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LEVEL 1
50 XP
अशोक बहुत तेजी से अपनी बुलेट चला रहा था ।
उसका दिल जोरो से धक धक कर रहा था।
हेडक्वार्टर से आए फोन ने उसे हिला के रख दिया था।
ये इस महीने की 4थी घटना थी।
अशोक के सर पे पसीने की बूंदे आ गई थी ।
वो कुछ ही देर में घटना की जगह पे पहुंच गया था ,यानी की "भरतपुर के जंगल" में।
भरतपुर का जंगल भरतपुर कस्बे के बगल में ही था।
इस जंगल के किनारे में ही ये कस्बा बसा था जिससे कस्बे का नाम भरतपुर परा।
भरतपुर का जंगल बहुत विशाल था और बहुत ही घना ।
अक्सर यहां के जंगली जानवर भरतपुर कस्बे में आ जाय करते थे और कभी कभी नुकसान भी पहुंचा देते थे।
भरतपुर जंगल के एक छोर पे बसा था तो दूसरे छोर पे चंदेली नामक शहर बसा था।
भरतपुर कस्बे के अधिकतर लोग अपनी जरूरत के सामान चंदेली से ही खरीदा करते थे और अपनी फसल और जंगल से चुनी हुई जरीबुटि वहां बेचा करते थे।
चंदेली और भरतपुर को एक पक्की सरक जोड़ती थी जो कि जंगल के बीचबीच से गुजरती थी।
अशोक जंगल पहुंच गया था ।
जहा पहले से ही उसके थाने के सिपाही उसका इंतज़ार कर रहे थे।
उसने अपनी बाइक साइड में लगाई और घटनास्थल के तरफ बढ़ गया।
"जय हिन्द सर" - सिपाहियों ने उसे देख कर सेल्यूट किया
अशोक- जय हिन्द।
अशोक अपने थाने का थानेदार था ।
उसकी नौकरी नई नई ही लगी थी।
उसकी उमर केवल 24 साल की थी ,भरतपुर में उसकी पहली पोस्टिंग थी।
और पहली पोस्टिंग में ही उसके थाना छेत्र में अजीब घटना होने लगी थी।
अशोक भारी मन से घटनास्थल के तरफ बढ़ रहा था ।
अशोक अपने सिपाहियों से - कैसे हुआ ये सब।
एक सिपाही- पता नहीं सर , रात को फॉरेस्ट विभाग के आदमी पेट्रोलिंग पे थे ,तभी उन्हें वो मिली।
अशोक- क्या वो जिंदा है ।
सिपाही - जी साहब ,मैंने एम्बुलेंस को कॉल कर दिया है वो आते ही होंगे।
अशोक - अच्छा।
वो घटनास्थल पे पहुंच चुका था ।
एक 24 साल की युवती जमीन पे बेहोश परी हुई थी ।
पुलिस ने उसके नंगे बदन का कपड़े से ढक दिया था।
अशोक लड़की के पास गया और कपड़े को हल्का सा गया के मुआयना करने लगा ।
लड़की की हालत देख के लग रहा था कि किसीने उसका बुरी तरह से बलात्कार किया है।
अशोक ने वापिस से कपड़ा लड़की के बदन पे रख दिया।
थोड़ी देर में एम्बुलेंस आयी और लड़की को हॉस्पिटल के के चली गई।
अशोक कुछ देर घटनास्थल के आसपास घूमता रहा सुराग की तलाश में लेकिन उसे कुछ हाथ नहीं लगा।
अशोक वाहा पास खड़े हवलदार से - आपको क्या लगता कमल जी ,क्या ये केवल एक आदमी का काम होगा ।
कमल भले ही हवलदार था लेकिन वो अशोक के पिता के उमर का था तो इसलिए वो उससे इज्जत से बात करता था।
कमल - सर,लड़की की जैसी हालत है ये किसी एक आदमी का काम तो बिल्कुल नहीं लगता।
अशोक ने सहमति में सिर हिलाया ।
और गंभीर होते हुए बोला- ये इस महीने का चौथा केस है, एसपी साहब का बहुत ज्यादा दवाब है ,की केस जल्दी सॉल्व करो। लेकिन कैसे करू कोई सबूत मिले तब तो ,अपराधी इतना चालाक है कि वो कोई सबूत नहीं छोर रहा।
कमल - सर हमको एक बार बैठ कर ठंडे दिमाग से इस पूरे घनाक्रम पर फिर से सोचना चाहिए। सायाद कुछ क्लू मिल जाए।
अशोक - सही कहा आपने कमल जी । आज रात आप घर नहीं जाएंगे । मै भी रात में थाने पे ही रहूंगा। वहीं हम बात करेंगे।
कमल - ठीक है साहब जी ।
इतना कह वो सेल्यूट मार थाने के लिए निकल गया।
अशोक अभी भी उस जगह का मुआयना कर रहा था।
वो में ही मन सोच रहा था कि इस जगह पे तो हाथापाई के कोई निशान ही नहीं है ,हो ना हो ये घटना कहीं और हुई है और फिर लड़की को लाके यहां डाल दिया गया है।
कुछ देर जंगल में इधर उधर घूमने के बाद ,अशोक वापस अपने बाइक के पास आ गया और कुछ सोच कर अपने घर के तरफ निकल पड़ा
उसका दिल जोरो से धक धक कर रहा था।
हेडक्वार्टर से आए फोन ने उसे हिला के रख दिया था।
ये इस महीने की 4थी घटना थी।
अशोक के सर पे पसीने की बूंदे आ गई थी ।
वो कुछ ही देर में घटना की जगह पे पहुंच गया था ,यानी की "भरतपुर के जंगल" में।
भरतपुर का जंगल भरतपुर कस्बे के बगल में ही था।
इस जंगल के किनारे में ही ये कस्बा बसा था जिससे कस्बे का नाम भरतपुर परा।
भरतपुर का जंगल बहुत विशाल था और बहुत ही घना ।
अक्सर यहां के जंगली जानवर भरतपुर कस्बे में आ जाय करते थे और कभी कभी नुकसान भी पहुंचा देते थे।
भरतपुर जंगल के एक छोर पे बसा था तो दूसरे छोर पे चंदेली नामक शहर बसा था।
भरतपुर कस्बे के अधिकतर लोग अपनी जरूरत के सामान चंदेली से ही खरीदा करते थे और अपनी फसल और जंगल से चुनी हुई जरीबुटि वहां बेचा करते थे।
चंदेली और भरतपुर को एक पक्की सरक जोड़ती थी जो कि जंगल के बीचबीच से गुजरती थी।
अशोक जंगल पहुंच गया था ।
जहा पहले से ही उसके थाने के सिपाही उसका इंतज़ार कर रहे थे।
उसने अपनी बाइक साइड में लगाई और घटनास्थल के तरफ बढ़ गया।
"जय हिन्द सर" - सिपाहियों ने उसे देख कर सेल्यूट किया
अशोक- जय हिन्द।
अशोक अपने थाने का थानेदार था ।
उसकी नौकरी नई नई ही लगी थी।
उसकी उमर केवल 24 साल की थी ,भरतपुर में उसकी पहली पोस्टिंग थी।
और पहली पोस्टिंग में ही उसके थाना छेत्र में अजीब घटना होने लगी थी।
अशोक भारी मन से घटनास्थल के तरफ बढ़ रहा था ।
अशोक अपने सिपाहियों से - कैसे हुआ ये सब।
एक सिपाही- पता नहीं सर , रात को फॉरेस्ट विभाग के आदमी पेट्रोलिंग पे थे ,तभी उन्हें वो मिली।
अशोक- क्या वो जिंदा है ।
सिपाही - जी साहब ,मैंने एम्बुलेंस को कॉल कर दिया है वो आते ही होंगे।
अशोक - अच्छा।
वो घटनास्थल पे पहुंच चुका था ।
एक 24 साल की युवती जमीन पे बेहोश परी हुई थी ।
पुलिस ने उसके नंगे बदन का कपड़े से ढक दिया था।
अशोक लड़की के पास गया और कपड़े को हल्का सा गया के मुआयना करने लगा ।
लड़की की हालत देख के लग रहा था कि किसीने उसका बुरी तरह से बलात्कार किया है।
अशोक ने वापिस से कपड़ा लड़की के बदन पे रख दिया।
थोड़ी देर में एम्बुलेंस आयी और लड़की को हॉस्पिटल के के चली गई।
अशोक कुछ देर घटनास्थल के आसपास घूमता रहा सुराग की तलाश में लेकिन उसे कुछ हाथ नहीं लगा।
अशोक वाहा पास खड़े हवलदार से - आपको क्या लगता कमल जी ,क्या ये केवल एक आदमी का काम होगा ।
कमल भले ही हवलदार था लेकिन वो अशोक के पिता के उमर का था तो इसलिए वो उससे इज्जत से बात करता था।
कमल - सर,लड़की की जैसी हालत है ये किसी एक आदमी का काम तो बिल्कुल नहीं लगता।
अशोक ने सहमति में सिर हिलाया ।
और गंभीर होते हुए बोला- ये इस महीने का चौथा केस है, एसपी साहब का बहुत ज्यादा दवाब है ,की केस जल्दी सॉल्व करो। लेकिन कैसे करू कोई सबूत मिले तब तो ,अपराधी इतना चालाक है कि वो कोई सबूत नहीं छोर रहा।
कमल - सर हमको एक बार बैठ कर ठंडे दिमाग से इस पूरे घनाक्रम पर फिर से सोचना चाहिए। सायाद कुछ क्लू मिल जाए।
अशोक - सही कहा आपने कमल जी । आज रात आप घर नहीं जाएंगे । मै भी रात में थाने पे ही रहूंगा। वहीं हम बात करेंगे।
कमल - ठीक है साहब जी ।
इतना कह वो सेल्यूट मार थाने के लिए निकल गया।
अशोक अभी भी उस जगह का मुआयना कर रहा था।
वो में ही मन सोच रहा था कि इस जगह पे तो हाथापाई के कोई निशान ही नहीं है ,हो ना हो ये घटना कहीं और हुई है और फिर लड़की को लाके यहां डाल दिया गया है।
कुछ देर जंगल में इधर उधर घूमने के बाद ,अशोक वापस अपने बाइक के पास आ गया और कुछ सोच कर अपने घर के तरफ निकल पड़ा