतलब निकाल कर उसके लॅंड महाराज ने वहीं के वहीं नाचना शुरू कर दिया..

वो अपने कपड़े बदलने के लिए अपने कमरे मे चली गयी और नितिन भागकर बाथरूम मे.

श्वेता अपने आप को टवल से ढक कर बाथरूम मे पहुँची तो उसने देखा की नितिन सिर्फ़ अपने अंडरवीयर मे खड़ा हुआ उसका वेट कर रहा है, और उसके लॅंड ने अपना विकराल रूप लेकर वहाँ तंबू बना दिया है ..

और उसके खड़े हुए डंडे को देखकर उसकी हँसी निकल गयी और बोली : "ये कभी बैठता भी है या नही ...''

श्वेता ने पहली बार उसके लॅंड के बारे मे बात की थी आज ..

नितिन : "दरअसल ...जो आटेंशन इसको मिलनी चाहिए, पिछले कुछ दीनो से मिल नही रही, इसलिए ये अपनी नाराज़गी दिखा रहा है ऐसे ....''

दोनो हंस दिए ...

श्वेता ने अपना बँधा हुआ टावल निकाल दिया ..और नीचे उसके हुस्न को देखकर नितिन के लॅंड ने एक-दो झटके और मारे और पहले से ज़्यादा गुस्से मे आकर श्वेता को देखने लगा..

उसने आज हॉल्टर ब्रा पहनी थी ..और सामने की तरफ तिकोना सा कपड़ा था जो उसके मोटे मुम्मों को आधे से ज़्यादा दिखा रहा था और सिर्फ़ कुछ हिस्सा ही छुपा पा रहा था ..

और नीचे की तरफ उतनी ही सेक्सी वी शेप की पेंटी ...

दोनो अंदर शावर मे चले गये.

आज श्वेता कुछ ज़्यादा ही रगड़ रही थी नितिन की बॉडी को ...अपने हाथ मे झाग बनाकर वो हर हिस्सा साफ़ कर रही थी ..उसके सामने खड़ी हुई जब वो उसकी चेस्ट को मल रही थी तो नितिन की नज़रें उसकी भारी भरकम ब्रेस्ट पर ही थी...उसका मन तो कर रहा था की एक झटके मे फाड़ डाले उसकी ब्रा को और देख ले की अंदर क्या छुपा कर रखा है उसने, गौर से देखने पर उसे श्वेता के खड़े हुए निप्पल भी सॉफ-2 नज़र आने लगे ..और निप्पल के चारों और उगे हुए छोटे-2 दाने भी ...पानी ने उसकी ब्रा को पूरा ट्रांसपरेंट कर दिया था .

अचानक श्वेता बोली : "उम्म ...नितिन ...क्या ..क्या ..तुम चाहते हो ...की ...उफ़फ्फ़ ...कैसे बोलू ... ..की मैं ...कोई मदद करू तुम्हारे कम को निकालने में ... .. आई मीन मास्टरबेट करने मे ....''

नितिन को तो विश्वास ही नही हुआ ...वो हैरानी से बोला : " रियली .?? क्या तुम ..... सच मे ..... ऐसा कर सकती हो ....मतलब ..करना चाहती हो ...''

श्वेता उससे नज़रें नही मिला रही थी .. वो बोली : "हाँ ...मीन्स ...तुमने भी तो मेरी हेल्प की थी कल .... वो मुझे और नितिन को स्पेस देकर ...''

वो आगे बोली : "और तुम्हारी हालत मुझसे देखी नही जा रही ....तुमने ही कहा था ना की ...इसको जो अटेंशन मिलनी चाहिए वो मिल नही रही ..तो मैं, वो अटेंशन इसको दे सकती हू ...तुम थोड़ा रिलीव महसूस करोगे ...हैं ना ..''

नितिन स्पीचलेस हो गया ....उसने सिर्फ़ अपना सिर हिला दिया और अपनी स्वीकृति दे डाली

श्वेता ने धड़कते दिल से उसके अंडरवीयर को नीचे किया और एक ही झटके मे उसका लॅंड लहराकर उसकी आँखो के सामने आ गया...

ओह्ह्ह माय गॉड , इतना लंबा .....उम्म्म्ममममम, श्वेता ने ढेर सारा साबुन लिया और उसके लंबे लॅंड के उपर लगाकर उसे हिलाने लगी...पहले धीरे-2 फिर थोड़ी तेज़ी से ...

''अहह....एस श्वेता .... अssssss .....उम्म्म्ममममम''

नितिन ने अपनी आँखे बंद कर ली ....पर जब उसकी सपनो की रानी उसके सामने बैठकर उसके लॅंड का मर्दन कर रही है तो वो आँखे क्यो बंद करे...उसने झट से अपनी आँखे खोल दी और प्यासी नज़रों से अपनी बहन को देखने लगा, उसके हिलते हुए मुम्मों को अपनी नज़रों से चोदने लगा, उसके लरजते हुए होंठों का रस अपने प्यासी आँखों से पीने लगा ...

श्वेता अपने दोनो हाथों का प्रयोग कर रही थी ...एक हाथ से वो उसके लॅंड को उपर नीचे कर रही थी और दूसरे से उसकी गोटियों को सहला रही थी ...

इतना प्यार भरा ट्रीटमेंट जब मिले तो रुकना मुश्किल हो जाता है, नितिन ने भी सिसकना शुरू कर दिया....श्वेता उसकी तेज चल रही सांसो को देखकर समझ गयी की वो झड़ने वाला है, पर उसकी समझ मे नही आ रहा था की वो उसके रस को कहाँ गिराए, जैसे ही नितिन ने एक-दो जोरदार झटके दिए अपनी कमर को तो वो समझ गयी की अब किसी भी वक़्त उसका रस निकल सकता है, वो उठ खड़ी हुई और अपने पेट का निशाना बना कर उसकी पिचकारी से निकले पानी को वहाँ गिरा लिया ...

नितिन अपने पंजों पर खड़ा होकर गोलियां चलाने लगा

नितिन : "अहह उम्म्म्मममममममम ...अहह''

उसकी हर पिचकारी एक गर्म एहसास छोड़ रही थी श्वेता पर, इतना माल इकट्ठा कर रखा था नितिन ने की श्वेता के पेट पर सफेद रंग की परत सी बिछ गयी...पूरा कवर कर लिया उसके कम ने उसकी नाभि को...वो दिखाई भी नही दे रही थी ...


उपर से चल रहे शावर ने धीरे-2 उसके गाड़े रस को पानी मे मिला कर वहाँ से गायब कर दिया ....

श्वेता : "वाव .....इतना स्टॉक इकट्ठा कर रखा था तुमने तो ...मैने आज से पहले ऐसा कुछ देखा ही नही था ...''

नितिन : "मैने बोला था ना, अपने हाथों की वजा से इसको सही से ट्रीट नही कर पा रहा था...थैंक्स ....तुम्हारी वजह से ही मैं आज रिलिव हो पाया हू ....''

वो मुस्कुरा दी..

श्वेता : "अछा मुझे एक बात बताओ ....तुम कितने दीनो के बाद मास्टरबेट करते हो ...''

नितिन : "रोजाना ...मीन्स, एक्सीडेंट से पहले तो अब तक रोज ही करता था ...''

श्वेता : "तब तो वो रुटीन बनाकर रखना पड़ेगा ...मैं अब तुम्हे रोज ही ऐसे हेल्प किया करूँगी ..ओके ..''

नितिन की खुशी का ठिकाना ही नही रहा ..

श्वेता उसके बदन को टावल से पोंछने लगी ..नितिन अब पूरा नंगा खड़ा था उसके सामने, वो बदन सॉफ करती हुई अपने घुटनों पर बैठकर उसकी टांगे सॉफ कर रही थी, और फिर उसने उसके लॅंड को आराम-2 से सॉफ करना शुरू किया, उसने देखा की वो फिर से अकड़ रहा है ..और कुछ ही सेकेंड मे वो फिर से खड़ा होकर उसके सामने हुंकार रहा था ...पहले से ज़्यादा ..पहले से लंबा होकर.
 
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अगले दो-तीन दिनों तक श्वेता ने हर रोज अपने भाई के लंड की मालिश करके उसका तेल निकाला...नितिन को तो अपनी किस्मत पर विश्वास ही नही हो रहा था की उसकी हॉट सिस्टर रोजाना उसे नहलाते हुए मास्टरबेट भी करवाती है ...और दूसरी तरफ श्वेता ने भी अपने भाई के लंड को एक खिलोने की तरह देखना शुरू कर दिया था जिसके साथ वो रोजाना खेलती थी..


चोथे दिन, जब श्वेता नितिन को नहला रही थी तो नितिन ने झिझकते हुए अपने दिल की बात बोल ही दी...

नितिन : "श्वेता, मुझे कुछ कहना है...पर पता नही तुम क्या सोचोगी इसके बारे मे...'' उसने अपनी नज़रें चुराते हुए कहा..

श्वेता : "अब मैं तुम्हारे पेनिस को हाथ मे लेकर रोज तुम्हारा मास्टरबेट करती हू, इसके मद्देनजर तो तुम मुझसे कुछ भी पूछ या बोल सकते हो ...बताओ क्या बात है ...''

उसने अपनी लंबी और पतली उंगलियाँ से नितिन की बॉल्स को सहलाते हुए कहा..

नितिन : " देखो..मुझे भी बात को घुमा फिराकार बोलना अच्छा नहीँ लगता...''

उसने एक लंबी साँस ली और एक ही झटके मे बोला : "क्या तुम अपनी ब्रा उतार सकती हो मुझे मास्टरबेट करवाते हुए ..."

एक ही साँस मे अपने दिल की बात बोलकर वो साँसे रोककर उसके उत्तर की प्रतीक्षा करने लगा ...

श्वेता का दिमाग़ भी एकदम से चकरा गया...दोनो के मन मे काफ़ी आगे निकलने की चाह थी, पर इतना जल्दी भी नही..वो धीरे से बोली : "मुझे पता है...जो हम दोनो कर रहे है ये भी काफ़ी ज़्यादा है हमारे रिश्ते के हिसाब से...पर जो तुम चाहते हो उसके लिए मुझे सोचने का समय चाहिए ...''

नितिन खुश था की उसने उस हिसाब से रियेक्ट नही किया जैसा उसने सोचा था..वो सोचेगी, यही बहुत था उसके लिए...

नितिन : "ओके , नो प्राब्लम, तुम सोच लो ...कोई प्रेशर नही है की तुम मेरी ये बात मान ही लो, तुम्हे सही लगे तभी करना...दरअसल.. मैं रोज सोते हुए बस यही सोचता हू की तुम्हारी ब्रेस्ट कैसी लगती होगी..कैसी दिखती होगी..इन्हे फील करने मे कैसा एहसास होगा...''

श्वेता भी सोचने लगी...वो आख़िर क्या करेगा मेरी ब्रेस्ट को देखकर...शायद उसे ज़्यादा उत्तेजना मिलेगी..क्या वो उन्हे टच भी करेगा..और ब्रेस्ट को नंगा करने के बाद क्या वो मेरी चूत को भी देखेगा..वो भी तो उसे पूरा नंगा देख पा रही है..और जब वो अपनी चुचिया दिखा सकती है तो चूत को दिखाने मे क्या प्राब्लम है....और नितिन ने कहा की वो उसकी ब्रेस्ट के बारे मे रोज सोते हुए सोचता है...क्या सोचता होगा...उन्हे टच करने के बारे मे ..उन्हे चूसने के बारे मे...

और ये सब बाते सोचते-2 उसकी चूत इतनी बुरी तरह से गीली हो रही थी की उपर से बहता हुआ पानी भी उसकी चूत का गाडापन हल्का नही कर पा रहा था.

आख़िर मे उसने सोचा की इसमे कोई बुराई नही है...जो होगा, देखा जाएगा...

और बिना कुछ बोले, उसने अपने हाथ पीछे किए और अपनी ब्रा के क्लिप्स खोल दिए..और अपनी ब्रा को निकालकर साईड मे रख दिया.

नितिन की आँखे चुधिया गयी उसकी गोलाइयाँ देखकर ...उसपर लगे हुए निप्पल्स को देखकर..

नितिन :"ओह्ह्ह्ह्ह ....वाव ....ये बिल्कुल पर्फेक्ट है ....जैसा मैने सोचा था ....ठीक वैसे ही ...''

श्वेता (शरमाते हुए) : "तुम ये इसलिए कह रहे हो ना की मैं कही इन्हे फिर से ना छुपा लू ...''

नितिन : "अरे नही ...मेरा विश्वास करो ..ऐसी ब्रेस्ट मैने कभी नही देखी, मैने नेट पर भी काफ़ी ब्रेस्ट देखी है ...पर इतनी पर्फेक्ट नही...ज़्यादातर लड़कियों की लटकी हुई होती है, किसी के छोटे या फिर किसी के काफ़ी बड़े..जो देखने मे भी अच्छे नही लगते ...और तुम्हारे निप्पल्स ...वाव ..छोटे-2 और गुलाबी रंग के उभरे हुए निप्पल ऐसे लग रहा है जैसे दो हीरे लगा रखे है तुम्हारी ब्रेस्ट पर ...''

अपनी ब्रेस्ट के बारे मे इतनी सारी बाते सुनकर वो शर्म से गड़ी जा रही थी ...और साथ ही साथ खुश भी हो रही थी , वो हंसते हुए बोली : "हा हा , लगता है तुमने काफ़ी सोच रखा था मेरी ब्रेस्ट के बारे मे , तभी इन्हे देखकर तुम्हारे मुँह से ये सब निकलता जा रहा है ...''

नितिन : "हाँ , ये बात तो है ...काश मेरे हाथों मे ये पट्टियां नही होती, तो मैं इन्हे छूकर भी देख सकता ..''

श्वेता : "अगर तुम्हारे हाथो मे ये पट्टियां नही होती तो शायद ये सब हो ही नही रहा होता ...''

उसकी बात भी सही थी ..फिर तो वो शायद खुद ही नहा रहा होता और खुद ही अपने हाथों से अपने लंड का पानी भी निकाल रहा होता.

उसके बाद श्वेता ने उसके लंड को अपने हाथों मे लिया और उसे हिलाने लगी..नितिन की नज़रें उसके हिचकोले खा रहे मुम्मों पर ही थी..उसके खड़े हुए निप्पल्स मे एक अलग तरह की लाली आ चुकी थी ...उसकी गोरी चुचियों पर हल्के हरे रंग की नसें चमकने लगी थी...यानी वो भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी ऐसा करते हुए.

नितिन : "अहह.....आज तो बहुत मज़ा आ रहा है ...''

श्वेता के मन मे अचानक एक शरारत आई...वो बोली : "थोड़ा और मज़ा लेना चाहोगे...?"

नितिन के लिए तो ये भी बहुत था आज के लिए, और अगर उसकी बहन कुछ और भी देना चाहती है तो वो क्यो मना करेगा...उसने झट से हाँ बोल दिया..

श्वेता ने उसकी आँखों मे देखते हुए अपनी दोनो ब्रेस्ट को पकड़ा और नितिन के लंड को उन दोनो के बीच मे फँसा कर उसे टिट फक करने लगी..

अपने लंड को मिल रही मुलायम मसाज और श्वेता के मुँह से निकल रही तेज साँसों को अपने पेट पर महसूस करते ही नितिन की हालत खराब होने लगी..

उसके लंड पर काफ़ी साबुन लगा हुआ था, इसलिए वो उसके मुम्मों के बीच काफ़ी आसानी से उपर नीचे फिसल रहा था...

अपने दोनो निप्पल्स को अपनी उंगलियों से दबाती हुई वो नितिन के लंड को अपनी गहरी घाटियों के बीच फँसा कर उसे उसके जीवन की पहली टिट फकिंग करवा रही थी..

अचानक उसने कुछ ऐसा किया जिसकी नितिन को उम्मीद भी नही थी..

उसने अपना मुँह थोड़ा सा नीचे किया और नितिन के सुपाड़े को अपने लरजते हुए होंठों के बीच लेजाकर एक जोरदार चुप्पा मारा...और उसके लंड के उपर आ रहा प्रीकम उसने एक ही झटके मे चाट डाला...

नितिन : "अहह.......उफफफफफफ्फ़ ''

श्वेता अपने आपको किसी रिमोट से कम नही समझ रही थी..वो अपनी एक-2 हरकत से नितिन के पूरे शरीर को झटके मारने पर मजबूर जो कर रही थी..

अब श्वेता ने अपने मुम्मे सिर्फ़ ज़ोर से दबा कर पकड़े हुए थे...बाकी का काम नितिन कर रहा था...अपने लंड से तेज झटके मारकर वो उसके मुम्मे चोदने मे लगा हुआ था.

ये सब करते हुए श्वेता सोच रही थी की उसके भाई का लंड कैसा लगेगा जब वो उसकी पुसी को चीरता हुआ अंदर तक जाएगा..उसका मोटा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ जब अपनी जगह बनाएगा तो कैसा महसूस होगा उसको...वो ये सब सोच ही रही थी की नितिन के लंड से पिचकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी...हर एक बूँद को श्वेता ने अपने सीने पर झेल लिया..उसके दोनो पर्वत नितिन की बर्फ से ढक कर सफेदी मे नहा गये..

और अपने सीने पर नितिन के अंगारों को महसूस करते ही वो एकदम से होश मे आई...एक टावाल लेकर वो अपने कमरे की तरफ भागती चली गयी...सिर्फ़ अपनी कच्छी मे.

अपने रूम मे पहुँचकर उसने अपनी पेंटी उतार फेंकी, दरवाजा बंद करके वो बिस्तर पर लेट गयी और ज़ोर-2 से अपनी गीली चूत का पानी निकालने लगी...

उसकी नज़र अपने ड्रेसिंग टेबल पर पड़े ब्रश पर गयी...जिसका पिछला हिस्सा काफ़ी स्मूथ और गोल सा था, वो उसने उठाया और नितिन के लंड के बारे मे सोचते हुए उसे अंदर बाहर करने लगी...और ऐसा करते हुए वो बस यही सोच रही थी की वो हेयर ब्रश नही , नितिन के लंड को अंदर ले रही है...और अपने भाई के बारे मे सोचते हुए जब वो झड़ी तो ऐसा ऑर्गॅज़म महसूस किया उसने जो आज तक कभी नही किया था...उसने उठ कर देखा तो उसकी पूरी चादर गीली हो चुकी थी..जिसे देखकर उसके होंठों पर एक मीठी मुस्कान तैर गयी.

तभी उसका फोन बजने लगा..उसने उठा कर देखा तो केतन था .

उसने मुस्कुराते हुए फोन उठाया..

केतन : "डार्लिंग..क्या कर रही हो...''

वो भी मस्ती के मूड मे थी, वो बोली : "बस ....अपनी नन्ही दुल्हनिया को अभी-2 शांत किया है...''

केतन : "वाव ..... यार मुझे बुला लिया होता...हमारे हिस्से के काम तुम अपनी उंगलियों से क्यो करवाते हो..''

श्वेता : "उसके लिए टाइम निकालना पड़ता है..समझे ...''

केतन : "उसके लिए ही तो फोन किया है...एक नयी मूवी आई है ..बड़े सेक्सी सीन है उसमे ...चलो ना देखने चलते है, शाम को..''

श्वेता : "आज शाम को तो मुझे अपनी फ्रेंड काव्या से मिलना है, काफ़ी दिन हो गये हैं हम दोनो कही घूमने नही गये..उसके साथ पहले से प्रोग्राम फिक्स है मेरा...''

केतन : "अरे कोई बात नही, उसको भी साथ ले चलते हैं, मैं 3 टिकेट्स बुक करवा लेता हू ..''

वो किसी भी तरह अपनी हॉर्नी गर्लफ्रेंड से मिलना चाहता था आज ..

श्वेता के सामने कोई और चारा नही था ..उसने हाँ कर दी .

और उसके बाद उसने काव्या को फोन करके सब बताया ...काव्या भी केतन से मिलना चाहती थी ,क्योंकि जब से श्वेता ने अपनी चुदाई के बारे मे उसे बताया था, वो कई बार केतन के नाम की मूठ मार चुकी थी ..

मिलने का टाइम फिक्स हो गया और शाम को तीनो एक मल्टिपलेक्स के सामने मिले और अंदर चल दिए..

केतन ने टिकट ले ली , मूवी स्टार्ट होने मे अभी थोड़ा टाइम था, इसलिए तीनो एक रेस्टोरेंट मे जाकर बैठ गये..

केतन ने सबके लिए बियर ऑर्डर कर दी, श्वेता और केतन तो काफ़ी बार बियर पी चुके थे पर काव्या ने आज तक नही पी थी, पर केतन के सामने वो मना करके कोई सीन नही बनाना चाहती थी, इसलिए जब बियर आई तो उसने भी ग्लास उठा लिया और पी ली, शुरू मे थोड़ी कड़वी लगी पर ठंडी बियर का सरूर जब चड़ने लगा तो उसे भी मज़ा आने लगा, पूरा ग्लास पीने के बाद वो अपने आपको काफ़ी हल्का महसूस कर रही थी..

उसके बाद तीनो मूवी हाल मे पहुँच गये.

श्वेता बीच मे बैठी थी, केतन और काव्या उसके दाँये और बाँये बैठ गये ..

ज़्यादा लोग नही थे मूवी हाल मे ...और वो लोग तो सबसे पीछे बैठे थे, अपनी लाइन मे सिर्फ़ वो तीन ही बैठे थे ..उनके आगे की चार लाइन तक खाली पड़ी थी ...

मूवी शुरू होते ही केतन के हाथ हरकत करने लगे..वो श्वेता की जांघों को सहला रहे थे...उसने शार्ट स्कर्ट पहनी हुई थी , अपनी जांघों पर हाथ लगते ही श्वेता के जिस्म के सारे रोँये खड़े हो गये..बियर का नशा और उपर से अपने प्रेमी के हाथों का मादकता से भरा स्पर्श और वो भी उसके सबसे वीक पॉइंट पर..वो मदहोश सी होने लगी..और केतन के हाथों पर अपना हाथ रखकर उसे सहलाने लगी..

केतन के हाथ खिसकते-2 उपर तक आने लगे..उसकी हालत खराब होने लगी..श्वेता ने भी अपना हाथ केतन की जाँघ पर रख दिया और वहाँ सहलाने लगी..उसका हाथ सीधा उसके पेंट मे फँसे हुए लॅंड के उपर जा लगा, जो साईड मे खड़ा होने की जगह ना मिल पाने की वजह से बुरी तरहा फँसा हुआ था..श्वेता ने उसकी जीप खोल दी..और खिसका-2 कर उसके लॅंड को बाहर निकाल लिया ..

केतन तो स्वर्ग की सैर करने लगा, जैसे ही श्वेता के नर्म हाथों ने उसके खड़े हुए लॅंड को पकड़ा ..

केतन ने बीच का हैंड रेस्ट उपर कर दिया और अब दोनो के बीच कोई बाधा नही थी..बीच का अवरोध हटते ही केतन ने श्वेता को अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों को बुरी तरह से चूसने लगा ...श्वेता का हाथ उसके लॅंड को ज़ोर-2 से मसल रहा था ..

और ये सब कारनामा उनके बगल मे बैठी काव्या अपनी आँखे फाड़े देख रही थी ..वो उनकी बेशर्मी से हैरान भी थी, की कैसे वो सिनेमा हॉल मे एक दूसरे को किस्स कर रहे हैं ..तब तक उसने श्वेता का हाथ केतन के लॅंड के उपर नही देखा था ..

अचानक केतन ने किस्स तोड़ी और श्वेता के चेहरे को नीचे की तरफ झुकाते हुए अपनी गोद मे गिरा लिया ..उसका मुँह सीधा उसके खड़े हुए लॅंड के उपर जा लगा और श्वेता ने बिना कोई पल गँवाए उसे अपने मुँह के अंदर ले लिया..

अहह्ह्ह्हह ........ की आवाज़ के साथ केतन के हाथ उसकी ज़ुल्फो मे चलने लगे ..

कोई और जगह जगह होती तो वो उसे सीधा अपनी गोद मे बिठा लेता और चोद डालता बुरी तरह से ..पर यहा सिनेमा हॉल के लिए इतना भी बहुत था..

केतन ने अपना दूसरा हाथ घुमा कर श्वेता के पीछे रख दिया...और वो काव्या से जा टकराया ..

काव्या को तो ऐसे लगा की वो झुलस जाएगी... पहले केतन की हरकत देखकर और अब उसके हाथ का स्पर्श पाते ही वो उसकी तरफ झुकने लगी थी ...

और अचानक केतन को कुछ गुदाज सा महसूस हुआ अपने हाथों पर ...उसने काव्या की तरफ देखा तो हैरान रह गया..काव्या का लेफ्ट बूब उसके हाथों से टच कर रहा था ...और वो ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे उसको कुछ पता ही नहीं है , वो मूवी देखने मे व्यस्त थी (या नाटक कर रही थी ..)

केतन जो अब तक श्वेता के नशे मे डूबा हुआ था, एकदम से अपना फोकस काव्या की तरफ करके अपने हाथ की उंगलियों से उसके बूब्स को सहलाने लगा ..

काव्या की साँसे तेज होने लगी ..उसके निप्पल खड़े होकर उसकी टी शर्ट से बाहर झाँकने लगे...केतन ने अपनी उंगली थोड़ा और आगे की और उससे काव्या के निप्पल को खुरचने लगा ...

काव्या सुलग उठी केतन के इस प्रहार से ... हर लड़की का सबसे सेंसेटिवे पॉइंट होता है निप्पल वाला हिस्सा...उसपर हाथ लगते ही उसने अपने दाँये हाथ से केतन के हाथ को ढक लिया और उसे अपनी ब्रेस्ट से दबा कर भींच दिया ..

केतन तो सातवें आसमान पर था, श्वेता उसके लॅंड को चूस रही थी ..और उसकी सहेली अपनी छातियाँ उससे मसलवा रही थी ..

वो अपने हाथों से काव्या के छोटे-2 बूब्स को ज़ोर-2 से मसलने लगा...काव्या की जांघे खुलने लगी ...उसका दूसरा हाथ अपनी चूत की तरफ खिसक गया ..और अपनी गीली पेंटी को ज़ोर-2 से मसलने लगा ..

श्वेता भी अपनी चूत को मसल रही थी...केतन का लॅंड चूसते हुए ...
 
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