Adultery खूबसूरत डकैत(completed)

OP
W
Member

0

0%

Status

Offline

Posts

2,580

Likes

3,502

Rep

0

Bits

0

2

Years of Service

LEVEL 6
210 XP

57

एक महीना बीत चुका था मेरे ट्रांसफर का आदेश आ चुका था और मेरे दिमाग से ठाकुर मोंगरा और बलवीर की बकरचोदी भी अब निकल गई थी ,

तिवारी जी ने भी अपना रिटायर ले लिया था,और भी अब नए जगह जाने से पहले कुछ दिन के लिए कही घुमकर आने की फिराक में था ,तो मैंने भी छुट्टी का आवेदन डाल दिया जो की सक्सेस भी हो गया …….

मैंने चम्पा को बता दिया था की मैं एक महीने की छुट्टी ले रहा हु ,जब मैं घर आया तो माहौल ही अलग था ,मेरे आते ही चम्पा मुझसे लिपट गई …..

"अरे क्या हुआ "

"जीजू आप लोगो की लाटरी लगी है "भावना खुसी से झूम रही थी

"क्या ???"

मैं चौका

"हा आपको याद है हमने कुछ दिन पहले ही एक ट्रेवल एजेंसी की लाटरी ली थी माल से "

चम्पा ने मुझे याद दिलाया ,एक शाम हम माल घूमने गए थे और वंहा एक काउंटर में नए खुले एक ट्रेवल एजेंसी वाले लॉटरी बेच रहे थे,लक्की विनर को कनाडा का ट्रिप फ्री था ..

"हा याद आया तुमने वो खरीदी थी राइट,क्या नाम था एजेंसी का ??"

मैं याद करने की कोशिस करने लगा

"मिस एंड मिस्टर भल्ला ट्रेवल एजेंसी ..हम वो जीत गए "

चम्पा के चहरे में आपर खुशी थी साथ ही मैं भी खुश हो गया

"वाओ क्या बात है आज ही मेरी छुट्टी भी मंजुर हो गई ऐसे कब निकलना है ..और कितने दिन का ट्रिप है "

"वही 10 दिन 10 रात का ,और हमे आज ही रात को निकलना होगा "

अब ये प्रॉब्लम आ गई

"लेकिन वीसा वगेरह "

मैंने अपनी दुविधा बताई

"ओहो जीजू डोंट वारी पासपोर्ट रेडी था तो वीसा का जुगाड़ डैडी ने कर दिया है ,आज रात मुम्बई के लिए निकलो वंहा से कल सुबह की फ्लाइट है "भावना की बात से मैं ताज्जुब में पड़ गया लेकिन फिर मुझे याद आया की ठाकुर विक्रांत के भी बहुत कनेक्शन्स है …

*************

जब हम वंहा पहुचे तो एक बड़ी सी गाड़ी हमारे स्वागत के लिए लग गई थी ,वंहा से हमे एक होटल ले जाया गया ,जंहा हमे बताया गया की ट्रेवल कंपनी के मालिक मिस्टर और मिसेज भल्ला पर्सनली हमसे मिलने आने वाले है ,

मुझे ये सब थोड़ा अजीब जरूर लग रहा था लेकिन मैंने सोचा की हो सकता है की क्लाइंट रिलेशन शिप मेंटेन करने के लिए ये सब किया जा रहा होगा…

हम सफर से बहुत ही थक चुके थे तो हमने भी आराम करने की सोची ..

शाम होने पर हम होटल के एक हिस्से में गए जंहा हमसे मिसेज और मिस्टर भल्ला मिलने वाले थे,मैं नार्मल टीशर्ट जीन्स में था वही चम्पा ने फूलों वाली एक स्कर्ट डाल रखी थी ,हमारे टेबल से नजारा बेहद ही शानदार दिख रहा था ,सामने समुंदर था और ठंडी हवाओ का सुकून भी …

मैं चम्पा का हाथ पकड़े हुए कुछ बैठा हुआ समुंदर को ही देख रहा था ,

"यार ये लोग कितने समय आएंगे ,मैं वाशरूम से आती हु "

चम्पा मुस्कुराते हुए वंहा से चली गई..

मैं अब भी समुद्र को देख रहा था,साथ ही मैंने दो विस्की के ऑर्डर भी दे दिए ,ऐसे सुनहरे मौसम में और सुकून भरे जगह में बैठकर विस्की पीने का आनंद ही कुछ और था ..

मैं आराम से चुस्कियां ले रहा था ,5 मिनट ही हुए थे की चम्पा वापस आकर मेरे पास बैठ गई …

उसने मेरे हाथो में अपना हाथ रखा ..

"वो लोग अभी तक नही आये ना "

उसकी आवाज सुनकर मैंने उसकी ओर देखा ,वो मुझे मुस्कुराते हुए देख रही थी ,उसकी प्यारी सी मुस्कुराहट को देखकर मैं भी मुस्कुरा उठा ……

मैं उसे बहुत ही बारीक नजरो से देख रहा था हमारी आंखे मिल गई और मेरी मुस्कुराहट और भी गहरी हो गई

"क्या हुआ "

उसने मुझे यू देखता पा कर कहा

"मुझे पता था और अब यकीन हो गया है "

उसने मुझे थोड़े आश्चर्य से देखा

"किस बात पर .."

मेरे होठो की मुस्कान और भी गहरी हो गई

"की तुम दोनों जिंदा हो "

उसने मुझे अजीब निगाहों से देखा

"तुम ठीक तो हो,क्या हो गया है तुम्हे "

उसकी बात सुनकर मैं जोरो से हँस पड़ा

"अब बहुत हो गया मोंगरा ,अब मैं अपनी जान को आंखे बंद करके भी पहचान सकता हु "

मेरी बात सुनकर उसके होठो में भी मुस्कान खिल गई जो और भी चौड़ी हो गई ..

"बलवीर कहा है ??"

उसने मेरे सवाल का कोई जवाब नही दिया बल्कि हाथ से एक ओर इशारा किया ,उधर से चम्पा और बलवीर चलते हुए आ रहे थे दोनों के होठो में मुस्कान थी ,चम्पा और मोंगरा ने एक ही ड्रेस एक ही तरीके से पहन रखी थी ,

बलवीर पूरे सूट बूट में था,उसका धाकड़ शरीर पर वो कपड़े कसे हुए थे वो कोई बड़ा बिजनेसमैन ही लग रहा था …

"तुम जीत है इसने तो मुझे देखते ही पहचान लिया "

मोंगरा की बात सुनकर चम्पा खुशी से उछल पड़ी

"देखा मैंने कहा था की मेरा अजय अब धोखा नही खायेगा "

वो आकर मुझसे लिपट गई ,वही थोड़ी देर बाद ही बलवीर ने मेरे तरफ हाथ बढ़ाया और मेरा हाथ खिंचते हुए अपने सीने से लगा लिया ,

"कितने दिन से मैं तुम्हे अपने सीने से लगाना चाहता था भाई "

उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा चौका जरूर लेकिन ज्यादा ध्यान नही दिया

अब हम चारो आराम से वंहा बैठे अपना ड्रिंक इंजॉय कर रहे थे ..

"मुझे तुम लोगो से बहुत कुछ पूछना है"

आखिर मैं अपने को कब तक रोक पाता ..

"अरे पूछ लेना यार ,मेरी बहन इतने दिनों बाद मुझे मिली है थोड़ी बात तो करने दो "

मोंगरा ने मुझे झड़पा और चम्पा हँस पड़ी

"ऐसे तुम्हारे लिए कई सरप्राइज है हमारे पास "

चम्पा ने मुझे चिढ़ाते हुए कहा

"तू तो बेटा मुझे रात में मिल "

मैंने उसे तिरछी निगाहों से देखा और वो थोड़ी शर्मा गई लेकिन तुरंत ही मुझे अपना जीभ दिखा गई ..

थोड़ी देर तक चम्पा और मोंगरा दुनिया जहान की बाते करते रहे वही बलवीर के मुझे एक अजीब बदलाव दिख रहा था वो मुझे बड़े ही प्यार से देख रहा था …

कुछ देर के बाद मैं फिर से फुट पड़ा

"अब तुम दोनों का हो गया हो तो ये तो बता दो की ठाकुर को तुमने कैसे मारा ?? मेरा तो सोच सोच कर ही सर दर्द हो गया है ,और इतनी ऊँचाई से गिरने के बाद तूम दोनों बच कैसे गए ,जबकी मेरी गोली भी तो तुम्हे लगी थी …???"

मेरी बात सुनकर मोंगरा थोड़ा मुस्करा दी …

तभी एक वेटर वंहा ड्रिंक लेकर आया

"इसे पहचानते हो "मोंगरा ने वेटर के तरफ इशारा किया

"सलाम साब .."

ऐसे तो वेटर पूरे कोर्ट टाई पहने हुए था लेकिन जब वो हंसा तो तम्बाकू से लाल हुए दांत दिख ही गए

"ह्म्म्म तुम्हारे ही गैंग का मेंबर है ,यानी सब को यंहा बुला लिया है ,इतना कुछ कर लिया तो इसके दांत भी साफ करवा देती "

मेरी बात सुनकर सभी हँस पड़े

"दो दिन बाद ही अपॉइमेन्ट है साहब डेंटिस्ट के पास,जेल से छूटकर सीधे यंहा ही आ गया "

वो फिर से दांत दिखता हुआ वंहा से चला गया

"तुमने मेरे सवाल का जवाब नही दिया मोंगरा "

मोंगरा ने अंगड़ाई ली

"तुम्हे समझ जाना चाहिए की हम सबने मिलकर ये किया है "

"हा इतना तो समझ आ ही गया लेकिन कैसे ??"

वो फिर से मुस्कुराते हुए मुझे देखने लगी ..

"जब तुमने वंहा मुझे घेरने का प्लान बनाया और ठाकुर के लोगो को भी बुलाया तो,हमे ये पहले से पता था की तुम छूटते ही ऐसा कुछ करोगे,और जिंदा रहते हुए मैं ठाकुर तक नही पहुच पा रही थी तो मरना ही मैंने भी मरना ही ठीक समझा ,चम्पा ने मेरे भेस में जाकर तुम्हे छुड़ा लिया ,तुमने सोचा था की पुलिस काफी नही होगी तो ठाकुर के लोग नीचे हो घेर कर रखेंगे ,और तुमने उन्हें भी बुला लिया,तुम्हारे प्लान बनाते समय मैं वही मौजूद थी तुमसे थोड़ी ही दूर में ,तिवारी जी और डॉ के पास रखे माइक से तुम्हारी हर बाते सुन रही थी ,मुझे पता था की रणधीर कभी भी नीचे बैठ कर मुझे गिरफ्तार होने नही देगा वो ऊपर आकर मुझे मरना चाहेगा हमने इसी बात का फायदा उठाया ,प्लान तो मेरे और बलवीर के मारने का और ऊपर से गिरने का पहले ही बन चुका था,तो नीचे सारे इंतजाम कर दिए गए थे,खाई के नीचे हमने जाल और पेड पहले भी बिछा दिए गए थे,क्योकि पैराशूट वंहा काम नही कर पाता,हमने इसकी एक दो बार प्रेक्टिस भी कर ली थी ताकि समय आने पर हम परफेक्ट लैंडिंग कर सके …

अब जब रणधीर ऊपर जा रहा था तो तुम्हारे जाने के बाद मैं फिर से डॉ ,तिवारी जी और चम्पा से मिली ,तिवारी जी ने मुझे बताया की तुम उनकी ही गन अपने साथ ले गए हो जिसमे नकली गोलियां उन्होंने पहले से ही भर कर रखी थी,बस बात रणधीर की थी की उसका क्या करना है ,वो अपनी असली गोली ही चलाएगा इसलिए हमने फैसला किया की उसके आने तक और अटैक करने तक मैं अजय से बच कर रहूंगी जबकि बलवीर ऐसी जगह खड़ा होगा जंहा से उसको गोली मारने से रोका जा सके ,और फिर मैं अपनी गोलियां उसके ऊपर उतार दूंगी ,बदले में तुम्हारे पास कोई चारा नही बचेगा मुझे गोली मारने का,मुझे गोली लगेगी जो की नकली गोलियां होंगी और मैं नीचे गिरूँगी और साथ ही बलवीर भी मेरे पीछे कूद जाएगा ,बस वही हुआ बात खत्म …….."

ऐसे तो मेरे होठो पर मुस्कान थी लेकिन मैं अपने काम का पक्का इंसान था अगर ये इंडिया होता तो मैं अब तक इन्हें गिरफ्तार कर चुका होता ,मैंने एक गहरी सांस ली ,साले सब ने मिलकर मुझे अच्छा चूतिया बनाया था ……..

"और ठाकुर ..??"

"हम्म ठाकुर ..हमने बहुत सोचा की आखिर उसे कैसे मारा जाए,तब तक बलवीर छिपकर वही था और ठाकुर के ऊपर नजर रखे था लेकिन वो हवेली में घुसकर उसे नही मार सकता था .."

"बलवीर वही था मतलब ??तुम कहा थी ..??"

मैं थोड़ा चौका

"अरे मैं कनाडा में जो थी ,यार तुम्हारी बीवी को मल्टीनेशनल कंपनी ने जॉब आफर किया था भूल गए क्या ??"

मैं कभी मोंगरा को तो कभी चम्पा को अवाक सा देख रहा था ..

"मतलब तुम ,चम्पा की जगह उस जॉब को जॉइन कर के यंहा आ गई "

"हम्म इंटरव्यू देना और जॉब लगाना कठिन होता है जॉब करना नही "मोंगरा जोरो से हँस पड़ी

"ऐसे भी कोई खास काम तो था नही इसका अगर प्रॉब्लम होती है तो चम्पा से पूछ लेती हु,यंहा आकर सब कुछ सेटल भी तो करना था,ये होटल फूफा जी के दोस्त का है उनकी मदद से बाकी लोगो को भी यंहा सेट करते गई और अब बलवीर यंहा का मैनेजर है …"

"बस ये साल इंग्लिश बोलना बड़ा कठिन काम लगता है,ऐसे यंहा आधे ही पंजाबी है "अचानक ही बलवीर बोल पड़ा और सब हँस पड़े

"अरे वो सब छोड़ो ठाकुर ..वंहा फोकस करो "मैं फिर से बोला

"हम्म तो बलवीर वंहा था और तब हमे पता चला की ठाकुर घर में पूजा कर रहा है और सभी को बुलाया है,अब ठाकुर इतना शरीफ हो जाए और सभी से दोस्ती करने की सोचे ये तो अजीब बात थी वो भी अपने बेटे के मरने के बाद ...नही ऐसा तो नही हो सकता था हा ये जरूर हो सकता था की वो सबसे बदला लेना चाहता हो और कोई षडयंत्र कर रहा हो ,तो बलवीर को हवेली में घुसना ही पड़ा,वंहा कुछ लोग हमारे वफादार थे जो की पूनम मौसी के लोग थे और कुछ बलवीर और मेरे बचपन के दोस्त थे,वो हमारा बहुत साथ तो नही दे सकते थे लेकिन उनकी मदद से हवेली में घुसा तो जा सकता था,बलवीर और पूनम मौसी ने मिलकर पता लगाया की आखिर ठाकुर करने क्या वाला है,कुछ पता नही चला सिवाय इसके की गृहमंत्री सेठ ठाकुर से एक दिन पहले मिलने आया था ,प्राण ने अपनी सुरक्षा बड़ा रखी थी और पूनम को भी अपने पास नही फटकने दे रहा था ,तो हमारा टारगेट था सेठ …

सेठ रसिक आदमी था और ये हमारे लिए एक अच्छी बात थी ,उसकी एक पुरानी रखैल थी जिसका उसके घर रोज का ही आना जाना था हमने उसे पकड़ा ,अच्छे पैसे दिए ताकि वो सेठ को अच्छे से दारू पिलाये और डॉ चूतिया और उसकी असिस्टेंट को वंहा आने दे बस…

डॉ चूतिया ने जाकर उस इंगजेक्सन का प्रयोग किया जो पुलिस वाले कैदियों से सच बुलवाने के लिए प्रयोग में लाते है और साले ने सब कुछ उगल दिया,उसे सुबह याद भी नही था की उसने क्या किया था,सुबह सब कुछ ठाकुर के प्लान के मुताबिक ही होने दिया गया ,सभी को उसने दवाई खिलाई और बेफिक्र हो गया ,दोनों ही आराम से बैठे अपने जीत का जश्न मना रहे थे लेकिन उन्हें पता नही था की बलवीर काल बनकर छत में उनका इंतजार कर रहा था ,प्राण और सेठ चम्पा और भावना से अपनी हवस मिटाने के फिराक में थे तभी बलवीर वंहा आ धमका ,उसे देखकर ऐसे भी दोनों का पेंट ही गीला हो गया था क्योकि उन्होंने सोचा था की जब सब ही बेहोश है तो उन्हें किसी बॉडीगार्ड की जरूरत नही है उन्होंने सभी को बाहर भेज दिया था ,और बलवीर ने वही किया जो उसे करना था पहले उन्हें बांध कर छत में ले गया वंहा बिठाकर अच्छे से दारू पिलाई और फिर छत से फेक दिया ,और रात में ही वंहा से निकल कर यंहा आ गया ……….."

मोंगरा की बात से वंहा शांति सी छा गई थी,मोंगरा ने थोड़े देर रुककर फिर से बोलना शुरू किया

"मैं उसे अपने हाथो से मरना चाहती थी लेकिन क्या करे सभी चीजे अपने हाथो में तो नही होती ,ऐसे मुझे खुशी है की मेरे बलवीर ने ये काम पूरा किया "

उसने मुस्कुराते हुए बलवीर की ओर देखा ,बलवीर भी मुस्कुराते हुए उसे ही देख रहा था

"तुम दोनों खूनी हो ,मैं तुम्हे इसकी सजा दिलाकर रहूंगा "

मेरा पुलिसिया जामिर ना जाने कैसे फिर से जाग गया था

लेकिन वो दोनों ही हंसे

"मरे हुए लोगो को कैद नही किया जाता इंस्पेक्टर बाबू .."

मोंगरा जोरो से हंसी और साथ ही चम्पा भी मुझे अब चम्पा पर गुस्सा आ रहा था क्योकि वो भी मोंगरा के साथ हँस रही थी ,ऐसे वो भी तो इस खेल में शामिल थी ….

"तुम बहुत ही ईमानदार हो अजय ,ऐसे ईमानदारी हमारे खून में है हमारे पिता ठाकुर के ईमानदार थे ,मैं मोंगरा का और तुम पुलिस के "

बलवीर ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा लेकिन उसकी बात सुनकर मैं बहुत ही बुरी तरह से चौका था..

"क्या ..ये क्या बक रहे हो ??"

मैंने अपना सर झटका

लेकिन वो ही नही बल्कि चम्पा और मोंगरा भी मुस्कुरा रहे थे ..

"ये सच है अजय ,परमिंदर भल्ला ही प्रवीण शर्मा है.."

चम्पा की बात सुनकर मैं कुछ देर के लिए उस समय में खो गया जब मेरे पिता और माँ शादी के समय हवेली गए थे,वो सभी से इतनी आत्मीयता से मिल रहे थे

मैं बलवीर को देख रहा था उसकी आंखों में आंसू था..

"ये बात मुझे भी नही पता थी भाई लेकिन पिता जी से मर संपर्क तब से था जब उन्होंने ठाकुर का काम छोड़ शहर जाने का फैसला किया,तब तुम छोटे थे और हमारी नानी के पास रहते थे,तुम्हे कभी भी हेवली नही लाया गया था क्योकि मा नही चाहती थी की तुमपर इन सबका साया पड़े ,और तुम्हारे ही भविष्य के कारण मा के पिता जी को ठाकुर का काम छोड़ने को मनाया था…...शहर जाने के बाद पिता जी ने अपना नाम बदल दिया और एक आम इंसान की जिंदगी जीने लगे,वही तुम्हारी परवरिश हुई,लेकिन पिता जी मेरे संपर्क में थे,उन्होने बताया की मेरा भाई यानी तुम पुलिस में चले गए हो और तुम भी हमारी ही तरफ अपने काम के प्रति बेहद ही वफादार हो ,लेकिन वक्त को ना जाने क्या मंजूर था कि तुम्हारी पोस्टिंग हमारे थाने में हो गई ,बहुत दिनों तक तो मुझे भी नही पता था की मेरा भाई ही थाने का वो पुलिस वाला है जिसपर मोंगरा फिदा हो गई है ,लेकिन फिर जब मेरी पिता जी से बात हुई तो मुझे पता चला की तुम ही मेरे भाई हो ये बात मैंने मोंगरा को बताई और तब उसे अपने और तुम्हारे जिस्मानी रिश्ते पर बड़ा ही दुख हुआ लेकिन फिर उसने चम्पा को यंहा लाने का फैसला किया ,बाकी का तो तुम जानते ही हो …."

मैं बलवीर की बात सुनकर किसी और ही दुनिया में पहुच गया था

"लेकिन मुझे इन सबका पता कैसे नही चला "

मैं जैसे अपने ही आप से पूछ रहा था

"पता कैसे चलता सर जी हमने पता चलाने ही कहा दिया "

ये आवाज मेरे पीछे से आ रही थी ,जिसे मैं इतने अच्छे से जानता था की आंखे बंद कर भी पहचान सकता था ,मैं पीछे मुड़ा

"तो आप भी यही है तिवारी जी "

तिवारी हंसते हुए आया पास आया ,मैं बलवीर को और बलवीर मुझे देख रहा था,अचानक ही हम दोनों जोर से गले मिल गए और वही तिवारी ने एक सीट पकड़ कर बैठ गए थे ..

"ओहोहो कितना मधुर मिलन है ,इसी बात में थोड़ी दारू हो जाए मोंगरा बेटी "

तिवारी की बात सुनकर मोंगरा ने मुस्कुराकर पास खड़े एक वेटर को इशारा किया

"अच्छा चूतिया बनाया आप लोगो ने ,पापा तो पापा मा ने भी भनक नही लगने दी "

मैं जैसे खुद से ही बोल रहा था लेकिन मेरे दिल और चहरे में बस खुशी ही खुशी थी

"अरे सर अगर आप को बता देते तो क्या आप ये सब होने देते,परमिंदर भी जानता था और हम भी की उसका खून कभी अपने काम से गद्दारी नही करेगा ,सब सच जानते हुए भी आप अपने काम की ईमानदारी के कारण मोंगरा और बलवीर को सलाखों के पीछे पहुचाने में लगे रहते और इसका फायदा वो ठाकुर उठा ले जाता ...तो कहते है ना की अंत भला तो सब भला और जय हो परमिंदर भल्ला और जय हो बलवीर भल्ला "

तिवारी ने सामने रखा एक पैक एक ही झटके में अपने गले से उतार लिया …



*********समाप्त***********
[/B
 

55,874

Members

317,103

Threads

2,664,498

Posts
Newest Member
Back
Top