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अरी पगली...देखने तो दे कितना सुन्दर है मेरी बहन की" और उसने श्वेता के जांघो को चौड़ा किया। धड़कते दिलसे श्वेताने अपने भैय्याके लिए जाँघे खोली। शशांक ने अपना दायां हथेली उसके मुलायम बुर पर फेरा और कहा "हाय कितना सॉफ्ट है... एकदम सिल्क की तरह, अपने झांटो को कब साफ़ की?" अपनी तर्जनी ऊँगली उसके फुले होंठों के बीच चलाता पुछा.

"आज शाम को" वह धीरे से बोली लेकिन अपने हाथ अपने मुहं से नहीं निकाली. "क्या मेरे लिए ही साफ़ की हो?"

"क्या पता...आज शाम जब पानी नहा रही थी तो उस बालों से चिढ़ चिढ़ लगने लगा... तो मैंने ऐनी फ्रेंच (Anne French) क्रीम लगादी"!

शशांक ने अपने उंगलियों से अपनी बहन की फुली होंठो को चौड़ा किया तो उसे एक छोटासा, नमी लाला रंग की छेद दिखी। वह झुक कर अपनी जीभ उस होंठो के बीच लगा और नीचे से ऊपर तक चलाया। जैसे ही उसका भाई उसकी इतनी सेन्सुयस जगह जीभ लगाते ही श्वेता के सारे बदन में आग फैली और उसका बदन में एक हल्का झूरी झूरी सा कम्पन हुआ।

"भैय्या यह क्या कर रहे हो? छी...छी वहां पर भी कोई मुहं लगाते क्या?" वह फिर से जाँघे बंद करने की कोशिश की.

"तुम्हे इस चूत की मज़ा देना चाहता हूँ... तुम्हे ठीक है की नहीं... तम हां कहोगी तो ही मैं आगे बढूंगा" और वह अपने बहन की की ओर देखने लगा।

श्वेता ने अपने अपने मुहं से हाथ न निकाले ही अपनी कमर को ऊपर को उछाली।

शशांक ने उसके बहन की फूली बुर को अपनी उँगलियों से खोला और लगा चाटने, चूमने और चुभलाने लगा।

श्वेता का सारा शरीर आग में झुलस रही थी "SSShhhh... aaahhhh...ssss..." वह खुशी की चीत्कार की। भैया का ऐसा करने से उसे बहुत मज़ा आ रहा था, और अच्छा लग रहा था।

अपनी बहन की इच्छा को समझ कर शशांक पलंग से नीचे उतरा और श्वेता को अपनी बाँहों में उठाकर बिस्तर पर चित लिटाया। उसके लंड में और खड़ापन आया और अपना रास्ता ढूंढने लगी। लेकिन शशांक पर अपनी बहन की सुंदरता इतना छागया की उसे उसके जंघोंके बीच रस्ता नहीं मिल रहा था। वह श्वेता के ऊपर लेट कर उसके एक सख्त निप्पल को उँगलियों के बीच लेकर मसल रहा था तो दूसरे को मुहं में लेकर चूसने लगा। फिर वह नीचे को फिसला और उसकी सुन्दर नाभि को चूमता उसमे जीभ फेरने लग गया। अपनी बहन की शरीर पर हर जगह चूमता रहा और धीरेसे उसके कमर को छूता रहा था।
 
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श्वेता तुम तो रतिदेवी से भी सुन्दर हो...तुम्हारा शरीर कितना रसभरी है।"

श्वेता उसकी सगी बहेन है... और उस से ऐसे काम करना गलत है या पाप है यह बात वह भूल ही गया।

रति देवी।...यह कौन हुई...?" श्वेता ने अपने भैय्या की हरक़तों का आनंद लेति पूछी।

"रतिदेवी...कामदेव की पत्नी... कहते है वह सब अप्सराओंसे सुन्दर है... जैसे तुम..." और उसके गाल को हल्के से काटा।

"श्वेता भी यह बात भूल गयी की शशंक सका भैय्या है और उससे ऐसे हरकत नहीं करना चाहिए... "हूँ... तो मैं रति हूँ तो तुम क्या हो भैय्या...कामदेव..."

"यह कामदेव कौन है...? शशांक अपनी बहन को छेड़ता पूछा..."

"जाओ भैय्या। मैं तमसे बात नाह करूंगी...ऐसे पूछ रहे हो की जैसे तम्हे मालूम नहीं है..." और वह रूठने का नखरे करने लगी।

"अरे रूठ नहीं मेरी रानी...इस कामदेव पर थोड़ा सा करुणा करो..." और उसके चूची को जोर से टीपा।

"ससस...ससममहहा... बह...भ यय...आ.य..." वह बोली।

"भैय्या...सशा... धीरे से... दर्द।..." वह दर्द से करा ही।

स्वेता को अपने भय्या से ऐसे बातें करना अच्छा लग रहा था। और वह बोली... मैं रति और तुम कामदेव... यानि की तम मेरे पति और मैं तुम्हारी पत्नी।" अब वह भी गरमा चुकी है और वह अपनी कमर उछाली।

"पति पत्नी क्या करते हैं?" शाहंका aपनी बहनकी निप्पल को ट्विस्ट करते पुछा।

"AAAhhhh...shhhssss..." श्वेता के मुहं से एक मीठी कराह निकली और बोली "क्या करते है... मुझे नहीं मालूम बाबा..." वह शर्माते बोली।

शशांक उसके मस्त चूचियों से खिलवाड करते उसके गालों को काटता उसके सरे बदन को चूम रहा था, चाट रहा था। श्वेता अपने भाई के नीचे तिल मिला रही थी। भाई अपनी बहन के ऊपर और नीचे को आया... और उसके नाभि की चूमने लगा... उसकी नाभि में अपनी जीभ से कुरेद रहा था।.

अपने शरीर पर भैय्या के इस हरकतों पर श्वेता की चूत पानी रिसने लगी। उसके शरीर में कम्पन शुरू हो गयी, उसे आनंद ही आनंद आ रहा था। उसे अब भैया की हलब्बी लंड की जरूरत है। अपना भाई उसे जैम कर चोदे एहि वह छह रही थी। अपने सहेलियों से सुनी किस्सों को वह सच करना चाह रही थी। "Ohhh bha...yya...yyaaa...ssss...ahhh" वह तिल मिला रही थी और खिल खिल्ला कर हँसते बोली "Ohhh maaaa, how good you are... you are sweet brother to me...bhayyaaaa...ahhh"!
 
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शशांक ने धीरे से अपना हाथ बहन की मुलायम जंगों के रख उसके रिसते बुर को छुआ। जैसे ही वह भय्या के हाथ वहां छूते ही एक फुट ऊपर उछाली अपने कमर को और जोर को से उसे जकड लिया। वह उसकी होंठों को फिर से चूमते पुछा..." अपने भैया के लिए यह गीली होगई है न...?"

बहन ने एक मादक नजर भैया के आँखों में आँख डाली और अपना सर 'हाँ'' में हिलाते बोली..."भैय्या अपनी लाडलि बहन को पूरा नंगा क्यों नहीं करते?" और वह हाथों को ऊपर उठाई।

एक मिनिट के लिए भी सोचे बिना उसके उसके ऊपर का टॉप उतर फेंका। ऊपर ब्रा नहीं थी। वह पहले से ही कमर के नीचे नंगी थी। अब वह नव जात शिशु की तरह नंगी थी।

शशांक के आँखे वासना से भरे हे और चमक रहे है। श्वेता अब उसे एक खिलती गुलाब कि कलि की तरह दिख रही थी। बुर का पानी बहकर ऊपर होंठो तक आने की वजह से उसके बुर लाइट की रोशनीमे चमक रहीथी।

श्वेता ने अपने पैर के उँगलियों से भैया के लंड को हिलाते उसे और मस्त बना रही थी। अब वह एक लोहे की चढ़ की तरह सख्त होगई। शशांक में आनंद में आंखे बंद कर बहन की पैरों का स्पर्श का आनंद ले रहा था।

श्वेता ने अपने भैय्या के कमर पकड़ कर ऊपर खींची। अब उसका लंड उसके चेरे के समीप था और श्वेता ने उसे हाथ में लेकर प्यार से दुलार रही थी। उसके होंठों पर एक मीठा मुस्कान थी।

"भैय्या ओफ्फो कितना पारा है यह तुम्हारा औज़ार, जी चाह रहा है की अभी इसे मेरी उसमे घुसेड़लूं, में और इंतज़ार नहीं कर सकती...ममम..." कहती श्वेता ने अपने भाई के लंड को हिलाते, सुपडे को प्यार से चूमि।
 
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ओह...श्वेता मेरी प्यारी बहन... आह ऐसे ही हिलना... यस...यस. सचमे बहुत मज़ा आरहा है है... मेरी गुड़िया यह खिलौना तुम्हे पसंद आया...?"

"हाँ, भय्या कितना प्यारा है...देखो तो यह कैसे तुनक रहे है. और इतना लम्बा और सख्त इस खिलोने से मैं जी भर कर खेलूंगी।"

शशांक नीचे अपनी बहन की बुर को देखा और उसकी लव बटन (love button) को अंगूठी से दबाते एक ऊंगली उसकी गीली हो रही चूत में पेल ते हुए कहा "चूमो मेरी रानी... चूमो और चूसो अपने भैय्या को..."

उसने उसे चूमा, धीरे से अपना जीभ उसके सुपडे के गिर्द चलायी फिर उसे पकड़ कर पूरी लम्बाई को नीचे से ऊपर तक चाटने लगी।

"भैय्या अच्छा लगा रहा है ने...बहन का चूमना और चाटना मैं कैसे चाट रही हूँ... आह... भैय्या... और अंदर पेलो तुम्हारी ऊँगली...ममम..." मादक स्वर में पूछी।

"आह! मज़ा आ गया... मेरी बेहना...वाव... क्या चूस रही हो... कहाँ से सीखी ऐसे चूसना...ममम...'" कहता शशांक ने बहन की चूची को जोर से दबाया और दूसरी ओर अपनी ऊँगली और अंदर पेलाते हुए उसके कान में फुस फुसाया...मुझे इसे खाना है..."

श्वेता अपना भाई का लंड को जोरसे चूसती भैय्या की मद भरे बातों का माज़ लेरही थी, भैय्या के औज़ार को हिलती, चूमती, खुद आह... ओह...सस्स... कर कुन मुना रही थी। इधर बड़ा भाई भी कुछ कम नहीं था। उसके गले में से भी अनोखी आवाजें निकल रही थी। दोनों भाई बहन में वासना की आग भड़क रहीथी और शशांक ने अपने दोनं हाथों को बहन के सर के पीछे ले जाकर पकड़ा और उसके मुहं को जोर से चोदने लगा। उसका मोटा लम्बा लंड श्वेता के गले मे फँस रही है...और उसके गले से 'न्गू।...न्गू... न्गू' की आवाजे निकल रहीथी।

भैया की इस जोरदार धक्के से श्वेता चकित हो गयी फिर भी उसे आनंद आया भैया के ऐसे बेदर्दी से उसके मुहं में अपना लैंड घुसना... कुछ देर बाद वह वह अपना स्पीड कम कर दिया और बहन को उठाकर अपने गोद में बिठाया।

एक दुसरे को वासना भरे आँखों से देखते दोनों एक दुसरे के आलिंगन में बंधे। वह दोनों ने अपने भाई बहन की सीमाएं लांघ दिए और उनका रिश्ता एक अनोखा मोड लेने लगी। शशांक का मर्दानगी श्वेता की जवान, गीली, और रसीली चूत पर रगड़ ले रही थी।
 
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ओह...ओह...ओह... आअह्हह्हह्ह।... भैय्या.आआआहहहहहहहा... तुम्हारा मोटा लंड मेरी बुर में घुसने को बेताब है... में उसकी फुदकना मेरी चूत पर महसूस कर रही हूँ... आवो अब चोद ही डालो मेरी इस नन्ही सी बुर को..." वह कही और अपना कमर उछली।

शशांक में अपनी बहन को नीचे लिटाया और उसने अपने दोनों टंगे फैलादी। शशांक ने उसके जंघों के बीच अपना सर रखा और बहन की प्यारी, कांवली बुर को चाटने लगा। उसका जीभ श्वेता के बुर के फांकों के बीच चल रही थी।

जैसे ही भैया के टंग (tongue) वहां पड़ी वह और जोर से उछली और उसकी चूत की मांस पेशिया अपना रस छोड़ने लगे, जिसे शशांक चाव से पी रहा था। श्वेता ने अपने भय्या के बालों मे उंगलिअ फेरती उसके सर को जोर से अपने बुर पर दबा ते हुए कह रही थी "आअह्ह...भैय्या... चाटो अपनी बहन की गीली बुर को। जाने दो और अंदर अपने जीभ को...यह...यह... और।.और... मेरे प्यारे भाई...ममम..." वह अपने आप को सम्भाल नहीं पा रही थी और अपनी कमर ऊपर ऊपर उछाल रही थी।

"भैया...आआह. अब मत रुलाओ मुझे... प्लीज. आवो इस बहन को चोदो...चोदो...चोदो जोरसे... आआह्ह्ह्ह " कहती श्वेता ने अपने भाई को अपने ऊपर खींचली।

शशांक ने अपनि बहन के फैंको बीच अपना हलब्बी सूपड़ा दबाया और एक जोर का धक्का दिया। फांके चौड़ा कर भैया का सूपड़ा बहन की अंदर घँस गयी।

उसका हेड बहुत टाइट है और उसने एक और धक्का दिया 3 इंच और अंदर चला गया। उसके लंड को अंदर जाने के लिए कुछ बाधा है... "ओफ़्फ़्फ़... मेरी बहेन तो कुंवारी है... साली अभी तक किसी से चूदी नहीं है...आज कल तो लड़कियां की उम्र 14, 15 होते ही चुद जाती है... मैं भी कितना लकी हूँ, मैं खुद 15 साल की मेरी क्लास कि लड़की को चोद चूका हूँ जब मेरी उम्र 16 साल थी' वह सोच रहा था और उसे ऐसा महसूस हो रहा है की वह जन्नत में है।

"आआआअह्हह्ह्ह्ह... भ...यया...आह...दर्द...उम्म्म...धीरे" श्वेता कही पर अपना कमर उछलना नहीं भूली।

शशांक धीरे से अपना मुस्सल बहन की बुरमें से थोडासा बाहर खींचा फिर अंदर स्ट्रोक किया... ऐसा ही दो तीन बार करा तो श्वेता की मदन पुष्प मदन रस रिसने लगी। उस रस ने अपना कमाल दिखया और अब शशांक का सब्बल आराम से अंदर बहार हो रहा था। अब बहन को भी आनंद आने लगा और अपने भैया को जोर से जकड़ रही थी।
 

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"आज शाम को" वह धीरे से बोली लेकिन अपने हाथ अपने मुहं से नहीं निकाली. "क्या मेरे लिए ही साफ़ की हो?"

"क्या पता...आज शाम जब पानी नहा रही थी तो उस बालों से चिढ़ चिढ़ लगने लगा... तो मैंने ऐनी फ्रेंच (Anne French) क्रीम लगादी"!

शशांक ने अपने उंगलियों से अपनी बहन की फुली होंठो को चौड़ा किया तो उसे एक छोटासा, नमी लाला रंग की छेद दिखी। वह झुक कर अपनी जीभ उस होंठो के बीच लगा और नीचे से ऊपर तक चलाया। जैसे ही उसका भाई उसकी इतनी सेन्सुयस जगह जीभ लगाते ही श्वेता के सारे बदन में आग फैली और उसका बदन में एक हल्का झूरी झूरी सा कम्पन हुआ।

"भैय्या यह क्या कर रहे हो? छी...छी वहां पर भी कोई मुहं लगाते क्या?" वह फिर से जाँघे बंद करने की कोशिश की.

"तुम्हे इस चूत की मज़ा देना चाहता हूँ... तुम्हे ठीक है की नहीं... तम हां कहोगी तो ही मैं आगे बढूंगा" और वह अपने बहन की की ओर देखने लगा।

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श्वेता का सारा शरीर आग में झुलस रही थी "SSShhhh... aaahhhh...ssss..." वह खुशी की चीत्कार की। भैया का ऐसा करने से उसे बहुत मज़ा आ रहा था, और अच्छा लग रहा था।

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