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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम राजा है। मैं सचमुच का राजा नहीं हूं लेकिन मेरे घरवालों ने बड़े प्यार से ये नाम रखा है तो इसलिए इसी नाम से बुलाते हैं।
मैं आपको अपनी भाभी की चुदाई की कहानी सुनाना चाहता हूं।


आप तो जानते ही हैं कि कोरोना ने भारत में कैसा हाहाकार मचाया। लॉकडाउन में जिन्दगी की रफ्तार पर ऐसा ब्रेक लगा कि जो जहां था वहीं पर कैद होकर रह गया।


इन दिनों मैं भी घर पर खाली पड़ा था तो कुछ पुरानी यादें ताजा हो गयीं।
उन्हीं को आपके सामने कहानी के रूप में पेश कर रहा हूं। उम्मीद करता हूं कि टिकटोक सेक्स कहानी आपके अंदर चुदाई की गर्मी भर देगी।


आज जो मैं घटना आपको बताने जा रहा हूं वह मेरे साथ बैंगलोर में हुई थी।


मैं जिस सोसाइटी में रहता था, उसमें ही एक बंगाली भाभीजी रहती थीं।
उन्होंने अभी नया नया टिकटॉक ज्वॉइन किया था इसलिए अक्सर वो फोन को हाथ में लिए वीडियो बनातीं दिख जाया करती थीं।


मैं भी उनको ताड़ता रहता था।


दरअसल भाभी की जवानी बहुत गर्म थी; शीला की जवानी तो उसके सामने पानी मांगे।
वे एकदम जैसे काम की देवी लगती थी।
मगर उनको अपनी इस खूबी के बारे में ज्यादा ज्ञान नहीं था।


राह गुजर रहे आते जाते किसी पंछी की नजर उन पर पड़ती तो मुंडी टूट न जाने तक वो उनको ही देखता चला जाता था।
मैं तो कहूंगा कि उनको देख कर स्वयं कामदेव का भी मन डगमगा जाए।


उनके 36 डी के हिमालय पर्वत जैसे चूचे तो बस आग लगा जाते थे … उनके ब्लाउज से दिखती क्लीवेज रूपी घाटियाँ लन्ड की घन्टी बजाने के लिए काफी थीं।
भाभी की उभरी गान्ड सोसाइटी में मुठ की नदियाँ बहा दिया करती थी.


वो लो-वेस्ट साड़ी पहना करती जिससे उनकी धुन्नी एक अलग सा नशा बनकर उभरती थी।


शाम को कभी-कभार भाभीजी से मुलाकात हो जाती थी. वो हल्की सी मुस्कान दे जाती और मैं आहें भरकर रह जाता था.


एक शाम मैं टहल रहा था कि कानों में उनकी मीठी आवाज पड़ी- राजा … राजा! एक काम करोगे?
बिना काम सुने ही मैंने तुरंत भाभीजी को हाँ बोल दिया.
भला भाभी कुछ आदेश दें और उसका पालन न हो? ऐसा तो संभव ही नहीं था।
मैं उनका दास बनने के लिए तैयार था, काम तो बहुत छोटी बात थी।


भाभीजी बोली- टिकटॉक वीडियो बनाने में मेरी मदद कर दोगे क्या?
मैं बोला- हां भाभी, इतनी सी बात के लिए भी क्या पूछना था, सीधे ही कह देती!
वो बोली- ठीक है, तो कल इतवार भी है तो तुम कल ही आ जाना।


मैं तो पहले से ही तैयार बैठा था।
उस दिन अपने फ्लैट पर जाकर मैंने दो बार मुट्ठ मार डाली।
मैं बस अब कल के सन्डे का इंतजार कर रहा था।


उस रात मैंने मन में ठान लिया था कि कल भाभी की चुदाई करके ही रहूंगा।


अगले दिन मैं भाभीजी के फ्लैट में गया. उसने मुझे घर में अंदर आने को कहा।


जब मैं गया तो उस वक्त भाभीजी खाना बना रही थी. मुझे बिठाकर वो किचन में चली गयी।
फिर हम दोनों में वहीं से बातें होने लगीं।


भाभी ने बताया कि उनके पति किसी काम से बाहर गए हुए हैं।


मेरा तो उनसे बातें करने के दौरान ही लंड खड़ा होने लगा था।
जब पता था कि उनके पति घर में नहीं है तो मन में चोदने की इच्छा और ज्यादा तीव्र होने लगी थी। मुझे लगा कि यह टिकटोक सेक्स का मजा दिलायेगा मुझे!


कुछ देर के बाद मैं उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया। मन कर रहा था कि भाभी की गांड पर लंड लगा दूं लेकिन ऐसा करने की मेरी हिम्मत नहीं हुई।


उसके बाद मैं वापस से बाहर आ गया और टीवी देखने लगा।


भाभीजी खाना बनाकर बाहर आई और टिकटॉक वीडियो बनाने की बातें होने लगीं.
फिर भाभीजी से टिकटॉक वीडियो के लिए कपड़ों की बातें होने लगीं।


वो बोलीं- राजा, तुम बताओ कि कौन सी ड्रेस सही रहेगी?
मैं- आप वेस्टर्न ड्रेस टाई कीजिये, आप देखने वालों के दिल में आग लगा दोगी भाभीजी.


भाभीजी हल्की मुस्कान के साथ बोली- ठीक है, चलो … फिर मैं तुमको मेरे वेस्टर्न ड्रेस का कलेक्शन दिखाती हूँ. मेरी मिनी स्कर्ट, मिनी ड्रेस, आँफ शोल्डर ड्रेस, मिडी ड्रेस, वन पीस आदि सब दिखाती हूं।


उन्होंने मुझे अपने सारे ड्रेस दिखाए।
उनके पास वाकई में ही बहुत सारे ड्रेस थे।


मैं- भाभीजी, आपके कलेक्शन तो बहुत शानदार है, अब चलिए आप ड्रेस बदल लीजिए और फिर हम टिकटॉक वीडियो बनाते हैं.


भाभीजी- मैं कौन सा ड्रेस पहले ट्राई करूं?
मैं- ये वाली मिनी स्कर्ट और टॉप ट्राई कीजिए भाभीजी।
फिर वो कातिलाना मुस्कान देते हुए वो ड्रेस लेकर अन्दर के रूम में चेन्ज करने चली गई.


कुछ देर बाद अन्दर से उनकी आवाज आई- राजा … राजा … अन्दर आओ जरा!


अन्दर गया तो भाभी क्रॉप टॉप और मिनी स्कर्ट में कहर ढहा रही थी।
मिनी स्कर्ट से उनकी मक्खन जैसी जांघें बिल्कुल नग्नावस्था में दिख रही थी.


टॉप में उनके दूध बिल्कुल बाहर निकलने को बेताब थे.
अनायास ही मेरे मुँह से निकल गया- सेक्स बॉम्ब!


मेरे ऐसा कहने पर वो मुझे हैरानी से देखने लगी।


तभी मैंने बात को संभाला और हाथ पकड़ कर उनको शीशे के सामने ले गया।
मैं उनकी तारीफों के पुल बांधने लगा।


जब मैं उनकी तारीफ कर रहा था तो वो बहुत खुश हो जाती थी।


मेरी जांघें उनके कूल्हों से सटी हुई थीं। मेरा लंड खड़ा हो गया और भाभी की गांड पर टच होने लगा।


मैं अब गर्म हो गया और मन करने लगा कि भाभी को चोद दूं बस!
लंड को मैं जानबूझकर उनकी गांड पर रगड़ने लगा ताकि उनकी प्रतिक्रिया जान सकूं।


भाभी कुछ प्रतिक्रिया नहीं दे रही थी।


फिर मेरे हाथ उनकी कमर पर चले गए और मैं उस पर हाथ फेरते हुए बोला- भाभी, आपकी कमर तो इतनी शेप में है जैसे 18 साल की जवान लड़की की हो।


वो बोली- तुम मस्का लगा रहे हो!
मैं बोला- लगा तो बहुत कुछ रहा हूं, बस आपको महसूस नहीं हो रहा।
ये सुनकर भाभी का चेहरा लाल हो गया।


मैंने इसी पल भाभी की गांड में लंड जोर से सटा दिया और उनके पेट पर हाथों को लपेट कर उनसे लिपट गया।
मैं उनकी गर्दन को चूमने लगा तो वो सिहर सी गयी।


एकदम से मैंने उनको पलटा और उनके होंठों को चूमने लगा।
वो भी जैसे मेरे होंठों के चुम्बन में एक बार के लिए खो गयी।


मगर फिर अचानक से उनको न जाने क्या हुआ कि उन्होंने मुझे पीछे हटा दिया और आगे न बढ़ने को बोला।


मगर मैंने उनको अपनी बांहों में भींच लिया और उनके गले पर चूमने लगा।
वो मना करती रही और मैं उनको चूमता रहा, उनकी चूत के ऊपर से लंड को सटाता रहा।


मेरा मुंह उनकी चूचियों की घाटी में जाकर चूम रहा था।
ऐसा करते करते ही उनके मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं।
मैंने उनको गोद में उठाया और बेड पर ले जाकर लिटा दिया और उनके ऊपर आ गया।


जोश में मैंने उनके टॉप को फाड़ दिया। भाभी की गुलाबी ब्रा में उनकी गोरी चूची कैद थीं। जिनको मैंने ब्रा के ऊपर से ही चूमना शुरू कर दिया।
फिर मैंने उनको पलटा और ब्रा के हुक खोल डाले।


अब उनको सीधी करके चूचियों में मुंह लगाकर बारी बारी से उनको पीने लगा।


मेरे दबाते दबाते उनके मुंह से सिसकारियां तेज हो गयी थीं- ओह्ह … राजा … आह्ह … मत करो … आह्ह … मैं पागल हो रही हूं … आह्ह … राजा … आआआ ह्ह्ह … प्लीज!


मैं रुका नहीं और भाभी को गर्म करता रहा।


अब मैं उनकी स्कर्ट को भी खोल चुका था और पैंटी खींचकर भाभी को पूरी नंगी कर दिया।


उनका नंगा जिस्म देखकर मैं तो पागल ही हो गया।
सीधा मैं भाभी की चूत पर टूट पड़ा। मैं भाभी की चूत चूसने चाटने लगा।


वो और ज्यादा मदहोश होने लगी। उनकी चूचियों पर किशमश जैसे निप्पल अब तने हुए लग रहे थे।


उनके चूचे तनकर खड़े हो गये थे जिनको देखते हुए चूत में जीभ से चाटने में मुझे बहुत ज्यादा सेक्स चढ़ रहा था।


उधर भाभी भी पूरी चुदासी हो गयी थी और फिर वो सिसकारते हुए बोलने लगी- आह्ह … राजा … बस चोद दो … अब चोद दो मुझे। इस निगोड़ी चूत का पानी निकाल दो।


मैंने भाभी की चूत में उंगली दे दी और उसको कुरेदने लगा।
वो एकदम से पागल होने लगी और मेरे हाथ से चूत को रगड़वाने लगी और बोली- बस चोद दो अब … नहीं रुका जा रहा!


जब उनसे रहा न गया तो वो उठ गयी।
मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे नंगा कर दिया और मेरे लंड को हाथ में ले लिया। उसको एक दो बार आगे पीछे किया और फिर लंड पर झुक कर उसको मुंह में ले लिया।


वो मेरे लंड को चूसने लगी और मैं उनके मुंह को चोदने लगा।
मुझे एक अलग ही चरमसुख का अहसास होने लगा, अब मैं भी चोदने के लिए तड़प उठा था।


अब मैंने उनको बेड पर पटका और उनकी चूत पर लंड को सेट कर दिया।


फिर उनकी चूत पर लंड का दबाव बनाते हुए धीरे धीरे उनके ऊपर लेटता चला गया और मेरा लंड भाभी की चूत में प्रवेश कर गया।


वो बोली- आह्ह … फट गयी रे … आह्ह बहुत मोटा है राजा … आह्ह मेरी चूत फट गयी राजा … आह्ह कर दे अब!
मैं भाभी के होंठ चूमने लगा और वो भी पागलों की तरह मेरे होंठों को चूसने लगी।


मैं भाभी की चुदाई करने लगा और ताबड़तोड़ उसकी चूत में धक्के मारने लगा।
हम दोनों चुदाई के नशे में खो गए।
ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत की सैर कर रहा हूं। भाभी की चूचियों के पहाड़ों पर भ्रमण कर रहा हूं।


भाभी भी मस्ती में चुदवाते हुए आनंदित हो रही थी।
मेरी स्पीड बढ़ती चली गई और भाभी की सिसकारियां भी बढ़ती चली गईं।
वो बोली- आह्ह … फाड़ दे … आह्ह … और जोर से … आह्ह चोद राजा … चोद दे।


मैं उनकी कामुक बातों से और जोश में आता जा रहा था।
अब मेरे लंड की नसें फूलने लगी थीं; मेरा स्खलन होने ही वाला था कि भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया।


चूत में लंड से चोदते हुए पच पच की आवाज होने लगी जिससे मेरा वीर्य भी निकलने को हो गया।


फिर दो चार धक्कों के बाद ही मैं भी भाभी की चूत में खाली हो गया और उनके ऊपर ही गिर गया।


हम दोनों बेड पर लेटे हुए हांफ रहे थे। उनकी चूचियां तेजी से ऊपर नीचे हो रही थीं। मेरा लंड अभी भी भाभी की चूत में ही था। उनकी चूत से लंड को बाहर निकालने का मन ही नहीं कर रहा था।


मैं पड़ा पड़ा उनकी चूचियों को पीता रहा। वो भी मेरे सिर पर हाथों को फिराती रही।


उनकी चूचियों को पीने में बहुत रस मिल रहा था। मेरा मन उनको फिर से चोदने का था लेकिन अभी लंड में दोबारा से तनाव आने में वक्त लग रहा था।


भाभी बोली- अब उठ जाओ, तुम्हें आए हुए काफी देर हो गयी है। अगर किसी को शक हो गया तो बदनामी हो जाएगी।
मैंने कहा- भाभी, एक बार और करने दो ना प्लीज?
वो बोली- नहीं, आज नहीं! बाद में करना।


उसके बाद मैं उठा और फिर भाभी की टिकटॉक वीडियो बनवाकर घर आ गया।
इस तरह से मैंने टिकटॉक वाली भाभी की चुदाई के मजे लिये।
उसके बाद मैंने भाभी की चुदाई उनके घर में न जाने किस-किस जगह और किस-किस पोज में की।


मैंने कभी उनको किचन में चोदा तो कभी बाथरूम में, कभी उनको पलंग पर चोदा तो कभी कुर्सी पर टांग उठवाकर पेला।
भाभी की चूत को मैंने अपने लंड का पूरा मजा दिया और खुद भी भाभी की चूत का पूरा मजा लिया।
 
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मैं आपको अपनी भाभी की चुदाई की कहानी सुनाना चाहता हूं।


आप तो जानते ही हैं कि कोरोना ने भारत में कैसा हाहाकार मचाया। लॉकडाउन में जिन्दगी की रफ्तार पर ऐसा ब्रेक लगा कि जो जहां था वहीं पर कैद होकर रह गया।


इन दिनों मैं भी घर पर खाली पड़ा था तो कुछ पुरानी यादें ताजा हो गयीं।
उन्हीं को आपके सामने कहानी के रूप में पेश कर रहा हूं। उम्मीद करता हूं कि टिकटोक सेक्स कहानी आपके अंदर चुदाई की गर्मी भर देगी।


आज जो मैं घटना आपको बताने जा रहा हूं वह मेरे साथ बैंगलोर में हुई थी।


मैं जिस सोसाइटी में रहता था, उसमें ही एक बंगाली भाभीजी रहती थीं।
उन्होंने अभी नया नया टिकटॉक ज्वॉइन किया था इसलिए अक्सर वो फोन को हाथ में लिए वीडियो बनातीं दिख जाया करती थीं।


मैं भी उनको ताड़ता रहता था।


दरअसल भाभी की जवानी बहुत गर्म थी; शीला की जवानी तो उसके सामने पानी मांगे।
वे एकदम जैसे काम की देवी लगती थी।
मगर उनको अपनी इस खूबी के बारे में ज्यादा ज्ञान नहीं था।


राह गुजर रहे आते जाते किसी पंछी की नजर उन पर पड़ती तो मुंडी टूट न जाने तक वो उनको ही देखता चला जाता था।
मैं तो कहूंगा कि उनको देख कर स्वयं कामदेव का भी मन डगमगा जाए।


उनके 36 डी के हिमालय पर्वत जैसे चूचे तो बस आग लगा जाते थे … उनके ब्लाउज से दिखती क्लीवेज रूपी घाटियाँ लन्ड की घन्टी बजाने के लिए काफी थीं।
भाभी की उभरी गान्ड सोसाइटी में मुठ की नदियाँ बहा दिया करती थी.


वो लो-वेस्ट साड़ी पहना करती जिससे उनकी धुन्नी एक अलग सा नशा बनकर उभरती थी।


शाम को कभी-कभार भाभीजी से मुलाकात हो जाती थी. वो हल्की सी मुस्कान दे जाती और मैं आहें भरकर रह जाता था.


एक शाम मैं टहल रहा था कि कानों में उनकी मीठी आवाज पड़ी- राजा … राजा! एक काम करोगे?
बिना काम सुने ही मैंने तुरंत भाभीजी को हाँ बोल दिया.
भला भाभी कुछ आदेश दें और उसका पालन न हो? ऐसा तो संभव ही नहीं था।
मैं उनका दास बनने के लिए तैयार था, काम तो बहुत छोटी बात थी।


भाभीजी बोली- टिकटॉक वीडियो बनाने में मेरी मदद कर दोगे क्या?
मैं बोला- हां भाभी, इतनी सी बात के लिए भी क्या पूछना था, सीधे ही कह देती!
वो बोली- ठीक है, तो कल इतवार भी है तो तुम कल ही आ जाना।


मैं तो पहले से ही तैयार बैठा था।
उस दिन अपने फ्लैट पर जाकर मैंने दो बार मुट्ठ मार डाली।
मैं बस अब कल के सन्डे का इंतजार कर रहा था।


उस रात मैंने मन में ठान लिया था कि कल भाभी की चुदाई करके ही रहूंगा।


अगले दिन मैं भाभीजी के फ्लैट में गया. उसने मुझे घर में अंदर आने को कहा।


जब मैं गया तो उस वक्त भाभीजी खाना बना रही थी. मुझे बिठाकर वो किचन में चली गयी।
फिर हम दोनों में वहीं से बातें होने लगीं।


भाभी ने बताया कि उनके पति किसी काम से बाहर गए हुए हैं।


मेरा तो उनसे बातें करने के दौरान ही लंड खड़ा होने लगा था।
जब पता था कि उनके पति घर में नहीं है तो मन में चोदने की इच्छा और ज्यादा तीव्र होने लगी थी। मुझे लगा कि यह टिकटोक सेक्स का मजा दिलायेगा मुझे!


कुछ देर के बाद मैं उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया। मन कर रहा था कि भाभी की गांड पर लंड लगा दूं लेकिन ऐसा करने की मेरी हिम्मत नहीं हुई।


उसके बाद मैं वापस से बाहर आ गया और टीवी देखने लगा।


भाभीजी खाना बनाकर बाहर आई और टिकटॉक वीडियो बनाने की बातें होने लगीं.
फिर भाभीजी से टिकटॉक वीडियो के लिए कपड़ों की बातें होने लगीं।


वो बोलीं- राजा, तुम बताओ कि कौन सी ड्रेस सही रहेगी?
मैं- आप वेस्टर्न ड्रेस टाई कीजिये, आप देखने वालों के दिल में आग लगा दोगी भाभीजी.


भाभीजी हल्की मुस्कान के साथ बोली- ठीक है, चलो … फिर मैं तुमको मेरे वेस्टर्न ड्रेस का कलेक्शन दिखाती हूँ. मेरी मिनी स्कर्ट, मिनी ड्रेस, आँफ शोल्डर ड्रेस, मिडी ड्रेस, वन पीस आदि सब दिखाती हूं।


उन्होंने मुझे अपने सारे ड्रेस दिखाए।
उनके पास वाकई में ही बहुत सारे ड्रेस थे।


मैं- भाभीजी, आपके कलेक्शन तो बहुत शानदार है, अब चलिए आप ड्रेस बदल लीजिए और फिर हम टिकटॉक वीडियो बनाते हैं.


भाभीजी- मैं कौन सा ड्रेस पहले ट्राई करूं?
मैं- ये वाली मिनी स्कर्ट और टॉप ट्राई कीजिए भाभीजी।
फिर वो कातिलाना मुस्कान देते हुए वो ड्रेस लेकर अन्दर के रूम में चेन्ज करने चली गई.


कुछ देर बाद अन्दर से उनकी आवाज आई- राजा … राजा … अन्दर आओ जरा!


अन्दर गया तो भाभी क्रॉप टॉप और मिनी स्कर्ट में कहर ढहा रही थी।
मिनी स्कर्ट से उनकी मक्खन जैसी जांघें बिल्कुल नग्नावस्था में दिख रही थी.


टॉप में उनके दूध बिल्कुल बाहर निकलने को बेताब थे.
अनायास ही मेरे मुँह से निकल गया- सेक्स बॉम्ब!


मेरे ऐसा कहने पर वो मुझे हैरानी से देखने लगी।


तभी मैंने बात को संभाला और हाथ पकड़ कर उनको शीशे के सामने ले गया।
मैं उनकी तारीफों के पुल बांधने लगा।


जब मैं उनकी तारीफ कर रहा था तो वो बहुत खुश हो जाती थी।


मेरी जांघें उनके कूल्हों से सटी हुई थीं। मेरा लंड खड़ा हो गया और भाभी की गांड पर टच होने लगा।


मैं अब गर्म हो गया और मन करने लगा कि भाभी को चोद दूं बस!
लंड को मैं जानबूझकर उनकी गांड पर रगड़ने लगा ताकि उनकी प्रतिक्रिया जान सकूं।


भाभी कुछ प्रतिक्रिया नहीं दे रही थी।


फिर मेरे हाथ उनकी कमर पर चले गए और मैं उस पर हाथ फेरते हुए बोला- भाभी, आपकी कमर तो इतनी शेप में है जैसे 18 साल की जवान लड़की की हो।


वो बोली- तुम मस्का लगा रहे हो!
मैं बोला- लगा तो बहुत कुछ रहा हूं, बस आपको महसूस नहीं हो रहा।
ये सुनकर भाभी का चेहरा लाल हो गया।


मैंने इसी पल भाभी की गांड में लंड जोर से सटा दिया और उनके पेट पर हाथों को लपेट कर उनसे लिपट गया।
मैं उनकी गर्दन को चूमने लगा तो वो सिहर सी गयी।


एकदम से मैंने उनको पलटा और उनके होंठों को चूमने लगा।
वो भी जैसे मेरे होंठों के चुम्बन में एक बार के लिए खो गयी।


मगर फिर अचानक से उनको न जाने क्या हुआ कि उन्होंने मुझे पीछे हटा दिया और आगे न बढ़ने को बोला।


मगर मैंने उनको अपनी बांहों में भींच लिया और उनके गले पर चूमने लगा।
वो मना करती रही और मैं उनको चूमता रहा, उनकी चूत के ऊपर से लंड को सटाता रहा।


मेरा मुंह उनकी चूचियों की घाटी में जाकर चूम रहा था।
ऐसा करते करते ही उनके मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं।
मैंने उनको गोद में उठाया और बेड पर ले जाकर लिटा दिया और उनके ऊपर आ गया।


जोश में मैंने उनके टॉप को फाड़ दिया। भाभी की गुलाबी ब्रा में उनकी गोरी चूची कैद थीं। जिनको मैंने ब्रा के ऊपर से ही चूमना शुरू कर दिया।
फिर मैंने उनको पलटा और ब्रा के हुक खोल डाले।


अब उनको सीधी करके चूचियों में मुंह लगाकर बारी बारी से उनको पीने लगा।


मेरे दबाते दबाते उनके मुंह से सिसकारियां तेज हो गयी थीं- ओह्ह … राजा … आह्ह … मत करो … आह्ह … मैं पागल हो रही हूं … आह्ह … राजा … आआआ ह्ह्ह … प्लीज!


मैं रुका नहीं और भाभी को गर्म करता रहा।


अब मैं उनकी स्कर्ट को भी खोल चुका था और पैंटी खींचकर भाभी को पूरी नंगी कर दिया।


उनका नंगा जिस्म देखकर मैं तो पागल ही हो गया।
सीधा मैं भाभी की चूत पर टूट पड़ा। मैं भाभी की चूत चूसने चाटने लगा।


वो और ज्यादा मदहोश होने लगी। उनकी चूचियों पर किशमश जैसे निप्पल अब तने हुए लग रहे थे।


उनके चूचे तनकर खड़े हो गये थे जिनको देखते हुए चूत में जीभ से चाटने में मुझे बहुत ज्यादा सेक्स चढ़ रहा था।


उधर भाभी भी पूरी चुदासी हो गयी थी और फिर वो सिसकारते हुए बोलने लगी- आह्ह … राजा … बस चोद दो … अब चोद दो मुझे। इस निगोड़ी चूत का पानी निकाल दो।


मैंने भाभी की चूत में उंगली दे दी और उसको कुरेदने लगा।
वो एकदम से पागल होने लगी और मेरे हाथ से चूत को रगड़वाने लगी और बोली- बस चोद दो अब … नहीं रुका जा रहा!


जब उनसे रहा न गया तो वो उठ गयी।
मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे नंगा कर दिया और मेरे लंड को हाथ में ले लिया। उसको एक दो बार आगे पीछे किया और फिर लंड पर झुक कर उसको मुंह में ले लिया।


वो मेरे लंड को चूसने लगी और मैं उनके मुंह को चोदने लगा।
मुझे एक अलग ही चरमसुख का अहसास होने लगा, अब मैं भी चोदने के लिए तड़प उठा था।


अब मैंने उनको बेड पर पटका और उनकी चूत पर लंड को सेट कर दिया।


फिर उनकी चूत पर लंड का दबाव बनाते हुए धीरे धीरे उनके ऊपर लेटता चला गया और मेरा लंड भाभी की चूत में प्रवेश कर गया।


वो बोली- आह्ह … फट गयी रे … आह्ह बहुत मोटा है राजा … आह्ह मेरी चूत फट गयी राजा … आह्ह कर दे अब!
मैं भाभी के होंठ चूमने लगा और वो भी पागलों की तरह मेरे होंठों को चूसने लगी।


मैं भाभी की चुदाई करने लगा और ताबड़तोड़ उसकी चूत में धक्के मारने लगा।
हम दोनों चुदाई के नशे में खो गए।
ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत की सैर कर रहा हूं। भाभी की चूचियों के पहाड़ों पर भ्रमण कर रहा हूं।


भाभी भी मस्ती में चुदवाते हुए आनंदित हो रही थी।
मेरी स्पीड बढ़ती चली गई और भाभी की सिसकारियां भी बढ़ती चली गईं।
वो बोली- आह्ह … फाड़ दे … आह्ह … और जोर से … आह्ह चोद राजा … चोद दे।


मैं उनकी कामुक बातों से और जोश में आता जा रहा था।
अब मेरे लंड की नसें फूलने लगी थीं; मेरा स्खलन होने ही वाला था कि भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया।


चूत में लंड से चोदते हुए पच पच की आवाज होने लगी जिससे मेरा वीर्य भी निकलने को हो गया।


फिर दो चार धक्कों के बाद ही मैं भी भाभी की चूत में खाली हो गया और उनके ऊपर ही गिर गया।


हम दोनों बेड पर लेटे हुए हांफ रहे थे। उनकी चूचियां तेजी से ऊपर नीचे हो रही थीं। मेरा लंड अभी भी भाभी की चूत में ही था। उनकी चूत से लंड को बाहर निकालने का मन ही नहीं कर रहा था।


मैं पड़ा पड़ा उनकी चूचियों को पीता रहा। वो भी मेरे सिर पर हाथों को फिराती रही।


उनकी चूचियों को पीने में बहुत रस मिल रहा था। मेरा मन उनको फिर से चोदने का था लेकिन अभी लंड में दोबारा से तनाव आने में वक्त लग रहा था।


भाभी बोली- अब उठ जाओ, तुम्हें आए हुए काफी देर हो गयी है। अगर किसी को शक हो गया तो बदनामी हो जाएगी।
मैंने कहा- भाभी, एक बार और करने दो ना प्लीज?
वो बोली- नहीं, आज नहीं! बाद में करना।


उसके बाद मैं उठा और फिर भाभी की टिकटॉक वीडियो बनवाकर घर आ गया।
इस तरह से मैंने टिकटॉक वाली भाभी की चुदाई के मजे लिये।
उसके बाद मैंने भाभी की चुदाई उनके घर में न जाने किस-किस जगह और किस-किस पोज में की।


मैंने कभी उनको किचन में चोदा तो कभी बाथरूम में, कभी उनको पलंग पर चोदा तो कभी कुर्सी पर टांग उठवाकर पेला।
भाभी की चूत को मैंने अपने लंड का पूरा मजा दिया और खुद भी भाभी की चूत का पूरा मजा लिया।
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