मेरी मस्त दीदी

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चुदासी बहनों व चुदक्कड भाइयो ! मै यहाँ सिर्फ और सिर्फ असली वाकया ही आप लोगों से शेयर करता हूँ। अब ये आप लोगों पर डिपेंड करता है कि आप यकीन करे या ना करे। जिस तरह एक लंड हर समय किसी चूत की चाहत में तड़पता है उसी तरह हर चूत भी किसी न किसी लंड को पिलवाने को बेताब रहती है। आपको सिर्फ अपने आँख और कान खुले रखने है। आपको हर गली , हर मोहल्ले यहाँ तक कि हर घर में चुदासी चूत या चुदक्कड लंड आपके अनुसार मिल जायेगा। इस ग्रुप में यही सब बातें आप लोगों से मै यहाँ शेयर करूँगा।
आज मै आपको अपने मामू की मंझली बेटी की चुदाई की दास्तान सुनाता हूँ। मेरे मामू के तीन बेटियां है। वैसे तो तीनो एक से बढ कर एक खूबसूरत है परन्तु मंझली वाली का ज़बाब नहीं है। बड़ी वाली की शादी जम्मू में एक डॉक्टर के साथ हुई है। अब मामू के दो बेटियां शादी के लिए बचीं है। मंझली वाली मुझसे ११ महीने उमर में बड़ी है और इतनी खूबसूरत है कि आपको बता नहीं सकता। ३६ २४ ३६ वाली बिल्कुल परफेक्ट फिगर है उसकी। उसकी बड़े बड़े संतरे जैसी चुचियों को देख कर मेरा लंड अक्सर टायट होने लगता था और मै हमेशा उसकी मस्त चूत की कल्पना करता था। छोटी वाली भी बला की खूबसूरत है और मुझसे उमर में डेढ साल छोटी है। दोनों ही भरपूर जवान है।
बात पिछले साल गर्मियों की छुट्टियों की है। मेरी अम्मी ने अब्बू से कहा कि वह मामू के यहाँ जाना चाहती है , अब्बू बोले," यार मुझे तो छुट्टी नहीं मिल सकती , तुम मुन्ना ( मै ) के साथ जावेद के यहाँ चली जाओ। मै तुम दोनों का ट्रेन रिसर्वेशन करवा देता हूँ।" अगले हफ्ते मै अपनी अम्मी को लेकर मामू के यहाँ लुधियाना पहुँच गया। पूरे रास्ते मै दीदी की चूचियों और मस्त चूत के बारे में ही सोचता रहा। अबकी बार मैंने पक्का मन बना लिया था कि मै दीदी को ज़रूर चोदूंगा। जब हम लुधियाना पहुंचे तो मामू स्टेशन पर हम लोगों को लेने आ गए थे। आखिर मै ३ बजे शाम को अपनी प्यारी मस्त दीदी के दीदार को उनके घर पहुँच गया। मेरी मामी छत पर कपडे उठाने गयी थी , उन्हें जैसे ही हमारे आने की खबर मिली वह तुरंत सारे कपडे लेकर नीचे आने लगी। ज्यादा कपडे होने के कारण उन्हें आगे का कुछ नज़र नहीं आ रहा था अतः वह सारे कपड़ों के साथ सीडियों से नीचे फिसल कर आ गिरी जिससे उनका सर फट गया। तुरंत ही सब लोग मामी को लेकर अस्पताल पहुंचे जहाँ डाक्टर ने इलाज करने के बाद कहा, " अब पेशेंट को कोई खतरा तो नहीं है परन्तु इन्हें कम से कम दो दिन तक अस्पताल में ही रखना पड़ेगा क्योंकि सर में बहुत गहरी चोट लगी है " मामू ने कहा कि वह रात को अस्पताल में ही रुक जाते है बाकी सभी लोग अब घर जाये लेकिन अम्मी ने वही रुकने की जिद की तो आखिर में यह तय हुआ कि मै और दीदी अब घर जाये और अम्मी व मामू ही अस्पताल में रुक जाते है क्योंकि अब मामी भी पूरे होश में आ चुकी थी। दीदी मुझसे बोली," मुन्ना ! बाइक बहुत धीरे धीरे चलाना , मुझे बहुत डर लगता है" यह सुनकर सब हँसने लगे। मामू बोले, " मुन्ना ! ये जबसे मेरे साथ बाइक से गिरी है तबसे बहुत डरने लगी है , तुम धीरे धीरे ही ले जाना" मैंने हामी भर दी। मै दीदी को मामू की बाइक से लेकर घर चल दिया।
रास्ते में मैंने बाइक की स्पीड थोड़ी तेज़ कर दी जिससे दीदी डर कर मुझ से चिपक कर बोली," मुन्ना s s s s s , अगर तुमने बाइक धीमी नहीं की तो मै कूद जाऊँगी"
मुझे अपनी पीठ पर दीदी की रसीली चूचियां गड़ती सी महसूस हो रही थी जिससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था लेकिन फिर भी मैंने बाइक धीमी करते हुए बोला " सॉरी दीदी ! मुझे ध्यान नहीं रहा"
" ठीक है ठीक है लेकिन प्लीज अब बाइक तेज़ मत चलाना" दीदी बोली
मैंने कहा " ओ के दीदी ! लेकिन प्लीज अगर तुम किसी को बताओ नहीं तो मै थोड़ी सी व्हिस्की लेता चलू , वो क्या है कि एक तो रास्ते की थकान ऊपर से यहाँ आते ही यह हादसा हो गया"
दीदी बोली " ठीक है मुन्ना लेकिन ज्यादा मत पीना यह नुकसान करती है , मै अब्बू को भी मना करती हूँ और शायद उनकी शराब घर पर रक्खी भी होगी"
मैंने कहा " नहीं दीदी , मामू की शराब अगर पीयूँगा तो उन्हें पता चल जायेगा , मै रास्ते से ही लेता चलता हूँ और कोई सब्जी भी होटल से पैक करा लेते है , घर पर तुम और रज़िया ( छोटी बहन ) सिर्फ रोटी बना लेना"
" जैसा तुम ठीक समझो " दीदी बोली।
मेरी आँखों के सामने तो दीदी की मस्त मस्त चूत घूम रही थी सो मै फटाफट एक बोतल सिग्नेचर की व तीन अंडा करी पैक करा कर दीदी को लेकर घर चल दिया। मैंने घर जाकर रज़िया को बोला कि अब मामी बिलकुल ठीक है तुम निश्चिन्त हो कर अपने एंट्रेंस की तैय्यारी करो। मै और दीदी खाना तैयार करते है। मै किसी न किसी बहाने से दीदी के शरीर को टच कर रहा था जिसमे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
रज़िया बोली " ठीक है भैय्या ! लेकिन आप और दीदी ही खाना खा लेना , मेरी खाना खाने की अभी बिलकुल भी तबियत नहीं है , मै ऊपर वाले कमरे में अपनी पदाई करती हूँ अगर रात में भूख लगी तो मै आकर खा लूंगी , मेरे लिए चार रोटियां केसरोल में छोड़ देना " यह कहकर रज़िया घूम कर ऊपर जाने वाली सीडियों की तरफ बढ़ गयी।
तब मैंने पहली बार रज़िया को गौर से देखा कि वो भी बहुत हसीन और सेक्सी थी , पिंक कलर के स्लीवलेस टॉप और ब्लैक कैपरी में उसकी गदराई हुई मस्त गांड जो उसकी कमर से कम से कम छह इंच उठी हुई थी और तनी हुई चूचियां जैसे चुदाई का खुला निमंत्रण सा दे रही थी जब वह गांड हिलाती सीढियां चढ़ रही थी तो ऐसा लग रहा था कि रज़िया की गांड में कोई छोटी वाली बेरिंग फिट है जिस पर उसकी गांड टिक टाक टिक नाचती है। वो दीदी जितनी अगर सेक्सी नहीं थी तो कुछ कम भी नहीं थी , उसका शरीर किसी भी लंड को टायट करने के लिए पर्याप्त था। उस वक़्त मै अपने आप को किसी ज़न्नत में दो दो परियों के बीच किसी महाराजा के मानिंद महसूस कर रहा था। मै अपने लिए एक पैग बना कर दीदी के पास किचिन में ही आ गया। मेरी आँखे उनके रोटियों के लिए आटा बनाते समय ऊपर नीचे होती हुई चूचियो पर ही टिकीं थीं। जब दोनों हाथो पर जोर देती हुई दीदी नीचे को झुकती थी तो उनकी नारंगी जैसी दूधिया चूचिया कुर्ते के गले से आधे से भी ज्यादा नुमाया हो जाती थी , यहाँ तक कि उनकी ब्लैक ब्रा के कप्स मुझे साफ़ साफ़ नज़र आ रहे थे। मै किचिन के दरवाज़े में खड़ा एक हाथ से अपने लंड को सहलाते हुए व्हिस्की को धीरे धीरे सिप कर रहा था साथ ही साथ दीदी की चूचियों के पूरे मज़े ले रहा था।
 
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आज मै आपको अपने मामू की मंझली बेटी की चुदाई की दास्तान सुनाता हूँ। मेरे मामू के तीन बेटियां है। वैसे तो तीनो एक से बढ कर एक खूबसूरत है परन्तु मंझली वाली का ज़बाब नहीं है। बड़ी वाली की शादी जम्मू में एक डॉक्टर के साथ हुई है। अब मामू के दो बेटियां शादी के लिए बचीं है। मंझली वाली मुझसे ११ महीने उमर में बड़ी है और इतनी खूबसूरत है कि आपको बता नहीं सकता। ३६ २४ ३६ वाली बिल्कुल परफेक्ट फिगर है उसकी। उसकी बड़े बड़े संतरे जैसी चुचियों को देख कर मेरा लंड अक्सर टायट होने लगता था और मै हमेशा उसकी मस्त चूत की कल्पना करता था। छोटी वाली भी बला की खूबसूरत है और मुझसे उमर में डेढ साल छोटी है। दोनों ही भरपूर जवान है।
बात पिछले साल गर्मियों की छुट्टियों की है। मेरी अम्मी ने अब्बू से कहा कि वह मामू के यहाँ जाना चाहती है , अब्बू बोले," यार मुझे तो छुट्टी नहीं मिल सकती , तुम मुन्ना ( मै ) के साथ जावेद के यहाँ चली जाओ। मै तुम दोनों का ट्रेन रिसर्वेशन करवा देता हूँ।" अगले हफ्ते मै अपनी अम्मी को लेकर मामू के यहाँ लुधियाना पहुँच गया। पूरे रास्ते मै दीदी की चूचियों और मस्त चूत के बारे में ही सोचता रहा। अबकी बार मैंने पक्का मन बना लिया था कि मै दीदी को ज़रूर चोदूंगा। जब हम लुधियाना पहुंचे तो मामू स्टेशन पर हम लोगों को लेने आ गए थे। आखिर मै ३ बजे शाम को अपनी प्यारी मस्त दीदी के दीदार को उनके घर पहुँच गया। मेरी मामी छत पर कपडे उठाने गयी थी , उन्हें जैसे ही हमारे आने की खबर मिली वह तुरंत सारे कपडे लेकर नीचे आने लगी। ज्यादा कपडे होने के कारण उन्हें आगे का कुछ नज़र नहीं आ रहा था अतः वह सारे कपड़ों के साथ सीडियों से नीचे फिसल कर आ गिरी जिससे उनका सर फट गया। तुरंत ही सब लोग मामी को लेकर अस्पताल पहुंचे जहाँ डाक्टर ने इलाज करने के बाद कहा, " अब पेशेंट को कोई खतरा तो नहीं है परन्तु इन्हें कम से कम दो दिन तक अस्पताल में ही रखना पड़ेगा क्योंकि सर में बहुत गहरी चोट लगी है " मामू ने कहा कि वह रात को अस्पताल में ही रुक जाते है बाकी सभी लोग अब घर जाये लेकिन अम्मी ने वही रुकने की जिद की तो आखिर में यह तय हुआ कि मै और दीदी अब घर जाये और अम्मी व मामू ही अस्पताल में रुक जाते है क्योंकि अब मामी भी पूरे होश में आ चुकी थी। दीदी मुझसे बोली," मुन्ना ! बाइक बहुत धीरे धीरे चलाना , मुझे बहुत डर लगता है" यह सुनकर सब हँसने लगे। मामू बोले, " मुन्ना ! ये जबसे मेरे साथ बाइक से गिरी है तबसे बहुत डरने लगी है , तुम धीरे धीरे ही ले जाना" मैंने हामी भर दी। मै दीदी को मामू की बाइक से लेकर घर चल दिया।
रास्ते में मैंने बाइक की स्पीड थोड़ी तेज़ कर दी जिससे दीदी डर कर मुझ से चिपक कर बोली," मुन्ना s s s s s , अगर तुमने बाइक धीमी नहीं की तो मै कूद जाऊँगी"
मुझे अपनी पीठ पर दीदी की रसीली चूचियां गड़ती सी महसूस हो रही थी जिससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था लेकिन फिर भी मैंने बाइक धीमी करते हुए बोला " सॉरी दीदी ! मुझे ध्यान नहीं रहा"
" ठीक है ठीक है लेकिन प्लीज अब बाइक तेज़ मत चलाना" दीदी बोली
मैंने कहा " ओ के दीदी ! लेकिन प्लीज अगर तुम किसी को बताओ नहीं तो मै थोड़ी सी व्हिस्की लेता चलू , वो क्या है कि एक तो रास्ते की थकान ऊपर से यहाँ आते ही यह हादसा हो गया"
दीदी बोली " ठीक है मुन्ना लेकिन ज्यादा मत पीना यह नुकसान करती है , मै अब्बू को भी मना करती हूँ और शायद उनकी शराब घर पर रक्खी भी होगी"
मैंने कहा " नहीं दीदी , मामू की शराब अगर पीयूँगा तो उन्हें पता चल जायेगा , मै रास्ते से ही लेता चलता हूँ और कोई सब्जी भी होटल से पैक करा लेते है , घर पर तुम और रज़िया ( छोटी बहन ) सिर्फ रोटी बना लेना"
" जैसा तुम ठीक समझो " दीदी बोली।
मेरी आँखों के सामने तो दीदी की मस्त मस्त चूत घूम रही थी सो मै फटाफट एक बोतल सिग्नेचर की व तीन अंडा करी पैक करा कर दीदी को लेकर घर चल दिया। मैंने घर जाकर रज़िया को बोला कि अब मामी बिलकुल ठीक है तुम निश्चिन्त हो कर अपने एंट्रेंस की तैय्यारी करो। मै और दीदी खाना तैयार करते है। मै किसी न किसी बहाने से दीदी के शरीर को टच कर रहा था जिसमे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
रज़िया बोली " ठीक है भैय्या ! लेकिन आप और दीदी ही खाना खा लेना , मेरी खाना खाने की अभी बिलकुल भी तबियत नहीं है , मै ऊपर वाले कमरे में अपनी पदाई करती हूँ अगर रात में भूख लगी तो मै आकर खा लूंगी , मेरे लिए चार रोटियां केसरोल में छोड़ देना " यह कहकर रज़िया घूम कर ऊपर जाने वाली सीडियों की तरफ बढ़ गयी।
तब मैंने पहली बार रज़िया को गौर से देखा कि वो भी बहुत हसीन और सेक्सी थी , पिंक कलर के स्लीवलेस टॉप और ब्लैक कैपरी में उसकी गदराई हुई मस्त गांड जो उसकी कमर से कम से कम छह इंच उठी हुई थी और तनी हुई चूचियां जैसे चुदाई का खुला निमंत्रण सा दे रही थी जब वह गांड हिलाती सीढियां चढ़ रही थी तो ऐसा लग रहा था कि रज़िया की गांड में कोई छोटी वाली बेरिंग फिट है जिस पर उसकी गांड टिक टाक टिक नाचती है। वो दीदी जितनी अगर सेक्सी नहीं थी तो कुछ कम भी नहीं थी , उसका शरीर किसी भी लंड को टायट करने के लिए पर्याप्त था। उस वक़्त मै अपने आप को किसी ज़न्नत में दो दो परियों के बीच किसी महाराजा के मानिंद महसूस कर रहा था। मै अपने लिए एक पैग बना कर दीदी के पास किचिन में ही आ गया। मेरी आँखे उनके रोटियों के लिए आटा बनाते समय ऊपर नीचे होती हुई चूचियो पर ही टिकीं थीं। जब दोनों हाथो पर जोर देती हुई दीदी नीचे को झुकती थी तो उनकी नारंगी जैसी दूधिया चूचिया कुर्ते के गले से आधे से भी ज्यादा नुमाया हो जाती थी , यहाँ तक कि उनकी ब्लैक ब्रा के कप्स मुझे साफ़ साफ़ नज़र आ रहे थे। मै किचिन के दरवाज़े में खड़ा एक हाथ से अपने लंड को सहलाते हुए व्हिस्की को धीरे धीरे सिप कर रहा था साथ ही साथ दीदी की चूचियों के पूरे मज़े ले रहा था।
Good writing✍️ 👌👌👌
 
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