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LEVEL 9
310 XP
एक दिन मम्मी और में एक पंडित के पास गए कुछ समस्या की साधन पाने । सुबह की बास पकड़ के हम पंडित के पास पोहौच । उनका छोटा सा एक आश्रम था मम्मी और मुझे अतिथि कक्ष में कुछ देर को रुकने कहा गया मम्मी और में नीचे चटाई पर बैठे थे क्यू की खाली कमरे था एक कोने में पानी का मटका और मिट्टी की बनी हुई ग्लास।
थोड़ी ही देर में पंडित जगमहन कक्ष में आए और हमारे ससामने बैठ गए और हमसे आने का कारण पूछा । मम्मी और मैने प्रणाम किया उसने हमे आशीर्वाद दिया । पंडित जगमहन करीब 40 साल के लग रहे थे सुसायस्थ लग रहे थे बाकी तो भेष भूषा पंडितो वाली ही थी ।
मम्मी ने बड़ी उम्मीद से बोलो """ पंडित जी मेरा नाम सुकन्या है और ये मेरा बड़ा बेटा सत्यम बारवी कक्षा में पढ़ता है । पंडित जी आपके बारे में बोहोत सुना है और उम्मीद ले कर आए हे मेरे छीने में दर्द रहता है कभी कभी गर्दन में भी दर्द होती रहती है """""
पंडित बोले"""" अच्छा समझ गया सब ठीक हो जायेगा मेरे इलाज से बड़े से बड़े बीमारी ठीक हुई हे ये तो मामूली बीमारी हे"""" और मेरी तरफ देख कर बोला""" बेटा तुम दूसरे कक्ष में इंतजार करो में तुम्हारी मम्मी इलाज करता हूं """
मैने मम्मी की तरफ देखा तो मम्मी ने भी मुझे इशारे से जाने को कहा में उठ कर दूसरे कमरे में गया लेकिन में खिड़की से देखने लगा की पंडित मम्मी का क्या इलाज करता हे।
पंडित ने मम्मी से कहा """ आप तो पसीने से नहा चुकी हे आने में ज्यादा तकलीफ तो नही हुई""""
मम्मी शर्मा कर बोली """ जी हम बास से आए है बोहोत भीड़ था और आज कुछ ज्यादा ही गर्मी थी """
मैने देखा की पंडित मम्मी की छाती घूर रहा है। मम्मी की ब्लाउज बगल से पूरा भीग चुका था छाती में भी कुछ हिस्सा पीठ पर कुछ हिस्सा पसीने से भीग चुका था । मम्मी की पल्लू तो ठीक तरह से कंधे पे अटकी हुई थी लेकिन मम्मी की चुचियों की आकार फिर भी समझा जा सकता था मम्मी गोरी खूबसूरत तो थी ही उसकी गर्दायी हुई गठीला जिस्म भी आकर्षक थी जहा चर्बी होनी चाहिए उसी अंग पर सही मात्रा पर चर्बी थी । मम्मी हमेशा सारी पहनती थी ।
थोड़ी ही देर में पंडित जगमहन कक्ष में आए और हमारे ससामने बैठ गए और हमसे आने का कारण पूछा । मम्मी और मैने प्रणाम किया उसने हमे आशीर्वाद दिया । पंडित जगमहन करीब 40 साल के लग रहे थे सुसायस्थ लग रहे थे बाकी तो भेष भूषा पंडितो वाली ही थी ।
मम्मी ने बड़ी उम्मीद से बोलो """ पंडित जी मेरा नाम सुकन्या है और ये मेरा बड़ा बेटा सत्यम बारवी कक्षा में पढ़ता है । पंडित जी आपके बारे में बोहोत सुना है और उम्मीद ले कर आए हे मेरे छीने में दर्द रहता है कभी कभी गर्दन में भी दर्द होती रहती है """""
पंडित बोले"""" अच्छा समझ गया सब ठीक हो जायेगा मेरे इलाज से बड़े से बड़े बीमारी ठीक हुई हे ये तो मामूली बीमारी हे"""" और मेरी तरफ देख कर बोला""" बेटा तुम दूसरे कक्ष में इंतजार करो में तुम्हारी मम्मी इलाज करता हूं """
मैने मम्मी की तरफ देखा तो मम्मी ने भी मुझे इशारे से जाने को कहा में उठ कर दूसरे कमरे में गया लेकिन में खिड़की से देखने लगा की पंडित मम्मी का क्या इलाज करता हे।
पंडित ने मम्मी से कहा """ आप तो पसीने से नहा चुकी हे आने में ज्यादा तकलीफ तो नही हुई""""
मम्मी शर्मा कर बोली """ जी हम बास से आए है बोहोत भीड़ था और आज कुछ ज्यादा ही गर्मी थी """
मैने देखा की पंडित मम्मी की छाती घूर रहा है। मम्मी की ब्लाउज बगल से पूरा भीग चुका था छाती में भी कुछ हिस्सा पीठ पर कुछ हिस्सा पसीने से भीग चुका था । मम्मी की पल्लू तो ठीक तरह से कंधे पे अटकी हुई थी लेकिन मम्मी की चुचियों की आकार फिर भी समझा जा सकता था मम्मी गोरी खूबसूरत तो थी ही उसकी गर्दायी हुई गठीला जिस्म भी आकर्षक थी जहा चर्बी होनी चाहिए उसी अंग पर सही मात्रा पर चर्बी थी । मम्मी हमेशा सारी पहनती थी ।