Adultery भावना भावनाओ में बहक गई

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में दरवाजे तक पोहोछी ही थी " रुको भावना " बस मेरी खुशी का ठिकाना नही रहा में तुरंत ही पलट गई । रावल भाई साब मेरी तरफ कदम बढ़ाए और मेरा जिस्म पता नहीं क्यू कांप उठा फिर एक बार दिमाग से मेरा सारी यादें जिनसे में जुड़ी हुई हूं वो सब निकल कर रावल भाई साब की कही बात की तरह मेरा सर खाली डब्बा बन गई और जिस्म की गर्मी ही मुझे महसूस होने लगी ।







रावल भाई साब सीधा मेरे नंगी कमर पर दोनो हाथों से पकड़ा में जोरो से कांप उठी उनकी हाथों की स्पर्श से उन्होंने अपना लव मेरे लबों पर चटाया और प्यार से चूमा मेरी आह निकल गई मेरी आखें बंद हो गई बस पानी की टंकी की तरह छेद हो गया और बहाव हो गया में अपने अंदर इतनी उत्तजेजित महसूस करने लगी और मैंने अपनी एरिया उठाई क्यू की रावल भाई साब काफी लंबे थे मेरे से मैने उनकी गर्दन पकड़ी दोनो हाथों से उनकी निचले लब चूसते हुए दातों से दबा दिया उन्होंने भी मेरी स्थिति समझा और मेरी कमर दबा के पकड़ा और मेरी होठों पर ऐसा चुम्बन करने लगा मैने महसूस किया की चूत से कामरस बह रही हे में भी कुछ जंगली बिल्ली की तरह उतावला हो गई उनकी सर के बाल कस के पकड़ा और मे भी उनकी होठ चूसने लगी चुम्बन इतना गहरा था की हमारी लार मिश्रित होने लगे । मेरी छाती ऊपर नीचे ऊपर नीचे हो रही थी सांस उखड़ रही थी कोई बार हमारी नज़रे मिली दोनो की आखों में बेसुमार वासना थी ।


रावल भाई साब मेरे गर्दन चूमने लगे में उनका सर पकड़ के खुद को चुम्बवाने लगी सिसक सिसक के इस आह्ह्ह्ह्ह कर के मेरी मुंह से सिसकारियां निकल रही थी। उनका हाथ मेरे अंग अंग पर चलने लगा कभी कमर कभी मेरी मखमली पेट कभी मेरी पीठ कभी मेरी बाजू कभी मेरी नितंब कभी मेरी ठूस चुचियों पर आह्ह्ह्ह्ह में मछली की तरह तड़प रही थी ।




एक एक कर के कपड़े उतारने लगे में भी बेशरम औरत इस तरह काम अग्नि में जल उठी थी खुद उनकी नाईट सूट की डोरी मैने खोल दी उफ्फ वो अंदर बिलकुल खाली बदन थे उनका लंद पूरी तरह से खड़े थे सलामी दे रहे थे उनका लंद भी साफ थे बिना बालों के बोहोत ही आकर्षक थे मुझे ही खुद पर थोड़ा शर्म आने लगा की काश में अपनी चूत की बाल और बगल की बाल साफ कर के आती ।




दोनो ही नंगे एक दूसरे की बाहों में चिमट गए उफ्फ उनका बदन कितना गर्म और कितना सख्त था कितने मजबूत कलाई थे उनके । उन्होंने मुझे रेशम बिस्तर पर उल्टा लेटा दिया और मेरे पीठ से मेरी केश हटाए धीरे धीरे से प्यार से मेरी पीठ चूमने लगा उफ्फ उत्तेजित का सिहरन हर चुम्बन पर मेहसूस होने लगा मुझे नस नस कुलबुला रही थी सुखद आनंद ।





रावल भाई साब धीरे धीरे मेरी दोनो नितंब दोनो हाथों से मसलने लगा और प्यार से काटने लगा में कामुक नजरों से उन्हे गर्दन घुमा कर देखने लगी उन्होंने भी मुझे देखा और शरारत अंदाज से मुझे आंख मार दिया उफ्फ शर्म से में तकिए मे अपनी शर्मीली मुस्कान छुपाने लगी ।





उन्होंने मुझे एक झटका दिया उन्होंने मेरी गांड पर जीव लगा के चाटने लगा में सिहर उठी खुद से कहने लगी आहा कितना अच्छा लग रहा हे ऑफ रावल भाई साब कितना तड़पाओगे ।





फिर उन्होंने मुझे पेट के बल लिटा दिया मेरी दोनो टांगे फैला के मुझे देखने लगा नही उनकी कामुक नजर मेरे से बर्दास्त नहीं हुई में उनकी कामुक नजर का सामना नहीं कर सकती मैने अपने चेहरे पर तकिया रखा। उन्होंने मेरे पाओ चूम चूम कर मेरे जांघ तक आए और फिर मेरी सबसे कामुक अंग मेरी चूत की पंगखुरिया जीव से फैलाए और अंदरूनी हिस्से को लब लब कर चाटने लगा ।





में तो मानो आनंद की सागर में गोते लगा रही थी रहा नही गया और अपने चेहरे से तकिया हटाया और उनका सर मैने पकड़ लिया मेरी टांगे मेरे काबू में नही थे बार बार उन्हे में जांघों से जकड़ रही थी जब भी उनकी जीव मेरी कामुक तार छेड़ देता था खुल कर सिसक सिसक के आह्ह्ह्ह्ह ले रही थी ।




मेरा मन था बस वो ऐसे ही चातता रहे मेरी चूत को लेकिन आगे भी बढ़ना था हर काम की अग्रसर होता है और वो मेरे ऊपर आए और उन्होंने मेरे होठों को दो उंगली में दबा के बोला " तुम्हारी काली तिल बोहोत खूबसूरत हे"



मुझे पता था वो किस तिल के बारे में कह रहा हे मेरी चूत की पंखुरी में एक तिल था जिसका दीवाना मेरा पति है आज रावल भाई साब भी हो गए ।



उन्होंने पूछा " और कहा कहा तिल हे तुम्हारे" ।।।


में भी मुस्कुरा के बोली " और कही भी नही हे"


वो मुस्कुरा के बोले " है तुम्हारे आर्मपिट पर मैने देखा हे एक बार तुम्हे कही स्लीव लेस ब्लाउज पहन कर आई थी "



में शर्म से पानी पानी हो गई और जूठे गुस्सा दिखा के बोली " बोहोत घटिया हो आप "



रावल भाई साब मुस्कुराए और बगल में लेट गए और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी लन्ड पर पकड़वा दीया। में जान गई वो क्या चाहते हे और में भी वोही चाहती आखिर कौन औरत ऐसा नही चाहेगा उनके जैसे लन्ड चूसना।




मैन उनको पीठ कर के उनके पेट पर सर रखा ताकि वो मुझे उनका लन्ड चूसते हुए ना देख पाए। उफ्फ कितना लंबा हे मेरे चेहरे की बराबर। मुट्ठी पकड़ के मुआयना किया कितना मोटा है लाल सुपाड़ा चमक रहा था बीच का हिस्सा और भी मोटा था उन्ह्ह्ह खुद से खयाल आया जो होगा देखा जायेगा इसका मजा तो मे आज मजे से उठाऊंगी
 
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धीरे धीरे ने उनका लन्ड मुंह के अंदर लिया कितना गर्म और सख्त हे बड़े प्यार से में उनका लन्ड लोलीपॉप की तरह चूसने लगी उनका हाथ मेरे सर पर आया मुझे अच्छा मेहसूस हुआ में लुफ्त उठा रही थी ।




कुछ देर में उन्होंने मेरी खुशी रोक दी ने में तो बस चूसते ही रहना चाहती थी लेकिन उन्होंने मुझे रोका और और मुझे बिस्तर पर उतार कर पेंटिंग वाली जगह पर ले गया और ढेर सारा रंग अपनी हाथों से मेरे जिस्म पर लगाने लगे में थोड़ा गुस्सा दिखा के बोली " ये क्या हरकत हे "


उन्होंने मुस्कुरा के बोला " धनकाओ मत में तुमसे नही डरता "


में भी बोली " तो में कौनसा आपसे डरती हूं" में भी शरारत से उनके बदन पर रंग लगाने लगी ।



दोनो के बदन रंग बिरंगी हो गए । उन्होंने मेरे होठों को चूमते हुए बोला " भावना अब तुम और भी खूबसूरत लग रही हो मेरी पेंटिंग की तरह "


इतने प्यार से कहा की में उनकी बाहों में समा गई और कहा " आपकी पेंटिंग बोहोत खूबसूरत हे आप बेहतरीन कलाकार हे "



रावल भाई साब ने थोड़े दुख से कहा " हम कलाकारों की ऐसी ही बदकिस्मती होती हे प्यार ही नही मिलता "



में पूरी तरह से उस वक्त अपने आपको उनके हाथों सोप चुकी थी मेरा दिल भी कोई पत्थर नही था और उनके छाती पर चूम के बोली " मिल तो रहा है क्यू जूठ बोल रहे हे आप क्या मेरी कोई मोल नहीं हे आपकी मन पसंद से में आपकी बाहों में हूं "




रावल भाई साब ने मुझे जोरो से भींचा और बोला " आह्ह भावना ये बोल के बोहोत सकून दिया तुमने । तुम्हारी आवाज़ बोहोत मीठी हे। आज में तुम्हे बोहोत प्यार दूंगा चाहे तुम मुझे याद रखो या ना रखो पर मेरे आज का प्यार तुम कभी भुला नही पाओगे "



उन्होंने मुझे उठा के बिस्तर के किनारे बीच में लिटा दिया मेरी कमर की नीचे का भाग बिस्तर के बाहर थी उन्होंने ने मेरी टांगे पकड़ के फैला दिए और धीरे धीरे से एक एक इंच मेरी चूत के अंदर घुसते चले गए । आह्ह् अपनी होठ दातों में दबा खुद ही अपनी टांगे पकड़ ली वो मुझे देखते हुए थोड़ा झुक कर मेरा कमर पकड़ के धीरे धीरे से धक्का देने लगे। आआअह्ह बोहोत मजा आ रहा था बोहोत मोटा सा सख्त अनुभव मेरी आनंद को दुगना कर रही थी ।



कुछ समय बाद उन्होंने मेरी चुटाड़ के नीचे से पकड़ के गोद में उठा लिया और में घबरा के उनके गले में बाहें डाल दी " गिर जाऊंगी में "


वो बोले " नहीं गिरोगी गिरने थोड़ी दूंगा में "



मुझे भी उन्पर बिस्वास था बोहोत ही अचानी से मुझे उठा के रखा था दुबारा मैने कोई सवाल नही उठाया। वो मुझे दीवार के पास ले गए और दीवार पर मुझे टीका के नीचे से अचानक बोहोत जोर से धक्का देने लगा। इतना दमदार धक्का था मेरा चीख कमरे में गूंज उठा हर धक्के पर मेरी आंखे बाहर आ जाती थी और एक कराह। थाप थाप कर के मेरी चूत मे अपना बड़ा लन्ड घुसा रहा था । अपने पति के साथ तो में अपनी तेज आनंद की सिसकारियां नियंत्रित कर लेती थी अमन भी घर पे होता था यहां भी मैने अपनी चीख नियत्रित करना चाही लेकिन नही कर पाई कैसे रोकूं नही रोक पाईं इतना आनंद जो मुझे आ रहा था । जरूर मेरा चेहरा लाल हो गई होगी मेरे मुंह से लार बेहती हुई निकल आई ।





रावल भाई साब बोहोत ताकत लगा रहा था उनका चेहरा बोहोत उत्तेजित और सख्त था हांहहहह हो गया मेरा आ कर के चीखती हुई मैने स्खलित किया रावल भाई साब समझ गए और मुझे उतार दिया। में हाफ रही थी उनसे इतना इंप्रेस हुई थी में की उनके होठ चूम के मैने शुक्रिया किया ।




वो मुझे प्यार से चूम कर एक वुडेन चेयर पर मेरी एक टांग उठा दिया और मुझे झुका दिया में भी अपनी कमर अंदर कर के अपनी गांड ऐसे फैला दी की रावल भाई साब मेरी चूत घासा घास पेल सके मैने चेयर की बेक पकड़ ली और मन में कहा हा चोदो मुझे मेरी जिस्म को खिलोने की तरह खेलो आज ।
 
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रावल भाई साब मेरी कमर पकड़ के मेरी चूत में अपना सुपाड़ा घिसने लगा । मेरी बर्दास्त से बाहर थी रुक नही पाई में और मेरा हाथ अपने आप पीछे चला गया और उनका लन्ड पकड़ के अपनी चूत पर निशाना साध के अपनी कमर पीछे से धक्का दिया उनका लन्ड मेरी चूत के अंदर चला गया।



रावल भाई साब ने मेरी हरकत पर मुस्कुरा दिया मैने भी आवेश में कामुक आदा से आंख मार दी। लेकिन अगले ही पल में शर्म से पानी पानी हो गई मगर कहा में शर्मा पाती रावल भाई साब दे दना दन चोदने लगा । आह फीर से मेरी सिसकारियां गूंज उठा कमरे में उनके धक्के पर में हिल रही थी मेरी चूचियां भी झूल रहे थे उफ्फ कितना कामुक दृश्य था अगर कोई देखता तो । हर एक उनकी लंद का माप उनकी चौड़ाई में मेहसूस कर के में मन में कह रही थी गई मेरी चूत बज गई बाजा फट जायेगी आज तो मेरी ।






कुछ देर बाद रावल भाई साब ने फीर मुद्रा बदला और मुझे एक टेबल पर उठा के सामने से मुझे चोदने लगा पसीने पसीने हो गई में थक गई थी वो है की रुकने का नाम ही नही ले रहे थे ।


वो भी पसीने पसीने हो गए थे वो अब धीरे धीरे से धीमा होने लगा और में जहन में आई बाते उन्हें पूछ ही ली " कौनसी दवाई लेते हो आप "



वो मेरी बात का मतलब समझ के मुस्कुराए " नही में कोई दवाई लेता में नेचुरल हूं और खुद को नटुरली फीट रखता हूं । "



में उनसे चिपक गई और धीरे से बोली " मेह्ह्ह थक गई हूं मुझे आराम चाहिए "



रावल भाई साब मेरे माथे पर चूम कर प्यार से बोला " बस मेरा बच्चा होने ही वाला है मेरा "



क्या जादू था उनका में उनके काम में बोली " बेड पर लीजिए ना मुझे "



रावल भाई साब मुझे गोदी ने में उठा कर ही बेड पर ले गए और मुझे लिटा कर मेरे ऊपर आए मैंने तुरंत बोला " ऐसे नही ऐसे मुझे दर्द होता है"


वो मेरी बात समझ ना पाए और पूछा क्यू । में भोलेपन से बच्ची की तरह बोली " आपका बोहोत गहरा जाता है मुझे लगती हे अंदर "



उन्होंने मेरा माथा सहला कर बोले " ये तो प्लेजर हे बेबी थोड़ा बर्दास्त कर लो "


में कुछ कहती उससे पहले बोला उन्होंने " अच्छा ठीक हे "


वो मुझे दूसरे आसन पर लेने के लिए तैयार थे लेकिन में ही उन्हे रोक कर उन्हे बाहों में भर लिया और आखों से बोल दिया की हा मुझे भी आपका प्लेजर अच्छी लगती हैं।



फिर क्या था उन्होंने अंदर तक गहरी गहरी धक्के मारने लगी में अपनी टांगो से उनका कमर बांध ली और हर धक्के पर उह उन्ह्हह उन्ह्ह्ह करती हुई उन्हे भीरपुर प्यार दिया आह उनका वीर्य भी मुझे महसूस हो रही थी उफ क्या सुख का अनुभूति था । सुख से मेरी आखों के कोने से आसू बह गई । धीरे धीरे से वो झटका खा कर शांत हो गए ।






काफी देर तक उन्होंने मुझे बाहों में प्यार किया इस बार मुझे कोई दुख नही हो रहा था । कुछ देर बाद उन्होंने मुझे बाथरूम ले गए और दोनों ने एक साथ गुनगुने पानी से नहाएं और बाथरूम में भी रावल भाई साब ने मेरी गीली जिस्म का मसल के लुफ्त उठाया मुझे भी बोहोत मजा आया था । फिर अंतिम रात वो मुझे बाहों में ले कर सो गए में भी काफी थकी हारी थी ।
 
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में भी थकान से बेसुध हो कर सो गई थी सुबह रावल भाई साब ने मुझे जगाया में उठ गई खुद नंगी पा कर रात का पूरा कांड याद आया मुझे चद्दर से खुद को ढक लिया। रावल भाई साब ने मुझे से कहा " भावना 8 बज गया रत्नाकर उठने ही वाला है तुम तैयार हो जाओ "


ये बोल कर वो कमरे से निकल गया में घबराहट के मारे सीधे बाथरूम में भागी मुझे दर सताने लगा कही इससे पहले मेरा पति उठ जाय और मुझे ढूंढे । में बाथरूम में फ्रेश हो कर बापच वोही सारी ब्लाउज पहनी जो मुझे थोड़ा गंदी लग रही थी पर मजबूर थी । में तैयार हो कर पति के कमरे में गई ।



वो पहले ही उठ चुका था ये देख कर मेरा जी घबरा रहा था । वो मुझे देख कर बोले " अरे तुम कहा गई थी "


में किसी तरह खुद को संभाल कर बोली " जी बाथरूम गई थी आप कब उठे "


वो बोले.." अभी अभी जानू । अच्छा काल के लिए मुझे माफ कर दो "


में बोली ", इतनी आसानी से नही चलिए अभी ये बातें छोड़िए हमे निकालना है "



वो भी जल्दी से फ्रेश हो गया और रावल भाई साब ने हमे नस्ता करवाया । अपने पति के मजूदगी में रावल भाई साब से मुझे बोहोत शर्म आ रही थी रात की सारी यादें दिमाग में घूम रही थी ऊपर से हालत भी ऐसी थी की अंग अंग थकान से पीड़ा कर रही थी बोहोत गंदे गंदे खयाल आ रहे थे दिमाग में पति माजूदगी में रहते ही काल रात यही इंसान मेरी जिस्म को ताड़ ताड़ कर के भोगा हे। पर में ऐसा कुछ भी अपने पति को दिखा नही सकती थी । बस जल्द से जल्द में वाहा से निकलना चाहती थी ।





आखिर हम वाहा से निकल गए । घर जा कर अपने बेटे को देख कर में अपने आपको अंदर से खोखली महसूस करने लगी ये मैने क्या कर बैठी बाथरूम में जा कर फुट फुट के रोई में और मैने फैसला किया की में अपने पति को सब कुछ बता दूंगी चाहे मुझे कोई भी सजा दे लेकिन में ये सच छुपा के नही जी पाऊंगी ।




दिन बीतने लगे में पूरी कशिश कर रही थी वो सब भूलने की और मौका ढूंढ रही थी अपने पति को सब कुछ बताने की लेकिन मुंह खोलने से पहले में नतीजा सोच के दर जाती थी कही मेरा पति मुझे छोड़ ना दे और मेरी प्यारा लाडला बेटा मुझसे ना दूर हो जाए ये तो में जानती थी इस बात पे मेरे पति को सदमा जरूर लगेगा गुस्सा होगा कुछ हद तक नफरत भी करेगा मुझसे पर डरती थी नतीजा इससे भी बुरा ना हो जाए में कही की ना रह जाऊं।





एक और परेशानी मुझे हुई की जब में मेरा पति हम बिस्तर होते थे तब मुझे रावल भाई साब याद आते थे । शुरू में बोहोत ग्लानि महसूस करती थी मेरा पति भी मेरे स्वभाव से अज्ञात नही थे उसने मुझसे काफी पूछा की मुझे क्या हुआ हे लेकिन किसी तरह हिम्मत जुटा कर में कोई बहाना करती । धीरे धीरे में खुद को बदला और जब भी रावल भाई साब की याद आती तो में उसे एक काम भावना में रूपांतरित करती थी बंद आखों में अपने ही पति को रावल भाई साब का कल्पना करती थी । कभी ऐसा भी वक्त आती थी जब मेरा पति ऑफिस और बेटा कॉलेज जाता था तो में बोहोत अकेली महसूस करती कभी में अपने पति के बारे में सोचती तो कभी रावल भाई साब के बारे में सोचती । दोनो ही मेरे तराजू में एक समान होते थे और में उलझन में पड़ जाती थी ।
 
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चार महीने बीत गए थे रावल भाई साब ने दुबारा हमे कभी डिनर पे नही बुलाया और कभी संजोग भी नही हुआ की उसने मिलु और में भी यही चाहती थी की उनसे कभी ना मिलु में ।




एक दिन में मार्केट गई थी बस से उस दिन में सिम्पल सलवार सूट पहन के गई थी मैंने जो भी समान चाहिए थी वो सब मैने खरीदारी करी और बस के लिए इंतजार कर रही थी तभी वाहा एक एक्सीडेंट हो गया । एक बाइक ने एक इंसान को तक्कड़ मारा लेकिन टक्कड़ इतनी ज्यादा जोर की नही थी तो उस इंसान को ज्यादा चोट नही लगी लोग जमा हो गए में भी देखने गई तो देखा की जिस इंसान को तक्कड़ लगी थी वो रावल भाई साब है। उसे सायद कोहनी पर लगी थी वो कोहनी पकड़ के खड़े थे लोग बाइक वाले को गालियां दे रहे थे ।




अब में कैसे उन्हे अनदेखा करू और फिक्र भी हुई थी तो में उनके सामने गई और पूछा " भाई साब आपको ज्यादा लगी तो नही "




रावल भाई साब मुझे देख के खुश हुए और बोले " अरे भावना आप । अरे नहीं नहीं कोई चोट नही लगी बस जरा सी टक्कर थी " और फिर रावल भाई साब ने बाइक वाले को बोला " तुम जाओ कोई बात नहीं लेकिन थोड़ा ध्यान से चलाया करो "



बाइक वाला भी रावल भाई साब को शुर्किया बोल के आगे बढ़ गया लोग भी अपने रास्ते निकल गए ।




मैने उनसे कहा " आपको डॉक्टर चेकअप करवा लेना चाहिए कही आपको अंदरूनी चोट तो नही आई "



वो अपने आपको तारो ताजा दिखा कर कहा " सच में मुझे कोई चोट नही लगी है। मेरी छोड़ो तुम यहा पर क्या कर रही हो "


में बोली " मार्केट आई थी बस अभी घर जा रही हूं "



रावल भाई साब बोले " अच्छा तो फिर में छोड़ देता हूं आप मेरी गाड़ी में बैठिए "


में बोली " नही भाई साब में चली जाऊंगी "



रावल भाई साब मुस्कुरा के बोले " थोड़ी तो सेवा करने दो हमे इतना क्यू पराया कर रही हो । आइए चलिए "



में बैठु ना बैठू कर के उनकी गाड़ी में बैठ गई अजीब सा लग रहा था फिर से वो सब वादे ताजा हो रहे थे । रावल भाई साब खुद ड्राइव कर रहे थे । हाल साल कैसा है यही सब बातें होने लगी हमारे बीच ।





जान बूझ के में उनकी तरफ ज्यादा नही देख रही थी उन्होंने ये बात नोटिस किया और मुझसे बोली " भावना क्या सोच रही हो "



में सर ना में हिला के बोली " कुछ भी तो नही "




गाड़ी एक पहाड़ी वनवे रस्ते पर चल रही थी सुनसान भी था अचानक रावल भाई साब गाड़ी साइड में रोक देता हे और मेरा हाथ पकड़ लिया उन्होंने ।




शरीर एक दम सुन्न पड़ गई मेरी लेकिन में घबरा कर अपना हाथ चुरा कर बोली " नही भाई साब नही। वो सब में भूल चुकी हूं दुबारा मुझे तोड़िए बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला हे में अपने पति से बोहोत प्यार करती हूं "




रावल भाई साब मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मुझे बाहों में ले कर बोलने लगा " में भी तो तुमसे प्यार करता हूं क्या मेरा खयाल नही हे तुम्हे जरा भी । मेरा दर्द नहीं दिखाई देता तुम्हे "




में उन्हे धक्का दे कर बोली " घंटा आपका प्यार । अगर प्यार होता तो इतने सालों में कभी आपने मुझसे जाहिर क्यू नही किया सक भी नही होने दिया मेरा नंबर भी आपके पास है कभी एक बार भी फोन की हे आपने । बस एक दिन बिस्तर पर लिटा दी अपनी हवास मिटाए आपने और आज मिली हूं तो फिर से वोही । "



रावल भाई साब सर झुका के बोला " में नही चाहता तुम्हारा घर टूटे । और में कभी भी शादी पर विश्वास नहीं करता इसलिए दूर रहा । और में कभी कभी किसी भी अनजान औरत के साथ सोता हूं भूख मिटाने के लिए "



में गुस्से में बोली " तो में क्यू ऐसे इंसान से प्यार करू जो कही भी मुंह मारता हे "



रावल भाई साब भी अलग अंदाज के थे वो मुस्कुराए और बोले " ओह तो तुम भी मुझसे प्यार करने लगी हो । तुम्हारा गुस्सा तुम्हारी धड़कती दिल तुम्हारी आंखें बता रही है तुम भी मुझे बोहोत मिस किया है "



मेरी तो गला खून सब सुख गई फटी नजरो से देखने लगी और चोरी पकड़े जाने पर में नज़रे चुराने लगी । रावल भाई साब मुझे फिर से अपनी तरफ खींचा और मेरे चेहरे को पकड़ लिया मेरी होठ चूमने से पहले मैने कहा " नही नही प्लीज मत करिए प्लीज छोड़ दीजिए "






रावल भाई साब बेतासह मेरी होठ चूसने लगा उफ्फ क्या था उनमें उनके छूटे ही में कोमज़ोर पड़ने लगती हूं आज उनके दाढ़ी थे में उनके दाढ़ीयेल गाल पर हाथ रख कर में भी उनका होठ चूमने लगी ।




जब हमारा चुम्बन टूटा दोनो एक दूसरे की आखों में देखने लगे दोनो की आखें मोशोसी में सुर्ख लाल थे । रावल भाई साब ने मुझे से पूछा " कितना मिस किया मुझे " पो



मैने बोला " बोहोत "



रावल भाई प्यार से बोले " चलो पीछे की सीट पर "



में बोली " नही इतना ही ठीक हे "



उन्होंने ने पता नही कैसे इतनी सही अंदाजा लगा कर सीधा मेरी निप्पल कुर्ती और ब्रा के ऊपर से भींच दिया में दर्द से बिलबिला उठी में गुस्से से उन्हे देखने लगी और बोली " आपके दिमाग में कीड़े है क्या "




वो मुस्कुराता हुआ आगे की दोनो सीट के बीच से पीछे की सीट पर चले गए वो मेरी बाह पकड़ के खींचने लगा में थोड़ा ना नुकुर करने लगी पर उन्होंने मुझे पीछे ले ही गए और और मेरी होठ चूसते हुए मेरी चूचियां मसलने लगा उफ्फ उनकी हाथों की स्पर्श कुछ ज्यादा ही आनंदायक होती थी ।


वो मेरे कंधे चूमने लगे मेरे सास तेज हो गई थी वो मेरे कंधे से कुर्ती हटा कर चूम रहे थे तो मैंने तुरंत बोली " नही रिस्की एरिया है कपड़े मत निकालिए प्लीज"


वो बोले " हा बाबा पता हे में निकाल नही रहा बस थोड़ा हटा के तुम्हे प्यार कर रहा हूं और इतना क्यू महकती हो कौनसी फूल हो जो इतना खुसबुदार हो "



उफ्फ उनकी तारीफ
 
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दिल बाग बाग हो जाता है । मेरी मुस्कान निकल आई और में उनकी छाती पर हाथ रख के उनका गर्दन चूम के बोली " मुझे भी आपका मर्दाना खुशबू बोहोत पसंद है ये जो आपने परफ्यूम लगाया हे ये बोहोत घटिया है"



वो मुस्कुराए और बोले " अच्छा ऐसा क्या । ठीक है नही लगाएंगे "




वो मेरी सलवार के अंदर हाथ डाल मेरी पैंटी के नीचे मेरी चूत सहलाने लगा आज मेरी पूरा जिस्म वैक्सिंग की हुई थी उनके सख्त उंगलियां अपनी चूत पर मेहसूस करते ही में काम उत्तेजित से मसल उठी उन्हे कामुक नजरों से देखने लगी दोनो को पता था वाहा पर हम ज्यादा देर नही रुक सकते थे ।



रावल भाई साब ने कहा " बेबी सलवार तो उतरना ही पड़ेगा"


मैने सिर हिला के बोली " हम्मम उतार दो "



उन्होंने मेरी सलवार उतार दी और मेरी पेंटी भी और मेरी गुलाबी चूत टांगे फैला के चाटने लगे । आह्ह्ह्ह्ह में इतना काम उत्तेजित हो रही थी जैसे मैने महीनो से नही किया हे में उनका कोट पकड़ के खीच के अपनी तरफ खींचा और बोली " भाई साब प्लीज जल्दी कीजिए मुझे देर हो रही हे "



वो बुरा सा मुंह बना के बोले " अभी भी भाई साब हद हे यार "


मुझे हसी आई और में बोली " ओके रावल जी अब ठीक है।"


वो अपनी कोट उतरने लगा और बोला " उम्ह्ह काम चलाओ ठीक है अब हमारी किस्मत में ही प्यार नही हे तो कहा बाबू सोना सुनने को मिलेगा "

में बोली " प्यार दो और प्यार लो अपना यही फंडा है "



वो अपनी बेल्ट खोलने लगा और हस कर बोले " क्या बात हे आज इतना खुल कर बात कर रही हो क्या खा के आई थी "


में मुस्कुरा के बोली " डोसा इटली और मिर्ची "



वो अपना पेंट और अंडरवियर घुटने तक कर दिया और मेरी टांगें फैला कर धीरे धीरे मेरी चूत में अपना लन्ड उतारने लगा उफ्फ मेरी आंखे आनंद से बंद हो गई " रावल जी धीरे धीरे आह्ह्ह्ह्ह"



उन्होंने मुझे बाहों में भरा और धीरे धीरे से धक्का देने लगा मेरी होठ प्यार से चूमने लगा और मुझे प्यार भरी निगाहों से देखने लगा लेकिन में कुछ और चाहती थी और में बोली " धीरे से पूरा अंदर कीजिए ना लेकिन प्लीज आराम से "

उन्होंने मेरी कही अनुसार ही किया धीरे धीरे पूरा अंदर तक करता और थोड़ा दबाव देता उफ्फ में झूम उठी और उनके पूरे चेहरे को चूम चूम के बोली " हा ऐसे ही । यही मैने खूब मिस किया उनका इतना नही जाता में यही फीलिंग के लिए तड़प रही थी रावल जी "



उन्होंने बोला " उनका ये कोन हे "


में बोली " मेरा पति । "


वो मुझे वैसे ही धीरे धीरे चोदते हुए बोला " ओह रत्नाकर । अभी उनकी बाते मत करो हमारे बारे में बात करो मैने कभी इतना मजा नही लिया किसी भी औरत के साथ । तुम्हारे साथ मेरा दिल भी जुड़ जाता हे और तुम तो हो ही काम देवी हर एक अंग पर्फेस्ट है तुम्हारा कितनी गर्म चूत हे तुम्हारी "



में सिसकारियां भरने लगी और बोली " रावल जी आप बोहोत अच्छे हे दयालु है। आपको अपनी मर्दानगी पर जरा भी अहंकार नही है जब की आप इतने ज्यादा सक्षम मर्द है ना ही आपने अभी तक मेरे पति की निंदा की और आज आप इतने बड़े आदमी हो कर भी एक बाइक वाले को ऐसे ही जाने दिया जबकि उसने आपको टक्कर मारी "



वो मेरी गर्दन चूम चूम के जवाब देने लगा " में हमेशा जमीन पे पेड़ रख के उड़ता हूं ऊंचाई हासिल करता हूं नीव से जुड़े रहता हूं । भावना प्लीज कभी कबर मुझसे मिला करो मुझसे रहा नही जाता बोहोत ज्यादा प्यार करूंगा तुम्हे बोहोत खयाल रखूंगा "




उन्ह्हह्ह कैसे उस वक्त में ना करती हर एक अंग आनंद की गीत गा रही थी मैने उनका चेहरा अपनी कोमोल हाथों में लिया और बोली " हा मिलूंगी में आपसे अगली बार मुझे किसी सैफ जगह ले जाईएगा और बिना कपड़ों में मुझे उस दिन की तरह अपने विशाल शरीर में छुपा कर मुझे बाहों में भर के मेरी गहराई में नपिएगा "




वो जोश मे मेरा होठ चूम के तेजी से धक्का देने लगे और में चीखने लगी मेरी चीख उनकी मुंह में दब रही थी उन्होंने कहा " हा भावना में भी तुम्हे बोहोत चोदना चाहता हूं अपनी बदन से रगड़ के प्यार करना चाहता हूं मेरा बच्चा आई लव यू "



में बोली" उन्ह्ह्ह हा रावल जी में भी आपकी नीचे आपकी मोटे चूहे से खूब प्यार पाना चाहती हूं "



उन्होंने मुझे पकड़ के गोद में उठाया और बोला " बेबी तुम जैसे चाहे वैसे लो अब "


मेरी चूत कुलबुला रही थी दमदार चुदाई के लिए में तैयार थी बस उनके कंधे पर दोनो हाथ रखा और आंख बंद कर उछाल उछाल अपनी कमर उठाने लगी होठ दातों में दबा दबा कर अपनी सिसकारियां रोक रही थी ताकि गाड़ी से बाहर ना जाय मेरी आवाज वो भी मेरी चूचियां मसल रहे थे मेरी गांड मसल रहे थे मेरी छाती पर मुंह रगड़ रगड़ कर मेरी जिस्म की कच्ची खुशबू ले रहे आह्ह्ह्ह्ह में जो चाहती थी वो मैने पा लिया और में झाड़ के उनकी गोद में निढाल हो कर उनकी गर्दन पर मैने लव बाइट दिए ।



वो बोले " अब मेरी बारी "


मैने उनकी होठ पर उंगली रख के बोली " आप पागल हो गए हे क्या उनको नजर नही पड़ेंगे क्या आप मुझे लव बाइट नहीं दे सकते है"




उन्होंने मेरी गांड में उंगली कर के बोला " में तो यहां दूंगा "


मेरी आंखे बड़ी हो गई " क्या फट जायेगी "




उन्होंने शरारत से मुझे उतारा में थोड़ी घबरा गई " नही प्लीज नही "




पर उन्होंने मुझे दोगी बनाया और मेरी गांड पर थूक लगा कर धीरे धीरे से मेरी गांड में घुसा दिया । आई उफ्फ दर्द से मेरी आंखे चलक गई पता नही क्यू उसने ऐसा किया की उन्होंने मेरी मुंह बंद कर दिया और मेरा कंधा पकड़ के रफ्तार में मेरी गांड मारने लगा में दर्द से रोई उनका लंद मेरे गांड के लिए बोहोत बड़ा था आधा आधा घुस रहा था पर कह के मेरी गांड फाड़ रहा था । मैने भी उस दर्द का मजा लिया उनकी मर्दानगी से में भी बेहाल होना चाहती थी । कुछ देर बाद वो मेरी गांड में विराम लिया में दर्द से कराहती हुई अपनी गांड पकड़ के बैठ के शिकायत करने लगी " आप जानवर हे या इंसान "


वो मुझे बाहों में ले कर प्यार करने लगे ।
 

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