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LEVEL 4
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अरी पगली...देखने तो दे कितना सुन्दर है मेरी बहन की" और उसने श्वेता के जांघो को चौड़ा किया। धड़कते दिलसे श्वेताने अपने भैय्याके लिए जाँघे खोली। शशांक ने अपना दायां हथेली उसके मुलायम बुर पर फेरा और कहा "हाय कितना सॉफ्ट है... एकदम सिल्क की तरह, अपने झांटो को कब साफ़ की?" अपनी तर्जनी ऊँगली उसके फुले होंठों के बीच चलाता पुछा.
"आज शाम को" वह धीरे से बोली लेकिन अपने हाथ अपने मुहं से नहीं निकाली. "क्या मेरे लिए ही साफ़ की हो?"
"क्या पता...आज शाम जब पानी नहा रही थी तो उस बालों से चिढ़ चिढ़ लगने लगा... तो मैंने ऐनी फ्रेंच (Anne French) क्रीम लगादी"!
शशांक ने अपने उंगलियों से अपनी बहन की फुली होंठो को चौड़ा किया तो उसे एक छोटासा, नमी लाला रंग की छेद दिखी। वह झुक कर अपनी जीभ उस होंठो के बीच लगा और नीचे से ऊपर तक चलाया। जैसे ही उसका भाई उसकी इतनी सेन्सुयस जगह जीभ लगाते ही श्वेता के सारे बदन में आग फैली और उसका बदन में एक हल्का झूरी झूरी सा कम्पन हुआ।
"भैय्या यह क्या कर रहे हो? छी...छी वहां पर भी कोई मुहं लगाते क्या?" वह फिर से जाँघे बंद करने की कोशिश की.
"तुम्हे इस चूत की मज़ा देना चाहता हूँ... तुम्हे ठीक है की नहीं... तम हां कहोगी तो ही मैं आगे बढूंगा" और वह अपने बहन की की ओर देखने लगा।
श्वेता ने अपने अपने मुहं से हाथ न निकाले ही अपनी कमर को ऊपर को उछाली।
शशांक ने उसके बहन की फूली बुर को अपनी उँगलियों से खोला और लगा चाटने, चूमने और चुभलाने लगा।
श्वेता का सारा शरीर आग में झुलस रही थी "SSShhhh... aaahhhh...ssss..." वह खुशी की चीत्कार की। भैया का ऐसा करने से उसे बहुत मज़ा आ रहा था, और अच्छा लग रहा था।
अपनी बहन की इच्छा को समझ कर शशांक पलंग से नीचे उतरा और श्वेता को अपनी बाँहों में उठाकर बिस्तर पर चित लिटाया। उसके लंड में और खड़ापन आया और अपना रास्ता ढूंढने लगी। लेकिन शशांक पर अपनी बहन की सुंदरता इतना छागया की उसे उसके जंघोंके बीच रस्ता नहीं मिल रहा था। वह श्वेता के ऊपर लेट कर उसके एक सख्त निप्पल को उँगलियों के बीच लेकर मसल रहा था तो दूसरे को मुहं में लेकर चूसने लगा। फिर वह नीचे को फिसला और उसकी सुन्दर नाभि को चूमता उसमे जीभ फेरने लग गया। अपनी बहन की शरीर पर हर जगह चूमता रहा और धीरेसे उसके कमर को छूता रहा था।
"आज शाम को" वह धीरे से बोली लेकिन अपने हाथ अपने मुहं से नहीं निकाली. "क्या मेरे लिए ही साफ़ की हो?"
"क्या पता...आज शाम जब पानी नहा रही थी तो उस बालों से चिढ़ चिढ़ लगने लगा... तो मैंने ऐनी फ्रेंच (Anne French) क्रीम लगादी"!
शशांक ने अपने उंगलियों से अपनी बहन की फुली होंठो को चौड़ा किया तो उसे एक छोटासा, नमी लाला रंग की छेद दिखी। वह झुक कर अपनी जीभ उस होंठो के बीच लगा और नीचे से ऊपर तक चलाया। जैसे ही उसका भाई उसकी इतनी सेन्सुयस जगह जीभ लगाते ही श्वेता के सारे बदन में आग फैली और उसका बदन में एक हल्का झूरी झूरी सा कम्पन हुआ।
"भैय्या यह क्या कर रहे हो? छी...छी वहां पर भी कोई मुहं लगाते क्या?" वह फिर से जाँघे बंद करने की कोशिश की.
"तुम्हे इस चूत की मज़ा देना चाहता हूँ... तुम्हे ठीक है की नहीं... तम हां कहोगी तो ही मैं आगे बढूंगा" और वह अपने बहन की की ओर देखने लगा।
श्वेता ने अपने अपने मुहं से हाथ न निकाले ही अपनी कमर को ऊपर को उछाली।
शशांक ने उसके बहन की फूली बुर को अपनी उँगलियों से खोला और लगा चाटने, चूमने और चुभलाने लगा।
श्वेता का सारा शरीर आग में झुलस रही थी "SSShhhh... aaahhhh...ssss..." वह खुशी की चीत्कार की। भैया का ऐसा करने से उसे बहुत मज़ा आ रहा था, और अच्छा लग रहा था।
अपनी बहन की इच्छा को समझ कर शशांक पलंग से नीचे उतरा और श्वेता को अपनी बाँहों में उठाकर बिस्तर पर चित लिटाया। उसके लंड में और खड़ापन आया और अपना रास्ता ढूंढने लगी। लेकिन शशांक पर अपनी बहन की सुंदरता इतना छागया की उसे उसके जंघोंके बीच रस्ता नहीं मिल रहा था। वह श्वेता के ऊपर लेट कर उसके एक सख्त निप्पल को उँगलियों के बीच लेकर मसल रहा था तो दूसरे को मुहं में लेकर चूसने लगा। फिर वह नीचे को फिसला और उसकी सुन्दर नाभि को चूमता उसमे जीभ फेरने लग गया। अपनी बहन की शरीर पर हर जगह चूमता रहा और धीरेसे उसके कमर को छूता रहा था।