मीनू अत्यधिक व्यग्र और बेचैन थी। जब जब वो अपनी माँ को किसी सर-कटी मुर्गी की तरह इधर उधर दौड़ भाग करते देखती, तो उसका दिल और बैठ जाता। वो उनके मन की दशा समझती थी – आज उसकी शादी जो थी। माँ ने अपनी तरफ से किसी भी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। आखिर एकलौती लड़की की शादी जो थी। हाँलाकि ‘बाबूजी’ ने...