Elite Leader
LEVEL 5
10 XP
मै दिल्ली मे एक अच्छे कम्पनी मे जॉब कर रहा था. लेकिन काम बहुत ज्यादा होनेसे मुझे छुट्टी नही मिली थी. मै घर आ न सका. अच्छे पैसे कमानेके बाद कुछ बनने के बादही घर जाऊन्गा, यह मैने ठान लिया था.
मेरे पिताजी मनोहर लाल को कॅन्सर था जो आखिर मे उनकी मौत का कारन बना. उनकी उमर कोई ५० साल की थी. घर मे उनके अलावा मेरी प्यारी मम्मी रेखा है. मम्मी की उमर ४२ की है. मै खुद रमण हू, उमर २३ साल, कद ६ फीट, रन्ग गोरा, बाल घुन्गराले, छाती चौडी.
मेरी मम्मी रेखा साढेपाच फीट की एक सावले रन्ग की औरत थी. वह बिलकुल स्लिम, उसकी चुची थोडी मोटी है लेकिन मेरे लिए तो बिलकुल परफेक्ट साईझ की है. उसके नितम्ब बहुत सेक्सी है. अपनी मम्मी के बारे ये सब मैने नोट किया था क्योन्कि मम्मी मुझे बहुत पसन्द थी. घर से दूर था तब भी मेरे जेब मे मम्मी की फोटो हुआ करती थी जिसे मै बीच बीच मे देखा करता था. उसके गुलाबी रसीले होठ और गोल सुन्दर चेहरा मेरे मन मे बसा हुआ था.
मै शुरु से ही मम्मी की तरफ आकर्षित हुआ था और शायद मम्मी भी मेरी तरफ. कॉलेज मे मै जब भी अच्छे नम्बर लाता या फिर कोई मेडल जीतता तो वह मुझे हमेशा मुझे प्यारसे अपने गले से लगाकर चूमती. उस वक्तसे उसकी भरी हुई चुचिया मेरे सीनेसे दब जाती जिसकी याद मै कभी नही भूल सकता. हम दोनो माँ बेटा एक दूसरे से काफी फ्री रहते थे. कई बार तो अकेले मे मै उसे रेखा कह कर पुकार लेता था. पिताजी की बीमारी की वजहसे मै उसके साथ ज्यादा समय बिताता था. हम दोनो दोस्त अधिक और माँ बेटा कम लगते है.
मम्मी कभी कभी कॉलेज की लडकियो की तरह एकदम मॉडर्न ड्रेस पहन लेती है और हम दोनो फिल्म देखने, होटल मे खाना खाने, पार्क मे घूमने चले जाते है. कई बार मम्मी मेरी गर्लफ्रेन्ड की तरह मेरे साथ नाटक करती है जिस से लोगो को बहुत जलन होती है.
जब मेरा दिल्ली जाने का आखरी दिन था तो मम्मी और मै एक अच्छे होटल मे खाना खाने गए. वहा पर एक कपल पहले से बैठा था. हम दोनो उनसे बात करने लगे और बातो बातो मे उनसे थोडी बहुत दोस्ती हो गई. वह लोग हमे अच्छे लगे तो हम उनके साथ बैठ गए. उनका नाम विनय और विमला था. विनय कोई २५ साल का और विमला कोई २३ साल की थी. मै और विनय बीअर पी रहे थे तो मम्मी बोली,
"अरे रमण तुम बीअर पी रहे हो और हम औरतो को ज्यूस पिला रहे हो"
तो विनय बोला," भाभी, आप बीअर पियोगी क्या? विमला ने तो कभी पी नही"
विनय की बात सुन कर मम्मी का चेहरा लाल हो गया लेकिन वो कुछ नही बोली. फिर उसने कहा," विनय भाई साहब, कभी तो पहली बारी आएगी ना! क्यू न आज ही शुरु कर दी जाये"
विनय मेरे कान मे बोल" भाई तेरी बीवी तो बहुत अच्छी है, खुद बीअर पीने को कह रही है. चलो इसी बहाने विमला भी शायद खुल जाये मेरे साथ"
उसकी बात सुन के मेरे कान भी लाल हो गये. विनय मम्मी और मुझे पत्नि और पति समझ रहा था! खैर हम ने मम्मी और विमला के लिए भी बीअर मन्गवाई. धीरे धीरे वो अपना ग्लास पी गई. जैसे जैसे वो बीअर पी रही थी, उनकी चेहरे की चमक बढ रही थी.
हम जब घर वापिस आये तो मम्मी के कदम बहक रहे थे. मैने मम्मी की कमर पर हाथ डाला और सम्भल कर उसको उसके रूम मे लिटा दिया. जब मै जाने लगा तो मम्मी ने मेरे गले मे बाँहे डालते हुए कहा,
" रमण आज यही सो जाओ. तेरे पापा तो नीन्द की गोली ले कर उठने से रहे. ये तो बस मुर्दा पडे रहते है. मेरे लिये तो हो य ना हो, कोई फरक नही पडता"
ऐसा कहकर मम्मी ने मेरे मेरे होठो का किस ले लिया. मै देखता ही रह गया. मुझे एक झटका सा लगा और मेरा लन्ड खडा हो गया. अपनी माँ के होठोका चुम्बन पाकर मेरा लन्ड खडा होना मेरे लिये शरम की बात थी. मै जल्दी से बाहर निकल गया और साथ वाले रूम मे चल गया जो कि मेरा रूम था.
हम दोनो के कमरे के बीच एक बाथरूम था जिस का दरवाजा दोनो रूम मे खुलता था. मैने अपने कपडे उतारे और पजामा पहन कर सोने की कोशिश करने लगा. थोडी देर मे बाथरूम की बत्ती जली. मेरी आँख खुली, मैने सोचा शायद मम्मी बाथरूम इस्तेमाल कर रही होगी. तभी मेरे मन मे मम्मी को नन्गा देखने की इच्छा जाग उठी. मै चुप चाप बाथरूम की तरफ बढा और दरवाजे मे एक छेद के पास जाकर देखने लगा. अन्दर का नजारा देख कर मेरे होश उड गये.
मम्मी एक सफेद सिल्क की पँटी और ब्रा मे खडी थी और आयने मे देख रही थी. उसकी पीठ मेरी तरफ थी. भगवान की कसम, ऐसी सेक्सी औरत मैने कभी न देखी थी. उसके साँवले चुतड सफेद सिल्क की पँटी मे गजब ढा रहे थे. मम्मी का कसा हुआ बदन देख कर मै पागल हो उठा. मम्मी दीवार की तरफ सट कर खडी हुई. अपना एक हाथ आगे से अपनी पँटी मे घुसा कर वो अपनी चूत रगडने लगी और दूसरे हाथ से अपनी मस्त चुची ब्राके उपरसेही मसलने लगी,
" ओहहहहहह मनोहर .....यह ऐसा क्यू.....देखो तुम्हारी रेखा कैसी प्यासी है........इस जलती चूत को कैसे ठन्डी करूँ.....तुम्हे क्या पता चूत की जलन......क्या करू मै बताओ...आह.....आह.....आह......"
मेरी आँखो के सामने मेरी मम्मी का हाथ तेजी से उसकी चूत रगड रहा था. वो उन्गली से अपनी प्यासी चूत को चोद रही थी. उसकी पँटी नीचे सरक गई और उसके मस्त चुतड मुझे साफ दिखाई देने लगे.
"आह्ह्ह्ह्ह....उउउउउउईई....ऊऊओह्ह्ह्ह..मर गयीई...उफ्फ्फ्फ्फ...हा...हा....मेरी माँआआ..आआ!!"
मम्मी की सेक्सी सिसकियाँ मेरे कानो मे पड रही थी. उसकी ब्रा भी अब जिस्म से अलग हो कर जमीन पर गिरी थी. उसे इस अवस्था मे देखकर मेरा हाथ अब मेरे लन्ड पर कस गया और मै मूठ मारने लगा.
फिर कुछ देर बाद मम्मी अपनी पँटी और ब्रा वही छोड कर अपने कमरे मे सोने चली गई. मै धीरे से बाथरूम मे दाखिल हुआ और मम्मी की पँटी उठायी और उसको सुन्घने लगा. मम्मी की मस्तानी चूत की गन्ध मेरी नाक मे घुस गई और मुझपर नशा सा चढ गया. मैने पँटी के उस हिस्से को देखा जो हिस्सा चूत से लगता था. मैने उस हिस्सेपर हलकेसे जीभ फिराई. कसमसे मुझे ऐसा लगा जैसे मै मम्मी की चूत पर जीभ फेर रहा हूँ. मम्मी की चूत की खुशबु और स्वाद मे खोया हुआ मै मूठ मारने लगा और कुछ ही पलोमे मुझे लगा कि मेरा पानी गिरनेवाला है. मैने मम्मी की पँटी लन्ड पर रख दी और सारा रस उसी मे छोड दिया. मुझे लगा कि मेरे लन्ड रस की नदी कभी नही रुकेगी.
खैर मै झड के सो गया.
दूसरे दिन मै अपनी ड्युटी पर चला गया. लेकिन मै जान गया था कि मम्मी सेक्स के मामले मे बहुत प्यासी है.
मेरे पिताजी मनोहर लाल को कॅन्सर था जो आखिर मे उनकी मौत का कारन बना. उनकी उमर कोई ५० साल की थी. घर मे उनके अलावा मेरी प्यारी मम्मी रेखा है. मम्मी की उमर ४२ की है. मै खुद रमण हू, उमर २३ साल, कद ६ फीट, रन्ग गोरा, बाल घुन्गराले, छाती चौडी.
मेरी मम्मी रेखा साढेपाच फीट की एक सावले रन्ग की औरत थी. वह बिलकुल स्लिम, उसकी चुची थोडी मोटी है लेकिन मेरे लिए तो बिलकुल परफेक्ट साईझ की है. उसके नितम्ब बहुत सेक्सी है. अपनी मम्मी के बारे ये सब मैने नोट किया था क्योन्कि मम्मी मुझे बहुत पसन्द थी. घर से दूर था तब भी मेरे जेब मे मम्मी की फोटो हुआ करती थी जिसे मै बीच बीच मे देखा करता था. उसके गुलाबी रसीले होठ और गोल सुन्दर चेहरा मेरे मन मे बसा हुआ था.
मै शुरु से ही मम्मी की तरफ आकर्षित हुआ था और शायद मम्मी भी मेरी तरफ. कॉलेज मे मै जब भी अच्छे नम्बर लाता या फिर कोई मेडल जीतता तो वह मुझे हमेशा मुझे प्यारसे अपने गले से लगाकर चूमती. उस वक्तसे उसकी भरी हुई चुचिया मेरे सीनेसे दब जाती जिसकी याद मै कभी नही भूल सकता. हम दोनो माँ बेटा एक दूसरे से काफी फ्री रहते थे. कई बार तो अकेले मे मै उसे रेखा कह कर पुकार लेता था. पिताजी की बीमारी की वजहसे मै उसके साथ ज्यादा समय बिताता था. हम दोनो दोस्त अधिक और माँ बेटा कम लगते है.
मम्मी कभी कभी कॉलेज की लडकियो की तरह एकदम मॉडर्न ड्रेस पहन लेती है और हम दोनो फिल्म देखने, होटल मे खाना खाने, पार्क मे घूमने चले जाते है. कई बार मम्मी मेरी गर्लफ्रेन्ड की तरह मेरे साथ नाटक करती है जिस से लोगो को बहुत जलन होती है.
जब मेरा दिल्ली जाने का आखरी दिन था तो मम्मी और मै एक अच्छे होटल मे खाना खाने गए. वहा पर एक कपल पहले से बैठा था. हम दोनो उनसे बात करने लगे और बातो बातो मे उनसे थोडी बहुत दोस्ती हो गई. वह लोग हमे अच्छे लगे तो हम उनके साथ बैठ गए. उनका नाम विनय और विमला था. विनय कोई २५ साल का और विमला कोई २३ साल की थी. मै और विनय बीअर पी रहे थे तो मम्मी बोली,
"अरे रमण तुम बीअर पी रहे हो और हम औरतो को ज्यूस पिला रहे हो"
तो विनय बोला," भाभी, आप बीअर पियोगी क्या? विमला ने तो कभी पी नही"
विनय की बात सुन कर मम्मी का चेहरा लाल हो गया लेकिन वो कुछ नही बोली. फिर उसने कहा," विनय भाई साहब, कभी तो पहली बारी आएगी ना! क्यू न आज ही शुरु कर दी जाये"
विनय मेरे कान मे बोल" भाई तेरी बीवी तो बहुत अच्छी है, खुद बीअर पीने को कह रही है. चलो इसी बहाने विमला भी शायद खुल जाये मेरे साथ"
उसकी बात सुन के मेरे कान भी लाल हो गये. विनय मम्मी और मुझे पत्नि और पति समझ रहा था! खैर हम ने मम्मी और विमला के लिए भी बीअर मन्गवाई. धीरे धीरे वो अपना ग्लास पी गई. जैसे जैसे वो बीअर पी रही थी, उनकी चेहरे की चमक बढ रही थी.
हम जब घर वापिस आये तो मम्मी के कदम बहक रहे थे. मैने मम्मी की कमर पर हाथ डाला और सम्भल कर उसको उसके रूम मे लिटा दिया. जब मै जाने लगा तो मम्मी ने मेरे गले मे बाँहे डालते हुए कहा,
" रमण आज यही सो जाओ. तेरे पापा तो नीन्द की गोली ले कर उठने से रहे. ये तो बस मुर्दा पडे रहते है. मेरे लिये तो हो य ना हो, कोई फरक नही पडता"
ऐसा कहकर मम्मी ने मेरे मेरे होठो का किस ले लिया. मै देखता ही रह गया. मुझे एक झटका सा लगा और मेरा लन्ड खडा हो गया. अपनी माँ के होठोका चुम्बन पाकर मेरा लन्ड खडा होना मेरे लिये शरम की बात थी. मै जल्दी से बाहर निकल गया और साथ वाले रूम मे चल गया जो कि मेरा रूम था.
हम दोनो के कमरे के बीच एक बाथरूम था जिस का दरवाजा दोनो रूम मे खुलता था. मैने अपने कपडे उतारे और पजामा पहन कर सोने की कोशिश करने लगा. थोडी देर मे बाथरूम की बत्ती जली. मेरी आँख खुली, मैने सोचा शायद मम्मी बाथरूम इस्तेमाल कर रही होगी. तभी मेरे मन मे मम्मी को नन्गा देखने की इच्छा जाग उठी. मै चुप चाप बाथरूम की तरफ बढा और दरवाजे मे एक छेद के पास जाकर देखने लगा. अन्दर का नजारा देख कर मेरे होश उड गये.
मम्मी एक सफेद सिल्क की पँटी और ब्रा मे खडी थी और आयने मे देख रही थी. उसकी पीठ मेरी तरफ थी. भगवान की कसम, ऐसी सेक्सी औरत मैने कभी न देखी थी. उसके साँवले चुतड सफेद सिल्क की पँटी मे गजब ढा रहे थे. मम्मी का कसा हुआ बदन देख कर मै पागल हो उठा. मम्मी दीवार की तरफ सट कर खडी हुई. अपना एक हाथ आगे से अपनी पँटी मे घुसा कर वो अपनी चूत रगडने लगी और दूसरे हाथ से अपनी मस्त चुची ब्राके उपरसेही मसलने लगी,
" ओहहहहहह मनोहर .....यह ऐसा क्यू.....देखो तुम्हारी रेखा कैसी प्यासी है........इस जलती चूत को कैसे ठन्डी करूँ.....तुम्हे क्या पता चूत की जलन......क्या करू मै बताओ...आह.....आह.....आह......"
मेरी आँखो के सामने मेरी मम्मी का हाथ तेजी से उसकी चूत रगड रहा था. वो उन्गली से अपनी प्यासी चूत को चोद रही थी. उसकी पँटी नीचे सरक गई और उसके मस्त चुतड मुझे साफ दिखाई देने लगे.
"आह्ह्ह्ह्ह....उउउउउउईई....ऊऊओह्ह्ह्ह..मर गयीई...उफ्फ्फ्फ्फ...हा...हा....मेरी माँआआ..आआ!!"
मम्मी की सेक्सी सिसकियाँ मेरे कानो मे पड रही थी. उसकी ब्रा भी अब जिस्म से अलग हो कर जमीन पर गिरी थी. उसे इस अवस्था मे देखकर मेरा हाथ अब मेरे लन्ड पर कस गया और मै मूठ मारने लगा.
फिर कुछ देर बाद मम्मी अपनी पँटी और ब्रा वही छोड कर अपने कमरे मे सोने चली गई. मै धीरे से बाथरूम मे दाखिल हुआ और मम्मी की पँटी उठायी और उसको सुन्घने लगा. मम्मी की मस्तानी चूत की गन्ध मेरी नाक मे घुस गई और मुझपर नशा सा चढ गया. मैने पँटी के उस हिस्से को देखा जो हिस्सा चूत से लगता था. मैने उस हिस्सेपर हलकेसे जीभ फिराई. कसमसे मुझे ऐसा लगा जैसे मै मम्मी की चूत पर जीभ फेर रहा हूँ. मम्मी की चूत की खुशबु और स्वाद मे खोया हुआ मै मूठ मारने लगा और कुछ ही पलोमे मुझे लगा कि मेरा पानी गिरनेवाला है. मैने मम्मी की पँटी लन्ड पर रख दी और सारा रस उसी मे छोड दिया. मुझे लगा कि मेरे लन्ड रस की नदी कभी नही रुकेगी.
खैर मै झड के सो गया.
दूसरे दिन मै अपनी ड्युटी पर चला गया. लेकिन मै जान गया था कि मम्मी सेक्स के मामले मे बहुत प्यासी है.
Mink's SIGNATURE