Incest माँ बेटे का प्यार और....

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मै दिल्ली मे एक अच्छे कम्पनी मे जॉब कर रहा था. लेकिन काम बहुत ज्यादा होनेसे मुझे छुट्टी नही मिली थी. मै घर आ न सका. अच्छे पैसे कमानेके बाद कुछ बनने के बादही घर जाऊन्गा, यह मैने ठान लिया था.

मेरे पिताजी मनोहर लाल को कॅन्सर था जो आखिर मे उनकी मौत का कारन बना. उनकी उमर कोई ५० साल की थी. घर मे उनके अलावा मेरी प्यारी मम्मी रेखा है. मम्मी की उमर ४२ की है. मै खुद रमण हू, उमर २३ साल, कद ६ फीट, रन्ग गोरा, बाल घुन्गराले, छाती चौडी.
मेरी मम्मी रेखा साढेपाच फीट की एक सावले रन्ग की औरत थी. वह बिलकुल स्लिम, उसकी चुची थोडी मोटी है लेकिन मेरे लिए तो बिलकुल परफेक्ट साईझ की है. उसके नितम्ब बहुत सेक्सी है. अपनी मम्मी के बारे ये सब मैने नोट किया था क्योन्कि मम्मी मुझे बहुत पसन्द थी. घर से दूर था तब भी मेरे जेब मे मम्मी की फोटो हुआ करती थी जिसे मै बीच बीच मे देखा करता था. उसके गुलाबी रसीले होठ और गोल सुन्दर चेहरा मेरे मन मे बसा हुआ था.

मै शुरु से ही मम्मी की तरफ आकर्षित हुआ था और शायद मम्मी भी मेरी तरफ. कॉलेज मे मै जब भी अच्छे नम्बर लाता या फिर कोई मेडल जीतता तो वह मुझे हमेशा मुझे प्यारसे अपने गले से लगाकर चूमती. उस वक्तसे उसकी भरी हुई चुचिया मेरे सीनेसे दब जाती जिसकी याद मै कभी नही भूल सकता. हम दोनो माँ बेटा एक दूसरे से काफी फ्री रहते थे. कई बार तो अकेले मे मै उसे रेखा कह कर पुकार लेता था. पिताजी की बीमारी की वजहसे मै उसके साथ ज्यादा समय बिताता था. हम दोनो दोस्त अधिक और माँ बेटा कम लगते है.

मम्मी कभी कभी कॉलेज की लडकियो की तरह एकदम मॉडर्न ड्रेस पहन लेती है और हम दोनो फिल्म देखने, होटल मे खाना खाने, पार्क मे घूमने चले जाते है. कई बार मम्मी मेरी गर्लफ्रेन्ड की तरह मेरे साथ नाटक करती है जिस से लोगो को बहुत जलन होती है.

जब मेरा दिल्ली जाने का आखरी दिन था तो मम्मी और मै एक अच्छे होटल मे खाना खाने गए. वहा पर एक कपल पहले से बैठा था. हम दोनो उनसे बात करने लगे और बातो बातो मे उनसे थोडी बहुत दोस्ती हो गई. वह लोग हमे अच्छे लगे तो हम उनके साथ बैठ गए. उनका नाम विनय और विमला था. विनय कोई २५ साल का और विमला कोई २३ साल की थी. मै और विनय बीअर पी रहे थे तो मम्मी बोली,
"अरे रमण तुम बीअर पी रहे हो और हम औरतो को ज्यूस पिला रहे हो"

तो विनय बोला," भाभी, आप बीअर पियोगी क्या? विमला ने तो कभी पी नही"

विनय की बात सुन कर मम्मी का चेहरा लाल हो गया लेकिन वो कुछ नही बोली. फिर उसने कहा," विनय भाई साहब, कभी तो पहली बारी आएगी ना! क्यू न आज ही शुरु कर दी जाये"

विनय मेरे कान मे बोल" भाई तेरी बीवी तो बहुत अच्छी है, खुद बीअर पीने को कह रही है. चलो इसी बहाने विमला भी शायद खुल जाये मेरे साथ"

उसकी बात सुन के मेरे कान भी लाल हो गये. विनय मम्मी और मुझे पत्नि और पति समझ रहा था! खैर हम ने मम्मी और विमला के लिए भी बीअर मन्गवाई. धीरे धीरे वो अपना ग्लास पी गई. जैसे जैसे वो बीअर पी रही थी, उनकी चेहरे की चमक बढ रही थी.

हम जब घर वापिस आये तो मम्मी के कदम बहक रहे थे. मैने मम्मी की कमर पर हाथ डाला और सम्भल कर उसको उसके रूम मे लिटा दिया. जब मै जाने लगा तो मम्मी ने मेरे गले मे बाँहे डालते हुए कहा,
" रमण आज यही सो जाओ. तेरे पापा तो नीन्द की गोली ले कर उठने से रहे. ये तो बस मुर्दा पडे रहते है. मेरे लिये तो हो य ना हो, कोई फरक नही पडता"
ऐसा कहकर मम्मी ने मेरे मेरे होठो का किस ले लिया. मै देखता ही रह गया. मुझे एक झटका सा लगा और मेरा लन्ड खडा हो गया. अपनी माँ के होठोका चुम्बन पाकर मेरा लन्ड खडा होना मेरे लिये शरम की बात थी. मै जल्दी से बाहर निकल गया और साथ वाले रूम मे चल गया जो कि मेरा रूम था.
हम दोनो के कमरे के बीच एक बाथरूम था जिस का दरवाजा दोनो रूम मे खुलता था. मैने अपने कपडे उतारे और पजामा पहन कर सोने की कोशिश करने लगा. थोडी देर मे बाथरूम की बत्ती जली. मेरी आँख खुली, मैने सोचा शायद मम्मी बाथरूम इस्तेमाल कर रही होगी. तभी मेरे मन मे मम्मी को नन्गा देखने की इच्छा जाग उठी. मै चुप चाप बाथरूम की तरफ बढा और दरवाजे मे एक छेद के पास जाकर देखने लगा. अन्दर का नजारा देख कर मेरे होश उड गये.
मम्मी एक सफेद सिल्क की पँटी और ब्रा मे खडी थी और आयने मे देख रही थी. उसकी पीठ मेरी तरफ थी. भगवान की कसम, ऐसी सेक्सी औरत मैने कभी न देखी थी. उसके साँवले चुतड सफेद सिल्क की पँटी मे गजब ढा रहे थे. मम्मी का कसा हुआ बदन देख कर मै पागल हो उठा. मम्मी दीवार की तरफ सट कर खडी हुई. अपना एक हाथ आगे से अपनी पँटी मे घुसा कर वो अपनी चूत रगडने लगी और दूसरे हाथ से अपनी मस्त चुची ब्राके उपरसेही मसलने लगी,

" ओहहहहहह मनोहर .....यह ऐसा क्यू.....देखो तुम्हारी रेखा कैसी प्यासी है........इस जलती चूत को कैसे ठन्डी करूँ.....तुम्हे क्या पता चूत की जलन......क्या करू मै बताओ...आह.....आह.....आह......"

मेरी आँखो के सामने मेरी मम्मी का हाथ तेजी से उसकी चूत रगड रहा था. वो उन्गली से अपनी प्यासी चूत को चोद रही थी. उसकी पँटी नीचे सरक गई और उसके मस्त चुतड मुझे साफ दिखाई देने लगे.

"आह्ह्ह्ह्ह....उउउउउउईई....ऊऊओह्ह्ह्ह..मर गयीई...उफ्फ्फ्फ्फ...हा...हा....मेरी माँआआ..आआ!!"

मम्मी की सेक्सी सिसकियाँ मेरे कानो मे पड रही थी. उसकी ब्रा भी अब जिस्म से अलग हो कर जमीन पर गिरी थी. उसे इस अवस्था मे देखकर मेरा हाथ अब मेरे लन्ड पर कस गया और मै मूठ मारने लगा.

फिर कुछ देर बाद मम्मी अपनी पँटी और ब्रा वही छोड कर अपने कमरे मे सोने चली गई. मै धीरे से बाथरूम मे दाखिल हुआ और मम्मी की पँटी उठायी और उसको सुन्घने लगा. मम्मी की मस्तानी चूत की गन्ध मेरी नाक मे घुस गई और मुझपर नशा सा चढ गया. मैने पँटी के उस हिस्से को देखा जो हिस्सा चूत से लगता था. मैने उस हिस्सेपर हलकेसे जीभ फिराई. कसमसे मुझे ऐसा लगा जैसे मै मम्मी की चूत पर जीभ फेर रहा हूँ. मम्मी की चूत की खुशबु और स्वाद मे खोया हुआ मै मूठ मारने लगा और कुछ ही पलोमे मुझे लगा कि मेरा पानी गिरनेवाला है. मैने मम्मी की पँटी लन्ड पर रख दी और सारा रस उसी मे छोड दिया. मुझे लगा कि मेरे लन्ड रस की नदी कभी नही रुकेगी.

खैर मै झड के सो गया.

दूसरे दिन मै अपनी ड्युटी पर चला गया. लेकिन मै जान गया था कि मम्मी सेक्स के मामले मे बहुत प्यासी है.
 
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कुछ दिनो बाद खबर मिली कि पिताजी का देहान्त हो गया. छुट्टी लेकर मै दो दिन के लिए आया और उनका अन्तिमसन्स्कार करके चला गया. लेकिन मै मम्मीसे अक्सर फोनपर बाते करता था. मैने उसका दुख दूर करने की कोशिश की लेकिन मुझे मम्मी की याद दिनभर सताती थी. कई बार मै उसका नाम लेकर मूठ मार लिया करता था.

फिर मुझे छुट्टी मिल गई, वो भी ३ साल बाद. स्टेशनसे टॅक्सी ले कर मै घर पहुँचा. जैसे जैसे मै घर के नजदीक पहुँच रहा था, कई खयाल मेरे दिमाग मे आ रहे थे. मम्मी कैसी होगी? कैसी दिख रही होगी? क्या अब भी मुझे वैसे ही प्यार से मिलेगी? पिताजी के बाद मम्मी किसी को चाहने तो नही लगी होगी? कोई उसको चोद रहा होगा? क्या वो अभी भी उतनी ही सेक्सी और सुन्दर होगी? ऐसे कई विचार मेरे दिमाग मे आने लगे.
घर आनेपर मैने डोअरबेल बजाई तो मम्मी ने दरवाजा खोला. मेरा मन धक धक कर रहा था. मम्मी सफेद साडी मे थी, बाल बिखरे हुए, आँखे रो रो कर सुजी हुई. मुझे देखा तो फिर रो पडी,
"बेटा, रमण, तुम आ गए? तेरी माँ तेरे बिना बिलकुल अकेली रह गई इस दुनिया मे बेटा. मेरी तो आँखे तरस गई तुझे देखने के लिये" ऐसे कहते हुए वो मुझसे लिपट गई. मम्मी को रोता देख कर मै बहुत दुखी हुआ. उसको बाँहो मे भर के मै बोला,
"मम्मी अब मै आ गया हूँ, तू अकेली नही है.अब रोने की कोई जरुरत नही है, तेरा बेटा सब ठीक कर देगा, तुझे दुनिया की हर खुशी दून्गा जो किसी औरत को मिल सकती है. अब तुझे कोई दुख नही होने दून्गा"
मै मम्मी से लिपट गया और उसकी आँखो से बहते आँसू मैने चूम कर पी लिए. उसके बालोमे हाथ फेरते हुए मैने कहा,
" मम्मी, अब मै तुझे बिलकुल सुखी रखून्गा, बस तू रो मत"
मम्मी बोली,
" बेटा अब मुझे छोड कर मत जाना, वर्ना मै मर जाउन्गी" मम्मीने मुझे अपनी बाँहोमे कस कर जकड लिया.

कुछ देर बाद मैने मम्मी को शान्त कर के बिठा दिया और बोला
" मम्मी, अब सुनो, ये सफेद साडी किस लिये पहनी है? उतार दो इसे, देखो मै कितनी सुन्दर ड्रेस ले कर आया हूँ तेरे लिये. मै अपनी मम्मी को उसी तरह सुन्दर देखना चाहता हू जैसे वो पहली थी. मै तुझे वैसे देखना चाहता हूँ जैसे उस दिन वो जोडे ने- विनय और विमला ने देख कर तुझे मेरी पत्नी समझ लिया था. वो ही जवान, सुन्दर, चुलबुली और सेक्सी मम्मी. तुमने आज तक पिताजी के लिए कई दुख झेले है, अब मै तुझे जीवन का आनन्द उठा कर जीवन जीते देखना चाहता हूँ. चलो, आज हम बाहर खाना खायेन्गे, सैर करेन्गे और कल मै तुझे देहरादून ले जाउन्गा जहाँ तुम मेरे साथ रहोगी, सदा के लिये. चलो अब नहा-धो कर तैयार हो जाओ"

मम्मी की आँखो मे फिर आँसू आ गये.
" बेटा ये नही हो सकता. एक विधवा की जिन्दगी मे रन्ग नही होते. ये दुनिया और समाज इस की इजाजत नही देता"

मैने कहा,
"समाज! छोडो समाज को. समाज सिर्फ लोगो को दुख देता है, जीवन नही. मै तुझे जीना सिखाउन्गा. ऐसे समाज को मै ठोकर मारता हूँ जो अपनी मम्मी को सुख देने से रोकता हो."

मैने मम्मी को बाँहो मे भर के बाथरूम मे ले गया और बोला,
" आज तुम क्या पहनोगी, मै तुझे दून्गा, फिर देखना जिन्दगी कितनी खूबसुरत दिखेगी."

मम्मी बोली,
" ठीक है बेटा, मै नहाकर आती हूँ, फिर तुम जैसा कहो".
मम्मी चली गई तो मैने मम्मी के लिये एक ट्राउझर, एक अच्छीसी टीशर्ट, काले कलर के लेस वाली पारदर्शक पँटी और ब्रा निकाली जो मै मम्मी कि लिये खरीद कर लाया था. उसके बाद मैने एक विदेशी परफ्युम की शीशी और स्प्रे, हेअर स्प्रे और पावडर बाथरूम के बाहर रख दिया. फिर मै बाहर सोफे पर बैठ गया और एक बीअर की बोतल निकाल कर पीने लगा. बाथरूम का दरवाजा खुला और फिर बन्द हो गया. शायद मम्मी नहा चुकी थी. मेरी नजरोके सामने आज से तीन साल पहले के नजारा आ गया. मम्मी का नन्गा जिस्म मेरी आँखो के सामने नजर आने लगा. मेरा लन्ड फिर से सिर उठाने लगा तो मैने उसको चपाट मार बिठा दिया
"साले मादरचोद, अभी से फुदकने की जरुरत नही है. रात का इन्तजार करो और फिर देखना क्या है तेरी किस्मत मे"
मै खुद से बोल कर मुस्कुरा पडा.
तभी मम्मीकी अन्दरसे आवाज आ गई.

"मै आ गई बेटा. लेकिन ये ड्रेस तो लडकियो वाली है. मुझे अजीब लग रही है. और ये.....ये...अन्दर के कपडे,,,,,ये तो बहुत महन्गे है, ये तुझे अपनी पत्नि के लिये खरीदने चाहिये बेटा. मुझ पर पैसे क्यो बरबाद कर रहे हो?"
मैने जब नजर उठाई तो मेरे होश उड गये. मम्मी गजब की सेक्सी दिख रही थी. तीन साल मे उसके स्तन कुछ अधिक उभर चुके थे और उसकी जान्घे और माँसल हो चुकी थी. मम्मी का हुस्न कयामत ढा रहा था. मैने ग्लास टेबलपर पर रख दी और मम्मी की तरफ बढा. मै अपने आप को रोक न सका और अपनी मम्मी को आलिन्गन मे ले कर प्यार करने लगा,
" तू अभी लडकी ही हो मम्मी. ये सब चीजे मैने अपनी पत्नि के लिये ही खरीदी है. तुझे ये अन्डरगारमेन्ट्स पसन्द आये? मै तेरा चेहरा ऐसा ही खिलता हुआ देखना चाहता था."
मम्मी के माथे पर बल पडे और वो बोली,
" अपनी पत्नी के लिये? क्या मतलब है तेरा? मै तेरी माँ हू रमण! माँ और पत्नी मे फरक जानते हो तुम?"
मम्मी मुझे से अलग होने की कोशिश करते हुए बोली. मुझे लगा कि मै कुछ ज्यादा ही तेजी से जा रहा हू तो मैने बात को मजाक बनाते हुए कहा
" मेरी मम्मी नाराज हो गई? मै तो मजाक कर रहा था. मेरा मतलब है कि पत्नि के लिये और खरीद लून्गा. ये सब तो मेरी प्यारी मम्मी के लिये है जो आज एक पत्नि की तरह सुन्दर लग रही है, अब गुस्सा छोडो, चलो बाहर चलते है"
मैने बाईक निकाली और मम्मी को बिठा कर शहर से दूर एक होटल मे ले गया. बाईक पर बैठते वक्त मैने मम्मीसे कहा,
" मम्मी मुझसे चिपक कर ऐसी बैठो कि सभी समझे कि तुम मेरी गर्लफ्रेन्ड हो. मै सब को तुम जैसी सेक्सी गर्लफ्रेन्ड दिखा कर जलाना चाहता हूँ"
मम्मी मुस्कुराई और मुझसे सट कर बैठ गई और मेरे कान के पास अपने रसीले होठ लाकर बोली,
" दिल्ली मे रहकर बहुत नटखट बन गया है, जो मम्मी को गर्लफ्रेन्ड बना रहा है. चल अभी, घर लौटने पर खबर लून्गी तेरी, गर्लफ्रेन्ड के बच्चे. मै तेरे पिता की गर्लफ्रेन्ड थी बेटा!"
खैर हम ऐसीही बाते करते होटल पहुँचे. रास्तेभर मम्मी मुझसे चिपक कर बैठी थी जिससे उसकी ठोस चुचिया मेरी पीठ मे दब रही थी और मेरे लन्ड का तनाव बढा रही थी. जब हम होटल मे दाखिल हुए तो सभी हमारी तरफ देखने लगे. मैने जान बूझ कर एक हाथ मम्मी की कमर पर डाल दिया और वो भी नाटक करती हुए मुझे लिपटकर चल रही थी. हम एक टेबलपर बैठ गए, वेटर ड्रिन्क्स का कार्ड लेकर आया. मैने दो व्हिस्की के २ पेग मन्गवाए. मम्मी दबी आवाज मे बोली,
"रमण बेटा, बीअर तक तो ठीक था......ये...नही ये नही....."
मैने धीरे से कहा,
"मम्मी क्या बात है? बेटा नही...तुम यहाँ मेरी गर्लफ्रेन्ड हो, डार्लिन्ग, घर जा के जो सजा देनी हो दे देना...यहाँपर मेरी गर्लफ्रेन्ड व्हिस्की ही पियेगी. और बहुत अच्छी विलायती शराब है ये, इससे नशा बिलकुल नही होता" मैने झूठ बोल दिया. मम्मी के साथ हमबिस्तर होने का जो सपना मैने देख रखा था उसकी कमयाबी के लिये उसको शराब पिलाना बहुत जरुरी था.

तभी म्युझिक बजने लगा और कुछ मर्द और औरते डान्स फ्लोर पर डान्स करने लगी. मैने मम्मी की तरफ इशारा किया तो वो उठ खडी हुई और हम डान्स करने लगे. मै उसको अपने जिस्म से चिपकाते हुए डान्स कर रहा था. मेरा लन्ड फिर उसके पेट से लग कर चुभने लगा. कुछ देर बाद मै रुक गया और एक नई ड्रीन्क ले आया. मैने देखा कि मम्मी की आँखो मे खुमार चढने लगा था. वो शरारती हँसी हँसने लगी थी. एक लडका हमारे पास आकर बोला,
" मे आय डान्स विथ यू माय ब्युटिफुल लेडी?"
मम्मी ने मेरी तरफ देखा तो मैने हाँ मे सिर हिला दिया. मम्मी नजाकत से गान्ड थिरकाती उठी और उस लडके का हाथ थाम कर डान्स फ्लोर पर चली गई. मै उसके मस्त चुतड देखता रह गया. वो लडका उसके साथ बिलकुल चिपक कर डान्स करने लगा. उसने एक हाथ मम्मीके कन्धोपर और दूसरा उसके चुतड पर रखा था. उसने मम्मी को इतने करीब खीन्चा था कि उसके बडे बूब्स उसके सीनेसे टकरा रहे थे. मेरे दिल मे इर्षा का तुफान उमड पडा. वो लडका मेरी मम्मी की कमर पर हाथ डाल कर अपनी तरफ खीन्च कर डान्स कर रहा था और उसके कान मे कुछ बडबडा रहा था. उसके शब्द सुन कर मम्मी का चेहरा शरम से लाल हो गया. मुझसे अब बर्दाश्त होना सम्भव नही था. मै अपनी सीट से उठा और उस लडके के पास जा कर मम्मी से बोला,
"डार्लिन्ग, अब घर चलने का टाईम हो गया है. चले?"
मेरी बात सुन कर मम्मी ने अपने आप को उस लडकेकी बाँहोसे छुडाया. लडके का मुँह लटक गया. मम्मी मेरी पीठपर अपनी बाँहे डालती हुई बोली,
" घर तो जाएन्गे, मुझे खाना तो खिला दो, बहुत भूख लगी है."

हम दोनो अपने टेबल पर आ गये और खाना मन्गवाया. हमने आखरी ड्रिन्क पी लिया. मेरे प्लान के मुताबिक मम्मी को एक और पेग पिलाना था. खाना खतम कर के हम घर की तरफ चल दिए.

रास्ते मे मम्मी मुझ से बहुत चिपक कर बैठी हुई थी और उसके बडे बूब्स मेरी पीठ मे चुभ रहे थे. उसकी गरम साँस मेरी गर्दन से टकरा रही थी. घर पहुँच कर मैने मम्मी को अपनी बाहोँ मे भर कर पापा वाले रूम मे ले गया. मम्मी भी मुझसे लिपटकर चल रही थी. मैने अपने बॅग से एक काले कलर की बहुत झीनी नायटी निकाल कर मम्मी को थमा दी और कहा,
" लो मम्मी, इसको पहन लो. ये मै तुम्हारे लिये लाया हूँ. बहुत सुन्दर लगोगी इसमे तुम. मै फ्रेश होकर आता हूँ"
मम्मी भी बाथरूम मे चेन्ज करने चली गई और मै दूसरे बाथरूम मे जा कर ब्रश करने लगा. मै बाहर निकला तो देखा कि मम्मी मेरी खरीदी हुई नाईटी पहने हुई थी. सचमुच वो किसी कामदेवी से कम नही लग रही थी. वो पलन्ग पर सिर झुकाए बैठी थी. मैने अलमारीमे रखी व्हिस्की की बोतल निकाल कर दो ग्लास भर दिए. मम्मी पीना नही चाहती थी लेकिन मैने जिद की.
"मम्मी, बस लास्ट पेग, मेरी खातिर, मेरे प्यार की खातिर एक ड्रिन्क"
वो मुस्कुरा पडी,
"रमण तेरे प्यार की खातिर तो जी रही हूँ बेटा."
मै मम्मी की बगल मे बैठ गया और ग्लास उसके होठो से लगा कर उसे शराब पिलाने लगा. मम्मी की आँखो मे नशा आने लगा. मै जान बूझ कर उसके गालो को स्पर्श करने लगा. मम्मी बहुत कामुक लग रही थी. मैने एक हाथ उसके कन्धोपर रखकर उसके गाल को हलकेसे चूम लिया और भावुक हो कर बोला,

"मम्मी मैने आज तक आप जैसी सुन्दर और सेक्सी औरत नही देखी, सच मम्मी!"
वो भी शरारती ढन्ग से मुस्कुराती हुई बोली,
"अपनी मम्मी को सेक्सी बोलते हुए शरम नही आती, रमण? मम्मी बस मम्मी होती है. सेक्सी मै तेरे बाप के लिये थी."
मै भी उसी अन्दाज मे बोला,
"मम्मी तुम मेरी मम्मी होने से पहले एक औरत हो. मै तुम्हारा बेटा होने से पहले एक मर्द हूँ. सच कहूँ, मुझे बहुत जलन हुई जब वो लडका तेरे कान मे कुछ कह रहा था. क्या कह रहा था वो कमीना तुझे?"
मैने कभी मम्मी के सामने गाली नही दी थी लेकिन अब मै नशे मे था.
"तुझे ऐसी बाते अपनी पत्नि से करनी चाहिये, मम्मी से नही. अच्छा अब सो जाते है."
न जाने क्यो मेरे मुँह से निकल गया
"मम्मी याद है जब मै जॉब के लिये जाने वाला था उस रात तुमने मुझे इसी बिस्तर पर सो जाने का न्योता दिया था, जब पापा यही सो रहे थे. आज तो पापा भी नही है. क्या वो न्योता आज भी कायम है?"

मुझे लगा कि मम्मी अपना फैसला नही कर पा रही थी. लेकिन शराब का एक घून्ट भर के बोली,
" बेटा तो कभी भी मम्मी के साथ सो सकता है रमण, इस मे न्योता होने ना होने की क्या बात है. आ जा बेटा हम दोनो एक ही बिस्तर मे सोते है. आज बहुत सालो के बाद मेरे साथ बिस्तर मे कोई सोयेगा और वो भी मेरा अपना सगा बेटा. जाओ रमण तुम भी चेन्ज कर लो और आ जाओ. मै तेरा इन्तजार कर रही हूँ."
 
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मै अपने रूम मे गया और एक बरम्युडा पहन कर मम्मी के रूम मे दाखिल हुआ. मम्मी अपने बिस्तर मे बैठ कर मेरा इन्तजार कर रही थी. झिरो नम्बर का लाईट वाला बल्ब जल रहा था. मम्मी के बाल अब खुले हुए थे, जो उसके कन्धो तक पहुँच रहे थे. उसके सीने के उभार उसकी साँसोके साथ उपर नीचे हो रहे थे. मुझे यह देखकर बडी उत्तेजना हुए और मै उसके पास जाकर उसे बाहोमे लेने लगा तो वो बोली,
"बेटा बस अब सो जाते है"
मै उसके सीने पर हाथ रख कर बोला
"मम्मी गुडनाईट किस नही दोगी?"
वो कुछ नही बोली. मैने उसके होठो पर अपने होठ रख दिए. मम्मी के होठ तप रहे थे. मैने मम्मी के होठो के बीच अपनी जुबान ढकेल दी और उसके होठ चूसने लगा. हम दोनो के जिस्म वासना से जल रहे थे. मेरी प्यारी मम्मी अब न चाहते हुए भी नशे मे मुझ से लिपटने लगी. मेरी जुबान उसके मुख के अन्दर जा कर नाच करने लगी. मम्मी ने मेरी जीभ को चुसना शुरु कर दिया. कामकता का तुफान कमरे मे जोर पकडने लगा था.
मेरे हाथ अब मम्मी की चुची पर थे और मै मम्मी की मस्त चुची दबा रहा था.
"मम्मी, आज तुम्हे तडपने की जरुरत नही है. आज पापा नही है लेकिन रमण तुझे उन्गली से शान्त होने की नौबत नही आने देगा. उस दिन जो तुझे आयने के सामने अपनी जवानी की आग को अपने हाथ से शान्त करते देखा था, वो तसवीर अभी तक मेरे दिमाग से नही गई. उस दिन ही फैसला कर लिया था कि एक दिन तुझे अपनी पत्नी बनाउन्गा. जो काम पापा न कर सके मै कर के दिखा दून्गा. उस दिन पापा के होने कि वजह से मै रुक गया था. आज मुझे कोई नही रोक सकेगा. मेरी पत्नी बनोगी मम्मी?तुझे पत्नी के रूप मे देखा है मैने जब से होश सम्भाला है. तेरा घुन्घट उठाने का सपना देखा है मैने. तेरी मान्ग मे सिन्दुर भरने की चाहत की है मैने. मेरे हाथ मे तेरा मचलता हुआ जिस्म मुझे पागल बना रहा है, मम्मी. रमण मम्मी का और मम्मी रमण की है हमेशा!! मम्मी से पत्नी बना रहा हू तुझे, मम्मी कोई ऐतराज तो नही?"

मै न जाने क्या क्या बोल रहा था. मेरी वासना, प्यार और शराब का नशा मुझे अपने दिल की हकीकत की गहराई बताने पर मजबूर कर रहा था.
मम्मी ने अपना हाथ मेरे लन्ड पर रख कर जोर से लन्ड को भीन्च लिया और मदहोशी मे बोली,
" रमण, मेरे बेटे तुझे अपनी कोख से जनम दिया है मैने, पर तुम उसी कोख को भरने का सपना देख रहा है. मेरी कोख से पैदा हो कर मेरा पति बनने का सपना देख रहे हो तुम. अगर ऐसा ही था तो उस दिन बाथरूम मे मुझे तडपता क्यो छोड गया था. और उसके बाद अपनी मम्मी की पँटी मे ही मूठ क्यो मार रहे थे तुम?
उसकी चूत मे क्यो नही डाला था अपना लन्ड बेटा? तेरा बाप तो मुर्दा पडा था बिस्तर पर. फिर तुमने अपनी मम्मी के प्यार को क्यो ठुकरा दिया बेटा? मै तो तब भी तेरी थी और आज भी तेरी हूँ. बस आज तेरे पापा हम दोनो के बीच नही है. जब अपने बाप का सब पैसा और जायदाद तेरी हो गई है तो उसकी पत्नी क्यो नही? मै भी तो मनोहर की जायदाद ही हूँ. लो अब सम्भाल लो मुझे भी. बना ले मुझे अपनी पत्नी या रखैल. मेरे प्यारे बेटे, ये तेरा लन्ड तो पापा से दोगुना है. तेरे बाप के लन्ड से तो तुझे पैदा किया था मैने. अब इस हलम्बी लन्ड से क्या पैदा करोगे अपनी माँ की कोख से? बेटा तेरे जिस्म के स्पर्श से ही मेरे अन्दर वासना की आग भडक चुकी है. मुझे अपना लो, अपना बना लो, मेरे अन्दर समा जाओ बेटा. मै तेरी हूँ!"

मम्मी यह सारी बाते करते हुए मेरे लन्ड को सहला रही थी. मेरा लन्ड अब बेकाबू हो रहा था. मै नाईटी के गले से हाथ डालकार मम्मी की चुची मसलने लगा. उसकी ब्रा मुझे परेशान कर रही थी,
" मम्मी अपनी ब्रा उतार दो, मुझे तेरे दुध को किस करना है. वाह मम्मी, ऐसी चुची मैने अब तक किसी और औरत के जिस्म पर नही देखी. अब जब हमारे बीचसे सब पर्दे हट गये है तो फिर ये कपडो की दीवार क्यो? मुझे अपना वो रूप दिखाओ मम्मी जो पापा को दिखाया था. अपने आप को निर्वस्त्र कर डालो. आज हमारी जिन्दगी के हसीन प्यार की पहली रात है"

मै ब्रा के उपर से मम्मी की चुची को जबरदस्ती से मसलने लगा. उसकी चुची बिलकुल सख्त और ठोस थी, उमर से होनेवाला ढीलापन जराभी नही था. मम्मी सिसकी भरते हुए बोली,
"स्स्स.....हाय......बेटा इसी चुची को चूस कर बडा हुए हो तुम, आज इसी को मसल रहा है. आज फिर इस चुची को चूस कर दूध नही पियोगे? तेरे हाथ लगते ही देखो कैसी सख्त हो गई है वो. तेरी मम्मी भी गरम हो रही है, आहहहहहह बेटा, तेरा स्पर्श मेरी चूत मे शोला भडका रहा है. अब जब मम्मी को पत्नी बना रहा है तो उसके कपडे भी खुद ही उतार दे न. मेरे हाथ मे तेरा लन्ड एक आग का गोला बन चुका है. इसका इरादा आज मुझे चोदने का लगता है. तेरी मम्मी को भी तेरे जैसा मर्द ही चाहिये. आज की रात बेटा नही मर्द बन कर अपनी मम्मी की दुनिया रन्गीन बना दे बेटा"

मै जान गया कि मम्मी बिलकुल कामुक हो चुकी है और अब देर करना ठीक नही है. मैने जल्दी से उसके जिस्म से नाईटी अलग कर डाली. अब वो सिर्फ ब्रा और पँटी मे मेरे सामने खडी थी. उसके गोरे कन्चन जैसे बदन पर वो सफेद ब्रा बहुत खूब लग रही थी. उसकी आधेसे ज्यादा चुची ब्रा के कप्स से बाहर उठकर आई थी. उन दो उरोजोके बीच की खाई देखकर मै पागल हो गया और उसके बीच मे लगातार चूमने लगा. मम्मीने मेरे सिरपर अपने हाथ रखकर मेरा सिर और भी उसकी चुचियोमे और ज्यादा दबा दिया.

उसकी चुचीकी महकसे मै मस्त हो गया और उसपर लगातार चूमने और चाटने लगा. मेरे हाथ मम्मीकी पीठपर मचल रहे थे जहाँ मुझे उसकी ब्रा हूक लग रहा था. ऐसेही हाथ फेरते हुए मैने वो हूक खोल दिया. मम्मीने अपनी बाँहे उठाकर उसे निकालने मेरा साथ दिया. उसकी क्लीन शेव्ड बगल देखकर मैने उसमे भी अपनी नाक डालकर सून्घ लिया. मम्मीकी सेक्सी काँखसे उठती पसीनेकी खुशबू ने मुझे नशा चढा दिया और मै उसे चूमते हुए उसकी चुचिया मसलने लगा. अपनी काँखमे मेरे होठोके स्पर्श से मम्मी को गुदगुदी होने लगी और वो हसते हुए बेडपर लेट गई. अब उसकी मोटी गोरी केले के तने जैसी जाँघे मेरे सामने छितरी पडी थी और उनके बीच मे फसी सफेद पँटी के आड उसकी चूत छुपी थी. मैने उसकी जाँघे और फैला दी और एक ही झटके मे उसकी पँटी निकाल ली.
मम्मी एक ब्लु फिल्म की हिरॉईन की तरह नन्गी बिस्तर पर छटपटा रही थी. मैने उसकी पँटी अपने चेहरेपर फिराकर उसकी खुशबू का अहसास किया और फिर उसे अपने लन्डपर लपेट लिया. मम्मीने अपनी बाँहे सिर के उपर फैलाकर मेरी ओर मुस्कुराकर देखा और सेक्सी अन्दाज मे अपना निचला होठ अपने दाँतोमे दबाया. उसकी यह अदा देखकर मै घायल हो गया और अपनी बरम्युडा भी उतार फेन्क दी. उसके घुटानोको मसलते हुए मैने कहा,
"मम्मी अब अपने बेटे के लिये टान्गे खोल दो और उस चूत के दीदार करवा दो जिस मे से मै इस दुनिया मे आया था. उसी चूत को चोद कर आज मादरचोद बनना है मुझे. मम्मी आज सारी रात हमारी चुदाई की रात है. लेकिन पहले मुझे अपनी चूत का स्वाद चखने दो. तेरी मख्खन जैसी चूत को चाट कर इसका रस पीना है मुझे!!"

मम्मीने मेरी बाते सुनकर मुस्कुराकर अपनी जाँघोको फैला दिया. अपने बडे बेडपर पूरी नन्गी पडी हुई मेरी मम्मी जिस अदा से अपनी जाँघे फैलाकर मुझे अपनी चूत के दर्शन करा रही थी उसे देखकर मेरी रगो मे खून दौडने लगा. अपनी जाँघे फैलानेसे मम्मीकी गुलाबी चिकनी चूत मेरे सामने खुलकर आ गई. उसकी चूत पर एक भी बाल नही था. यह नजारा देखकर मेरा लन्ड फनफनाने लगा. मैने उसकी चूत पर हाथ फेरा तो वह काफी गीली हो चुकी थी. मैने उन्ही उन्गलियोको अपने नाक के करीब ले जाकर सून्घ लिया. मेरी यह करतूत मम्मी देख रही थी. मैने उसकी आँखोमे आँखे डालते हुए वही उन्गली अपने मुँह मे डालकर चूस ली जिसे देखकर मम्मी बुरी तरहसे सिसियाने लगी. फिर मैने नीचे झुककर अपने होठ उसकी चूत पर रख दिए. जिस चूत से चिपकी हुई पँटी को मैने सून्घा था आज मेरे होठ उसको किस कर रहे थे. मेरे लन्ड मे तुफान भर चुका था. मै उलटा लेट गया और मम्मी की छितराई हुई जाँघोके बीच मैने सिर डालकर मै अपनी मम्मी की चूत का रस चाटने लगा. उस वक्त मेरा लन्ड मम्मी के होठो के सामने था. मेरी मम्मी भी नशा और उत्तेजना से भरी हुई थी. उसकी उन्गलियो ने पहले मेरे अन्डकोश सहलाये और फिर मेरा लन्ड अपने मुँह मे डाल लिया. हम माँ बेटा एक सेक्सी ६९ की पोझिशन मे लिपट गये. मम्मी की चूत की महक मुझे पागल बना रही थी. मै चपर चपर चूत चाट रहा था और वो अपने चुतड उपर उठा उठा कर मेरी जुबान से चुदवा रही थी.
मम्मी ने मेरा लन्ड दोनो हाथ से जकड लिया और अपनी जुबान अन्डकोश से ले कर सुपडे तक ले जा कर चाटने लगी. मै अब जन्नत मे था. मेरी जन्नत मेरी मम्मी की चूत मे थी ! फिर मैने महसूस किया कि अगर मम्मी ऐसे ही चूसती रही तो मेरा लन्ड पानी छोड देगा. मैने मम्मी की चूत से मुँह हटाते हुए कहा,
" मम्मी अब असली चुदाई शुरु करे? इस वक्त की राह मै सारी जिन्दगी देख रहा हूँ. अब और नही रहा जा रहा है. अगर तुझे मेरा प्यार अच्छा लगा तो कल ही हम शादी कर लेन्गे. मेरी हसरत अपनी मम्मी को दुल्हन के रूप मे देखने की है. रमण की पत्नी मेरी प्यारी मम्मी, मेरी रेखा ! मेरी पत्नी बनोगी, मम्मी ? अपने बेटे को मनोहर का स्थान दोगी, मम्मी? रमण को अपनी मम्मी का सिन्दुर बनाओगी, मम्मी?"
हर सवाल के साथ मै उसकी चूत पर चुम्मे जडा जा रहा था और हाथ से उसके भरपूर चुतड मसल रहा था.

मम्मी बिस्तर पर पीठ के बल लेट कर आँखे बन्द करे हुए थी. लेकिन वो वासना भरी आवाज मे बोली,

"बाप के बाद बेटा ही सम्भालेगा मुझे. अगर तुझ जैसा मर्द मेरी जिन्दगी मे आ जाए तो मुझे और क्या चाहिये. अपनी मम्मी को चोद कर पहले ये फैसला तो कर लो कि तुम कल अपनी बूढी माँ को छोड कर तो नही चला जायेगा? तुम तो जवान हो बेटा. जवानी मे मर्द जवान औरत चाहता है"

मै भावुक हो उठा. मम्मी की चुची को चूम कर बोला
"मैने सारी जिन्दगी तुझे ही अपनी दुल्हन माना है, मम्मी. मुझे किसी जवान लडकी की इच्छा नही है. मेरी प्यारी मम्मी दुनिया मे सब से बढिया है मेरे लिये"
यह कहकर मैने मम्मी की टान्गे छितरा दी और अपने लन्ड का सुपडा अपनी मम्मी की चूत मे ढकेल दिया. मम्मी की चूत रस से चिकनी हो चुकी थी. मेरा लन्ड सरसराता हुआ उसकी चूत मे घुसता चला गया. मम्मी की चूत मेरे लन्ड के इर्द गिर्द ऐसे फिट हो गई जैसे उन्गली के इर्द गिर्द दस्तान फिट हो जाता है. चूत के अन्दर मानो एक भट्टी जल रही.
"आआअ......उउउउउउईईईई.....ऊऊऊओ...........आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!" की आवाजे मम्मी के मुख से निकल रही थी. मम्मी की जाँघे मेरी कमर पर कसी हुई थी. उसकी मस्त चुची उपर नीचे हो रही थी. मै नशे मे मम्मी पर सवार हो कर उसको चोद रहा था. जिस चूत की तमन्ना की थी वो आज मेरी हो चुकी थी. और वो भी क्या चूत थी!!! अपनी ही मम्मी की चूत!!
मैने मम्मीके रसील होठोपर एक करारा चुम्मा कसते हुए पूछा,

"कैसा लगा मेरा लन्ड? मम्मी, बता कौन अच्छा चोदता है? बेटा या बाप? मनोहर या रमण? तेरा पहला पति या होने वाला पति?"

मैने मम्मीकी चुचिया मसलते हुए पूछा. आखिर मै अपनी सगी मम्मी का आशिक था. मम्मी सिसियाती बोली,
"बेटा तेरा क्या जवाब है. तुझ से बढ कर कौन हो सकता है? तेरे पापा को मै बुरा नही कह सकती क्योन्कि उन्ही से चुदवा कर तो मुझे तुझ जैसा प्यार करनेवाला बेटा मिला है. लेकिन सच कहूँ बेटा तेरा लन्ड तेरे पापा से बहुत बडा और शक्तिशाली है. मुझे अपने मस्त लन्ड से रौन्द रहे हो तुम, मेरी चूत तेरे लन्ड के लिये आज भी कुँवारी महसूस कर रही है. फाड दे इसको. बहुत जली है ये तेरे पापा की याद मे ये चूत!! चोद कर इसकी आग बुझा दो आज. अपनी बना लो मुझे. चोदो अपनी माँ की चूत बेटा. इसी लिये तुझे इस मे से पैदा किया था कि इसी चूत को चोद कर निहाल कर दे! शाबाश बेटा, और जम कर चोद! जोर से चोद मुझे मेरे मादरचोद रमण बेटे!! तेरा लन्ड मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा है. मादरचोद जोर से पेल अपनी मम्मी की चूत. मुझे अपने बेटे की माँ बना ले. एक माँ बाप बेटे दोनो की पत्नि बन के उनके बच्चो की माँ बनना चाहती है. चोद ले अपनी मम्मी को, बना ले मम्मी को आज फिरसे मम्मी!"

मम्मी मुझे मादरचोद कहकर मेरा जोश और बढा रही थी. मै बेरहमीसे उसकी चुचिया मसलते हुए उसकी चूत मे अपना लन्ड घचाघच पेलते जा रहा था.

मम्मी की बाते मेरा जोश दुगुना कर रही थी. मेरे हाथ अब मम्मी के चुतड पर कस गये और मै पागलो की तरह मम्मी की चुदाई करने लगा. कभी मै जोश मे आ कर उसके निप्पल काट लेता तो कभी मै उसके होठोको खा जानेवाले अन्दाजमे चबाकर चूसता. कभी मै उसके चुतडोपर मेरे नाखुन गडा देता तो कभी उसकी मुलायम बाँहे मसलकर उन्हे चबाता था. कभी उसकी काँखमे चबा चबा कर चूसता तो कभी उसकी जीभ से अपनी जीभ का पेन्चा लडाता था. मम्मी सिसकिया भरती थी, चीख पडती थी लेकिन उसने मुझे रोका बिलकुल नही. उपरसे मेरा जोश और बढाते हुए बोली,

"ऊऊऊऊ.......बेटा पी ले मेरा दूध....इसी को चूस चूस कर तो बडा हुआ है तू.........चूस अपनी माँ की चुची...चोद उसकी चूत....हाय माआआअ...मार दिया तेरे जालिम लन्ड ने.....बहुत मजा दे रहा है मेरे बेटे का लन्ड...बहुत मस्त है तेरी चुदाई बेटा!!"
मै जानवर बन चुका था और थाप पर थाप मार रहा था. मेरे धक्को की आवाज कमरे मे गून्ज रही थी. हम दोनो पसिना पसिना हो रहे थे. मैने जोश मे आ कर एक उन्गली मम्मी की गान्ड मे घुसा डाली और वो तडप उठी
"मादरचोद कही के.....ये क्या कर रहे हो....मेरी गान्ड मत छेडो बेटा..........बस चोदे जाओ......मेरी गान्ड बहुत टाईट है....उउउउइइइइईई बस करो...हाय बेटा चोदो मेरी चूत..मेरी गान्ड छोडो..आआआअ...मार दिया आज तुमने अपनी मम्मी को बेटा!"
मम्मी की गान्ड मे मेरी उन्गली घुस नही रही थी लेकिन फिर उसने गान्ड ढिली छोड दी. मै उसकी चूत को लन्ड से और गान्ड को उन्गली से चोदने लगा.

मम्मी कसमसाती हुई अपनी चूत और गान्ड पर यह दोहरा हमला झेलने लगी. थोडी देर बाद मम्मी ने मुझे नीचे लिटा दिया और खुद उपर आ गई. मेरे लन्ड को चूत मे घुसा कर अपनी गान्ड हिला हिला कर मुझे चोदने लगी. उसकी चुचिया बहुत सेक्सी तरहसे उछल रही थी. मैने हाथ बढाकर उन्हे मसलना चाहा. मम्मी थोडी झुक गई और उसने अपनी चुची मेरे होठो के करीब लाई. मै उसके निप्पल को मुँह मे ले कर चूसने लगा. जब मुझे लगा कि मै अब झडने के नजदीक हूँ तो मैने मम्मी की चुची को जोश मे आ कर काट लिया. मम्मी चिल्ला उठी,
"मादरचोद रमण, अब मम्मी की चुची को खा जाएगा क्या? बेटा ये चूसने चूमने की चीज है खाने की नही.......आह्ह्ह्ह बेटा चूस मेरी चुची....पेलता जा मेरी चुत मे अपना अलबेला लन्ड....देख कैसे तेरी मम्मी तेरे लन्ड से चुदवा रही है.. ..उउउउईईई.....मार दिया रे.....मादरचोद........मेरी चुत फट गई......बस ......स्स्स्स्स्स्स......हो गया मेरा..........रमण बेटा तेरी माँ की चूत झड रही है.........तेरी मम्मी अपने बेटे से चुद गई बेटा....अपना रस डाल दे अपनी मम्मी की प्यासी चूत मे ......आअह्ह्ह........तेरा गरम रस गिर रहा है मेरी चूत मे.......ओह्ह्ह्ह बेटा मै गईइइइइ"

मेरा लन्ड भी अपना फवारा छोड रहा था. मम्मी की चूत का रस और मेरे लन्ड की मलाई आपस मे मिल रहे थे. एक लम्बी चीख मारते हुए हम दोनो खलास हो गये और मम्मी हाँफती हुई मुझपर ढेर हो गई. उसके खुले लम्बे बाल मेरे सीनेपर बिखरे हुए थे. उसकी चुची मेरे सीनेपर दबी हुई थी और उसकी गर्म साँसे मेरे गलेपर पड रही थी. लेकिन मेरा लन्ड अब भी उसकी चूत मे फसा हुआ था. कुछ देर तो हम दोनो बेहोशसे पडे थे. कई मिनटोके बाद हमे होश आया. मम्मीने मुस्कुराकर मुझे चूम लिया और मेरी बाँहोमे सुकूनसे सो गई. मै उसकी गोरी पीठ और गान्ड पर हाथ फेरता रहा. न जाने इसी अवस्था मे मै सो गया.
सुबह मेरी आँख खुली तो मम्मी उठ चुकी थी. मै वही बिस्तर पर पडा पडा सोचता रहा. मुझे अपने आप पर बहुत गर्व महसूस हो रहा था. आखिर मैने मेरी खूबसूरत सेक्सी मम्मी को चोद ही लिया था. बिस्तर पर और तकिएपर मै उसकी खुशबू महसूस कर रहा था. बिस्तर पर पडे उसके कुछ लम्बे बाल हमारे कल रात के प्यार की गवाही दे रहे थे. कुछ देर ऐसेही पडे रहने के बाद मै उठकर बाथरूम हो आया. फ्रेश होकर एक लुन्गी लगाकर मै किचन मे चला गया.

मम्मी शायद अभी अभी नहाई थी. उसने एक साडी पहनी थी और बाल तौलिए मे बान्धे थे. अपनीही धुन मे वो एक मीठीसी धुन गुनगुना रही थी. वह बिलकुल किसी फूल की तरह खिली हुई थी.
मैने मम्मी को चोद कर उसे वो प्यार दिया था जो शायद मेरे पिता भी नही दे सके थे. वैसे भी कई सालो से मम्मी बिना मर्द के रही थी.
मै किचन मे गया तो मम्मी मुझे देखकर मुस्कुराई और मेरे लिए चाय ले कर आई. मम्मी ने एक पतलीसी साडी पहनी हुई थी जिसमे से उसके उरोज साफ दिखाई पड रहे थे. चलते वक्त उसके नितम्ब मटक रहे थे. साडीकी आड से दिख रहे उसके मुलायम पेट और उसपर की गहरी नाभीने मेरा मन मोह लिया. मै मस्ती मे आ कर उस पर टूट पडा और उसे बाँहोमे लेकर उसे बेतहाशा चूमने लगा और उसकी चुची मसलने लगा.

मम्मी तुम कितनी सेक्सी लग रही हो. रात मे तो हमारी जिन्दगी ही बदल गयी है. मै तुझ जैसी सेक्सी औरत के बिना एक दिन भी नही रह सकून्गा. बोलो मम्मी मुझे सदा के लिए अपना बना लोगी क्या ? मै तुझे अपनी पत्नि, मेरी मिसेस रेखा बना कर जिन्दगी जीना चाहता हूँ. मै अपनी प्यारी मम्मी के जिस्म का मालिक बनना चाहता हूँ, उसको चूमना चाहता हूँ, चाटना चाहता हूँ, चोदना चाहता हूँ, उसकी कोख मे अपने बच्चे पैदा करना चाहता हूँ. बोलो मम्मी, तुम्हारी क्या मर्जी है? मेरी बनोगी? अपने बेटे कि पत्नि बनोगी? मेरी रेखा रानी, मुझे अपना पति मानोगी?
मै यह सब बाते करते हुए मम्मी की चुचिया मसल रहा था, उसके गाल पर होठोपर चूम रहा था और उसके नितम्ब दबा रहा था.
मेरी बाते सुन कर मम्मी मुस्कुरा उठी. हम दोनो किचनमे रखी एक कुर्सीपर बैठ गए. मम्मी मेरी गोद मे आ बैठी. उसने मेरे गले मे बाँहे डाल कर कहा,
"हाँ रमण, मै तुम्हारी ही तो हूँ. मेरा बेटा अब घर का मर्द है. मै उसकी हर खुशी का खयाल रखुन्गी, उसकी मम्मी बन कर, बहन बन कर, बीवी बन कर और यहाँ तक कि उसकी रखैल बन कर भी उसका अच्छा खयाल रखून्गी. बेटा जब से तुमने मुझे चोदा है, तुम मेरे लिए पति से कम नही हो. तुम ही मेरी माँग के सिन्दूर हो, मेरे स्वामी हो मेरे बेटे!!

लेकिन मै अपनी मम्मी को असल मे पत्नि बनाना चाहता था. मम्मी से शादी कर के उसकी मान्ग भरना चाहता था. मेरे हाथ मम्मी के मांसल जिस्म पर थे और वो मेरी गोद मे सिसकरिया लेती हुई मचल रही थी, मुझे किस कर रही थी. मै उसे किस करते हुए बोला,
मेरी प्यारी रेखा, तेरे जवाब ने मेरी जिन्दगी बना दी. मै शुरु से ही तुम्हारा आशिक रहा हूँ. जब पिताजी तुझे ले कर रूम के अन्दर चले जाते थे तो कई बार मै जल कर राख हो जाता था. मै इन्तजार करता था कि कब मै तुझे अपना बना सकूँ और वो सबकुछ कर सकूँ जो मेरे बाप ने किया था. मै तुम्हारे साथ सेक्स करके तुम्हे सेक्स के आनन्द के सातवे आसमान पर ले जाना चाहता हूँ. हाय मेरी जानेमन, मेरी मम्मी, मेरी रेखा डार्लिन्ग, मेरा लन्ड फिर से खडा हो रहा है. मै अपने दिन की शुरुआत अपनी मम्मी के साथ चुदाई कर के करना चाहता हूँ. क्या तुम भी यही चाहती हो? बोलो मेरी जान, मेरी सेक्सी रेखा, क्या तुम भी चाहती हो कि मै अपनी मम्मी का यार बन जाऊँ?"

मम्मी ने मेरी लुन्गी के अन्दर हाथ डाल कर मेरा लन्ड थाम लिया और बोली,
" रमण, अगर तुम मुझे ऐसेही चोदोगे तो लोग तरह तरह की बाते करेन्गे, तुम्हे गाली देन्गे, मादरचोद कहेन्गे. अगर मन्दिर मे मुझे अपनाओगे तो मेरे पति कहलाओगे. मै अपने बेटे की पत्नि बनना पसन्द करून्गी न कि उसको मादरचोद बनाना. हम अब जब चोदेन्गे तो तुम मेरे पति होन्गे. जरा सबर कर लो बेटे, नहा कर तैयार हो जाओ. फिर मन्दिर मे जा कर मुझे अपनी पत्नि बना लो. हमारे पवित्र रिश्ते को सही नाम दे दो. मै भी अपने बेटे से नही, अपने पति से चुदवाना चाहती हूँ."
आखिर तुम भी तो यही चाहते हो न, फिर देर किस बात की?

मै मम्मी की बात सुन कर खुश हुआ और मम्मी को बाँहोमे उठा कर बाथरूम मे ले गया. जाते जाते मैने उसकी साडी भी उतार डाली.
"यह क्या कर रहे हो? मै तो नहा चुकी हूँ? मुझे छोडो न!"
मम्मी बोल रही थी लेकिन मैने उसको भी शावर के नीचे खीन्च लिया और उसकी मस्त चुची चूमने लगा.

"मेरी प्यारी मम्मी, तुमने बचपन मे मुझे बहुत नहलाया है. आज अपने बेटे को नही नहलाओगी? तेरा बेटा आज तेरा पती बनने वाला है. तेरा दुल्हा बनने वाला है. आज से तेरी कोख से निकलने वाला बेटा तेरी कोख दुबारा भरने वाला है. अपने पति का लन्ड अपने हाथो से नही धोकर देगी? मै तो अपनी मम्मी- जो कि मेरी होने वाली बीवी है-उसकी चूत और चुची मल मल कर धोना चाहता हूँ. मेरी मम्मी रेखा को मिसेस रेखा रमण बनाना चाहता हूँ"

मम्मी बिलकुल नन्गी मेरी बाँहो मे मचलने लगी लेकिन मै उसकी चुची मसलता हुआ उसको किस कर रहा था. मेरे हाथ कभी उसकी गान्ड और कभी चुची मसल रहे थे. सच मे मुझे मेरी मम्मी एक पत्नि के रूप मे नजर आ रही थी. मम्मी ने मुझे साबुन लगाना शुरु कर दिया और मैने उसको. नहाते हुए हम किस कर रहे थे, एक दूसरे के जिस्म से खेल रहे थे. हमारे भीगे जिस्म वासना की आग मे जल रहे थे.

" ओह्ह्ह्ह्ह रेखा, मेरा लन्ड चूसो, मेरे अन्डकोश चाटो, तू तो मुझे पागल बना रही हो रेखा, मेरी मम्मी. मै तुझे चोदे बिना नही रह सकता!!"

मै अब मम्मी को उसके नाम से बुलाने लगा था. मम्मी ने बिलकुल वैसा ही किया जैसे मैने कहा था. वह बडे प्यारसे मेरा लन्ड चूसने लगी लेकिन उसने मुझे चोदने नही दिया,

" बेटा रमण, तेरी हर बात मानून्गी, लेकिन चोदने की जिद मत कर. मुझ से शादी कर ले, फिर तेरी हर आज्ञा का पालन करून्गी क्योन्कि हर पत्नि का धरम होता है अपने पति की आज्ञा का पालन करना. अभी बस चोदने के अलावा बाकी सब कर लो अपनी मम्मी से, प्लीझ.!!"

मैने भी उसकी बात मन ली और उसे कसके जकडकर उसे चूमने लगा. मम्मी मेरा साथ देते हुए मेरे लन्ड को मसल रही थी. फिर वो नीचे बैठ गई और मेरा लन्ड मुँहमे लेकर चूसने लगी. मै उसके सिर को पकडकर उसके मुख को चोदने लगा. मम्मी खूब मजे से मेरा लन्ड चूस रही थी. कभी तो वो मेरे लन्ड को दाँतो से काट लेती. मेरे अन्दर वासना का सैलाब उमड आया और कुछ ही समय मे मेरे लन्डसे रस की फुआर छूट पडी. मेरे लन्ड का रस मम्मीके होठो से निकल कर नीचे बहने लगा. मेरी मम्मी किसी ब्लु फिल्म की रन्डी हिरोईन लग रही थी. अपनी मम्मी का ऐसा रूप देख कर मेरी मस्ती बढती गई. मम्मी जितनी बेशरम हो रही थी मेरी उत्तेजना उतनी बढ रही थी. हम नहा कर जब बाहर निकलने लगे तो वो बोली,

" बेटा, तुम तैयार हो जाओ. मै अभी आती हूँ. मुझे तेरी पत्नि का श्रिन्गार करना है."
मै कुछ न बोलते हुए तैयार होने चला गया. मेरा लन्ड अब भी थोडा सख्त था लेकिन मैने अपने मन को समझाया.

एक घन्टे के बाद मम्मी निकली तो हलके नीले रन्ग की रेशमी साडी मे सजी हुई थी. उसका जिस्म चमक रहा था और उसका मांसल बदन मुझे पागल बना रहा था.

" मम्मी आज तुम बहुत बार चुदने वाली हो, अपने बेटे से, अपने पति से."

मुझे अपने हाथो को काबू मे रखना मुश्किल हो रहा है. जब मेरी प्यारी पत्नि यानी की मेरी सेक्सी मम्मी को देख कर मेरा दिल धक धक करने लगा. उसके ब्लाउझसे मुझे अपनी मम्मी की मस्त चुची का थोडा दर्शन हो रहा था. मेरे लन्ड महाराज फिर से अकडने लगे. मम्मी ने बालो का जुडा बना रखा था और होठो पर पिन्क लिपस्टिक लगा रखी थी. मेरा दिल उसको किस करने को कर रहा था. मैने उसको बाँहो मे ले कर भरपुर चुम्बन ले लिया. मम्मी ने मुझे दूर किया.
" अरेरेरे, बेटा इतनी जल्दी क्या है, मै तेरी ही तो हूँ. कही भाग नही रही हूँ. अब तो सारी जिन्दगी साथ बितानी है. मुझे क्या कम प्यार है तुझ से मेरे स्वामी"

मै उसको चूमता हुअ बोला

" मम्मी, मेरी रानी मेरी डार्लिन्ग, मै जानता हूँ कि तुम मेरी हो लेकिन ये दिल नही मानता. ये तुझे हमेशा अपनी बाँहो मे रखना चाहता है. तुझे अपने आप से अलग नही कर सकता मै एक मिनट के लिए भी!"

फिर हम दोनो हाथो मे हाथ लिए मन्दिर पहुँचे. मेरा हाथ मम्मी की कमर पर था. वहाँ एक पन्डितजी से मैने कहा,

" पन्डितजी हमारी शादी करवा देना. मेरा नाम रोहित है और ये सुन्दर औरत मेरी म.....माशुका रेखा है. जल्द से हम को आशुक माशुक से पति पत्नि बना दो पन्डितजी"

पन्डितजी मेरा प्यार देख कर मुस्कुरा पडे,

" क्यो नही बेटा. रेखा बेटी जरा इधर बैठो. रोहित बेटा, तुम अपनी पत्नि की बगल मै बैठ जाओ."

पन्डितजी ने मन्त्र पढने शुरु किये और एक घन्टे मे हमारी शादी सम्पन्न हुई.

"रेखा बेटी, अब तुम रोहित बेटे की पत्नि हो गयी हो. ये तेरा स्वामी है. अपने पति के हर हुकम का पालन करना तेरा कर्तव्य है बेटी. अपने पति के चरन स्पर्श करो बेटी, सदा सुहागन रहो. रोहित बेटा, अपनी पत्नि की मान्ग भर दो और इसको हमेशा खुश रखो!!"

मम्मी ने मेरे चरन स्पर्श किये लेकिन मैने उसको बाँहो मे भर कर गले से लगा लिया.

" रेखा, तेरी जगह मेरे मन मे है पैरो मे नही."

मम्मी भावुक होकर मुझसे लिपट गई. मै उसके कान मे खुसफुसाया.
" मम्मी, मेरी प्यारी पत्नि, आज तुझे पुरी तरह से अपना बना लून्गा मै. तेरे जिस्म के हर भाग को अपना बना लून्गा."

मम्मी ने शरम से नजरे झुका ली और मेरे सीने से लिपट गई. पन्डितजी हमारा प्यार देखकर मुस्कुरा पडे.
मन्दिर से बाहर निकले तो मैने मम्मी से पूछा,
" अब बताओ, सुहागरात कहा मनाने का इरादा है? किसी होटल मे जाए या उसी बेड पर जहा मनोहर ने तेरे साथ सुहागरात मनायी थी?"

मम्मी शरमाती हुई बोली,
" घर नही, मुझे तेरे पापा की याद आयेगी वहा. किसी होटल मे चलते है बेटा. मै आज पुरी तरह से बेशरम हो कर अपने बेटे के सामने पेश होना चाहती हूँ, ताकि हम दोनो मे कोई पर्दा न रहे!!!!!"

मै मम्मी की बात सुन कर बहुत खुश हुआ. शहर के बाहर एक बडा होटल था. मैने टॅक्सी ली और पहले घर गया. वहा से मम्मी के और अपने कपडे लिए और होटल जा पहुँचे. होटल मे हम ने एक हनीमून सुईट लिया. रिसेप्शन पर खडी लडकी हम मम्मी बेटे को गौर से देख रही थी. मुझे लगा कि उसको शायद शक हो रहा है कि हम पति पत्नि नही है. मैने मम्मी को सभी के सामने बाँहो मे भर कर किस करना शुरु कर दिया. मम्मी घबडा गई.
" उफ्फ.....बे.......रमण..ये क्या कर रहे हो? सभी के सामने?.शरम करो जरा.....इन्तजार नही कर सकते?"
लेकिन मुझे पता था कि मम्मी भी गरम हो चुकी है क्योन्कि उसका हाथ मेरे लन्ड को सहलाने लगा था. रिसेप्शनवाली लडकी हस पडी.
" सर, इन सब बातो के लिए हनीमून सुईट है न. मै आपकी हालत समझ सकती हूँ. और हो भी क्यो न, आपकी बीवी है ही इतनी सेक्सी. एनीवे, अगर किसी भी चीज की जरुरत हो तो मुझे याद कर लेना. हॅपी हनीमून सर, मेम साहिबा आपकी सुहागरात खुशगवार हो!!"

वो लडकी भी बहुत सेक्सी थी. टाईट टी-शर्ट से उसकी बडी बडी चुची झाँक रही थी और वो मुझे कामुक अन्दाज से देख रही थी. लेकिन मेरी नजर सिर्फ मेरी रेखा पर थी.
हमारा सामान ले कर वेटर रूम मे गया तो मैने दरवाजा बन्द कर दिया और मम्मी पर झपट पडा.
" उफ्फोह, बेटा इतनी जल्दी किस बात की? अब तो तुम मेरे पति बन चुके हो और मै तुम्हारी पत्नि. बेटा आराम से........मै तेरे लिए तैयार हो कर आती हूँ. मै बाथरूम से हो कर आती हूँ. आज पहली बार मै अपने बेटे की पत्नि के रूप मे पेश आ रही हूँ, जरासा वेट नही कर सकते?"

मैने मम्मी को बाँहो मे भर के किस किया और उसकी गान्ड को मसलते हुए उसे आजाद किया.
" मम्मी ज्यादा देर मत लगाना, मै वेट कर रहा हूँ. जरा इधर देखो, कितना बेताब हूँ मै और मेरा लन्ड!!"

मैने अपनी पँट के नीचे से लन्ड का उभार दिखाते हुए मम्मी से कहा. मम्मी मुस्कुराती हुई बाथरूम चली गई और मैने इन्टरकोम उठा कर रिसेप्शन का नम्बर मिलाया और कहा

" एक बोतल स्कॉच व्हिस्की की और भूने हुए काजु भेजना प्लीझ."
पाँच मिनट के बाद रूम के दरवाजे पर दस्तक हुई.

मैने दरवाजा खोला तो रिसेप्शनवाली लडकी सामने खडी थी.

" सर वेटर आने मे देर थी, तो मैने सोचा आपको वेट न करवाया जाए. आपकी व्हिस्की हाजिर है."
उसने मुझे बोतल थमा दी और सेक्सी तरीकेसे अपना निचला ओठ अपने दाँतोतले दबाया. मैने उसे पकड लिया और उसकी चुची पर हाथ रखा.

" सर, अगर आपकी बीवी ने देख लिया तो सुहागरात से पहले ही तलाक हो जायेगा और फिर मेरा पति मुझे नही छोडेगा. इस लिए व्हिस्की ले लो और मुझे छोड दिजिए प्लीझ"
मै उस लडकी के अदासे दीवाना हो रहा था.
"तेरा नाम क्या है, सेक्सी बेबी?"
उसने हसके जवाब दिया,
" रुचि, और मेरा नम्बर है......." उसने अपना मोबाईल नम्बर मुझे दे दिया. फिर रुचि वहासे चली गई और मै सोफे पर जा बैठा और ग्लास मे व्हिस्की डाल कर मम्मी का वेट करने लगा. बाथरूम का दरवाजा खुला और मेरी मम्मी बाहर निकली तो मेरा दिल धक धक करने लगा. मम्मी के साँवले जिस्म पर केवल सफेद पँटी और ब्रा थी. पँटी और ब्रा सिल्क के फ्रिल वाले थे और मेरी मम्मी की चुची और गान्ड को ढकने मे नाकामयाब थे. मम्मी के सेक्सी होठो पर हलके लाल रन्ग की लिपस्टिक लगी हुई थी और उसके बाल खुले हुए थे. पैरो मे मेरी पत्नि ने हाय हील की जुती पहनी हुई थी जिससे उसकी गान्ड और भी आकर्षक लग रही थी. अपनी सेक्सी गान्ड मटकाते हुए जब वो मेरी तरफ बढी तो मुझे किसी ब्लु फिल्म का सीन लग रहा था.

वो मेरे सामने पुरी तरह घूम गई और मुझे अपनी ब्रा और पँटी मे कसा बदन दिखाने लगी. यह देखकर मै और उत्तेजित हुआ और उसको लपक कर गोद मे गिरा लिया.
" मम्मी आज तुम किसी ब्लु फिल्म की हिरोईन लग रही हो, बहुत हॉट लग रही ..... बिलकुल किसी रन्डी की तरह नाच रही हो"

मम्मी मुस्कुराई.
" अपने पति के लिए मै रन्डी भी बन जाउन्गी और ब्लु फिल्म की हिरोईन भी. भला, पत्नि धरम से कैसे हट सकती हूँ? अपने बेटे की हर बात मानून्गी.....हर हुकम का पालन करून्गी!!"

मैने मम्मी के बालो मे उन्गलिया फेरते हुए कहा,
" मम्मी, मेरी जान, तेरे खुले हुए बाल तुझे और भी सेक्सी बना रहे है. चलो आज मै तुम्हे और भी नशीला देखना चाहता हूँ. मेरी पत्नि मेरी प्यारी सेक्सी बीवी क्या तुम व्हिस्की पियोगी? "

मम्मी के जिस्म से एक सेक्सी परफ्युम की सुगन्ध आ रही थी. उसने मेरे गाले मे बाँहे डालते हुए मेरे कान को अपने होठो मे ले कर कहा,

" पति अगर कहे तो पत्नि जहर भी पी लेती है, आप तो व्हिस्की की बात कर रहे है, पति देव!!"

मैने मम्मी को दो पेग बनाने को कहा. वो मेरी गोद से उठ कर कुल्हे मटकाती हुई पेग बनाने लगी. कसमसे मम्मी के नितम्ब मुझे पागल बना रहे थे. उसकी पँटी इतनी टाईट थी कि नितम्ब उससे बाहर निकलने को व्याकुल दिख रहे थे, चुत वाला भाग उभरा हुआ था. मम्मी की चुची ब्रा को फाड देने की कोशिश कर रही थी. मम्मी ने बडा सा घून्ट भरा और मेरी गोद मे आ बैठी.

मैने भी शराब का घून्ट पी लिया और अपनी मम्मी को किस करने लगा. मैने उसके कान को काटते हुए बोल,

" मम्मी, मेरी पँट के अन्दर भी कोई है जो तुम्हे मिलनेके लिए बेताब है. जरा उसे आजाद कर लो और अपना प्यार उसे भी दे दो."

मम्मी ने मुस्कुराकर मेरी पँट उतार दी. मेरी लन्ड फनफनाता हुआ बाहर आ गया. मम्मी ने उसे प्यारसे सहलाया और कुछ बोले बिना मेरा लन्ड चूसने लगी. मैने अपनी शैतानी और आगे बढाते हुए कहा,
"मम्मी, मेरे मन की एक इच्छा है, मै तुझे किसी और औरत के साथ देखना चाहता हूँ. वो औरत तुझे चूमे चाटे और मै तुझे चोदता रहूँ, तुझे अपना लन्ड चुसवाऊ....क्या मेरी ये इच्छा पुरी करोगी कभी?"
एक पल के लिए तो मम्मी ने लन्ड चूसना बन्द कर दिया और फिर बोली,

" रमण कमीने मादरचोद, मै तेरी क्या लगती हूँ? मम्मी थी और अब पत्नि हू. साले पहले मम्मी को चोदा फिर उसके साथ शादी कर ली. अब अपनी मम्मी के साथ सुहागरात मना रहा है और दूसरी लडकी के खयाल मन मे आ रहे है? तुम अभी तक उसी रिसेप्शन वाली लडकी पर लट्टू हो रहे, है न?"

मै हैरान रह गया. मम्मी को मेरे मन की बात का कैसे पता चला? मैने मम्मी को अपने आलिन्गन मे ले कर किस करते हुए कहा,
"नही तो! मै तो यूँ ही कह रहा था!!"

मम्मी बोली,
"मादरचोद, तुझे अपनी चूत से पैदा किया है मैने. जब तुम बात कर रहे थे तो मैने तेरा खडा होता हुआ लन्ड देख रही थी. खैर तेरी इच्छा पुरी करून्गी लेकिन पहले मेरे साथ सुहागरात तो मना मादरचोद!!"

ऐसी गालिया देते हुए मम्मी ने मेरे अन्डकोश सहला दिए. मैने एक पेग और बनाया और फिर एक ही घून्ट मे हम दोनो ने अपने ग्लास खाली कर दिए. जब मम्मी टेबलसे नमकीन उठाने को झुकी तो मुझसे नही रह गया और मैने उसके मांसल नितम्ब को चूम लिया और उसकी जान्घो को चूमने लगा. हवस के कारन मेरा बुरा हाल होने लगा. मेरे चूमनेसे मम्मी का जिस्म भी ऐठ गया.
मैने एक हाथ मम्मी की चूत के उभरे हुए भाग पर रखा तो चूत के रस से उसकी पँटी भिग गई मालुम हुई. मै उसकी चूत के पँखुडियोको उन्गलियोसे छेडने लगा और दबाने लगा. मै वासना के जोश मे कुछ ज्यादा ही जोरसे उसकी चूत छेडने लगा.

" उफ्फ्फ्फ......रमण.......इतना तेज नही....मुझे कुछ हो रहा है बेटे......मेरा जिस्म जल रहा है......आआआह्ह्ह्ह्ह रमण.....मेरी चूत जल रही है.......पानी उगल रही है......इसकी प्यास बुझा दो......हाय......मै.....मुझे नन्गा कर डालो, बेटा!"
रूम मे एसी चल रहा था लेकिन हम पसीने से भीग रहे थे. शायद शराब और हवस की गर्मी चढी हुई थी. मैने मम्मी को उठा कर पलन्ग पर लिटा दिया और उसकी जान्घो को खोल कर चूत चाटने लगा.

" हाय बेटा..शाबाश मेरे लाल......चूम ले मेरी चूत........चाट ले अपनी मम्मी की चूत.......तेरे मुख से मेरी चुत खिल उठी है.......आहहहहहह, चाट मादरचोद रमण!!"
मेरी जुबान मम्मी की चूत का सारा हिस्सा चाट रही थी. कभी कभी तो मै मम्मी की गान्ड का छेद भी चूम लेता था. मम्मी जोर जोर से अपने नितम्ब उछलने लगी और अपनी चुत मेरे मुँह पर मारने लगी.
मम्मी ने हाथ बढा कर मेरा लन्ड पकड लिया और हिलाने लगी. मै अब पूरी ताव मे आ गया और बोला,

" मम्मी अब रुकना ठीक नही होगा, अब मुझे तेरा पति होने का धर्म पूरा करना होगा. हमारी पति पत्नि के रिश्ते मे पहली चुदाई तुझे घोडी बना कर होगी. मम्मी, मेरी जान जर घोडी बन जाओ, आज तेरा पति तुझ पर सवारी करेगा. अपनी प्यारी मम्मी पर चढेगा, तुझे घोडी बनना पसन्द है?"

मम्मी मस्ती मे बोली,
" बेटा जब पति बने तो मम्मी को सब पसन्द होता है. तू मेरा प्यार है, मेरा यार है, रमण तू अपनी मम्मी का प्यार भी है और यार भी. तू जिस तरह मन करे चोद लो मुझे, घोडी बना लो या कुतिया या कुछ और, लेकिन मेरी चूत भर डालो अपने लन्ड से, मेरे राजा!!!"

मम्मी मेरे सामने घोडी बनी पडी थी. मैने एक किसी चोदु कुत्ते की तरह मम्मी की मांसल गान्ड पर हाथ फेरा, उसको चूमा और फिर अपना लन्ड मम्मी की चुत पर रखकर रगडने लगा.

" आह्हहहहह बेटा, क्यो सता रहे हो? पेल डालो मेरी चूत मे अपना लन्ड. नखरे मत करो मेरे राजा, घुसेड डालो अब तो!!!"

मैने अपनी कमर आगे धकेल दी. मेरा लन्ड मेरी मम्मी-जो कि अब मेरी पत्नि थी- उसकी चूत मे दनदनाता हुआ घुसता चला गया. मम्मी की चूत गरम हो चुकी थी और पानी छोड रही थी. जब मै धक्का मारता तो मेरे अन्डकोश मम्मी की गान्ड से टकरा जाते थे. मै सातवे आसमान पर पहुँच चुका था. मम्मी घोडी बनी हुई थी और मुझ से चुदवाने मे मस्त थी. मैने मम्मी के बाल पकड कर खीचे जैसे घुड सवार घोडी की लगाम खीन्चता है.
" ओह्ह्ह्ह मादरचोद......रमण.....हरामी साले ये क्या कर रहा है......मै तेरी मम्मी हूँ.....पत्नि हूँ.....घोडी नही हूँ.....मेरे बाल छोड साले और अच्छे से चोद"
लेकिन मुझ पर तो शराब और वासना का नशा चढ चुका था. मै पागलो की तरह मम्मी को चोद रहा था और वो कराह रही थी,
" आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हा..........चोदो....ऊऊऊ..मम्मी को चोदो.......जोर से चोद.....और जोरसे.......चोद बेटा चोद मुझे.......फाद दे मेरी चूत, !!!!"
मै भी उत्तेजित था और अपना लन्ड जोर जोर से पेल रहा था. मेरा लन्ड मम्मी के चूत रस से भीग चुका था और चमक रहा था. फच्च.....फच्च की आवाज से कमरा गून्जने लगा. मेरा लन्ड पिस्टन की तरह मम्मी की चूत मे आ जा रहा था.
" ओह्ह्ह्ह्ह्ह.......मम्मी..........आआअ मेरी रानी बीवी......कितनी टाईट है तेरी चूत? इसी चूत से निकाला था मुझे? तेरी उसी चूत को चोद रहा हूँ मै मम्मी......कितना आनन्द दे रही है तेरी चूत मम्मी......इसको चोद चोद कर भोसडा बना देगा तेरा बेटा........जो चूत पापा ने चोदी थी उसको बेटा चोदेगा रोज अब तो.......आज से मेरे बाप की पत्नि मेरी पत्नि बन गई है मम्मी, मेरी रानी मम्मी, रानी पत्नि .......अपने बेटे के लन्ड से मजे ले लो मम्मी.....आआहा बहुत मजा आ रहा है मम्मी!!!"
मम्मी अपनी गान्ड मेरे लन्ड पर जोर जोर से मारने लगी और ऐसा लगा कि मम्मी झडने के करीब है. वो मेरे लन्ड पर तडप रही थी. उसकी चूत आग की तरह जल रही थी. मैने पागलो की तरह मम्मी के नितम्बो पर चपात मारनी शुरु कर डाली और साथ ही अपना हाथ नीचे ले जाकर उसकी गदराई चुची मसलने लगा. मम्मी मेरी इस दोहरी मार से तडप उठी,
" मार बेटा जोर से मार.....अपनी मम्मी की फुद्दी मार.....चूत फाड डाल मेरी मादरचोद.....जोर से मार मेरी गान्ड पर थप्पड साले .......तेरी मार मे भी मजा है........रमण बेटा मेरा असली पति तो तू है.......अपनी मम्मी की चूत क असली मालिक......बेटा मै झड रही हूँ........मै अपने बेटे के लन्ड पर झड रही हूँ.......रमण बेटा मेरी कोख भर दो......अपने बीज से मेरी चूत भर दो बेटे..... मुझे माँ बना दो बेटा..... हमारी सन्तान हमारे जैसी होगी......अगर बेटा हुआ तो वो तेरा भाई भी होगा और बेटा भी.........अगर बेटी हुई तो वो तेरी बेटी भी होगी और बहन भी......मेरी वो सन्तान भी होगी और पोता भी.......भगवान मुझे मेरे बेटे की औलाद पैदा करने के काबिल बना दो भगवान!!!"
मम्मी चिल्लाती हुई झड गई और उसकी चूतमे खूब सारा पानी निकलकर उसकी जान्घोपर आ गया और मेरे लन्ड को पूरा गीला कर गया. मै और भी जोश मे आ गया.
तभी मुझे लग कि मेरे लन्ड का पानी छूटनेवाला है. मैने मम्मी की कमर जोर से पकड कर धक्के तेज कर दिए. उसकी गर्दन और कन्धोपर दात गडाकर काटते हुए मै उसपर घुडसवारी कर रहा था. उसकी चुचिया बेरहमीसे से मसल रहा था. मम्मी का नन्गा जिस्म ऐठ रहा था. चुदाई का ऐसा तूफान मेरी जिन्दगी मे पहले कभी नही आया था. "आहहहहहहहहहहह..........उउउउउउईईईईईमाआआआआअ.....मै गया.....मै झडाआ.........मम्मी........मेरी प्यारी मम्मी.......मेरी रानी.......माय मॉम............आय लव्ह यू.......मम्मी......ले .....ले अपने बेटे का रस.....ले ले......और ले....."
इस तरह चिल्लाते हुए मेरा लन्ड झडने लगा. लन्ड रस की धार सीधी मम्मी की चूत मे गिरने लगी. मुझे लगा कि मेरी जान ही निकल रही है और मै मम्मी के जिस्म से लिपटने लगा. पता नही चला कब मै मम्मी के जिस्म पर ढेर होकर गिर पडा और सो गया.
 
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