मेरा बलात्कार-सोनम की कहानी

kya aisa balatkar aapko pasand aya?

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Sonam20066

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मैंने बहुत पहले इस कहानी को कही पढ़ा था।  मै इसे अपनी भाषा में लिखने जा रहा हूँ , उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएगी।  इस कहानी के सभी पात्र १८ वर्ष से अधिक है। 


कहानी की मुख्य नायिका सोनम उम्र २१ साल की है।  सोनम अपने पापा के साथ शहर रहती थी पढ़ाई करने के लिए।  उसके पिताजी एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते थे।  अब आगे की कहानी सोनम की जुबानी  पढ़िए । 

मेरे  कॉलेज की छुटिया शुरू हो गयी थी और मै घर पर ही रहती थी पुरे दिन।  पिताजी सुबह जॉब पर चले जाते थे और शाम को आते थे और मै दिन भर घर पर बोर होती थी , अकेले लड़की कितना टीवी देखेगी।  मैंने पापा से कहा भी की मुझे गांव छोड़ दो तो वो बोले की कंपनी में काम बहुत है छुट्टी नहीं मिलेगी एक महीने तक। मै ऐसे ही दो दिन बोरियत में काटे।  फिर तीसरे दिन मेरे चचेरे चाचा गांव से हमारे यहाँ शहर में जॉब ढूंढने आये थे , पापा ने उन्हें हमारे यहाँ रुकने के लिए बोल दिया था।  उनका नाम मनोज था उनकी उम्र ३० साल की थी, वो अभी भी कुंवारे ही थे। 
वो जब आये तो पापा ने उन्हें पुरे शहर के बारे में समझाया और अपने कुछ जान पहचान के दोस्तों से उन्हें मिलवाया जो उनकी जॉब ढूंढने में मदद कर  सकते थे। 
वैसे मनोज अंकल हेंडसम थे और बॉडी भी मस्त थी उनकी शायद जिम वगैरा करते होंगे। 

वो जब मुझसे पहली बार मिले तो उन्होंने मुझे गले लगाया वो भी  इतना कसके की मेरी चूचिया पूरी तरह से उनकी छाती से चिपक कर दब रही थी और उनका खड़ा लण्ड मेरे पेट में भाले की तरह चुभ रहा था।   जब उन्होंने मुझे छोड़ा तो सिर्फ इतना ही बोले " सोनम तुम बड़ी हो गयी हो "

मैंने भी उन्हें स्माइल दी

मनोज अंकल के आने के बाद से जब पापा जॉब पर जाते थे, तो मैं उनसे गप्पे मार कर टाइम पास करती थी. अंकल जी बहुत फ्रैंक है, मैं भी उनसे बहुत घुलमिल गई थी. वह अक्सर पापा के जाने के बाद मेरे कमरे में आकर मेरे बेड पर मेरे साथ बैठ कर बातें करते थे. वह चोरी चुपके से मेरी गांड और चूचियों को हवस की नजरों से देखते थे.

दोस्तों मैं आपको बता दूं की मैं गर्मी के कारण घर पर सिर्फ कुर्ता और सलवार पहनती थी. और जब से मैंने मनोज अंकल की हवस भरी नजरें टिकी हैं, मैंने ब्रा और पेंटी पहनना छोड़ दिया था और अपने  कुर्ते का ऊपर का बटन खुला रखी थी. वैसे मैं भी काफी दिनों से प्यासी थी मुझे उनको तड़पाने में मजा आ रहा था. एक दिन मैंने अपना सलवार की सिलाई नीचे से उधेड़ दी. और जैसा मैंने पहले ही बताया है मैंने पेंटी पहनी नहीं थी और मैंने सिलाई इतनी खोल दी थी मेरी गांड और बुर साफ दिखाई दे मेरे ख्याल से मैंने 5 इंच तक सिलाई खोल दी थी. पापा के जाने के बाद रोज की तरह अंकल मेरे कमरे में आए मैं बैठकर मैगजीन पढ़ रही थी. 

उन्होंने मुझे कहा कि उनका पिज्जा खाने का मन कर रहा है. मैं "अगर मन कर रहा है तो मंगवा लीजिए" 

मैंने फोन लगाकर पिज़्ज़ा ऑर्डर कर दिया. मैंने सोचा की अब अंकल को मेरा सरप्राइज दिखाऊ . मैं बेड पर पेट के बल लेट गई और लेटते समय मैंने अपना कुर्ती आगे वाले साइड से उठा कर पेट तक कर लिया था.अब कुर्ते का पिछले भाग मेरे गांड की गोलाई के शुरू तक ही था. मेरा सर दीवाल की तरफ और पैर दरवाजे की तरफ था।  मैंने अपने पैरो को थोड़ा फैलाकर रखा था जिससे फटी हुयी सलवार से मेरा अंदर का भाग साफ़ नजर आ रहा था।
मैं एक मैगजीन पढ़ने लगी और ऐसा बिहेव कर रही थी कि मुझे कुछ पता ही नहीं है.
मुझे कुछ कदमों की आहट सुनाई दी और वह कदम रुक गया. मैं समझ गई अंकल आ गए हैं फोन मेरा सरप्राइस देख लिया है. मैं तिरछी नजर से देखना चाहा अंकल कहां है और वह क्या देख रहे हैं पर वह दिखाई ही नहीं दिया वह कमरे से बाहर जा चुके थे. 
मैं मन ही मन उदास हो गई फिर तभी मुझे कदमों की आहट फिर से सुनाई दी मैं समझी अंकल वापस आ गए हैं. मैं थोड़ी खुश हूं. 

फिर अंकल बिस्तर पर चढ़ गए और वह मेरे दो पैरों के बीच में आकर बैठे. मैं तो पहले से ही पैर फैला कर बैठी थी जिससे उन्हें आसानी हुई मेरे पैरों के बीच में बैठने की. मुझे लगा अंकल करीब से दीदार करना चाहते हैं. पर इस बार सरप्राइस होने की बारी मेरी थी अचानक ही मुझसे एक गरम लोहा जैसा कड़क लण्ड मेरी गांड की दरार में महसूस हुआ. उनका लैंड बहुत ही गीला था उससे तेल टपक रहा था लगता था अंकल ने उसे तेल में डूबा कर लाया हो, अगले ही पल में समझ गई कि उन्होंने उसे तेल क्यों लगाया था. क्योंकि अगले ही पल अंकल का मोटा लण्ड का सुपाड़ा मेरी गांड की छेद के अंदर घुस चुका था. तेल लगने से अंकल को आसानी हुई. मैं तो सोची थी कि हम कल सिर्फ देख कर मजे करेंगे और अंकल तो मेरी गांड मारने पर तुल गए थे. 
मैंने भी थोड़ी एक्टिंग की और घबराते हुए बोली " अंकल.... क्या कर रहे हो छोड़ दो मुझे" पर मैं मन में कह रही थी अच्छे से चोदो अंकल छोड़ना मत. 
अंकल " सोनम तू माल है यार.. आई लव यू" 
मैं " अंकल मैं आपसे छोटे हूं आप मेरे साथ गलत मत करिए प्लीज मुझे छोड़ दीजिए" 
अंकल मैं थोड़ा जोर लगा कर आधा लण्ड मेरे गांड में घुसा दिया. 
तेल के कारण लण्ड आसानी से घुसा तो सही, पर उसकी मोटाई से मेरी गांड में थोड़ा दर्द हुआ और मेरे मुंह से आह निकल गई. 
मैं" आअह्ह्ह्ह...... प्लीज अंकल मुझे छोड़ दो ना" 
कि अचानक तभी डोर बेल बजी अंकल भी डर गया और वह मुझे छोड़ कर हट गए. मुझे बहुत बुरा लगा कौन कमबख्त कितना है, इतना मस्त माहौल बन गया था साले ने पूरा बिगड़ दिया. 
वैसे ही मन में गाली देते हुए दरवाजे की तरफ गई, एक बार मैंने अपने काम पे हाथ लगाया तो पता चला मेरी गांड पर बहुत सारा तेल लगा हुआ है. पता नहीं अंकल कितना तेल लगाए थे. 
जब मैंने दरवाजा खोला तो देखा पिज़्ज़ा डिलीवरी ब्वॉय आया है. मैं पिज़्ज़ा ली और दरवाजा लॉक की. पिज़्ज़ा लेकर मैं किचन में आई और डाइनिंग टेबल पर मैं पिज़्ज़ा रखा. मैं सोची अंकल को कैसे बुलाऊं. पर मुझे नव्याने जरूरत ही नहीं पड़ेगी जैसी मैंने पिज़्ज़ा टेबल पर रखा. अंकल न जाने कहां से प्रकट हुए और उन्होंने मुझे पीछे से पकड़ा और मुझे टेबल के सहारे झुका दिया. मैं तो जानती थी अंकल का अगला स्टेप क्या होगा, इसलिए झुकते समय मैंने अपने दोनों टांगो को जितना हो सके उतना फैला दिया. जिस का भरपूर फायदा अंकल ने लिया और पहले ही शॉट में अपना आधा लण्ड मेरी गांड में घुसा दिया. 
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मैं" आअह्ह्ह्ह......प्लीज अंकल मुझे छोड़ दो ना" 
हम कल मेरे दोनों कंधों को पकड़ते हुए बोले" तू मुझे इतने दिन से अपने बूब्स और कांड दिखा कर पागल करती है आज तो मैं अपनी पूरी प्यास मिटा कर ही छोडूंगा तुझे" 

अंकल फिर शॉट पर शॉट लगाने लगे .

मैं" .....आअह्ह्ह्ह.....अंकल..... मैं आपके भाई की बेटी.........आअह्ह्ह्ह......कुछ तो रहम करिए "

अंकल " अगर तू आज मेरी बेटी भी होती तो भी तुझे नहीं छोड़ता " 
 अंकल के ताक़तवर धक्को और तेल की वजह से ३ झटको में ही पूरा लण्ड मेरी गांड में समां गया . अब अंकल पुरे जोश में मेरी गाँड मार रहे  थे

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अंकल के हर एक झटको से मुझे बहुत सुकून मिल रहा था. मेरी का दिनों की प्यास को अंकल पूरी ताक़त और जोश से मिटा रहे थे . मै तो मन में कह रही था थी की बस अंकल ऐसे ही मारो मेरी गांड .

अंकल मेरी  कसी हुई टाइट गांड को बेलगाम घोड़े की तरह ऐसे चोद रहे थे कि मानो मेरे गांड की चुदाई  नहीं किसी बोरवेल की खुदाई कर रहे हैं. उनका लण्ड एक ही सेकंड  में पूरा अंदर बाहर हो रहा था. मै  तो पागल हुई जा रही थी, इतनी बेहतरीन तरीके से आजतक मेरी गांड  किसी ने नहीं मारी थी.  

मै  तो कामुकता के सागर में गोते लगा रही थी उपर से बनावटी दिखावा कर रही थी. 
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यह बात अंकल भी जान रहे थे, इसलिए वह पूरी 
शिद्दत के साथ मेरी गांड मार रहे थे,आधे घंटे के बाद अंकल बोले " सोनम...मजा आ रहा है ना"  यह मेरी जिंदगी सबसे रोमांचित, कामुक और बेहतरीन चुदाई थी. 
मैं कुछ नहीं बोली. अचानक से अंकल की स्पीड बढ़ गई. उनके धक्कों से मेरी गांड और मेरा पूरा शरीर पूरा हिलने लगा था. मैं समझ गई थी कि अंकल अब झड़ने वाले हैं. तभी अंकल के  लण्ड से वीर्य की गरमा-गरम धार छूटने लगी, जो मेरे गांड को भरने लगी. मै तो पूरी तरह से संतुष्ट हो गई थी और अंकल भी मेरी जवानी लूट कर संतुष्ट हो गयेथे. 
अंकल तब तक धक्के लगाते रहे, जब तक उनके लण्ड  से वीर्य की आखरी बूंद निकल ना गई.
जब अंकल का लण्ड  पूरी तरह से शांत हो गया तब उन्होंने उसे मेरी गांड में से निकाला.
मैं अभी भी टेबल पर झुकी हुई थी, और मेरी गांड से गाढ़ा वीर्य बह रहा था. अंकल मेरी पीठ को सहला ते हुए बोले " सोनम मजा आया ना गांड मरवाने में"
पर मै अंकल से झूठ बोली " अंकल , आपने मेरे साथ सही नहीं किया "

मेरा यह जवाब सुनकर अंकल बोले" भगवान .....मैंने क्या कर दिया..... सोना मुझे माफ कर दो..... मैं आज यहां से चला  जाऊंगा  " 

उनकी यह बात सुनकर मुझे लगा कि मेरी एक्टिंग कुछ ज्यादा हो रही है. मैं डर गई कि अंकल कहीं चले ना जाए. 
 मैं टेबल से उठी और प्यारे नंगे अंकल से लिपट गई और बोली "  आप चले जाओगे तो मेरा बलात्कार कौन करेगा" 
 हंसते हुए अंकल बोले " रंडी पना  में बिल्कुल अपनी मां पर गई हो तुम"

उनकी यह बात सुनकर मैं सवाली नजरों से उन्हें देखती रही


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