Fantasy अनौखी दुनियाँ चूत लंड की

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कर्ण ने अभी तक वीर्य से लथपथ और झड़ने के बाद बेहाल गरिमा को नीचे उतारा और फर्श पर लिटा दिया और खुद वो गरिमा के ऊपर आ गया और गरिमा के होंठों को चूमने लगा । उसका एक हाथ गरिमा के स्तनों को मसल रहा था उसकी चुचियों से खेल रहा था तो दूसरा हाथ गरिमा की चूत को धीरे-2 सहला रहा था ।
गरिमा की तेज होती आहें साफ बता रहीं थी कि वो फिर से गर्म होती जा रही है , "कर्ण अब और नहीं सह सकती मैं ...प्लीज डाल दो " गरिमा अपनी फूलती हुई साँसों के साथ बोली । उसका पूरा बदन कंपन कर रहा था ।
कर्ण ने अपनी मोटी काली उँगली गरिमा की चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा ।
"आई...माँ.... आह आह....इट्स बिग " गरिमा आँखें बंद किये हुए बोल रही थी । कर्ण ने उसके एक स्तन को ज़ोर से भीच दिया और और फूली हुई चूची को मुँह में लेके चूसने लगा इसके साथ -2 वो अपनी उंगली को गरिमा की चूत में पूरी रफ्तार से अंदर बाहर कर रहा था ।
"उम्म ....मममम....अहह.... कर्ण और तेज़ ...आह....कर्ण ....आह" गरिमा के उतेजित और कामुक आवाज़ें कमरे में मधुर संगीत पैदा कर रही थी । कर्ण कभी एक चूची को चूसता तो कभी दूसरी को । राहुल को गरिमा की चुचियों पर हल्की हल्की सूजन साफ नजर आ रही थी । कर्ण पूरी रफ्तार से गरिमा की चूत को उंगली से चोद रहा था । काफी देर बाद गरिमा एक लंबी आह के साथ झड़ गयी । कर्ण ने गरिमा को बिना कोई मौका दिए अपना मूसल लन्ड उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया ।
राहुल भी अब तक कई बार झड़ चुका था । पर उसकी उतेजना ये देख कर और बढ़ गयी कि कैसे इतना मूसल लन्ड गरिमा की फुद्दी में कैसे जा पायेगा । वो सोच रहा था क्या गरिमा ले पाएगी इस अजगर को या अजगर उसकी फूल सी चूत को चीर देगा।

"आह....कर्ण ....क्यों निकाला बाहर ....मत तड़पाओ ...फक मी ...." गरिमा आँखें बंद किये हुए बोली ।
"पागल लड़की तू जिसे लन्ड समझ रही है वो तो उंगली थी इस दानव की " राहुल ने मन में कहा । उसकी नज़रों के सामने उसकी फूल सी नाज़ुक बहन की चूत में एक दानव अपना डेढ़ फुट लम्बा और एक लीटर की पेप्सी की बोतल जितना मोटा लौड़ा घुसाने जा रहा था पर गरिमा का नाज़ुक और कामुक बदन और उसके मासूम चेहरे पर कामुकता भरी बेसब्री राहुल को भी कामोतेजक कर रहे थे ।"डाल भी दे बहन चोद" राहुल ने मन मे गाली निकाली ।
कर्ण ने गरिमा कि टाँगों को फैला लिया और उसकी चूत के गुलाबी होंठों को खोल अपना मोटा लन्ड मुंड उसपर टिका दिया और एक कस के धक्का दे मारा ...."आई....माँ.... मर गयी" गरिमा कि दर्द भरी चीख पूरे कमरे में गूँज गयी । उसकी आँखें बाहर को निकल आईं थीं ,कर्ण के अंदर का दानव शायद उसकी दर्द भरी चीख सुन कर शांत हो गया वो रुक गया ।
राहुल गरिमा की चूत चुदाई देख पाता इससे पहले कर्ण के फ़ोन की घंटी बजी उसने फ़ोन स्पीकर पर लगाया फोन पर कोई लड़की थी "भाई कँहा हो आप मेहता जी की लड़की का किडनैप हो गया है जल्दी आओ"
कर्ण-आता हूँ ।
इससे पहले राहुल कुछ समझ पाता कर्ण फिर से इंसानी रूप में आ चुका था । उसने जल्दी से गरिमा की चूत से अपना लन्ड बाहर निकाला और गरिमा के होंठो को चूमते हुए बोला सॉरी जान जाना होगा मुझे माफ़ कर देना । राहुल गरिमा के चेहरे पर उदासी साफ देख सकता था पर गरिमा ने कर्ण को रुकने के लिए नहीं कहा बल्कि वो चुपचाप अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गयी । और उसके पीछे-2 कर्ण भी अपने कपड़े उठा कर बाथरूम में चला गया ।
उन दोनों के बाथरूम में चले जाने के बाद राहुल उनके कमरे से चुपचाप बाहर निकल आया और घर की तरफ भागा क्योंकि वो पहले ही काफी लेट हो चुका था ।
वो चुपके से घर में दाखिल हुआ और अपने तहखाने में घुस गया । उसकी आँखों में बिल्कुल नींद नहीं थी ,पिछले दो दिनों में इतना कुछ हुआ था जिस पर उसे विश्वास नहीं हो रहा था वो सोच रहा था कौन हूँ मैं, रमा के घर पर मेरे मां बाप ने क्यों छोड़ दिया , कौन हैं मेरे माँ बाप ऐसी बातें सोचकर वो परेशान सा होता जा रहा था । तभी रमा उसके तहखाने में दाखिल हुई और चुपचाप उसकी बगल में लेट गयी और उसके माथे को सहलाते हुए बोली -
रमा-क्या हुआ बेटा ? तनु या गरिमा ने कुछ कहा क्या ?राहुल -नहीं माँ,
रमा-फिर क्या बात है ? उदास क्यों है मेरा भोंदू ? उसने एक हाथ राहुल के पाजामे के ऊपर से उसका लन्ड सहलाते हुए पूछा ।राहुल-मां , मैं कौन हूँ मेरे माँ -बाप ने मुझे क्यों तुम्हारे घर के बाहर छोड़ दिया था ,कोई इतना बेरहम कैसे हो सकता है ।
रमा-तुम्हारे माँ बाप की कोई मजबूरी रही होगी ,और उन्होंने इस बात का पूरा ख्याल रखा था कि तुम्हें कोई तकलीफ न हो ,इसलिए जिस टोकरी में तुम मिले थे उसमें बहुत से पैसे भी थे उसी से तो इन्होंने दुकान और यह घर खरीदा था । बेटा उनकी कोई मजबूरी रही होगी । रमा ने राहुल को चूमते हुए कहा और अपनी मैक्सी ऊपर कर अपना मोटा मम्मा राहुल के होंठो के साथ लगा दिया ,पुराने 100 वाट वाले बल्ब की मद्धम रोशनी में राहुल रमा को पहली बार इतने पास से देख रहा था ,कितनी आकर्षक है बिल्कुल माधुरी राहुल ने मन में सोचा और उसका लन्ड एक झटके में पूरा तन गया ।
रमा(राहुल के लन्ड के तनाव को महसूस करती है और उसके बड़े हब्शी लन्ड को पाजामे की कैद से आज़ाद करते हुए पूछती है)-ऐसा क्या सोच लिया जो तुम्हारा लन्ड अचानक चूहे से अजगर बन गया ?
राहुल-माँ तुम्हारे मम्में कितने बड़े और सुंदर है और तुम बिल्कुल माधुरी सी दिखती हो कितनी सुंदर हो तुम ।
रमा(उसके मोटे लन्ड को अपनी चूत पर सेट करते हुए) -आज तो बडी बातें आ रही हैं मेरे भोंदू राजा को ,चल अब अपनी इस रंडी माँ की चूत में अपना मूसल लन्ड डाल दे ।
राहुल रमा को पीठ के बल लिटा देता है और खुद उसके ऊपर आ जाता है और अपने होंठों को रमा के होंठों पे रखते हुए एक जोरदार धक्का दे मरता है उसका लन्ड रमा की भीगी चूत के सब अवरोध तोड़ता हुआ हुआ उसके गर्भाशय से टकराता है दर्द की एक मीठी लहर रमा के बदन में दौड़ जाती है रमा अपनी बाजुओं से राहुल को जकड़ लेती है "कितना गर्म और मोटा लौड़ा है तेरा मेरी तो जान ही निकाल दी तूने" रमा राहुल के कान में फुसफुसाती है । "आपने ही तो डालने को कहा था" राहुल धक्के मारते हुए कहता है । "आह आह आह....रा...राह....राहुल बड़ा जालिम लन्ड है रे तेरा ....अपनी माँ को चोदते हुए उसके मम्में मसल उसे निचोड़ किसी रंडी की तरह चोद न मेरी चूत बडी प्यासी है....आह...आह....मां चोद..." रमा राहुल के जानदार धक्कों से मदहोश होते हुए कह रही थी । राहुल रमा को उसके मोटे मम्मों से पकड़ते हुए अपने धक्कों की रफ्तार को बढ़ा देता है और किसी मशीन की तरह रमा को चोदता जाता है ,रमा इतनी जानदार चुदाई से न जाने कितनी बार झड़ती है उसकी चूत तो जैसे पानी का झरना बन चुकी थी पर राहुल उसे बिना रुके पूरी रफ्तार चोदता ही जा रहा था ,उसके हर धक्के के साथ रमा का पूरा बदन थर्रा रहा था वो तो जैसे आज किसी अगल ही दुनिया में थी वो पागलों जैसे कभी राहुल को नोचती कभी ,चूमती कभी उसके बाल खींचती एक घण्टे की बेरहम चुदाई के बाद राहुल ने उसकी चूत में ही पानी छोड़ दिया और लन्ड को उसकी चूत में घुसाए हुए उसके ऊपर निढाल हो कर गिर गया और सो गया आखिर आज राहुल की यह चौथी चुदाई थी बेचारा उसी हालत में गहरी नींद में सो गया । रमा ने किसी तरह करवट ली और उसे अपने ऊपर से हटाया और अपने हाथों से खींचकर उसका लन्ड अपनी चूत से बाहर निकाला राहुल का सोया हुआ लन्ड भी कम से कम 6 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा था और किसी साँप जैसा लग रहा था ,रमा ने चाटकर उसके लन्ड को साफ किया फिर राहुल को कपड़े पहनाए और अपनी नाइटी ठीक करके चुपचाप अपने कमरे में जाकर अपने नपुंसक पति की बगल में सो गई ।

पिंकि-तुमने दरवाजा तो बंद किया ही नहीं । मन में तो वो सोच रही थी कि बुद्धु मेरी चूत तेरे इस मूसल लन्ड को देखकर भीगी पड़ी है आ और फाड़ के रख दे इसे ।
राहुल(अभी भी वो अपने तने हुए लन्ड को पकड़े हुए था)- सुस्सू ज़ोर से लगी थी इसलिए भूल गया घर जाके कर लूँगा ,वो अपने खड़े लन्ड को निक्कर में खोंसते हुए कहता और अपने घर की तरफ भाग जाता है ।
पिंकि राहुल की इस बचकाना हरकत पर मुस्कुरा उठती है । दरवाजा बंद करके वो फिर सोफ़े पे बैठ जाती और अपना तौलिया खोलकर बिल्कुल नंगी होकर मोबाइल पे राहुल के हब्शी लन्ड को निहारने लगती है। "हाय राम कितना जानदार लन्ड है" वो मन में सोचती है और एक हाथ से अपनी चूत को सहलाते हुए सपनों की दुनियां में गुम हो जाती है ---
एक फूलों से भरे मैदान में पिंकी बिल्कुल नंगी भागती जा रही है उसके 34c आकार के बड़े-2 और गोल बूब्स गुबारों कि तरह ऊपर नीचे हो रहे हैं उसके पीछे कुछ दूरी पर राहुल उसे पकड़ने के लिए भाग रहा है राहुल का लिंग किसी अजगर जैसा लग रहा है उसकी नसें फूली हुई हैं और बड़े-2 अंडकोष भागने के कारण आगे पीछे हो रहे हैं । "रुक जा पिंकि वरना सोच ले मेरा मूसल एक ही बार में तेरी बुर में डालकर ऐसा पेलूँगा की 2 दिन बिस्तर से उठ नहीं पाएगी" राहुल उसका पीछा करते हुए कहता है । पर पिंकि किसी हिरनी कि तरह उसे छकाते हुए उससे और दूर चली जाती है " हा हा...पकड़ा तो जा नही रहा तुमसे " वो भागते हुए पीछे मुड़ती है

और नाक चिढाते हुए कहती है । राहुल अपनी रफ्तार बढ़ा कर उसके पास पहुंचता है तो वो अपनी दिशा बदलकर दूसरी तरफ भाग जाती है अचानक उसका पैर फिसलता है और वो गिरने लगती है पर राहुल तेज़ी से आकर उसे थाम लेता है और उसके स्तंनो को ज़ोर से दबाते हुए कहता है बड़ी भूख लगी है आज तो इन दूध के टैंकरों को खाली करके ही छोडूंगा ।
 
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राहुल पिंकि को फूलों से भरे मैदान में लिटा देता है और खुद उसके ऊपर लेट जाता है और पिंकि के एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगता है "आह...मां ....धीरे दर्द होता है " पिंकि सिसकारी लेते हुए कहती है । राहुल काफी समय तक उसके मम्मों को चूसता ,चूमता ,दबाता और मसलता रहता है पिंकि अचानक उसे पलट देती है और बिजली की तेजी से राहुल की छाती पर बैठ जाती है और राहुल की आँखों में देखते हुए उसके मर्दाना निप्पल्स को काटने -चूमने लगती है " आह....खयेगी क्या .." राहुल उसके मम्में पर हल्की सी चपत मारते हुए कहता है ।

पिंकि(राहुल के दोनों निप्पलों को मरोड़ते हुए)-हाँ मुझे भी बड़ी भूख लगी है इनका सारा रस निचोड़ लूँगी आज मैं ।
राहुल(पिंकि के होंठो को अपनी उंगलियों से दबाते हुए)- रस ही निकालना है तो नीचे जो 2 किलो की लोकी है उसका निकालो ।
पिंकि (घूम कर बैठते हुए ,अब उसकी पीठ राहुल के मुँह की तरफ थी और चेहरा राहुल के लन्ड की ओर जो 90 डीग्री पर ताना हुआ किसी खम्बे जैसा लग रहा था । वो दोनों हाथों से उसके मूसल-हब्शी लौड़े को पकड़ लेती है और तोड़ा नीचे झुककर अपना पूरा मुँह खोलते हुए राहुल मोटे और बड़े टोपे को मुँह में लेती है तथा उसके लन्ड को मुठियाते हुए लॉलीपॉप की तरह चूसने लगती है ।

राहुल अपना मुँह उसकी गाँड़ की दरार में घुसाते हुए अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने-चोदने लगता है चूत में गर्म -गर्म जीभ के अहसास से उसका पूरा बदन काँप जाता है वो अपने बदन कि कंपन को रोकने के लिए राहुल का मूसल लन्ड आधे से ज्यादा निगल जाती है जो उसके गले में जाकर फंस सा जाता है राहुल उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदते हुए अपनी कमर हिला हिलाकर उसके मुँह को बेहरमी के साथ चोदने लगता है ।

इधर पिंकी सपनों में खोई हुई अपनी चूत में उँगली कर रही थी और दूसरी तरफ उसका चोदू रवि रवि उसको दरवाजे के की(key)होल से देखते हुए अपना लन्ड मुठिया रहा था , हुआ यूँ के उसने आके कई बार दरवाजा खटखटाया पर जब पिंकि ने दरवाजा नहीं खोला तो रवि ने की होल से अंदर देखा तो अपनी जवान कमसिन और सेक्सी भतीजी को नंगी उंगली करते देख उससे रहा न गया और अपना लन्ड बाहर निकाल कर मुठियाने लगा पर उसे क्या पता था कि रमा वँहा आ जायेगी और उसके लिए एक और चूत का इंतजाम हो जाएगा । रमा तो बेचारी बाजार जाने के लिए घर से निकली तो सामने रवि को दरवाजे से झाँकते हुए मुठ मारते देख हैरान रह गयी , रवि 6 फुट का लंबा चोड़ा मर्द था ऊपर से उसका 8इंच लम्बा और 3 इंच मोटा काला लौड़ा देख रमा तो जैसे पगला ही गयी और कुछ देर मन्त्रमुग्ध सी उसे मुठियाते देखती रही पर फिर उसने खुद को संभाला और यह सोचकर कि उसकी बेटियां रवि को इस हालत में न देख लें उसने रवि को बुलाने का फैसला किया ।
रमा(खांसते हुए)-रवि भाई साहब ....
रवि(जैसे नींद से जागा पर रमा को देखकर उसने अपना लन्ड छुपाने की कोशिश नहीं कि बल्कि सीधा रमा की तरफ मुड़कर खड़ा हो गया)-ओह माफ कीजिये गा मुझे ज़रा खारिश हो गयी थी ।
रमा(उसके लन्ड को घूरते हुए)-यह तुम बाथरूम में भी कर सकते थे ।
रवि(लन्ड को सहलाते हुए) -जी वो ऐसा है कि मैं पिंकि को तंग नहीं करना चाहता था ।
रमा(रवि के लन्ड कि तरफ इशारा करते हुए)-अभी तो तुम खुजा चुके हैं तो ,इसे अंदर डाल सकते हैं ।
रवि-तुम लेंगी इसे ? यह तुमकी चूत में जाकर धन्य हो जाएगा ।
रमा(रवि के इस जवाब से हैरान रह जाती है ,उसने ऐसे बेशर्म जवाब की उम्मीद नहीं कि थी , ऊपर से वो अपने घर के बाहर खड़ी थी इसलिए डर रही थी कि अगर किसी ने उसको रवि के साथ इस हालत में देख लिया तो न जाने क्या सोचेगा )- भाई साहब क्या कह रहें तुम कुछ तो शर्म की जिए , मेरे बच्चे है एक माँ के साथ तुमको ऐसी बात करते शर्म नहीं आती क्या ।
रवि-( रमा का यह जवाब सुनकर और निःचिन्त हो गया वो समझ गया कि रमा खुद डरी हुई है वो उसे कुछ नहीं कहेगी । यही सोचकर वो लन्ड को सहलाते हुए रमा के करीब आ गया और रमा का हाथ अपने लौड़े पर रखते हुए उसे कान में बोला)- रमा जी अब यह लन्ड तुमके हाथों से ही पैंट में जायेगा ।
रमा(गुस्से से)-क्या बकवास है यह ।
रवि(रमा के कान को चाटते हुए)- रमा जी इस लन्ड को तुम जैसी हुस्न परी की ज़रूरत है और तुमकी चूत को ऐसे ही जानदार लौड़े की तो इसे पकड़कर पैंट में डालिये यह हमारी दोस्ती की शुरूआत होगी ।
रमा( बेचारी रमा समझ नहीं पा रही थी इस स्थिति से बाहर कैसे निकले , उसका दिल तो यह सोचकर डर रहा था कि कहीं राहुल,गरिमा या तनु में से कोई बाहर न आ जाये )- रवि जी क्यों तंग कर रहे हैं , इसे अंदर कि जिये न पैंट में कोई देख लेगा ।
रवि- यही तो मैं कह रहा हूँ रमा जी कि तुम ही इस शुभ कार्य को करें कहीं अपकी बेटियों ने तुमको इस हालत में देख लिया तो न जाने क्या सोचेंगी ।
"यह मेरा मन कैसे पढ़ लेता है" रमा ने मन में सोचा और अपना हाथ आगे बढ़ाकर रवि का लन्ड थाम लिया ताकि वो उसे रवि की पैंट में डाल सके । वो लन्ड को ज़िप के अंदर करने ही जा रही थी कि रवि उसके हाथ को अपने हाथ में जकड़ते हुए बोला -रमा जी कैसा लगा औज़ार ?
रमा-मुझे नहीं पता ।
रवि(रमा की साड़ी के ऊपर से उसके स्तनों को मसलते हुए)- रमा जी तुम भूल गईं की तुमकी बेटियां घर पर ही हैं और कभी भी बाहर आ सकतीं है ।
रमा(मजबूर होते हुए)- अच्छा है ।
रवि -क्या ? मेरा तुम्हारा मम्में दबाना या मेरा लौड़ा ।
रमा-तुम्हारा वो ,अब छोड़ो मुझे।
रवि(अब तक रवि पूरी लय में आ चुका था ,हाथ आई इस बेशकीमती मछली को वो जाने नहीं देना चाहता था , वो रमा की चूची को ज़ोर से मसलते हुए बोला)- वो क्या रमा जी ? साफ साफ बोलिये ।
रमा(दर्द से तड़प उठी और रवि से पीछा छुड़ाने के लिए बोली)-तुम्हारा लन्ड ।रवि(लौड़े को पैंट में डालते हुए)-आह जान खुश कर दिया तूने तो , तू लन्ड इतना अच्छा बोलती है चूसती कितना अच्छा होगी ।
रमा(शर्म के मारे उसके दोनों गाल लाल हो गए) - तुम तो कुछ भी बोलते है , मुझे मार्केट जाने दें वैसे भी मैं काफी लेट हो चुकी हूँ और मुझे मेट्रो शॉपिंग मॉल जाना है जो काफी दूर है ।
रवि(वैसे तो उसे भी शादी में जाना था और पिंकि के घर वो अपने कपड़े लेने आया था पर रमा का कामुक बदन देख उसे चुदाई के इलावा कुछ नहीं सूझ रहा था )-मैं भी वहीं जा रहा था मुझे भी अपने लिए एक कोट-पैंट खरीदना था तो चलिए साथ चलते हैं मेरी गाड़ी में ।
रमा-नहीं नहीं मैं चली जाऊंगी ।
रवि -रमा जी तुम भी न , इतनी दूर जाना है तुमको कम से कम भी 3 रिक्शा बदलने पड़ेगें और अगर स्पेशल रिक्शा करेंगी तो 200 से ज्यादा लग जाएंगे। इससे तो अच्छा है हम साथ-2 चलते हैं ।
 
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रवि ने बात तो सही की थी और रमा की भी कई सालों की कामवासना उस पर हावी होने लगी थी उसका भी मन करता था कि कोई उसे बेहरहमी से चोदे उसके मम्में निचोड़े और उसकी प्यासी बुर को अपने लौड़े से चोद-चोद के सुजा दे ,रमा ने सिर हिलाकर हामी भर दी और रवि के साथ सीढ़ियां उतरने लगी ।
रवि उन मर्दों में से था जिन्हें लड़कियों को चोदने से ज्यादा 30-35 साल की पक चुकी औरतों को चोदने में ज्यादा मज़ा आता था , रमा का माधुरी के जैसा फेस कट , लंबे घने बाल गदराई कमर और मोटी सुडौल उठी गाँड़ रवि के लिए किसी जन्नत की हूर से कम नहीं था । वो जब भी रमा को देखता तो अपना लन्ड मसल कर रह जाता और रमा थी कि उसकी तरफ देखती तक नहीं थी । गाड़ी चलाते हुए वो पीछे की सीट पर बैठी रमा को ड्राइविंग मिरर में से देख रहा था कितनी सुंदर आकर्षक एक दम आदर्श हिंदुस्तानी औरत , सफेद साड़ी जिस पर हल्की गोल्डन कढ़ाई थी उसे काम देवी बना रही थी । सीलव लेस ब्लाउज में से उसकी सुडौल गोरी बाहें और कंधे किसी भी मर्द को पागल कर देने के लिए काफी थे । ऊपर से उसका माँसल नेवल तो जैसे बादलों के साथ साथ बिजलियाँ गिरा रहा था "यह पीछे बैठी रही तो आज पक्का एक्सीडेंट करवाएगी" रवि ने मन में सोचा और गाड़ी रोक दी ।
रमा-रवि जी तुमने गाड़ी क्यों रोक दी ?
रवि(उसका मन यह सोचकर खुश हो गया कि रमा ने इस समय उसे भाई साहब नहीं बल्कि सिर्फ रवि कहा था)-तुम पीछे बैठी हैं जिसके कारण मैं ड्राइव पे ध्यान नहीं दे पा रहा हूँ ,तुम फ्रंट सीट पे आ जाइए ।
रमा(उसकी बात का मतलब समझ जाती है जिसके कारण एक बार फिर उसके गाल शर्म से लाल हो जाते हैं )-मैं ठीक से नहीं बैठी हूँ क्या ?
रवि-तुम तो ठीक ही बैठी हैं पर तुम इतनी खूबसूरत हैं कि मैं ड्राइव पे ध्यान नहीं दे पा रहा हूँ ,नज़र तुमसे हटती ही नहीं ।
रमा-मैं और सुंदर अच्छा मज़ाक कर लेते हैं तुम , सुन्दर तो जवान लड़कियां होती है मुझ जैसी बूढ़ी औरतें नहीं ।
रवि- यह तो पसंद की बात है , छोकरों को कलियां पसंद आती हैं पर मर्दों को तो फूल ही घायल करते हैं ।
रमा-तुम बातें बेहद खूबसूरत करते हैं तुमसे जीतना मुश्किल है ।
रवि(गाड़ी से बाहर निकलकर रमा का दरवाजा खोलकर अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए)- तुमकी पहली झलक में ही मैं सब हार गया था , 2 जून था उस दिन तुमने पीली साड़ी पहनी हुई थी ।
रमा जैसे 2 साल पीछे चली जाती है तनु का जन्मदिन था उस दिन और उसी दिन पिंकि के पापा और रवि फ्लैट किराए पर लेने के लिए आए थे हाँ 2 जून ही था इसे याद है ....कोई क्यों याद रखेगा.....प्रेमी याद रखते हैं....पर मैं तो शादीशुदा हूँ और यह 24-25 जवान मर्द ...
रवि(रमा के गालों को छूते हुए)-रमा रमा.....ठीक तो हो तुम क्या हो गया ।
रमा(रवि का हाथ पकड़कर गाड़ी से बाहर आते हुए)- हाथ छोड़ेंगे तो नहीं ? भारी हूँ गिरा मत देना ।
रवि(उसको अपनी तरफ खिंच लेता है और उसे कस के अपने बाहुपाश से जकड़ते हुए सीधा उसकी आँखों में देखते हुए कहता है)- रमा कसम भगवान की आजतक कई लड़कियों को चोदा पर किसी को I love you नहीं कहा कह के किया कि बस एक रात ज्यादा से ज्यादा बस चुदाई तक होगा अपना रिश्ता लेकिन तुमसे महोबत हो गयी है ,एक बार जो तुम्हारा हाथ पकड़ लिया है तो मरते दम तक पकड़े रखूँगा । वो रमा के होंठ चूम लेता है ।
रमा-क्या करते हो कोई देख लेगा ।
रवि -जो देखेगा जल जाएगा रमा-मुझसे पूछा भी नहीं और सब खुद ही सोच लिया ।
रवि-तुम्हारी आँखे बता रही हैं कि तुमको तनु और गरिमा के नए पापा पसंद हैं ।
रमा-उनका नाम मत लो यह गलत है ।
रवि-कमीना हूँ पर कह के , अब से वो भी बेटियां हैं मेरी । हरामी नहीं हूँ । रमा उसके साथ अगली सीट पर बैठ गयी तो उसने बात बढ़ाई उसने रमा का हाथ पकड़कर कहा-रमा आज पता मैं क्यों मुठ मार रहा था ?
रमा-क्यों ?
रवि-अंदर पिंकि नंगी उंगली कर रही थी ।चाहता तो अंदर जाता उसे डराता और तुम समझती ही हो आगे ,लेकिन रिश्तों की हद मैं जानता हूँ ।
रमा(अपने और राहुल के बारे में सोचते हुए)-समझ सकती हूँ मैं ।
रवि-तो विश्वास करती हो मेरा ?
रमा-हूं , खुद से ज्यादा ।
रवि-मेरा फ्लैट पास ही है चोलोगी ?
रमा-गृह प्रवेश करवाना है क्या ?
रवि-हम्म पर उसके साथ साथ लन्ड प्रवेश भी ।
रमा-धत ,कितना गंदा बोलते हो यार ,अब चलो भी मुझे घर भी जाना है
 
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रवि का फ्लैट एक पॉश कॉलोनी में था ,फ्लैट में घुसते ही रवि और रमा एक दूसरे पे भूखे शेर शेरनी की तरह टूट पड़े एक दूसरे चूमते नोचते वो कुछ ही पल में एक दूसरे को नंगा कर चुके थे । वो कभी एक दीवार से टकराते तो कभी दूसरी वो पागल प्रेमियों की तरह एक दूसरे के अंगों को कभी चुम,चाट और काट रहे थे आखिर रमा का सब्र जवाब दे गया और वो बोली" रवि और नहीं सहा जाता अब " रवि ने उसे अपनी गोद में उठा लिया औऱ रमा को बेड रूम में ले जाकर नरम नरम बिस्तर पर फेंक दिया औऱ रमा के ऊपर लेट गया "रमा तुम नहीं जानती की इस दिन का कबसे इंतज़ार था मुझे " उसने रमा के होंठ चूमते हुए कहा ।
"तो और मत रुको डाल दो अपना मूसल लन्ड मेरी चूत में" रमा ने अपनी से रवि की कमर को जकड़ते हुए कहा और अपने एक हाथ से रवि के डण्डे जैसे सख्त लौड़े को पकड़ कर अपनी चूत पर सेट करते हुए कहा ।
रवि ने मजबूत और बड़े हाथों की उंगलियों को राम के छोटे और मुलायम हाथों की उंगलियों फसाते हुए उन्हें बिस्तर के साथ सटा दिया और अपनी कमर पर भार डालते हुए अपना मोटा लन्ड रमा की गदराई चूत में उतारने लगा ....
"उफ्फ्फ.....रवव....वी ओह कितना मोटा है तुम्हारा लौड़ा ...आह...माँ ...फट जाएगी मेरी " रमा ने छटपटाते हुए कहा । उनसे जितना सोचा था रवि का लन्ड लेते हुए उसे उससे कहीं अधिक दर्द हो रहा था रवि का लन्ड मानो उसकी चूत को पूरा फैलता जा रहा था ।
रवि ने रमा के चेहरे पर दर्द से उभर आई लकीरों और पसीने को देखा तो उसने अपने लन्ड को उसकी चूत बाहर खींच लिया और रमा की बगल में लेटते हुए कहा ज्यादा दर्द हो रहा है तो थोड़ा चिकना कर दो । रमा पलटकर उसके ऊपर आ गयी और बोली अभी इसे तैयार करती हूँ फिर उसकी छाती से पेट को चूमते हुए रवि के लन्ड की तरफ आने लगी । पर रवि के लन्ड का तो जैसे कायाकल्प हो चुका था वो बिल्कुल भी वैसा नहीं था जैसा उसने आज घर के बाहर देखा था उसे देखते ही डर के मारे उसकी चीख निकल गयी "आह...इतना बड़ा लन्ड" रवि का आम सा दिखने वाला लन्ड इस समय राहुल के लौड़े से कुछ लम्बा और मोटा हो चुका था । "क्या हुआ रमा ? मेरा लन्ड पसंद नहीं आया ?" रवि ने रमा की आँखों में देखते हुए कहा। "कितना बड़ा है बिल्कुल किसी हाथी के लौड़े जैसा" रमा ने उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ते हुए कहा । रमा के अंदर इस समय सवालों का एक पहाड़ उमड़ रहा था .....किसी इंसान का लिंग इतना बड़ा कैसे हो सकता है?......अभी 1 घंटा भी नहीं उसे रवि को जाने पर क्यों उसे ऐसा लग रहा है कि वो उससे इतना प्रेम करने लगी है कि अपनी जान भी दे दे उसके लिए .....तरनजीत ने तो उसके लिंग का आकार 7 इंच बताया था....घर पे जब देखा तो उससे कुछ बड़ा था....पर अब इतना बड़ा....?.....कोई अपने लिंग का आकार इतना बड़ा कैसे कर सकता है ?...फिर अचानक न जाने क्यों उसे याद आया कि जब वो बहुत छोटी थी तो उसकी नानी को किसी ने इसलिए मार डाला था क्योंकि गाँव वालों को शक था कि वो रूप बदलने वाली चुड़ैल थी ....
रवि ने उसे पकड़ कर अपनी बगल में लिटा लिया और उसके चेहरे को सहलाते हुए बोला "रमा डर लग रहा है ?"
रमा-(रवि के होंठों पर एक हल्की सी किस करते हुए)- अब नहीं लग रहा ।
रवि-फिर क्या सोच रही हो ?
रमा- रवि मेरी नानी बहुत सुन्दर थी ,देखने में तो उनकी उम्र मेरी माँ से भी कम लगती थी । वो कहती थीं रमा एक दिन एक राजकुमार आएगा जिसका बदन हीरों की तरह चमकेगा वो तुझे बहुत खुश रखेगा । लेकिन.... लेकिन....
रवि(रमा की बात सुनकर रवि के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है...वो सोचता है रमा भी हम जैसी है ? और मैं पहचान नहीं सका ?...अब कुछ छुपाने की ज़रूरत नहीं है, वो खिड़की पे लगे पर्दे को हल्का सा हटा देता है)-लेकिन क्या रमा ?
रमा उसकि तरफ देखती है और उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती है रवि का सारा बदन हीरों के जैसे जगमगा रहा था ।
रवि-तुम्हारी नानी को रूप बदलने वाली चुड़ैल समझ कर किसी ने .........वो जानबूझकर कर बात पूरी नही करता ताकि रमा और ज्यादा दुखी न हो जाये ।
रमा-तुम मेरा दिमाग पढ़ सकते हो ?
रवि- हम्म ,पर सिर्फ अपने इस रूप में । तुम भी अपना दूसरा रूप देखना चाहोगी ?
रमा-क्या भी इंसान नहीं हूँ ? पिशाच हूँ ।
रवि- (ठहाका मार कर हँस पड़ता है और रमा के गालों को सहलाते हुए कहता है) -बिल्कुल इंसानों जैसी बातें करती हो मेरा मतलब है धरती के इंसानों जैसे ,रमा न तुम और न मैं पिशाच हूँ ,हम जैसे कुछ और भी हैं जो एक दूसरे ग्रह के निवासी है जिसका नाम था "माया ग्रह" ।
रमा-तो मुझे उसके बारे में बताओ ।
रवि-अभी नहीं ,बहुत लंबी कहानी है आज रात में बताऊंगा । अभी पहले तुमको असली रमा के दर्शन करवाने हैं ।
यह कहकर रवि रमा को उठा कर दूसरे कमरे में ले जाता है और एक बड़े से शीशे के सामने खड़ा कर देता है ।
"रमा अपनी आँखें बंद करो और डरना मत मैं तुम्हें एक इंजेक्शन लगाऊंगा जिससे तुम्हारी सोई हुई शक्तियां जागृत हो जाएंगी पर ध्यान रखना अब जब तुम्हें कुछ मिनटों बाद होश आएगा तो शायद तुम खुद को न पहचान पाओ ।
"ठीक है"कह कर रमा अपनी आँखें बंद कर लेती है । रवि एक अलमारी से एक इंजेक्शन निकाल लेता है और उसे रमा योनि के भगनासे पर लगा देता है ।कुछ ही सेकन्ड में रमा का पूरा शरीर एठने लगता है और उसका रूप बदलना शुरू हो जाता है । सबसे पहले उसकी टाँगे और पैर बदलते जो पहले से भी ज्यादा मुलायम और नाज़ुक हो जाते है फिर उसकी योनि के होंठ जो पहले हल्के भूरे रंग के थे अब गुलाबी हो जाते है ,उसकी गाँड़ कुछ और बड़ी गोल हो जाती है उसकी 30 इंच की कमर 24 की रह जाती है फिर उसकी बाहें,हाथ बदल जाते है फिर उसके स्तन कुछ और फूल कर एक दम गोल हो जाते हैं और निप्पल गुलाबी होकर दुगने आकर के हो जाते हैं मानों उसके मम्मों पे स्ट्राबेरी उग आई हों , गर्दन कुछ पतली और लम्बी हो जाती है फिर उसकी ठोड़ी कुछ छोटी हो जाती है होंठ कुछ ऊपर की और उठ जाते हैं नाक कुछ छोटी हो जाती है उसे देखकर रवि के मुँह से निकलता है "पूरी काइली जैनर लेकिन उससे भी सेक्सी और गोरी..."

रवि -( उसने रेड वाइन का एक गिलास भरा और रमा को जगाते हुए उसके होंठो के साथ लगाया )-रमा पीलो इसे अच्छा लगेगा तुम्हें ।
रमा एक ही घूट में सारा गिलास पी गयी ,उसका सिर चकराना कम हुआ तो उसने शीशे में देखा पर वो खुद को पहचान ही नहीं पाई पहचानती भी कैसे 38 साल की भरी पूरी औरत की जगह वो हॉलीवुड हीरोइन जैसी दिखने वाली 22-23 साल की लड़की को देख रही थी "यह मैं हूँ ?" उसने अपने स्तंनो ,चेहरे को छूते हुए पूछा । "हाँ तुम ही रमा यह तुम्हारा असली रूप है" रवि ने रमा को बाहों में भरते हुए कहा ।
रमा ने शीशे में देखा तो एक साढ़े छे फूट के बॉडी बिल्डर की बाहों में वो किसी छुई-मुई सी लग रही रही थी । रवि उसके एक मम्में को पकड़ कर थोड़ा ऊपर उठाया और और उसके 1 इंच के निप्पल को अपने मुँह में डाल लिया और उसे वैसे ही चूसने लगा जैसे वो बचपन में मां का दूध पीता था । उसने जैसे ही चूसी मारी गाड़े मलाई दार दूध से उसका मुँह भर गया " बड़ा मीठा है तेरा दूध " उसने रमा की आँखों में देखते हुए कहा ।
रमा(शर्माते हुए)-धत इनमें दूध कँहा से आएगा ।
रवि(वाइन वाला गिलास उठाते हुए)-इनमें तो इतना दूध है कि दो बार निचोड़ने पर ही गिलास भर जाए ।
रमा तो जैसे शर्म से जमीन में गड़ी जा रही थी उसका प्रेमी उसका दूध पी रहा था और किसी गाय की तरह उसका दूध निकालने की बात कर रहा था । पर इससे पहले की वो कुछ और कहती रवि ने उसके एक स्तन को ज़ोर से भिचा औऱ सच में उसके चूचक में से दूध की एक मोटी धार निकालकर गिलास में पड़ी और गिलास आधे से ज्यादा भर गया । "आह रवि आराम से तोड़ ही डालोगे क्या" रमा ने रवि के होंठो पे अपनी उँगली रखते हुए कहा । रवि ने उसकी उँगली को मुँह में डाल कर उसे हल्का सा काटते हुए बोला"आह तेरी उंगलियां भी मीठी हैं खा जाऊं इन्हें तो" ।
रवि ने गिलास में रमा का जो दूध निकाला था उसे अपने मोटे हाथी लन्ड पर गिरा दिया और पूरे लंड पर अच्छे से मल लिया फिर उसने रमा को अपनी गोद में ऊपर उठा लिया ....रमा ने अपनी टाँगे उसकी कमर पर और बाहें उसके गले में डाल दीं ...वो अपनी चूत के नीचे साफ-2 रवि के मोटे लौड़े को महसूस कर रही थी वो समझ गयी कि क्या होने वाला है उसने अपने होंठ रवि के होंठो पे लगा दिए और उसके होंठों को चूमने लगी।
रवि ने अपनी एक बाजू से रमा की पतली कमर को थाम लिया और दूसरे हाथ से अपने लन्ड के टोपे को उसकी अनछुई चूत के नीचे लगा दिया और रमा के होंठो को अपने होंठो में कैद करते हुए एक इतने जोर का झटका मारा की उसका 15इंच लम्बा और 5इंच मोटा लौड़ा रमा की चूत की झिल्ली को चीरता हुआ आधे से ज्यादा उसकी चूत में समा गया ।
रमा के होंठ तो उसके होंठो की कैद में थे इसलिए वो चीख तो न पाई पर उसे दर्द इतना ज्यादा हुआ था कि उसने अपने लंबे नाखून रवि की गर्दन में इतने ज़ोर से गड़ा दिए कि रवि की गर्दन से खून निकल आया । रमा कि चूत मानो इस समय इतने मोटे लन्ड के कारण फटी जा रही थी और आग कि भठ्ठी की तरफ तप रही थी वो रवि के लिंग को निचोड़ रही थी इतनी कसी हुई थी रवि न तो अपने लौड़े को आगे कर पा रहा था पीछे । रवि ने अपने लन्ड को रमा की चूत में वैसे ही रहने दिया और रमा को गोद में उठाए हुए ही अपने बेडरूम में आ गया और एक तकिये के ऊपर रमा के सिर को धीरे से टिकाते हुए उसे बिस्तर पर टिका दिया । उसका मूसल लन्ड अभी भी
रमा की चूत में था और लकड़ी में जैसे कील गड़ी होती है वैसे ही गड़ा हुआ था । उसने अपने हाथों में रमा का चेहरा थामा और उसके होंठों को अपने होंठों की बेरहम कैद से आज़ाद किया उसे लग रहा था कि रमा चिलायेगी ,गुस्सा करेगी लन्ड बाहर निकालने को कहेगी पर रमा तो छोटी लड़कियों जैसे मुस्कुराते हुए बोली "तुम्हारा लन्ड तो मेरे पेट तक आ गया है ,ऐसा लग रहा है मानो तुम्हारा लन्ड नहीं बल्कि कोई बच्चा आगया हो मेरे पेट में" रमा ने अपनी नाभि के पास अपने के उभार को देखते हुए कहा । रवि का लौड़ा रमा की बेहद कसी हुई चूत में मानों जल रहा था उसके लिए खुद को रोकना बेहद मुश्किल हो रहा था ,उसने रमा टाँगों को फैलाते हुए एक ताकतवर झटका अचानक ही दे मारा और उसका पूरा हाथियों वाला लौड़ा रमा की चूत के सारे अवरोध को तोड़ता हुआ अंदर घुस गया ।रमा कि मानो जान हल्क में आ गयी हो उसने अपना सिर थोड़ा ऊपर उठाकर देखा तो उसके पेट में रवि के लंबे मोटे लौड़े से बन रहा उभार साफ नजर आ रहा था जो उसकी फुद्दी से ठीक स्तंनो के बीच तक आ रहा था । उसे दर्द से ज्यादा हैरानी हो रही थी कि इतना बड़ा लौड़ा उसकी फुद्दी में फिट कैसे हो गया उसकी चूत की गहराई का हर एक इंच रवि के लन्ड को महसूस कर रहा था ।
रवि ने उसकी एक टांग को 90 डीग्री पर मोड़ते हुए पकड़ लिया हल्के-2 झटके देना शुरू किया वो रमा की आँखों में देखता हुआ धीरे-2 पर जानदार झटके मार रहा था वो लन्ड को आधे से ज्यादा बाहर निकलता फिर पूरा अंदर ठेल देता उसके बड़े अंडकोष रमा की गाँड़ से टकरा जाते और घप कि आवाज होती । धीरे-2 रमा की चूत उसके मोटे लन्ड की आदि होती जा रही थी और वो अपने धक्कों की रफ्तार तेज करता जा रहा था ।
 
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जल्दी रमा का दर्द मज़े में बदल गया और वो आंखे बंद करके अपने होंठ काटते हुए चुदाई का आनंद उठाने लगी "ओह ररवी.....आह...आह...चोदो ...आह.....और ज़ोर से चोद... आह...हाँ ऐसे ही.....उफ्फ कितना मूसल है तेरा लौड़ा आह..." पक पक.... और घप घप... की आवाज़ के बीच रमा की कामुक आवाज़ें पूरे कमरे में गूँज रही थी । रवि दनादन धक्के दे रहा था और रमा चादर को पकड़े बस मादक सिसकियां ले रही थी "आह… रवि… जोर से… और जोर से… फाड़ डाल मेरी चुत को!”...."ले मेरी जान और ले ....तेरी यह टाइट बुर ने पागल बना दिया ले साली औऱ ले " रवि ने रमा के मम्मों को पकड़ते हुए कहा और रफ्तार और तेज़ कर दी।

"आह धक्का दे… हाँ… हाँ दे… दे… दे… हाँ हाँ ऐसे ही दिये जा रवि… हाय राजे मैं कहाँ उड़े जा रही हूँ… लगता है अब गिरी और अब गिरी… आह आह आह! रमा रवि की पीठ को नोचते हुए चिल्ला रही थी । रवि उसके तरबूजों को मसलते हुए अपने हाथी लन्ड से उसकी चूत का भुरता बना रहा था पूरा कमरा उसके जानदार धक्कों की आवाज़ से गूंज रहा था "धम्म धम्म धम्म फचाक फचाक फचाक… . धम्म धम्म धम्म फचाक फचाक फचाक… . धम्म धम्म धम्म फचाक फचाक फचाक… " उधर रमा की मादक आवाज़े आऽऽह.. धीरे.. आऽऽह.. आऽऽह..आऽऽह.. रुक जरा.. हाँ.. आऽऽह… जोर से.. आऽऽह.. आऽऽह.. आऽऽह.. ह्म्म.. हाँऽऽअः का मधुर संगीत की तरह गूँजने रही थीं ।

“आह रमा… मेरी रानी, ले मेरा लंड… और ले… बड़ी मस्त है तेरी चुत… पहली बार में ही पूरा अंदर ले लिया है तूने… आह… देख कैसा मेरा लंड अंदर खींच रही है… मैं आ रहा हूँ जान… ले मेरा लंड…” रवि मदहोशी में बोल रहा था वो अपने चरम कि तरफ बढ़ रहा था और बेहरमी से घस्से पे घस्सा लागये जा रहा था उसे अपने अंडकोष भारी होते हुए महसूस हो रहे थे पर उसे इतना मज़ा आ रहा था कि बिना रुके पूरी रफ्तार से रमा की चूत में लन्ड पेले जा रहा था ।
“आआ… आआअह रवि… आआआ आआआ प्लीज तेज चोदो… आआ आआअ… मैं मर जाऊँगी आआ आआआआ....ऐसे ही आह ....कितना मज़ा आ रहा है ...आह" रमा चुदाई की के मज़े में डूबी बड़बड़ा रही थी दूसरी तरफ रवि को लग रहा जैसे वो किसी भी पल झड़ जाएगा उसके अण्डकोषों की थैली वीर्य से भरती जा रही थी लेकिन वो रमा कि पहली चुदाई का मज़ा खराब नहीं करना चाहता इसलिए उसने धक्के लगाना बंद कर दिए पर लन्ड को रमा की चूत के अंदर ही रहने दिया ...."रुक क्यों गए ...चोदो न ...प्लीज़ रुको मत ..चोदते रहो ...रवि मत तड़पाओ मुझे " रमा तरस भरी नजरों से रवि की और देखते हुए कहा । "करूँगा चुदाई मेरी जान मेरी रमा बस एक मिनट " रवि चादर के एक कोने से पतली से कपड़े की पट्टी फाड़ते हुए और पट्टी कस के अपने लौड़े की जड़ पर वैसे ही बाँध लिया जैसे चोट लगी जगह को बांधते हैं ।
रमा( शरारत भरी मुस्कान के साथ)-अपने लौड़े को राखी बाँध रहे हो ?
रवि-हाहाहा ....नहीं मेरी काम की देवी ,तेरा गुलाम लौड़ा कहीं समय से पहले उल्टी न कर दे इसलिए इसकी गर्दन को बाँध दिया है , तो अगला राउंड शुरू करें ?
रमा(अपनी कमर हिलाते हुए)-नेकी और पूछ पूछ ? शुरू करो ।
रवि(लन्ड को रमा की चूत से बाहर खींचते हुए) -अब जब शेर के गले में मैंने पट्टा डाल ही दिया तो इसकी सवारी करके देखो ज़रा ।
रमा ने उठकर उसके लिंग को देखा. रमा के मम्मों के रस से भीगा हुआ मोटा लम्बा लेकिन गोरा लौड़ा रमा को पागल बना रहा था. रमा ने उसके हैथियों वाले लंड को अपनी मुट्ठी मे भरा तो उसकी पूरी हथेली रस से चुपद गयी. और थोड़ा सा खेंचते ही उनका लिंग मुट्ठी से फिसला जा रहा था. रमा ने उसकि कमर के दोनो ओर अपने घुटनो को रख कर अपनी योनि को आसमान की ओर तने उनका लिंग पर रखा. फिर अपने एक हाथ को नीचे ले जाकर दोउंगलियों से अपनी चूत की फांकों को अलग किया और दूसरे हाथ से उनके लिंग को थाम कर उसे अपनी योनि के द्वार पर सेट कर दिया. फिर रमा उसकी बलिष्ठ चौड़ी छाती पर अपने दोनो हाथ रख कर उन्हे सहलाने लगी उसके छ्होटे मसूर के दाने समान दोनो निपल को अपने नाखूनो से छेड़ते हुए रमा अपनी कमर को नीचे की ओर दबाया.
पहले झटके मे उसका मोटा टोपा कुछ अंदर तक घुस गया. रमा इस अवस्था मे कुछ देर तक रुकी. रमा ने रवि की तरफ देखा. वो उसे देखते हुए मुस्कुरा रहा था. रमा ने भी उसकी तरफ एक दर्दीली मुस्कुराहट छोड़ते हुए अपना सारा बोझ उसके ऊपर डाल दिया. उसका किसी बड़ी लम्बी और मोटी लौकी जैसा लौड़ा वापस उसकी चूत मे अंदर तक घुसता चला गया. वो अपनी पूरी जान लगा कर रवि के ऊपर बैठ गयी।
रमा ने अपना एक हाथ उन दोनो के मिलन की जगह डाल कर टटोला फिर कराहते हुए कहा, “घुस गया है पूरा….ओफफफ्फ़ कैसे झेलती होगी कोई तुम्हें रवि ..ऐसा लग रहा है मानो मेरी चूत को कोई चाकू चीर रहा है. इसीलिए एक बार जो तेरे संपर्क मे आती है उसका तुझे छोड़कर कर जाने का सपने मे भी मन नही होता है इसीलिए तरन तेरी गुलाम है और आज तूने मुझे भी जीत लिया.”
रमा उसके लिंग पर अपनी चूत को ऊपर नीचे करने लगी. रवि ने राम की बड़ी गुलाबी चूचियो को पकड़ कर दबाना शुरू किया. एक चूची के निपल को ज़ोर से खींचा तो उसमे से दूध की धार निकल कर रवि के चेहरे पर पड़ी. रवि ने मुँह खोल कर दूध की धार को अपने मुँह की ओर किया. एक हाथ से मेरे निपल की दिशा अपने मुँह की ओर सेट करके दूसरे हाथ से उसे मसल मसल कर दूहने लगा. रमा के मोटे सुडौल पर रुई से नरम स्तनो से दूध निकल कर पिचकारी की धार की तरह सीधा उसके मुँह मे गिर रहा था. रवि ने अपना मुँह पूरा खोल कर रमा के स्तनो से निकलने वाले सारे दूध को अपने मुँह मे समेट लिया.
रमा कामवेग में पगला सी गयी थी वो तेजी से रवि के के खम्बे जैसे लौड़े पर कूद-कूद कर उसे चोद रही थी ,रवि अपने चरम पर पहुँच गया था उसने रमा के स्तंनो को बेहद ज़ोर से अपने मुठ्ठी में भीच लिया उसका लन्ड रमा की चूत में रह रहकर झटके खा रहा था पर लन्ड को बांधने का उसका आइडिया काम कर गया न उसका माल निकला और न लन्ड ही शिथिल हुआ ,चरम अवस्था के गुज़र जाने के बाद रवि के मुख से एक लंबी आह निकली और वो निश्वास छोड़ते हुए बिस्तर पर पसर गया ।
उसका लन्ड अभी भी पूरी तरह सख्त था और रमा की टाइट और गहरी चूत के अन्दर था ।रमा इसी इसी पोज़ में नीचे झुक कर रवि के गालों,होंठो ,गले और छाती पर किस करने लग गयी ।

रवि(रमा की पीठ सहलाते हुए)-मज़ा आ गया मेरी जान क्या मस्त चुदाई करती हो तुम ।

रमा(रवि के होंठ चूमते हुए)-मैं तो आंनद और मज़े के आसमान में उड़ रही हूँ लग रहा जैसे सुहागरात हो मेरी । तुम हो मेरे पति रवि ।

रवि(उठ कर रमा को गोदी लेते हुए)-हम्म और तुम मेरी पत्नी । रवि ने रमा को खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया और अपने लिंग को उसकी योनि के अंतस्थल तक पहुँचाने की कोशिश में लग गया था

रमा जो कि रवि के हाथों में अब खिलोने जैसे लग रही थी उसे भी रवि की हरकतों का अंदाज़ा था पर वो कुछ नहीं कर सकती थी वो इतनी थक चुकी थी कि उसके हाथ पाँवो ने जबाब दे दिया था वो तो बस लटके हुए थे और किसी भी सहारे की तलाश में थे पर सहारा कहाँ वो तो अब रवि की गोद में थी और उसकी जाँघो के बीच में उसका, मोटा लिंग फिर से अपनी लड़ाई लड़ता हुआ दिख रहा था वो जानती थी कि अब उसकी फुद्दी को फाड़ने के लिए वो फिर से तैयार था और वो फिर से उस संघर्ष का हिस्सा है वो भी थोड़ा सा रवि के कंधों का सहारा लेके आगे की ओर हुई थी कि झट से रवि ने उसे नीचे से एक ध्क्का लगाया और उसका मूसल का लिंग उसे भेदता हुआ अंदर और बहुत अंदर तक पहुँच चुका था रवि बेड पर था और उसके पैर जमीन पर टिके हुए थे पर उसके धक्के इतने ताकतवर थे कि रमा हर बार किसी गेंद की भाँति ऊपर की ओर उछल पड़ती थी रवि रवि का लिंग अब पूरी तरह से अपना रास्ता खोजने में सफल हो गया था और उनके दोनों हाथ उसकी कमर के चारो ओर उसे जोर के जकड़े हुए था उस्का दाढ़ी वाला चेहरा उसके नरम और मुलायम कोमल सीने को छूता तो रमा के मुख से एक लंबी सी सिसकारी भी निकलती

रमा- ऊऊह्ह रवि प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज धीरीईईईईईईईई...फट गई मेरी ।
रवि- रुक जा रमा थोड़ा और बस ...बस मेरा शोना आह....रवि उसे दिलासा देते हुए अपने लन्ड को तेजी से उसकी योनि के अन्दर बाहर करता जा रहा था ।

रमा- मैं माअरर्र्ररर जाऊँगी और नहीं ....आह...आह....ओह... मां

पर रवि को कहाँ शांति थी वो तो एक हैवान बन चुका था उसके धक्के इतने जबरदस्त होते जा रहे थे कि हर धक्के में रमा उसके कंधों के ऊपर निकल जाती थी पर उसकी मजबूत पकड़ से आगे नहीं जा पाती थी लेकिन हर धक्कों के साथ वो फिर से गर्म होने लगी थी अब धीरे-धीरे उसकी पकड़ रवि के कंधों पर मजबूत होती जा रही थी और कस्ती जा रही थी
उसके शरीर में एक और बार उमंग की लहरे दौड़ चुकी थी वो फिर से अपने अंदर की उथल पुथल को संभालने की चेष्टा कर रही थी वो अब हर धक्के पर कसकर रवि को अपने शरीर के और पास लाने की कोशिश करती जा रही थी अब उसके पैरों में भी और हाथों में भी जोर आ गया था वो अब रवि रवि पर झुकी जा रही थी और हर धक्के को अपने अंदर तक महसूस कर रही थी
 
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रमा के जोर के आगे अब रवि भी झुक गया और, उसने अपने को बिस्तर पर गिरने दिया अब रमा उसके ऊपर थी और वो नीचे पर उसका काम चालू था अब उसकी पकड़ रमा की चुचियों पर थे और अपनी हथेलियो को कसकर उनके चारो ओर पकड़े हुए था उसके हाथों के सहारे ही रमा ऊपर की ओर उठी हुई थी और वो नीचे लेटे हुए रमा की सुंदरता को देख रहा था और उसे जम कर भोग रहा था उसके शरीर की आख़िरी शक्ति को भी वो लगाकर उस सुंदरता को उछाल रहा था और नीचे पड़े हुए रमा को आनंद के सागर में गोते लगाते हुए देखा रहा था और रमा भी अब अपने को उचका कर रवि के हर धक्कों को अपने अंदर तक ले जाती थी और फिर उसके कानों में रवि की आवाज टकराई
रवि- क्यों रमा मजा आया ना उूुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममममममम ...तेरे जैसी चुड़कड नहीं देखी ....ले और ले ...
रमा- हाँ… हाँ… आआआआआह्ह और तेज और
रवि- हाँ… और हाँ…
और एक तूफान सा उठ रहा था उस कमरे में बहुत तेज तूफान जिसकी गति का अंदाज़ा उस कमरे में रखी हर चीज को महसूस हो रह था एक दूसरे की सिसकारी से कमरा भर उठा था और जिस तेजी से वो बह रही थी उसे देखकर लगता था कि वो उथल-पुथल के संकेत है पर कोई भी झुकने को तैयार नहीं था रवि की हर चोट अब रमा के लिए एक वरदान था और उसके शरीर की गरिमा थी वो अपने तुमको उस इंसान का शुक्रगुज़ार मान रही थी , कि उसने उसे इस चरम सीमा तक पहुँचने में उसकी मदद की अचानक ही उसके अंदर का उफ्फान अपनी गति से अपने शिखर पर पहुँचने लगा था और उसके अंदर एक तुफ्फान सा उठने लगा था जो कि वो नीचे पड़े हुए रवि की ओर एक कामुक दृष्टि के साथ ही उनके ऊपर झुक गई और रवि रवि के होंठों पर टूट पड़ी और कस कर अपने दोनों हाथों से उसके चेहरे को पकड़कर उनके होंठों से गुथ गई वो अपने जीभ को उनके मुख के अंदर तक घुसाकर उनसे गुजारिश करने लगी थी
रमा- और जोर से रवि और जोर से
रवि- हाँ… हाँ… हाँ… और और
रमा- हाँ… हाँ… और और उूुुउउम्म्म्मम सस्स्स्स्स्स्स्स्शह ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई और वो झड़ने लगी बहुत तेज जैसे एक समुंदर सा उसकी योनि से बाहर निकल गई हो पर वो रुकी नहीं उस समुंदर को वो अपने शरीर से बाहर निकालना चाहती थी बाहर और बाहर उसने अब भी रवि के ऊपर उचक कर अपना समर्थन जारी रखा और रवि को और तेजी से करने का आग्रह करने लगी थी
रमा- और रवि और तेज मार डालो मुझे ईईईईईईईई
और बस धम्म से वो रवि के ऊपर गिर पड़ी अब वो उस स्वर्ग लोक में थी जहां कि वो रवि के साथ निकली थी और अब वो वहां पहुँच गई थी और रवि के होंठ अब उसके चेहरे के हर कोने में वो महसूस कर रही थी और उनकी पकड़ भी अब उसे सांस लेने को रोक रही थी पर रमा कुछ नहीं कर सकती थी वो लगभग मर चुकी थी उसके शरीर में अब इतनी जान भी नहीं बची थी कि वो अपने को छुड़ा सके और लंबी सांसें भी ले सके वो वैसे ही निढाल सी रवि के ऊपर गिरी पड़ी ।
लेकिन रवि तो अभी दूसरी बार चरम पर पहुंचने के लिए त्यार भर हुआ हुआ था , उसका मोटा लौड़ा अभी भी रमा की चूत के अन्दर ही था ।रमा ने इतना रस छोड़ा था कि उसका पूरा लन्ड भीग गया अब उसे ऐसा लग रहा था मानों उसके लन्ड पर चींटियां रेंग रही हों ।
पर वो निढाल हो चुकी रमा को तंग नहीं करना चाहता था वो चाहता था कि रमा चुदाई के हर एक पल को एन्जॉय करे ।
वो हाथ बिस्तर पर रखते हुए उठ गया । अब एक बार फिर उसकी गोद में थी ,उससे लिपटी हुई और थकी हुई । रवि ने अपनी एक बाजू रमा की नाज़ुक कमर के चारों तरफ डालकर उसे अच्छे से थाम लिया और दूसरे हाथ का सहारा लेकर खिसकते हुए बिस्तर के नीचे उतर गया और खड़ा हो गया । उसका लन्ड अभी भी रमा की योनि के भीतर ही था और वो उसकी गोद में ।
 
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रवि रमा को उठा कर अपनी आलीशान रसोई में ले आया और उसकी मोटी गाँड़ को सेल्फ पर टिकाते हुए उसकी पीठ को दीवार के सहारे टिका दिया ।
रवि(रमा के गाल सहलाते हुए)- रमा मेरी रानी, मेरी जान ,मेरी पत्नी ठीक हो तुम ?

रमा(जैसे वो नींद से जागी हो ,उसका अंग अंग टूट रहा था)-हम्म ठीक हूँ ,कितना ज्यादा झड़ी न मैं ?

रवि(रमा को वाइन का एक भरा हुआ गिलास थमाते हुए)- हम्म पूरी चादर ही भिगोकर कर रख दी है तुमने तो । लो वाइन पी लो अच्छा लगेगा तुम्हें । उसने गिलास रमा को थमाया और एक अपने लिए भी भरकर चियर्स किया और गटागट पी गया ।

रमा(वाइन से भरा गिलास खत्म करते हुए, वाइन पीने के बाद वो कुछ सामान्य होने लगी थी)-मेरे पेट यह क्या है ।

रवि-वो ही शेर ,जो तुम्हारा गुलाम है ।

रमा(रमा अपने पेट की तरफ देखती है जिसमें अभी भी रवि के लन्ड का उभार नज़र आ रहा था)-अच्छा तो यह महाराज अभी तक शांत नहीं हुए ?

रवि(रमा के मोम्मे सहलाते हुए)-कैसे होगा ?गले में पट्टा जो बँधा है । जब तक मालकिन का हुक्म नहीं होगा यह ऐसे ही मालकिन की सेवा के लिए तैयार रहेगा ।


रमा(उसे चिंता होने लगी थी कि कहीं रवि के लन्ड में खून का बहाव न रुक जाए)- रवि तुम पागल हो क्या ,खून जम जाएगा खोलो इसे ।

रवि-अच्छा एक ही दिन में लन्ड हमसे ज्यादा प्यारा होगया मैडम को ? और हम पागल ।

रमा-मज़ाक मत करो जल्दी से खोलो न इसे ।

रवि- शेर खुलने के बाद खाना मांगेगा तो क्या करोगी ?

रमा(रवि का सिर बालों से पकड़ कर अपने मम्में पे लगाते हुए)-तो मैं उसे बहुत सारा दुधु पिलाऊंगी ।

रवि(रमा की के सुन्दर चेहरे उसके काले लम्बे बालों ,मादक अदाओं और बेमिसाल कामुक बदन को निहारते हुए)- पर इस शेर को कसरत करनी है ।

रमा(अपनी टाँगों को रवि की गाँड़ पर लपेटते हुए)-सिर्फ बातें ही करोगे आज ।

रवि अपनी कमर को धीरे-2 आगे पीछे करने लगता है उसका मूसल लंड एक बार रमा की चूत को मथने लगता है पर बड़े आराम से बिना किसी हड़बड़ी के । रमा अपनी में रवि के लिंग का एक एक इंच महसूस कर रही थी और रवि का लन्ड उसकी चूत के इंच इंच से रगड़ खा रहा था दोनों का रोम रोम रोमांच से भरता जा रहा था । दोनों के ठंडे और थक चुके बदनों में एक बार फिर गर्मी और ताज़गी बढ़ती जा रही थी । "रमा तुम्हारे इस रूप पर मैं पूरी दुनियां कुर्बान कर दूँ" रवि धक्कों की गति को बढ़ाते हुए कहता । उतेजना और कामवेग के कारण रमा के होंठ सूख रहे थे वो रवि के होंठो की चूमना चाहती थी पर रवि तो आँखे बंद किये बस लयबद्ध तरीके से उसे चोदे जा रहा था वो रवि की मजबूत बाहों को पकड़ती है और अचानक आगे को कूद कर रवि की गोद में चढ़ जाती है और उसके गले में बाहें डालकर उससे लिपट जाती है उसके गुबारों जैसे मोटे स्तन पिचक कर किसी गोल प्लेट से हो जाते है । इससे पहले की रवि कुछ समझ पाता वो अपने होंठो को रवि के गर्म होंठो पे रख देती है । रवि के सब्र का बाँध अब टूट जाता है वो रमा की कमर को पकड़कर अपने मूसल से उसकि चूत को बेहरमी से चोदने लगता है ।एक हल्की सी आह निकली थी रमा के मुख से और उसके होंठों ने फिर से रवि के होंठों पर कब्जा जमा लिया था हर धक्का अब उसके अंदर तक उतर रहा था और धक्के के साथ ही एक हल्की सी आहह भी रवि के मुख में कही गुम हो जाती थी पर रमा को कोई दिक्कत नहीं थी वो और भी आ करके उसके ऊपर चढ़ गई थी ताकि उसकी चोट ठीक से और सटीक लगे रवि भी अपनी बाहों में रमा को कसे हुए धीरे-धीरेधक्के लगाता जा रहा था और अपने लिंग को अंदर और अंदर तक उतारता जा रहा था उसे बहुत मजा आने लगा था जिस शरीर की उसने इतने साल तम्माना की थी आज उसका भाग्य जाग उठा था उसी शरीर को वो जैसे चाहे वैसे भोग सकता था और जितना चाहे वो उसके साथ खेल सकता था वो उत्तेजित तो था पर वो इंतजार करना चाहता था बहुत देर तक वो रमा के अंदर रहना चाहता था और वैसे ही उसके नरम और कोमल शरीर को अपने शरीर के साथ जोड़े रखना चाहता था वो अपने माथे को रमा के कंधे पर ले गया था और रमा ने भी अब रवि के सिर को कस्स कर पकड़ रखा था पता नहीं कहाँ से इतना जोर आ गया था कि वो अपनी बाहों से उसके सिर को जाने ही नहीं देना चाहती थी उसकी पकड़ में इतनी मजबूती थी कि रवि को ही अपना चेहरा हाथ कर या फिर इधर उधर करते हुए सांस लेने के लिए जगह बनानी पड़ रही थी पर वो खुश था और अपने माथे को उसके कंधे पर रखे हुए धीरे-धीरे अपनी कमर को चला रहा था उसका हर धक्का रमा के अंतर मन को झंझोर देती थी थकि हुई रमा के अंदर का हर हिस्सा झलक जाता था हर अंग में एक नई उर्जा उत्पन्न हो जाती थी वो रवि को और भी कस्स कर पा लेती थी और अपने कमर को अऔर भी आगे करते हुए उसकी चोट को अंदर तक उतार लेने की कोशिश करती थी रवि को भी रमा का इस तरह से साथ देना बहुत अच्छा और परम सुख दाईं लग रहा था वो जानता था कि रमा एक अंदर जो आग है वो उसके हाथों से ही भुझेगी पर कब यह वो नहीं जानता था पर हाँ… एक बात तो साफ थी कि रमा हर दम तैयार मिलेगी उसे
वो अपने दोनों हाथों से रमा की पीठ का हर कोना टटोल चुका था और अब अपने हाथों को उसके कंधों के ऊपर और एक हाथ को उसके नितंबो के ऊपर रखकर अपने तुमसे जोड़े रखा था और अपनी धक्कों की रफ़्तार को धीरे-धीरे बढ़ाने लगा था अब तो रमा की कमर को भी वो अपनी जाँघो पर टिकने नहीं दे रहा था और नहीं रमा ही उसकी जाँघो पर टिक रही थी उसकी भी हालत लगता था कि रवि के जैसी हो गई थी वो भी थोड़ा सा उठकर रवि के हर धक्के को उपने अंदर समा लेने को तैयार थी और रवि के कंधे पर लटकी हुई थी वो उसके माथे को कसकर पकड़े हुए अपनी कमर को थोड़ा सा उचका करके रवि को जगह बना के देना चाहती थी, कि करो और करो
रमा- आअह्ह प्लीज बस रुखना नहीं बस रुखना नहीं और जोर से और जोर से ....रवि ...
रवि- जान ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबब आआआआआआआआह्ह ....उफ्फ्फ....कितनी टाइट चूत है तेरी ....
रमा-- रुकना नहीं प्लीज थोड़ी देर और प्लीज ...और करो ...आह....ओह मां यह लन्ड नहीं अजगर है .....आह कितना अंदर है यह
रवि- जान कितनी खूबसूरत हो तुम्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प कितनी प्यारी हो तुम ....साली कायली जेनर के 1 करोड़ फैन हैं और तू तो उससे भी सेक्सी ....तुझे हर रोज़ चुदूँगा ....आह...आह
लगता था कि जैसे रवि अपने मन की बातें अभी ही रमा को बता देना चाहता था पर रमा के कानो में कोई बातें नहीं जा रही थी उसका तो पूरा ध्यान रवि के लन्ड की तरफ था जो कि अब तो दोगुनी रफ़्तार से उसके अंदर-बाहर हो रहा आता
रमा- बस स्बस सस्स्शह अह्हहहहहहहहउूुुुुुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्ममममममममममम ...मर जाऊंगी....आह हाँ ऐसे ही .....
और रमा एक झटके से उसके गले में लटक गई और सांसों का चलना तो जैसे कई गुना बढ़ गया था वो स्थिर रहने की कोशिश कर रही थी पर रवि के धक्के पर हर बार काफी ऊपर उछल जाती थी अपनी पकड़ को बनाए रखने के लिए वो और भी जोर से रवि के गले के चारो और अपनी पकड़ बनाए हुए थी और उसको उसके मुकाम पर पहुँचाने की कोशिश करती जा रही थी ...
वो नहीं चाहती थी कि रवि को बीच में ही छोड़ दे पर हिम्मत और ताकत की कमी थी उसमें थकि हुई थी और हर एक धक्का जो कि रवि की कमर से लग रही थी हिल सी जाती थी वो हर धक्के पर उसकी पकड़ छूट जाती और बहुत रोकने पर भी वो उछल कर उसके सिर से ऊपर उछल जाती थी रवि को भी उसकी परिस्थिति समझ में आ रही थी पर वो अपने अंदर जाग उठे हैवान से लड़ रहा था और बहुत ही धीरज से काम ले रहा था पर रमा के झरने से और उसके निढाल हो जाने से उसके अंतर मन को शांति नहीं मिल रही थी वो जो चाहता था वो नहीं हो पा रहा था वो एक बार अपने होंठों को रमा के गालों से लेकर उसके होंठों तक घुमाकर रमा को फिर से उत्साहित करने की कोशिश करता रहा पर.........रमा तो जैसे धीरे-धीरे निढाल सी होती जा रही थी और अपना शरीर का पूरा भार रवि के ऊपर छोड़ कर अपनी ही दुनियां में कही खो जाना चाहती थी पर रवि अपने मन की किए बगैर कहाँ मानने वाला था ...उसने रमा की बाजुओं को पकड़ कर अपनी गर्दन को आज़ाद कर लिया ....रमा किसी लाश कि तरह हवा में झूल गयी पर इससे उसमे कुछ चेतना वापिस आ गयी वो बस अपनी टाँगों के सहारे रवि कि कमर पर झूल रही थी उसकी पीठ आधे वृत की तरह मुड़ी हुई थी । रवि ने उसको कमर से पकड़ लिया और बेहरमी से और बेहद तेज रफ्तार से चोदना शुरू कर दिया रवि के हर धक्के से उसकी जान हलक में आ जाती और रवि ने जैसे धक्कों कि रेल ही चला दी थी । रवि का लावा फूटने ही वाला था और वो बिना कुछ सोचते हुए वहशी ताकत के साथ रमा को चोदे जा रहा था आखिर उसने एक हुंकार भरी और एक जानलेवा धक्के के साथ रमा उसकी पकड़ से छूट कर जमीन पर जा गिरी वीर्य का एक अंतहीन झरना रमा के ऊपर गिरने लगा जिससे रमा ऐसे लथपथ हो गयी जैसे किसी ने उस पर क्रीम की बाल्टी उड़ेल दी हो । रवि की शक्ति भी निचुड़ चुकी थी वो भी किसी लाश की तरह रमा के ऊपर ढेर हो गया ।
 

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