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Incest शालिनी हमबिस्तर बहन

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नमस्कार,
आज लगभग दस महीने हुए हैं मेरे साथ मेरी छोटी बहन शालिनी को रहते हुए, हमारे लखनऊ के मकान में...
मैं पिछले चार साल से यहां रहता हूँ, बी.एस.सी करने के बाद मैं एक कम्पनी में मेडिकल रिप्रजेंटेटिव की जाब करने लगा हूं, हमारा गांव यहां से 100 किमी की दूरी पर है, घर पर मां सरोजिनी और बहन शालिनी रहतीं हैं। मां पिता जी की जगह अनुकम्पा जाब पर बैंक में सहायिका हैं, खेती बाड़ी भी पर्याप्त है। खैर मैं नौकरी के साथ साथ इग्नू से पढ़ाई भी कर रहा हूं, मैं दो वर्ष ब्वायज हास्टल में रहने के बाद दो कमरों वाला छोटा मकान एल डी ए की गोमतीनगर स्कीम में मिल गया किस्तों पर और पिछले दो साल से मैं अपने निजी मकान में रहने लगा।
शालिनी का इंटरमीडिएट का रिजल्ट आने पर मैंं घर आया तो मां ने बताया कि यह अब BSc लखनऊ से ही करना चाह रही है तो मैंने कहा अच्छी बात है फार्म तो पहले ही डाल रखें हैं, देखते हैं कि किसी अच्छे कालेज में एडमिशन मिल जाये । मां ने कहा कि इसे अपने साथ ही ले जाओ और इससे तुम्हारे खाने पीने की भी सहूलियत हो जायेगी, मैं तुम लोगों से मिलने महीने पन्द्रह दिन में आती रहूंगी ।

शालिनी ने बहुत मेहनत से पढाई की और 89% मार्क्स लायी थी, मैंने देखा कि वह बहुत खुश है और उसने लेक्चरर बनने की इच्छा जाहिर की।

मेरी उम्र इस समय 24साल और शालिनी की 19 साल है, हम लोगों का रहन सहन का स्तर गांव के अन्य परिवारों से थोड़ा बेहतर है, घर पर मां साड़ी पहनती हैं और शालिनी सलवार सूट या स्कर्ट् टाप । मैं पांच साल से लखनऊ रहता हूँ इसलिये शालिनी और मेरे बीच कभी कोई तू तू मैं मैं नहीं हुई। हर रोज हम लोगों की फोन पर बात होती थी, जब मैं घर रहता था तब शालिनी की उम्र 13 साल थी और वह युवावस्था की ओर बढ़ रही थी।घर पर खाना खाते हुये रात में, सरोजिनी - सागर बेटा, मैंने शालिनी की पैकिंग कर दी है, सुबह कितने बजे निकलना है।

सागर- मम्मी आज कल गर्मी बहुत हो रही है इसलिए सुबह 5 बजे वाली बस से निकलना ठीक रहेगा।


सरोजिनी- बेटा, जितने भी अच्छे कालेज हैं सभी में अप्लाई कर रखा है आनलाइन तूने पर देखना अगर अपने घर के पास ही एडमिशन मिल जाये तो बहुत ही अच्छा रहेगा।

(((शालिनी----
IMG-20201011-110825.jpg

शालिनी- दद्दा ,कालेज अच्छा हो चाहे पास हो या दूर
सागर- ठीक है इसी हफ्ते में सभी कालेजों की लिस्ट जारी होगी, देखते हैं ।



सरोजिनी- और हां सागर, शालिनी को पहले जाकर थोड़ी शापिंग करा देना, कुछ डेलीवियर और कालेज जाने के लिए...



शालिनी- मां ... वो दद्दा से वो भी...

सागर- क्या बात है बहन



सरोजिनी- अरे कुछ नहीं सागर , शालिनी काफी दिनों से जीन्स वगैरह पहनना चाह रही है, मैंने कहा था जब बाहर पढऩे जाओगी तब पहनना, इसे इसकी पसंद के ही कपड़े दिलाना..



सागर- ओ के , मम्मी कपडों के अलावा भी काफी चीजें लेनी पड़ेंगी, मेरा तो अकेले कैसे भी चल जाता था, बाथरूम भी ठीक कराना है और पीछे कमरे की साफ-सफाई भी, शालिनी पीछे वाले कमरे में रहेगी जिससे इसकी पढ़ाई में कोई दिक्कत न हो।



खाने के बाद मां ने कहा बच्चों जल्दी सो जाओ सुबह निकलना भी है, हम दोनों मां के ही बेड पर दायें बायें उनको लिपटकर सो गए ।

सुबह हम लोग जल्दी ही तैयार हो कर हाईवे पर आकर बस में बैठ गए, फैजाबाद शहर से भीड़ बढ़ती गई और आस-पास काफी लोग बस में खड़े खड़े सफर कर रहे थे। कुछ देर बाद मैंने देखा कि एक आदमी लगातार हमारी तरफ घूर रहा है, शालिनी विन्डो साइड बैठी बाहर देख रही थी, जब मैंने गौर से देखा तो शालिनी का दुपट्टा खिसकने की वजह से उसके सीने के उभार का काफी हिस्सा दिख रहा था, मेरी समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ? उस आदमी को टोकने से कोई फायदा नहीं था वह हटता तो दूसरा आ जाता।।

कुछ देर सोचने के बाद मैंने धीरे से शालिनी के कान में कहा- अपना दुपट्टा ठीक करो बेटा... (to be continued)...
 
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बस अपनी रफ्तार से चली जा रही थी, शालिनी ने अब अपना दुपट्टा ठीक कर लिया था और हम लोग थोड़ी बहुत बातें करते हुए लखनऊ आ गए, आटो लेकर अपने घर आ गए।
कालोनी के मकान को आगे हिस्से पर मैंने बड़ा गेट लगवा दिया था जिससे गेट बंद होने पर पूरा घर सुरक्षित था, मैंने गेट खोला और आटो से सामान उतारकर अंदर ले आया और गेट बंद कर लिया, गेट बंद होने पर बाहर से हमारे घर के अंदर का कुछ नहीं दिखता था.. । अंदर का रूम खोल कर जल्दी से मैंने कूलर चलाया, क्योंकि हम दोनों पसीने पसीने हो रहे थे गर्मी के कारण।
शालिनी आज हमारे मकान में पहली बार आयी थी तो उसने पीछे वाला कमरा, किचन, बाथरूम सब घूम घूम कर देख रही थी और हम लोग बातें कर रहे थे। मैंने गर्मी के कारण अपनी जीन्स शर्ट निकाल दी और अंडरवियर बनयान में बिस्तर पर लेट गया। शालिनी भी आगे बरामदे से पीछे कमरे तक कई चक्कर लगाकर हाथ मुंह धोकर मेरे पास ही बेड के साइड में बैठ गई। और हम लोग बात करने लगे।।
सागर- शालिनी, तुम भी कपड़े चेंज करलो और थोड़ा आराम करलो फिर हम लोग दोपहर बाद मार्केट चलेंगे।

शालिनी- नहीं नहीं दद्दा, मैं ऐसे ही ठीक हूं, और चेंज करके भी सूट ही पहनना है तो यही ठीक है
सागर- क्यों ? कोई हल्के कपड़े नहीं है क्या, नाईटी वगैरह

शालिनी- नहीं भाई

सागर- अच्छा कोई बात नहीं तुम ऐसा करो अभी मेरा बरमूडा और टीशर्ट पहन लो, शाम को हम लोग नये कपड़े लेंगे।।

मेरी लम्बाई 5' 10" और शालिनी की 5' 7" । रंग हम दोनों का ही गोरा है, मैने उठकर पीछे कमरे से लाकर उसे कपड़े दिये और कहा ये पहन लो थोड़ा गर्मी कम लगेगी । शालिनी ने कपड़े लिए और पीछे कमरे मे जाकर चेंज करके मेरे पास आकर बैठ गई,

सागर- ओ हो.. कपड़े लेने की कोई जरूरत नहीं है, मेरा ही साइज फिट आ रहा है... (शालिनी ने टीशर्ट और नेकर पहली बार पहना था) ,
ये सुनकर शालिनी हंसने लगी और खड़े होकर मुझसे कहने लगी कि ये कपड़े तो बहुत आरामदायक हैं दद्दा, कितना फ्री लग रहा है ।।

मैंने उससे कहा अब तुम भी आराम कर लो, यहींं लेट जाओ अभी तुम्हारे लिए पीछे कमरे को साफ करके उसमें पंखा लगवा दूं, शालिनी वहीं मेरे साथ ही लेट गई, सफर की थकान से हम दोनों जल्दी ही सो गए ।।।

सफर की थकान से हम दोनों एक ही बिस्तर पर सो रहे थे, दो छोटे दीवान जोड़ कर एक बेड जैसा बन गया था जिस पर दो लोग आराम से सो सकते थे। पीछे कमरे में एक सिंगल दीवान पड़ा था।

दोपहर के तीन बजे मेरी नींद खुली तो मुझे बहुत भूख लगी थी, मैं उठकर बाहर बरामदे में बेसिन में हाथ मुंह धोकर मैगी नूडल्स बनाने लगा ।फिर मैंने शालिनी को आवाज लगाकर जगाया, पर वह नहीं उठी। मैगी बनाने के बाद मैं कमरे में आकर शालिनी को हाथ लगाकर उठाने ही जा रहा था कि मैं एकदम से रुक गया। शालिनी इस वक्त करवट लेटी थी और उसके दोनों दूध के बीच की घाटी का काफी हिस्सा मेरी वी गले की टीशर्ट से दिख रहा था। हर बार सांस लेने के बाद उसके दूध भी फूल-पिचक रहे थे। मैं उसे जगाने के बजाय उसके पूरे बदन को उपर से नीचे की ओर देखने लगा । अब मुझे एहसास हुआ कि मेरी बहन शालिनी बहुत ही खूबसूरत है और मां की ही तरह उसका शरीर भी हर हिस्से से खूबसूरत कटाव लिए है,, मैं शालिनी से बस कुछ इंच की दूरी पर खड़ा हुआ वहीं पर जैसे फ्रीज हो गया था । अचानक मुझे सुबह बस की बात याद आ गई कि कैसे वो आदमी शालिनी का दुपट्टा खिसकने के बाद उसके दूधों को घूर रहा था और यहां अब मैं खुद अपनी बहन के दूधों को हर सांस के साथ उठते बैठते देख रहा था।।
मुझे बहुत अजीब सा लगा कि मैं ये क्या कर रहा हूं अपनी ही सगी बहन को मैं एक लड़की/औरत की तरह कैसे देखने लगा ।। मैंने बाहर बरामदे में आकर फिर से मुंह धोया और अंदर आकर शालिनी के दाहिने पैर को हिलाकर उसे जगाया l

शालिनी को मैंने जगाया, उठते ही उसने एक अंगड़ाई ली और दोनों हाथ सिर के पीछे लेजाकर उसने अपने बालों को ठीक किया । एक बार फिर मेरी नजर बहन के बड़े बड़े स्तनों पर टिक गई जो उसके बाल संवारने से और भी बड़े दिख रहे थे। शालिनी उठकर टायलेट करके फ्रेश होकर आई और हमलोग ने नाश्ता किया,


मैं- शालिनी तुम ऐसा करो कि अभी किचन में जरूरत की चीजों की लिस्ट बना लो, मैं तो ऐसे ही कुछ भी कहीं भी खा लेता था।हम लोग इधर से जाते समय किरानास्टोर पर दे देंगे और शापिंग से वापस आते में लेते आयेंगे।



शालिनी- जी भाईजी,
मैंं अभी भी चड्ढी बनयान मे ही था, असल मे अकेले रहने के कारण गर्मी के दिनों में मैं कम से कम कपड़ों में या नंगे रहना ही पसंद करता था, अकेले रहने के अपने मजे हैं,

खैर शालिनी की मौजूदगी में नंगे रहने का सवाल ही नहीं था। मैं नहाने के लिए बाथरूम में चला गया, हमारा बाथरूम और लैट्रीन ज्वाइंट है और उपर छत पर जाने वाले जीने के नीचे बना है, बाहर बरामदे में ही दूसरी साइड अपनी अपाचे बाईक रखता था और कपड़े भी वहीं सुखा लेता था मैं नहाकर वैसे ही चड्ढी बनयान पहनकर कमरे के अंदर आया तो शालिनी ने लिस्ट मेरे हाथ में दे दी, उसने इन 15 मिनट में ही किचन से लेकर डेलीयूज की लगभग सभी चीजों की लिस्ट बना दी थीं, हम दोनों ने आपस में बात करके लिस्ट फाईनल कर ली, मैंने शालिनी से कहाकि तुम भी जल्दी से नहाकर तैयार हो जाओ, शालिनी ने अपना बैग उठाकर बेड पर रखा और अपने लिए कपड़े निकालने लगी, मैं इस बीच कमरे की अलमारी में लगे बड़े आईने में अपने बाल खींच रहा था, शालिनी ने एक ग्रीन कलर का सूट निकाला और साथ में एक काली चड्ढी और सफेद समीज( स्लिप) निकाली, और मुझसे बोली - दद्दा मैं टावेल नहीं लाई हूं पुरानी थी काफी, अभी आपकी ही ले लूं !

मैं - मैंने कहा हां ले लो बाहर ही है । उसे समझाते हुए कहा कि अब यहां कोई भी चीज के लिए पूछना नहीं न ही किसी चीज में शर्म हिचक रखना, जैसे चाहो, मस्त होकर रहो और पढ़ाई करो ।

वह कपड़े लेकर नहाने बाथरूम में चली गई और मैं कपड़े पहनने लगा । कपड़े पहनने के बाद मैंने एक चीज ध्यान की, कि शालिनी ने ब्रा नहीं निकाली, ब्रा का खयाल मन में आते ही एक अजीब सी फीलिंग हुई। मुझे लगा वो शायद भूल गई है और पता नहीं क्या सोचकर मैं उसके बैग में ब्रा ढूंढने लगा, वो ज्यादा कपड़े नहीं लायी थी क्योंकि उसे नये स्टाइलिश लुक वाले कपड़े यहीं लेने थे। उसके बैग मे ब्रा नही मिली, मैंने बैग बंद कर बेड के नीचे रख दिया । बाथरुम से शावर चलनेकी आवाज आ रही थी, मुझे अजीब सी उत्तेजना हो रही थी ।

मैंने टीवी चला ली और न्यूज देखने लगा।

शालिनी नहाकर कमरे में आयी तो एक अजीब सी सुगंध जैसी फैल गई, उसने सलवार सूट पहन रखा था और उसका सूट काफी टाईट फिटिंग का था जो उसपर बहुत अच्छा लग रहा था, वो आईने के सामने आ कर बाल ठीक करने लगी, बाल बनाते बनाते वह पूछने लगी कि आपको भी शापिंग करनी है अपने लिए ना ।

मैं- नहीं अभी आज सिर्फ तुम्हारे लिए जरूरी कपडे ले लेते हैं फिर एडमिशन के बाद ले लेंगे। तुम बताओ क्या क्या लेना है।

शालिनी- घर के डेलीवियर और कालेज जाने के लिए दो सेट ।
मैंने बाइक निकाली और गेट लाक कर हम लोग मार्केट के लिए निकल लिए, धूप बहुत तेज थी तो शालिनी ने अपना दुपट्टा पूरे चेहरे पर बांध लिया था और दोनों साइड पैर करके बैठ गई ।।

शालिनी दूसरी बार शहर आयी थी और रास्ते में वो काफी चीजों के बारे मे पूछती रही और मैं बताता रहा, बातें करते करते हम लोग शापिंग माल पहुंच गए, बाइक पार्क करके हम दोनों अंदर आ गए,, अंदर एअर कंडीशन होने से थोड़ा गर्मी से राहत मिली। हम दोनों काफी देर यूं ही माल में घूमते रहे फिर हमने आइसक्रीम खाई और शालिनी से मैंने कहा चलो अब कुछ खरीदी भी कर लें, मुफ्त की ठंडी हवा काफी खा चुके हैं,,, मेरे ऐसा कहने से शालिनी हंसने लगी । हंसते हुए वह बहुत खूबसूरत दिख रही थी, हंसते समय उसके दूध भी हिल रहे थे, जो उसे और आकर्षक बना रहे थे, न जाने क्यों पर मेरी बार बार नजर शालिनी के बड़े बड़े स्तनों पर ही जा रही थी । सामने एक जींस शोरूम में जाकर हम जींस देखने लगे,,,

एक सेल्स गर्ल आयी और उसने कहा, सर मे आई हेल्प यू इन सेलेक्शन ??

हां जी , ये मेरी सिस्टर है इसके लिए जींस टाप सेलेक्ट कराईये।।

सेल्स गर्ल- मैम आपको शायद 28 जींस आयेगी और टाप ?

शालिनी- मुझे नहीं पता, प्लीज आप चेक कर लें ।।

एक दूसरी सेल्सगर्ल ने शालिनी को चेंजिंग रूम की ओर बुलाया और कहा, मैम आप इधर आ जायेंं , स्टैट्स चेक कर लें।

दो मिनट बाद वो सेल्सगर्ल शालिनी के शरीर को इंचीटेप से इधर उधर नापने के बाद हंसते हुए बोली, इट्स 26"/34"/28।।

शालिनी को दो जींस और दो टीशर्ट टाप पसंद कराये उसके साइज के और शालिनी से ट्रायल करनेको कहा,

शालिनी कपड़े लेकर ट्रायल रूम में चली गई, मैं ट्रायल रूम के बाहर खड़ा हो गया,

पांच मिनट बाद शालिनी ने दरवाजा खोला और मुझे दिखाते हुए बोली, भाईजी फिट है ना।।

मैंने उसे उपर से नीचे तक एक सरसरी निगाह से देखा, उसने ब्लैक जींस और ग्रीन टी पहनी थी, जींस टाप में अब उसके शरीर का हर कटाव साफ जाहिर हो रहा था, लम्बाई अच्छी होने से उसके पैर काफी लम्बे और सीने के उभार और बड़े लग रहे थे, इतने में ट्रायल रूम में लगे आईने मे देखते हुए पीछे घूम गई.... और मुझे उसके भारी नितम्ब भी दिख गए,,, सलवार सूट मे यह सब उतना जाहिर नहीं होता है,शालिनी का पीछे का शरीर भी गजब का आकर्षक था,,

उसने कहा भाई दूसरी जींस भी ट्राई कर लेती हूं और दरवाजा बंद कर लिया।।

दुबारा दरवाजा खुला तो मैंने अब शालिनी को ब्लूजींस और व्हाइट टाप मे देखा, ये ड्रेस भी उस पर बहुत अच्छी लगरही थी, इस बार भी उसने आगे पीछे घूम कर आईने में देखा और आंखों ही आंखों में मुझसे मेरी राय पूछी तो मैंने उसे ऊंगली का गोल छल्ला बनाकर बताया कि जबरदस्त है.... मेरे ऐसा करनेसे वो थोड़ा शर्मा गई और नीचे देखने लगी और बोली - दोनों डे्स ठीक है यही ले लेते हैं, मैं चेंज कर लेती हूं,,
मैं- अरे ,अब चेंज की क्या जरूरत है जब ये ले ही लिया है तो इसी को पहने रखो... आओ बाहर..
 
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शालिनी से कहा- अरे ,अब चेंज की क्या जरूरत है जब ये ले ही लिया है तो इसी को पहने रखो... आओ बाहर..

दूसरे कपड़े और उसके पुराने कपड़े पैक कराकर पेमेंट देकर हम शाप से बाहर आ गए ।
लोग गलत बोलते हैं कि लड़कियों/औरतों को शापिंग कराना मुश्किल और पकाउ काम है, मेरी बहन शालिनी ने तो फटाफट पसंद करके ले लिया,,,
शालिनी से मैंने कहा , अब क्या लेना है
शालिनी- दद्दा ,वो घर मे पहनने के लिए आप जैसे कम्फर्टेबल कपड़े ही लेने हैं,,
बातें करते हुए हम माल की दूसरी फ्लोर पर आ गए और बिग बाजार में प्रवेश किया,,, क्योंकि एवरेज बजट में डेलीवियर वहां काफी अच्छे मिल जाते हैं।
हमने थोड़ी ही देर में शालिनी के लिए दो निक्कर और दो 3/4 कैप्री पसंद कर लिए इनके ट्रायल की जरुरत नहीं थी, अब हम लाइट टीशर्ट देख रहे थे तो मैंने एक स्लीवलेस बनयान टाईप टीशर्ट शालिनी को दिखाते हुए कहा ये कैसी रहेगी
शालिनी ने उसे हाथ में लिया और अपने सीने पर उपर से ही रख कर वो देखने लगी, फिर बोली-- ठीक है, इसमे गर्मी कम लगेगी।
तो हमने दो स्लीवलेस और दो नार्मल हल्की टीशर्ट सेलेक्ट करके वहां से निकले, अब तक शाम के सात बज चुके थे।

मैंने मां को वीडियो काल करी और बताया कि हम लोग शापिंग कर रहे हैं, मैंने शालिनी की ओर कैमरा करके मां को दिखाया,,,
मां- बेटा तुम लोग ठीक हो ना ,
शालिनी- हां, मम्मी, हम लोग ठीक हैं और थोड़े कपडे़ भी ले लिए हैं, अब घर निकल रहे हैं।
मां- सागर बेटा, जरा मोबाइल मे शालिनी को पूरा दिखा तो सही,,,
मैंने मोबाइल थोड़ा दूर कर दिया जिससे शालिनी की पूरी बाडी मम्मी को दिखने लगी,,,
मां- शालिनी बेटा, तुम बहुत अच्छी लग रही हो, सागर बेटा... तुमने अच्छे कपडे़ दिलाये हैं। अब तुम लोग घर निकलो और टाइम से खाना खा लेना, ओके...
फोन कट करके मैंने शालिनी से पूछा- कुछ और लेना है अभी या फिर घर चलें।
शालिनी- जी... जी भाई.. लेना... नहीं नहीं.. कुछ नहींमैं और शालिनी काफी समय से माल में थे अब हमे घर निकलना था तो हम लोग पार्किंग मे जाने के लिए एस्केलेटर पर आ गए जो बेसमेंट पार्किंग में जाता था, मैं और शालिनी साथ ही एस्केलेटर पर चढ़े, पता नहीं कैसे शालिनी का बैलेंस बिगड़ा और वह आगे की ओर गिरने ही वाली थी कि उसने मेरी बायीं कोहनी पकड़ ली और साथ ही मैंने उसे कमर से पकड़ कर अपनी ओर खींचा ।। ये सब एक दो सेकेंड मे ही हुआ और हम एस्केलेटर से नीचे पार्किंग में आ गए, शालिनी बहुत डर गई थी और जैसे ही मैंने अपने साथ उसे एस्केलेटर से उतारकर खड़ा किया, इस समय हमारे साथ कोई पार्किंग में नहीं आया था और न ही आस पास कोई दिख रहा था, अमूमन आज माल मे ही भीड़ कम थी,
शालिनी जो मुझसे सट के खड़ी थी, अचानक से मुझे पकड़ कर अपने साथ चिपका लिया और सिसकते हुए बोली - भाईजी आप ने मुझे बचा लिया , और एक बार फिर मुझे कस कर अपने से चिपका लिया । शालिनी और मेरी हाईट मे जरा सा ही अंतर है उसने अपना चेहरा मेरे सीने मे छुपा लिया था और फिर बोली - आपके साथ मैं सेफ फील करती हूं भाईजी
(
मैने भी शालिनी के पीछे हाथ ले जाकर उसको बाहोँ मे भर लिया )
मै- मेरे होते तुम्हें कुछ नहीं होगा बेटा, और छोटी सी चीज से ऐसे डरते नहीं हैं, तुम्हें तो अब अकेले ही यहाँ कालेज भी आना जाना है... बी ब्रेव गर्ल बेटा....
और प्यार से मैंने उसकी पीठ को हल्का सा सहलाया और उसके गालों पर हल्का सा हाथ लगाकर उसे हंसाने की कोशिश की,
मैं- चलो बेटा अब घर चलते हैं,,,,
(हम दोनों अभी भी एक दूसरे से चिपके हुए थे, तभी अचानक से सामने से आता एक सिक्योरिटी गार्ड दिखा जो हमारी ही तरफ आ रहा था, मैंने जल्दी से शालिनी को अपने से अलग किया और उसका एक हाथ पकड़कर अपनी बाईक की ओर चल दिया)
गार्ड- जरा भी शरम हया नहीं है तुम लोगों को, यहीं पार्किंग में ही चुम्मा चाटी शुरू कर दी, बेशरम
मैं- रुकते हुए, जी वो ऐसी बात नहीं है ये तो मेरी छोटी बहन है।
गार्ड- (हंसते हुए) हां हां यहाँ सब भाई बहन ही बताते हैं पकड़े जाने पर,
शालिनी- आप बिना बात के बदतमीजी कर रहे हैं हम लोग भाई बहन ही हैं वो भी सगे...।
गार्ड- अरे बहन, तो मैं कब कह रहा हूं कि तुम लोग भाई बहन नहीं हो, मगर अभी जो गले मिलन हो रहा था उसे देखकर मुझे लगा कि जल्दी चलो नहीं तो पूरी पिक्चर यहीं पार्किंग में बन जायेगी,,,, ऐसा तो यहां रोज होता है अपना क्या .. अपनी तो ड्यूटी है... जिनके पास गाड़ी है वो तो गाड़ी में निपट लेते हैं.... आप जैसे बाहर ही शुरू हो जाते हैं... भाईजी माफ करना... आप जाओ .. अपना क्या... ड्यूटी है ।।

वो कमीना गार्ड लगातार बोले ही जा रहा था और हाथ जोड़ कर माफी वाले अंदाज में बक बक कर रहा था ।
मैं- (बात को खत्म करने के इरादे से) ठीक है कोई बात नहीं...
गार्ड- ठीक है भाई... बेस्ट आफ लक... गुड लक.. गुड कपल... लवली कपल...
वो बोलता रहा और मैं शालिनी के साथ अपनी बाइक के पास आ गया, अब मुझे लगा कि वो गार्ड नशे मे बड़बडा़ रहा है...
खैर .. मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और शालिनी पीछे बैठ गई, उसके हाथों में काफी बैग थे जिससे पता चलता था कि वह शापिंग करके आ रही है ।।हम दोनों घर की ओर चल दिए, रास्ते में शालिनी और मेरे बीच कोई बात नहीं हो रही थी, शायद वो गार्ड वाली घटना की वजह से,
घर के पास आकर किरानास्टोर वाले से सामान लेते हुए हम घर आ गए , मैंने बाइक बाहर ही रखी और हम अंदर आ गए, कमरे मे आते ही मैंने कूलर चलाया और फटाफट अपने कपड़े निकालकर मैं अपनी आरामदायक पोजीशन यानी चढ्ढी बनयान मे आ गया और शालिनी पीछे कमरे में जाकर सारे बैग रखकर मेरे पास आकर बेड पर बैठ गई, कूलर की हवा ठंडी थी, पांच मिनट ऐसे ही बैठे रहते हुए हो गए थे पर हम लोग कोई बात नहीं किए थे, मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था...
मै- शालिनी, नौ बज रहे हैं, खाने का क्या करना है।
शालिनी- जी, भाईजी, मैं अभी कुछ बनाती हूं,
मैं- ह़ां , चेंज कर लो फिर आराम से बनाना कोई जल्दी नहीं है
और कल से मुझे जाब पर भी जाना है.... इस बीच देखते हैं एडमिशन की लिस्ट जारी हो जायेगी तो फिर एक दो दिन की छुट्टी लेकर काम हो जायेगा।।
शालिनी- जी भाईजी
मैं- और हां, तुम आज इसी बेड पर सो जाना क्योंकि तुम्हारे रूम में तो अभी पंखा नहीं लग पाया है,, कल लगवा लेंगे।।
शालिनी- जी, यहीं सो जाऊंगी वैसे भी मैं कभी अकेली नहीं सोती...
मैंने टीवी चला दी और शालिनी चेंज करके नये कपडों मे से ही एक ब्लैक शार्ट निक्कर और व्हाइट टी पहनकर आयी और कूलर के आगे खड़ी हो गई, तो मैंने देखा कि शालिनी पूरी तरह पसीने मे भीगी हुई है,,,,
मैं- अरे तुम तो पूरा पसीने से नहाई लग रही हो, क्या हुआ ।।
शालिनी- वो कमरे में पंखा नहीं है तो बहुत गर्मी लग रही थी और मुझसे जींस भी जल्दी निकल नहीं रही थी ।
मै- ओ हो... इतनी गर्मी थी तो तुम यहीं चेंज कर लेती..और पसीने से नहाई हो फिर भी कपड़े पहन लिए ।।
शालिनी- जी... भाईजी... वो यहां आप थे इसलिए मैं पीछे चली गई थी....
मै- (थोड़ा सोच कर) हां, हां मैं यहां था तो... कौनसा तुम्हें सारे कपड़े निकालने थे,,, अब यहाँ हम ही दोनों को रहना है... इतनी शरम ठीक नहीं... और तुम अपने भाई के साथ ही अनकम्फरटेबल हो... ऐसे कैसे रहेंगे हम साथ में ... मुझे देखो मैं जैसे रहता था तुम्हारे आने से पहले वैसे ही हूं।।
शालिनी-- सारी भाईजी,,, मेरा वो मतलब नहीं था, पर मुझे लगा आपके सामने चेंज नहीं करना चाहिए, ,,,
(शालिनी का हाथ पकड़ कर अपने पास बेड पर बिठाते हुये)
मैं- देखो बेटा... बिल्कुल फ्री होकर रहो... हम लोग अब बड़े हो गए हैं और एक दूसरे के सामने चेंज नहीं करना चाहिए लेकिन कभी इस तरह की सिचुएशन हो तो कर सकते हैं और करना ही चाहिए, हम भाई बहन हैं और यहां इस शहर मे हमे ही एक दूसरे का खयाल रखना है... लड़ाई के लिए भी मैं ही हूँ और प्यार के लिए भी मैं ही मिलूंगा..., सो रिलैक्स ...शालिनी - जी भाई , अब कुछ खाने को बना लिया जाए ।


शालिनी किचन में चली गई और मैं टीवी देखने लगा ।।

शालिनी ने हां बोला और खाना बनाने लगी, खाना बनाते समय भी उसे काफी गर्मी लगी और वो कई बार कूलर के सामने आ कर दो मिनट खड़ी होती फिर किचन में जाकर खाना बनाती । मैं आराम से लेटकर अपने कुछ फोन काल्स निपटा रहा था,,
शालिनी- भाईजी खाना रेडी है
मैं- ठीक है तुम पांच मिनट आराम कर लो फिर खा लेते हैं और मैं उठकर टायलेट करने गया ।
हम लोगों के पास कोई डायनिंग टेबल तो था नहीं , हमने बेड पर ही खाना खाया और बातें करतें करते
शालिनी- भाईजी, थैक्स फार शापिंग, और आपके साथ शापिंग मे मजा आ गया.. लव यू भाई.... और हां नेक्स्ट टाइम से अब जब भी शापिंग जायेंगे आप भी अपने लिए भी शापिंग करेंगे... प्रामिस करो भाई...
मैं - ठीक है चलो सोते हैं सुबह से अगले छह दिन मुझे गधे की तरह फील्ड में घूमना है ।
मैंने कपडे डाल कर बाइक अंदर रखी और गेट लाक करके कपड़े फिर से निकाल कर शालिनी के पास लेट गया, गेट लाक होने के बाद मैं घर का कोई दरवाजा बंद नहीं करता, लाईट आन थी, हम दोनों को उजाले में सोने की आदत है।।
हम लोग बराबर मे लेटे थे लेकिन दूर दूर और टीवी चल रहा था। हम लोग इधर उधर की बातें कर रहे थे, कल क्या करना है वगैरह वगैरह ।
शालिनी- दद्दा, वो गार्ड क्या उल्टा सीधा बक रहा था , बदतमीज को हम कपल दिखाई दे रहे थे।।

मैं - अरे कोई नहीं , ऐसे बदतमीज मिलते ही रहते हैं, असल मे वहाँ ज्यादातर कपल ही जाते हैं और गलत काम करते हैं मौका देखकर...
शालिनी- ओके ,भाई अब सोते हैं, गुडनाइट...
मैं- गुड नाईट...
और थोड़ा पास जाकर मैंने उसे माथे पर किस किया तो शालिनी ने अपनी बड़ी बडी आंखें अचानक से मेरी आँखों से मिलाई और एकटक मेरी आंखों में देखने लगी फिर ....वापस सीधे लेट गई, हम दोनों ऐसे ही सो गए ।।

सुबह जब मेरी आंख खुली तो देखा अभी साढ़े पांच बजे हैं मतलब आधे घंटे और सोया जा सकता था मेरे रूटीन से,,, मैं लेटा रहा फिर अचानक शालिनी की ओर देखा तो वह पैर फैलाये बेसुध सो रही है और उसकी शार्ट निक्कर सिमटकर उसकी जांघों मे चिपकी थी और ऊपर उसकी टीशर्ट समीज सहित उसकी नाभि के काफी उपर तक उठी थी,,,,
मैंने तुरंत नजर दूसरी तरफ कर ली और ध्यान हटाने के लिए मोबाइल उठा लिया, कुछ देर बाद मेरी नजर फिर शालिनी पर चली गई,,, अब वह मेरी ओर करवट हुई जिससे उसके स्तनों ने वी गले की टी मे गहरी घाटी जैसी बना ली और उसके गोरे गुदाज सीने को देखकर मुझे पता नहीं क्या हो गया कि मैं शालिनी के पूरे शरीर को देख रहा था एक अजीब सी सुरसुरी छा गई पूरे बदन मे और चढ्ढी मे मेरा लंड खड़ा हो गया...


कहाँ जरा सी चूंची की झलक पाने के लिए हम जैसे लडके तरसते थे, मार्केट में हल्की सी चूंची दिख जाये किसी सेक्सी भाभी/आंटी/लड़की की तो लंड तुरंत सलामी देता था,,, हस्थमैथुन से ही काम चल रहा था,,कभी किसी को छूने का मौका नहीं मिला था।।
मेरा एक हाथ मेरी चड्ढी मे मेरा लंड सहला रहा था और एक फीट दूर मेरी जवान ,मादकता से भरी हुई मांसल शरीर वाली बहन सो रही थी,, शालिनी की हर सांस के साथ उसकी चूंची ऊपर नीचे हो रही थीं और मैं हाथ से अपने लंड को और तेज मसलने लगा,,, शालिनी की चूंची बहुत ही शानदार और बड़ी हैं, नाभि भी बहुत गहरी है, और उसकी जांघों की मांसलता को देखकर मैं एक नयी दुनिया में विचरण कर रहा था,,, कि अचानक बाहर पेपर फेंकने की आवाज आई...और मैं हड़बड़ा गया, अचानक से बेड से उतरकर मैं बाहर बरामदे में भाग आया...। मुझे बहुत ही आत्मग्लानि हो रही थी......

मैं बाहर आकर जीने पर बैठ गया और अपने कांपते हुए शरीर को संयमित करने लगा, मेरे दिमाग में कोई एक खयाल रुक नहीं रहा था कभी शालिनी की बड़ी बड़ी चूंची मेरे सामने आ रही थी और साथ ही एक खयाल मुझे धिक्कार रहा था कि तुम इतना गंदा कैसे सोचने लगे अपनी ही बहन के बारे मे ... रह रह कर मुझे ऐसे ही खयाल आते जा रहे थे और मुझे शालिनी की मासूमियत और मां का मुझ पर भरोसा सब याद आने लगा,
आज तो ये पहला दिन ही था शालिनी का मेरे साथ,,,, हमें तो अब आनेवाले काफी सालों तक साथ रहना है, ऐसे कैसे रह पायेंगे हम साथ में...
मैंने फ्रेश होकर कपड़े डाले और शालिनी को बिना जगाए गेट बाहर से लाक करके दूध और ब्रेड लेने आ गया ।

मैं कुछ देर बाद लौटा और गेट खोल ही रहा था कि बगल वाली सुनीता भाभीजी अपने घर के बाहर झाड़ू लगा रही थी और
सुनीता भाभी- सागर भैया कैसे हो, और आपके साथ कौन आया है।
मैं- भाभी मैं ठीक हूं, वो मेरी छोटी बहन शालिनी है अब यहीं पढ़ाई करेगी।।
सुनीता भाभी - इसीलिये मैं कहूँ मेरे देवर राजा कल से बहुत बिजी दिख रहे हैं.... एक बार हमसे हेल्लो हाय नहीं और अभी भी चोरी से मेरी नंदरानी के पास जा रहे हो... हां हां... अब हम जैसी बुढ़िया को कौन पूछेगा.... नया माल जो ले आये हो....और वो हंसती रही ।
मैं- अरे नहीं भाभीसा, ऐसी कोई बात नहीं है, आज आपको मिलाता अपनी बहन से,,,,थोड़ा बिजी था ।
सुनीता भाभी- मैं काम करके आ जाऊंगी मिलने, चलो अच्छा है अब आपके खाने पीने की सहूलियत हो जाऐगी ।

सुनीता भाभी मेरे बगल वाले मकान में रहती हैं और पूरे मोहल्ले में मेरी बात उनके ही परिवार से होती है, वो 40 साल की भरे बदन की सुंदर संस्कारी महिला हैं, उनके दो बच्चे हैं वो अपने बच्चों के ही स्कूल मे टीचर हैं,, अक्सर सुबह सुबह वो झाड़ू लगाते हुए अपनी चूंची दिखा देती थी तो मेरा दिन बन जाता था । खैर हम लोगों मे हंसी मजाक चलता रहता था ।।

सुनीता भाभी की चूंची देखने के लिए मैं अक्सर उसी समय अपनी बाइक साफ करता था घर के बाहर , आज भी बड़े गले के कुर्ते से उनकी बडी़ बडी़ चूंची लटकती हुई दिख रही थी, अंदर वो हमेशा ब्रा पहनती हैं। मुझे जाने क्यों आज उनकी चूंचियां आकर्षक नहीं लगी.। एक सीमित मजाक से ज्यादा कुछ नहीं होता था हम दोनों में, शायद उनकी चूंचियां देखने की आदत के बारे मे वो जानती थी पर कभी जाहिर नहीं किया ।


गेट खोल कर मै अंदर आया तो देखा, शालिनी अभी सो रही थी, एक बार फिर मेरी नजर शालिनी के सीने पर पड़ी, वह सीधे लेटी थी और उसके दूध के निप्पल जाहिर हो रहे थे, इतने से ही मेरा लंड फिर झटके खाने लगा,....
सुबह के सात बज चुके थे और मैंने शालिनी को कंधे से हिला कर जगाया..


शालिनी ने थोड़ा कुनमुनाते हुए हाथ ऊपर करके अंगड़ाई ली और अपने बालो की पोनीटेल बनाते हुए गुडमार्निंग बोल कर वह बेड से उतरकर सीधे फ्रेश होने गई,,,
शालिनी का ये अंगड़ाई लेता हुआ बदन देखकर मुझे फिर से झुरझुरी होने लगी ।।

मैं पिछले दो घंटों से कई बार उत्तेजित हुआ था और सैकड़ों बार अपने आप को अपनी ही बहन के बदन को ना देखने का प्रयास कर चुका था ।
मैं सही गलत मर्यादा जिम्मेदारी आदि सब चीजों के बारे में सोच रहा था कि तब तक शालिनी बाथरुम से निकल कर कमरे से होते हुये सीधा किचन मे चली गई ।

शालिनी- भाईजी आप ये दूध और ब्रेड कब ले आये।
मैं-मैं बाहर से अभी लेकर आया हूं तुम्हे सोता देखा तो सोचा वापस आकर जगाऊँ ।
(उसे क्या पता कि उसके यौवन ने उसके बड़े भाईजी की ऐसी हालत करदी थी कि उसे भागना पड़ा )
शालिनी- भाई काफी या चाय
मैं- कुछ भी चलेगा, मैं तो सुबह ऐसे निकल लेता था, बाहर ही चाय पानी होता था ।
शालिनी- पहले की बात और थी,अब तो आप नाश्ता भी करेंगे और खाना भी खाकर जायेंगे ।
(मुझे शालिनी की केयरिंग बातें सुनकर बहुत अच्छा लगा और मैं अपने आप को उसके शरीर के प्रति आकर्षण के लिये और धिक्कारने लगा )

मैं- हां हां खिला खिला कर मोटा कर दो ।

मैं बेड पर ही बैठा था और शालिनी के साथ नाश्ता करने के बाद हम लोग बातें करने लगे ।
मैंने शालिनी को घर को लाक करना और आस पास के बारे में बताया, सुनीता भाभी के बारे में बताया कि वो अच्छी महिला हैं बाकी आस पास मैं किसी से मतलब नहीं रखता...
मैं- शालिनी, मैं अब साढ़े नौ बजे वर्किंग के लिए निकलूंगा और चार बजे आ गया तो ठीक नहीं तो रात के आठ बजने हैं, यही मेरा रूटीन है ।
शालिनी- ठीक है भाई मैं कुछ खाने के लिए बनाती हूं आप तैयार हो जाइए, मैं बाद मे नहाऊंगी ।

मैं नहा धोकर तैयार हुआ, इतनी देर मे मेरा दिमाग थोड़ा संतुलित हुआ था और मैं फिर से शालिनी को अपनी भोली बहन के जैसे देख रहा था,
शालिनी ने मुझे पराठे खिलाए और मैं फ्रेश मूड से अपना बैग लेकर शालिनी को किसी के लिए भी गेट ना खोलने की हिदायत देते हुए मैं निकल आया।।


सोमवार होने से मुझे वर्किंग के बाद डिपो जाना पड़ा और इसकी वजह से शाम के छह बजे मुझे फुरसत मिली, दिन भर मे मेरे दिमाग में बार बार शालिनी की ही बातें और यादें आ रही थीं । दिन में कई बार मन किया कि शालिनी से बात करूँ वो क्या कर रही है, कैसी है, अकेले बोर तो नहीं हो रही है,,, बट कैसे... शालिनी के पास मोबाइल नहीं था,,
मैं घर के लिए निकला और सोचा नाश्ते के लिए कुछ ले लूं ।
नाश्ता लेकर मेरी नजर सामने की मोबाइल शाप पर पड़ी और मेरे कदम उधर बढ़ चले,,
 
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शालिनी से कहा- अरे ,अब चेंज की क्या जरूरत है जब ये ले ही लिया है तो इसी को पहने रखो... आओ बाहर..

दूसरे कपड़े और उसके पुराने कपड़े पैक कराकर पेमेंट देकर हम शाप से बाहर आ गए ।
लोग गलत बोलते हैं कि लड़कियों/औरतों को शापिंग कराना मुश्किल और पकाउ काम है, मेरी बहन शालिनी ने तो फटाफट पसंद करके ले लिया,,,
शालिनी से मैंने कहा , अब क्या लेना है
शालिनी- दद्दा ,वो घर मे पहनने के लिए आप जैसे कम्फर्टेबल कपड़े ही लेने हैं,,
बातें करते हुए हम माल की दूसरी फ्लोर पर आ गए और बिग बाजार में प्रवेश किया,,, क्योंकि एवरेज बजट में डेलीवियर वहां काफी अच्छे मिल जाते हैं।
हमने थोड़ी ही देर में शालिनी के लिए दो निक्कर और दो 3/4 कैप्री पसंद कर लिए इनके ट्रायल की जरुरत नहीं थी, अब हम लाइट टीशर्ट देख रहे थे तो मैंने एक स्लीवलेस बनयान टाईप टीशर्ट शालिनी को दिखाते हुए कहा ये कैसी रहेगी
शालिनी ने उसे हाथ में लिया और अपने सीने पर उपर से ही रख कर वो देखने लगी, फिर बोली-- ठीक है, इसमे गर्मी कम लगेगी।
तो हमने दो स्लीवलेस और दो नार्मल हल्की टीशर्ट सेलेक्ट करके वहां से निकले, अब तक शाम के सात बज चुके थे।

मैंने मां को वीडियो काल करी और बताया कि हम लोग शापिंग कर रहे हैं, मैंने शालिनी की ओर कैमरा करके मां को दिखाया,,,
मां- बेटा तुम लोग ठीक हो ना ,
शालिनी- हां, मम्मी, हम लोग ठीक हैं और थोड़े कपडे़ भी ले लिए हैं, अब घर निकल रहे हैं।
मां- सागर बेटा, जरा मोबाइल मे शालिनी को पूरा दिखा तो सही,,,
मैंने मोबाइल थोड़ा दूर कर दिया जिससे शालिनी की पूरी बाडी मम्मी को दिखने लगी,,,
मां- शालिनी बेटा, तुम बहुत अच्छी लग रही हो, सागर बेटा... तुमने अच्छे कपडे़ दिलाये हैं। अब तुम लोग घर निकलो और टाइम से खाना खा लेना, ओके...
फोन कट करके मैंने शालिनी से पूछा- कुछ और लेना है अभी या फिर घर चलें।
शालिनी- जी... जी भाई.. लेना... नहीं नहीं.. कुछ नहींमैं और शालिनी काफी समय से माल में थे अब हमे घर निकलना था तो हम लोग पार्किंग मे जाने के लिए एस्केलेटर पर आ गए जो बेसमेंट पार्किंग में जाता था, मैं और शालिनी साथ ही एस्केलेटर पर चढ़े, पता नहीं कैसे शालिनी का बैलेंस बिगड़ा और वह आगे की ओर गिरने ही वाली थी कि उसने मेरी बायीं कोहनी पकड़ ली और साथ ही मैंने उसे कमर से पकड़ कर अपनी ओर खींचा ।। ये सब एक दो सेकेंड मे ही हुआ और हम एस्केलेटर से नीचे पार्किंग में आ गए, शालिनी बहुत डर गई थी और जैसे ही मैंने अपने साथ उसे एस्केलेटर से उतारकर खड़ा किया, इस समय हमारे साथ कोई पार्किंग में नहीं आया था और न ही आस पास कोई दिख रहा था, अमूमन आज माल मे ही भीड़ कम थी,
शालिनी जो मुझसे सट के खड़ी थी, अचानक से मुझे पकड़ कर अपने साथ चिपका लिया और सिसकते हुए बोली - भाईजी आप ने मुझे बचा लिया , और एक बार फिर मुझे कस कर अपने से चिपका लिया । शालिनी और मेरी हाईट मे जरा सा ही अंतर है उसने अपना चेहरा मेरे सीने मे छुपा लिया था और फिर बोली - आपके साथ मैं सेफ फील करती हूं भाईजी
(
मैने भी शालिनी के पीछे हाथ ले जाकर उसको बाहोँ मे भर लिया )
मै- मेरे होते तुम्हें कुछ नहीं होगा बेटा, और छोटी सी चीज से ऐसे डरते नहीं हैं, तुम्हें तो अब अकेले ही यहाँ कालेज भी आना जाना है... बी ब्रेव गर्ल बेटा....
और प्यार से मैंने उसकी पीठ को हल्का सा सहलाया और उसके गालों पर हल्का सा हाथ लगाकर उसे हंसाने की कोशिश की,
मैं- चलो बेटा अब घर चलते हैं,,,,
(हम दोनों अभी भी एक दूसरे से चिपके हुए थे, तभी अचानक से सामने से आता एक सिक्योरिटी गार्ड दिखा जो हमारी ही तरफ आ रहा था, मैंने जल्दी से शालिनी को अपने से अलग किया और उसका एक हाथ पकड़कर अपनी बाईक की ओर चल दिया)
गार्ड- जरा भी शरम हया नहीं है तुम लोगों को, यहीं पार्किंग में ही चुम्मा चाटी शुरू कर दी, बेशरम
मैं- रुकते हुए, जी वो ऐसी बात नहीं है ये तो मेरी छोटी बहन है।
गार्ड- (हंसते हुए) हां हां यहाँ सब भाई बहन ही बताते हैं पकड़े जाने पर,
शालिनी- आप बिना बात के बदतमीजी कर रहे हैं हम लोग भाई बहन ही हैं वो भी सगे...।
गार्ड- अरे बहन, तो मैं कब कह रहा हूं कि तुम लोग भाई बहन नहीं हो, मगर अभी जो गले मिलन हो रहा था उसे देखकर मुझे लगा कि जल्दी चलो नहीं तो पूरी पिक्चर यहीं पार्किंग में बन जायेगी,,,, ऐसा तो यहां रोज होता है अपना क्या .. अपनी तो ड्यूटी है... जिनके पास गाड़ी है वो तो गाड़ी में निपट लेते हैं.... आप जैसे बाहर ही शुरू हो जाते हैं... भाईजी माफ करना... आप जाओ .. अपना क्या... ड्यूटी है ।।

वो कमीना गार्ड लगातार बोले ही जा रहा था और हाथ जोड़ कर माफी वाले अंदाज में बक बक कर रहा था ।
मैं- (बात को खत्म करने के इरादे से) ठीक है कोई बात नहीं...
गार्ड- ठीक है भाई... बेस्ट आफ लक... गुड लक.. गुड कपल... लवली कपल...
वो बोलता रहा और मैं शालिनी के साथ अपनी बाइक के पास आ गया, अब मुझे लगा कि वो गार्ड नशे मे बड़बडा़ रहा है...
खैर .. मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और शालिनी पीछे बैठ गई, उसके हाथों में काफी बैग थे जिससे पता चलता था कि वह शापिंग करके आ रही है ।।हम दोनों घर की ओर चल दिए, रास्ते में शालिनी और मेरे बीच कोई बात नहीं हो रही थी, शायद वो गार्ड वाली घटना की वजह से,
घर के पास आकर किरानास्टोर वाले से सामान लेते हुए हम घर आ गए , मैंने बाइक बाहर ही रखी और हम अंदर आ गए, कमरे मे आते ही मैंने कूलर चलाया और फटाफट अपने कपड़े निकालकर मैं अपनी आरामदायक पोजीशन यानी चढ्ढी बनयान मे आ गया और शालिनी पीछे कमरे में जाकर सारे बैग रखकर मेरे पास आकर बेड पर बैठ गई, कूलर की हवा ठंडी थी, पांच मिनट ऐसे ही बैठे रहते हुए हो गए थे पर हम लोग कोई बात नहीं किए थे, मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था...
मै- शालिनी, नौ बज रहे हैं, खाने का क्या करना है।
शालिनी- जी, भाईजी, मैं अभी कुछ बनाती हूं,
मैं- ह़ां , चेंज कर लो फिर आराम से बनाना कोई जल्दी नहीं है
और कल से मुझे जाब पर भी जाना है.... इस बीच देखते हैं एडमिशन की लिस्ट जारी हो जायेगी तो फिर एक दो दिन की छुट्टी लेकर काम हो जायेगा।।
शालिनी- जी भाईजी
मैं- और हां, तुम आज इसी बेड पर सो जाना क्योंकि तुम्हारे रूम में तो अभी पंखा नहीं लग पाया है,, कल लगवा लेंगे।।
शालिनी- जी, यहीं सो जाऊंगी वैसे भी मैं कभी अकेली नहीं सोती...
मैंने टीवी चला दी और शालिनी चेंज करके नये कपडों मे से ही एक ब्लैक शार्ट निक्कर और व्हाइट टी पहनकर आयी और कूलर के आगे खड़ी हो गई, तो मैंने देखा कि शालिनी पूरी तरह पसीने मे भीगी हुई है,,,,
मैं- अरे तुम तो पूरा पसीने से नहाई लग रही हो, क्या हुआ ।।
शालिनी- वो कमरे में पंखा नहीं है तो बहुत गर्मी लग रही थी और मुझसे जींस भी जल्दी निकल नहीं रही थी ।
मै- ओ हो... इतनी गर्मी थी तो तुम यहीं चेंज कर लेती..और पसीने से नहाई हो फिर भी कपड़े पहन लिए ।।
शालिनी- जी... भाईजी... वो यहां आप थे इसलिए मैं पीछे चली गई थी....
मै- (थोड़ा सोच कर) हां, हां मैं यहां था तो... कौनसा तुम्हें सारे कपड़े निकालने थे,,, अब यहाँ हम ही दोनों को रहना है... इतनी शरम ठीक नहीं... और तुम अपने भाई के साथ ही अनकम्फरटेबल हो... ऐसे कैसे रहेंगे हम साथ में ... मुझे देखो मैं जैसे रहता था तुम्हारे आने से पहले वैसे ही हूं।।
शालिनी-- सारी भाईजी,,, मेरा वो मतलब नहीं था, पर मुझे लगा आपके सामने चेंज नहीं करना चाहिए, ,,,
(शालिनी का हाथ पकड़ कर अपने पास बेड पर बिठाते हुये)
मैं- देखो बेटा... बिल्कुल फ्री होकर रहो... हम लोग अब बड़े हो गए हैं और एक दूसरे के सामने चेंज नहीं करना चाहिए लेकिन कभी इस तरह की सिचुएशन हो तो कर सकते हैं और करना ही चाहिए, हम भाई बहन हैं और यहां इस शहर मे हमे ही एक दूसरे का खयाल रखना है... लड़ाई के लिए भी मैं ही हूँ और प्यार के लिए भी मैं ही मिलूंगा..., सो रिलैक्स ...शालिनी - जी भाई , अब कुछ खाने को बना लिया जाए ।


शालिनी किचन में चली गई और मैं टीवी देखने लगा ।।

शालिनी ने हां बोला और खाना बनाने लगी, खाना बनाते समय भी उसे काफी गर्मी लगी और वो कई बार कूलर के सामने आ कर दो मिनट खड़ी होती फिर किचन में जाकर खाना बनाती । मैं आराम से लेटकर अपने कुछ फोन काल्स निपटा रहा था,,
शालिनी- भाईजी खाना रेडी है
मैं- ठीक है तुम पांच मिनट आराम कर लो फिर खा लेते हैं और मैं उठकर टायलेट करने गया ।
हम लोगों के पास कोई डायनिंग टेबल तो था नहीं , हमने बेड पर ही खाना खाया और बातें करतें करते
शालिनी- भाईजी, थैक्स फार शापिंग, और आपके साथ शापिंग मे मजा आ गया.. लव यू भाई.... और हां नेक्स्ट टाइम से अब जब भी शापिंग जायेंगे आप भी अपने लिए भी शापिंग करेंगे... प्रामिस करो भाई...
मैं - ठीक है चलो सोते हैं सुबह से अगले छह दिन मुझे गधे की तरह फील्ड में घूमना है ।
मैंने कपडे डाल कर बाइक अंदर रखी और गेट लाक करके कपड़े फिर से निकाल कर शालिनी के पास लेट गया, गेट लाक होने के बाद मैं घर का कोई दरवाजा बंद नहीं करता, लाईट आन थी, हम दोनों को उजाले में सोने की आदत है।।
हम लोग बराबर मे लेटे थे लेकिन दूर दूर और टीवी चल रहा था। हम लोग इधर उधर की बातें कर रहे थे, कल क्या करना है वगैरह वगैरह ।
शालिनी- दद्दा, वो गार्ड क्या उल्टा सीधा बक रहा था , बदतमीज को हम कपल दिखाई दे रहे थे।।

मैं - अरे कोई नहीं , ऐसे बदतमीज मिलते ही रहते हैं, असल मे वहाँ ज्यादातर कपल ही जाते हैं और गलत काम करते हैं मौका देखकर...
शालिनी- ओके ,भाई अब सोते हैं, गुडनाइट...
मैं- गुड नाईट...
और थोड़ा पास जाकर मैंने उसे माथे पर किस किया तो शालिनी ने अपनी बड़ी बडी आंखें अचानक से मेरी आँखों से मिलाई और एकटक मेरी आंखों में देखने लगी फिर ....वापस सीधे लेट गई, हम दोनों ऐसे ही सो गए ।।

सुबह जब मेरी आंख खुली तो देखा अभी साढ़े पांच बजे हैं मतलब आधे घंटे और सोया जा सकता था मेरे रूटीन से,,, मैं लेटा रहा फिर अचानक शालिनी की ओर देखा तो वह पैर फैलाये बेसुध सो रही है और उसकी शार्ट निक्कर सिमटकर उसकी जांघों मे चिपकी थी और ऊपर उसकी टीशर्ट समीज सहित उसकी नाभि के काफी उपर तक उठी थी,,,,
मैंने तुरंत नजर दूसरी तरफ कर ली और ध्यान हटाने के लिए मोबाइल उठा लिया, कुछ देर बाद मेरी नजर फिर शालिनी पर चली गई,,, अब वह मेरी ओर करवट हुई जिससे उसके स्तनों ने वी गले की टी मे गहरी घाटी जैसी बना ली और उसके गोरे गुदाज सीने को देखकर मुझे पता नहीं क्या हो गया कि मैं शालिनी के पूरे शरीर को देख रहा था एक अजीब सी सुरसुरी छा गई पूरे बदन मे और चढ्ढी मे मेरा लंड खड़ा हो गया...


कहाँ जरा सी चूंची की झलक पाने के लिए हम जैसे लडके तरसते थे, मार्केट में हल्की सी चूंची दिख जाये किसी सेक्सी भाभी/आंटी/लड़की की तो लंड तुरंत सलामी देता था,,, हस्थमैथुन से ही काम चल रहा था,,कभी किसी को छूने का मौका नहीं मिला था।।
मेरा एक हाथ मेरी चड्ढी मे मेरा लंड सहला रहा था और एक फीट दूर मेरी जवान ,मादकता से भरी हुई मांसल शरीर वाली बहन सो रही थी,, शालिनी की हर सांस के साथ उसकी चूंची ऊपर नीचे हो रही थीं और मैं हाथ से अपने लंड को और तेज मसलने लगा,,, शालिनी की चूंची बहुत ही शानदार और बड़ी हैं, नाभि भी बहुत गहरी है, और उसकी जांघों की मांसलता को देखकर मैं एक नयी दुनिया में विचरण कर रहा था,,, कि अचानक बाहर पेपर फेंकने की आवाज आई...और मैं हड़बड़ा गया, अचानक से बेड से उतरकर मैं बाहर बरामदे में भाग आया...। मुझे बहुत ही आत्मग्लानि हो रही थी......

मैं बाहर आकर जीने पर बैठ गया और अपने कांपते हुए शरीर को संयमित करने लगा, मेरे दिमाग में कोई एक खयाल रुक नहीं रहा था कभी शालिनी की बड़ी बड़ी चूंची मेरे सामने आ रही थी और साथ ही एक खयाल मुझे धिक्कार रहा था कि तुम इतना गंदा कैसे सोचने लगे अपनी ही बहन के बारे मे ... रह रह कर मुझे ऐसे ही खयाल आते जा रहे थे और मुझे शालिनी की मासूमियत और मां का मुझ पर भरोसा सब याद आने लगा,
आज तो ये पहला दिन ही था शालिनी का मेरे साथ,,,, हमें तो अब आनेवाले काफी सालों तक साथ रहना है, ऐसे कैसे रह पायेंगे हम साथ में...
मैंने फ्रेश होकर कपड़े डाले और शालिनी को बिना जगाए गेट बाहर से लाक करके दूध और ब्रेड लेने आ गया ।

मैं कुछ देर बाद लौटा और गेट खोल ही रहा था कि बगल वाली सुनीता भाभीजी अपने घर के बाहर झाड़ू लगा रही थी और
सुनीता भाभी- सागर भैया कैसे हो, और आपके साथ कौन आया है।
मैं- भाभी मैं ठीक हूं, वो मेरी छोटी बहन शालिनी है अब यहीं पढ़ाई करेगी।।
सुनीता भाभी - इसीलिये मैं कहूँ मेरे देवर राजा कल से बहुत बिजी दिख रहे हैं.... एक बार हमसे हेल्लो हाय नहीं और अभी भी चोरी से मेरी नंदरानी के पास जा रहे हो... हां हां... अब हम जैसी बुढ़िया को कौन पूछेगा.... नया माल जो ले आये हो....और वो हंसती रही ।
मैं- अरे नहीं भाभीसा, ऐसी कोई बात नहीं है, आज आपको मिलाता अपनी बहन से,,,,थोड़ा बिजी था ।
सुनीता भाभी- मैं काम करके आ जाऊंगी मिलने, चलो अच्छा है अब आपके खाने पीने की सहूलियत हो जाऐगी ।

सुनीता भाभी मेरे बगल वाले मकान में रहती हैं और पूरे मोहल्ले में मेरी बात उनके ही परिवार से होती है, वो 40 साल की भरे बदन की सुंदर संस्कारी महिला हैं, उनके दो बच्चे हैं वो अपने बच्चों के ही स्कूल मे टीचर हैं,, अक्सर सुबह सुबह वो झाड़ू लगाते हुए अपनी चूंची दिखा देती थी तो मेरा दिन बन जाता था । खैर हम लोगों मे हंसी मजाक चलता रहता था ।।

सुनीता भाभी की चूंची देखने के लिए मैं अक्सर उसी समय अपनी बाइक साफ करता था घर के बाहर , आज भी बड़े गले के कुर्ते से उनकी बडी़ बडी़ चूंची लटकती हुई दिख रही थी, अंदर वो हमेशा ब्रा पहनती हैं। मुझे जाने क्यों आज उनकी चूंचियां आकर्षक नहीं लगी.। एक सीमित मजाक से ज्यादा कुछ नहीं होता था हम दोनों में, शायद उनकी चूंचियां देखने की आदत के बारे मे वो जानती थी पर कभी जाहिर नहीं किया ।


गेट खोल कर मै अंदर आया तो देखा, शालिनी अभी सो रही थी, एक बार फिर मेरी नजर शालिनी के सीने पर पड़ी, वह सीधे लेटी थी और उसके दूध के निप्पल जाहिर हो रहे थे, इतने से ही मेरा लंड फिर झटके खाने लगा,....
सुबह के सात बज चुके थे और मैंने शालिनी को कंधे से हिला कर जगाया..


शालिनी ने थोड़ा कुनमुनाते हुए हाथ ऊपर करके अंगड़ाई ली और अपने बालो की पोनीटेल बनाते हुए गुडमार्निंग बोल कर वह बेड से उतरकर सीधे फ्रेश होने गई,,,
शालिनी का ये अंगड़ाई लेता हुआ बदन देखकर मुझे फिर से झुरझुरी होने लगी ।।

मैं पिछले दो घंटों से कई बार उत्तेजित हुआ था और सैकड़ों बार अपने आप को अपनी ही बहन के बदन को ना देखने का प्रयास कर चुका था ।
मैं सही गलत मर्यादा जिम्मेदारी आदि सब चीजों के बारे में सोच रहा था कि तब तक शालिनी बाथरुम से निकल कर कमरे से होते हुये सीधा किचन मे चली गई ।

शालिनी- भाईजी आप ये दूध और ब्रेड कब ले आये।
मैं-मैं बाहर से अभी लेकर आया हूं तुम्हे सोता देखा तो सोचा वापस आकर जगाऊँ ।
(उसे क्या पता कि उसके यौवन ने उसके बड़े भाईजी की ऐसी हालत करदी थी कि उसे भागना पड़ा )
शालिनी- भाई काफी या चाय
मैं- कुछ भी चलेगा, मैं तो सुबह ऐसे निकल लेता था, बाहर ही चाय पानी होता था ।
शालिनी- पहले की बात और थी,अब तो आप नाश्ता भी करेंगे और खाना भी खाकर जायेंगे ।
(मुझे शालिनी की केयरिंग बातें सुनकर बहुत अच्छा लगा और मैं अपने आप को उसके शरीर के प्रति आकर्षण के लिये और धिक्कारने लगा )

मैं- हां हां खिला खिला कर मोटा कर दो ।

मैं बेड पर ही बैठा था और शालिनी के साथ नाश्ता करने के बाद हम लोग बातें करने लगे ।
मैंने शालिनी को घर को लाक करना और आस पास के बारे में बताया, सुनीता भाभी के बारे में बताया कि वो अच्छी महिला हैं बाकी आस पास मैं किसी से मतलब नहीं रखता...
मैं- शालिनी, मैं अब साढ़े नौ बजे वर्किंग के लिए निकलूंगा और चार बजे आ गया तो ठीक नहीं तो रात के आठ बजने हैं, यही मेरा रूटीन है ।
शालिनी- ठीक है भाई मैं कुछ खाने के लिए बनाती हूं आप तैयार हो जाइए, मैं बाद मे नहाऊंगी ।

मैं नहा धोकर तैयार हुआ, इतनी देर मे मेरा दिमाग थोड़ा संतुलित हुआ था और मैं फिर से शालिनी को अपनी भोली बहन के जैसे देख रहा था,
शालिनी ने मुझे पराठे खिलाए और मैं फ्रेश मूड से अपना बैग लेकर शालिनी को किसी के लिए भी गेट ना खोलने की हिदायत देते हुए मैं निकल आया।।


सोमवार होने से मुझे वर्किंग के बाद डिपो जाना पड़ा और इसकी वजह से शाम के छह बजे मुझे फुरसत मिली, दिन भर मे मेरे दिमाग में बार बार शालिनी की ही बातें और यादें आ रही थीं । दिन में कई बार मन किया कि शालिनी से बात करूँ वो क्या कर रही है, कैसी है, अकेले बोर तो नहीं हो रही है,,, बट कैसे... शालिनी के पास मोबाइल नहीं था,,
मैं घर के लिए निकला और सोचा नाश्ते के लिए कुछ ले लूं ।
नाश्ता लेकर मेरी नजर सामने की मोबाइल शाप पर पड़ी और मेरे कदम उधर बढ़ चले,,
Lovely narration. I hope the story is completed
 
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