Surya94
Dream big, work hard.
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बापु जी समझ गए के उनका लंड मुझे चूभ रहा है इसी लिए उसने मुझे थोडा उठा कर अपना लंड पीछे कर दिया । मुझे अब चुतडो में कुछ महसूस नहीं हो रहा था मगर मेरे गाण्ड के ऊपर वह चीज़ महसूस हो रही थी।
बापु ने अपने होंठो से मेरी पीठ को चूमते हुए मेरा पेटिकोट उतार दिया और अपनी जीभ से मेरी चिकनी गोरी पीठ को चाटने लगे । बापु ने मेरी पीठ को चाटते हुए मेरी ब्रा को भी उतार दिया और अपने हाथ आगे करते हुए मेरी ३६ की गोल चुचियों को पकड़ लिया।
बापु का हाथ अपनी नंगी चुचियों पर पडते ही मेरी साँसें बुहत ज़ोर से चलने लगी । बापु धीरे धीरे मेरी चुचियों को सहला रहा था और मैं मज़े से बुहत ज़ोर की साँसें ले रही थी, मुझे अपने पूरे शरीर में बुहत ज़ोर की उत्तेजना हो रही थी ।
बापु ने मेरी चुचियों को सहलाते हुए मुझे अपनी गोद से उठाते हुए खटिया पर सीधा लेटा दिया । बापू मेरे ऊपर आते हुए अपना मूह मेरी चुचियों पर रखकर उन्हें चूमने लगे, बापू जी की हरक़तों से मुझे अपनी चूत में बुहत ज़ोर की सिहरन हो रही थी ।
बापु ने मेरी चुचियों को चूमते हुए अचानक मेरी एक चूचि के गुलाबी निप्पल को अपने मूह में भर लिया और उसे ज़ोर से चूसते हुए मेरी दूसरी चूचि को अपने होठ से सहलाने लगे । बापु मेरी चूचि को बुहत ज़ोर से चूस रहे थे जैसे मेरी चुचियों का वह दूध पी रहें हो ।
मुझे अपनी चूचि चुसवाते हुए अपनी चूत में बुहत ज़ोर की सनसनाहट हो रही थी ।
"बापु जी हमें अपनी चूत में कुछ हो रहा है" मेने उत्तेजना के मारे बापु से कह दिया।
"पहले हमें अपनी बच्ची का मीठा दूध तो पी लेने दो" बापू ने अपना मूह मेरी चूचि से हटाते हुए कहा।
"बापु जी हमारी चुचियों में दूध किधर है जो आप पी रहे हो ?" मैंने हैंरान होते हुए बापू से पुछा।
"बेटी दूध से ज़्यादा मीठी तो तुम्हारी कुंवारी चुचियां है" बापू ने जवाब दिया ।
बापु हमारी दोनों चुचियों को बारी बारी चूसने के बाद नीचे होते हुए मेरी पेंटी तक आ गये।
"बेटी कहाँ तकलिफ हो रही है?" बापू ने मेरी गीली पेंटी को सूँघते हुए कहा "बापु जी हमारी कच्छी के अंदर" मैंने बापू को बताया ।
"बेटी तुम्हारी चूत की गंध तो बुहत बढ़िया है" बापू जी ने अपनी साँसें ज़ोर से पीछे खिचते हुए कहा । बापू जी ने यह कहते हुए मेरी कच्छी में हाथ ड़ालते हुए उसे उतारने लगे, मैंने अपने चूतड़ उठाते हुए मेरी कच्छी उतारने में बापू की मदद की ।
"वाह बेटी तुम्हारी चूत तो बुहत गोरी और फूली हुई है, तुम्हारी माँ की तो काली थी" बापू ने मेरी हलके बालों वाली गोरी चूत को देखते हुए कहा । बापू ने मेरी दोनों टांगों को अपने हाथों से चौडा कर दिया।
"हमारी बेटी की चूत से तो पानी निकल रहा है, इसी लिए तो तुम्हें यहाँ पर कुछ हो रहा था" बापू ने मेरी टांगों को चौडी होते ही मेरी चूत की तरफ देखते हुए कहा।
"हमारी बेटी तो बिलकुल जवान हो चुकी है, तुम्हें अपनी चूत में इसीलिए कुछ हो रहा है क्योंकि इसे अब अपने अंदर एक लंड चाहिए बेटी।जो इस की खुजलि को ख़तम कर सके" बापू ने मेरी टांगों को घुटनों तक मोडते हुए कहा । बापू ने मेरे चुतडो के नीचे एक तकिया दे दिया जिसकी वजह से मेरी चूत खुलकर ऊपर हो गई।
बापु ने नीचे झुकते हुए अपने होंठ मेरी चूत के दोनों पतले लबों पर रखते हुए उसे चूसने लगा।
बापु के होंठ मेरी चूत पर पडते ही मेरा सारा शरीर कम्पने लगा और मैंने चील्लाते हुए बापू से कहा।
"आह्ह्ह्ह बापू जी हमें वहां कुछ हो रहा है"
बापु ने मेरी बात सुनते ही अपना मूह खोल कर मेरी चूत के होंठो को अपने मूह में भर लिया और उन्हें ज़ोर से चूसते हुए अपने दुसरे हाथ से मेरी चूत के दाने को रगडने लगे । बापू जी की यह हरकत मुझसे बर्दाशत नहीं हुए और मेरी चूत ज़ोर के झटके खाते हुए अपना पानी छोड़ने लगी ।
"ओहहहह बापू जी इस्स्स्सस्ठ अपना मूह हटा लो। हमने पेशाब कर दिया । आह्ह" में झरते हुए अपनी आँखें बंद करके बुहत ज़ोर से चिल्ला रही थी । मुझे उस वक्त पता नहीं था की यह मेरा पहले ओर्गास्म है, मुझे लगा था के मेरी छूट से पेशाब निकल रही है ।
बापु मेरी चुत से निकलता हुआ सारा पानी चाटने लगा । मेरी चूत से इतना पानी निकला था की बापू का सारा चेहरा भीग चूका था । थोड़ी देर बाद जैसे ही मेने आँखें खोली बापू जी मेरी चूत को ही चाट रहे थे, उसकी नज़र जैसे ही मुझ पर पडी उसने कहा।
"बेटी अब कैसा लग रहा है"
"जी मुझे अपना जिस्म हल्का महसूस हो रहा है । और चूत में भी अब सिहरन नहीं हो रही है । मगर बापूजी मैंने आपके चेहरे पर मूत दिया" मैंने भोलेपन से कहा।
"नही बेटी यह तुम्हारा मूत नहीं है, यह तुम्हारी चूत का पानी है जो मरद से सेक्स करते वक़त मज़े से औरत की चूत से निकलता है" बापू ने मुझसे कहा।
"बापु जी सच में मुझे बुहत मजा आ रहा था जिस वक़त मेरा पानी निकला मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मैं जन्नत की सैर कर रही थी" मैने बापू की बात सुनते हुए कहा।
"बेटी अभी तुमने मजा लिया कहाँ है यह लंड जब तुम्हारी चूत में जाकर उसको गहराई तक रगड देगा तुम यह मज़ा भूल जाओगी" बापू ने अपनी धोती को उतारते हुए अपने लंड को सहलाते हुए कहा । कंचन तुम एतबार नहीं करोगी बापू जी लंड देखकर मेरा सारा बदन एक्साईटमेंट से फिर से काम्पने लगा।
बापु जी का लंड बिलकुल काला 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था, मेरी चूत यह सोचकर ही डर के मारे झटके खा रही थी की इतना बड़ा और मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत में घुसेगा कैसे।
"बापु जी यह तो बुहत लम्बा और मोटा है,यह मेरी चूत में कैसे घुसेगा" मैंने बापू जी के मुसल लंड को ऑंखें फाड कर देखते हुए कहा ।
"बेटी भगवान ने औरत की योनि की दीवार बनायी ही ऐसी है के मरद का कितना भी बड़ा और मोटा लंड हो उसे वह अपने आप में समां लेती है । बस पहली बार थोडा दर्द होता है" बापू ने मुझे समझाते हुए कहा।
बापु जी हमें डर लग रहा है, यह बुहत लम्बा और मोटा है हमारी चूत फट जाएगी " मैंने डर के मारे बापू से कहा।
"बेटी तुम मुझ पर भरोसा करो। मैं तुझे बुहत आराम से चोदुँगा, इसे अपनी जाभ से गीला कर दो ताकी तुम्हें तकलीफ न हो" बापू जी नीचे से उठते हुए अपना लंड मेरे मूह के पास करते हुए बोले ।
मुझे बापू के लंड से अजीब गंध आ रही थी, मैंने अपनी जीभ निकालकर उनके लंड पर फिराने लगी । पहले मुझे उसके लंड का स्वाद अजीब लगा मगर फिर मुझे उसे चाटते हुए मजा आने लगा । मैंने बापू जी के पूरे लंड को अपनी जीभ से गीला कर दिया, बापू का लंड अब और ज्यादा अकड़ता हुआ और फूला हुआ लग रहा था ।
बापु अब मेरी टांगों को जो मैंने सिधी कर दी थी फिर से घुटनों तक मोड़ दिया और अपने लंड को मेरी फूली चूत पर रगडने लगे । बापू का लंड अपनी चूत पर लगते ही मेरा पूरा शरीर काम्पने लगा और मेरे मूह से सिसकियाँ निकलने लगी।
बापु ने अपना लंड अब मेरी चूत के दोनों होठो को खोलते हुए उसमें फँसा दिया । मेरा दिल आने वाले पल के बारे में सोचते हुए बुहत ज़ोर से धडक रहा था, बापू ने मेरी टांगों को पकड कर एक धक्का मारा। बापू जी का लंड मेरी चूत में जाने के बजाये फिसल कर बाहर आ गया ।
मेरा सारा शरीर गरम हो चुका था, मैंने बापू का लंड अपनी चूत में लेने के लिए उतावली हो रही थी । बापू का लंड दुसरी बार में भी अंदर जाने की बजाये फिसल गया।
"एक मिनट ठहरो बेटी" यह कहता हुआ बापू खटिया से उठकर किचन में चला गया । बापू जब लौटे तो उसके हाथ में मक्खन था, बापू ने मक्खन को मेरी चूत के छेद में अच्छी तरह से ड़ालते हुए बाकी का बचा हुआ अपने लंड पर लगा दिया ।
बापु ने इस बार अपने लंड को मेरी चूत में ड़ालने के बजाये अपनी एक ऊँगली मेरी छूट में डाल दी और उसे अंदर बाहर करने लगा । ऐसे ही बापू ने अब दो उँगलियाँ मेरी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लाग, मुझे बापू की उँगलियों से बुहत मजा आ रहा था । मेरी चूत से पानी टपक रहा था और वह बिलकुल गीली हो चुकी थी।
बापु ने मेरी चूत के होंठो को खोलते हुए अपना लंड उनके बीच फँसा दिया । बापू ज़ोर का धक्का देने के बजाये अपने लंड को वहां पर ही हलके हलके धक्कों के साथ सेट करने लगे । मेरा पूरा शरीर पसीने से भीग चूका था और मेरा सारा शरीर एक्साईटमेंट में कांप रहा था, मैं चाहती थी की बापू जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में पेल दे । ऐसा करने से बापू जी लंड का मोटा टोपा मेरी चूत के होंठो को फ़ैलाता हुआ अंदर फँस चूका था ।
बापु ने अपने होंठो से मेरी पीठ को चूमते हुए मेरा पेटिकोट उतार दिया और अपनी जीभ से मेरी चिकनी गोरी पीठ को चाटने लगे । बापु ने मेरी पीठ को चाटते हुए मेरी ब्रा को भी उतार दिया और अपने हाथ आगे करते हुए मेरी ३६ की गोल चुचियों को पकड़ लिया।
बापु का हाथ अपनी नंगी चुचियों पर पडते ही मेरी साँसें बुहत ज़ोर से चलने लगी । बापु धीरे धीरे मेरी चुचियों को सहला रहा था और मैं मज़े से बुहत ज़ोर की साँसें ले रही थी, मुझे अपने पूरे शरीर में बुहत ज़ोर की उत्तेजना हो रही थी ।
बापु ने मेरी चुचियों को सहलाते हुए मुझे अपनी गोद से उठाते हुए खटिया पर सीधा लेटा दिया । बापू मेरे ऊपर आते हुए अपना मूह मेरी चुचियों पर रखकर उन्हें चूमने लगे, बापू जी की हरक़तों से मुझे अपनी चूत में बुहत ज़ोर की सिहरन हो रही थी ।
बापु ने मेरी चुचियों को चूमते हुए अचानक मेरी एक चूचि के गुलाबी निप्पल को अपने मूह में भर लिया और उसे ज़ोर से चूसते हुए मेरी दूसरी चूचि को अपने होठ से सहलाने लगे । बापु मेरी चूचि को बुहत ज़ोर से चूस रहे थे जैसे मेरी चुचियों का वह दूध पी रहें हो ।
मुझे अपनी चूचि चुसवाते हुए अपनी चूत में बुहत ज़ोर की सनसनाहट हो रही थी ।
"बापु जी हमें अपनी चूत में कुछ हो रहा है" मेने उत्तेजना के मारे बापु से कह दिया।
"पहले हमें अपनी बच्ची का मीठा दूध तो पी लेने दो" बापू ने अपना मूह मेरी चूचि से हटाते हुए कहा।
"बापु जी हमारी चुचियों में दूध किधर है जो आप पी रहे हो ?" मैंने हैंरान होते हुए बापू से पुछा।
"बेटी दूध से ज़्यादा मीठी तो तुम्हारी कुंवारी चुचियां है" बापू ने जवाब दिया ।
बापु हमारी दोनों चुचियों को बारी बारी चूसने के बाद नीचे होते हुए मेरी पेंटी तक आ गये।
"बेटी कहाँ तकलिफ हो रही है?" बापू ने मेरी गीली पेंटी को सूँघते हुए कहा "बापु जी हमारी कच्छी के अंदर" मैंने बापू को बताया ।
"बेटी तुम्हारी चूत की गंध तो बुहत बढ़िया है" बापू जी ने अपनी साँसें ज़ोर से पीछे खिचते हुए कहा । बापू जी ने यह कहते हुए मेरी कच्छी में हाथ ड़ालते हुए उसे उतारने लगे, मैंने अपने चूतड़ उठाते हुए मेरी कच्छी उतारने में बापू की मदद की ।
"वाह बेटी तुम्हारी चूत तो बुहत गोरी और फूली हुई है, तुम्हारी माँ की तो काली थी" बापू ने मेरी हलके बालों वाली गोरी चूत को देखते हुए कहा । बापू ने मेरी दोनों टांगों को अपने हाथों से चौडा कर दिया।
"हमारी बेटी की चूत से तो पानी निकल रहा है, इसी लिए तो तुम्हें यहाँ पर कुछ हो रहा था" बापू ने मेरी टांगों को चौडी होते ही मेरी चूत की तरफ देखते हुए कहा।
"हमारी बेटी तो बिलकुल जवान हो चुकी है, तुम्हें अपनी चूत में इसीलिए कुछ हो रहा है क्योंकि इसे अब अपने अंदर एक लंड चाहिए बेटी।जो इस की खुजलि को ख़तम कर सके" बापू ने मेरी टांगों को घुटनों तक मोडते हुए कहा । बापू ने मेरे चुतडो के नीचे एक तकिया दे दिया जिसकी वजह से मेरी चूत खुलकर ऊपर हो गई।
बापु ने नीचे झुकते हुए अपने होंठ मेरी चूत के दोनों पतले लबों पर रखते हुए उसे चूसने लगा।
बापु के होंठ मेरी चूत पर पडते ही मेरा सारा शरीर कम्पने लगा और मैंने चील्लाते हुए बापू से कहा।
"आह्ह्ह्ह बापू जी हमें वहां कुछ हो रहा है"
बापु ने मेरी बात सुनते ही अपना मूह खोल कर मेरी चूत के होंठो को अपने मूह में भर लिया और उन्हें ज़ोर से चूसते हुए अपने दुसरे हाथ से मेरी चूत के दाने को रगडने लगे । बापू जी की यह हरकत मुझसे बर्दाशत नहीं हुए और मेरी चूत ज़ोर के झटके खाते हुए अपना पानी छोड़ने लगी ।
"ओहहहह बापू जी इस्स्स्सस्ठ अपना मूह हटा लो। हमने पेशाब कर दिया । आह्ह" में झरते हुए अपनी आँखें बंद करके बुहत ज़ोर से चिल्ला रही थी । मुझे उस वक्त पता नहीं था की यह मेरा पहले ओर्गास्म है, मुझे लगा था के मेरी छूट से पेशाब निकल रही है ।
बापु मेरी चुत से निकलता हुआ सारा पानी चाटने लगा । मेरी चूत से इतना पानी निकला था की बापू का सारा चेहरा भीग चूका था । थोड़ी देर बाद जैसे ही मेने आँखें खोली बापू जी मेरी चूत को ही चाट रहे थे, उसकी नज़र जैसे ही मुझ पर पडी उसने कहा।
"बेटी अब कैसा लग रहा है"
"जी मुझे अपना जिस्म हल्का महसूस हो रहा है । और चूत में भी अब सिहरन नहीं हो रही है । मगर बापूजी मैंने आपके चेहरे पर मूत दिया" मैंने भोलेपन से कहा।
"नही बेटी यह तुम्हारा मूत नहीं है, यह तुम्हारी चूत का पानी है जो मरद से सेक्स करते वक़त मज़े से औरत की चूत से निकलता है" बापू ने मुझसे कहा।
"बापु जी सच में मुझे बुहत मजा आ रहा था जिस वक़त मेरा पानी निकला मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मैं जन्नत की सैर कर रही थी" मैने बापू की बात सुनते हुए कहा।
"बेटी अभी तुमने मजा लिया कहाँ है यह लंड जब तुम्हारी चूत में जाकर उसको गहराई तक रगड देगा तुम यह मज़ा भूल जाओगी" बापू ने अपनी धोती को उतारते हुए अपने लंड को सहलाते हुए कहा । कंचन तुम एतबार नहीं करोगी बापू जी लंड देखकर मेरा सारा बदन एक्साईटमेंट से फिर से काम्पने लगा।
बापु जी का लंड बिलकुल काला 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था, मेरी चूत यह सोचकर ही डर के मारे झटके खा रही थी की इतना बड़ा और मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत में घुसेगा कैसे।
"बापु जी यह तो बुहत लम्बा और मोटा है,यह मेरी चूत में कैसे घुसेगा" मैंने बापू जी के मुसल लंड को ऑंखें फाड कर देखते हुए कहा ।
"बेटी भगवान ने औरत की योनि की दीवार बनायी ही ऐसी है के मरद का कितना भी बड़ा और मोटा लंड हो उसे वह अपने आप में समां लेती है । बस पहली बार थोडा दर्द होता है" बापू ने मुझे समझाते हुए कहा।
बापु जी हमें डर लग रहा है, यह बुहत लम्बा और मोटा है हमारी चूत फट जाएगी " मैंने डर के मारे बापू से कहा।
"बेटी तुम मुझ पर भरोसा करो। मैं तुझे बुहत आराम से चोदुँगा, इसे अपनी जाभ से गीला कर दो ताकी तुम्हें तकलीफ न हो" बापू जी नीचे से उठते हुए अपना लंड मेरे मूह के पास करते हुए बोले ।
मुझे बापू के लंड से अजीब गंध आ रही थी, मैंने अपनी जीभ निकालकर उनके लंड पर फिराने लगी । पहले मुझे उसके लंड का स्वाद अजीब लगा मगर फिर मुझे उसे चाटते हुए मजा आने लगा । मैंने बापू जी के पूरे लंड को अपनी जीभ से गीला कर दिया, बापू का लंड अब और ज्यादा अकड़ता हुआ और फूला हुआ लग रहा था ।
बापु अब मेरी टांगों को जो मैंने सिधी कर दी थी फिर से घुटनों तक मोड़ दिया और अपने लंड को मेरी फूली चूत पर रगडने लगे । बापू का लंड अपनी चूत पर लगते ही मेरा पूरा शरीर काम्पने लगा और मेरे मूह से सिसकियाँ निकलने लगी।
बापु ने अपना लंड अब मेरी चूत के दोनों होठो को खोलते हुए उसमें फँसा दिया । मेरा दिल आने वाले पल के बारे में सोचते हुए बुहत ज़ोर से धडक रहा था, बापू ने मेरी टांगों को पकड कर एक धक्का मारा। बापू जी का लंड मेरी चूत में जाने के बजाये फिसल कर बाहर आ गया ।
मेरा सारा शरीर गरम हो चुका था, मैंने बापू का लंड अपनी चूत में लेने के लिए उतावली हो रही थी । बापू का लंड दुसरी बार में भी अंदर जाने की बजाये फिसल गया।
"एक मिनट ठहरो बेटी" यह कहता हुआ बापू खटिया से उठकर किचन में चला गया । बापू जब लौटे तो उसके हाथ में मक्खन था, बापू ने मक्खन को मेरी चूत के छेद में अच्छी तरह से ड़ालते हुए बाकी का बचा हुआ अपने लंड पर लगा दिया ।
बापु ने इस बार अपने लंड को मेरी चूत में ड़ालने के बजाये अपनी एक ऊँगली मेरी छूट में डाल दी और उसे अंदर बाहर करने लगा । ऐसे ही बापू ने अब दो उँगलियाँ मेरी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लाग, मुझे बापू की उँगलियों से बुहत मजा आ रहा था । मेरी चूत से पानी टपक रहा था और वह बिलकुल गीली हो चुकी थी।
बापु ने मेरी चूत के होंठो को खोलते हुए अपना लंड उनके बीच फँसा दिया । बापू ज़ोर का धक्का देने के बजाये अपने लंड को वहां पर ही हलके हलके धक्कों के साथ सेट करने लगे । मेरा पूरा शरीर पसीने से भीग चूका था और मेरा सारा शरीर एक्साईटमेंट में कांप रहा था, मैं चाहती थी की बापू जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में पेल दे । ऐसा करने से बापू जी लंड का मोटा टोपा मेरी चूत के होंठो को फ़ैलाता हुआ अंदर फँस चूका था ।
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