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Fantasy अनौखी दुनियाँ चूत लंड की

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राहुल खुद जितना अजीब था उसकी कहानी उससे भी कहीं ज्यादा अजीब । सन 2000 में जब वो केवल कुछ महीने का था उसे राकेश और उसकी बीवी रमा के घर के बाहर रख के चला गया था । राकेश की चंडीगढ़ के 21 सेक्टर में किरियाने की दुकान थी जो खूब चलती थी और 21 में ही 3 मंजिला कोठी पर शादी के 3 साल के बाद भी उसे कोई संतान नहीं थी तो दोनों ने राहुल को गोद ले लिया ।राहुल खुद कुछ कम अलग नहीं जब रमा और राकेश ने उसे अपने दरवाजे पर देखा तो वो कुछ महीने का एक तंदुरस्त बच्चा था ,गोरा रंग और गुल-गुले से गाल उसे एक आकर्षक बच्चा बनाते थे पर रमा का ध्यान उसके असामान्य लिंग के आकार पर गया जो उस समय ही 3 इंच का था पर रमा ने एक बाबा जी को दिखाया तो उन्होंने कहा की इस बच्चे पर कामदेव की कृपा है डरने की कोई बात नहीं । एक साल वो राहुल को किसी राजकुमार की तरह पालते रहे पर जब उनकी पहली संतान गरिमा हुई तो उनका व्यवहार राहुल के प्रति बदल गया और दूसरी बेटी तनु के जन्म के बाद तो राहुल घर का नोकर बन के रह गया , सात साल की उम्र से ही उसे सीढ़ियों के नीचे बने तह खाने में सोना पड़ता जहां उसका तंदुरस्त बदन ठीक से समाता भी नही था ।पर जब राहुल बारवीं क्लास में पहुंचा तो एक बार फिर उसकी जिंदगी बदल गयी ।बारवीं क्लास पहुँचते- पहुँचते राहुल की लंबाई 6 फुट 4 इंच हो चुकी थी , वो कसरत तो करता नही था पर बदन किसी बॉडीबिल्डर की तरह था ,रंग गोरा और चेहरा बेहद आकर्षक था ।उसके बुटोक बेहद उभरे हुए और सुडौल थे और किसी भी औरत को यह सोचने के लिए मजबूर कर देते की इस लड़के के धक्के कितने ज़बरदस्त होंगे ,बाबा जी ने शायद सही ही कहा था कि इस बच्चे पर काम देव की कृपा है उसका लिंग 12इंच लंबा और 3 इंच मोटा था (रेडियस) पर उसके लन्ड की तरह उसके अंडे की थैली भी बेहद बड़ी थी ऐसे लगता था जैसे किसी ने उसके अंडों की जगह संतरे रख दिए हों। गरिमा 11वी में थी उसकी ऊंचाई 5 फुट 6इंच थी इतनी कम उम्र में ही उसका बदन पूर्ण विकसित हो चुका था देखने में वो श्रद्धा कपूर जैसी थी मासूम और कामुक एक साथ पर 34d-25-35 की काया पर नज़र पड़ते ही मर्द बस आहें भरके रह जाते थे , तनु दसवीं क्लास में थी और भरे -2 बदन की एक खूबसूरत लड़की थी ,देखने में आयेशा टाकिया सी लगती थी बदन भी वैसा ही था बस तनु के स्तनों का आकार कुछ अधिक बड़ा था ।इतनी छोटी उम्र में ही तीनो भाई बहन पूरे विकसित नोजवान लगते थे ,अक्सर लोग रमा से पूछते थे कि आखिर वो अपने बच्चों को क्या खिलाती है जो इतने जल्दी बड़े हो गए हैं ।राहुल का बदन चाहे विकसित हो चुका था पर दिमाग से वो 7-8 क्लास के बच्चे जैसा था , इस उम्र के लड़के जहां चुदाई तक का मज़ा ले चुके होते हैं वंही राहुल ने अभी तक मुठ भी न मारी थी और लन्ड अभी तक उसके लिए नुन्नू ही था, अपनी बहनों के आकर्षक बदन भी उसके लौड़े में हरकत पैदा न कर पाते , मम्मे अभी भी उसके लिए दद्दू ही थे ..क्योंकि तनु और गरिमा हमेंशा उस पर हुक्म चलाती रहती थी इसलिए वो उन्हें अपना दुश्मन समझता और दुआ करता कि उसे उनका सामना न करना पड़े । दिमाग का विकास रुक जाने के कारण वो बड़ी मुश्किल से ही पास हो पता उसके कम मानसिक विकास को बहाना बना उसे सरकारी स्कूल भेजा जाता जहाँ के बच्चे उसका मजाक उड़ाते। तनु और गरिमा एक मेंहगे इंग्लिश स्कूल में जाती ,ट्यूशन टीचर घर पढ़ाने आते और राहुल ट्यूशन के लिए पास की ही एक ठरकी दीदी के पास लगा दिया गया । दीदी का नाम था बबिता 21-22 साल की रही होगी ,सांवला रंग ,गोल चेहरा और सुडौल बदन उसे कोई बहुत सुन्दर न माने पर किसी के भी लण्ड को आग लगा सकती थी , वो पहले ही दिन से वो राहुल पर रीझ गयी थी ।राहुल बेचारा बचपने में कच्छा नहीं पहनता था बस निकर पहनता था और बबिता निकर में से लटकते मोटे लंबे लण्ड को घूरती रहती और आये दिन जब भी मौका पाते ही छूती रहती तो राहुल का सारा बदन कांप जाता । ऐसा कोई महीना भर चलता रहा ,फिर उसने राहुल अकेले बुलाना शुरू कर दिया पहले ही दिन वो उससे सट कर बैठ गयी और निक्कर के ऊपर से राहुल का लण्ड पकड़के सहलाने लगी ।दीदी आप ये क्या कर रही हो" राहुल ने परेशान होते हुए पूछा
"कुछ नहीं बस तुम्हारे नुनु की मालिश कर रही हूँ...जैसे तुम नहाते हुए बाकी बदन की करते हो...जैसे मालिश से हमारा शरीर मजबूत होता है वैसे ही मालिश से तुम्हारा नुनु भी ताकतवर बन जायेगा"
"सच्ची दीदी? मेरा नुनु तो बिकुल ताकतवर नहीं है बस नरम नरम है"
"हाँ हाँ तभी तो मैं मालिश कर रही थी ...अगर तुम किसी को नहीं बताओगे तो मैं तेल लगा कर तुम्हारे नुन्नु की मालिश कर दूंगी"
"मम्मी कसम नहीं बताऊंगा"
"ठीक है तो रुको मैं तेल ले कर आती हूँ इतनी देर तुम अपने सारे कपडे खोल दो तेल से गंदे हो जायेंगे न " ये कहकर बबिता दूसरे कमरे में चली गयी और आँवले के तेल की शीशी ले के आ गयी .राहुल कमरे में नंगा बैठा था ।
"हे राम इतना बड़ा लण्ड" उसके 6इंच लंबे 2 इंच मोटे लण्ड को देखते ही बबिता चीख पड़ी उसे पता था की उसकी तो लॉटरी लग गयी क्योंकि वो जानती थी की अगर लण्ड सोया हुआ 6इंच का है तो खड़ा होने के बाद तो अजगर बनने वाला है ।
"दीदी यह लण्ड क्या होता है ?" राहुल ने हैरानी से पूछा
"सुसु छोटा हो तो उसे नुनु कहते हैं और अगर बड़ा हो तो लण्ड" बबिता ने दरवाजे को कुण्डी लगाते हुए कहा ।
"और अगर उससे भी बड़ा हो तो?"
"कितने सवाल करते हो बाबा उससे भी बड़ा हो तो उसे लौड़ा कहते हैं..."
 
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राहुल ने हाँ में सर हिला दिया वो कुछ उदास हो गया था की उसका नुन्नु लौड़ा नहीं है । बबिता उसकी बगल में आके बैठ गयी ,उसने अपने हाथ में तेल ले लिया और राहुल के नुन्नु पर लगाने लगी ।
"रोनी सूरत क्यों बना ली ? अच्छा नहीं लग रहा है?"
"नहीं दीदी अच्छा तो लग रहा है पर मैं सोच रहा था की मेरा नुन्नु लौड़ा नहीं है"
"हा हा हा ड्रफ्फर तेरा तो लौड़े से भी बड़ा हो जायेगा ,मेरे भोन्दु तेरा पूरा तम्बूरा है तम्बूरा ...देखना तू मालिश के बाद कितना बड़ा हो जायेगा" बबिता राहुल के लौड़े की मालिश करते हुए बोली । राहुल के बदन पुरे बदन में अजीब सी सिहरन हो रही थी पर उसे मज़ा भी आ रहा था ।
"आह दीदी ...बड़ा मज़ा आ रहा है...दीदी सच में ये तो बड़ा हो रहा है" राहुल ने अपने फूलते हुए लौड़े को घूरते हुए कहा ।
4-5 मिनट में ही राहुल का लण्ड 10 इंच का तम्बूरा बन चूका था और बड़ी मुश्किल से ही बबिता मुट्ठी में आ पा रहा था
"देखा मैंने कहा था न ? अब तू ज्यादा आवाज़ें मत करना क्योंकि मैं ज़ोर से मालिश करुँगी...ठीक है?"
"ठीक है ...दीदी"
बबिता ने दोनों हाथों से राहुल के तम्बूरे को पकड़ लिया और तेज़ी से हस्तमैथुन करने लगी ।
"आह ..दीदी.....इतने ज़ोर से नहीं"
"मेरे भोंदू अभी और मज़ा आएगा तुझे " उसने पूरी रफ़्तार से राहुल की मुठ मारते हुए कहा"
"दीदी....आह...मु...जे कुछ हो...." पर इससे पहले की वो अपनी बात पूरी करता बबिता का सारा हाथ एक सफ़ेद चिपचिपी चीज़ से गन्दा हो चूका था।
"तुझे कुछ नहीं होगा पर तेरा ये तम्बूरा जरूर मेरी चूत का ज़रूर बुरा हाल कर देगा"बबिता ने अपने हाथों से टपकते लेस को देखकर कहा
"दीदी ये चूत क्या होता है?"
"जैसे तेरे पास ये तम्बूरा है न वैसे ही मेरे पास चूत है छोटी सी प्यारी सी"
"मैं क्यों बुरा करूँगा ?आप तो इतनी अच्छी हो"
"क्योंकि इससे मेरी चूत ताकतवर हो जायेगी"
"अभी करूँ दीदी ?"
"हा हा हा बड़ी जल्दी है तुझे?"
"हाँ दीदी जैसे आपने मेरा तमफुरा ताकतवर बनाया है वैसे ही मैं भी आपकी चूत ताकतवर बनाऊगा"
"तमफुरा .....नहीं तम्बूरा कहते हैं अच्छा अच्छा बना लेना मैं भी तो यही चाहती हूँ ...पर अब तू घर जा पहले ही लेट हो चुका है"
बबिता ने उस दिन जब उसे खाने को कैडबरी चॉकलेट दी तो राहुल सोचने लगा की दीदी कितनी अच्छी है एक तो उसके नुन्नु की कसरत करती है ऊपर से चॉकलेट देती 'दीदी के बारे में मैं ज़रूर पिंकी दीदी को बताऊंगा' उसने मन में सोचा । राहुल को उसके घर वाले किसी से खेलने देते ही नहीं थे टयूशन से घर जाते ही उसे दिन भर के बर्तन मांझने होते उसे अपनी बहनों से भी मिलने नहीं दिया जाता और बचा खुचा खाना उसे मिलता , न उसका कोई लड़का ही दोस्त बनता ,पर पिंकी चाहे उससे 2 साल बड़ी थी और कालेज में पड़ती थी ,सिख थी गोरी चिट्टी इतनी की छूने पर मैली होने का डर ,तरबूजों जितने बड़े बड़े मम्मे थे उसके पर वो मोटी बिल्कुल नही थी कमर बेहद पतली थी वो दिल की बेहद अच्छी थी और इसी वजह से वो राहुल पर रीझ गयी थी , जब वो राहुल के जवान बदन को देखती तो उसके पूरे बदन में आग लग जाती लेकिन उसने कभी राहुल का फायदा उठाने की कोशिश नही की प ।रात में जब सब खाना खाने के बाद टीवी देख रहे होते तो वो अपनी छत पर चला जाता और तीन बार खांसता पिंकी जो उनके किरायेदारों की बेटी थी चुपके से ऊपर आ जाती और दोनों बैठ के बातें करते कभी 2 वो उसके लिए कुछ खाने को भी ले आती अपने घर वालों से छुपा कर । टयूशन से घर जाते हुए सारा रास्तावो यही सोचता रहा की कब रात होगी और वो कब पिकिं को दीदी के बारे में बता पायेगा ।
 
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आ गए लाट साहब ...आज इतनी देर कंहाँ लगा दी" घर घुसते ही रमा उस पर बरस पड़ी ! डर के मारे एक बार तो वो सच बोलने वाला ही था पर फिर उसे लगा की उसने दीदी के बारे बताया तो उसकी टयूशन बंद करवा दी जायेगी तो वो चुप ही रहा ।
"सांड जैसा शरीर होगा गया है पर दिमाग नहीं बढ़ा , पता है घर का सारा काम पड़ा है और जनाब घूम रहे थे ...अब बुत बनके खड़ा मत रह और रसोई में जा देख कितना काम पड़ा है और मटरगश्ती कर रहा था"
राहुल की जान में जान आई उसे उसे विश्वास नहीं हो रहा था की आज बिना पिटाई के ही काम चल गया ।रसोई में बर्तनों का ढेर देख उसे लगा जैसे खिलोने हों उसने बर्तन धोने के बाद सब्जी काटी फिर कपडे प्रेस किये आज किस्मत अच्छी थी उसे खाना भी पूरा मिल गया जब सब टीवी वाले कमरे में गए तो वो चुपचाप घर के बाहर खिसक गया ।पर सीढ़ियों पर उसे ख्याल आया की अगर पिंकी ने भी उसके नुन्नु की मालिश करनी चाही तो ? उसने तेल लिया ही नहीं उसे फिर अंदर आना पड़ा सभी टीवी देखने में मस्त थे वो चुपचाप रसोई में गया और एक कोली में सरसों का थोडा सा तेल डाल लिया बस इतना सा की मम्मी को शक न हो । और फटाफट भाग के छत पर पहुँच गया और तीन बार खांसी की ,कुछ देर बाद पिंकी आ गयी ।
"आज तो बड़ा खुश लग रहा है ?" पिंकी ने आते ही पूछा
"हाँ आज एक बात बतानी है तुमको "
"तो चल अपने अड्डे पर चलते हैं " पिंकी ने पानी की टंकियों की तरफ इशारा करते हुए कहा ।
"पिंकी तुझे पता है मेरी टयूशन वाली दीदी कितनी अच्छी है ? मेरी मदद भी करती है और चॉकलेट भी दी खाने को"
"क्या मदद की?"
"दीदी ने मेरे तम्बूरे को ताकतवर बनाया"
"ओ ये तम्बूरा क्या होता है?" पिंकी ने हैरान होते हुए पूछा
"अरे भाई तुम भी न बिल्कुल डफर हो जो नुन्नु बड़ा हो उसे लण्ड कहते हैं जो बहुत बड़ा हो उसे लौड़ा कहते हैं और जो नुन्नु सबसे बड़ा और ताकतवर हो उसे तम्बूरा कहते हैं" राहुल ने शेखी मारते हुए कहा ।
पिंकी ने अपनी सहेलियों के मुंह के मुंह से लण्ड और लौड़ा शब्द तो सुने थे पर राहुल के मुंह से ऐसे लफ्ज सुनके वो सिहर उठी ,ल।उसने एक बार अपनी दो सहेलियों के मुंह से यह शब्द सुने थे एक बोली मेरे बॉयफ्रेंड का लण्ड तो 5इंच का है तो दूसरी बोली बस मेरे वाले का तो 6इंच का है । पर अब उसकी उत्सुकता बड़ गयी थी वो भी राहुल का लण्ड देखना चाहती थी ।
"राहुल तू मुझसे मालिश नहीं करवाएगा ?" उसने राहुल जैसी मासूमियत दिखाते हुए कहा
"मुझे पता था तुम भी मेरी मदद करोगी इसीलिए मैं पहले ही तेल ले आया"
"बड़ा सयाना हो गया है तू ...चल जल्दी से दिखा मुझे अपना नन्नु?"
राहुल ने फटाफट अपनी निकर उतार दी और उसका 6इंच का लण्ड बाहर लटकने लगा ।अरे वाह ये तो बहुत बड़ा है ..." पिंकी ने ताली बजाते हुए कहा । पर अंदर ही अंदर वो सिहर उठी क्योंकि वो जानती थी कि अगर ये सांप सोया हुआ 6 इंच का है तो जागने पर तो ये पक्का अजगर बन जायेगा ।
"अभी कंहाँ बड़ा है तुम इसकी मालिश करोगी न तो यह और बड़ा हो जायेगा और इसके डोले शोले भी बन जायेंगे"
"अच्छा...चल झूटे" पिंकी ने अपनी हंसी रोकते हुए कहा
"सच्ची ....लगी शर्त? अगर मैं जीता तो कल तुम मुझे चॉकलेट दोगी"
पिंकी ने एक हाथ में तेल लगा लिया और धीरे धीरे से राहुल के लौड़े पर लगाने लगी । राहुल ने उसे बताया की ऐसे नहीं मरे लण्ड को मुठ्ठी में ले लो मालिश करो , पिंकी बबिता के जैसे अनुभवी तो नहीं वो बड़े प्यार से और धीरे-2 मालिश कर रही थी जिसके कारण राहुल को और भी मज़ा आ रहा था । जल्द ही राहुल का लण्ड पूरा तन गया और पत्थर के सम्मान सख्त हो गया अब तो उसका लण्ड पिंकी की मुठ्ठी में नहीं आ रहा था ।
"अरे राहुल तेरा लण्ड तो कितना बड़ा है...इतना बड़ा लण्ड दुनिया में किसी का नहीं होगा तू तो चैंपियन है यार" वो मन ही मन खुश हो गयी कि अब वो सहेलियों को बताएगी कि पता है मेरे बॉयफ्रेंड का लौड़ा तो मेरी बाजू जितना बड़ा है । पर फिर राहुल की दिमागी हालत का ख्याल आते ही वो उदास हो गयी
"देखा दीदी ने ही इसे इतना स्ट्रांग बनाया है ...अह...बड़ा मज़ा आ रहा है दोनों हाथों से तेज़ तेज़ करो न" राहुल ने कहा जो अब बस झड़ने ही वाला था पर उसे पता नहीं था की हो क्या रहा है । पिंकी ने दोनों हाथों से राहुल के तम्बूरे को पकड़ लिया और तेजी से हाथ ऊपर नीचे करने लगी । पिंकी को एक सेकंड के लिए लगा की राहुल का लौड़ा कुछ अकड़ रहा है और बड़ा हो रहा है और दूसरे ही सेकंड उसका सारा चेहरा और हाथ एक सफ़ेद तरल पदार्थ लथ-पथ हो गए।
"छी तुमने सुसु कर दिया" पिंकी बोली
"डफर ये सुसु तोड़े है ये तो मेरा लण्ड तुम्हें थैंक यू बोल रहा है देखो ये तो सफ़ेद है .."
तभी नीचे से पिंकी की मम्मी की आवाज़ आई "पिंकी ...पिंकी ...कंहाँ है तू?"
"आई माँ " पिंकी ने झट से रुमाल से हाथ और मुंह साफ़ किया
"कल भी इसी टाइम आजाना कल मैं तुम्हारी चूत को ताकतवर बनाऊंगा दीदी सिखाने वाली है की चूत को कैसे स्ट्रांग बनाते हैं"
"ये चूत क्या होती है ?" उसने भोले होने का नाटक करते हुए कहा
कल भी इसी टाइम आजाना कल मैं तुम्हारी चूत को ताकतवर बनाऊंगा दीदी सिखाने वाली है की चूत को कैसे स्ट्रांग बनाते हैं"
"ये चूत क्या होती है ?" उसने भोले होने का नाटक करते हुए कहा
"पता नहीं पर दीदी बोली की लण्ड की दोस्त होती है"
"पिंकी कंहाँ रह गयी तू नीचे आ रही है या मैं ऊपर आऊँ?" पिंकी की मम्मी ने चीखते हुए कहा।
डर के मारे पिंकी बिना कुछ बोले ही नीचे चली गयी । राहुल का तम्बूरा अभी भी पूरी तरह सालमी दे रहा था । पर राहुल को तो इसमे कुछ गलत लगा नहीं इसलिए उसने निक्कर पहनी और वो भी घर आ गया । घर में अभी सभी टीवी देख रहे थे वो चुप चाप सीढ़ियों के नीचे बने अपने तहखाने में घुस गया । दो बच्चों के हो जाने पर रमा और राकेश ने सीढ़ियों के नीचे लकड़ी के फट्टे लगवा के एक केबिन सा बनवा दिया था । राहुल को इसी तह खाने में छोटी सी मंजी पर सोना पड़ता था । वो अपनी मंजी पर लेट गया और लेटते ही सो गया । पर उसका लण्ड अभी अभी भी तना हुआ था और छत को सलामी दे रहा था ।


टीवी प्रोग्राम खत्म होने के बाद रमा को याद आया की रात के बर्तन तो अभी गंदे ही पड़े हैं और राहुल कहीं नज़र नहीं आ रहा ।
"देखो जी यह राहुल दिन ब दिन बिगड़ता जा रहा है , आज ट्यूशन से पूरा आधा घंटा लेट आया और अब बर्तन न धोने पड़े इसलिए सो गया,क्या ज़रुरत है इस पर इतना खर्चा करने की मैं तो कहती हूँ ट्यूशन और स्कूल से हटवा के दूकान ले जाया करो" रमा अपने पति से बोली ।
"रमा सभी को पता है हमने उसे गोद लिया अब तोडा भी पैसा न खर्च किया तो लोग ताने मारेगें और अक्षर पढ़ जायेगा तो हमारे ही काम आएगा " राकेश ने रमा को समझाते हुए कहा ।
"बड़ी दूर की सोचते हो "
"सोचना पड़ता है ...बनिया हूँ कभी घाटे का सौदा नहीं करूँगा...जाके उठा लो"
"हाँ यही करुँगी और क्या"
रमा जब राहुल को उठाने गयी तो उसकी पहली ही नजर राहुल के तने हुए लण्ड पर पड़ी ,उसे लगा की राहुल ने पक्का कोई बोतल निक्कर में छुपा ली होगी उसे गुस्सा आ गया और उसने निक्कर को नीचे खींचा उसके मुँह से चीख निकलते निकलते रह गयी । एक सातवीं क्लास के लड़के का इतना बड़ा लण्ड । ऐसे मतवाले लण्ड को देख वो भी खुद को रोक न सकी और हाथ आगे बड़ा उसने लण्ड को पकड़ लिया । गरम-२ और सुडोल लण्ड को छूते ही उसके पुरे बदन में आग लगा दी ,वैसे भी उसे रोज राकेश की लुल्ली लेनी पड़ती थी ,राकेश तो 4-5 मिनट में झड़ जाता और संतुष्ट होके सो जाता पर रमा की जवानी तड़पती रहती उसका एक मन तो हुआ की कपडे खोले और चढ़ जाए इस 10 इंच के लौड़े पर और भुजा ले अपनी आग । पर घर में सभी थे तो उसने खुद को रोक लिया उसके मन में एक तरकीब आई उसने इस राज़ को राज़ ही रखने की सोची ताकि मौका मिलते ही वो अपनी आग भुझा सके । उसे लग रहा जैसे आज तक वो इस खजाने को जानभूझ कर लुटा रही थी । पर इस खजाने को पाने के लिए राहुल को वश में करना जरूरी था .उसने राहुल को नहीं जगाया और रसोई में जाकर सारा काम खुद कर लिया ।पर उसके पूरे बदन में आग लगी हुई थी उसकी चूत एक दम दार लण्ड के तड़प रही थी ।काम करके रमा बेडरूम में पहुंची तो मोटेथुलथुले राकेश को देख के उसका मन बैठ गया पर वो बेचारी करती क्या उसकी फ़ुद्दी इस टाइम जल रही थी उसे एक लण्ड चाहिए था ,रमा को पता था राकेश तो चुदाई करेगा नहीं बोलेगा थका हुआ हूँ , इसलिए उसने दिमाग से काम लिया उसने जल्दी से नाइटी अलमारी के पीछे फ़ेंक दी और कपडे उतार के नगी घूमने लगी कमरे में वैसे रमा थी पूरी चुदकड़ 36डी के ये बड़े बड़े मोमे और 37इंच की गाँड किसी भी मर्द को उत्तेजित करने के लिए काफी थे ऊपर आज की टीवी एक्ट्रेस स्वेता तिवारी जैसी शकल परन्तु राकेश पर तो जैसे इनका कोई असर ही नहीं हो रहा था ।
"क्या हुआ नंगी क्यों घूम रही हो"
"अजी नाइटी नहीं मिल रही...आप मदद कर दो न" रमा ने अपने होंठो को काटते हुए कहा
"भाई नहीं मिल रही तो नंगी ही सो जाओ वैसे भी यंहां कौन आने वाला है ? मुझे तो ज़ोरों की नींद आ रही है मुझे मत तंग करो"
'कैसा चक्का है ये' रमा ने मन में सोचा । और नंगी ही राकेश के पास लेट गयी उसने पीठ राकेश की तरफ मोड़ ली और जान बूझकर अपनी गांड उसके लण्ड पर रगड़ने लगी इस आस में की शायद पत्थर पिघल जाये पर पत्थर तो पत्थर होता है राकेश ने उसे एक तरफ झटक दिया और बेड के कोने में होके सो गया । रमा बेचारी आग में तड़पती रही , रमा को "गुरूजी" की याद आ गयी एक गुरु जी थे जो दिन में दसियों औरतों को संतान प्राप्ति करवाते थे और एक राकेश था जिससे अपनी बीवी की भी चुदाई नहीं होती थी । गुरु जी पर राकेश की माँ की असीम आस्था थी ,मरते मरते भी बोल गयी थी की चाहे कुछ भी हो जाये गुरु जी की बात मत टालना जैसा वो कहें वैसा ही करना और रमा को गुरु जी के पास जरूर ले जाना दर्शनों के लिए तब राहुल कोई एक साल का था ,माँ के मरने के कोई 3 महीने बाद गुरु जी चंडीगड़ आये और पास की पहाड़ियों पर अपने आश्रम में टहरे तो संतान प्राप्ति के लिए राकेश रमा को गुरूजी के आश्रम में ले गया था ।रमा को अच्छे से वो दिन याद था उसने नीले रंग की शिफॉन की साडी पहन रखी थी ।किसी परी जैसी लग रही थी । पर गुरु जी के आश्रम पर जब उसने उनकी सेविकाएं देखी थी तो उसे लगा की जैसे वो अप्सराएं हो एक से एक सुन्दर । राकेश उसे सुबह के 5 बजे ही आश्रम ले आया था ताकि भीड़ न हो पर इतनी सुबह भी उनका नंबर बीसवां था । रमा डर रही थी की कहीं गुरु जी ये न कह दें कि वो कभी माँ नहीं बन सकती । कोई 7 बजे उनका नंबर लगा ,सेविका उन्हें गुरु जी के कमरे तक ले गयी और दरवाजे से अंदर जाने का इशारा किया तथा उनके अंदर जाते ही उसने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया । गुरु जी 50 वर्ष के रहे होंगे पर चेहरे पर ऐसा तेज था की 40 से अधिक नहीं लगते थे , गोरा अंग्रेजों जैसा रंग बेहद कसरती बंदन ,पहलवानों सी मजबूत बाहें रमा ने अंदाजा लगाया की कम से कम गुरु जी का कद साढ़े 6 फुट तो होगा । न जाने क्यों उसके मन में एक विचार कौंध गया 6.5 फुट और मैं 5 फुट और वी सिहर उठी ।।। गुरु जी एक ऊँचे आसन पर विराजमान थे रमा को देखते ही बोले बेटी रमा अहिल्या से भी सुन्दर हो , रमा का तो जैसे शर्म से गढ़ ही गयी । फिर बिना कुछ पूछे राकेश से तुम्हारी माता जी गुज़र गयीं "अहह बड़ी भक्त थीं वो मेरी " गुरूजी ने एक आह भरते हुगुरु जी आपको कैसे पता चला की माँ गुज़र गयी" राकेश ने हैरानी से पूछा
"बेटा हमारी दिव्य आँख से कुछ छिपा नहीं रहता जैसे हमें ये भी पता है की ये नन्हा बालक जो तुम्हारी पत्नी की गोद में हैं इसे तुमने गोद लिया है" गुरु जी ने मुस्कुराते हुए कहा
"गुरु जी आप तो बगवान है सब जानते हैं , बताइये न क्या संतान सुख हमारे दापंत्य जीवन में है या नहीं?" राकेश कहते कहते रो पड़ा था ।
"भगवान केवल एक है ,हम तो बस उपासक हैं उनके ,बच्चा दोष तुम्हारी बीवी में है इसने पिछले जन्म में अपनी खूबसूरती के घमंड में एक ब्राह्मण का न्योता ठुकरा दिया था ,तो उसे ब्राह्मण पुत्र ने इसे श्राप दे दिया था"
"गुरूजी ये दोष दूर तो हो जायेगा न" राकेश ने पूछा
"बच्चा ऐसा कोई कार्य नहीं जो हम न कर सकें ...बस दो दिन की कामदेव की पूजा करनी होगी" बाबा जी रमा को ऊपर से नीचे तक निहारते हुए बोले ।
"गुरु जी पूजा कब शुरू करनी होगी" राकेश ने पूछा ।
"बेटा इस पूजा का योग 1 साल में एक ही बार आता है अगर 1 घंटे में न शुरू की तो 1 साल इंतज़ार करना पड़ेगा"
"तो गुरु जी हम आश्रम में ही ठहर जाते हैं" राकेश ने कहा।
"नहीं बच्चा इस पूजा में तुम शामिल नहीं हो सकते,हमें पता है तुम अपनी पत्नी से बेहद प्यार करते हो और इतनी सुदंर पत्नी से कौन प्यार नहीं करेगा...परंतु यदि तुम साथ रहे तो श्राप नहीं टूटेगा..तुम घर चले जाओ हम रमा को पूजा के बाद भिजवा देंगे " गुरु जी ने राकेश के सर पर हाथ फेरा और उसे जाने के लिए कहा और राकेश किसी बुद्धू की तरह बाहर चला गया । रमा अकेली रह गयी । राकेश के चले जाने के बाद गुरूजी सेविका को फ़ोन करने के उठे तो उनका 7 फुट का विशाल काय शरीर देखके रमा सिहर उठी । गुरु जी ने सेविका को फ़ोन किया और कहा की रमा को कामदेव की पूजा के लिए तयार करो । एक सेविका आई आई और रमा को बाहर ले गयी उसने रमा को चन्दन और दूध से ने नहलाया और एक पिले रंग की साड़ी बिना बालुज़ और पेटीकोट के उसके तन पर लपेट दी । फिर वो उसे आश्रम के दूसरे कोने में ले गयी जंहाँ केवल एक ही कमरा था और काफी बड़ा लग रहा रहा था ।सेविका ने उसे अंदर जाने को कहा रमा उलझन से उसे देखने लगी तो वह बोली "डरो मत बेटी गुरु जी पर पूर्ण विशवास रखो और इस पवित्र कमरे में तुम्हें अकेले ही जाना होगा"
रमा ने उतेजना और डर से भरे मन को लेकर कमरे में प्रवेश किया गुरु जी इस समय शिव की उपासना कर रहे थे और रमा को पास ही पड़े एक बड़े से टेबल पर बैठने का इशारा किया ,रमा जो इस समय बेहद डर रही रही थी चुपचाप टेबल पर बैठ गयी टेबल के पास ही एक स्टूल रखा था जिसपर एक कमंडल में जैतून का तेल रखा हुआ रमा ने तेल को खूशबू से पहचान लिया ,कोई 15 मिनट और उपासना करने के बाद गुरूजी रमा के पास आ गए और बोल बेटी इस आसान पर उल्टा लेट जाओ हम पूजा शुरू करने से पहले तुम्हें सब बुरी आत्माओं से शुद्ध करेंगें "
"रमा टेबल पर अपनी मोटी मोटी छातियों के बल पर लेट गयी" उसका दिल इस समय इतनी ज़ोर से धड़क रहा था की वो सांस भी ढंग से नहीं ले पा रही थी ।
"बेटी हम तुम्हारी शुद्धि करने जा रहे हैं इस पवित्र जैतून के तेल को तुम्हारे बदन पर लगा कर तोड़ी ऊपर उठो ताकि इस अपवित्र वस्त्र को हम हटा सकें" गुरु जी ने नरम आवाज़ में कहा
रमा का एक दिल कह रहा था कुछ अन्होनी होने वाली है भाग जा पर संतान प्राप्ति की लालच ने उसे गुरु जी की बात मानने को मजबूर कर दिया । वो ऊपर उठी और गुरु जी ने एक झटके में ही साड़ी को उसके बदन से अलग कर दिया । रमा तो जैसे शर्म के समुन्द्र में डूब गयी ।
"अति सुन्दर, बेटी तुम्हें तो कामदेव ने रचा है डरो मत शुद्धि में ज्यादा समय नहीं लगेगा ,तुछ दुनिया के सब विचारों को मन बाहर निकाल दो बस उसका उत्तर दो जो हम पूछते हैं" गुरूजी ने थोड़े से तेल को रमा के कन्धों पर उड़ेलते हुए कहा ।
"जी गुरु जी" रमा बस यह ही कह पाई
गुरु जी ने उसके कन्धों पर अपने बड़े और गर्म हाथ रखे तो वो बुरी तरह से कांप गयी ।
" बेटी क्या तुम्हारे इन गोरे और सुन्दर कन्धों को शादी से पहले किसी ने छुआ था" गुरु जी ने कन्धों की हलके हाथों से मालिश करते हुए पूछा
रमा अपनी तारीफ से खुश भी हुई और डरी भी एक संशय उसके मन में आया की ये कोई पूजा है भी के नहीं , पर वो एक बच्चा चाहती थी ताकि कोई उसे बाँझ न कह सके तो उसने अच्छा बुरा सोचना बंद कर दिया "नहीं गुरु जी" उसने जवाब दिया ।
"तुम्हारा पति तुम्हारे कन्धों की मालिश करता है या नहीं"
"नहीं गुरु जी" रमा ने झट से जवाब दिया
"हम्म गधा है वो जो ऐसी रूप वती स्त्री की सेवा नहीं करता"
गुरु जी के हाथ अब रमा की पीठ की मालिश कर रहे थे ,गुरु जी मालिश में बेहद निपुण थे रमा को लग रहा था जैसे उसकी जन्मों की थकान मिट रही हो ।
"तुम्हारा वो पति तुम्हारी इस गोरी और मुलायम पीठ को तो चूमता होगा"
"नहीं गुरु जी" बेचारी रमा और क्या कहती
"बड़ा नाकारा मर्द है...तुम्हारी माँ ने तो तुम्हारी सारी जवानी बेकार कर दी" गुरु जी अब रमा की पीठ के कोनों की तरफ मालिश कर रहे थे उनके हाथ रमा के अगल बगल से उभरे हुए स्तनों से बस कुछ ही इंच दूर रह गए थे । गुरु जी ने अपनी हथेली में तेल उड़ेला और रमा की पीठ के दाहिनी तरफ मालिश करते हुए बोले "रमा सच कहता हूँ अगर मैं तुम्हारी माँ होता तो किसी जानदार मर्द से तुम्हारी शादी करवाता ...औरत जितनी खूबसूरत हो उसे उतना जानदार मर्द चाहिए होता है...तुझे अपने माँ बाप पर गुस्सा नहीं आता ?" गुरूजी ने रमा की बगल से बाहर उभरे हुए स्तन को हल्के से छूते हुए पूछा ।
गुरु जी के हाथ के हलके से स्पर्श से रमा उतेजित हो उठी थी ।कुछ बोल नहीं पाई ।रमा को लग रहा था की गुरु जी ने अब मोम्मे दबाये की अब दबाये पर वो तो उसके ऊपरी हिस्से को छोड़ पावँ की तरफ चले गए और टांगों की मालिश करने लगे ।
रमा कुछ शांत हुई तो बोली"गुरु जी मेरे माँ बाप को लगा लड़का अमीर है ठीक होगा बाकी सब कौन सोचता है"
गुरूजी के हाथ अब रमा के घुटनों के ऊपर आ चुके थे और रमा के सुडोल पटों की मालिश कर रहे थे , रमा फिर उतेजित होने लगी और उसकी साँस फिर तेज़ होने लगी पर गुरूजी पूरी तल्लीनता से मालिश करने में लगे थे ...रमा उतेजित थी पर उसका पूरा बदन एक नई ताकत का एहसास कर रहा था ।
 
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रमा तू देखने में तो अप्सराओं से भी सुन्दर और कामुक है शादी से पहले तेरा कोई प्रेमी तो ज़रूर रहा होगा" गुरूजी ने रमा के मांसल मोटे पुट्ठों को सहलाते हुए पूछा ।
"था गुरु जी..अः अः"
गुरु जी का हाथ कुछ गहराई में उतरा पर तभी तभी बाहर आ गया ,रमा का सारा बदन गर्म हो रहा था वो समझ नहीं पा रही थी की वो इतनी कामोतेजना क्यों महसूस कर रही है ,अब बस वो यही चाहती थी की गुरूजी मालिश करते रहें और उसके हर एक अंग की करें ।
"उसके साथ तुमने कभी सम्भोग नहीं किया ??" गुरु जी ने उसकी गांड को ज़ोर से दबाते हुए पूछा
"उउउ माँ....नहीं गुरु जी"
"तुम्हें तो सब मर्द ही नपुंसक मिले हैं" गुरु जी ने अपना पूरा हाथ रमा की गांड की दरार में डालते हुए कहा । फिर आगे बोले "रमा अब सीधी हो जाओ और पीठ के बल लेट जाओ ।
पर रमा शर्म के मारे कुछ न कर सकी वो वैसे ही पड़ी रही ,गुरु जी उसकी दुविधा समझ रहे थे उन्होंने बड़ी नाजुकता से रमा को पकड़ा और पलट दिया अब रमा की गोल गोल और बड़ी बड़ी छातियाँ गुरु जी के सामने एक दम नंगी थीं और रमा शर्म से मरी जा रही थी ।
"अति सुंदर ...अति सुन्दर मैंने तुम्हें सही ही अहिल्या कहा था"
रमा को अहिल्या की कहानी नहीं पता थी इसलिए उत्सुकता वश उसने पूछा "गुरूजी ये अहिल्या कौन थीं"
गुरु जी ने रमा के कंधों की मालिश करना शुरू की बोले "अहिल्या कई हज़ार साल पहले हुई और उस युग की सबसे सुन्दर स्त्री थी ,गोरा रंग ,सुडोल और बेल के फल जैसे बड़े स्तन पतली एक ही हाथ में समा जाय ऐसी कमर बड़े उभरे हुए कुहले उसका रूप देख माह ऋषि वशिस्ठ उस आक्सत्त हो गए हालांकि वो उस समय काफी बूढे हो चुके थे पर उन्होंने अहिल्या के पिता से उसका हाथ मांग लिया और क्योंकि वशिष्ठ काफी गुस्से वाले थे अहिल्या के पिता ने उसकी शादी बूढे ऋषि से करवा दी , बूढे ऋषि सुबह ही तपस्या के लिए निकल जाते और रात को लौटते बेचारी अहिल्या काम वासना में तड़पती रहती इंद्र जो यह सब सवर्ग से देख रहा था वो सुंदरी अहिल्या का दर्द न बर्दाश्त कर सका एक दिन जब सुबह सुबह ऋषि चले गए तो उसने ऋषि का वेश धारण किया और उनकी कुटिया में घुस गया और शिश्न दिखा के अहिल्या को सम्भोग के लिए कहने लगा पहले तो अहिल्या को लगा की उसके पति ने तपस्या से अपना शिश्न इतना बड़ा कर लिया है "
रमा जिसे लग रहा था की ये कहानी तो उसकी है और कहानी में पूरी तरह से डूब चुकी थी बोली" गुरु जी ये शिश्न क्या होता है?"
गुरु जो इस समय रमा के सत्तनो के बीच मालिश कर रहे थे रुक गए और मुस्कुरा कर बोले " रमा शिश्न लण्ड को कहते हैं"
गुरूजी के मुंह से लण्ड शब्द सुन रमा के पुरे बदन में गुदगुदी सी होने लगी , ऊपर से गुरु जी ने अपने दोनों हाथ उसके दोनों स्तनों पर रख दिए और उसके स्तनों की मालिश करने लगे
"तो कंहाँ था मैं रमा" गुरु जी मुस्कुरा के रमा को देखा और पूछा
"जी जी....अहिल्या को लगा की...उसके पति ने........शिश्न बड़ा" रमा रुक रुक के हाँ याद आया तो पहले तो अहिल्या को लगा की उसके पति ने तपस्या से अपने लिंग का आकार बड़ा लिया पर क्योंकि वो एक दिव्य स्त्री थी इसलिये वो जान गयी की ये कोई और नहीं बल्कि देवों का राजा इंद्र है ...पर इंद्र का बड़े और दैवी लिंग ने उसको समोहित कर लिया था वो ज्यादा खुद पर काबू नहीं रख पाई और खुद को इंद्र के हवाले कर दिया ..इंद्र ने सुबह से दोपहर और फिर दोपहर से शाम तक अहिल्या का चोदन किया पर तभी इंद्र को ऋषि के आने का आभास हुआ वो वैसे ही नंगा भागा पर ऋषि ने उसे दरवाजे पर ही पकड़ लिया और बिस्तर पर नंगी पड़ी अहिल्या को भी देख लिया गुस्से में ऋषि ने इंद्र को श्राप दिया की उसके तेजस्वी लिंग की जगह बकरे का लिंग लग जाए और अपने श्राप से अहिल्या को पत्थर का बना दिया" गुरु जी ने कहानी ख़त्म की
कहानी ख़त्म तो उसका ध्यान गुरूजी के हाथों पर गया जो इस समय उसकी कड़ी हो चुकी चूचियों पर गया । गुरु जी ने उसकी चूचियाँ छोड़ दी और कहा की शुद्धि कार्य पूरा हो चुका अब रमा का प्रसाद ग्रहण करने का समय है । पर ये प्रसाद केवल आँखें बंद करके ही लिया जा सकता है । गुरु जी रमा की आँखों पर पट्टी बांध दी और उसे घुटनों के बल बैठने को कहा |किसी लकड़ी की चीज़ के सरकाने की आवाज़ हुई और कुछ देर बाद गुरूजी ने रमा को अपने हाथ आगे करने को कहा, रमा को लगा गुरूजी उसके बिलकुल पास बैठे हैं आँखों में पट्टी बंधी होने के कारण रमा इधर उधर हाथ मारने लगी
"रमा प्रसाद खोज कर तुम्हें खुद ही प्राप्त करना होगा तभी ये पूजा सफल हो पायेगी" रमा को लगा जैसे गुरूजी की आवाज़ में दबी हुई हँसी मिली हुई है कुछ देर इधर उधर हाथ मारने के बाद उसका हाथ एक गर्म और नरम चीज़ से टकराया रमा ने उस चीज़ को टटोलने की कोशिश की ताकि उसका कोई सिरा उसके हाथ लग सके आखिर काफी मशक्कत के बाद रमा उस लंबी मोटी और गर्म चीज़ को पकड़ने में कामयाब हुई और दर के मारे लगभग चीख ही पड़ी
" सांप ...सांप " और झटक कर उसने हाथ पीछे कर लिया
"डर गयी रमा ...हमें तो लगा था तुम बहादुर हो ...इस सांप को अपने वश में कर लोगी"
"गुरूजी सांप है काट लेगा तो?" रमा ने कांपती आवाज़ में कहा ।
"अरे रमा तुम बेहद भोली हो ये हमारा पाला हुआ सांप है ,नहीं काटेगा ...पूजा के लिए सांप का आशीर्वाद बेहद ज़रूरी है इसके लिए तुम्हें इससे खुश करना बेहद ज़रूरी है तभी संतान प्राप्ति हो सकेगी .....कर सकोगी इसे खुश"
"जी गुरूजी" रमा ने डरते डरते कहा और आगे बढ़के दोबारा सांप को पकड़ लिया
"अब इसे चूमो ,हम इसका मुंड तुम तक लेके आते हैं तुम चूम लेना..अपने होंठ आगे करो और चुमों" गुरूजी ने आदेश देते हुए कहा ।बोलीरमा जिसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था ,आगे झुकी और सांप के मुख को चूम लिया उसके चूमते ही सांप में हलकी सी हरकत हुई
"उई माँ काटता है" रमा चिल्ला उठी
"हाहा...रमा तुम बेवजह डरती हो ये तो हमारे साँप का आशीर्वाद था...तुमने आशीर्वाद पा लिया है अब तुम अपनी ज़ुबान निकालो और इसे चाटो "
रमा के तो होश उड़ गए और वो जैसे पत्थर की बन गयी बिल्कुल हिल डुल नहीं पा रही थी , गुरूजी ने उसके हाथों को पकड़ा और सांप को रमा के हाथों में दे दिया
"रमा तुम संतान चाहती हो या नहीं?"
"चाहती हूँ गुरूजी"
"फिर वैसा ही करो जैसा हम कहते हैं महूरत का समय निकला जा रहा है ...चलो चाटो इसे"
रमा जिसे अब शक होने लगा था की जो चीज़ उसके हाथों में है वो सांप है भी है या नहीं चीज़ को अपने हाथ ऊपर नीचे कर टटोलने लगी निचले हिस्से पर पहुंची तो उसे सांप के मुंह जैसा कुछ नहीं महसूस हुआ बल्कि उसे लगा की वो एक संतरे जितने बड़े लण्ड मुंड को सहला रहा रही है अचानक उसके मन में पिछली सारी बातें घूम गयी "हाय राम इतना बड़ा लौड़ा" उसने मन में सोचा और उसका दिल फिर रेलगाड़ी की तरह धड़कने लगा । उसकी चूत में जैसे एक टीस सी उठी ,आज पहली बार वो एक असली मर्द का लौड़ा छू रही थी । रमा एक अजीब सी उत्सुकता में बह गयी उसके मन में अजीब सी बातें आने लगी 'हाय कैसे लूँगी इस लण्ड को चूत में, जब 7 फुट के बाबा जी मेरे ऊपर चढ़ेंगे तो क्या होगा' वो लण्ड को पकडे पकडे ही विचारों में खो गयी ,
"रमा ....रमा क्या हुआ किन विचारों में खो गयी" बाबा जी अपने शिथिल लेकिन भारी और बड़े लण्ड से रमा के चेहरे पर एक चपत मारते हुए पूछा"
"गुरु जी जिस चीज़ का मैंने अभी चुमभन लिया है वो सांप नहीं है न?"
"ह्म्म्म आखिर तुम जान ही गयी तो तुम ही बताओ ये क्या है?"
"गुरूजी ये आपका लिंग है"
"तुम्हें अच्छा लगा ? तुम्हारे पति से अच्छा है या बुरा?"
"गुरूजी उनका तो किसी छोटे बच्चे की लुल्ली जैसा है"
"अच्छा और हमारा लिंग कैसा है"
"आपका का तो बहुत बड़ा है"
"तुम देखना चाहोगी"
"हाँ गुरु जी"
"हम तुम्हे अपने लिंग के दर्शन करवाएंगे पर उससे पहले तुम्हें इससे प्यार करना होगा ....करोगी न रमा?"
रमा जो घुटनों के बल बैठी थी कुछ आगे खिसकी ,गुरु जी न उसके चेहरे को पकड़ अपने लिंग के बिलकुल पास सेट कर दिया ताकि रमा उसे चाट सके ,रमा ने अपनी जीभ निलकाली और लिंग को आइसक्रीम की तरह चाटने लगी ,नीचे से से ऊपर और ऊपर से नीचे ,एक गर्म ,डंडे जितने बड़े लण्ड को वो चाटती जा रही थी ।ओह....रमा तुम तो कमाल चाटती हो आह"गुरु जी सिसकियाँ लेने लगे
गुरु जी का शिथिल लण्ड अब अकड़ने लगा था क्योंकि रमा ने लिंग को दोनों हाथों से पकड़ रखा था उसे लगा की लिंग के उठान से वो भी कहीं ऊपर न उठ जाए कुछ सेकण्ड में गुरु जी लण्ड पूरा तन चूका था ।
"रमा लिंग दर्शनों के लिए तयार है खोलो अपनी आँखों की पट्टी " गुरूजी ने मुस्कुराते हुए कहा
रमा ने लिंग को छोड़ दिया और उसने अपनी आँखों की पट्टी खोली ,120 डिग्री पर तने हुए 4किलो की लौकी जितने मोटे लण्ड को देख रमा का मुंह खुला का खुला रह गया ।
"रमा तुम हमारे लिंग का माप नहीं लोगी ?.....ये लो इंचीटेप और मापो इसे आखिर तुम्हे पता होना चाहिए की जो लिंग तुम्हारी योनी में जाने वाला है उसका आकार क्या है " ये कहते हुए गुरु जी ने रमा को इंचीटेप थमा दिया ।
नापने का मन तो रमा का भी कर ही रहा था उसने झट से इंचीटेप उठाया और लिंग के सिरे पर रख इंचीटेप को लण्डमुण्ड के आखरी सिरे तक खोला ...उसे 12इंच पढ़कर विश्वास नहीं हुआ उसने दोबारा माप लिया इसबार भी 12इंच '12 इंच मतलब पूरा एक फुट' रमा ने मन में सोचा
"रमा तो कितनी लंबाई है हमारे लण्ड की?"
"गुरु जी 12 इंच"
"ठीक अब मोटाई का नाप लो"
"हाय यह भी 12इंच ....इनती तो मेरी बाजु भी मोटी नहीं है"
"हा हा हा रमा ये असली मर्द का लण्ड है ....पर आज तुम्हें देख ये कुछ अधिक ही तन गया है अब मुझसे और सब्र नहीं होता अब तुम्हारा चोदन करना ही होगा...तुम तयार हो न "
"जी गुरूजी आप जो करेंगे वही ईश्वर की कृपा होगी"
गुरूजी ने रमा को गोद में उ ठा लिया और उसे लेजाकर फिर से टेबल पर लिटा दिया ,और रमा की बाहें खोली और टेबल के कोनों से एक रस्सी की मदद से बांध दीं ।
"गुरूजी ये आप क्या कर रहे हैं ...मुझे डर लग रहा है" रमा बोली
"डरो नहीं रमा अभी तो आखिरी प्रसाद ग्रहण करना है " गुरु जी ने रमा की टांगे खोली और खुद उसकी टांगो के बीच आते हुए बोले "रमा मेरी तो बड़ी इच्छा थी तुम्हारी इस चूत का रसपान करूँ पर ये लिंग में लगी आग पहले शांत करनी होगी"
रमा कुछ नहीं बोली बस लेटी रही ...उसके हाथ बंधे थे और वो कुछ कर भी नहीं सकती थी गुरुजी के लौड़े को देख उसे डर लग रहा था लेकिन उसके अंदर की प्यास उसके डर से कहीं ज्यादा थी गुरु जी थे की अपने मूसल लिंग को उसकी चूत के होंठों पर रगड़े जा रहे थे ...रमा का पूरा बदन मस्ती से काँपने लगा
"रमा क्या हुआ तुम काँप क्यों रही हो" गुरूजी ने भोले बनते हुए कहा
"आह ...गुरूजी और सहन नहीं होता" रमा ने आहें भरते हुए कहा
गुरूजी इसीके तो इंतज़ार में थे की रमा कोई इशारा करे यंहां तो रमा ने न्योता ही दे दिया था उन्होंने आव देखा न ताव झट से रम की पतली कमर पकड़ी और ज़ोर का गस्सा मारा उनके लण्ड का मुंड सरसराता रमा की योनि में घुस गया ।रमा दर्द से बिलबिला उठी
"आई मर गयी ...गुरूजी क्या कर दिया इस दर्द से मर जाउंगी मैं"रमा तुम भी कमाल करती हो चोदन से कोई मरता है क्या ...फिर तुम जैसी अप्सरा तो इससे भी बड़ा लौड़ा संभाल सकती " गुरूजी ने मुस्कुराते हुए कहा और अपने लिंग को बाहर निकाल लिया और फिर रमा की योनि पर सेट कर दिया ...रमा के लिए पहला वार ही जानलेवा था गुरूजी को आगे की तयारी करते देख वो ज़ोर से रोने लगी
"गुरूजी भगवान के लिए मुझे छोड़ दो मैं नहीं ले पाऊँगी इतना बड़ा....उई माँ मर गयी गुरूजी प्लीज निकालिये न बाहर" रमा ने छटपटाते हुए कहा
"रमा तुम तो बिलकुल बच्ची हो ...देखो तो तुम्हारी इस छुइमुई योनी तो बिलकुल भीगी पड़ी है ...और अपनी चूचियों को तो देख कैसी अकड़ गयी हैं " बाबाजी ने झुक के रमा की दायीं चूची को मुंह में ले लिया और चूसने लगे और दूसरे मम्में को हलके हलके दबाने लगे । रमा ने ऐसा आनंद का अनुभव कभी नहीं किया था , रमा ने आँखें बंद कर ली और खुद को पूरी तरह से बाबा जी के हवाले कर दिया । बाबा जी मोका देख के रमा के स्तनों को मजबूती से पकड़ा और ज़ोर से धक्का लगाया और उनका लिंग फचक की आवाज़ करता हुआ रमा की बच्चे दानी से जा टकराया ...रमा दर्द से निढाल सी ही हो गयी उसमें इतनी भी ताकत न रह गयी थी की चीख ही पाती ...और बाबा जी ने तो जैसे धक्कों की सुपरफास्ट ट्रेन ही चला दी । रमा उस दिन नाजाने कितनी ही बार झड़ी ....पर बाबा जी को तो जैसे न झड़ने का वरदान था वो तो उसे पेले जा रहे थे ...थकने का और रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे आखिर रमा बेहोश ही हो गयी । उसे एक नरम बिस्तर पर होश आया तो रात हो रही थी , उसे कपडे पहना दिए गए थे और एक सेविका उसके पाँव दबा रही थी । कुछ देर बाद बाबा जी कमरे में आ गए और रमा के सिरहाने बैठ उसके सर को हलके हलके सहलाने लगे ।
"रमा तुमने प्रसाद ग्रहण कर लिया है ..तुम्हें संतान प्राप्ति अवश्य होगी " वो रमा के सर को सहलाते हुए बोले ।रमा कुछ कह न सकी उसकी आँखों में ख़ुशी और संतुष्टि के आंसू थे । बाबा जी उसकी भावनाओं को समझ गए और उसके कान में धीरे से बोले "पगली हम तीन महीने बाद फिर आएंगे...पर तुम यंहां से जाते ही अपने पति के साथ एक बार ज़रूर सम्बन्ध बना लेना ..वरना उसे शक हो जायेगा"
रमा कुछ बोली नहीं बस उसने हाँ में सिर हिला दिया । बाबा जी तीन साल लगातार आते रहे रमा को तीन संतानो की प्राप्ति हुई पर फिर वो किसी बाहर देश चले गए और रमा बेचारी फिर अकेली रह गयी । और आगे के इन सालों में तो जैसे रमा ने खुद को औरत मानना ही छोड़ दिया था ,पर आज राहुल के मर्दाना लिंग को देख उसकी भावनाएं फिर जाग गयी थी रमा को सारी रात नींद नहीं आई ।रात भर बस करवटें बदलती रही ।
 
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दूसरी तरफ राहुल आने वाली घटनाओं से बेखबर सो रहा था , सुबह कोई 6 बजे उसकी नींद खुली तो उसे हैरानी हुई की आज माँ ने उसे जगाया नहीं पर उसे लगा की माँ। पक्का उसे जगाने आईं होगी और वो जागा नहीं होगा 'आज तो पिटाई पक्का उसने मन में सोचा' और भाग के सीधा रसोई में गया ,इस बात से बिल्कुल अनजान की उसका तम्बूरा अभी भी तना हुआ है और उसकी निक्कर से साफ़ पता चल रहा है वैसे उसे पता भी होता तो भी वो यही सोचता की मालिश से उसका लण्ड कितना ताकतवर हो गया है उसे इसमें शर्म की कोई बात नज़र नहीं आती । रसोई में रमा बर्तन धो रही थी , और रमा की पीठ उसकी तरफ थी नाइटी में से उसके सुडोल गांड साफ़ नज़र आ रही थी रमा की मांसल गांड देखते ही राहुल का मन आया की वो गांड को ज़ोर से दबाये इस उभरी हुई चीज़ को वो अभी अपने सपनों में ही खोया हुआ था जब रमा को लगा की उसके पीछे कोई खड़ा है वो पीछे घुमी तो राहुल की उभरी हुई निक्कर को देख उसकी हँसी छूट गयी
"उठ गया ...सो लेता कुछ देर और" वो मुस्कुराते हुए बोली ।
"सॉरी माँ आज मैं उठ नहीं पाया ,मैं अभी सारा काम कर देता हूँ" वो डरते हुए बोला ।
"हम्म काम तो तू कर ही लेगा ये तो मैं देख ही रही हूँ...और डर मत आज मैंने खुद नहीं उठाया तुझे " रमा ने राहुल के उठे हुए लण्ड को घूरते हुए कहा । और फिर कुछ देर रुक कर बोली "राहुल तू निक्कर के अंदर कच्छा क्यों नहीं पहनता?"
"मुझे गर्मी लगती है और मेरा नुन्नु दुखता है कच्छे में " राहुल ने मासूमियत से जवाब दिया । उसे समझ नहीं आ रहा था की माँ उसे कच्छा पहने को क्यों कह रही है
"अच्छा पर अब तू बड़ा हो गया है न इसलिए ...कच्छा न पहना गन्दी बात होती है " रमा बोली ।
रमा ने उसे वंही खड़ा रहने को कहा और अपने कमरे से अपने पति का एक कच्छा ले आई और राहुल को देते हुए बोली "ले पहन ले इसे । राहुल ने भी बिना किसी शर्म के निक्कर रमा के सामने ही उतार दी और उसका तनतनाता लण्ड रमा को सलामी देने लगा राहुल ने कच्छा पहन लिया पर उसका लिंग था ही इतना बड़ा और ऊपर से तना हुआ झट से कच्छे के छेद(जो पेशाब करने के लिये बना होता है) से बाहर आ गया
"माँ मेरा नुन्नु तो कच्छे में आ ही नहीं रहा क्या करूँ?" राहुल परेशान होते हुए पूछा
"रुक मैं सिखाती हूँ कैसे पहनते हैं...... नुन्नु को ऐसे पकड़ के कच्छे की टांग वाली तरफ कर देते हैं " रमा ने इशारे से समझाते हुए कहा ।
राहुल ने दो तीन बारी कोशिश की पर बेकार ऊपर से लण्ड दुखने लगा वो अलग "माँ मुझे नहीं आता " उसने आखिर थककर कहा । रमा समझ गयी उसे ही अब इस अजगर को संभालना होगा ये सोचते ही उसके पुरे बदन में सिहरन दौड़ गयी । रमा राहुल के पास गयी और उसने राहुल के लण्ड को पकड़ लिया 'हे राम कितना मोटा है' रमा ने मन में सोचा और ये सच ही था लण्ड उसकी मुठी में आ ही नहीं रहा था 2 ऊँगली जितनी जगह खाली थी । रमा का मन तो कर रहा था की अभी इसी वक़्त ये मूसल उसकी फ़ुद्दी में घुस जाये पर वो जानती थी की सभी घर पे हैं इसलिए उसने जल्दी से राहुल को बताया की नुन्नु को कंहाँ रखते है कच्छे में । और उसे जल्दी से निक्कर पहने को कहामाँ देखो नुन्नु अभी भी नंगा है"
"बेटा ये ऐसे ही होता है तू निक्कर पहन ले तो नंगा नहीं रहेगा" रमा ने राहुल से कहा जो कच्छे की टांग से बाहर झांक रहे अपने लिंग की तरफ इशारा कर रहा था । "चल जाके नहा ले ज्यादा बातें मत बना वरना स्कूल के लिए लेट हो जायेगा"
सब बच्चों को स्कूल और फिर पति को दुकान भेजने के बाद रमा घर की साफ़ सफाई में लग गयी ,कोई 11 बजे वो घर के सब काम करके फ्री हुई तो उसने अपनी पिंकी की माँ को आवाज़ लगाईं "अरे पिंकी की मम्मी अगर काम निपट गया हो तो आओ चाये पीते हैं ...'शांति' भी बस शूरु होने वाला है"
"आई रमा " तरनजीत ने जवाब दिया । तरनजीत 35 साल की भरे बदन की महिला थी उसका रंग पंजाबियों की तरह साफ़ और कद काठी काफी मजबूत थी । तरनजीत काफी रंगीन मिज़ाज की औरत थी शादी के बाद भी उसके कई मर्दों के साथ सम्बन्ध थे । तरन अपने मोटे कुहलों को मटकाती हुई रमा के कमरे में दाखिल हुई उसने रमा के चेहरे को देखते की जान लिया की रमा के साथ रात को क्या हुआ होगा ।
"क्या रमा आज फिर भाई साहब फुस हो गए क्या?" उसने रमा को आँख मारते हुए पूछा
"क्या बताऊँ दीदी इस आदमी से तो तंग आ गयी हूँ मैं आज तो पुरे 93 दिन हो गए " रमा ने तरन की तरफ चाय का कप बढ़ाते हुए कहा ।
"रमा तू क्यों इस आदमी के साथ क्यों बरबाद हो रही है , जैसे लहसुन बिना सब्जी नहीं जचती वैसे ही लौड़े बिना औरत की ज़िन्दगी ही क्या ?" तरन ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा
"दीदी तुम कह तो सही रही हो पर मैं कर ही क्या सकती हूँ ?"
"रमा तुम भाईसाहब को किसी अच्छे डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाती आज हर बिमारी का इलाज है ....मैं एक दिन भी चुदाई के बिना नहीं रह सकती...तू पता नहीं कैसी जीती है"
"दीदी अब क्या कहुँ तुमसे, ये किसी डॉक्टर के पास जाते नहीं ...पर मैंने सोचा शरमाते होंगे तो इन्हें बिना बताये ही कई डॉक्टरों की दवाई ले आती थी और इनके खाने में मिला देती थी पर कोई लाभ नहीं हुआ मैं तो पूरी तरह से टूट चुकी हूँ तुम ही बताओ क्या करूँ मैं" रमा ने सिसकते हुए कहा ।
"ओह रमा हिम्मत मत हारो..तुम बुरा न मानो तो एक तरकीब है मेरे पास कहो तो बताऊँ?" तरन ने रमा को सहलाते हुए कहा
"दीदी तुम्हारी किसी बात का बुरा माना है आज तक जो अब बुरा मानु गी" रमा ने आस की नज़रों से तरन की और देखते हुए कहा ।
"रमा तू मेरे देवर रवि को तो जानती हैं न ? बहुत पूछता है तेरे बारे में मेरीमिन्नतें कर रहा है साल भर से की तेरी उससे बात करवा दूँ , तू बोले तो करूँ बात" तरन ने रमा को आँख मारते हुए कहा ।
"नहीं नहीं दीदी रहने दो" रमा ने घबराते हुए कहा
"क्यों तुझे अच्छा नहीं लगता क्या?" तरन सवालिया नज़रों से रमा को घूरते हुए कहा
" नहीं दीदी वो बात नहीं रवि जैसा सुन्दर और जवान लड़का जिस लड़की को मिलेगा उसकी तो ज़िन्दगी बन जायेगी...पर वो अभी लड़का है कालेज पड़ता है ...उसकी जिंदगी खराब हो जायेगी " रमा ने उतेज़ित होते हुए कहा
"हा हा रमा मैं तो तुझे चालाक समझती थी तू तो बिलकुल भोली है बच्चों की तरह...जिसे तू लड़का कह रही है न वो लड़का तेरी मेरी जैसी चार की चुदाई एक साथ कर सकता" तरन ने हँसते हुए कहा
"क्या दीदी तुम तो कुछ भी कहती हो" रमा तरन को हलका धक्का देते हुए कहा पर तभी वो सारा मामला समझ गयी और हँसते हुए "तो इसका मतलब तुम और रवि करते हो?"
"रमा तू करने की बात करती है मैं तो लगभग रोज़ उससे चुदती हों अब ऐसी आदत पड़ गयी है की अगर एक दिन भी उसका लौड़ा न लूँ तो मेरी चूत की हालत बुरी हो जाती है"
"ओह दीदी तो कल जब दिन में रवि आया था तो तब भी तुमने .......अब समझी तभी कल तुम मेरे पास नहीं आई...पर अगर पिंकी के पापा को पता चल गया तो?...तुम्हें डर नहीं लगता " रमा हैरान होते हुए पूछा ..रमा मन ही मन सोच रही थी कि ऐसा देवर काश उसे मिला होता
"रमा तू विशवास नहीं करेगी कल तो पिंकी के पापा ने सारा खेल देख ही लिया होता पर रवि के ही तेज़ दिमाग ने बालबाल बचा लिया"क्यों क्या हुआ बताओ न" रमा बोली उसे अब मज़ा आने लगा था जैसे हमें पोर्न देखते हुए आता है ।
"हम्म हम्म मज़ा ले रही है ?" तरन ने रमा को छेड़ते हुए कहा फिर वो पालथी मार के बैठ गयी और सुनाने लगी
"रमा क्या बताऊँ तुझे कल तो एक पल के लिए मेरी सांसे ही रुक गयीं थी हुआ ये की रवि आम तौर से 10 बजे के आसपास आता है और 1 बजे तक चला जाता है ,उसे घंटी न बजानी पड़े इसलिए मैं दरवाजे पर कुण्डी नहीं लगाती ...पर कल वो 11 बजे तक नहीं आया मुझे लगा की अब नहीं आएगा तो मैं रसोई में खाना बनाने चली मैं आटा गूंध रही थी की उसने मुझे पीछे आके दबोच लिया कस के और मेरे कबूतरों को मसलने लगा । मैं कहा भी की क्या कर रहे हो पिंकी के पापा आ जाएंगे पर उस पे तो ठरक हावी थी उसने झट से मेरी नाइटी ऊपर की और घुसा दिया अपना बड़ा मोटा लौड़ा मेरी चूत में गुसेड़ दिया ,कमीने का इतना मोटा है की हर बार लेते हुए मेरी हालत पतली हो जाती है । मैंने कहा भी रवि से की तेल-वेल लगा ले पर उसने तो तब तक रेल चलानी शुरू कर भी दी थी ,मैं शेल्फ पे झुकी हुई थी और वो मेरे कबूतरों को पकड़ के पूरी ताकत से धक्के दे रहा था । पर तभी घंटी बजी पर मैं करती क्या मेरी तो सिटी-पिटी गुम हो गयी , 'रवि पक्का तुम्हारे भैया होंगे' पर उसे तो जैसे पहले ही सब पता था बोला 'पूछो की कौन है और भाग कर बाथरूम में चलो' मैंने आवाज लगाई "कौन है". और भाग कर बाथरूम में पहुँच गए हम दोनों । बाहर से ये बोले 'मैं हूँ तरन दवाजा खोल' । मैं जो पहले डरी हुई थी और डर गयी मेरे पूरा बदन कांप रहा था कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या जवाब दूँ । पर रवि ने धीरे से मेरे कान में कहा कि कहो मैं नहा रही हूँ ..आती हूँ, मैंने ऐसा ही किया । रवि मुझ से ज्यादा चालाक था उसने इतनी सी देर में सब सोच लिया था उसने झट से मेरी नाइटी उतारी और पानी से मुझे भिगो दिया और तौलिया मुझे देते हुए बोला इसे लपेट लो और जाके दरवाजा खोलो । मैंने तोलिया लपेटा और जाके दरवाजा खोला । मैं अभी भी डर रही थी कि पिंकी के पापा गुस्सा होंगे पर भगवान कि दया से ऐसा कुछ नहीं हुआ । मुझे तौलिए में देख कहने लगे की तुझे इतनी भी क्या जल्दी थी दरवाजा खोलने की आराम से कपडे पहन के खोलती । उनकी ये बात सुन के मेरी जान में आई मख्खन लगाने के लिए मैंने उनसे कहा आपको इंतज़ार करना पड़ता इसिलए ऐसे आ गयी । उनको बस कुछ कागज़ लेने थे दफ्तर के ,उन्होंने वो लिए और चले गए । उनके जाने के बाद हमने अपना अधूरा काम बड़े आराम से पूरा किया । " तरन ने अपनी बात खत्म की ।
"ओह दीदी तुम्हारे तो मज़े हैं पर देवर से चुदते हुए तुम्हें बुरा नहीं लगता ?" रमा बोली
"रमा तू किस जमाने में रह रही है ,आज के जमाने में कोई रिश्ता नहीं होता बस चूत और लण्ड होते हैं ....वैसे लण्ड तो अपने राहुल का भी बड़ा मस्त है" तरन ने चटकारा लेते हुए कहा
"हाय राम तुम कैसी बातें करती हो ...राहुल तो अभी बच्चा है उसे तो छोड़ दो यार" रमा ने कहा वो सोच रही थी की तरन कितनी बड़ी चुदकड़ है उसके बेटे पर भी नज़र है उसकी । 'नहीं राहुल सिर्फ और सिर्फ मेरा है' उसने खुद से कहा ।
"मैं कैसे बातें कर रही हूँ ? सारी मोहल्ले की औरतों की नज़र है राहुल पे , तू उसे कच्छा तो पहनाती नहीं और राहुल सारा दिन अपना हथौड़े जैसा लण्ड लिए इधर उधर घूमता रहता है ...कसम खा के कहती हूँ अच्छा मौका है तेरे पास इससे पहले की कोई पराई औरत तेरे कुंवारे लड़के को मर्द बनाये तू खुद ही ऐसा कर ले" तरन ने रमा को आँख मारते हुए कहा ।क्या दीदी कुछ भी बोलती हो राहुल बेटे जैसा है" रमा बोली
" बेटा तो नहीं है न ? और इतना ही बेटा मानती हो तो उसे नोकरों की तरह क्यों रखती हो? फिर बेटा नहीं माँ के दुख दूर करेगा तो क्या दुश्मन करेंगे?"तरन ने प्यार भरी आवाज़ में रमा से कहा ।
"बोल तो तुम सही रही हो ...मैंने उसके साथ बड़ा बुरा बरताव किया है पर दीदी मेरा दिल नहीं मानता ..उसका लण्ड देख लेती हूँ तो सारे बदन में आग लग जाती है पर .."
"पर वर छोड़ रमा कसम खा के कहती हूँ कुंवारे लौड़े का मज़ा अलग ही होता है" तरन ने रमा के दिल को टटोलते हुए कहा । वो जानना चाहती थी की आखिर रमा के दिमाग में चल क्या रहा है । वो तो रमा के जरिये राहुल तक पहुँचने की बात सोच रही थी पर वो बेहद चालाक थी उसे पता था की वो सीधे कभी राहुल को नहीं पा सकती इसिलए वो रमा को गर्म कर रही थी ।
"दीदी ये क्या कह रही हो रिश्तों में यह सब ठीक नहीं होता" रमा ने संभलते हुए कहा ।
'साली कितना नाटक करती है' तरन ने मन में सोचा । वो जानती थी की रमा कई महीने से सम्भोग नहीं कर पाई है और बस थोडा और उकसाने की देर है फिर यह रवि से भी चुदेगी और अपने बेटे से भी ।"रमा रिश्ते तो होते ही हैं हमें सुख देने के लिए और सोच तू कहीं बाहर चक्कर चलाये तो बदनामी का डर है ऊपर से अगर राहुल को भी बाहर चुदाई की लत पड़ गयी तो बेचारा कहीं का नहीं रहेगा तू मोहल्ले की औरतों को नहीं जानती बड़ी बुरी नीयत है उनकी" तरन ने तरूप का इक्का चला । और उसका वार सही जगह जाके लगा । रमा सोचने लगी की बात तो ये सही कह रही है अगर वो राहुल के साथ अपनी प्यास भुजाती है तो घर की बात घर में ही रह जायेगी ।
" ठीक है दीदी देखती हूँ ...पर तुम बताओ क्या तुम कभी घर में चुदी हो ?" उसने अपना बचा-खुचा शक मिटाने के लिए तरन से पूछा ।
"मेरी तो पहली ही चुदाई अपने ही घर में हुई थी और देखो किसी को कुछ पता नहीं चला" तरन ने उसे कहा ।
"दीदी बताओ न कैसे किया तुमने ये सब और किसके साथ"
"रमा तेरी यह हालत मुझसे देखी नहीं जाती इसिलए सिर्फ तुझे बता रही हूँ आज तक ये बात मेरे सिवा किसी को नहीं पता ....बात तब की है जब मैं कुंवारी थी , हमारा गांव बेहद पिछड़ा हुआ है बापू को शराब की लत थी कोई काम नहीं करता था ।माँ ही खेतीबाड़ी करती ,घर संभालती पर जमीन कम होने के कारण माँ को गलत काम करना पड़ता ।मुखिया के यहाँ जब भी कोई अफसर आता तो मुखिया माँ को बुला लेता बदले में काफी पैसे मिलते जिससे घर आराम से चल जाता ऊपर से कुछ बचत भी हो जाती । एक दिन की बात है रात के 8 बजे थे बापू अभी आये नहीं थे ,मुखिया का एक नोकर आया उसने माँ से कुछ बात की और चला गया । माँ ने मुझे कहा की कोई बड़ा अफसर आया है हमारी ज़मीन की बात करने के लिए जो तुम्हारे चाचा ने हथिया ली है । मैं तब कुछ भी जानती थी दुनियादारी के बारे में मैं माँ की बातों में आ गयी । फिर माँ बोली ,भोली आज तू जाके मेरे बिस्तर पर लेट जा ऊपर रजाई ओढ़ लेना क्योंकि अगर तेरे बापू को पता चल गया की मैं घर से बाहर हूँ तो वो मार पिटाई करेंगे मेरी अच्छी बेटी अपने परिवार के लिए इतना तो करेगी न । पर रमा मैं डर रही थी कि अगर बापू को पता चल गया तो मेरी खैर नहीं तो यही बात मैंने माँ को बताई पर माँ ने कहा तेरे बापू तो दारू में टुन होके आते हैं और आते ही सो जाते हैं उन्हें नहीं पता चलेगा । माँ ने मुझे मिन्नते करके मना लिया । मैं चुपचाप माँ के बिस्तर पर जाके लेट गयी और रजाई ओढ़ के चुपचाप लेट गयी और दिया भी भुजा दिया पुरे कमरे में बस अँधेरा ही अँधेरा था कुछ नज़र नहीं आ रहा था । कोई 1 घंटे बाद बापू गाना गाते हुए अंदर आये डर के मारे मेरी तो घिग्गी बंध गयी दिल ज़ोरों से धड़कने लगा बापू थे भी 6फुट लम्बे चौड़े और पिटाई तो ऐसी करते थे की रूह कांप जाए । आते ही वो मेरे बिस्तर पर चढ़ गएऔर मेरी रजाई खींचते हुए बोले रज्जो साली तेरा पति बाहर है और तू सो गयी । मैंने दोनों हाथों से कस के रजाई को पकड़ रखा था पर बापू ने उसे ऐसे हटा लिया जैसे किसी 2 साल के बच्चे के हाथ से कोई खिलौना ले रहे हों डर के मारे मैं चुपचाप लेटी रही ।'साली रांड तेरा पति भूखा है और तू सो रही है' बापू ने शराब की गंध वाली गरम सांसे छोड़ते हुए कहा , मैं कुछ न कह पाई न कह सकती थी । 'साली नाटक करती है ...बोल रोटी निकाल रही है या नहीं' बापू चीख रहे थे पर मैं सोने का नाटक करती रही ।मुझे क्या पता था की क्या होने वाला है बापू किसी भूखे शेर की तरह मुझ पर चढ़ गए और मेरे होंठ चूसने लगे , पहली बार किसी मर्द ने मेरे साथ ऐसा किया किया था मुझे डर तो लग रहा था पर मज़ा भी आने लगा मैं भी बापू का साथ देने लगी ।
 
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रज्जो आज तेरे होंठ कितने नरम लग रहे पहले तो ऐसे नहीं थे ' बापू बुदबुदाये । मैं फिर चुप रही बोलती तो बापू को पता चल जाता मुझे लगा बापू चूमने के बाद मुझे छोड़ देंगे पर बापू तो नशे में धुत थे और इससे पहले मुझे कुछ पता चलता या मैं कुछ कर पाती उन्होंने मेरी कमीज़ को गले से पकड़ा और एक ही झटके में फाड़ दिया ,ऊपर से उस दिन मैं अंदर कुछ पहन भी नहीं रखा था मैं हाथों से अपनी छातियाँ ढक पाती उससे पहले ही बापू ने एक निपल को मुंह में ले लिया और चूसने लगे 'आह...आह...' मैं सिसक पड़ी । पर नशे में होने के बापू को कुछ पहचान नहीं पाई 'साली रांड तभी कहता हूँ की चुदाई करवाया कर अब इतने दिनों बाद होगा तो दर्द तो होगा ही...वैसे आज तो तेरे मोम्मे बड़े गोल-गोल और मज़े दार लग रहे हैं" बापू के मुँह से ऐसी बातें सुन मुझे अच्छा लगने लगा ऊपर से वो मेरे मम्मों को चूस रहे थे मसल रहे थे उसके कारण एक अजीब सा मस्ती मुझ पर हावी हो रही थी आज मुझे सहलियों की बात पर यकीन हो रहा था जो केहती थी कि चुदाई में जो मज़ा है वो किसी और चीज़ में नहीं है । बापू थोड़े से नीचे हुए और मेरी नाभी चाटने लगे उनके गर्म खुरदरी जीभ ने जैसे ही मेरी नाभी को छुआ मेरा पूरा बदन बुरी तरह कांप उठा । न जाने कितनी देर बापू मेरे बदन से खिलवाड़ करते रहे फिर अचानक वो उठे कुछ देर उन्होंने कुछ किया मुझे लगा जान बची पर मेरा दिल तो चाह रहा था की वो ऐसा और करें पर मैं कुछ बोल तो सकती नहीं थी । और सही बात तो ये थी की बापू सिर्फ अपने कपडे खोलने के लिए उठे थे ये बात मेरी सलवार पर हुए हमले से मैं जान गयी और दूसरे ही पल मेरी सलवार और कच्छी मेरे बदन से अगल हो गयी । बापू ने अपना हथौड़े सा भारी लौड़ा मेरी कुंवारी चूत पर रख दिया , मुझे लगा ये क्या अब भी मैंने बापू को न रोका तो पाप होगा । अपनी सारी हिम्मत जोड़ के मैंने कहा 'बापू मैं भोली' मुझे लगा था एक ज़ोर दार तपड़ मेरे मुँह पर पड़ेगा पर बापू ने जैसे कुछ सुना ही नहीं और लौड़े को चूत के मुँह पर सेट करते रहे और बोले 'भोली हुन जान दे होली होली' और एक ज़ोर दार हमला मेरी फूल सी चूत पर हुआ और उनके मूसल लण्ड का मोटा टोपा मेरी चूत में जाके फस गया । मैं दर्द से बिलबिला उठी 'आ..आ..माँ मर गयी...' पर नशे में चूर बापू पर मेरी चीखों का कोई असर नहीं हुआ उन्होंने एक और ज़ोर का धक्का दिया और मेरी चूत मूसल लण्ड से भर गयी ..'आई ...मर गयी बापू मर जाउंगी मैं निकालो बाहर बापू बापू....' पर बापू ने बिना कुछ कहे ही एक और झटका दिया मैं तो जैसे दर्द से बेहोश सी हो गयी कुछ देर के लिए मेरी आँखें घूम गयीं ..बदन से सारी ताकत निकल गयी निढाल हो चुकी थी मैं ..बापू मेरे दोनों मम्मों को ज़ोर से पकड़ लिया और लण्ड आगे पीछे करना शूरु किया मुझे तो लग रहा था की मेरी चूत भी जैसे आगे पीछे हो रही हो ...बापू के धक्कों की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी मुझ में इतनी भी ताकत नहीं थी की चीख सकूँ ...बस आह...आह..बापू नहीं...माँ बचा लो ..मैं बस ये कहती रही पर बापू धक्के पे धक्का मारे जा रहे थे और हर धक्के के साथ मेरी साँसे हलक में अटक जाती ..पुच पुच..फच फच की आवाज़ें पुरे कमरे में गूंजने रही थी और बापू मुझे ऐसे चोद रहे थे जैसे किसी लाश को चोद रहे हों ,दर्द से मैं बेहाल थी पर मुझे अब मज़ा भी आने लगा था पुरे बदन में गुदगुदी सी होने लगी थी जो हर झटके के साथ बढ़ती जा रही थी मैं ज्यादा देर न टिक सकी और झड़ गयी कुछ पलों के लिए लगा जैसे मैं स्वर्ग में हूँ पर जैसे ही चरम आंनद ख़त्म हुआ मुझे लगा की मेरी बची खुची ताकत भी निकल गयी है मैं बेसुध हो गयी । जब होश आया तो 2-3 दीये जल रहे थे बापु ज़मीन पर पालथी मार के बैठे हुए थे और खुद से बातें कर थे 'हाय कितना बड़ा पापी हूँ मैं अपनी ही बेटी का बलात्कार कर दिया भगवान मुझे कभी माफ़ नहीं करेगा' बापू खुद को कोस रहे थे उनकी हालत देख मेरा जी भर आया पर मुझे क्या पता था की ये सब नाटक है । बापू तो दूसरे राउंड की त्यारी कर रहे थे । मैंने बापू को बड़े प्यार से ऊपर से नीचे तक देखा उनका 8इंच लंबा और 4इंच मोटा लौड़ा देख मेरी तो जान ही निकल गयी । मैंने सोचा पक्का आज तो फट गयी होगी मेरी । किसी तरह ताकत बटोर के मैं उठी ताकि अपनी बुर का हाल देख सकूँ । रमा क्या बताऊँ तुझे उठी तो क्या देखती हूँ मेरी टाँगो के बीच वाली चादर पर खून ही खून था मेरी फूल सी चूत सूज के गोभी का फूल बन चुकी थी । मैं रोने लगी तभी बापू की आवाज़ आई 'साले हरामी तेरी ही वजह से मेरी बेटी का ये हाल हुआ है आज तुझे जड़ से ही काट दूँगा' मैंने रोते रोते बापू की तरफ देखा बापू के एक हाथ में चाकु और दूसरे में उन्होंने अपना मूसल लण्ड पकड़ा हुआ था और वो उसे काटने जा रहे थे "
" ओह तो क्या अंकल ने अपना लौड़ा काट लिया?" रमा जो अभी तक दम साधे सुन रहही थी बोल पड़ी ।
"रमा तू अभी तक नहीं समझी बापू तो मछली को पकड़ने के लिए जाल बिछा रहे थे और उनका निशाना सही जगह लगा था । मैं घबरा गयी 'बापू इसमें इसका क्या कसूर है' मैंने बापू से कहा ये सोचे बिना की मैं जाल में फसती जा रही हूँ बापू यही सुनना चाहते थे उन्होंने नाटक और तेज़ कर दिया 'सही कहती है बेटी गलती तो मेरी है मैं अपना गला काट के इस पाप से मुक्ति पा लूँगा तू मुझे माफ़ कर दे' बापू ने चाकू अपने गले पर रखते हुए कहा । इस बात को सुन के तो मेरे हाथ पांव फूल गए कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ दिमाग में बस एक ही बात आई की सारा दोष मुझे अपने ऊपर लेना होगा
'बापू गलती मेरी है मैं चाहती थी की यह सब हो इसीलिए जब माँ ने मुझे यहाँ सोने को कहा तो मैं मान गयी' मैंने बापू से कहा ।
'नहीं तू झूठ बोल रही है तू तो सारा वक़्त रोक रही थी पर देख मैंने क्या कर दिया मुझे जीने का कोई हक़ नहीं है' बापू ने कहा
'बापू मैं सच में यही चाहती थी पर डर भी रही थी इसिलए मना करने का नाटक कर रही थी'
'फिर झूठ बोल रही है तू तुझे ये भी पता नहीं होगा की आज तेरे साथ क्या हो गया है..बोल पता भी है तुझे क्यों तू मुझे बचाना चाहती है'
'बापू मैं सच बोल रही हूँ मैं भी चाहती थी की तुम मेरी चुदाई करो' मैंने बापू को बचाने के लिए कहा । मेरी यह बात सुन के वो बिस्तर पर आ गए ।
'झूट मत बोल ...तू तो फरिश्ता है और मैं दानव तुझे तो यह भी पता नहीं होगा इसे क्या कहते हैं ...इस को पहले काटूँगा फिर अपना गला बेटी मुझे मत रोक' बापू ने अपने मूसल लण्ड को पकड़ के हिलाते हुए कहा ।
'बापू मैं कोई बच्ची नहीं हूँ इसे लौड़ा कहते हैं...मैं सिर्फ पहले ही चुदना नहीं चाहती अब भी मेरा मन है की तुम मुझे चोदो' मैंने भावनाओं में बहकर कह दिया मुझे क्या पता था बापू भी यही चाहते हैं । वो कुछ देर अपना सिर पकड़ ले बैठे रहे फिर उन्होंने एक ज़ोर दार तपड़ मेरे मुंह पर दे मारा मैं बिस्तर पर ढेर हो गयी
'साली रांड अपने बाप से चुदेगी ...बाप को नरक में भेजेगी अब देख मैं तेरा क्या हाल करता हूँ ।' बापू मेरी टांगों को पकड़ते हुए कहा
'बापू क्या कर रहे हो होश में आओ' मैं विनती की पर बापू पर भूत सवार हो चूका था ।
बापू ने एक तकिया मेरे सिर के नीचे ठूस दिया 'साली बड़ा चुदने का शौक है न अब अपनी आँखों से देख कैसे चोदता हूँ तुझे' बापू ने अपना लौड़ा मेरी चूत पर सेट कर दिया और रगड़ने लगे । बापू का गर्म लौड़ा मेरी चूत के दाने से रगड़ खाने लगा कुछ पलों में मैं जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी 'बापू ..आह..बापू ...मत करो मैं...'मैं बापू को रुकने के लिए कहना चाहती थी पर मेरा बदन अकड़ गया और मैं एक बार फिर झड़ गयी ।
 
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साली रांड देख कितनी बड़ी चुदकड़ है तू अपने बाप के सामने झड़ रही है शर्म नहीं आती तुझे ..अब तुझे सबक सिखाना ही पड़ेगा ' बापू ने मेरी एक टांग को पकड़ के 90 डिग्री के कोण पर उठा लिया और अपने टोपे को चूत के होंठों पर रख एक ज़ोर दार धक्का दिया । दर्द से मेरी तो जान ही निकल गयी मुझे लगा जैसे मेरी पूरी चूत लण्ड से भर गयी हो पर देखती क्या हूँ की अभी तो बस लण्ड का मुँह ही अंदर जा पाया है । मैंने उठने की पर बापू ने एक और झटका दिया इस बार तो लगा जैसे लोहे की सलाख मेरी चूत में घुस गयी हो ।'साले हरामी अपनी ही बेटी की चूत फाड़ दी ....निकाल बाहर ...' दर्द के कारण मैं सब भूल मान मर्यादा भूल गयी थी । 'साली अपने बाप को गाली निकालती है ..अभी तो तेरे साथ नरमी बरत रहा था पर अब असली चुदाई होगी तेरी' बापू ने मेरे गले को दोनों हाथों से पकड़ लिया .अपने लौड़े को चूत से बाहर निकाला और अपनी पूरी ताकत से धक्का लगाया...और नामुमकिन काम को एक ही झटके में कर दिया दर्द से मेरा सारा बदन कांपने लगा मैं अपनी नाभि के पास साफ़ एक उभार को देख सकती थी पर सिर्फ निढाल पड़े रहने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था । मैंने अपना सारा बदन ढीला छोड़ दिया ...उधर बापू दूसरे वार की त्यारी में था उसने लण्ड को बाहर खिंचा और फिर वैसा ही झटका दिया उसका लण्ड मेरी कसी चूत के सारे विरोध को तोड़ता हुआ मेरी बच्चे दानी से जा टकराया । दर्द के मारे मेरी आँखें ऊपर चढ़ गयी साँसे धौंकनी की तरह चलने लगी । बापू कोई दुश्मन तो था नहीं बाप था मेरा मेरी ये हालत देख बापू का मन भी पसीज गया बापू लण्ड को चूत में ही फसा रहने दिया ,मेरी गर्दन भी छोड़ दी और मुझ पर लेट गया और मेरे गालों को चूमते हुए बोला 'भोली भोली ...मेरी बच्ची बस हो गया मुश्किल काम'
'बापू तूने तो जान ही निकाल दी मेरी ..अब तो छोड़ दे' मैंने जवाब दिया
'बेटी जितना दर्द होना था हो लिया अब तो तेरी मज़ा लेने की बारी है' बापू में मेरे होंठो को अपने होंठों से चूम लिया ..बापू के इस लाड दुलार से दर्द कुछ कम हुआ । मैं भी मज़े लेना चाहती थी आखिर इतनी पीड़ा जो सही थी मैंने कुछ हक़ तो बनता था । बापू ने धीरे -2 अपनी कमर हिलानी शुरू की मज़ा आने लगा मुझे भी दर्द भी कम हो गया । बापू मेरे स्तनों को चूसते हुए हलके हलके धक्के मारते रहे मेरा बदन फिर अकड़ने लगा था पर इस बार मुझे बापू का लण्ड भी फूलता हुआ महसूस हुआ बापू ने मुझे कस के बाँहों में भर लिया और धक्कों की रफ़्तार तेज़ कर दी इधर मैं भी बापू से लिपट गयी मेरा काम होने वाला था बापू ने झटके और जानदार कर दिए ।। और किस्मत का खेल देखो की हम दोनों बिलकुल एक साथ झड़ गए मेरी छूट बापू के गर्म माल से भर गए । हम इतने थक चुके थे की उसी हालत में सो गए । रात को माँ वापस आई और मुझे जगाया मेरी मालिश की गर्म गर्म दूध पिलाया और फिर मुझे बतया की ये सब उन दोंनो की सकीम थीं । उन्हें पता चल गया था की मेरा चक्कर एक शादीशुदा आदमी से चल रहा और अगर मैं ये सब उसके साथ करती तो सारे गांव को पता चल जाता और बदनामी होती , फिर माँ ने कहा जब भी इस ऐसा वैसा मन हो तो बापू है न तुझे कहीं बाहर जाने की ज़रुरत नहीं । रमा अब तू सोच कितनी लड़कियों की ज़िन्दगी खराब होती है । कुछ करें तो बदनामी न करें तो मौत से भी बुरी ज़िंदगी उससे तो अच्छा है माँ बाप ही कुछ करें मज़ा भी पूरा और कोई बदनामी भी नहीं ।" तरन ने अपनी बात खत्म की । तरन ने बेशक झूठ बोला था और ये बात रमा अच्छे से जानती थी क्योंकि तरन की माँ खुद रमा को बता चुकी थी की उसका पति नपुंसक था और तरन एक बाबा का प्रसाद थी जैसे की रमा के तीन बच्चे पर रमा ने तरन से कुछ नहीं कहा क्योंकि अब वो मन बना चुकी थी की चाहे कुछ भी हो जाये वो अपनी चूत की खाज राहुल के लण्ड से ही भुजाये गी । बातें करते हुए 2 कब बज गए दोनों को ही पता नहीं चला था । रमा के तीनों बच्चे शोर मचाते हुए घर में गुस्से।
"ठीक है रमा मैं चलती हूँ पिंकी भी आती ही होगी"
"ठीक है दीदी आज तुमने जो मेरे लिए किया है उसे मैं कभी नहीं भूलूँगी" रमा ने भी नाटक करते हुए कहा ।
राहुल को स्कूल से पैदल आना पड़ता था। वो कोई 2.30 बजे घर पहुंचा, कपड़े बदले और खाना खाने के लिए रसोई में चला गया।
रमा वहाँ बर्तन साफ़ कर रही थी, राहुल को देखते ही रमा ने अपने हाथ धोये और राहुल को खाना निकाल कर दिया।

राहुल को अजीब तो लग ही रहा था कि न उसे रात में उठाया गया, न सुबह… फिर दिन के बर्तन भी माँ ने खुद ही धो लिए, उसे पक्का यकीन हो गया कि रमा उससे नाराज़ है।
‘माँ तुम मुझसे नाराज़ हो?’ राहुल ने खाना खाते हुए पूछा।
‘मैं क्यों नाराज़ होने लगी भला?’
‘वो कल मैं टयूशन से लेट आया था न!’

‘हा हा… सही कहते हैं लोग, तू बहुत भोला है… इतनी छोटी सी बात पे मैं क्यों नाराज़ होने लगी!’
‘माँ अगर तुम नाराज़ नहीं हो तो फिर तुम सारा काम खुद क्यों कर रही हो? पहले तो मुझे भी अपनी मदद करने देती थी!’

राहुल की भोली भाली बातें सुन रमा की आँखों में आँसू आ गए, वो सोच रही थी कि उसके अपने बच्चों ने भी उसकी इतनी फ़िक्र नहीं की और ये जिसे वो नौकरों की तरह रखती थी, उसका कितना ख्याल रखता था।
रमा ने आँखें पौंछी और राहुल को बेटे की तरह अपनी बाँहों के आगोश में ले लिया.
माँ का प्यार पा राहुल भी रो पड़ा।
दोनों को एक दूसरे की ज़रुरत थी पर दोनों के मन में एक दूसरे के असीम प्यार भी पैदा हो गया था।

राहुल की टयूशन का टाइम हो रहा था, उसने जल्दी से खाना खत्म किया और टयूशन भागा।
शेफाली ने आज सब बच्चों की छुट्टी कर रखी थी, ऊपर से घर पर कोई नहीं था, वो जानती थी कि इससे अच्छा मौका उसे नहीं मिलेगा.
उसने सिर्फ नाइटी पहन रखी थी ताकि कोई ताम झाम न हो कपड़े उतारने में!

राहुल टाइम से पहले ही पहुँच गया। शेफाली ने उसे जल्दी से अंदर खींचा और दरवाजे को कुण्डी लगा दी।
शेफाली को नाइटी में देखते ही राहुल का लंड पूरी तरह तन गया।

‘राहुल जल्दी से दिखाओ कि तुम्हारा तम्बूरा कितना स्ट्रांग हुआ है?’ उसने राहुल के अंदर घुसते ही कहा।
राहुल भी अपने लंड को और स्ट्रांग बनवाने के लिए तड़प रहा था तो बिना शरमाये उसने अपनी पैंट उतार दी.
‘हाय राम, कितना मूसल लंड है!’ शेफाली के मुंह से ये निकल गया।
‘दीदी आपको मेरा लंड अच्छा लगता है?’ राहुल ने मासूमियत से पूछा
‘अच्छा नहीं बहुत अच्छा लगता है!’ शेफाली ने जवाब दिया।

‘अच्छा ये बता राहुल दुद्दू पियेगा?’ शेफाली ने अपनी नाइटी उतार के अपने मम्मों को हिलाते हुआ पूछा.
‘हाँ दीदी पियूँगा… आपके दुद्दू कितने गोल गोल हैं.’
‘ठीक है, मैं तुझे दुद्दू पीने दूंगी पर पहले तुझे मेरी चूत को स्ट्रांग बनाना है, याद है न?’ शेफाली ने अपनी चूत को सहलाते हुए कहा।
‘याद है दीदी मैं ज़रूर आपकी चूत को स्ट्रांग बनाऊंगा… पर ये चूत होती क्या है?’ राहुल ने जवाब दिया।
‘अरे मेरे भोले शेर, ये जो छोटा सा छेद है न इसे कहते हैं चूत!’ शेफाली ने उसे अपनी बिना बालों वाली चूत को अपनी उँगलियों से खोल के दिखाते हुए कहा।
‘ओह दीदी ये तो बहुत छोटी है ये कैसे स्ट्रांग बनेगी?’ राहुल ने शेफाली के छोटे से छेद को हैरानी से देखते हुए पूछा।

राहुल के इस मासूम सवाल पर शेफाली की हँसी छूट गई- राहुल चूत जितनी छोटी हो, उतनी ही अच्छी होती है! अब जल्दी से मेरी टाँगों के बीच आजा और मेरी चूत की ख़ुशबू लेकर देख!
राहुल उसकी टाँगों के बीच चला गया और उसने धीरे-2 अपना चेहरा उसकी चूत की पास किया और फिर एक गहरी साँस ली ताकि वो ख़ुशबू को सूंघ सके। चूत की खट्टी-2 ख़ुशबू उसे अच्छी भी लगी और अजीब भी!
राहुल, अब अपनी जीभ से इसे धीरे-2 चाट… जैसे तू कुल्फी को चाटता है.’ शेफाली ने उसे थोड़ी सख्त आवाज़ में हुक्म देते हुए कहा ताकि राहुल इन्कार न कर सके।
राहुल ने उसकी बात सुनते ही अपनी जीभ निकाल ली और शेफाली की चूत को चाटने लगा जैसे वो अपने खाने की प्लेट को चाटता था, जब कभी उसे अच्छा खाना मिलता था।
‘आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह… ओह राहुल ऐसे ही हाँ… माँ… आह रुक मत बस चाटता रह आह…’ शेफाली आनन्द से सराबोर लम्बी-2 आहें लेते हुए कहती जा रही थी।

‘दीदी आप ठीक तो हो ना?’ राहुल ने पूछा.
‘हाँ मेरे चोदू… मैं ठीक हूँ, तू रुक मत, चाट मेरी मुनिया… मन लगा के चाट… अच्छे से चाटेगा तो मैं तुझे बड़ी सी चॉकलेट दूँगी!’

चॉकलेट की बात सुनते ही राहुल जोश से भर गया और शेफाली को खुश करने के लिए पूरी रफ़्तार से चाटने लगा। चूत से निकलता पानी उसकी जीभ से उसके मुँह में जा रहा था इस अजीब से द्रव का स्वाद राहुल को और भी उत्तेज़ित करता जा रहा था… उसने शेफाली की मुलायम सुडौल टांगों को कस के पकड़ लिया और पूरी रफ़्तार से बुर को चाटने लगा।

शेफाली अब अपने चर्म पर पहुँचती जा रही थी और अह… अह… के सिवा उसके मुँह से कुछ नहीं निकल रहा था. उसका बदन कांपने लगा था, उसने राहुल के मुँह को पकड़ के ज़ोर से अपनी चूत पर लगा दिया और उसके मुँह में ही झड़ गई।
उसकी चूत से निकला रस इतना ज्यादा था कि न चाहते हुए भी राहुल उसका काफी रस निगल गया।

शेफाली निढाल होकर बिस्तर पर लेट गई। वो राहुल तने हुए तम्बूरे को देख रही थी जो किसी नागराज की तरह राहुल की टाँगों के बीच झूल रहा था। उसने सोचा तो था कि पहले वो राहुल को चुदाई लायक बनाएगी, उसे सिखाएगी की चुदाई कैसे होती होती है पर अब उसके तने हुए लौड़े को देखकर उसने डायरेक्ट एक्शन करने की सोच ली।

शेफाली ने राहुल को बिस्तर पर लेटने को कहा और खुद खड़ी हो गई और टेबल पर रखी वैसलीन की डिब्बी में से उसने अच्छी खासी वैसलीन निकाली राहुल मूसल लंड पर मल दी ताकि मूसल उसकी चूत में आसानी से जा सके।
‘राहुल अब मैं अपनी चूत को ताकतवर बनाऊँगी, तुझे थोड़ा दर्द हो सकता है पर तू आवाज़ मत निकालना, ठीक है न?’
‘ठीक है!’ राहुल ने मासूमियत से कहा।

शेफाली ने राहुल के मूसल को नजर भर के देखा जो अब पहले से भी बड़ा और मोटा लग रहा था और फिर शेफाली अपनी टाँगें खोल कर खड़ी हो गई, अब उसकी चूत के बिल्कुल नीचे राहुल का मूसल लंड 90 डिग्री के कोण पर तना हुआ था।
वो धीरे धीरे नीचे हुई और अपनी चूत को राहुल के लंड के मोटे टोपे पर सेट कर लिया और फिर उस पर आहिस्ता-2 बैठती चली गई।

पर लंड कुछ ज्यादा ही बड़ा था, चूत में आसानी से घुसने का नाम ही नहीं ले रहा था। पर शेफाली इतने बड़े लौड़े को लेने का थ्रिल मिस नहीं करना चाहती थी इसिलए उसने अपना पूरा वजन डाल दिया और आखिर लंड उसके अंदर वैसे ही घुसने लगा जैसे केक के अंदर तेज़ धार चाकू घुसता है। दर्द से शेफाली बिलबिला उठी पर उसने खुद पर काबू रखा और वजन डालती गई. उसे लग रहा था जैसे कोई लोहे का खम्बा उसकी चूत में डाल दिया गया हो।
किसी तरह पूरा लंड लेने के बाद शेफाली ने उठक-बैठक निकालनी शुरू की जब भी वो ऊपर उठती तो उसे ऐसा लगता कि उसकी चूत ही उलट के बाहर आ जायेगी पर उसे एक अनोखे आनन्द की अनुभूति हो रही थी इसिलए वो बेसुध सी उठक बैठक करती जा रही थी और हर गुज़रते पल के साथ उसकी आहें तेज़ और तेज़ होती जा रही थी। उसे इस बात की भी होश नहीं थी कि बेचारे राहुल पर क्या गुज़र रही होगी… ‘आह… आह..’ करते हुए वो अपनी चुदाई खुद कर रही थी.

इधर राहुल को शेफाली का वजन भी महसूस हो रहा था और दर्द भी हो रहा था, उसे लग रहा था कि शेफाली दीदी आज उसका लंड तोड़ ही देंगी पर दीदी का मज़ा खराब नहीं करना चाहता था सो बिना कुछ बोले चुपचाप पड़ा रहा जैसे वो इंसान नहीं कोई सेक्स डॉल हो।
राहुल की उत्तेजना डर और दर्द बढ़ते जा रहे थे.

तभी अचानक उसे एक मर्द की आवाज़ सुनाई दी- राहुल… राहुल..’
राहुल ने हैरानी से इधर उधर देखा पर कमरे उसके और उसके लंड पर ऊपर नीचे होती शेफाली के अलावा कोई नहीं था।
आवाज़- मैं तुम्हारे मन की आवाज़ हूँ, मुझे सिर्फ तुम सुन सकते हो। और तुम्हें अगर कुछ भी पूछना हो तो मन में ही पूछना मैं समझ जाऊंगा।

राहुल मन में सोचता है- तुम मुझसे क्यों बात कर रहे हो? और तुम मेरे मन तो नहीं हो, फिर कौन हो तुम?
आवाज़- मैं तुम्हारा दोस्त हूँ और तुम्हें इस नीच इंसान से बचाने आया हूँ। ये नीच इंसान बस अपने मज़े के लिए तुम्हारा इस्तेमाल कर रही है कुछ ही समय बाद ये तुम्हें ऐसे ही छोड़ देगी तुम्हें कभी पूरा मजा नहीं आ पायेगा पर अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें ऐसी शक्तियां दे सकता हूँ जिससे तुम बेहद शक्तिशाली हो जाओगे और सभी तुम्हें प्रेम करने लगेंगे।

राहुल जो शेफाली को बेसुध सी अपने लंड पर ऊपर नीचे होते देख रहा था, उसे आवाज़ पर यकीन नहीं हुआ।
‘नहीं दीदी ऐसा कभी नहीं करेंगी…’ पर इससे पहले ही कि वो अपनी बात पूरी कर पाता उसे अपने लंड पर गीला-2 महसूस हुआ और शेफाली निढाल होके बिस्तर पर पसर गई. उसने राहुल की ओर देखा भी नहीं।
राहुल का मन था कि वो शेफाली की चूत से खेले… बेचारा उदास हो गया।

आवाज़- देखा राहुल, मैं सच बोल रहा था न? अब अगर तुम चाहो तो मैं सब ठीक कर सकता हूँ।
राहुल मन में- ठीक है।
आवाज़- हम्म ये हुई न बात… अब मैं तुम्हारे दिमाग को पूरा विकसित कर रहा हूँ, अब तुम्हें 10 मिनट बाद होश आएगा और तुम्हें मेरी याद नहीं रहेगी पर तुम बेहद शक्तिशाली हो चुके होगे।

इतना कह कर आवाज़ गायब हो गई और राहुल को नींद आ गई।

शेफाली बेहद थक चुकी थी वो नंगी ही राहुल के बगल में पड़ी रही। उसे लगा राहुल थक कर सो गया है उसने उसे कुछ आराम कर देने का फैसला किया और खुद भी वैसे पड़ी रही।

पर अचानक राहुल जाग गया, शेफाली को लगा जैसे राहुल के चेहरे के आव-भाव बदल गए हों।
राहुल- दीदी सो रही हैं?
शेफाली- नहीं, तो मैं तो बस तुम्हें सोते हुए देख रही थी.

राहुल- अच्छा तो चलो, फिर आपकी चूत को स्ट्रांग बनाते हैं।
शेफाली- अरे मेरे भोंदू, मैंने आज की एक्सरसाइज कर ली। अब कल करेंगे।
राहुल- नहीं दीदी, अभी मेरा तम्बूरा आपकी चूत को और मजबूत बनाएगा, वो अपनी दोस्त को इतना कमजोर नहीं देख सकता।
शेफाली- आज नहीं कल, कहा न, मैं थक गई हूं। अब तू घर जा… तेरी मम्मी तेरा इंतज़ार कर रही होगी।

राहुल- दीदी, ऐसी हलात में कैसे जाऊं? देखो तो मेरा लंड अभी भी तना हुआ है।
राहुल ने शेफाली को अपने लंड दिखाते हुए कहा और ये कह कर वो शेफाली की टाँगों के बीचों बीच आ गया, घुटनों के बल बैठ के उसने अपने लौड़ा शेफाली की चूत पर लगा दिया।


शेफाली ने धक्का देकर राहुल को हटाने की कोशिश की पर राहुल उसके ऊपर लेट गया और उसने शेफाली की बाजुओं को पकड़ लिया और शेफाली के होंठों पर अपने होंठ लगा दिए और उन्हें चूसने लगा।
शेफाली के नर्म मुलायम होंठों का स्पर्श उसे ऐसे लग रहा था जैसे स्ट्राबेरी आइस क्रीम खा रहा हो। शेफाली उसके नीचे मछली की तरह छटपटा रही थी पर वो कुछ नहीं कर पा रही थी. राहुल उससे कई गुना ताकतवर था, अब शिकारी खुद शिकार बन चुका था, शेफाली पूरी कोशिश कर चुकी थी पर वो उसे न हटा पाई, वो जान चुकी थी अब कोई फायदा नहीं है तो उसने विरोध करना बंद कर दिया।

शेफाली की छटपटाहट रुकते ही राहुल भी रुक गया, वो अपने घुटनों के बल बैठ गया और लौड़े को शेफाली की चूत पर मसलने लगा।
‘दीदी आपको क्या लगता है ये एक ही धक्के में पूरा घुस पायेगा?’ उसने लौड़े को शेफाली की चूत पर थपथपाते हुए कहा।
‘मुझे नहीं पता, राहुल क्या हो गया है तुझे?’

राहुल ने शेफाली के निप्पल को दो उंगलियों से पकड़ लिया और ज़ोर से दबा दिया… शेफाली की ज़ोर चीख निकल गई- उम्म्ह… अहह… हय… याह… राहुल मत करो, मुझे दर्द हो रहा है।
राहुल- तो बताओ कि एक ही धक्के में मेरा लंड आपकी चूत में घुस पायेगा या नहीं?
शेफाली- ये भी कोई पूछने
की बात है, ये कोई अंधा भी बता दे कि इतना बड़ा लौड़ा एक घस्से में पूरा अंदर नहीं जा सकता।
राहुल- आज आप देखो कि कैसे घुसता है यह एक ही झटके में!

राहुल ने शेफाली को उसकी कमर से पकड़ लिया और इतनी ताकत से झटका मारा कि पूरा बेड चरमरा गया और लंड सीधा जा के शेफाली की बच्चेदानी से टकरा गया।
‘आई माँ… मर गई… बहनचोद कोई ऐसे करता है क्या… साले हरामी निकाल बाहर…’ शेफाली दर्द से बिलबिलाती हुई चीखी।

पर राहुल ने तो जैसे उसकी बात सुनी ही न हो, उसने लंड को बाहर निकाला और एक और वैसा ही धक्का मारा… दो तीन झटकों में ही शेफाली की चूत ने रस छोड़ दिया।
राहुल ने शेफाली की चूत से रस से भीगा हुआ लंड बाहर निकाला और शेफाली को दिखाते हुए बोला- क्या दीदी इतने जल्दी? देखो बेचारा अभी भी कैसे तड़प रहा है.

शेफाली की चूत जल रही थी, बेचारी पहले ही हमले से सदमे थी पर राहुल के सांप की तरह फुंफकारते लंड को देखकर वो समझ गई कि जब तक वो इस नागराज को शांत नहीं कर देती, उसे शांति नहीं मिलेगी। उसे लगा कि ठीक है लड़के का स्टैमिना काफी अच्छा है पर कितनी देर टिकेगा चूस के अभी झाड़ती हूँ।

शेफाली डॉगी पोजीशन में आ गई और उसने राहुल के लंड को दोनों हाथों से पकड़ लिया और और कुतिया की तरह उसे चाटने लगी। लंड पर लगे अपनी चूत के रस ने उसे फिर से गर्म कर दिया। शेफाली थोड़ी आगे झुक आई और उसने टमाटर जैसे फूले हुए टोपे को मुँह ले लिया और उसे वैसे ही चूसने लगी जैसे वो बचपन में कुल्फी चूसती थी। वो लंड को गले तक ले जाती और फिर पीछे हो जाती फिर लंड को मुंह तक ले जाती फिर पीछे होती.

राहुल की भी सिसकारियाँ निकलने लगी… उसने शेफाली के सिर को पकड़ लिया और शेफाली के मुंह को चूत की तरह चोदने लगा… हर घस्से के बाद लंड और अंदर तक चला जाता!
शेफाली की तो सांस ही रुकने लगी, उसे लगा जैसे दम घुटने की वजह से वो मर ही जाएगी पर राहुल बिना तरस खाय उसके मुख का चोदन किये जा रहा था।
कोई 10 मिनट उसका मुख चोदन करने के बाद राहुल रुक गया।
राहुल- शेफाली, इससे कुछ नहीं होने वाला… मुझे तुम्हारी चूत ही चोदनी होगी। ऐसे तो मैं शाम तक भी न शांत हो पाऊंगा।
शेफाली- नहीं नहीं राहुल, प्लीज ऐसा मत करो, मेरी चूत दर्द कर रही है। तुम कल जितनी चाहो उतनी चुदाई कर लेना पर आज मुझे छोड़ दो।
राहुल- नहीं, मुझे आज ही करना होगा।

शेफाली ने सोचा अच्छा मौका है, भाग जाती हूँ… और वो बिस्तर से उतरने लगी पर राहुल ने बीच में ही पकड़ लिया शेफाली की टाँगें तो बेड पर थीं पर धड़ बिस्तर से नीचे लटक रहा था।
राहुल ने शेफाली को थोड़ा सा ऊपर खींच लिया ताकि वो गिरे न!
अब शेफाली का केवल मुंह और गर्दन नीचे लटक रहे थे। राहुल ने जानबूझ कर ऐसा किया था ताकि शेफाली ये ना देख पाए कि क्या होने जा रहा है।

राहुल ने शेफाली को उसके मम्मों से पकड़ लिया और लंड को उसकी की चूत पे सेट करके ज़ोरदार झटका मारा, थूक से भीगा हुआ लौड़ा जड़ तक अंदर समा गया।
आई… माँ… मर गई… आह… शेफाली चीख पड़ी।

राहुल बिना समय गवाएं फुल स्पीड पर घस्से मारने लगा, उसके बड़े-2 टट्टे शेफाली की गांड से टकरा के फच-फच का संगीत पैदा कर रहे थे।
शेफाली लगातार झड़ती जा रही थी… एक बार… दो बार… 6 बार… फिर शेफाली ने गिनना ही बंद कर दिया। उसे ऐसा लग था जैसे वो लगातार झड़ रही हो… चुदाई का इतना मज़ा उसे आज तक नहीं आया था।

राहुल उसे बुलेट ट्रेन की स्पीड से चोद रहा था। काफी देर की चुदाई के बाद राहुल अपने चर्म पर पहुंच गया वो शेफाली पर लेट गया, उसने घस्सों की स्पीड धीरे कर दी पर धक्कों को पहले से ज्यादा ताकत से मारने लगा, 5-6 ज़ोरदार धक्कों के बाद वो शेफाली की चूत में ही झड़ गया और थक के बिस्तर पर बेसुध सो गया।

लगभग 1 घंटे के बाद शेफाली ने उसे जगाया और कॉफी पीने को दी।
शेफाली- तुम तो छुपे रुस्तम निकले, छोटा दिमाग होने का नाटक करके काफी बड़ा हाथ मारा है।
राहुल- तुम जैसा भी समझो, पर सच तो यह है कि जब तुम मुझ पर चढ़ी हुई थी तब अचानक मेरे दिमाग की वायरिंग सही हो गई। इसके लिए मैं ज़िन्दगी भर तुम्हारा एहसानमंद रहूंगा। तुम बताओ कैसी हो? मजा आया?
शेफाली- तुम्हारा व्यवहार अचानक बदल जाने के कारण डर भी लगा और स्टार्टिंग में बेहद दर्द भी हुआ पर दूसरे राउंड ने सारी कसर पूरी कर दी।
राहुल- शेफाली, मेरी जान मुझे भी बड़ा मजा आया पर आगे हम और भी ज्यादा मजा करेंगे।
शेफाली- राहुल, प्लीज़ मुझे कभी मत छोड़ना, मैं तुम्हारी दीवानी हो चुकी हूँ।
राहुल- मेरी या मेरे इस लौड़े की?
उसने अपने सांप की तरह लटक रहे लौड़े की और इशारा करते हुए कहा।
शेफाली- दोनों की…

राहुल और शेफाली काफी देर बातें करते रहे।

राहुल जब उसके घर से निकला तो 7 बज चुके थे यानि वो पूरे दो घंटे लेट था। पर आज उसे कोई डर नहीं था वो जानता था कि क्या बोलना है और क्या करना है।

राहुल जैसे ही घर पहुंचने वाला था, उसे फिर वही आवाज़ सुनाई दी जो उसे शेफ़ाली को चोदते हुए सुनाई दी थी- राहुल तुम्हें घर जा कर फिर से वो पुराने वाला राहुल बन जाना है जिसका दिमाग अभी बच्चे जैसा है!
‘तुम फिर आ गए? तुम हो कौन और चाहते क्या हो?’ राहुल ने मन में सोचा.
‘राहुल मैं कौन हूँ… इस बात को भूल जाओ, मैं तुम्हें अपनी पहचान अभी नहीं बता सकता लेकिन मैं तुम्हारा दोस्त हूँ! मेरा विशवास करो!’
‘दोस्त हो तो सामने क्यों नहीं आते?’

‘नहीं आ सकता… पर तुम्हें कई शक्तियां, जो मैं तुम्हें दे चुका हूँ, उनके बारे में सुन लो!’
‘शक्तियां? क्या बकवास है… तुम सिर्फ मेरे दिमाग से खेल रहे हो!’
‘नहीं, मैं तुम्हारा दोस्त हूँ और शक्तियों की एक झलक देखने के लिए अपने मन में सोचो कि तुम गायब हो जाओ!’
‘कितना फेंकोगे यार…’ राहुल ने मन में गायब होने की बात सोची और दूसरे ही पल उसके हाथ गायब हो गए फिर… धड़ और फिर वो सारा गायब हो गया।

राहुल ने अपना सिर पकड़ लिया और वहीं सड़क के किनारे बैठ गया।
‘अब यकीन आया तुम्हें?’ कुछ देर बाद उसे वही आवाज़ फिर सुनाई दी।
‘यह कैसे मुमकिन हो सकता है?’ राहुल ने हैरानी भरे लहजे में पूछा।
‘यह मुमकिन है क्योंकि तुम खास हो… बेहद खास! तुम कोई आम इंसान नहीं हो! अब मेरी बात ध्यान से सुनो!’ आवाज़ कुछ देर के लिए चुप हुई.
राहुल, तुम सिर्फ गायब ही नहीं हो सकते, अब तुम जिस भी चीज़ के पीछे देखना चाहो देख सकते हो, तुम पहले से 500 गुना ज्यादा ताकतवर हो और अपने शरीर को या किसी भी अंग को कितना भी छोटा या बड़ा कर सकते हो… लोगों की बातें सुन सकते हो 200 मीटर के दायरे में!’राहुल अभी भी गायब ही था पर अब वो अपने बदन को महसूस कर सकता था। उसने मन में सोचा ‘दिखने लगूँ’ तो वो फिर से समान्य हो गया। पर वो खुश से ज्यादा हैरान था कि आखिर उसके साथ हो क्या रहा है।
‘राहुल पर मेरी बात याद रखना की इन शक्तियों के बारे में किसी को पता नहीं चलना चाहिए किसी को भी नहीं.. और तुम्हें पहले ही वाले राहुल की तरह अभिनय करना होगा! समझ गए ना?’
‘नहीं पता चलेगा!’ राहुल ने मन में सोचा।
 
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राहुल घर के गेट से अंदर जाने ही वाला था कि उसे वो आवाज़ फिर सुनाई दी- रुको, मैं तुम्हें तुम्हारी दो सबसे महत्वपूर्ण शक्तियों के बारे में बताना तो भूल ही गया… अब तुम्हारा दिमाग किसी भी इंसानी दिमाग से 50 गुना अधिक तेज़ी से काम करेगा और ज़रूरत पड़ने पर तुम 240 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भाग सकोगे… विदा राहुल… पर हम जल्दी ही मिलेंगे!’

राहुल को अभी तक यकीन नहीं हो पा रहा था कि जो बातें वो आवाज़ कह के गई है. वो सही हैं। वो असमंजस की हालत में घर में दाखिल हुआ उसके कमरे यानि सीढ़ियों के नीचे के तहखाने के आस पास कोई नहीं था, वो जल्दी से अंदर चला गया और दरवाजा बंद करके कुंडी लगा दी और अपने बिस्तर पर पसर गया।

उसने अपनी कैमिस्ट्री की किताब उठा ली और उसे पढ़ने लगा, पढ़ते हुए ही केमिस्ट्री के फॉर्मूले, रिएक्शन्स उसके दिमाग में ऐसे घुसने लगे कि जैसे वो कोई कहानी पढ़ रहा हो। उसने जल्दी से कपड़े उतारे और अपनी बाजू को आगे किया और लम्बा करने कि सोची तो उसकी बाजू इतनी लम्बी हो गई कि सामने वाली दीवार से जा टकराई।
राहुल समझ गया जो कुछ भी उस आवाज़ ने कहा था वो बिल्कुल सही था और अब वो पहले से राहुल बिल्कुल भी नहीं रह गया था।

राहुल ने टाइम देखा तो 8 बज चुके थे ‘अब कोई बड़ा बहाना बनाना होगा.’ उसने मन में सोचा पर ‘पहले यह देख लेता हूँ कि माँ क्या कर रहीं हैं।’

रमा बाथरूम में थी… बहुत सारे कपड़े उसके आसपास बिखरे पड़े थे पर वो एक कोने के साथ सट कर बैठी हुई थी और टाँगे खोल कर और राहुल का नाम ले ले कर उंगली कर रही थी, उसके मोटे-2 स्तनों पर पानी की बूंदें गिरी हुई थी, उसकी आंखें बंद थी और वो लगातार उंगली करती जा रही थी.

राहुल यह नजारा देखकर गर्म हो गया और उसका घोड़े का सा लंड फिर सलामी देने लगा।
‘लो बन गया काम… आज तो एक तीर से दो निशाने लगाऊंगा’ उसने खुद से कहा।
उसने जल्दी से कपड़े पहने और कपड़ों को जगह जगह से फाड़ दिया ताकि लगे कि उसे किसी ने मारा है। फिर एक कील उठा कर जल्दी से उसने अपनी टांग के बिल्कुल ऊपरी हिस्से पर कुछ खरोंचें बना दीं और रोने का नाटक करते हुए बाथरूम की तरफ चल पड़ा।

‘माँ… माँ…’ उसने बाथरूम का दरवजा खटखटाते हुए रोती सी आवाज में कहा।
‘बेटा मैं नहा रही हूँ!’ रमा की अंदर से आवाज आई।
‘माँ… माँ… मुझे आज लड़कों ने बहुत मारा!’ राहुल ने चाल चली।

रमा ने जब यह सुना कि राहुल को लड़कों ने मारा है तो उसने झट से दरवाजा खोल दिया और राहुल को अंदर आने के लिए कहा।
राहुल भी बिना समय गंवाए अंदर घुस गया। रमा उसके बिल्कुल पास खड़ी थी, एकदम नंगी… 30 के पार की उम्र के बावजूद वो बेहद सुन्दर थी। गोरा रंग, श्वेता तिवारी जैसा फेस कट और सुडौल अंडाकार मम्मे!

‘हाय राम यह क्या हालत कर दी है तेरी उन्होंने… मेरे बच्चे को कहीं चोट तो नहीं लगी?’ रमा राहुल के फटे कपड़ों को देखकर बोली।
‘माँ… माँ… मुझे न…मुझे… न… कुछ लड़कों ने मारा और मेरी टाँग पे कील मारी बहुत दुख रहा है.’ राहुल ने नाटक को जारी रखते हुए कहा।
‘हाय राम…’ रमा ने राहुल बाहों में भररमा की बड़ी-2 तनी हुई चुची राहुल की छाती में धंस गई… राहुल ने भी रमा को जफ्फी डाल दी और उसकी नंगी पीठ को धीरे-2 सहलाने लगा।

‘कहाँ लगी है चोट?’ रमा ने फिर पूछा.
‘टाँग पे…’ राहुल ने जवाब दिया.
‘दिखा तो?’


राहुल ने झट से कपड़े खोल दिये और रमा को अपने कच्छे के थोड़ा नीचे खरोंचे दिखाने लगा।
रमा ने उन पर सेवलोन लगा दिया पर फिर उसकी नज़र तंबू बने हुए राहुल के कच्छे पर गई और सोचने लगी ‘हाय राम क्या लौड़ा है इस लड़के का… अभी इसी के नाम की मुठ मार रही थी और अब ये मेरे सामने है.’
‘माँ क्या सोच रही हो?’
‘कुछ नहीं… और कहीं तो चोट नहीं लगी? ज़रा अपना कच्छा तो उतार के दिखा?’

रमा के कहने की देर थी और राहुल ने झट से कच्छा नीचे कर दिया। रमा उसके 12 इंच के सांड जैसे लौड़े को देख कर हैरान रह गई।
‘कितना बड़ा है!’ रमा के मुंह से अचानक ही निकल गया।
‘क्या कितना बड़ा है माँ?’ राहुल ने भोलेपन का नाटक करते हुए कहा।
‘बड़ा नहीं राहुल, मैंने कहा कितना सूज गया है.’ रमा ने बात संभालते हुए कहा।

‘माँ मेरा नुन्नू न दुख रहा है, लड़कों ने मुझे यहाँ पर भी मारा था ‘ राहुल ने रमा को खुलने का मौका देने के लिए कहा।
‘अच्छा …ला मालिश कर दूं ‘ रमा घुटनों के बल बैठ गई और उसने राहुल का लंड मुँह में ले लिया और आगे-2 पीछे हो होकर चूसने लगी।
‘हाँ हाँ माँ ऐसे ही… दर्द कम हो रहा है… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह…’ राहुल मज़े के आसमान में उड़ते हुए कहते जा रहा था। शेफाली चाहे जवान थी पर वो लंड को इतने अच्छे से चूस नहीं पा रही थी, वहीं रमा बिल्कुल किसी रंडी की तरह राहुल का मोटा लंड चूस रही थी।

रमा ने अपने एक हाथ से राहुल के लंड को पकड़ रखा था तो दूसरे से अपनी चूत को रगड़ती जा रही थी।
रमा ज्यादा देर तक खुद को रोक नहीं सकी और आहें भरने लगी आह… आह… आह और जब और रुकना उसके लिए नामुमकिन हो गया तो उसने सारे नल खोल दिये और दो टूटियों को पकड़ के झुककर खड़ी हो गई।

उसकी मांसल मोटी गांड राहुल के सामने थी पर नादानी का अभिनय करते हुए खड़ा रहा।
‘राहुल देख क्या रहा है डाल दे मेरी चूत में अपना लौड़ा!’ रमा बोल उठी… उसके लिए एक-2 सेकंड घंटों की तरह बीत रहा था।
‘क्या किसमें डाल दूँ?’
‘अरे मेरे भोंदू राजा, अपने इस नुन्नू को नीचे वाले छेद में डाल दे!’ रमा ने अपनी उंगली को अपनी चूत में डाल के दिखाते हुए कहा। माँ अपने बेटे को माँ की चुदाई करने को कहा रही थी.

राहुल को हरी झंडी मिल चुकी थी, उसने आव देखा न ताव झट से रमा को कमर से कस पकड़ लिया और उसकी चूत पर अपना लंड सेट करके ज़ोर से घस्सा दे मारा।

आई माँ… क्या मस्त लौड़ा है चूत एक ही झटके में भर गई है’ रमा चिल्लाई।
पर इससे पहले वो खुद को तैयार करती, दूसरा झटका पड़ गया… फिर तीसरा… चौथा… पाँचवा…’ कमीने मादरचोद धीरे डाल…’ रमा ने दर्द से तड़पते हुए गाली दी। लंड उसकी बच्चेदानी से बुरी तरह टकरा रहा था जिससे उसे और ज्यादा दर्द हो रहा था पर मजा भी पूरा आ रहा था।

बिना कुछ कहे-सुने राहुल ने धक्कों की ट्रेन शुरू कर दी… वो लंड पर चूत का कसाव साफ महसूस कर सकता था, उसे लंड अंदर बाहर करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी पर वो पूरी रफ्तार से माँ की चुदाई किए जा रहा था।
इतने भयंकर वारों के आगे माँ की चूत ने जल्दी ही पानी छोड़ दिया… चूत के पानी ने तेल का काम किया और चूत का कसाव भी कम हो गया… राहुल ने धक्कों की रफ्तार और बढ़ा दी, वो आंखें बंद किये बस धक्के दिए जा रहा था.
और रमा उसका जोश बढ़ा रही थी- हाँ ऐसे ही आ… आ… आह… उम्म… चोद… और तेज़ चोद… फाड़ के प्यास बुझा दे अपनी माँ की चूत की आह… कितने.. दिनों बाद आज सकून मिला है … आह आह… तेरा बाप तो नपुंसक है, उससे तेरी माँ की चुदाई होती ही नहीं… आह आह…’

राहुल चोदते हुए रमा के गांड के छोटे से हल्के भूरे रंग के छेद को घूर रहा था, वो कुछ नया करना चाहता था पर डर रहा था कि रमा चिल्ला देगी और घर वाले सुन लेगें।

पर तभी उसके दिमाग में एक स्कीम आई, उसने झट से लंड बाहर निकाला और अपने लंड का आकार छोटा करके उसे रमा की चूत पर रगड़ने लग पड़ा।
‘क्या हुआ राहुल क्यों निकाल लिया?’
‘खुद बाहर आ गया माँ!’

रमा ने अपना हाथ पीछे करके राहुल के लंड को टटोला वो सच में सिकुड़ चुका था… 12 इंच का अजगर अब 5 इंच की छिपकली बन चुका था… रमा को लगा लड़के की पहली बार है तो ऐसा हो जाता होगा कि मर्द बिना झड़े ही ठंडे हो जाते हैं।
‘आह… आह… राहुल नहीं रुका जाएगा मुझसे ऐसे ही दोबारा डाल दे!’ रमा तड़पती हुई बोली।

राहुल मौका ताड़ गया उसने रमा की गांड का निशाना लगाके एक कस के झटका मारा… उसका लंड क्योंकि इस समय काफी छोटा था, पूरा का पूरा रमा की गांड में समा गया।
‘मा चोद यह कहाँ डाल दिया… आह… मर गई!’
पर इससे पहले की रमा को कुछ समझ आता राहुल ने उसकी गांड में अपने लौड़े को फिर नार्मल साइज का कर लिया और दे दनादन झटकों की रेल चलानी शुरू कर दी।
रमा की गांड बेहद सिकुड़ी हुई थी एक बार तो उसे लगा कि लंड दवाब से फट जाएगा पर कुछ झटकों में ही लंड ने अपनी जगह बना ली।

रमा को अजीब तो लगा कि लंड गांड में फिर कैसे बड़ा हो गया पर क्योंकि अब उसे दोहरा मजा मिल रहा था तो वो फालतू की बातें भूल गई.. राहुल का मूसल लंड उसका गुदा चोदन कर रहा था तो राहुल के बड़े-2 अंडे उसकी चूत के दाने से टकरा टकरा के उसे बार-2 झड़ने को मजबूर कर रहे थे।

उस रात वो राहुल के झड़ने से पहले न जाने कितनी बार झड़ी। राहुल भी रमा की कसी हुई गांड में ज्यादा देर न टिक पाया और जल्दी ही उसका भी समय आ गया और वो एक ज़ोरदार झटके के साथ रमा की गांड में ही झड़ गया।
चुदाई खत्म होने के बाद दोनों नहाए, रमा ने राहुल को नए कपड़े पहने को दिए और बाथरूम से बाहर भेज दिया।

राहुल बाथरूम से जैसे ही बाहर आया तो बाहर खड़ी तनु से टकरा गया।



तनु अभी-2 नहाई थी पर जब उसने बालों पर लगाने के लिए कन्डिशनर की शीशी उठाई तो वो खत्म थी और कन्डिशनर तो भीगे हुए बालों पर ही लगाया जाता है इसलिए उसने जल्दी से टॉप और कैपरी पहनी और माँ के बाथरूम की तरफ भागी, उसे इतनी जल्दी थी कि वो ब्रा पहनना भी भूल गई।

वो भागते हुए माँ के बाथरूम की तरफ आई और रास्ते में ज़ोर से राहुल से टकरा गई, उसके स्तन जो राहुल की चौड़ी छाती से बेहद ज़ोर से टकराए थे, दुखने लगे।
‘उई माँ… तुम देखकर नहीं चल सकते क्या?’ वो किसी जंगली बिल्ली के जैसे राहुल पर झपट पड़ी और उसकी छाती पर अपने नर्म नर्म हाथों से घूंसे बरसाने लग पड़ी।

राहुल उसे रोज़ देखता था पर किसी बच्चे की तरह… लेकिन आज वो उसे एक मर्द की आंखों से देख रहा था… बेदाग, अनछुई चाँद सा गोरा रंग गोल चेहरा.. काली-काली रात सी आंखें… अगर उसके होंठ प्रियंका चोपड़ा की तरह न होते तो उसमें और आयशा टाकिया में फर्क करना नामुमकिन हो जाता।
भीगी हुई टॉप में उसके स्तन साफ नजर आ रहे थे.
‘कितने बड़े हैं… और देखो तो गोल तो ऐसे हैं जैसे भगवान ने इन्हें परकार से नाप लेकर बनाया हो!’ वो खुद से बड़बड़ाया.
‘घूर क्या रहे हो? हटो रास्ते से… मुझे माँ से कन्डिशनर लेना है!’ तनु ने उसे हिलाते हुए कहा।

‘सॉरी, मेरा ध्यान कहीं और था!’ राहुल ने रास्ते से हटते हुए कहा।
उसके अंदर का वासना से भरा हुआ मर्द अपने सामने एक रूपवती कन्या को देखकर जाग गया था… उसका लंड फिर से कड़क हो गया था.
पर न जाने क्यों एक डर उसके मन में आया ‘नहीं… तनु के साथ नहीं… मैं उसके साथ… नहीं… वो तो मेरी…’ पर वो अपने मन में भी वाक्य को पूरा न कर सका उसका सिर भन्ना उठा, उसने अपने हाथ झटके और अपने ठिकाने यानी सीढियों के नीच बिछे उसके बिस्तर की ओर चल पड़ा।

आते ही वो बिस्तर में धप से गिर गया उसके दिमाग में बार-2 तनु की सेक्सी तस्वीर घूम रही थी, उसका जी चाह रहा था कि अभी जाऊं और तनु को बाहों में भर लूँ लेकिन कोई डर उसे रोक रहा था ‘यह कभी नहीं हो सकता… उस जैसी लड़की कभी मुझ जैसे से प्यार नहीं करेगी… कुछ भी तो नहीं है मेरे पास!’ वो सोच रहा था। वो खुद को बेहद अकेला महसूस कर रहा था, उसे इस समय किसी के प्यार की ज़रूरत किसी औरत के प्यार की!
शेफ़ाली… भी घर में अकेली है उसके पास जाता हूँ… नहीं, वो तो एक नंबर की रंडी है, अब फिर चूत मारने को बोलेगी!’
उसकी सोच एक जगह ठहर ही नहीं पा रही थी, वो ऐसे ही काफी देर अपने विचारों में उलझा रहा फिर अचानक ही उसके विचार दोबारा तनु पर चले गए और तनु को देखने की चाहत उसमें प्रबल हो उठी।
उसने अपने दिमाग पर ज़ोर डाला और अगले ही पल वो तनु को देख पा रहा था: वो अपने कमरे थी… गरिमा उसके पास ही बैठी थी, दोनों बहनों में से कौन ज्यादा सुंदर है कहना मुश्किल था। पर अजीब बात थी, राहुल ने जब गरिमा को देखा वो तनु के गले में हाथ डाले बैठी थी और उसका वक्ष ज़ोर-2 से ऊपर नीचे हो रहा था पर फिर भी राहुल के मन में उसे लेकर कोई वासना उत्पन्न नहीं हुई, सिर्फ प्यार उमड़ा… वो भी भाई वाला…


पर तनु के लिये उसकी भावना उलझी हुई थी वो उसे छूना भी चाहता था और पाना भी… पर साथ ही साथ तनु को देखते ही उसके मन होता कि वो उसकी गोद में सिर रख के सोती रहे और वो उसे निहारता रहे जैसे चकोर चाँद को निहारता है।

गरिमा- तनु, मैं तुझे कह रही हूँ न कि वो लड़का तेरे लिए ठीक नहीं है।
तनु- तुम उसे जानती ही कितना हो? जो उसे बुरा कह रही हो।
गरिमा- रोज़ तो पढ़ाने आता है… वो तुम्हें सारा वक़्त वासना भरी नजरों से देखता रहता है। वो तुम्हें प्यार नहीं करता, बस तुम्हारे इस बदन को पाना चाहता है।
तनु- तुम गलत हो, मुझसे बात मत करो!

गरिमा तनु के गाल पर एक किस करती है और उसके चहरे को दोनों हाथों से पकड़ते हुए कहती है- सॉरी तनु अगर तुम्हें बुरा लगा हो… पर मैं सच कहती हूँ, मैंने उसे कई लड़कियों के साथ देखा है।
तनु- मुझे पता है, यह बात तुम मुझे कई बार बता चुकी हो और मैंने भी तो तुम्हें बताया था कि वो लड़कियाँ उसकी दोस्त हैं बस!
गरिमा- मैं बस यह चाहती हूँ कि तुम सुरक्षित रहो… मैं तुम्हें प्यार करती हूँ तनु!
तनु- मैं भी!
दोनों बहनें एक दूसरे से लिपट गई।

राहुल का दिल और टूट गया ‘यह तो पहले ही किसी और को प्यार करती है…’ उसने खुद से कहा।
वो पहले ही बेहद उदास था, अब उसे लगने लगा कि सब कुछ उसके लिए खत्म हो चुका है। वो एक झटके से उठा और घर के बाहर निकल गया। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ और क्या नहीं।
वो अदृश्य हो गया और पूरी रफ्तार से भागने लग पड़ा, घर, दुकानें, पेड़ पौधे पीछे छूटने लगे। वो इतनी रफ्तार से भाग रहा था कि 30-40 मिनट में ही शहर के 3 चक्कर लगा चुका था।

आखिर वो एक पांच सितारा होटल के सामने रुक गया होटल की चकाचौंध ने उसे रुकने के लिए मजबूर कर दिया था।
उस होटल के सामने काफ़ी भीड़ थी, लोग बड़ी-2 गाड़ियों में वहाँ आ रहे थे और वो भी सजे-धजे, पुलिस की कई गाड़ियाँ भी वहाँ खड़ी थी।

राहुल को समझने में देर नहीं लगी कि कोई बड़ी हस्ती होटल में आई हुई जिसकी सुरक्षा के लिए ही इतनी गाड़ियाँ तैनात की गई हैं।
राहुल अभी सोच ही रहा था कि किससे पूछा जाए कि कौन आया हुआ है, और इसके लिए दृश्यमान किया.

तभी एक 18-20 साल का लड़का उसके पास आया और राहुल के कान के बिल्कुल पास फुसफुसाते हुए बोला- पास चाहिए क्या?
‘पास? वो क्यों?’
‘भाई आज सनी लियोनी को पास से देखना है तो पास तो तुझे लेना ही पड़ेगा… मैं 1000 वाला 2000 में दे रहा हूँ!’
‘अच्छा… मुझे पास नहीं चाहिए!’
‘भाई सिर्फ तेरे लिए 1500 में!’
‘यार नहीं चाहिए!’ राहुल ने उससे कहा क्योंकि उसके पास इतने पैसे थे ही नहीं पर वो सनी लियोनी को देखना भी चाहता था।
उसके दिमाग में एक प्लान आया और वो एक खाली जगह में जाकर फटाफट दोबारा अदृश्य हो गया और होटल में दाखिल हो गया।

आलीशान होटल था, रोशनी इतनी कि आँखें चोंधिया जाएं। सभी लोग जिस तरफ जा रहे थे, राहुल भी उसी तरफ चल पड़ा। एक बड़े से हॉल में खचाखच लोग भरे हुए थे और ऐसी जगह के लिए मारा मारी कर रहे थे जहाँ से वो स्टेज को बिल्कुल पास से देख सकें।

राहुल ने जल्दी ही एक ऐसी ही जगह खोज ली, वो एक सुरक्षा कर्मी के पास जाकर खड़ा हो गया और सनी लियोनी के आने का इंतज़ार करने लगा।
15-20 मिनट के बाद सनी लियोनी आई, उसने काले रंग की चमकदार शॉर्ट ड्रेस पहनी हुई थी। उसे वो बेहद सुंदर लगी।

खूबसूरत चेहरा और बेहद आकर्षक कामुकता भरे बदन ने उसको मोह लिया।
उसके उभरे हुए स्तन किसी बुलावे की तरह थे, मोटे-2 और सुडौल… उम्म्ह… अहह… हय… याह… जैसे कि कह रहे हों… आओ और चूम लो इन्हें!

राहुल मंत्रमुग्ध सा सनी को देखता रह गया, वो सुन नहीं रहा था बस देख रहा था, उसकी उभरी हुई गोलमटोल गांड तो चुम्बक की तरह राहुल को अपनी ओर खींच रही थी।
पर तभी एक आदमी ने सनी के पास आकर कुछ कहा और सनी को मोबाइल फोन दिया. सनी ने मोबाईल पर कुछ देखा और उसके चेहरे के हाव-भाव बदल गए जैसे कुछ बेहद बुरा उसने देख लिया हो।
वो माइक पर आई और ‘सॉरी फ्रेंड्स… डयू टू सम रीज़न, आई हैव टू लीव!’ बोल कर जाने लग पड़ी।

भीड़ में हलचल पैदा हो गई, सब उसको एक बार और देखना चाहते थे। इसी का फायदा उठा कर राहुल सन्नी लियोनी के सुरक्षा कर्मियों में मिल गया और उनके पीछे-2 चल पड़ा।
सनी को तीसरे माले पर ले जाया गया जो लगभग बिल्कुल खाली था। राहुल अभी भी उसके सुरक्षा कर्मियों के साथ ही था।

रूम नंबर 307 के आगे जाकर वो रुक गए।
‘मैम यू हैव टू वेट फ़ॉर सम टाइम ऐज़ वी हैव तो चेक द रूम फर्स्ट!’ एक सुरक्षा कर्मी बोला.
‘ओके, डू इट फ़ास्ट!’ सनी ने कहा।

सुरक्षा कर्मियों ने दरवाजा खोला और अंदर चले गए और क्योंकि राहुल अदृश्य था, वो भी उनके साथ अंदर चला गया।
यह रूम क्या था, पूरा एक घर था, वो भी आलीशान… एक बेहद बड़ी लॉबी के दो तरफ दो-2 कमरे थे।

सुरक्षा कर्मी जाँच करके बाहर चले गए पर राहुल अंदर ही रह गया था, उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था यह सोचकर कि वो और सनी अकेले होंगे।

सुरक्षाकर्मी कमरे की जाँच करके बाहर चले गए और राहुल अंदर रह गया, राहुल अदृश्य था, उसका दिल तेज़ तेज धड़क रहा था यह सोचकर कि वो और सनी अकेले रहेंगे.

सनी लियोनी ने दरवाजा इतनी जोर से बंद किया कि दरवाजा चरमरा उठा। उसने अंदर से दरवाजा बंद किया और बेड पर पसर गई।

कुछ देर के बाद वो उठी और एक अलमारी खोल के उसने शराब की एक बोतल निकाल ली और 3-4 बड़े बड़े पेग नीट ही पी गई, फिर उसने नशे में ही अपना फोन उठाया और किसी को कॉल लगाई- साले हरामी, फ़िल्म में लीड रोल देने की बात बोल के तू कई मुझे चोदता रहा और अब तूने रोल उस दो कौड़ी की हिरोइन को दे दिया? यह तूने ठीक नहीं किया, तेरी वजह से मैंने कई प्रोजेक्ट रिजेक्ट किये थे… करोड़ों का नुकसान हो गया है मुझे!

इतनी सी बात करके उसने फ़ोन ज़मीन पर पटक दिया और शराब की बोतल को उठा के उसने मुंह से लगा लिया और पूरी बोतल खाली कर दी।

राहुल जो अब तक यह सब होते हुए सांस रोके सुन रहा था, वो आगे बढ़ा और सनी को बेड पर गिरा दिया।
सनी लियोनी जो अब तक शराब के नशे में डूब चुकी थी कि कुछ भी समझ पाने या कर पाने में असमर्थ थी।

राहुल ने सनी लियोनी की ड्रेस एक झटके में उतार दी और उसके स्तनों पर भूखे भेड़िये की तरह टूट पड़ा।
‘साली हवा भी मुझे चोदना चाहती है.’ सनी नशे में बोली।


राहुल उसके एक स्तन को नींबू की तरह निचोड़ रहा था तो दूसरे को चूस रहा था- सनी, क्या मम्में हैं तेरे… कसम से चूस के मजा आ गया।
‘साली हवा बात भी करती है…’ सनी खुद से बोली क्योंकि एक तो वो नशे में चूर थी दूसरे राहुल को देख नहीं पा रही थी।

‘मैं हवा नहीं, एक भूत हूँ… बहुत दिनों से तुझे चोदना चाहता था पर आज मौका मिला है आज तो जम के चुदाई करूँगा तेरी!’ राहुल बोला।
‘किसका भूत हो तुम?’
‘एक मर्द का… जो तुम्हारी चूत का दीवाना है!’ राहुल ने सनी की पेंटी खोलते हुए कहा और उसकी शेव की हुई चूत को चाटने लगा.
‘आह… आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह गॉड आह… प्लीज़ ऐसा मत करो!’ सनी ने आधे मन से कहा क्योंकि मजा तो उसे भी आने ही लगा था।
राहुल ने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और जीभ से ही उसकी चुदाई करने लगा।
क्या चूत थी …गुदगुदी और रसीली।

‘आह… आह.. आह… प्लीज़’ सनी बड़बड़ा रही थी …अब उसके लिए और रुक पाना मुश्किल था वो अपनी चूत में लंड चाहती थी ‘आह आह… पुट इट… पुट युवर डिक इनसाइड एंड फ़क मी!’
राहुल सनी पर लेट गया और उसकी चूत पर लौड़ा सेट करके उसने एक दमदार झटका दिया, लंड सरसराता हुआ पूरा का पूरा सनी लियोनी की गीली चूत में समा गया।
‘आह… ओह मदर फकर इट्स सो बिग..’ सनी लियोनी चिल्लाई।

पर नशे ने उसकी खुमारी को बढ़ा दिया था वो भी गांड उठा उठा कर अपनी चुदाई करवाने लगी। राहुल भी यह देख कर पूरे जोश में आ गया और धक्के देना चालू कर दिए।
‘आह आह… फ़क मी हार्डर… आह… ओह गॉड इट्स अमेजिंग!’ सनी लगातार चिल्लाती जा रही थी।

राहुल ने कुछ मिनट वैसे ही चुदाई करने के बाद सनी की टाँगें ऊपर की ओर उठा ली और रुक रुक कर ज़ोरदार झटके देना शुरू कर दिए ‘उम्म.. आह… ओह यह… फ़क मी लाइक दिस… फाड़ दे चूत मेरी आह… ओह माँ मर गयी…’राहुल ने अब उसकी एक टांग छोड़ दी और एक हाथ सनी के मुँह में डाल दिया। सनी उसकी उंगलियों को चूसने लग पड़ी जैसे कि वो लंड हों। सनी को अपनी उंगलियों को चूसते देख राहुल ने लंड सनी की चूत से निकाल लिया और सनी के मुँह में घुसेड़ दिया और उसके मुँह को चूत जैसे ही चोदना स्टार्ट कर दिया।

बेचारी सनी उसके मोटे लंड को मुँह ले नहीं पा रही थी पर वो उसके मुँह को काफी देर चोदता रहा, सनी के गर्म और नर्म मुँह को काफी देर तक चोदने के बाद उसने सनी को घोड़ी बना लिया और पीछे से उसकी चूत की बेरहमी से चुदाई शुरू कर दी।

पूरा कमरा सनी की कामुक आवाज़ों और फच-2 के संगीत से सराबोर हो गया। लियोनी अपनी मोटी गांड पीछे कर करके अपनी चूत मरवा रही थी, राहुल उसके ऊपर सांड की तरह चढ़ा हुआ था, सनी को कमर से पकड़ के झटके दिए जा रहा था।
सनी और राहुल दोनों ही झड़ने वाले थे कि दरवाजा खटखटाने की आवाज़ हुई।

राहुल ने धक्के मरना बंद कर दिए।
सनी- क्या हुआ रुक क्यों गए?
राहुल- दरवाजे पर कोई है।
सनी- तू काम चालू रख… सिक्युरिटी वाले होंगे, मैं इन्हें जाने के लिए कहती हूँ।
राहुल ने धक्के देना फिर चालू कर दिया, सनी की चूत कसती जा रही थी पर वो धक्के पे धक्के दिए जा रहा था।
सनी ने एक लंबी आह भरी और उसकी चूत ने रस की बौछार कर दी, उसका खुद का बदन भी कुछ अकड़ा और एक ज़ोरदार झटके के साथ वो झड़ गया।
सनी- कौन है?
बाहर से- सिक्युरिटी मैम!
सनी- सब ठीक है, डोंट डिस्टर्ब मी।
बाहर से- यस मैम।

राहुल हैरान रह गया वो तो सोच रहा था कि सनी नशे में है पर सनी तो बिल्कुल होश में थी।
राहुल- सनी, तुम तो नशे में थी न?
सनी- थी… पर भूत ने की मेरी चूत की चुदाई तो सारा नशा गायब हो गया।
राहुल- बड़ी पहुंची हुई चीज हो तुम तो।
सनी- हूँ तो? अब ज्यादा बातें मत बनाओ और चुदाई शुरू करो।

राहुल- एक भूत से चुदवाते हुए तुम्हें डर नहीं लग रहा?
सनी- चूत की भूख सबसे बड़ी जरूरत है इसके आगे कोई डर डर नहीं रह पाता। अच्छा एक बात बताओ क्या मैं तुम्हें देख सकती हूँ?
राहुल- देख कर क्या करोगी? चूत ही तो मरवानी है तुम्हें… ऐसे ही मरवा लो।
सनी- जब से अमेरिका से आई हूँ, पहली बार कोई जानदार लंड चूत में गया है इसिलए कह रही थी।

राहुल अचानक उसके सामने प्रकट हो गया।
अपने सामने एक 6 फुट के मर्द को देखकर सनी खुश हो गई पर जब सनी की नज़र राहुल के 12 इंची मूसल लंड की तरफ गई तो उसकी नज़रें वहीं जम गईं, इतना लम्बा और मोटा लंड उसने आज तक नहीं देखा था।

सनी ने राहुल को अपने पीछे आने का इशारा किया और बाथरूम की तरफ चल पड़ी, राहुल भी उसके पीछे हो लिया।

सनी ने राहुल को अपने पीछे आने का इशारा किया और बाथरूम की तरफ चल पड़ी, राहुल भी उसके पीछे-2 हो लिया। राहुल उसकी भरी-2 गोल गांड देख रहा था ‘साली पूरी चुदक्कड़ रंडी है इतना चुदने के बाद भी अभी इसे और चाहिए!’ उसने मन में सोचा और अपने लंड और टट्टों को और बड़ा कर लिया वो सनी को बुरी तरह चोदने का प्लान बना चुका था।

बाथरूम में सनी ने राहुल को एक कोने के साथ सट कर बैठने को कहा और उसे सनी राहुल के ऊपर आ गई और उसे चूमने चाटने लग पड़ी।
राहुल ने भी उसके मम्मों को पकड़ कर चूसना शुरु कर दिया। दोनों काम लीला में खो गए और भूखे जानवरों की तरह एक दूसरे पर टूट पड़े।

काफी चूमा चाटी के बाद सनी ज़मीन पर लेट गई उसने अपनी टाँगें ऊपर उठा लीं और अपनी गांड का छेद राहुल को दिखाते हुए बोली- आ जा मेरे भूत राजा और डाल दे अपना एनाकोंडा मेरी गांड में और बुझा दे मेरी गांड की आग!
राहुल ने सनी की टाँगें पकड़ के नीचे को दबा दीं जिससे टाँगें सनी के कंधों को छूने लगी और गांड ऊपर की ओर उठ गई।
‘डाल दूँ?’
‘हाँ डाल दे… बहुत दिन हो गए, अच्छे से गांड चुदाई नहीं हुई मेरी!’
राहुल उसके ऊपर चढ़ गया और लंड को गांड पे सेट करके अपना वजन डालना शुरू किया। एकदम कसी हुई गांड थी, लंड अंदर जाने से मना कर रहा था।
राहुल ने अपना पूरा वजन डाल दिया उसका 2 किलो की लौकी जितना बड़ा लंड आखिर अंदर घुस ही गया।
‘आह… ओ.. मदर फकर… मर गई मैं… कितना चला गया?’ सनी बिलबिला उठी।
‘मेरी जान, अभी तो बस टोपा ही गया… पर मुझे पक्का विश्वास है तू पूरा का पूरा ले लेगी!’ राहुल ने एक झटका मारते हुए कहा।
‘साले बहनचोद… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आराम से कर!’
‘साली कुतिया, एक तो खुद चोदने को कहती है और अब नाटक करती है!’ राहुल ने लंड को हल्का सा पीछे खींच कर एक और घस्सा लगाया. इस बार काम बन गया, लंड सरसराता हुआ आधा अंदर घुस गया।

सनी की साँसें चढ़ गईं, आँखें बाहर की और आ गईं… पर राहुल आधे लंड से ही चुदाई शुरू कर दी… हर धक्का सनी पर कहर की तरह टूट रहा था पर वो शुरुआती दर्द को सह गई।
राहुल उस पर पूरी तरह चढ़ गया, उसने सनी के होंठों को मुँह में लिया और चूसते हुए सनी की गांड ठुकाई करने लगा। गांड एकदम आग सी गर्म थी राहुल को जल्दी ही महसूस हो गया कि वो झड़ जाएगा, उसने लंड गांड से निकाल के सनी की चूत में पेल दिया और सनी को हल्के-2 थप्पड़ मारते हुए चोदने लगा।

सनी लगातार झड़ती जा रही थी उसकी हालत सांड के आगे आई बछड़ी सी थी… मजा भी आ रहा था और वो कुछ कर भी नहीं सकती थी।

राहुल चुदाई के नशे में कब झड़ गया उसे खुद नहीं पता चला। उसे पता तब लगा जब लंड सिकुड़ने के कारण ख़ुद चूत से बाहर आ गया।
राहुल ने सनी को देखा बेचारी बेहोश थी और उसके मुँह और मम्मों पर मार के निशान थे। राहुल सनी हालत देख कर हैरान रह गया ‘उफ्फ बेचारी…’ उसने मन में सोचा और जल्दी से कपड़े पहन कर गायब हो गया और कमरे से बाहर आ गया।
 
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वो विश्वास नहीं कर पा रहा था कि उसने आज सनी लियोनी को चोदा है। उसे बेहद अच्छा लग रहा था। वो मस्ती में होटल में इधर उधर घूमने लगा। उसका तो मन कर रहा था वो यहीं रह जाय उम्र भर…
पर घर जाना भी ज़रूरी था, वो होटल के गेट से बाहर निकलने ही वाला था कि उसे अपना नाम सुनाई दिया।
‘यह राहुल भी न इतनी रात को न जाने कहाँ चला गया?’ उसे एक जानी पहचानी लड़की की आवाज़ सुनाई दी।
‘तुम टेंशन मत लो, वो खुद को सम्भाल सकता है’

राहुल ने पीछे देखा तो एक लड़का-लड़की आपस में बात कर रहे थे। उनकी पीठ उसकी तरफ थी वो झट से उनके सामने पहुंचा तो लड़की की शक्ल देखकर एक पल के लिए तो वो चक्कर ही खा गया।
‘गरिमा? और यहाँ इस वक़्त?’ उसने खुद से सवाल किया। पर उसकी आँखें इतना बड़ा धोखा नहीं खा सकती थीं।

गरिमा ने फूलों के प्रिंट वाली स्लीव लेस फ्रॉक-ड्रेस पहन रखी थी जो उसके घुटनों तक आ रही थी, वो बेहद सुंदर लग रही थी। लंबे-2 काले बाल उसके गोरे चेहरे को और भी आकर्षक बना रहे थे। श्रद्धा कपूर जैसे नैन-नक्श और फेस कट देखकर कोई भी उसे श्रद्धा की जुड़वां बहन समझ सकता था। बस वक्ष कुछ अधिक ही भरा हुआ था राहुल ने अंदाज़ा लगाया 34B या 34c तो कम से कम होगा ही!

लड़के की मजबूत बाजू गरिमा की पतली कमर के चारों और सांप की तरह लिपटी हुई थी। लड़का भी काफी हैंडसम था, 6 फुट से ज्यादा लंम्बा और बॉडी बिल्डरों जैसी बॉडी वाला, हालांकि उसका रंग बेहद काला था पर काला रंग उसे और आकर्षक बना रहा था।

राहुल चुपके से उनके पीछे-2 चल पड़ा और उनकी बातें सुनने लगा।
गरिमा- कर्ण, मुझे टेंशन हो रही है।
‘तो इसका नाम कर्ण है.’ राहुल ने खुद से कहा और उनके पीछे-2 चलता रहा।

कर्ण- गरिमा, मैं तुम्हें यकीन दिलाता हूं कि राहुल को कुछ नहीं होगा।
गरिमा- तुम नहीं समझोगे, वो पहली बार अकेला घर से बाहर है और अभी तो वो उनका आदी भी नहीं हो पाया।
कर्ण- गरिमा मैंने उससे बात भी की है और उसके दिमाग को पढ़ा भी है मेरा यकीन मानो वो बेहद ताकतवर है वो और चालाक भी।

तो यह था जो मुझसे बात कर रहा था। राहुल का मन हुआ कि वो अभी जाए और कर्ण को गले लगा ले पर वो जाते-2 रुक गया। वो अपने बारे में और उन दोनों के बारे में और जानना चाहता था।
गरिमा- तुम्हें लगता है कि राहुल ही वो लड़का है जिसे हम ढूंढ रहे थे?
कर्ण- हाँ बिल्कुल, उसकी डीएनए रिपोर्ट भी यही कहती है।

राहुल उन दोनों के पीछे-2 लिफ्ट में घुस गया। लिफ्ट एकदम खाली थी। कर्ण ने गरिमा को बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगा पर गरिमा ने उसे पीछे धकेल दिया।
कर्ण- क्या गरिमा इतने दिनों बाद तो आई हो, आज तो चूम लेने दो।
गरिमा- नहीं।
कर्ण- क्यों?
गरिमा- तुम जानते हो।
कर्ण- गरिमा, समझने की कोशिश करो, उसमें बेहद खतरा है। मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।

गरिमा- मैं भी तो तुम जैसी ही हूं? तुम्हारी माँ को कुछ नहीं हुआ बल्कि किसी को कुछ नहीं हुआ फिर मेरे साथ ही ये नाइंसाफी क्यों?
कर्ण- गरिमा तुम समझती क्यों नहीं? तुम हम जैसी तो हो पर आधी ही… आधा खून तो तुम्हारी इन्सान माँ का है।गरिमा- तुम्हें मुझ पर भरोसा करना चाहिए कर्ण, मुझे तो लगता है तुम मुझे उस काबिल ही नहीं समझते।

राहुल सांस रोके दोनों की अजीब बातें सुन रहा था उसने इतना अंदाज़ा लगा लिया कि गरिमा शायद रमा और किसी और की औलाद है जो इंसान नहीं था पर पूरी बात उसकी समझ में नहीं आ रही थी।
आखिर गरिमा इसे किस बात के लिए इतना मना रही है। एक बार तो उसे लगा कि वो सच में भूत प्रेत या शायद पिशाच हो फिल्मों की तरह… पर उसका मन जानता था कि बात कुछ अलग है और कर्ण की बात ने उसकी सारी दुविधा दूर कर दी।

कर्ण- गरिमा बच्चों सी बातें मत करो, पिछले 10000 सालों से हम पृथ्वी पर रह रहे हैं पर एक भी ऐसा उदहारण सामने नहीं आया जिसमें अगर एक मंगल वासी ने इंसान महिला से उस रूप में सेक्स किया हो और वो महिला मरी न हो। अब तुम ही कहो मैं कैसे तुम्हारी इच्छा पूरी करूँ।

लिफ्ट सातवीं मंज़िल पर रुक गई।

गरिमा की आँखें डबडबा रही थीं, उसने रुमाल से आँखें पौंछी और बिना कुछ बोले ही बाहर निकल गई।
फ्लोर के पहले ही रूम के सामने वो रुकी, कर्ण ने चाबी निकाल कर दरवाजा खोला और गरिमा के अंदर जाने का इंतज़ार करने लगा।

दरवाजा खुला देख राहुल उन दोनों से पहले ही रूम में घुस गया।

कर्ण ने गरिमा को अन्दर जाने के लिए कहा और खुद भी उसके पीछे-2 अंदर आ गया और दरवाजा बंद कर दिया।
गरिमा चुपचाप बैठी रही, कर्ण कुछ देर इधर उधर टहलता रहा फिर गरिमा के पास जाकर बैठ गया।

कर्ण- गरिमा, तुम यही चाहती हो तो ठीक है, पर तुम जानती हो तुम्हारी जान के अलावा भी खतरे हैं।
गरिमा- हाँ मैं जानती हूँ कि जब तुम उस रूप में मेरे साथ सेक्स कर रहे होंगे तो मेरा भी रूप बदल सकता है और शायद मैं अपनी यादाश्त खो बैठूं। पर कर्ण मैं तुम्हें पूरी तरह से पाने के लिए कुछ भी कर सकती हूँ।
कर्ण खड़ा हो गया उसने आंखें बंद कर लीं जैसे ध्यान लगा रहा हो कुछ ही देर में उसके बदन से अजीब सी रोशनी निकलनी शुरू हुई और अचानक ही रोशनी चमकी, गरिमा और राहुल दोनों की ही आँखें कुछ देर के लिए चुंधिया गईं, वो दोनों ही कुछ भी देख पाने में असमर्थ थे।

राहुल को जब दिखना शुरू हुआ तो कर्ण की जगह एक विशालकाय धूसर रंग का दानव खड़ा था। आठ से नौ फुट ऊंचा आम इंसान से कोई तिगुना चौड़ा बदन पर एक भी कपड़ा नहीं। उसका विशालकाय लंड जो करीब करीब डेढ़ फुट लम्बा और पेप्सी की एक लीटर वाली बोतल जितना मोटा था, 120 डिग्री के कोण पर सलामी दे रहा था।

राहुल ने गरिमा को देखा, वो बिल्कुल भी डर नहीं रही थी बल्कि उल्टे मंत्रमुग्द हो कर उस विशाल लंड को निहार रही थी।
‘क्या है यह?’ राहुल ने खुद से पूछा पर उसके पास कोई जवाब नहीं था.
आगे क्या होने वाला है, राहुल जानता था। वो एक कोने में बैठ गया और आगे की क्रिया के होने का इंतज़ार करने लगा।
 
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राहुल ने गरिमा को देखा वो बिल्कुल भी डर नहीं रही थी बल्कि उल्टे मंत्रमुग्द हो कर उस विशाल लन्ड को निहार रही थी । 'क्या है यह ?' राहुल ने खुद से पूछा पर उसके पास कोई जवाब नहीं था आगे क्या होने वाला है राहुल जनता था । वो एक कोने में बैठ गया और आगे की क्रिया के होने का इंतज़ार करने लगा ।

राहुल सोच रहा था कर्ण किसी भी पल गरिमा पर टूट पड़ेगा पर ऐसा नहीं हुआ ।कर्ण चुपचाप जाके एक सोफ़े पर बैठ गया उसका विशालकाय लौड़ा बेसबाल के बैट जैसा नज़र आ रहा था । गरिमा ने अपने कपड़े उतारे तो राहुल उसे देखता ही रह गया 34d-24-36 कातिल बदन ने राहुल को फिर से एक बार गरम कर दिया उसका लन्ड फिर एक बार तन गया । गरिमा के मोटे-2 स्तन पानी की बूंद के आकार के थे और गोरे-2 स्तनों पर गुलाबी चुचियाँ तो वैनिला आइस क्रीम पर स्ट्राबेरी जैसी लग रही थी । गरिमा आगे बढ़ी और कर्ण के पास जाके घुटनों के बल बैठ गयी । कर्ण इस समय इतना विशालकाय था कि गरिमा उसके सामने वैसी ही नज़र आ रही थी जैसे एक जवान मर्द के सामने कोई गुड़िया । गरिमा ने एक पल के लिये कर्ण की तरफ देखा और फिर उसकी टाँगों के बीच सेट होकर उसके मूसल लौड़े को पकड़ लिया गरिमा बमुश्किल ही लन्ड को दो हाथों से पकड़ पा रही थी उसने अपना खूबसूरत चेहरा आगे किया लन्ड को चाटना शुरू कर दिया ।
"आह आह.... ओह गरिमा प्लीज ऐसा मत करो ...मैं खुद को और रोक नहीं पाऊंगा " कर्ण आहें भरता हुआ बोला । राहुल साफ देख पा रहा था कि कर्ण ने खुद को बड़ी मुश्किल से रोका हुआ है और कभी भी उसका सब्र टूट जाएगा और वो गरिमा पर टूट पड़ेगा ।
"तो मत रोको न खुद को " गरिमा लन्ड को चाटते हुए बोली ।
उसके यह कहने की देर थी जैसे कर्ण ने खड़ा हुआ और अपने बड़े-2 हाथों से गरिमा को बालों से पकड़ लिया और इससे पहले की गरिमा कुछ हरकत कर पाती उसने अपना लन्ड गरिमा के मुँह में घुसेड़ दिया और गरिमा का श्रद्धा कपूर जैसा खूबसूरत और मासूमियत भरा चेहरा चोदना शुरू कर दिया ।
राहुल एक कोने में बैठा साफ देख सकता था कि मूसल लौड़ा गरिमा के गले से होता हुआ काफी नीचे तक जा रहा है क्योंकि जैसे ही लन्ड मुँह के गरिमा की गोरी और पतली गर्दन में लन्ड का आकार साफ-साफ उभर आता वो बेचारी केवल गूँ-2 की आवाज़ ही निकाल पा रही थी । इतना गर्म नज़ारा देख कर राहुल से रुका न गया और उसने अपना लन्ड निकाल के मुठ मारनी शुरू कर दी ।
लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद कर्ण ने लन्ड गरिमा के मुँह से निकाल लिया और अपना ढेर सारा वीर्य गरिमा के मुँह और बदन पर उडेल दिया । गरिमा के होंठ ,चेहरा , स्तन और सारा बदन सफेद चिपचिपे पदार्थ से लथपथ हो गया ।
"ओह गॉड कितने बेसबरे हो तुम कर्ण तुमने तो मुझे नेहला ही दिया है " गरिमा ने अपने होठों से वीर्य को साफ करते हुए कहा ।
" तुम यही तो चाहती थी न ..." कर्ण गरिमा से बोला और उसे टाँगों से पकड़ के उठा लिया । गरिमा हवा में लटक गई उसका का चेहरा कर्ण के लिंग से थोड़ा सा ऊपर हवा में झूल रहा था , कर्ण ने गरिमा की चूत को अपनी लम्बी जीभ से चाटना शुरू कर दिया ।
"आह... आह... ओह माँ इट्स तो गुड आह कर्ण आह" गरिमा सिसक उठी । गरिमा ने भी अपने पतले और गोरे हाथों से कर्ण के काले मोटे मूसल लौड़े को पकड़ लिया उसकी मुठ मारने लगी । कर्ण उसकी गुलाबी शेव की चूत को पूरी तलीनता से चाट रहा था और बीच -बीच में अपनी जीभ गरिमा की चूत में घुसा देता और जीभ से उसकी चुदाई करने लगता । गरिमा आहें और सिसकियाँ भरती हुई पूरी रफ्तार से मुठ मार रही थी । इस लग रहा था जैसे दोनों में मुकाबला चल रहा हो कौन दूसरे का पानी पहले निकालेगा और जीत हुई राहुल की । गरिमा का बदन जैसे ही अकड़ने लगा उसने अपनी जीभ गरिमा की चूत में अंदर तक घुसा दी और तेज़ी से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया ..."आह... माँ... कर्ण...आह......चोद आह... निकाल दे मेरी मुनिया का पानी...आह.." गरिथी...."ममम...गई... आह" ।गरिमा के बदन ने दो चार झटके खाये और कर्ण ने अपना मुँह उसकी चूत के साथ सटा दिया और सारा पानी निगल गया ।
 

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