Adultery कभी ना होने वाली सास

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स्वागतम यारों
यार एक फीडबैक तो बनता हैं यारा।
 
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आरब राजा मेरा परिषय । मेरी उम्र 27 साल हे और में एक फैक्टरी पर असिस्टेंट मैनेजर की पद पर नौकरी करता था । मेरे माता पिता अब इस दुनिया में नही रहे तो में चाचा के घर पर रह कर अपनी पढ़ाई पूरी की और जो काम मिले करता था और कड़ी मेहनत से में 4 सालों में एक बिस्किट फैक्ट्री की असिस्टेंट मैनेजर बन गया था । मेंरी एक बहन हे जो मुझसे बड़ी हे और उसकी शादी हो चुकी हे और अपनी ससुराल में खुशी खुशी अपनी संसार में व्यस्त हे । मेरी शादी की उम्र हो चुकी थी तो मेरे चाचा चाची और मेरी बड़ी बहन जो भी मेरे रिश्तेदार थे मेरे लिए रिश्ता देख रहे थे तो कुछ एक आड लड़की से मिला भी लेकिन कुछ बात बनी नही मेरे सुंदरता में कोई कमी नही थी 6 फीट का गोरा चिट्ठा गबरू जवान था में पर नाजाने में क्या ढूंढ रहा था की कोई भी लड़की मुझे पसंद नही आ रहा था ।



लेकिन एक दिन हमारे कंपनी में एक नई लड़की की भर्ती हुई वो अपनी कंप्यूटर साइंस की डिग्री ले कर अकाउंट्स विभाग में असिस्टेंट की पद पर नियुक्त हुई थी । नेहा धवाल था नाम थी उसकी । दिखने में बोहोत खूबसूरत थी और व्यवहार भी बोहोत अच्छी थी उसकी । किसी काम से में फैक्टरी से हेड ऑफिस गया था और उसे पहली नजर में ही में प्यार कर बैठा । काम की वजह से हमारी मुलाकाते होती रहती थी और उसी बीच मैने उससे अच्छी दोस्ती कर ली । समय अनुसार दोस्ती हमारी आगे भी बढ़ी और साल भर में मैने उसे अपनी प्यार का इजहार कर दिया । उसने ना नही की थोड़ा समय मांगा मुझसे वो बोहोत मासूम थी और प्यार व्यार के शक्कर से डरती भी थी ।



एक महीने बाद उसने आखिर हा कह ही दिया और मेरे दिल में ढोल नगाड़े बजने लगा मैने धैर्य से बाहर चला गया मैने फिर उसे शादी के लिए भी प्रस्ताव रख दिया वो तब 23 साल की थी और वो शादी के लिए तैयार नही थी । फिर भी उसने मुझसे कहा की एक बार में उनके परिवार से मिल लूं ।




तो एक दिन में एक दम सूट बूट पहन के पूरी तरह से एक जेंटलमैन की तरह तैयार हो के उसकी घर चला गया एक शाम । उसके परिवार में सिर्फ उसकी मां थी उसके पिता बचपन में ही गुजर गए थे । नेहा बोहोत साधारण परिधान करती थी तो मुझे लगता था की वो भी मेरी तरह मिडिल क्लास की फैमिली से है पर नही वो खानदानी अमीर थी । दो मंजिला बड़ी सी घर देख के मेरा कॉन्फिडेंट हिल गया था आंगन में 50 लाख की गाड़ी घर भी मार्वल पत्थर से निर्मित ।




घर में एंट्री करते ही दो नौकरों ने मुझे अटेंड किया । नेहा उस वक्त एक सफेद सूरीदार पहनी हुई थी जो बोहोत खूबसूरत लग रही थी । उसकी मां भी ड्राइंग रूम में आ गई जो एक लहंगा और एक कुर्ता पहन रखी थी उसकी मां भी उसी की तरह बोहोत ही खूबसूरत थी दोनो जैसे बहने थी ।



पर जैसा सोचा था वैसा कुछ नही हुआ उल्टे से भी बत्तर कांड हो गया । एक दम फिल्मी दुनिया की तरह बन गई। उसकी मां एक नंबर की घमंडी अहंकार की पोटली निकली । पहले तो अच्छा खाना खिलाया जो मेरे जैसे लोगो की वैसा खाना खाने की औकद नही थी । फिर मेरी ऐसी बेइतज्जती की में गुस्से से लाल हो गया था । अपनी घर और 15 करोड़ रूपए की प्लॉट की ध्वज दिखाई जमीन जयदात की ध्वज दिखाई बताया की उसकी बेटी जो सिम्पल ड्रेस पहनती हे उसकी एक जोड़ी 20000 हजार की हे बगेरा वगैरा नेहा अपनी मां को रोकना चाहती थी पर उसकी मां उसपे भी हावी थी । और अंत में कह दिया की उसका दामाद लाखों में कमाने वाला होगा ना की मेरे जैसे महीने का 45 हजार कमाने वाला ।



गुस्सा तो बोहोत आया था पर नेहा की मासूम चेहरा देख के मैने कुछ भी नहीं कहा और लौट आया नेहा की घर से ।
 
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अपनी मां की बर्ताब के कारण नेहा ने मुझसे माफी मांगी थी और उसने कहा की वो उसकी मां को माना लेगी कुछ समय लगेगा उसे मुझे भी उसपर पूरा विश्वास था । कुछ दिन के बाद मुझे कंपनी की तरफ से दूसरे शहर उसी कंपनी की शाखा में तीन महीने के लिए काम पर भेज दिया । नेहा से भले ही में नही मिल पता था पर फोन पर हमारी बाते होती थी ।



तीन महीने बाद में लौटा बापच । जिस में लौटा था उसी दिन से नेहा की मोबाइल ऑफ़ मिला कंपनी की दूसरे लोगों से पता चला की काल तो उसकी शादी हो गई । में विस्वास नही करना चाहता था पर लोगो ने सबूत दिखाया शादी के फोटोज और विडियोज का तो में निराश गुस्से से दुखी हो कर नेहा की घर चला गया । घर तब भी दुल्हन की तरह सजी हुई थी ।




में नेहा को पुकारता हुआ नेहा की घर में घुसा पर उसकी मां ने मुझे उस दिन भी जलील कर के घर से बाहर फेक दिया था मुस्तांडो के हाथो से । में बोहोत दुखी हो गया था आखिर नेहा ने भी मुझसे धोखे किए कम से कम बता तो सकती थी पर नहीं।





मेरा दिल टूट चुका था काम में भी मन नही लग रहा था फैक्टरी के वर्कर के साथ मेरा कहा सुनी होने लगा हमेशा गुस्से में रहता था । और काम भी उल्टा सीधा करता था उल्टा सीधा डिलीवर करता था तो एक दिन मुझे नौकरी से निकाल ही दिया ।


मेरे अपने कुछ जमापूंजी थी और पापा के जो भी थे उसको समेट के में दूसरी शहर चला गया था । एक बिल्डिंग पर मैने 1bhk का छोटा सा फ्लैट किराए पर लिया और रहने लगा दुखी आत्मा बन कर। दिन भर फ्लैट पर ही घुसा रहता था ट्रेडिंग की अच्छी ज्ञान थी तो उसी ज्ञान को इस्तेमाल कर के थोड़ा बोहोत पैसा कमा लेता था ।



मेरे फ्लैट के फ्लोर में कितने फ्लैट थे मुझे नही पता था ना ही मेरे सामने वाली फ्लैट में कौन रहता था मुझे पता था । एक दिन मैंने दूध का पैकेट उठाने के दरवाजा खोला । और तभी सामने वाली फ्लैट की भी दरवाजा खुला दूध लेने । और सोक हो गया सामने वाली फ्लैट के दरवाजे पे खड़े इंसान को देख कर ।










वो इंसान नेहा की घमंडी मां थी । वो भी मुझे देख के हैरान थी । कुछ पल तो हम दोनो एक दूसरे को हैरानी से देखते रहे और फिर वो जल्दी से दूध का पैकेट उठा कर दरवाजा बंद करना चाहती थी पर में फुर्ती से दरवाजा पकड़ा और उसे बंद नही करने दिया ।



तभी उसने चिल्लाई " कोई बचाओ मुझे बचाओ "


में हैरान था गुस्से में नही था पर उसने जैसी हरकत की मुझे बोहोत गुस्सा आया और पुराना जख्म उभार आया तो में उसका मुंह बंद कर अंदर धकेला और दरवाजा बंद कर के लॉक कर दिया और मैने गुस्से से बोला " साली बुढ़िया आज कहा जाओगे मुझसे बच के "



उसका फ्लैट भी छोटा सा था मेरे जैसा वो दर कर घबरा के भागने लगी " बचाओ बचाओ "



भागती भी कहा मैने उसको पकड़ा और मुंह दबा के घसीटा वो मुझसे छूटने की कशिश कर रही थी में उसे बांधने के लिए कुछ ढूंढने लगा गुस्से में में क्या कर रहा था उसका भी मुझे कोई होश नहीं था । एक कोने में एक टेबल और हैंडल वाली कुर्सी थी तो में उसे कुर्सी पर ले जाते हुए बिठाया जबरदस्ती वो बोहोत दर गई थी " क्या कर रहा हे तू छोड़ दे मुझे जाने दे "




उसे जान की दर आ रही थी और सही भी था में उसके साथ एक दरिंदे जैसा पेस आ रहा था घसीटते हुए उसे चोट भी पोहचाया था और मैंने बिस्तर पर रखी एक सारी से उसको कुर्सी पर किसी तरह जोर आजमा के बांध दिया और मुंह में कपड़ा ठूंस दिया ताकि वो चिल्ला ना सके ।





वो उस वक्त एक साधारण सी ग्रीन सारी और काली ब्लाउज पहन रखी थी । अपनी बेटी की तरह वो भी नेहायती खूबसूरत औरत थी उसका गोरा बदन पसीने से से लथपथ चेहरा भी लाल हो है थी बाल बिखरे हुए आखों में दर और आसूं थे । पर जिस्म की कामुकता से मेरी हवास जाग उठा और में उसकी जिस्म को घूरते हुए उसकी छाती से पल्लू खीच के फेक दिया " साली अपनी बेटी तो नहीं दी लेकिन आज तेरी चूत लूंगा में । ऐसा चोदूंगा की अगले जन्म तक मुझे याद रखेगी "





वो मुंह पे कपड़े ठूसे होने कारण कुछ बोल तो नही पा रही थी पर डरी हुई आखों से मुझे देखती हुई सर ना में हिला रही थी । मुझे कुछ फर्क नही पर रहा था तो में उसके मुंह से कपड़ा निकाल के अपना होठ उसकी होठ पर रख दिया वो रोटी हुई अपना सर हिला रही थी तो मैंने उसे पीछे से उसकी बालों को कस के पकड़ के मुंह ऊपर किया और में पागलों की तरह उसकी होठ चूसने लगा । उसकी रोने की सिसकियां मेरे कानो में भी गूंज रहा था पर उसकी रसीली होठ चूसने में मुझे मजा आ रहा था ।




तभी मेरा फोन बजने लगा और मेरा ध्यान टूटा या कहो की मेरा वासना की राह भटक गया । मैने बापच उसके मुंह बापच बंद कर दिया और थोड़ा दूर हो कर फोन रिसीव किया फोन मेरी बड़ी बहन की थी मेरा हाल चाल पूछने के लिए फोन की थीं।





दो मिनिट बात कर के में नेहा की मां को देखने लगा वो अपनी आखों से रहम की भिंख मांग रही थी। में भी होश में आया और मुझे एहसास हुआ की ये में क्या कर रहा हूं । पर मैने सोचा की इस कुटिया को थोड़ा बोहोत तो सबक सिखाना बनता है ।



और में उसे वैसे ही बंधन में छोड़ के अपने फ्लैट पर गया और फिर कुछ खा पी के बाजार चला गया । एक रच्ची और एक तेज धार चाकू ले आया और फिर उसके फ्लैट में घुसा और दरवाजा बंद कर दिया और वो इस बार मुझे देख के और भी ज्यादा दर गई ।




उसके पास में एक कुर्सी लगा के बैठ गया मेरे हाथ में चाकू था और रच्छी टेबल पर रख दिया था मैने जैसे ही उसकी मुंह से कपड़ा निकाला वो रोते हुए अपनी जान की भींख मांगने लगी " क्या कर रहा हे तू बेटा इतनी सी बात के लिए तू मुझे मार देगा क्या जाने दे मुझे छोड़ दे "



मैने नॉर्मल आवाज में बोला " इतनी सी बात । तुझे इतनी सी बात लगती है बुढ़िया । तेरे और तेरी धोखेबाज बेटी के कारण आज में बरबाद हूं मेरा कैरियर बरबाद हो गया कितना दुख झेला मैने कितना रोया में तुझे एहसास भी हे। "



वो बोली " देख बेटा जानती हूं मुझसे गलती हो गई हे बोहोत बड़ी भूल की हे मैने। पर नेहा का इसमें कोई कसूर नही हे वो मुझसे डरती हे जैसा मैने कहा उसने वैसा किया । प्लीज मुझे छोड़ दे तू मेरा जान ले के कहा भागेगा तू वैसा नही हे एक ना एक दिन पुलिस के हाथों पकड़ा जाएगा "


मैने उसे चाकू दिखा के बोला " जान नही लूंगा तेरी में । लेकिन हा तूने मुझे जितना दुख दिया हे उसकी भरपाई में तेरी उंगलियां काट के करूंगा "


वो घबरा गई और भी " नही नही बेटा में सच कह रही हूं मुझे अपनी गलती का एहसास हे। माफ कर दे मुझे ऐसा मत कर "


में थोरी देर चुप हो कर सारों और नजर घुमा के बोला " अच्छा ये बाते बाद में होगी बुढ़िया । ये बाते तू यहां कैसे मतलब अपनी आलीशान घर पे ना हो कर इस छोटी सी 5000 वाले किराए की फ्लैट पर कैसे आ गई और कबसे रह रही है "


उसका सर नीचे झुक गया और बोहोत दुखी हो कर बोली " हमारी सब जायदात मेरे देवर ने धोखे से लूट लिया हे "



ये सुन के मुझे बोहोत हसी आया और में और में पेट पकड़ के हसने लगा। उसकी चेहरे पर आज घमंड नही था बेबसी मासूमियत घबराहट थी। में शांत हो कर बोला " तेरी इस आपबीती पे तो में अफसोस करने वाला हूं नही और ना ही तुझे आप कह कर तेरी आरती उतारने वाला हूं । आज तक तेरी नाम मुझे पता नहीं हे चलो अपना नाम बताओ मुझे क्या नाम हे तेरी "


वो मुंह लटकाए थी जवाब न देते देख के मैने धमकाया " नाम बता अपनी "


वो मेरी आवाज से कांप उठी
 
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और उसने अपना नाम बताया " पूर्णिमा"


मैने कहा " पूरा नाम कुटिया "


वो बोली " पूर्णिमा धवल "


में फिर उसके करीब गया वो फिर घबरा गई में करीब से उसकी चेहरे को देखने लगा था वाकई में बोहोत खूबूसरत थी घबराहट के मारे उसकी सासें भी तेज हो गई थी और जैसे ही में अपना होंठ उसकी कांपती हुई होठ पर रखा वो धीरे से बोली " तुम मेरी बेटी से प्यार करते थे कुछ तो शर्म करो तेरी मां जैसी हूं "



ये सुन के मेरा भी ईमान पे लगी बात में शर्मिंदा हो कर पीछे हट गया और बोला " सॉरी । मुझे लगा की औरत की अजीज उसकी आबरू उसकी इतज्जत होती हे तो में अगर वो । वो लूट लूं तो तुम बोहोत दुखी होगी और में वैसा ही कुछ तुम्हे दुखी करना चाहता था । "




वो कुछ नही बोली और में भी इधर उधर देखते हुए उठ गया " दोपहर हो गया है खाना तो बनाया नही होगा । रुको में खाना बनाता हूं आप बैठो "



में किचन में चला गया और डाल चावल की खिचड़ी बना के प्लेट पर ले आया फिर पूर्णिमा के सामने बैठ के चम्मच से एक निकाला मुंह की तरह कर दिया तो उसने मुंह फेर ली तो मैने थोड़ा धमकाते हुए बोला " अगर मेरी बात नही मानी तो उंगली के साथ मुंह भी काट दूंगा "



तब पूर्णिमा ने निवाला मुंह के अंदर लिया और मैने फिर उसे एक प्लेट खिचड़ी खिला के पानी वाणी पिला के बोला " अब रेस्ट करो तुम में रात को आऊंगा "



पूर्णिमा बोली " मुझे बाथरूम जाना हे "


में थोड़ा सोच के फिर उसके हाथ दोनो चेयर की हैंडल से खोले और फिर रच्ची से दोनो कलाई जोड़ के बांध दिया और पेड़ भी खोल दिया " चुप चाप बाथरूम में जाना कोई होसियारी नही सिर्फ 5 मिनिट दूंगा और दरवाजा लॉक मत करना में बाहर ही खड़ा रहूंगा "



वो बिना कुछ कहे चलने लगी और में रस्सी पकड़ के उसके पीछे पीछे गया वो बाथरूम में घुसी में दरवाजा पकड़ के अपना पेड़ फसा के खड़ा रहा ताकि वो दरवाजा लॉक ना कर सके । लगता है उसे बड़ी जोर की लगी थी मूतने की तेज आवाज मुझे सुनाई दे रही थी पता नहीं क्यू मेरा एक स्त्री को इतज्जत से देखने की ईमान डोल रहा था खुद को किसी तरह समझा रहा था ।


5 मिनिट बाद वो बाहर आई फ्रेश लग रही थी मुंह हाथ धो कर निकली थी तो में उसे बापच कुर्सी पर ले आया वो बोली "" प्लीज क्यू कर रहे हो ये सब क्या मिलेगा ये सब कर के छोड़ दो मुझे "


में बोला " सकून मिलेगा मुझे । अब चुप चाप बैठ जाओ वरना "


वो मुझे गुस्से से घूरती हुई बैठ गई और में उसे बांध के उसके फ्लैट से निकल गया बाहर से लॉक भी कर दिया मैने और अपने फ्लैट पर आ कर ऐसे ही खाली बैठा रहा और सोचने लगा इसके साथ में आखिर क्या करूंगा में कोई खूनी या की अपहरणकारी तो हूं नही। और आखिर में ऐसे ही सोच लिया की दो तीन दिन तक ऐसे ही डरा के छोड़ दूंगा इसे ।




रात 9 बजे में बाहर से खाना ले कर उसके फ्लैट पर गया । उसके दोनो हाथ फिर से खोल के रस्सी से दोनो कलाई जोड़ के बांध कर टेबल पर खाने की थाली रख के में भी खाने लगा और वो भी दोनो हाथों से खा रही थी।




मेने बोला ", तो यहां कैसे आई और कबसे रह रही हो"


पूर्णिमा बोलने लगी " 6 महीने से हूं इस फ्लैट पर। मेरे देवर ने चालाकी से सब कुछ अपने नाम कर लिया और मुझे धक्के मार के मेरे ही घर से निकाल दिया । उस दिन पता चला की जलील कर के धक्के मार के बाहर निकल देना कैसा लगता हे। पता नहीं तुम मुझे माफ कर दोगे या नही पर में तो साएद माफी के लायक भी नहीं हूं "


में बोला " सही कहा । पर तुम नेहा के घर भी तो जा सकती थी ना तेरा दामाद क्या करता है "


पूर्णिमा खाना खतम कर के पानी पी कर बोली " में बेटी का बोझ नही बनना चाहती। फिर भी नेहा हर महिने कुछ पैसा भेजती हे और दामाद भी अच्छा ही हे इंजीनियर हे और खुद का फैमिली बिजनेस भी हे। तुम बताओ तुम यहां कैसे "



में भी खाना खतम कर के हाथ धोते हुए बोला " जो हुआ उसके बाद में काफी टूट गया था। बोहोत गुस्सा भर गया था मुझमें काम में मन नही लगता था लोगो से गुस्से से पेश आता था तो एक दिन काम से निकाल दिया मुझे और फिर में सब कुछ भूलाने के लिए यहां आ गया "



मैने उसके दोनो हाथ बापच कर हैंडल पर बांध दिया वो बोली " यहां कोई नौकरी करते हो ",


में बोला " नही"


कुछ देर हम चुप रहे और फिर उसने कहा " जो हो सो गया । एक नई शुरुवात करो तुम काबिल हो फिर से तुम्हे अच्छी नौकरी मिल जायेगी में तुम्हारे लिए अच्छी लड़की ला दूंगी मेरी नजर में बोहोत सी लड़कियां हे मेरे सेहेली की बेतिया हे "


में बोला " अब शादी प्यार ये सब । सब खतम हो चुका हे मुझे तुम औरतों पर ही अब विस्वास नही रहा । कहना आसान हे नई शुरुवात करो लेकिन तुम नही समझोगी जो मैने भोगा हे जो मैने साहा हे जैसे मैने रोया हे "
 
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वो मुझे अफसोस की नजरो से देखने लगी और बोली " तुम्हारा नाम क्या था "


में मुस्कुराया " हेंह मेरा नाम याद नही रहा । रहेगी भी कैसे तुस्सा आदमी हूं यही कहा था ना । वैसे मेरा नाम आराब राजा हे"


वो सहमी सी मुस्कान से बोली " बढ़िया नाम हे। में तुम्हे राजा बुलाऊंगी "


में बोला " मत बुला राजा। पता नहीं पुरखो ने क्या सोच के राजा उपाधि रख लिया था राजा वाली एक भी गुण नही थे किसी के भी । कंगाल के कंगाल ही रहे "



पूर्णिमा बोली " में भी अब कंगाल हूं। चलो हम दोस्त बन के अच्छे पड़ोसी बन कर रहते हे "


में चाकू दिखा के बोला " अच्छा बड़ी सुर लगा रही हो। दो अच्छे बोल क्या लगा लिया तूने सोचा की में तुझे माफ कर चुका हूं जुबान काट दूंगा "



उसने नज़रे नीची कर ली और बोली " ऐसा कुछ नही करोगे तुम ये में समझ चुकी हूं। तुम मुखपे गुस्सा हो लेकिन तुम चाह कर भी मेरा खून या जो तुमने कहा था मेरा उंगली काट दोगे वैसा कुछ नही कर पाओगे । क्यू की तुम वैसा हो ही नहीं। हा अगर में मर्द होती तो तुम मुझे थोड़ा बोहोत मार पीट के सजा देते लेकिन में औरत हूं और तुम औरतों पे हाथ नही उठाओगे ये में समझ गया । जब तुम्हे सुबह देखा और जब तुम मेरे फ्लैट पर घुस रहे थे तब में बोहोत दर गई कही तुम सच में मेरी जान ना ले लो पर अब दर नही हे "



में उसे घूरने लगा और सोचने लगा कितना बड़ा बेवकूफ हूं में कैसे भूल गया की कितनी चालाक औरत हे ये जिसने धोखे से अपनी बेटी की शादी करवा के मुझे बेसहारा कर दिया था कितना दुख दिया हे मुझे।



में उठा और बोला " कुछ करूंगा नही पर तुझे जिदंगी भर ऐसे ही बांध के रखूंगा अब सो जा काल सुबह आऊंगा "


वो बोली " चेयर पे कैसे सो जाऊं "



तो मैंने उसके हाथ पैर खोले और दोनो हाथ जोड़ के बांध कर उसे बिस्तर पर ले गया वो बिस्तर पर चढ़ गई मैने सोचा की थोरी देर रुकु और में भी उसके बगल में बैठ गया चाकू हम दोनों बिस्तर पर टेक लगा बैठे हुए थे में मोबाइल निकाल के यूट्यूब देखने लगा ।



पूर्णिमा बोली " मुझे भी दिखाओ ना "


में बोला " तुम्हारे घर में टीवी नही हे क्या "


वो बोली " टीवी खरीदने को पैसा नही हे मेरे पास "


तो मैने उसकी तरफ मोबाइल कर दिया और वो तुरंत फुर्ती से मेरे ऊपर से गुजर के चाकू हाथ में ले कर मेरी गर्दन पर रख के बोली " अब कोई होशियारी नही अब बाजी मेरे हाथ में "


में निडर हो कर बोला " सच में । तुम्हे लगता है में दर जाऊंगा तुमसे "


वो बड़ी आखें दिखा के बोली " कहा ना कोई होशियारी नही चुप चाप बिस्तर से उतर "



मैने सोचा की चाकू के दोनो तरफ से धार हे गलती से कही लग ना जाय इसलिए में बिस्तर से उठने में भलाई समझा । वो भी उतार गई और मेरी तरफ चाकू रख के बोली " चल दरवाजे तक जा ",


में फ्लैट की दरवाजे तक गया वो भी पीछे पीछे आई और बोली " दरवाजा खोल और निकल जा "



मुझे खुद पर हसी आने लगा और इससे पहले की मेरी हसी उसे दिखे में दरवाजा खोल के निकल गया उसने तुरंत दरवाजा बंद कर दिए । में अपने फ्लैट पर चला गया ।
 
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दूसरी सुबह मेरी नींद मेरे फ्लैट की बेल से खुली । सुबह के 10 बज रहे थे मैने दरवाजा खोला और में सोक में मेरे दरवाजे पे पूर्णिमा खड़ी थी उसके हाथ में दो डब्बे थे ।


वो थोड़ा असहज हो कर बोली " मैने नाश्ता बनाया था सोचा की तुम्हारे लिए भी बना दूं तो ",



में कुछ पल उसे देखता रहा और फिर दोनो डब्बे ले कर बोला " थैंक यू "


में दरवाजा बंद करने ही वाला था की वो बोली " क्या मेहमानों का ऐसे ही स्वागत करते हो अंदर नही बुलाओगे"



में सोचने लगा की ये साली इतनी मेहतबार क्यू काल रात तो चाकू दिखा के भगाया था । मैने उसे आने को इशारा किया और वो अंदर आई ।


दरवाजा बंद कर के मैने उसे बैठने को कहा लेकिन वो बैठी नही और सारों और देखती हुई बोली " छी कितना गन्दा सा बु आ रही है ऐसे रहते हो तुम "



मेरा फ्लैट तबेला जैसा ही था सारों और बिखरे सामान कपड़े भी इधर उधर कही भी पड़ा रहता था धोता भी ठीक से नही था किचन भी साफ नही था । तो मैने तुरंत रूम फ्रेसनर मार के बोला " तुम बैठो में फ्रेश होता हूं"


में फिर बाथरूम में घुस गया और मुझे एक घंटा लगा बाथरूम से निकलने में । में हैरान था क्यू की मेरा फ्लैट एक घंटे में साफ सुथरा हो चुका था अपने कमरे में गया तो देखा मेरा कमरा भी सजी हुई थी पूर्णिमा मेरी कपड़े आलमारी में सजा के रख रही थी ।



कुछ कपड़े हाथ में ले कर बोली ", ये कपड़े में धो के तुम्हे दे दूंगी "



में बोला " ये सब क्या है। तेरी कोई चाल तो नही हे "


पूर्णिमा बोली ", क्या तेरी तेरी लगा रखा है तेरी मां जैसी हूं आंटी बुलाया करो राजा "



मैने उसका हाथ पकड़ा और खींचते हुए बाहर करने लगा " भाड़ में गई तेरी आंटी मेरे घर से निकल तू पता नहीं क्यू तुझे में इतनी इतज्जत दे रहा हूं तेरी जैसी नागिन को जिंदा जलाना चाहिए "


कूची सेकंड में मैने उसे बाहर फेका । और में सोचने लगा की क्या किस्मत हे जिससे भाग रहा था वोही सब फिर से सामने आ रहा हे मेरा । में बोहोत बेचैन हो गया था
 
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कुछ दिन ऐसे ही बीते ना वो दुबारा मेरे आई और ना ही मेरा उससे सामना हुआ । एक दिन रात का खाना लाने में बाहर गया था तब 11 बज रहा था । खाना पीने का कोई ठिकाना नही था जब भूख की एहसास हो तब खाना बना लेता था या फिर ज्तादतर बाहर से लाता था ।

में ढाबे से खाना ले कर निकल रहा था उसी गली में कुछ शराबी रास्ते पर शराब के नशे में धुत हो कर दो आदमी घूम रहा था दूर से देखा की पूर्णिमा भी उसी तरफ जा रही हे लेकिन उन शराबियो को देख कर एक स्ट्रीट लाइट पर रूक गई और इधर उधर देखने लगी में उस गली से नही जाने वाला था लेकिन उसने मुझे देखा और मदद की नजर से देखने लगी जाऊं की ना जाऊं कर के में चला गया उसके पास और वो फिर मेरे साथ चलने लगी दोनो ने ही कुछ नही कहा ।




हम दोनो उन दो शराबियो को पार कर चले गए और अपनी बिल्डिंग पोहोछ गए दोनो की फ्लैट तो एक ही फ्लोर पे थे जब हम अपने फ्लैट के दरवाजे तक पोहौचे तब उसने मुझे धीरे से शुक्रिया कहा पर में बिना कुछ कहे अपने फ्लैट पर चला गया ।





अगले दिन दोपहर को खाना लाने में निकला लेकिन देखा की पूर्णिमा का दूध का पैकेट बाहर ही है अब भी । मैने सोचा की कही गई होगी । में दोपहर का खाना बाहर ही कर के ऐसे ही इधर उधर भटकते हुए रात को लौट आया तो देखा की दूध की पैकेट अब भी बाहर ही है मैने सोचा की कहा गई होगी अब तक आई नही या फिर अंदर ही है मैने बेल बजाया और दो मिनिट तक रुका ।



तब दरवाजा खुला वो बोहोत निर्बल हालत में दिख रही थी तो मैंने पूछा " क्या हुआ है ठीक तो हो "

वो धीरे से बोली " कुछ नही थोड़ा सा बुखार हे "


मैने दूध का पैकेट उठा लिया " ये सुबह से पड़ा हे मतलब बाहर नही निकली हो पूरा दिन । और दबाई ली है"



वो बोली " हा। अंदर आओ ना "




में अंदर गया और दरवाजे के पास अपना जूता उतार दिया । वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी मैंने उसे कमरे तक सहारा दिया और पूछा " कुछ खाया की नही "

वो बिस्तर पर बैठ के बोली " हा ब्रेड खाया है"


में बोला " ब्रेड खा कर दिन ऐसे ही गुजार दिया । मुझे बुला तो सकती थी रुको में कुछ बना देता हूं " ।।।


वो बोली " कैसे बुलाती तुमने तो मुझे निकाल दिया था "



में कोई जवाब नही दिया और किचन में गया ज्यादा कुछ बनाना तो आता नही था वोही फिर से खिचड़ी बना के ले आया वो फिर खाने लगी और बोली " तुम्हे क्या सिर्फ खिचड़ी ही बनाने आते है क्या "


में मुस्कुराया " हा येही अच्छे से आता हे "


वो भी मुस्कुराई " अच्छा बना लेते हो वैसे तुमने खाया खाना "


में बोला " हा बाहर से खा के आया हूं । ज्यादा बुखार है तो डॉक्टर के पास ले चलता हूं तुझे "



वो बोली " नही बोहोत रात हो गई हे काल सुबह ले जाना । दवाई ली हे ऐसे भी बुखार एक दिन में नही उतरता "




वो खाना खा कर बिस्तर पर लेट गई मैंने उसे चद्दर ओढ़ा दी तो उसने मेरा हाथ पकड़ के बोली " थोड़ी देर मेरे पास ही रहो ना "



तो मैंने भी उसके बगल में करवट ली और उसकी माथे पे हाथ रख के बुखार चेक करने लगा । उसकी खूबसूरत सी चेहरा देख कर मेरा दिल भी जोरो से धड़कने लगा और में धीरे धीरे माथा सहलाने लगा । वो भी आंख मूंद कर मेरी तरफ करवट ली उसकी छाती मेरी छाती से टकड़ा गई मुझसे रहा नही गया और उसकी मुलायम गदराय हुई बदन अपने आलिंगन में लिया पहली बार की किसी स्त्री को इस तरह बाहों में ले रहा था और में धीरे धीरे अपना आपा खोने लगा बड़े प्यार से उसका सर पकड़ कर उसके चेहरे को चूमने लगा तभी वो आंख खोल के मेरी आखों में देख के बोली " में तुमसे आधी उम्र बड़ी हूं "


तो मैंने भी कहा " नही में 29 का हूं और तुम सिर्फ 47 की "


उसने फिर धीरे से कहा ", पर तुम मेरी बेटी से प्यार करते थे ।"


मैने कहा " खुदी कहती हो नई शुरुआत करो और वोही सब याद दिला के कायम रखना चाहती हो सच में नागिन हो "


वो मुस्कुराई और बोली " वो तो हूं । तुम तो मुझसे नफरत करते हो ना "

में उसकी कमर पकड़ बोला " हा लेकिन उससे जो घमंडी पूर्णिमा हे जो मेरे सामने हे उससे नही मेरे सामने वाली भी मेरी तरह अकेला हे "



दोनो कुछ पल एक दूसरे की आखों में देखते रहे और उसने दोनो बाहें मेरे गले में डाल दी तो में उसके ऊपर चढ़ के उसकी होठ चूमने लगा हाश्मी की तरह उसकी रसीली होठ चूसने लगा कभी ऊपर की तो कभी नीचे की वो भी मेरा साथ दे रही थी। मेरे दोनो हाथ उसकी सरहरी मुलायम बदन पर चलने लगा । उसकी बाहें मुझे बोहोत अच्छा लग रहा था चुने में ऊपर से उसकी बदन की खुशबू मुझे मोधोश कर रहा था ।



मैने उसकी गर्दन चूमने लगा वो भी गहरी सांस ले कर मेरा सर पकड़ रही थी । दोनो ही काम अग्नि में जलने लगे । मैने अपनी शार्ट खोल डाला और में उसकी नाइटी ऊपर उठाने लगा वो शर्मा रही थी । उसने सिर्फ नाइटी पहन रखी थी जो की अब मेरे सामने पूरी नंगी थी । शर्म से अपनी मुंह ढक ली उसने ।




में मन ही मन मुस्कुरा रहा था उसकी प्यारी हरकत पर गदराई हुई गोरी चिकनी बदन एक दम सुगठित जिस्म



मे प्यार से उसका दोनो हाथ हटा कर उसकी चूचियों पर मुंह रख के चूसने लगा और धीरे धीरे मसलने लगा उसे भी आनंद आ रही थी और मेरा सर सहलाती हुई सिसकियां भरने लगी थी।




में धीरे और नजाकत से आगे बढ़ रहा था उसे बुखार था और पहली बार में मैं उसे इतना आक्रामक नही दिखा सकता था । उसकी मुलायम पेट मैने चूम चूम कर उसकी जांघो को मैने चूमा और फिर उसकी दोनो टांगे फैलाई वो मुझे प्यार भरी निगाहों से देख रही थी।




उसकी सुगठित चूत देख के लगता नही था की एक अधेड़ उम्र की औरत की चूत हे और उसी से बच्चा भी निकाली है उसने बोहोत ही खूबसूरत था मैने मुंह लगा के चूत चाटने लगा चूत की खुशबू और लचीला स्वाद मुझे सकून दे रहा था उसे भी आनंद मिल रहा था मीठी मीठी आहे भर के मुझे देख रही थी ।





फिर कुछ देर बाद मैने अपना जींस उतार कर चड्डी उतार कर पूरा नंगा हो गया और उसकी दोनो टांगे के बीच हो कर मैने अपने लंद का सुपाड़ा चटाया और धीरे से धक्का दिया चूत रस से गीली थी महीन से मेरा सुपाड़ा घुस गया कितना आनंद दायक था मेरे नस नस में आनंद भर गया ।

पूर्णिमा की चेहरे पे तकलीफ थी लेकिन वो अपनी दोनो बाहें फैला के मुझे बुला रही थी तो में धीरे धीरे धक्का देते हुए उसके ऊपर गिर के उसकी दोनो बगल के नीचे से हाथ घुसा के उसे बाहों में लिया उसने भी मुझे गले लगाया । में फिर कमर ऊपर नीचे कर धक्का लगाने लगा वो कराह रही थी ईसससस आह्ह्ह्ह्ह कर के तो में रुका और उसे चूम के पूछा " ज्यादा तकलीफ हो रही है"


तो उसने मेरी आखों में प्यार से देखती हुई बोली " नही में ठीक हूं "


मैने कहा " तुम्हे बुखार भी है अभी तुम कमजोर भी हो "


तो उसने मेरा हाथ तपाक से चूम के बोली " नही ये मीठा दर्द का प्यार हे अभी गायब हो जायेगी "

फिर में फिर से धक्के देने लगा और बस उसकी चेहरे को ही देखने लगा में तो वो कराहती कराहती कूची समय में आनंद की सिसकारियां लेने लगी । एक दूसरे को कस के जकड़ने की कशिश कर रहे थे चूम रहे थे एक दूसरे की आखों में देख रहे थे और वो आआह्ह्हह्ह्ह उन्ह्ह्ह कर सिसकारियां ले रही थी ।







मेरी गति बढ़ती चली गई और उसी हिसाब से उसकी सिसकारियां तेज़ होती चली गई कामुक चेहरा मुझे और उत्तेजित कर रहा था उसकी वो आखें भींचने वाली नजाकत होठ कभी बंद तो कभी खुलना आहे भरना बोहोत कामुक और दिल को सकून देने वाली थी में काफी तेज हो गया उसने भी अपनी टांगे मेरे कमर में बांध ली और फिर उसने मेरे सर को कस के पकड़ा और अपनी होठ मेरे होठ पर चिपका के जोर से चुम्बन लेने लगी और और उसकी कमर झटके खाने लगी में भी तब रुका और वो धीरे धीरे शांत होने लगी



वो मुझे प्यार से देखने लगी मैने बोला " ये मेरा पहला अनुभव था कभी नही किया था मैने किसी के साथ भी "


वो कुछ पल मुझे देखती रही और मेरा गाल सेहला कर बोली " मेरा भी 13 साल बाद पहली बार हे "



मैने शरारत करते हुए बोला " इसलिए इतना टाइट हे "


तो उसने भी मुस्कुरा कर बोली " हम्मम और तुम्हारा बोहोत बड़ा हे"



में फिर से धक्के देने लगा और उसकी होठ चूसने लगा अब वो मुझे शर्मसुख देना चाहती थी मुझे चूम रही थी और अपनी टांगे से मेरा कमर जकड़ के मेरा लन्ड अंदर लेना चाहती थी में भी अत्यंत आनंद महसूस करने लगा और उसे बाहों में बुरी तरह जकड़ा और तेज़ी से प्रहार करने लगा उसका भी दम घुटने लगा आह्ह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह कर के कराह रही थी।



मैने गालों पर काटा उसकी और कहना लगा " मुझे बोहोत मजा आ रहा है बोहोत मजा आ रहा है" कहते कहते मैने एक आखिर धक्का लगा के रूक गया और जैसे जैसे मेरा पानी निकल रहा था वैसे वैसे में अपना कमर और और दबा रहा था क्या आनंद थी ।




में हाफने लगा उसने मेरा सर सहलाते हुए बोली " मेरा बदन तोड़ दिया राजा तूने पर ऐसी खुशी मुझे कभी नही मिला । "



मैने उसकी आखों में देख के बोला " आई लव यू पूर्णिमा "


वो मुस्कुराई और इतराने लगी " सच मे"


में बोला " सच में आई लव यू"



उसने भी मुझसे बोली " आई लव यू जानू वादा करो ऐसे ही मुझे प्यार करोगे कभी मुझे अपने घर से अपने दिल से नही निकालोगे"


मैने भी बोला " कभी नही निकलूंगा लेकिन तुम भी अब मुझसे कोई खेल मत खेलना दुबारा मेरा दिल मत तोड़ना "


वो बोली" नही नही तोडूंगी तुम्हारा दिल । अब देखना तुम्हे में इतना प्यार दूंगी की तुम्हारा दिल फिर से जुड़ेगा बस मुझे यही शीनता है की में तुमसे बड़ी हूं एक बेटी हे जिसकी शादी हो चुकी है तुम्हारे लिए तो सीधा सीधा बर्बादी हे ना "


मैने उसकी होठ अपने होठों से बंद कर दिया और बोला " नही इतनी भी बड़ी नही हो कहा ना और तुम अभी भी बोहोत जवान हो । तुम अपनी बेटी की जिंदगी उसकी हिसाब से जीने दो। तुम मेरी बीवी बनोगी मेरे बच्चो की मां बनोगी बोलो मंजूर हे की नही "


वो बोली " मंजूर तो हे राजा में भी तुम्हे चाहने लगी हूं । पर "


में बोला " हा मुस्किले बोहोत आयेगी लोगो की कहा सुनी झेलने होगे लेकिन हमे तो अपनी दुनिया से मतलब होगा । सोचो एक घर जिसमे हमारे दो बच्चे और में रोज ऑफिस जाऊंगा तुम बच्चो को संभालोगी मेरा राह देखेगी कितना प्यार होगा हमारे बीच "



पूर्णिमा मुस्कुराई और बोली " प्लीज बाबा दो नही एक ही बच्चा ठीक हे "


में हस पड़ा । अपना लंद उसकी चूत से निकाला और उसे बाहों में सुलाने लगा वो भी मेरी बाहों में सकून से नींद लेने लगी । में बोहोत खुश था नए नए सपने दिख रहे थे ।
 

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