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यह कहानी 18 साल से कम उम्र के लोगों के लिये वर्जित है।
इस कहानी के सारे पात्र और घटनायें काल्पनिक हैं
जिनका यथार्थ से कोई सम्बंध नहीं है।
इस कहानी में सैक्स के अनेक दृश्यों का अत्यधिक स्पष्ट ब्यौरा है।
यदि आप संबन्धिकों के बीच सैक्स को घृणित मानते हैं तो कृपया इसे न पढ़ें
जैसे-जैसे मिसेज़ टीना शर्मा अपने मुलायम होंठों
से अपने पति के मुंह में कराह रही थी,
उनके पति उनकी कमसिन कमर से उनकी पैन्टी को नीचे सरकाये जाते थे।
दोपहर से ही आफिस में मिसेज शर्मा के बदन में कामोत्तेजना अंगड़ाइयाँ ले रही थी।
आफिस के जवां-मर्दो के तने हुये लन्डों पर नजर जाती
और चूत में एक सनसनी सी पैदा कर दी थी।
मिसेज शर्मा की उम्र कुछ चौंतीस साल होगी -
पर जवानी की कामोत्तेजना में कुछ कमी नहीं आयी थी।
जवानी में कईं आशिक थे उनके
– पर एक मिस्टर शर्मा ही, जो उनके अब पति थे,
उनके सुलगते अन्गारों से खेल सके थे।
दोनों सैक्स के बड़े मजे लेते थे और
इस कला में निपुण थे।
दोनो का शिव और शक्ति सा तालमेल था।
“बच्चे सो तो रहें हैं ना ?” मिसेज शर्मा अपनी लम्बी
उंगलियां पति के तनते हुए लन्ड पर फेरती हुई बोलीं।
मिस्टर शर्मा एक हाथ से उसके स्तनों को पुचकारते हुए बोले
“बेफ़िक्र रहो जानेमन ।
जय का कल मैच है, वो तो कबका सो गया।”
टीना जी ने जवाब में उनके तने हुए लन्ड को प्यार से
ऊपर-नीचे खींच कर उसकी फूलती लाल
सुपारी को अंगूठे से दबाया, “और सोनिया ?”
“सोनिया को छोड़ो, वो तो हमेशा लाईट ऑन कर के सोती है।
इस वक्त तो मुझे सिर्फ़ तेरी गर्मा-गर्म चूत से मतलब है।” |
टीना जी ने जाँघों को फैलाते हुए अपनी चूत का द्वार
अपने पति के दूसरे हाथ के लिए खोल दिया।
मिस्टर शर्मा के हाथों का स्पर्श टीना की टपकती चूत पर पड़ा
तो उसके मुंह से एक उन्मत्त कराह निकल पड़ी।
“म्माअह! मजा आ रहा है !”
कहते हुए टीना जी ने अपनी फड़कती हुई चूत
को पति की उंगलियों पर मसलना शुरू कर दिया।
ओह दीपक। और न तड़पा,
बस चोद डाल मुझे! मेरी चूत गीली हुई जाती है।” यकीनन ।
जैसे ही मिस्टर शर्मा ने पत्नी की चूत में टोह ली,
मादक गरम द्रवों ने उसकी उंगलियों को भिगो दिया।
शोख चूत फुदक कर उंगलियों को गुदगुदाने लगीं।
“क़सम से जानेमन! बिलकुल सुलग रही है तेरी चूत !”
मिस्टर शर्मा तने हुए लन्ड को पत्नी की फड़कती
मांद में घुसाते हुए बोले।
“कस के चोदो मुझे।
चोदो अपने मोटे लन्ड से!” ।
टीना जी ने पीठ के बल लेटते हुए अपनी टांगों को और फैलाया
और उन्मत्त होकर पति के तगड़े पुरुषांग को धधकती योनि में डाला।
पत्नी की प्रबल उत्तेजना ने बारूद में चिंगारी का काम किया।
मिस्टर शर्मा अपने भारी- भरकम लन्ड को
पत्नी की प्यासी मुलायम चूत में लगे ढकेलने।
पति के मजबूत धक्कों को झेलने के लिएय टीना जी ने
अपनी सुडौल टांगें और ऊंची उठा दीं।
मिस्टर शर्मा की गाँड पर अपनी ऐड़ियां टेक कर
वे उनकी टक्कर से टक्कर मिला रही थीं।
जैसे मिस्टर शर्मा अपने लौड़े को टीना जी की चूत के भीतर सरकाते,
वो चूत की मांसपेशियों को लौड़े पर जकड़ता हुआ महसूस कर रहे थे।
उन्होंने वज्र सा लन्ड टीना जी की दहकती मान्द
में इतना गहरा घोंप डाल था,
कि टट्टे टीना जी की गुलाबी गाँड से टकरा रहे थे।
“आऽह! माँ क़सम, बड़ी गर्मा रही हो !”
मिस्टर शर्मा अपने लन्ड पर जकड़ती
मंसलता के अनुभव से सिसक उठे।
“चोद! साले चोद डाल मुझे !”
टीना जी चूत के चोचले को पति के
माँसल लन्ड से रगड़ती हुई कराह पड़ीं। |
मिस्टर दीपक दोनो बाजुओं के बल
अपने मजबूत बदन को झुलाते हुए कभी लन्ड
को पत्नी की चूसती चूत से बहर निकालते
और फिर वापस मादक जकड़न मे ठूस देते।
पत्नी की सुलगती कामग्नि में उनका पौरुष
लगतार कोयला झोंक रहा था।
“ऊऽह! साली चोद दूंगा! मार कस के चूत !”
टीना जी की आतुर चूतड़ में अपने चर्बीदार
लन्ड को ठोंसते हुए मिस्टर शर्मा हुंकारे।
मिस्टर शर्मा के हर वहशी ठेले का टीना जी
बिस्तर से उचक-उचक कर जवाब देतीं
और जब लन्ड भीतर घुसता तो कराह उठतीं।
“ऊन्घऽ! ओहहहह! चोद दे! बस ऐसे ही!
और कस के! ओहहह” टीना जी आगोश में चीखीं।
शर्मा दम्पत्ति अपनी प्रबल कामक्रीड़ा में पूरी तरह लीन था।
देह की सुलगती प्यास की तृप्ति में
दोनो अब सारी दुनिया से अनजान हो चुके थे।
अचरज में बेटी
मिस्टर शर्मा का अनुमान बिल्कुल गलत था कि बच्चे सो रहे हैं।
सोनिया तो दरअसल जाग रही थी।
अट्ठारह साल की सोनिया परिवार में नन्ही गुड़िया सी थी।
भुरे बाल, कमसिन बदन, और मम्मे
तो ऐसे परिपक्व कि स्त्रियों को भी ईर्ष्या हो जाए।
सोनिया किताब से कफ़ी बोर हो चली थी और
बोरियत मिटाने के लिए मटके से पानी पीने को उठी।
देर रात कहीं बाहर वाले जाग न जाएं,
इसलिए बैठक में दबे पाँव पहुँची।
पहुँचते ही कुछ फुसफुसाने की आवाजें उसके कान में पड़ीं।
आवाज उस्के मम्मी - डैडी के बेडरूम से आ रही थी -
जैसे कोई दर्द में कराह रहा हो।
चिंता के मारे किशोरी सोनिया आवाज़ों की तरफ़ चली।
पास आने पर उसे प्रतीत हुआ कि कोई दबे स्वर में बोलता हुआ कराह रहा था।
सोनिया के चंचल मन में कौतुहूल जाग चुका थ।
वो दरवाजे के पास कान लगा कर सुनने लगी।
“दीपक बाप क़सम ऊउहहह। चोद दे मुझे ! कस के! ऊउगह !”
आवाज उसकी माँ की थी और
जाहिर हो चुक था कि मामला क्या है।
सोनिया साँस रोक कर सुनती रही।
अचानक उसके पिता की मर्दानी आवाज कमरे से सुनाई मे आई।
“दे मार अपनी चूत ! ला उसे
गाढ़े गरम लन्ड के तेल से लबालब कर दूं।” ।
सोनिया क दिल धकधक कर रहा था
मगर पिता के वाहियात बोलों से उसकी चूत मारे उत्तेजन के नम हो चली थी।
इन शब्दों के माने वो बखूबी जानती थी
पर उनमें भरी प्रबल कमोत्तेजना सीधे उसकी चूत पर असर दिखा रही थी।
अपने ही मम्मी-डैडी के बीच इस अश्लील वार्तालाप से
उसकी नब्ज़ धौंकनी की तरह चल रही थी।
अब वो अपनी आँखों से देखे बगैर नई रह सकती थी।
चाभी के छेद से उसने जो नजारा देख ,
उससे वो दन्ग रह गयी।
उसका हलक सूख गया और
दिल उछल कर गले में आ गया।
मुँह फाड़े वो अपने माँ-बाप के बीच संभोग का पाश्विक दृश्य देख रही थी -
एक्दम निर्विघ्न नजारा।
दोनो नंगे पड़े थे -
माँ पीठ के बल बिस्तर के ठीक बीच में टांगें ऊपर को
पूरी चौड़ी कर तलुओं से बाप की कमर को जकड़े हुई थी।
बाप अपने हथौड़े से लन्ड को माँ की टांगों के बीच गाड़े हुए था।
अपने बाप के तने हुए लन्ड को माँ की फैली हुई चूत की
मुलायम पंखुड़ीयों पर अंदर बाहर मसलते देख कर
उसके जैसे होश उड़ गए।
माँ की चूत के द्रवों से लथपथ वो फड़कता लन्ड
रेल इंजन के पिस्टन की तरह अपनी ही
लय में अंदर-बाहर चल रहा था। |
पर इस समय वो फूल-तन कर विशालकाय आकार ले चुका था
जिसे देख कर उसकी चूत मे सिरहन सी पैदा हो जाती थी।
साँप सी लचीली थिरकन थी
उस लन्ड में जो उसे सम्मोहित करे लेती थी।
वो उसकी माँ की चूत से बाहर उभरता,
फूली लाल सुपारी की एक झलक दिखती,
और तुरन्त वापस माँ की उछलती चूत मे समा जाता।
सोनिया हैरान थी कि इतना विशाल को कैसे माँ की चूत मे घुस पा रहा था।
इस नजारे ने सोनिया के मन में उथलपुथल मचा दी थी - रोमांचित भी थी। |
सोनिया सैक्स - जीवन में सक्रिय तो नहीं थी
पर ऐसी अनाड़ी भी नहीं।
पिछली गर्मियों की छुट्टियों में राजेश,
जो कि उसके ही स्कूल में था, से उसकी मुलाकात हुई थी।
राजेश अट्ठारह साल का छरहरा जवान था और
सोनिया का उससे काँटा भिड़ गया था।
राजेश ने जब उसे चूमा था,
सोनिया मोम की तरह पिघल गई थी।
कुछ ही देर में उसने अपनी पैंटी खोल कर
अपनी कुंवारी चूत राजेश के लन्ड के सामने खोल दी थी।
शुरू में दर्द हुआ, पर जल्द ही मजा भी आने लगा था।
राजेश ने लंड बाहर निकाल कर उसके गोरे,
नर्म पेट पर अपना सफ़ेद,
चिपचिपा लन्ड का तेल उडेल दिया था।
उस वक़्त तो उसे राजेश का लंड बड़ा लगा था,
पर अब बाप के दमदार लन्ड के सामने कुछ भी नहीं लगता था।
सोनिया के मस्त जवाँ बदन में अब वही भावनएं मचल रहीं थीं
जिन्हें वो सामान्य अवस्था में कभी उजागर नहीं होने देती थी।
अंदर झांकने पर उसने देखा उसकी माँ जाँघों की छरहरी
मांसपेश्हीयों को भींच कर अपनी भूखी चूत उछाल-उछाल
कर पति के खौलते हुए लंड के झटके झेल रही थी।
| सोनिया का मुँह खुला रह गया
जब उसने अपने बाप के लसलसाते लंड को माँ की
मलाईदार खाई में सटा- सट गोते लगाते और
माँ को कराहते देखा।
अब उसकी माँ आनंद से अपने प्रेमी को पुचकार रही थी
- ऐसी बेशर्मी से गंदी बतें कर रही थी,
जिसे सुनने को सोनिया व्याकुल थी।
“ऊन्हुह! ऊन्हह! चोद मुझे !
हरामी कस के चोद! बाप रे, क्या लन्ड है तेरा!”
इस हैरान कर देने वाले नजारे को देख कर सोनिया के
जवान बदन में कामुकता की लहरें उमड़ रहीं थीं।
उसके पाँव जैसे जमीन से गड़ गये हों।
मम्मी-डैडी की उत्तेजक चुदाई को देख सुन कर
खुद-ब-खुद उसक एक हाथ अपनी गोल
मखमली चूचियों को रगड़ने लगा।
दूसरा हाथ अपनी पैंटी के अंदर सरक गया और
अपनी किशोर चूत को सहलाने लगा।
बारह साल की उम्र से वो हस्तमैथुन कर रही थी और
जो चूत एक बार भड़की,
उसे आनंद देना भली तरह जानती थी।
पहले उसने चूत के होंठों को एक उगली से सहलाया,
जब उंगली गिली हो गयी तो उससे अपने मादा - द्रवों को
चूत की पंखुड़ीयों पर मल कर उसे चिपचिपा कर दिया।
उसकी जवान चूत में रोमांच की बिजली दौड़ पड़ी
जब चूत के चोचले को दो उंगलीयों के बीच दबाया।
सैक्स के बस एक ही अनुभव ने उसे सैक्स के
गुप्त आनंद का ज्ञान करा दिया था।
अब उसे चाहिये था तो बस एक मर्द जो
उसकी चूत में एक लन्ड को भर दे।
“म्म्मूहहह! अन्न्घ! अम्म्म्म!” अपनी रिसती चूत में लन्ड के बदले एक
और उंगली डाल कर सोनिया कराह पड़ि।