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LEVEL 9
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में दरवाजे तक पोहोछी ही थी " रुको भावना " बस मेरी खुशी का ठिकाना नही रहा में तुरंत ही पलट गई । रावल भाई साब मेरी तरफ कदम बढ़ाए और मेरा जिस्म पता नहीं क्यू कांप उठा फिर एक बार दिमाग से मेरा सारी यादें जिनसे में जुड़ी हुई हूं वो सब निकल कर रावल भाई साब की कही बात की तरह मेरा सर खाली डब्बा बन गई और जिस्म की गर्मी ही मुझे महसूस होने लगी ।
रावल भाई साब सीधा मेरे नंगी कमर पर दोनो हाथों से पकड़ा में जोरो से कांप उठी उनकी हाथों की स्पर्श से उन्होंने अपना लव मेरे लबों पर चटाया और प्यार से चूमा मेरी आह निकल गई मेरी आखें बंद हो गई बस पानी की टंकी की तरह छेद हो गया और बहाव हो गया में अपने अंदर इतनी उत्तजेजित महसूस करने लगी और मैंने अपनी एरिया उठाई क्यू की रावल भाई साब काफी लंबे थे मेरे से मैने उनकी गर्दन पकड़ी दोनो हाथों से उनकी निचले लब चूसते हुए दातों से दबा दिया उन्होंने भी मेरी स्थिति समझा और मेरी कमर दबा के पकड़ा और मेरी होठों पर ऐसा चुम्बन करने लगा मैने महसूस किया की चूत से कामरस बह रही हे में भी कुछ जंगली बिल्ली की तरह उतावला हो गई उनकी सर के बाल कस के पकड़ा और मे भी उनकी होठ चूसने लगी चुम्बन इतना गहरा था की हमारी लार मिश्रित होने लगे । मेरी छाती ऊपर नीचे ऊपर नीचे हो रही थी सांस उखड़ रही थी कोई बार हमारी नज़रे मिली दोनो की आखों में बेसुमार वासना थी ।
रावल भाई साब मेरे गर्दन चूमने लगे में उनका सर पकड़ के खुद को चुम्बवाने लगी सिसक सिसक के इस आह्ह्ह्ह्ह कर के मेरी मुंह से सिसकारियां निकल रही थी। उनका हाथ मेरे अंग अंग पर चलने लगा कभी कमर कभी मेरी मखमली पेट कभी मेरी पीठ कभी मेरी बाजू कभी मेरी नितंब कभी मेरी ठूस चुचियों पर आह्ह्ह्ह्ह में मछली की तरह तड़प रही थी ।
एक एक कर के कपड़े उतारने लगे में भी बेशरम औरत इस तरह काम अग्नि में जल उठी थी खुद उनकी नाईट सूट की डोरी मैने खोल दी उफ्फ वो अंदर बिलकुल खाली बदन थे उनका लंद पूरी तरह से खड़े थे सलामी दे रहे थे उनका लंद भी साफ थे बिना बालों के बोहोत ही आकर्षक थे मुझे ही खुद पर थोड़ा शर्म आने लगा की काश में अपनी चूत की बाल और बगल की बाल साफ कर के आती ।
दोनो ही नंगे एक दूसरे की बाहों में चिमट गए उफ्फ उनका बदन कितना गर्म और कितना सख्त था कितने मजबूत कलाई थे उनके । उन्होंने मुझे रेशम बिस्तर पर उल्टा लेटा दिया और मेरे पीठ से मेरी केश हटाए धीरे धीरे से प्यार से मेरी पीठ चूमने लगा उफ्फ उत्तेजित का सिहरन हर चुम्बन पर मेहसूस होने लगा मुझे नस नस कुलबुला रही थी सुखद आनंद ।
रावल भाई साब धीरे धीरे मेरी दोनो नितंब दोनो हाथों से मसलने लगा और प्यार से काटने लगा में कामुक नजरों से उन्हे गर्दन घुमा कर देखने लगी उन्होंने भी मुझे देखा और शरारत अंदाज से मुझे आंख मार दिया उफ्फ शर्म से में तकिए मे अपनी शर्मीली मुस्कान छुपाने लगी ।
उन्होंने मुझे एक झटका दिया उन्होंने मेरी गांड पर जीव लगा के चाटने लगा में सिहर उठी खुद से कहने लगी आहा कितना अच्छा लग रहा हे ऑफ रावल भाई साब कितना तड़पाओगे ।
फिर उन्होंने मुझे पेट के बल लिटा दिया मेरी दोनो टांगे फैला के मुझे देखने लगा नही उनकी कामुक नजर मेरे से बर्दास्त नहीं हुई में उनकी कामुक नजर का सामना नहीं कर सकती मैने अपने चेहरे पर तकिया रखा। उन्होंने मेरे पाओ चूम चूम कर मेरे जांघ तक आए और फिर मेरी सबसे कामुक अंग मेरी चूत की पंगखुरिया जीव से फैलाए और अंदरूनी हिस्से को लब लब कर चाटने लगा ।
में तो मानो आनंद की सागर में गोते लगा रही थी रहा नही गया और अपने चेहरे से तकिया हटाया और उनका सर मैने पकड़ लिया मेरी टांगे मेरे काबू में नही थे बार बार उन्हे में जांघों से जकड़ रही थी जब भी उनकी जीव मेरी कामुक तार छेड़ देता था खुल कर सिसक सिसक के आह्ह्ह्ह्ह ले रही थी ।
मेरा मन था बस वो ऐसे ही चातता रहे मेरी चूत को लेकिन आगे भी बढ़ना था हर काम की अग्रसर होता है और वो मेरे ऊपर आए और उन्होंने मेरे होठों को दो उंगली में दबा के बोला " तुम्हारी काली तिल बोहोत खूबसूरत हे"
मुझे पता था वो किस तिल के बारे में कह रहा हे मेरी चूत की पंखुरी में एक तिल था जिसका दीवाना मेरा पति है आज रावल भाई साब भी हो गए ।
उन्होंने पूछा " और कहा कहा तिल हे तुम्हारे" ।।।
में भी मुस्कुरा के बोली " और कही भी नही हे"
वो मुस्कुरा के बोले " है तुम्हारे आर्मपिट पर मैने देखा हे एक बार तुम्हे कही स्लीव लेस ब्लाउज पहन कर आई थी "
में शर्म से पानी पानी हो गई और जूठे गुस्सा दिखा के बोली " बोहोत घटिया हो आप "
रावल भाई साब मुस्कुराए और बगल में लेट गए और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी लन्ड पर पकड़वा दीया। में जान गई वो क्या चाहते हे और में भी वोही चाहती आखिर कौन औरत ऐसा नही चाहेगा उनके जैसे लन्ड चूसना।
मैन उनको पीठ कर के उनके पेट पर सर रखा ताकि वो मुझे उनका लन्ड चूसते हुए ना देख पाए। उफ्फ कितना लंबा हे मेरे चेहरे की बराबर। मुट्ठी पकड़ के मुआयना किया कितना मोटा है लाल सुपाड़ा चमक रहा था बीच का हिस्सा और भी मोटा था उन्ह्ह्ह खुद से खयाल आया जो होगा देखा जायेगा इसका मजा तो मे आज मजे से उठाऊंगी
रावल भाई साब सीधा मेरे नंगी कमर पर दोनो हाथों से पकड़ा में जोरो से कांप उठी उनकी हाथों की स्पर्श से उन्होंने अपना लव मेरे लबों पर चटाया और प्यार से चूमा मेरी आह निकल गई मेरी आखें बंद हो गई बस पानी की टंकी की तरह छेद हो गया और बहाव हो गया में अपने अंदर इतनी उत्तजेजित महसूस करने लगी और मैंने अपनी एरिया उठाई क्यू की रावल भाई साब काफी लंबे थे मेरे से मैने उनकी गर्दन पकड़ी दोनो हाथों से उनकी निचले लब चूसते हुए दातों से दबा दिया उन्होंने भी मेरी स्थिति समझा और मेरी कमर दबा के पकड़ा और मेरी होठों पर ऐसा चुम्बन करने लगा मैने महसूस किया की चूत से कामरस बह रही हे में भी कुछ जंगली बिल्ली की तरह उतावला हो गई उनकी सर के बाल कस के पकड़ा और मे भी उनकी होठ चूसने लगी चुम्बन इतना गहरा था की हमारी लार मिश्रित होने लगे । मेरी छाती ऊपर नीचे ऊपर नीचे हो रही थी सांस उखड़ रही थी कोई बार हमारी नज़रे मिली दोनो की आखों में बेसुमार वासना थी ।
रावल भाई साब मेरे गर्दन चूमने लगे में उनका सर पकड़ के खुद को चुम्बवाने लगी सिसक सिसक के इस आह्ह्ह्ह्ह कर के मेरी मुंह से सिसकारियां निकल रही थी। उनका हाथ मेरे अंग अंग पर चलने लगा कभी कमर कभी मेरी मखमली पेट कभी मेरी पीठ कभी मेरी बाजू कभी मेरी नितंब कभी मेरी ठूस चुचियों पर आह्ह्ह्ह्ह में मछली की तरह तड़प रही थी ।
एक एक कर के कपड़े उतारने लगे में भी बेशरम औरत इस तरह काम अग्नि में जल उठी थी खुद उनकी नाईट सूट की डोरी मैने खोल दी उफ्फ वो अंदर बिलकुल खाली बदन थे उनका लंद पूरी तरह से खड़े थे सलामी दे रहे थे उनका लंद भी साफ थे बिना बालों के बोहोत ही आकर्षक थे मुझे ही खुद पर थोड़ा शर्म आने लगा की काश में अपनी चूत की बाल और बगल की बाल साफ कर के आती ।
दोनो ही नंगे एक दूसरे की बाहों में चिमट गए उफ्फ उनका बदन कितना गर्म और कितना सख्त था कितने मजबूत कलाई थे उनके । उन्होंने मुझे रेशम बिस्तर पर उल्टा लेटा दिया और मेरे पीठ से मेरी केश हटाए धीरे धीरे से प्यार से मेरी पीठ चूमने लगा उफ्फ उत्तेजित का सिहरन हर चुम्बन पर मेहसूस होने लगा मुझे नस नस कुलबुला रही थी सुखद आनंद ।
रावल भाई साब धीरे धीरे मेरी दोनो नितंब दोनो हाथों से मसलने लगा और प्यार से काटने लगा में कामुक नजरों से उन्हे गर्दन घुमा कर देखने लगी उन्होंने भी मुझे देखा और शरारत अंदाज से मुझे आंख मार दिया उफ्फ शर्म से में तकिए मे अपनी शर्मीली मुस्कान छुपाने लगी ।
उन्होंने मुझे एक झटका दिया उन्होंने मेरी गांड पर जीव लगा के चाटने लगा में सिहर उठी खुद से कहने लगी आहा कितना अच्छा लग रहा हे ऑफ रावल भाई साब कितना तड़पाओगे ।
फिर उन्होंने मुझे पेट के बल लिटा दिया मेरी दोनो टांगे फैला के मुझे देखने लगा नही उनकी कामुक नजर मेरे से बर्दास्त नहीं हुई में उनकी कामुक नजर का सामना नहीं कर सकती मैने अपने चेहरे पर तकिया रखा। उन्होंने मेरे पाओ चूम चूम कर मेरे जांघ तक आए और फिर मेरी सबसे कामुक अंग मेरी चूत की पंगखुरिया जीव से फैलाए और अंदरूनी हिस्से को लब लब कर चाटने लगा ।
में तो मानो आनंद की सागर में गोते लगा रही थी रहा नही गया और अपने चेहरे से तकिया हटाया और उनका सर मैने पकड़ लिया मेरी टांगे मेरे काबू में नही थे बार बार उन्हे में जांघों से जकड़ रही थी जब भी उनकी जीव मेरी कामुक तार छेड़ देता था खुल कर सिसक सिसक के आह्ह्ह्ह्ह ले रही थी ।
मेरा मन था बस वो ऐसे ही चातता रहे मेरी चूत को लेकिन आगे भी बढ़ना था हर काम की अग्रसर होता है और वो मेरे ऊपर आए और उन्होंने मेरे होठों को दो उंगली में दबा के बोला " तुम्हारी काली तिल बोहोत खूबसूरत हे"
मुझे पता था वो किस तिल के बारे में कह रहा हे मेरी चूत की पंखुरी में एक तिल था जिसका दीवाना मेरा पति है आज रावल भाई साब भी हो गए ।
उन्होंने पूछा " और कहा कहा तिल हे तुम्हारे" ।।।
में भी मुस्कुरा के बोली " और कही भी नही हे"
वो मुस्कुरा के बोले " है तुम्हारे आर्मपिट पर मैने देखा हे एक बार तुम्हे कही स्लीव लेस ब्लाउज पहन कर आई थी "
में शर्म से पानी पानी हो गई और जूठे गुस्सा दिखा के बोली " बोहोत घटिया हो आप "
रावल भाई साब मुस्कुराए और बगल में लेट गए और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी लन्ड पर पकड़वा दीया। में जान गई वो क्या चाहते हे और में भी वोही चाहती आखिर कौन औरत ऐसा नही चाहेगा उनके जैसे लन्ड चूसना।
मैन उनको पीठ कर के उनके पेट पर सर रखा ताकि वो मुझे उनका लन्ड चूसते हुए ना देख पाए। उफ्फ कितना लंबा हे मेरे चेहरे की बराबर। मुट्ठी पकड़ के मुआयना किया कितना मोटा है लाल सुपाड़ा चमक रहा था बीच का हिस्सा और भी मोटा था उन्ह्ह्ह खुद से खयाल आया जो होगा देखा जायेगा इसका मजा तो मे आज मजे से उठाऊंगी