Incest अम्मी बनी सास

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शाज़िया भी अब नीलोफर की छेड़ छाड़ से गरम हो गई और उसी गरमी का यह असर था। और शायद इस गर्मी का नतीजा था कि जिस की बदोलत शाज़िया के हाथ अब अपने आप ही नीलोफर के चूचों पर चले गये और वह भी अब अपनी सहली के चूचों को अपने हाथ में थाम कर उन्हे आहिस्ता-आहिस्ता दबाने लगी।

आज नीलोफर ने शाज़िया के जिस्म के अंदर की आग को अपनी बातों और हरकतों से इस तरह उभारा था। कि शाज़िया नीलोफर के आगे बे बस हो कर अपने आप को अपनी सहेली के रहमो करम पर छोड़ने पर तूल गई।

शाज़िया तो पहले ही अपनी सहली की मेहरबानी से मुकम्मल नंगी हो चुकी थी।

अब शाज़िया भी यह चाहती थी। कि नीलोफर भी उस की तरह पूरी बे लिबास हो जाय। ता कि वह भी नीलोफर के जिस्म के निशे-बो-फिराज़ को देख सके।

इस से पहले कि वह नीलोफर से अपनी ख़्वाहिश का इज़हार करती। नीलोफर ने ख़ुद ही शाज़िया से अलहदा होते हुए एक-एक कर के अपने सारे कपड़े अपने जिस्म से उतार फेंके।

शाज़िया ने आज पहली बार अपने अलावा किसी और औरत को अपनी आँखों के सामने इस तरह हालत में पूरा नंगा देखा था।

इस के बावजूद कि शाज़िया किसी भी तरह से लेज़्बीयन नहीं थी। मगर फिर भी अपनी सहेली को यूँ अपने सामने नंगी हालत में देख कर शाज़िया के बदन से पसीना छूटने लगा और उस की चूत में लगी आग मज़ीद भड़क उठी।

नीलोफर अपनी दोस्त की आँखों के बदलते हुए रंग को देख कर समझ गई कि उस की दोस्त को उस का यूँ नंगा होना अच्छा लगा है।

शाज़िया के इस अंदाज़ देख कर नीलोफर को यक़ीन हो गया कि अब उस के लिए शाज़िया को काबू करना मुस्किल नहीं रहा।

यह सोचते हुए नीलोफर नंगी हालत में शाज़िया के नज़दीक हुई और उस ने जिन्सी गरमी की वज़ह से पसीना-पसीना होते हुए शाज़िया के जिस्म को अपनी बाहों में दुबारा बाँधा। फिर अपने होंठ शाज़िया के पसीने से भीगी हुई गर्दन पर रख कर नीलोफर उस की गर्दन को चूमने लगी, चाटने लगी।

अपनी गरदन पर चिपके नीलोफर के होंठ शाज़िया को मदहोश करने लगे और मज़े से उस की आँखे बंद हो गईं।

थोड़ी देर में नीलोफर के होन्ट शाज़िया की गर्दन से-से हट कर रेंगते हुए उस के गालो को किस करते शाज़िया के होंठो पर आन टिके।

नीलोफर के गुदाज होंठो ने शाज़िया के होंठो में को अपने क़ैद में लिया तो शाज़िया पिघल कर रह गई।

एक औरत के साथ ऐसे प्यार का अंदाज़ शाज़िया के बिल्कुल अनोखा और अलग था। जिस का स्वाद वह ज़िंदगी में पहली बार ले रही थी।

नीलोफर के तपते होंठ शाज़िया के लबों पर आ कर उस के भीगे होंठों को चूमने लगे।

अपने लबों पर नीलोफर के लबों को महसूस करते ही शाज़िया के होंठ ख़ुद ब ख़ुद खुलते चले गये।

नीलोफर की लंबी ज़ुबान अब शाज़िया के मुँह में दाखिल हो कर शाज़िया की ज़ुबान से अपनी लड़ाई लड़ने लगी।

उन दोनों के थूक मिक्स होने लगे और वह एक दूसरे की ज़ुबान को चूसने लगीं।

शाज़िया के हाथ नीलोफर के बालों में घूम रहे थे। जब कि नीलोफर के हाथ शाज़िया के नंगे मम्मो को अपने हाथों में थाम कर उन से खेलने में मसरूफ़ थे।

दोनो सहेलियो के हाथों और ज़ुबानो ने एक दूसरे के जिस्म और चूत में जिन्सी आग का शोला भड़का दिया था। जिस को ठंडा करना अब उन के लिए लाज़िम था।

दोनो सहेलिया एक दूसरे के होंठो को चूस्ते-चूस्ते पास पड़े बिस्तर पर आ पहुँची।

बिस्तर कर करीब आते ही नीलोफर ने धक्का दिया तो शाज़िया कमर के बल बिस्तर पर गिर गई।

शाज़िया के बिस्तर पर लेटते ही नीलोफर भी उस के जिस्म के ऊपर चढ़ कर लेट गई।

बिस्तर पर एक धम्म से गिरने की वज़ह से शाज़िया के बड़े-बड़े मम्मे उस की छाती पर अभी टक थक ठक कर के उछल रहे थे।

शाज़िया के चूचों को इस तरह उछलते देख कर नीलोफर और जज़्बाती हुई.और उस ने अपने मुँह को आगे बढ़ा कर अपनी सहेली के मोटे उभरे हुए निपल्स को अपने मुँह में भर का चूसना शुरू कर दिया।

नीलोफर के होंठ शाज़िया के निपल्स से ज्यों ही टच हुए. तो शाज़िया के निपल उस चूचों पर पहले से भी ज़्यादा एक शान से तन कर खड़े हो गये।

शाज़िया का अंग-अंग जवानी की आग में दहक रहा था। उस की साँसे बहुत तेज़ी से चलने लगीं।

जब कि पसीने से भीगे हुए उस के चूचों को नीलोफर दीवाना वार चूस-चूस कर अपने होंठो और मुँह से मज़ीद गीला कर चुकी थी।

शाज़िया के निपल्स और मम्मे चूसने और चाटने के बाद नीलोफर शाज़िया के पेट पर झुकी और फिर वह शाज़िया के पेट पर अपनी गरम ज़ुबान फिराने लगी।

शाज़िया का पसीने छोड़ता नमकीन बदन नीलोफर को बहुत ही मज़ेदार लग रहा था।

इस मज़े में मदहोश होते हुए उस की ज़ुबान अपनी सहेली के जिस्म का अंग-अंग को चूसने लगी।

अब नीलोफर के गीले होंठ शाज़िया की धुनि के पास से सरकते सिरकते हुए नीचे की तरफ़ सफ़र करने लगे।

और आहिस्ता-आहिस्ता नीलोफर की ज़ुबान शाज़िया की चूत की पास पहुँच गई।

अपनी चूत के इतने नज़दीक नीलोफर के होंठो को महसूस कर के पहले तो शाज़िया को समझ ही नहीं आई कि नीलोफर करने क्या जा रही है।

नीलोफर शाज़िया की प्यासी चूत के इतने नज़दीक थी। कि उस के मुँह से निकलती हुई गरम साँसे शाज़िया को अपनी चूत पर सॉफ महसूस हो रही थीं।

नीलोफर: शाज़िया एक औरत जब किसी दूसरी औरत की चूत पर अपनी ज़ुबान फेरती है तो क्या होता है यह तुम आज ख़ुद महसूस कर लो मेरी जान।

इस से पहले कि शाज़िया को कुछ जवाब दे पाती। नीलोफर ने अपने प्यासे गरम होन्ट अपनी सहेली की पानी-पानी होती चूत के लबों पर चिस्पान कर दिए।

"हाआआआ" शाज़िया के मुँह से एक सिसकारी उभरी और उस की फूली हुई गुलाबी फांकों वाली चूत से रस की एक बूँद टपक कर बिस्तर की चादर पर गिर पड़ी जो बिस्तेर की चादर को गीला कर गई।

जैसे ही नीलोफर के होंठ शाज़िया की चूत पर हरकत करने लगे। शाज़िया को यूँ लगा जैसे उस की चूत पर चींटियाँ रेंगने लगीं हों।

शाज़िया के लिए जवान का यह एक नया ही तजुर्बा था।

"नीलोफर यह तुम ने कैसी आग लगा दी है मेरे अंदर यार, ऐसी आग तो मेरे शोहर ने भी कभी नहीं लगाई थी मुझे। नीलोफर मुझे संभाल में बहक रही हूँ!" शाज़िया मज़े से चिल्लाई.' इंसानी ज़िन्दगी का यह मज़ा पा कर शाज़िया तो जैसे पागल ही हो गई थी। उस वक़्त उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उस के सारे जिस्म में एक करेंट दौड़ रहा हो।

शाज़िया नीलोफर की इस हरकत से इतनी पागल हो गई कि उसने बे ख़ुद होते हुए नीलोफर को उस के सर के बालों से पकड़ा और उस के मुँह पर अपनी चूत ज़ोर-ज़ोर से रगड़ने लगी।

उस की मुँह से सिसकारी भरी आवाज़े निकालने लगी एयेए आआआआ आआअहह आआआआआआआआआआहह और साथ शी साथ मज़े की शिद्दत से वह अपने होन्ट भी काटने लगी।

कुछ देर बाद नीलोफर ने शाज़िया की चूत से अपना मुँह अलग किया और बोली "चल अब 69 पोज़िशन करते हैं"।

शाज़िया हान्फते हुए बोली "वह क्या होता है?"

शाज़िया के तो फरिश्तो को भी नहीं पता था कि यह 69 किस को कहते हैं।

नीलोफर: में जैसा कहती हूँ तुम वैसे ही करो बुद्धू।

नीलोफर उठी और बिस्तर पर चित लेटी हुई शाज़िया के ऊपर इस तरह आ कर लेटी. कि उस का सिर शाज़िया की टाँगो के दरमियाँ आ गया और उस के पैर शाज़िया के सिर की तरफ़ चले गये।

अब बिस्तेर पर पोज़िशन कुछ इस तरह थी कि। शाज़िया नीचे लेटी थी और उस के मुँह के सामने नीलोफर की फुद्दि बिल्कुल खुली हुई थी।

अपनी सहेली की चूत को इतने नज़दीक से देख कर शाज़िया की आँखों में एक चमक आई।

नीलोफर की चूत को देखते-देखते शाज़िया को ऐसे लगा जैसे नीलोफर की चूत शाज़िया को कह रही हो"शाज़िया जैसे तुम्हारी सहेली तुम्हारी चूत चाट रही है। तुम भी मेरी ऐसे ही चूत चाट लो यार"।

शाज़िया अभी अपनी दोस्त की चूत के लिप्स का जायज़ा ही लेने में मसरूफ़ थी। कि ऊपर से नीलोफर की पानी छोड़ती चूत का एक कतरा शाज़िया के खुले होंठो से होता हुए उस के हलक में जा गिरा।

शाज़िया को अपनी दोस्त की चूत का पानी का ज़ायक़ा अजीब-सा महसूस हुआ।

इस से पहले कि शाज़िया नीलोफर को ऊपर से हटने का कहती। नीलोफर ने अपनी खुली टाँगें शाज़िया के मुँह पर कसी और ख़ुद अपनी ज़ुबान शाज़िया की मस्त चूत पर दुबारा फैरने लगी।

यह सच है कि कोई औरत जान बूझ कर या माँ के पेट से लेज़्बीयन पेदा नहीं होती। यह तो वह जिन्सी हवस है जो एक औरत को दूसरी औरत से प्यार करने पर मजबूर कर देती है।

नीलोफर की ज़ुबान अपनी चूत पर महसूस कर के शाज़िया फिर से गरम हो गई और ना चाहते हुए भी उस ने अपने सर को हल्का-सा हवा में बुलंद किया और अपने सामने खुली नीलोफर की चूत के लिप्स पर अपनी ज़ुबान रख कर उसे चूसने लगी।

साथ ही साथ उस ने अपनी हाथ से नीलोफर की गान्ड को जकड़ा और उस की गान्ड को थाम कर दबाने लगी।

नीलोफर की चूत का नमकीन टेस्ट शाज़िया को अब बहुत मज़ेदार लग रहा था।

शाज़िया को यूँ अपनी चूत पर ज़ुबान फेरते हुए नीलोफर को भी मज़ा आने लगा और वह भी अपनी कमर उछाल-उछाल कर अपनी फुद्दि शाज़िया के मुँह पर ज़ोर ज़्ज़ोर से मारने लगी।

नीलोफर ने अब शाज़िया की चूत के दाने को अपने होंठों में दबा लिया तो ओ! आरर! हाऐय! " शाज़िया के मुख से चीख निकली और उस का जिस्म अकड़ गया।

नीलोफर ने उसकी चूत में ज़ुबान डाल कर चाटना शुरू कर दिया तो शाज़िया ने भी नीलोफर की तरह करते हुए उस की चूत चाटनी शुरू कर दी।

अब दोनों 69 पोज़िशन में एक दूसरे की चूत चाट रही थीं और "अहाआआअ" कर रही थीं।

अब दोनों दोस्त अपनी हवस की आग में जलती हुई एक दूसरे की चूत को चाट-चाट कर खाने लगीं।

चूत की चटाई का क्या मज़ा होता है आज शाज़िया को यह पता चल चुका था और वह अपने चूतड़ ज़ोर से हिला-हिला कर नीलोफर की ज़ुबान से मज़ा ले रही थी।

नीलोफर की जबर्जस्त क़िस्म की सकिंग ने शाज़िया को हाला बुरा कर दिया। उस लग रहा था कि अब उस की चूत में उबलता हुआ लावा उस के कंट्रोल से बाहर होने लगा है।

इधर शाज़िया के होंठो ने नीलोफर का भी यही हाल किया था। उस की चूत की गहराई से चूत का लावा भी ज़ोर-ज़ोर से उच्छलने लगा और वह भी पागलों की तरह अपनी सहेली की चूत को चाटने लगी।

और फिर एक दम से दोनों के जिस्मो एक साथ अकडे और एक साथ ही दोनों के जिस्म झटके मारने लगे।

दोनो की फुद्दियो से उन की चूत का पानी एक फव्वारे की शकल में उबल कर एक दूसरे के मुँह में गिरने लगा।
 
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"ऊऊऊऊ! .आआआआहह! उूुऊउगगगगगघह!" की आवाज़ें दोनों के हलक से निकल रही थीं। लेकिन ये पता नहीं चल रहा था। कि कौन-सी आवाज़ किस की है और फिर वह दोनों थक कर बिस्तर पर बेसूध और बे जान लेट गईं।

"बहुत मज़ा आया शाज़िया" नीलोफर ने शाज़िया के जिस्म के गिर्द अपनी बाहों का घेरा डालते हुए उस से पूछा।

" उफफफफफफ्फ़। उईई...आअहह! आागगगगगगग! नीलोफर! तुम ठीक कह रही हो, एक औरत ही औरत की प्यास को जान और समझ सकती है और जो मज़ा एक औरत दूसरी औरत को दे सकती है वह शायद एक मर्द भी नहीं दे सकता। शाज़िया ने जवाब दिया।

"यार जितनी आग तुम्हारी चूत में दबी हुई है वह कोई औरत कम नहीं कर सकती, इस आग को ठंडा करने के लिए तुम्हे एक मोटे बड़े और सख़्त जवान लंड की ज़रूरत है। अगर तुम कहो तो में इस लंड का तुम्हारे लिए बंदोबस्त करूँ। यार अगर यह लंड एक दफ़ा तुम अपनी फुद्दि में ले लो गी। तो यक़ीन मानो तुम मरते दम तक इस लंड का पीछा नहीं छोड़ो गी" नीलोफर ने टीवी स्क्रीन पर अभी तक अपनी और ज़ाहिद की चलती हुई मूवी की तरफ़ इशारा किया।

इस सीन में नीलोफर अपने दूसरे आशिक का लंड अपने मुँह में ले कर उस का चुसाइ लगा रही थी।

जिस आदमी के ये लंड था उस का चेहरा तो शाज़िया को नज़र नहीं आ रहा था। मगर उस आदमी का लंड नीलोफर के पहले आशिक़ के मुक़ाबले में बहुत ज़्यादा बड़ा और मोटा और सख़्त नज़र आ रहा था और इस शानदार लंड को देख कर शाज़िया फिर बहकने लगी।

शाज़िया: यार सच पूछो तो में भी अपनी ज़िन्दगी का मज़ा लेना चाहती हूँ मगर डर लगता है।

नीलोफर: यार आज से मेरी बात मानो और यह डर वर निकाल कर जवानी का मज़ा लो और तुम फिकर मत करो, देखना में जल्द ही इस लंड को तुम्हारी फुद्दि में डलवा दूं गी मेरी बानू।

"चलो हटो मुझे शरम आती है" शाज़िया नीलोफर की बात से शरमा गई और उस ने अपने आप को नीलोफर से अलग करते हुआ कहा।

शाम होने को थी। इस लिए शाज़िया ने उठ कर अपने कपड़े पहने और फिर नीलोफर को उसी तरह नंगा छोड़ कर अपने घर वापिस जाने के लिए निकल पड़ी।

नीलोफर के बनाए हुए गरम पकौड़े और चाइ तो टेबल पर पड़ी-पड़ी ठंडी हो गईं थीं। मगर नीलोफर ने शाज़िया की प्यासी फुददी में आज एक नई आग लगा कर उसे इतना गरम कर दिया था। कि अब शाज़िया के लिए उसे ठंडा करने के लिए किसी गरम रोड की ज़रूरत महसूस होने लगी थी।

शाज़िया ने अपने घर वापिस आते ही अपने कमरे में जा कर अपने कपड़े चेंज किए और फिर अपनी अम्मी के साथ घर के काम में उन का हाथ बंटाने लगी।

ज़ाहिद एक हफ्ते से अपनी एक डिपार्ट्मेनल ट्रैनिंग के सिलसिले में झेलम से बाहर था। वह भी उसी शाम ही वापिस अपने घर आया।

ज्यों ही ज़ाहिद अपने घर पहुँचा तो उस की अम्मी ने उस के लिए दरवाज़ा खोला और वह एक हफ्ते की जुदाई के बाद अपने बेटे से मिल कर बहुत खुश हुईं।

"बेटा तुम अंदर टीवी लाउन्ज में बैठो में तुम्हारे लिए पानी ले कर आती हूँ" कहते हुए रज़िया बीबी पानी लेने किचन में चली गईl

ज़ाहिद टीवी लाउन्ज में एंटर हुआ तो शाज़िया को सोफे पर बैठ कर टीवी देखते पाया।

शाज़िया भी अपने भाई ज़ाहिद को इतने दिनो बाद मिल कर बहुत खुश हुईl

अपनी बेहन से सलाम दुआ के बाद ज़ाहिद भी शाज़िया के पास ही सोफे पर बैठ गया।

ज़ाहिद को शाज़िया के साथ सोफे पर बैठे एक मिनट ही गुज़रा कि उन की अम्मी ने किचन से शाज़िया को पुकारा।

अम्मी की आवाज़ सुन कर शाज़िया अपनी अम्मी की बात सुन उन के पीछे-पीछे ही किचन की तरफ़ चल पड़ी।

शाज़िया ने आज सफेद कमीज़ और हल्की ब्लू कलर की पटियाला स्टाइल की शलवार पहनी हुई थी।

उस की कमीज़ तंग और छोटी होने की वज़ह से शाज़िया की गान्ड को पूरी तरह कवर नहीं करती थी। जब कि शाज़िया की पटियाला शलवार का घेर होने का बावजूद शाज़िया की नर्म और भारी गान्ड के खूबसूरत कूल्हो को छुपाने से असमर्थ थी l

ज़ाहिद की नज़रें पीछे से अपनी बेहन के बड़े-बड़े कूल्हों पर जम गईं और वह बैठा अपनी बहन के जिस्म का जायज़ा लेने लगा।

शाज़िया के खूबसूरत कूल्हे, उस पर पतली-सी कमर और दोनों तरफ़ लटके नाज़ुक-नाज़ुक गोरे गोरे हाथ जिस पर नाज़ुक-नाज़ुक से ब्रॅसलेट। जिन की झंकार शाज़िया के कूल्हों की हर ताल से ताल मिलाती थी।

ज़ाहिद ने महसूस किया कि चलते-चलते उस की बेहन ने जैसे अपने कूल्हे और भी थोड़ा हिलाना शुरू कर दिए हों।

एक अदा से चलने की वज़ह से शाज़िया के कूल्हे मज़ीद थिरक उठते थे। शाज़िया यह नहीं जानती थी कि आज यूँ अपने भारी कूल्हे थिरकाने से उस के सगे भाई के दिल का सुकून बर्बाद होने लगा था।

अपनी बेहन की मस्त गान्ड का यह नज़ारा देख कर ज़ाहिद की आँखें फटी रह गईl

बेहन की मस्त गान्ड पर अपनी नज़रें गाढ़े ज़ाहिद के दिमाग़ में दिलेर मेहंदी का यह गाना ख़ुद ब ख़ुद गूंजने लगा।

" शाडे दिल ते चन्गि चलिया

ते रह गे असेन लंड फाड़ केl

जादू "बेहन" ने

मूर वांगू पेलान पायाँ l"

ज़ाहिद अपनी ज़िंदगी में कई औरतों की गान्ड को चोद चुका था। लेकिन उस ने आज तक इतनी सेक्सी और जबर्जस्त गान्ड किसी भी औरत की नहीं देखी थी।

ज़ाहिद बेहन की मटकती हुई गान्ड को देख कर दिल ही दिल में सोचने लगा कि अगर उसे अपनी बेहन की गान्ड चोदने को मिल जाय।तो वह तो ज़िंदगी भर उस की गान्ड ही मारता रहे।

मगर ज़ाहिद यह जानता था। कि इस की यह ख़्वाहिश पूरी होना अगर ना मुमकिन नहीं तो बहुत ही मुश्किल ज़रूर है और अपनी इस ख्वाइश को पूरा होने में कितना अरसा लगे गा यह वह नहीं जानता था।

इस लिए ज़ाहिद ने शाजिया के किचन में जाने के बाद पास पड़े हुए सोफे के कशन को अपनी गोद में रखा और अपनी पॅंट की पॉकेट में हाथ डाल कर अपने खड़े लंड को मसल कर कहने लगा "बैठ जा बेहन चोद क्यों मरवाएगा मुझे"

थोड़ी देर बाद ज़ाहिद की अम्मी उस के लिए पानी का ग्लास ले आई और बेटे हो पानी दे कर उस के पास ही सोफे पर बैठ गईं।

कुछ देर के बाद शाज़िया किचन से खाने के बर्तन और सालन वग़ैरह लाई तो तीनो माँ बेटा बेटी ने काफ़ी अरसे बाद इकट्ठे एक साथ बैठ कर खाना खाया।

खाने से फारिग होते ही शाज़िया किचन में जा कर बर्तन धोने में मसरूफ़ हुई. तो रज़िया बीबी ने अपने से शाज़िया की दुबारा शादी की बात करने का सोचा।

रज़िया बीबी: ज़ाहिद बेटा मेरा दिल है कि शाज़िया की दुबारा शादी कर दूं।

"चाहता तो में भी यह ही हूँ, मगर आप ने शाज़िया से उस की रज़ा मंदी पूछी है" ज़ाहिद ने अम्मी को कहा।

ज़ाहिद ने यह बात कहने को कह तो दी मगर अंदर से उस का दिल हरगिज़-हरगिज़ यह नहीं चाह रहा था कि उस की बेहन शादी कर के उस की आँखों से ओझल हो जाय।

क्योंकि अगर अभी तक जमशेद की तरह अपनी बेहन से अपने जिन्सी ताल्लुक़ात क़ायम करने की हिम्मद नहीं पेदा कर पाया था। मगर इस के बावजूद अब उस को अपनी भोकी नज़रों से अपनी ही सग़ी बेहन के मोटे बदन को टटोलने में मज़ा आने लगा था।

रज़िया बीबी: बेटा में चाहती हूँ कि पहले तुम से बात कर लूं, तुम अब शादी की हाँ कर दो ता कि में किसी रिश्ते वाली से कह कर तुम्हारा और तुम्हारी बेहन का रिश्ता तलाश कर के दोनों काम इकट्ठे निपटा दूँ।

"अम्मी आप मेरी फिकर मत करिए आप शाज़िया के बारे में पहले सोचें" ज़ाहिद अपनी अम्मी की बात सुन कर जवाब दिया।

अभी दोनों मा बेटे में यह बात चीत जारी थी। कि इतनी देर में शाज़िया किचन से फारिग हो कर टीवी लाउन्ज में दाखिल हुई ।तो उस ने अपनी अम्मी और भाई के दरमियाँ होने वाली बात चीत का आखरी हिस्सा सुन लिया।

आज से पहले अपनी जिस्मानी प्यास के हाथो बे चैन होने के बावजूद शाज़िया अक्सर यह सोचती थी। कि किसी बूढ़े आदमी से शादी कर के उस के ढीले लंड को अपनी फुद्दि में लेने से बेहतर है कि इंसान अपनी उंगली से ही अपने आप को ठंडा कर ले।

और आज नीलोफर के हाथो और ज़ुबान से अपनी प्यासी फुददी की प्यास बुझवा कर शाज़िया के दिल में लंड की बेचैनि मज़ीब बढ़ तो गई थी। लेकिन इस के साथ-साथ नीलोफर ने शाज़िया को आज यह भी समझा दिया था। कि औरत के जिस्म की प्यास बुझाने के लिए मर्द का साथ ज़रूरी तो है मगर लाज़मी नही।

इसी बात को ज़हन में रखते हुए शाज़िया अपनी इस बात पर अब पहले से ज़्यादा क़ायम हो गई थी। के जब टुक उस को अपनी मर्ज़ी का कोई मुनासाब जवान रिश्ता नहीं मिलता। वह दुबारा शादी करने में जलद बाज़ी नहीं कार्य गी।

क्योंकि स्याने कहते हैं ना के "कोजे ऱोणे नालून चुप चांगी"।

(बुरा रोने से खामोशी अच्छी है)

रज़िया बीबी ने जब अपनी बेटी को कमरे में आते देखा तो बोली "शाज़िया बेटा आओ बैठो हम दोनों तुम्हारे बारे में ही बात कर रहे थे"

शाज़िया ज्यों ही कमरे में घुसी तो ज़ाहिद का मोबाइल फ़ोन पर उस के पोलीस स्टेशन से एक साथी पोलीस वाले की कॉल आ गई. जिस को सुनने ज़ाहिद उठ कर अपने कमरे की तरफ़ चला गया।

"मेरे बारे में क्या बात हो रही थी अम्मी" भाई के जाने के बाद शाज़िया ने अपनी अम्मी के सामने पड़े सोफे पर बैठते हुए पूछा।

रज़िया बीबी: बेटी मेरी ख़्वाहिश है कि मेरे मरने से पहले तुम अपना घर दुबारा बसा लो।

शाज़िया: अम्मी खुदा आप का साया हम पर सलामत रखे, आप क्यों ऐसी बात करती हैं।

रज़िया बीबी: बेटा वक़्त का क्या भरोसा, इस लिए में चाहती हूँ कि तुम दोनों बेहन भाई की शादी कर के में अपना फर्ज़ निभा दूं, मगर मुझे अफ़सोस है कि ना तुम्हारा भाई शादी पर तैयार होता है और ना तुम।

अम्मी भाई का तो मुझे पता नहीं मगर में आप को यह बात पहले भी बता चुकी हूँ कि मुझे किसी दूसरी शादी के ख़्वाहिश मंद बाबा से हरगिज़-हरगिज़ शादी नहीं करनी" शाज़िया ने इनडाइरेक्ट अपनी अम्मी को यह बात कह दी कि वह अब शादी करे गी तो किसी जवान मर्द के ही साथ ही करे गी।
 
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रज़िया बीबी जानती थी कि तलाक़ के बाद जो भी रिश्ता अब तक उस की बेटी शाज़िया के लिए आया था। वह सब मर्द शाज़िया की उमर से काफ़ी बड़े थेl

वैसे एक माँ होने के नाते रज़िया बीबी की भी दिली तमन्ना थी कि उस की बेटी की शादी उसी के हम उमर बंदे से ही हो। मगर रज़िया बीबी अब वह ऐसा रिश्ता लाती तो भी कहाँ से। इस लिए वह अपनी बेटी की बात सुन कर खुश हो गईl

उधर दूसरी तरफ़ शाज़िया के जाने के बाद नीलोफर ने कमरे की अलमारी में रखे हुए वीडियो रिकॉर्डर को चेक किया। तो उसे तसल्ली हो गई कि उस की और शाज़िया की लेज़्बीयन सेक्स की पूरी मूवी बन चुकी है।

मूवी देख कर नीलोफर को तसल्ली हो गई। और फिर उस ने अपने भाई जमशेद को फ़ोन कर के उसे अपने घर बुलाया।

जमशेद तो अपने घर बस अपनी बेहन के फ़ोन के इंतिज़ार में ही बैठा हुआ था। बेहन का फ़ोन सुनते ही वह तो जैसे हवा में उड़ता हुआ अपनी बेहन के घर आन पहुँचा।

जमशेद ने घर की बेल बजाई तो नीलोफर ने अपने नंगे जिस्म के गिर्द एक चादर लपेट कर घर का दरवाज़ा ख़ूला और अपने भाई का इस्तक्बाल किया।

अपने भाई को ले कर नीलोफर ज्यों ही अपने बेड रूम में दाखिल हुई तो जमशेद ने पूछा"तो फिर कैसा गुज़रा आप का वक़्त अपनी सहेली शाज़िया के साथ बाजी" ।

"उफफफफफफफफफ्फ़ क्या बताऊ शाज़िया तो मेरी चूत को इतना गरम कर गई है। कि अब तुम्हारे लंड लिए बैगर इस की प्यास नहीं बुझ पाइए गी भाई" कमरे के अंदर आते ही नीलोफर ने अपने जिस्म के गिर्द लिपटी अपनी चादर को अपने बदन से अलग करते हुए जमशेद से कहा।

यूँ तो अपनी बेहन के बदन को जमशेद बे शुमार मर्तबा ना सिर्फ़ नंगा देख चुका था। बल्कि कितनी दफ़ा वह ख़ुद अपने हाथो से अपनी बेहन के जिस्म से उस के कपड़े उतर कर उसे नंगा कर चुका था। लेकिन इस के बावजूद जमशेद जब भी अपनी बेहन को अपनी आँखों के सामने बे लिबास होते देखता। तो उस को हमेशा ही एक नया स्वाद मिलता।

इस लिए हमेशा की तरह आज भी अपनी बेहन के जिस्म को अपनी आँखों के सामने यूँ नंगा खड़ा देख कर जमशेद की तो बाछे ही खिल गईं।

उस ने एक लम्हे में ही अपने कपड़े उतार कर फ़र्श पर गिराए और फॉरन अपनी बेहन के बदन को अपनी बाहों में भर कर उस के चूचों को हाथ से मसलते हुए नीलोफर के होंठो को चूमने लगा।

दोनो बेहन भाई के लब आपस में टकराए। तो सेक्स की एक लहर उन दोनों के जवान जिस्मो में सर से ले कर पैर तक दौड़ती चली गई।

थोड़ी देर अपनी बेहन के होंठो को चूमने के बाद जमशेद ने नीलोफर को उस के सुहाग वाले बिस्तर पर लिटा दिया! और ख़ुद बिस्तर के नीचे फ़र्श पर अपनी बेहन की खुली हुई टाँगो के दरमियाँ बैठ कर अपनी बेहन की प्यारी चूत को प्यार से देखने लगा!

बेहन की चूत को कुछ देर प्यार से देखते और अपनी ज़ुबान को अपने होंठो पर फेरते हुए जमशेद अपनी नाक को अपनी बेहन की चूत के पास लाया और अंदर की तरफ़ अपनी तेज़ साँस खींचते हुए बोला! "ओह्ह ओह्ह आहह मेरी प्यारी बहन की चूत से कितनी मस्त करने वाली ख़ुश्बू आ रही है, निलो यक़ीन मानो तुम्हारी चूत की ख़ुश्बू दुनिया के सब से महनगे पर्फ्यूम से भी बढ़ कर प्यारी है मेरी जान"।

साथ ही साथ जमशेद ने अपना मुँह खोल कर अपनी बेहन की चूत के लबों को अपने मुँह में भर कर चूमा ।

तो नीलोफर के मुँह से मज़े के मारे सिसकियाँ निकलने लगीं।

नीलोफर अपने भाई के मुँह से अपनी चूत की इतनी तारीफ सुन कर पहले ही गरम हो गई थी। जब कि भाई के होंठो ने उस की जिस्मानी आग पर पेट्रोल का काम किया और वह मज़ीद गरम हो उठी।

मस्ती में डूबते हुए नीलोफर अब अपने भाई के मुँह से अपनी और ज़्यादा तारीफ सुनने के मूड में थी। इस लिए उस ने सिसकियाँ लेते हुए अपने भाई जमशेद से पूछा"ऊऊओह क्या तुम को सिर्फ़ मेरी फुद्दि ही अच्छी लगती है, क्या मेरे मम्मे तुम्हे खूबसूरत नहीं लगते भाई?"

जमशेद: ओह्ह निलो मेरी बेहन में ने आज तक इतनी खूबसूरत चूत और मम्मे नहीं देखे, तुम तो पूरी की पूरी ही मस्त माल हो। अह्ह्ह्ह में कितना खुश क़िस्मत हूँ कि मुझे तुम जैसी खूबसूरत बेहन चोदने को मिली है मेरी जान।

यह कहते ही जमशेद ने अपनी बेहन के गुदाज चुतड़ों पर हाथ रख कर उस की गान्ड को ऊपर उठाया और दुबारा अपने मुँह के नज़दीक किया और अपने मुँह को फिर नीलोफर की चूत पर लगा दिया।

नीलोफर फिर भाई की इस हरकत से मस्ती से बे काबू हो गई। "हाईईईईईईईईईई! लोग सही कहते हैं कि भाई, बहनो की इज़्ज़त के रखवाले होते हैं। तुम वाकई ही एक साँप बन कर अपनी बेहन की चूत के खजाने की हिफ़ाज़त करते हो भाईईईईईईईईईईईईईईई"!

जमशेद ने तीन चार बार बेहन की चूत पर अपनी ज़ुबान फेरी और फिर अपनी ज़ुबान को बेहन की चूत में डाल कर उसे चाटने लगा।

तो मज़े की शिद्दत से बे काबू होते हुए नीलोफर के मुँह से बे इख्तियार यह अल्फ़ाज़ निकल पड़े।

इस मज़े को पा कर नीलोफर तो दुनिया को भूल गई। और नीलोफर मस्ती में आते हुए अपने भाई के सर को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी।

जमशेद लपर-लपर अपनी बेहन की चूत को चाटने में मसरूफ़ था। कि इतने में पास रखे नीलोफर के मोबाइल फ़ोन की बेल बज उठी।

मज़े की शिद्दत में बेहाल नीलोफर को फ़ोन की बजती बेल बहुत ही नागवार गुज़री और उस ने अपने फ़ोन को नहीं उठाया।

थोड़ी देर जवाब ना मिलने पर फ़ोन करने वाले ने फ़ोन काट दिया तो नीलोफर ने सकून का सांस लिया।

जमशेद अभी तक अपनी बेहन की फुद्दि को खाने में मसरूफ़ था। वह दीवाना वार अपनी ज़ुबान को बेहन की चूत के अंदर तक पेल कर चाट रहा था। और अपनी बेहन की चूत से निकलने वाले रस को भी चाट-चाट कर ख़ाता जा रहा था।

दोनो बेहन भाई अपनी-अपनी मस्ती के जोबन पर थे। कि नीलोफर के मोबाइल फ़ोन की बेल दुबारा बज उठी।

नीलोफर ने झुंझला कर पास पड़े फ़ोन को उठा कर देखा।

"बाजी कौन है जो बार-बार फ़ोन किए जा रहा है" जमशेद ने अपनी बेहन की टाँगो के दरमियाँ फँसे अपने सर को उठाते हुए नीलोफर से पूछा।

"तुम्हारे दूल्हा भाई का फ़ोन है मसकॅट से" नीलोफर ने फ़ोन पर नज़र आते नंबर को देखते हुए थोड़े गुस्से में जमशेद को जवाब दिया।

"तो अप फ़ोन सुन ले ना" जमशेद ने कहा।

"नही अभी तुम अपना काम जारी रखो" नीलोफर ने अपने भाई के सर को पर हाथ रख कर उसे अपनी छूट चाटना जारी रखने का कहा।

"आप फ़ोन सुन लें नहीं तो भाई जान को कहीं कोई शक ना हो जाय" जमशेद ने अपनी बेहन को समझाते हुए कहा।

"अच्छा यार" कहते हुए नीलोफर ने फ़ोन ऑन कर दिया और अपने सर को बिस्तर से उठा कर नीचे अपनी फुद्दि की तरफ़ देखने लगी। तो वह अपनी जम कर चाटी हुई चूत को देख कर खुश हो गई।

"हेलो" नीलोफर ने फ़ोन ऑन करते हुए बोला।

"कहाँ हो इतनी देर से में फ़ोन किय जा रहा हूँ" नीलोफर के शोहर ने दूसरी तरफ़ से पूछा।

"घर ही हूँ, असल में अम्मी अब्बू गुजरात गये हुए हैं और में जमशेद भाई के साथ" खेल"रही हूँ, इस लिए आप के फ़ोन का पता नहीं चला" नीलोफर ने अपनी टाँगो के दरमियाँ खड़े हुए भाई को देखते हुए कहा।
 
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जमशेद अब अपनी बेहन की टाँगों को अपने हाथ में उठा कर उस की चूत पर आहिस्ता-आहिस्ता अपना मोटा लंड रगड़ने में मसरूफ़ था। वह भी अपनी बेहन की खेल वाली ज़ू महनी (द्विअर्थि) बात पर हल्का-सा मुस्करा उठा।

"अच्छा कौन-सी गेम खेल रहे हो तुम दोनों बेहन भाई" नीलोफर के शोहर ने नीलोफर से पूछा।

"हम दोनों" लुडो"खेल रहे हैं।" नीलोफर ने अपने भाई की आँखों में आँखे डालते हुए जवाब दिया।

इतनी देर में जमशेद ने अपनी गान्ड को हल्का-सा झटका दिया तो उस का लंड अपना रास्ता बनाता उस की बेहन की गरम फुद्दि में दाखिल हो गया।

और हमेशा की तरह जमशेद का लंबा लंड उस की बेहन नीलोफर की चूत की गहराइयों में पहुँच कर नीलोफर को मज़ा देने लगा।

ज्यों ही जमशेद का लंड उस की बेहन की फुद्दि में घुसा। तो भाई के गरम, सख़्त और जवान लंड को अपने अंदर दाखिल होता हुआ महसूस कर के नीलोफर के मुँह से रोकने के बावजूद एक हल्की-सी चीख निकल गई "हाईईइ!"

"क्या हुआ" अपनी बीवी की चीख सुन कर नीलोफर के शोहर ने फॉरन पूछा।

"कुछ नहीं बस वह जमशेद भाई के" साँप"ने मेरी" लुडो "के" दाने "को" काट"लिया है। जिस से में भाई के नीचे आ गई हूँ" नीलोफर ने अपने मुँह से निकलने वाली सिसकारियो को कंट्रोल करते हुए कहा। और साथ ही उस ने जमशेद को एक आँख मार दी।

जमशेद अपनी बेहन की इस बात चीत से बहुत महज़ोज़ हो रहा था। उस ने नीलोफर की फुद्दि में अपना लंड पेलते-पेलते आगे बढ़ कर अपनी बहन के जवान सख़्त चूचों को अपने मुँह में भरा और बेहन की चूत को चोदते हुए उस के चूचों को भी चूसने लगा।

"अच्छा जल्दी के साथ जमशेद से बात करवा दो फिर में ने अम्मी अब्बू को गुजरात फ़ोन करना है" नीलोफर के शोहर ने उस कहा।

"भाई यह लो" वो "आप से बात करना चाहते हैं" नीलोफर ने अपने शोहर के अहतिराम में उस का नाम नहीं पुकारा और अपनी फुद्दि में लंड पेलते हुए अपने भाई को फ़ोन पकड़ा दिया।

(वाकई ही नीलोफर अपने शोहर की दिल से इज़्ज़त करती थी। कि वह आहतरम उस का नाम अपनी ज़ुबान पर कभी नहीं लाती थी। । मगर अपने शोहर की सब से ज़्यादा संभाल कर रखने वाली इज़्ज़त (चूत) को उस के साले (अपने सगे भाई) के हाथो ही कई दफ़ा लुटवा चुकी थी)

"हेलो" जमशेद ने फ़ोन हाथ में लेते और अपने लंड अपनी बेहन की फुद्दि के अंदर बाहर करते हुए कहा।

"जमशेद यार अपनी बेहन को खुश और उस का ख़्याल रखा करो, मुझे नीलोफर से तुम्हारी शिकायत नहीं मिलनी चाहिए" नीलोफर के शोहर अपने साले से कहा।

"भाई जान आप फिकर ना करें में आप के कहे बिना ही बाजी का बहुत ख़्याल रख रहा हूँ" जमशेद ने अपने झटके की स्पीड बढ़ाते हुए कहा।

"शाबाश मुझे तुम से यह ही उम्मीद थी, अच्छा अब में ज़रा अम्मी को फ़ोन कर लूँ, फिर बात हो गी" यह कह कर नीलोफर के शोहर ने फ़ोन की लाइन काट दी।

जमशेद ने फ़ोन को बिस्तर पर एक तरफ़ फेंका और पास टेबल पर पड़े टीवी रिमोट को हाथ में ले कर कमरे की दीवार पर लगे टीवी पर नीलोफर और शाज़िया की लेज़्बीयन मूवी को ऑन कर दिया।

फिर जमशेद ने अपने हाथो को अपनी बेहन के चूचों पर रखा और झुक कर नीलोफर के होंठो को चूमते हुए अपने झटकों की रफ़्तार में एक दम बढ़ाते हुए अपनी बेहन के कान में सरगोशी की, "निलो।"

नीलोफर: हूँ।

जमशेद: मेरी बहन कैसा लग रहा है?

नीलोफर: ओह्ह भाई बहुत अच्छा। आआआआआअहह उउफफफफफफफफ्फ! ऊऊओह! भाईईईईईईईईईईईईई! बोहोत मज़ा देते हो तुम!

"मेरी बेहन, अब तो तुम्हारे शोहर ने भी मुझे तुम्हे खुस और तुम्हारा ख़्याल रखने का कह दिया है! अब तो में पहले से भी ज़्यादा अपनी बेहन की फुद्दि का ख़्याल रखूं गा मेरी जान" जमशेद ने अपना लंड नीलोफर की तंग चूत से हल्का-सा बाहर निकाला और फिर एक ज़ोर दार झटके से उस के अंदर अपना लंड घुसेड दिया।

उउफफफफफफफ! आआआआआआआआआआआआ! प्लेआस्ईईईई! आहिस्ताअ! एयेए! मारो गे क्या मुझ को" नीलोफर अपने भाई के ज़ोर दार झटकों को अपनी चूत में महसूस करते हुए मज़े से कराही।

जमशेद अब नीलोफर की गान्ड पकड़ कर उसे चोद रहा था। और नीचे से नीलोफर अपनी गान्ड उठा-उठा कर अपनी फुद्दि में भाई के लंड को लेते हुए मज़े से चुदवा रही थी।

साथ ही साथ दोनों बेहन भाई टीवी पर नीलोफर और शाज़िया की बनी हुई लिसेबियन फ़िल्म को देखने लगे।

जमशेद को शाज़िया के बड़े-बड़े मम्मे और मोटा भरा हुआ बदन देख कर बहुत जोश आ रहा था। और इस जोश में उस ने अपनी बेहन नीलोफर की भी जबर्जस्त चुदाई करने में मसरूफ़ था।

नीलोफर बहुत मज़े ले-ले कर अपने भाई के लंड से अपनी फुद्दि मरवा रही थी। " ऊऊऊऊओह! आआआआआआआआआ! उफफफफ्फ़! जमशेद प्लेसीईईईईईई! और चोदो मुझे उफफफफफफफफफ्फ़ पूरा डाल दो ना मैरी चूत में अपना लंड! उूउफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़!

नीलोफर के सुहाग के बिस्तर पर दोनों जवान बेहन भाई के नंगे जिस्म जल रहे थे! और दोनों बेहन भाई जवानी की आग में जलते हुए अपनी चुदाई की गर्मी को कम करने की कोशिश में मसरूफ़ थे।

बिस्तर पर बेहन भाई की जबर्जस्त चुदाई की फ़च्चा! फ़च्चा फॅक! फका फक! फक फॅक पूरे कमरे के महॉल को मज़ीद गरमा रही थी!

पुरजोश चुदाई के हाथों नीलोफर इतनी गरम हो गई कि उस के लिए अपनी चूत के पानी को अपने अंदर रोकना ना मुमकिन हो गया।

फिर देखते ही देखते नीलोफर के जिस्म ने एक झटका खाया और उसे मंज़िल मिल गई।

अपनी बेहन के झटके खाते जिस्म को देख कर जमशेद समझ गया कि उस की बेहन छूट रही है।

इस लिए उस ने भी अपना लंड अपनी बेहन की चूत से निकाल कर अपने सारा वीर्य अपनी बेहन के पेट के ऊपर ही उडेल कर उस के पेट को भर दिया।

कुछ देर अपनी बिखरी सांसो को समेटने के बाद जमशेद ने डीवीडी से शाज़िया वाली मूवी निकाली और अपनी बेहन को उसी तरह नंगा छोड़ कर अपने घर वापिस चला आया।

जमशेद ने अपने घर में आ कर शाज़िया की डीवीडी से कुछ फोटोस इस तरह एडिट कर के निकाल कर प्रिंट कर लीं।

जिन में शाज़िया का बदन तो पूरे का पूरा नंगी हालत में नज़र आता था। मगर उस का चेहरा या तो ब्लर था। या फिर चूचों से ऊपर का हिस्सा नज़र ही नहीं आ रहा था।

अपने काम से फारिग होने के बाद जमशेद जल्दी से दुबारा अपनी बेहन नीलोफर के पास पहुँचा तो देखा कि उस की बेहन किचन में खड़ी खाना बना रही थी।

जमशेद ने चुपके से किचन में जा कर खाना बनाती हुई अपनी बेहन को पीछे से अपनी बाहों में जकड़ा और उस की गर्दन पर अपने होन्ट रख कर उस की गरदन चूमने लगा।

"आज बड़ा प्यार आ रहा है अपनी बेहन पर तुम्हें जमशेद" नीलोफर ने भाई के गरम होन्ट अपनी गर्दन पर महसूस करते हुए उस से पूछा।

"क्या करूँ बाजी आप ने मुझे अपने इश्क़ में पागल ही इतना कर दिया है" जमशेद ने पीछे से अपने तने हुए लंड को बेहन की गान्ड की वादियों में रगड़ते हुए जवाब दिया। फिर उधर खड़े-खड़े जमशेद ने अपनी बेहन को शाज़िया वाली फोटोस दिखाई।

"बहुत जबर्जस्त और बेहतरीन फ़न का मुज़ैरा किया है तुम ने भाई" नीलोफर अपने भाई के काम से बहुत खुश हुई। नीलोफर ने ख़ुशी के मारे अपना मुँह मोड़ कर पीछे किया और अपने भाई के मुँह में मुँह डाल कर उसे एक ज़ोर दार क़िस्म की चूमि दे दी।

"तो इस जबर्जस्त काम का इनाम क्या मिले गा मुझे" जमशेद ने शरारती नज़रों से अपनी बेहन को देखते हुआ पूछा।

"मेरी चूत को चोद-चोद कर फाड़ दिया है तुम ने और अभी किसी इनाम की कसर है तुम्हें" नीलोफर ने भी उसी लहजे में अपने भाई को मुस्कराते हुए जवाब दिया।

"बाजी तुम जानती हो कि मेरा दिल तुम से ना कभी भरा है और ना कभी भरेगा" कहते हुए जमशेद अपनी बहन के नज़दीक हो गया।

"अच्छा तुम्हारे लिए ख़ुशी की ख़बर यह है कि मेरे सास और सुसर आज रात गुजरात में ही रहेंगे, अब हम दोनों पूरी रात घर में अकेले हैं और तुम्हारी बेहन तुम्हारे इनाम की शकल में तुम्हारे सामने खड़ा है भाई" नीलोफर ने अपने भाई को यह बात बताते हुए कहा।

"उफफफफफफफफफ्फ़! यह तो बहुत ही जबर्जस्त बात है, चलो इसी ख़ुशी में फिर जशन मनाया जाय बाजी" जमशेद ने कहते हुए अपनी बेहन के पीछे ही खड़े-खड़े उस की कमीज़ उतार कर उसे आधा नंगा कर दिया।

अब नीलोफर अपने ब्रेजियर और शलवार में मलबूस अपने भाई की बाहों में जकड़ी खड़ी थी।

अपने जिस्म के ऊपर वाले हिस्से के नंगा होते ही नीलोफर ने अपने हाथो को अपने चूचों पर रख कर उन को अपने भाई से छुपाने का झूठा नाटक करने लगी।

जमशेद को अपनी बेहन का यूँ शरमाना अच्छा लगा। और उस ने भी जोश में आते हुए अपना एक हाथ नीलोफर के चूचों पर रखा। और दूसरा हाथ उस कर पेट पर घुमाते-घुमाते उस की शलवार के अंदर डाल कर नीलोफर की फुद्दि से खेलना शुरू कर दिया।

"हाईईईईईईईईईईईईईई! क्यों मेरी फुद्दि को तुम ने अपने हाथो और लंड का आदि बना दिया है भाई" अपन भाई के हाथ अपनी फुद्दि से लगने की देर थी कि नीलोफर हमेशा की तरह अपने भाई की बाहों में पिघल गई!
 
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जमशेद ने अपनी बेहन की चूत में उंगली करते हुए कहा " जब हमारे पास पूरी रात है तो क्यों ना आज इकट्ठे एक साथ नहाया जाय बाजीl"

"भाई पहले खाना ना खा लें" नीलोफर ने भाई से कहा।

"तुम्हारी फुददी से दिल भरे तो कुछ और खाने का होश आए ना बाजी" कहते हुए जमशेद ने अपनी बेहन की शलवार का नाडा खोला तो शलवार नीचे ज़मीन पर गिर गई।

"अच्छा तुम्हारी यह ही ख्वाहिश है तो चलो बाथरूम में चलते हैं" कहते हुए नीलोफर ने अपने भाई को अपनी ब्रेज़ियर की हुक खोलने को कहा। जिस पर जमशेद ने जल्दी से अपनी बेहन के ब्रेज़ियर को खोल कर उसे पूरा नंगा कर दिया।

नीलोफर की देखा देखी जमशेद भी फॉरन ही अपने कपड़े उतार कर अपनी बेहन की तरह नंगा हो गया और फिर दोनो बेहन भाई ही बाथ रूम ही तरफ चल पड़े ।

बाथरूम में पहुँच कर दोनो बेहन भाई बिना किसी खोफ़-ओ-खतर के एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले एक दूसरे के लबों का रस पीने लगे।

बाथ रूम में इकट्ठा नहाने के बाद दोनो बेहन भाई ने इकट्ठे खाना खाया।

कहने से फारिग होते ही जमशेद ने किचन से अपनी बेहन को अपनी बाहों में उठाया और नीलोफर के बेड रूम आ गया।

फिर पूरी रात जमशेद ने अपनी बेहन की चूत में अपना लंड इस तरह डाले गुज़री जैसे वो अपनी बेहन का शोहर हो और उस की बेहन उस की बीवी।

अगली सुबह जब नीलोफर स्कूल जाने के लिए अपनी वॅन में बैठी तो उसे शाज़िया उस का बेताबी से इंतजार कर रही थी।

दोनो सहेलियाँ एक दूसरे को महनी खेज़ नज़रों से देख और मुस्कराने लगीं।

उस दिन के बाद दोनो मज़ीद पक्की सहेलियाँ बन गई। अब वो अक्सर रात को काफ़ी देर तक एक दूसरे से अपने अपने दिल की बात खुल कर करने लगीं।

क्यूंकी अब इन दोनो में शरम और झिझक का पड़ा परदा हट चुका था। इस लिए वो दोनो अब एक दूसरी को मज़ाक मज़ाक में गंदी बातों से छेड़ने भी लगीं थीं।

शाज़िया से अपने लेज़्बीयन तलोकात कायम करने और उस की नंगी फोटोस को अपने भाई से प्रिंट करवाने के बाद अब ज़ाहिद से मिलने को बेचैन थी।

उस ने ज़ाहिद को एक दो दफ़ा फोन भी किया मगर ज़ाहिद अपनी नोकरी की मूसरूफ़ियत की बिना पर नीलोफर से फॉरी तौर पर मिल ना पाया।

फिर कुछ दिन के बाद ज़ाहिद ने वक्त निकाल कर खुद नीलोफर को फोन किया।

जब अगले हफ्ते ज़ाहिद वापिस आया तो नीलोफर ने उसे फोन कर के मिलने का कहा। तो ज़ाहिद ने नीलोफर से अगले दिन मिलने की हामी भर ली।

नीलोफर ने जब अपने फोन पर ज़ाहिद का नंबर देखा तो उस ने फॉरन ही अपने फोन को ऑन किया।

ज़ाहिद: मेरी जान क्या हाल है।

नीलोफर: अभी तुम को ही याद कर रही थी।

ज़ाहिद: क्यों खरियत?।

नीलोफर: बस वैसे ही तुम्हारी याद आ रही थी।

ज़ाहिद ने हँसते हुए कहा: क्यों आज कल तुम्हारा "चोदू" भाई तुम को "सर्विस" नही कर रहा क्या?।

नीलोफर बी हस पड़ी, "कौन जमशेद वो तो अभी अभी मुझे चोद कर वापिस अपने घर गया है। में तो वैसे ही अभी तुम को फोन करने का सोच रही थी,"

ज़ाहिद: तो आ जाओ मेरे पास मेरी जान।

"क्यों" अब नीलोफर ज़ाहिद को छेड़ने के मूड में थी।

"क्योंकि बड़ा दिल कर रहा तुम्हारी चूत चोदने को। देखो मेरा लंड भी खड़ा हो गया है तुम्हारी प्यारी आवाज़ सुन कर" ज़ाहिद ने अपने लंड को हाथ से मसलते हुए कहा।

नीलोफर: दिल तो मेरा भी चाह रहा है में कल दोपहर को तुम्हारे मकान पर आउन्गी ।

"ठीक है फिर कल मिलते हैं" कहते हुए ज़ाहिद ने फोन काट दिया।

दूसरे दिन जमशेद ने अपनी बेहन नीलोफर को ज़ाहिद के मकान पर उतारा और दो घेंटे बाद वापिस आने का कह कर चला गया।

ज़ाहिद को नीलोफर की फुद्दि मारे एक महीने से ज़्यादा का टाइम हो चुका था। इस लिए वो बे सबरी से नीलोफर का इंतिज़ार कर रहा था।

ज्यों ही नीलोफर कमरे में दाखिल हुई ज़ाहिद उस को अपनी बाहों में ले कर उस के गालों और होंठो को चूमने लगा।

नीलोफर: बड़े बे सबरे हो रहे हो मुझे साँस तो लेने दो ज़रा।

"यार में तो इंतजार कर लूँ मगर इस पागल लंड को कॉन समझाए जो तुम्हारी फुद्दि के लिए एक महीने से तरस रहा है। " ज़ाहिद ने अपनी शलवार में तने हुए अपने मोटे और बड़े लंड को नीलोफर के हाथ में पकड़ाते हुए कहा।

साथ ही साथ ज़ाहिद अपना हाथ नीलोफर की फुद्दि पर लाया और शलवार के ऊपर से उस की फुद्दि को रगड़ने लगा।

ज़ाहिद का हाथ उस की चूत से टच होते ही नीलोफर पर एक मस्ती सी छाने लगी। सच्ची बात यह थी कि नीलोफर खुद भी अब ज़ाहिद के मोटे लंड से चुदवा चुदवा कर उस के लंड की दीवानी हो गई थी। इस लिए उस ने भी ज़ाहिद के लंड को अपने हाथ में ले कर उस की मूठ लगाना शुरू कर दिया।

दोनो के मुँह आपस में मिल गये और दोनो के हाथ एक दूसरे के कपड़ों को एक दूसरे के जिस्म से अलग करने लगे।

इस के बाद ज़ाहिद ने नीलोफर को तेज तेज चोद के उसे के अंग अंग को हिला कर नीलोफर को बहाल कर दिया।

नीलोफर की चुदाई के बाद ज़ाहिद थक कर सोफे पे गिर गया।

वो दोनो अब साथ साथ लेटे ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रहे थे।

जब उन दोनो की साँसे बहाल हुईं तो नीलोफर उठी और अपने बिखरे कपड़ों को समेट कर पहनने लगी।

अपने कपड़े पहन कर नीलोफर ज़ाहिद के पास सोफे पर दुबारा बैठ गई। ज़ाहिद अभी तक नंगी हालत में ही सोफे पर लेटा हुआ था। और उस का बड़ा लंड अब थोड़ा मुरझाई हुई हालत में उस की एक टाँग पर ऐसे पड़ा था। जैसे कोई मरीज़ हॉस्पिटल के बिस्तर पर पड़ा अपनी ज़िंदगी की आखरी साँसे ले रहा हो।

ज्यों ही नीलोफर ज़ाहिद के पास बैठी तो ज़ाहिद ने उसे दुबारा अपने बाहों में जकड कर उस के गालों को चूमा।

ज़ाहिद: यार तुम वाकई ही बहुत गरम और मज़ेदार चीज़ हो। मुझे समझ नही आती तुम्हारा शोहर कैसे तुम जैसे पोपट माल को छोड़ कर बाहर चला जाता है।

" अच्छा अब ज़्यादा मकान ना लगो,यह देखू में तुम्हारे लंड के लिए एक नये माल का बन्दोबस्त कर रही हूँ। यकीन जानो इस की फुद्दि में मेरी चूत से ज़्यादा आग भरी हुई है। और मुझे यकीन है कि अगर तुम को यह चोदने को मिले तो इस फुद्दि की आग तुम्हारे लंड को जला कर रख कर दे गी" नीलोफर ने शाज़िया की चन्द फोटोस अपने पर्स से निकाल कर ज़ाहिद को देते हुए कहा।

ज़ाहिद ने एक एक कर के नीलोफर की दी हुई शाज़िया की सारी फोटोस देखीं।

फोटोस देखते देखते ज़ाहिद के ढीले लंड में आहिस्ता आहिस्ता दुबारा जान पड़ने लगी।

ज्यों ही ज़ाहिद की नज़र नीलोफर की दी हुई फोटोस पर पड़ी। जिस में शाज़िया पूरी नगी हालत में इस तरह खड़ी थी कि उस की कमर ही नज़र आ रही थी।

यह फोटो देख कर ज़ाहिद का लौडा इस तरह एक दम फुल तन कर खड़ा हो गया। जैसे किसी ने उस को वियाग्रा खिला दी हो।

"उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़! नीलोफर यार क्या ग़ज़ब की चीज़ है यह,देखो तो सही इस को देख का मेरा लंड किस तरह उठा कर खड़ा हो गया है, क्या नाम है इस कयामत का और कब मिलवा रही हो इस ज़ालिम हसीना से" शाजिया की फोटो देख कर अपने लंड को हाथ मे ले कर मूठ मारते हुए ज़ाहिद ने नीलोफर से कहा।

" इस का नाम साजिदा है और अगर इस का सिर्फ़ जिस्म देख कर तुम्हारे लंड यह हाल है तो सोचो इस की फुद्दि में अपना लंड डाल कर तुम्हारा क्या हाल हो गा" नीलोफर ने ज़ाहिद के हाथ को उस के लंड से परे किया और खुद उस की मूठ लगाते हुए कहा।

बे शक शाज़िया एक कॉमन नाम है और इस नाम की कितनी ही लड़कियाँ झेलम में रहती होंगी। मगर इस के बावजूद नीलोफर ने जान बूझ कर ज़ाहिद को शाज़िया का नाम ग़लत बताया था। ता कि ज़ाहिद को किसी किस्म का ज़रा सा भी शक ना पड़े ।

"हाईईईईईई! ज़ालिम इस जवानी ने तो मेरे लंड को पागल कर दिया है। जल्दी से मुझे इस से मिलवाओ में तो उस की गान्ड को चाट चाट कर ही खा जाऊं गा" ज़ाहिद शाज़िया की गान्ड वाली फोटो को अपने मुँह के पास लिया और अपनी ज़ुबान को शाज़िया की गान्ड पर रख कर चाटते हुए मस्ती में बोला।

नीलोफर ने महसूस किया कि ज़ाहिद का लंड अपनी बेहन के नंगे बदन को देख कर पहले से बी ज़ेयादा अकड़ कर सख़्त हो गया है।

"फिकर ना करो में जल्द ही तुम्हारा मिलाप करवा दूं गी इससे। में ने इसे तुम्हारे लंड के बारे में ना सिर्फ़ बताया है बल्कि इसे तुम्हारा लंड दिखाया भी है। यकीन मानो तुम्हारे लंड को देख कर इस की चूत भी बिल्कुल इसी तरह पानी छोड़ गई थी। जिस तरह तुम्हारा लंड इस को देख कर पानी छोड़ रहा है" नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड की टोपी पर से निकलते हुए पानी को सॉफ करते हुए कहा।

"क्या मेरी नंगी फोटो तो तुम ने कभी खींची ही नही तो उसे कैसे देखा दीं" ज़ाहिद नीलोफर की बात सुन कर हैरत से उस की तरफ देखने लगा।

नीलोफर ज़ाहिद की बात सुन कर मुस्कुराइ और फिर ज़ाहिद को सच सच बता दिया। कि किस तरह जमशेद ने उस के मकान में ख़ुफ़िया कॅमरा फिट कर के नीलोफर, ज़ाहिद और जमशेद की अपनी चुदाई रेकॉर्ड की और फिर उस में से स्टिल फोटोस निकाली हैं।

ज़ाहिद नीलोफर की बात सुन कर हॅका बक्का रह गया। उसे नीलोफर की बात का अभी तक यकीन नही हो रहा था।

"मगर तुम ने यह सब क्यूँ किया,क्या तुम दोनो बेहन भाई मिल कर मुझे ब्लॅक मेल करना चाहते हो" ज़ाहिद नीलोफर की बात सुन कर परेशान हो गया।

नीलोफर: नही यार तुम को ब्लॅक मेल करना होता तो तुम को यह बात कभी ना बताती। असल में मेरी यह सहेली गरम तो बहुत है मगर साथ में बहुत शेर्मीली भी है,अगर में सीधी तरह से इस से बात करती तो यह कभी राज़ी नही होती।

फिर नीलोफर ने शाज़िया और अपने दरमियाँ होने वाला लेज़्बीयन किस्सा पूरी तफ़सील से ज़ाहिद को सुना दिया। मगर उस ने ज़ाहिद को इस बात का शक भी ना होने दिया कि वो या उस की सहेली "साजिदा" किसी स्कूल में टीचर्स हैं।

सारी बात सुनने के बाद नीलोफर ने ज़ाहिद से कहा" मेरी सहेली साजिदा की फुद्दि बहुत ही गरम और प्यासी है और इस की गर्मी सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम जैसे बड़े और मोटे लंड वाला आदमी ही निकल सकता है,बोला निकालोगे मेरी दोस्ती की चूत की गर्मी,भरोगे इस की फुद्दि को अपने लंड के पानी से"

"हन्ंननननणणन्, फाड़ दूऊऊऊऊऊऊन, गाआआआआआअ, इस की गान्ड और फुद्दिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई. एक बार लऊऊऊऊ, तो सहियिइ, मेरे पस्सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स!" कहता हुआ ज़ाहिद ने अपने लंड का पानी नीलोफर के हाथ में ही छोड़ दिया।

नीलोफर ने पास पड़े तोलिये से ज़ाहिद के लंड को सॉफ किया और फिर उठ कर बाथ रूम में अपना हाथ धोने चली गई।

हाथ धो कर नीलोफर बाहर आई तो ज़ाहिद को शाज़िया की फोटोस को देखते हुआ पाया तो वो दिल ही दिल में मुस्करा दी।

वो सोचने लगी कि अगर ज़ाहिद को यह पता चल गया कि जिस फुद्दि को देख कर उस ने अभी अभी अपने लंड के पानी का फव्वारा छोड़ा है। वो कोई और नही बल्कि उस की अपनी सग़ी बेहन है तो उस का क्या हाल हो गा।

नीलोफर को अपने दिल में इस बात की ख़ुसी होने लगी कि अंजाने में ही सही। उस ने ज़ाहिद और शाज़िया दोनो बेहन भाई ने एक दूसरे का नंगा जिस्म देखा कर दोनो के तन बदन में एक दूसरे के लिए ऐसी आग भड़का दी थी। जिस को ठंडा किए बगैर अब दोनो का गुज़ारा बड़ा मुश्किल हो गा।

नीलोफर सोचने लगी कि अब जल्द आज़ जल्द वो इन दोनो का आपस में मिलाप करवा ही दे तो अच्छा है।

यह सोचते हुए उस ने ज़ाहिद के पास आ कर अपना पर्स उठाया और जमशेद को कॉल मिला दी।

जमशेद तो पहले ही ज़ाहिद के मकान से थोड़ी दूर बैठा अपनी बेहन के फोन का इंतिज़ार कर रहा था। इस लिए ज्यों ही नीलोफर का फोन आया और अपनी कार ले कर ज़ाहिद के मकान के बाहर चला आया।

नीलोफर ज़ाहिद से जल्द दुबारा मिलने का वादा कर के जमशेद के साथ अपने घर वापिस चली आई।

उस शाम जब ज़ाहिद अपने घर आया तो दरवाज़ा खोलते ही उसे अपनी बेहन शाज़िया घर के सहन में कपड़े धोती हुई मिली।

शाज़िया उस वक्त बगैर दुपट्टे के कपड़े धोने में मसरूफ़ थी। और नल के गिरते पानी में कपड़े ढोते वक्त शाज़िया की शलवार कमीज़ पानी से भीग कर गीली हो चुकी थी।

ज़ाहिद ने अपनी बेहन शाज़िया को सलाम किया और किचन से अपना खाना ले कर बाहर टीवी लाउन्ज में बैठ गया। और खाना खाने के साथ साथ टीवी पर न्यूज़ का चॅनेल लगा कर देखने लगा।
 
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बाहर कपड़े ढोते वक्त कई दफ़ा बे इख्तियारी में शाज़िया झुक कर किसी कपड़े को बाल्टी में रखती या उठाती। तो ऐसा करने से उस की कमीज़ के खुले गले में से उस की भारी छातियाँ अपनी पूरी आबो ताब से नंगी हो जातीं।

मीज़ के भीग जाने की वजह से शाज़िया का ब्रेज़ियर उस के जिस्म के साथ चिपक सा गया था। और उस ने शाज़िया के मोटे और बड़े मम्मों को और भी नुमाया कर दिया था।

टीवी देखने के साथ साथ ज़ाहिद थोड़ी थोड़ी देर बाद अपनी बेहन को भी ताड़ रहा था। इस लिए ज्यों ही ज़ाहिद की नज़र कुछ देर बाद सीधी अपनी बहन शाज़िया की कमीज़ से बाहर निकलते हुए उस के बड़े बड़े चूचों पर पड़ी। तो वो तो बस अपनी बेहन के मम्मे देखता ही रह गया।

अपनी आँखों से अपनी बेहन के जिस्म को"सैंकते" और अपनी बेहन की उभरी हुई जवान छातियो के दरमियाँ नाज़ुक सी लकीर की गहराइयों को नापते हुए ज़ाहिद को साफ अंदाज़ा हो रहा था। कि उस की बेहन शाज़िया ने आज अपनी कमीज़ के नीचे रेड कलर का ब्रेज़र पहना हुआ है।

शाज़िया के मम्मे मोटे और बड़े होने के बावजूद निहायत ही खूबसूरत शेप में थे। जिस वजह से गीली कमीज़ में से बाहर दिखते शाज़िया के भारी मम्मे ज़ाहिद के जलते जज़्बात पर पेट्रोल का काम कर रहे थे।

कपड़े धोने के बाद शाज़िया इन कपड़ों को सहन में लटकी हुई रस्सी पर डालने के लिए ज्यों ही उठी। तो गीला होने की वजह से उस की कमीज़ उस के बदन से चिपक गई। इस वजह से शाज़िया की शलवार के सामने वाला हिस्सा ज़ाहिद की नज़रों के सामने पूरा का पूरा नंगा हो गया।

अपनी बेहन की गीली शलवार में से उस की नंगी होती मोटी और फूली हुई फुद्दि का वाइज़ा नज़ारा देख कर ज़ाहिद की आँखे फटी की फटी रह गईं।

अपनी बेहन के बंदन को यूँ दिन की रोशनी में अपने सामने यूँ नीम नंगी होता देख कर ज़ाहिद का मुँह ना सिर्फ़ खुशक हो गया। बल्कि उस के मुँह में डाला हुआ रोटी का नीवाला ज़ाहिद के खलक में ही अटक गया।

ज़ाहिद के अपनी बेहन की जवानी को देख कर पसीने छूट गये और उस का लंड उस की पॅंट में फुल तन गया।

अभी ज़ाहिद अपनी बेहन के जवान और गुदाज बदन का जायज़ा लेने में मसगूल था। कि इतने में ज़ाहिद की अम्मी रज़िया बीबी बाहर की तरफ से घर में दाखिल हुआ। तो शाज़िया को आँखे फाड़ पहर कर देखते हुए ज़ाहिद ने फॉरन अपनी नज़रे बेहन के बदन से हटा कर टीवी पर जमा लीं।

रज़िया बीबी ने जब अपने बेटे को टीवी लाउन्ज में बैठे देखा तो वो भी उस के पास आन बैठीं और ज़ाहिद से बातें करने लगीं।

खाने से फारिग होने के बाद ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को खुदा हाफ़िज़ कहा और उठ कर अपने कमरे में गया और अपने कुछ काग़ज़ात लाने के बाद दुबारा अपनी ड्यूटी पर वापिस पोलीस स्टेशन चला आया।

ज़ाहिद के जाने के बाद शाज़िया भी अपने काम से फारिग हो कर नहाने चली गई।

रात को जब देर गये ज़ाहिद दुबारा घर लोटा तो उस वक्त तक उस की अम्मी सोने के लिए अपने कमरे में जा चुकी थीं।

जब कि शाज़िया अभी तक टीवी लाउन्ज में बैठी एक ड्रामा देखने में मसरूफ़ थी।

ज़ाहिद भी चलता हुआ टीवी लाउन्ज में आ कर टीवी के सामने रखे एक सोफे पर आन बैठा और टीवी देखने लगा।

ज़ाहिद का टीवी देखना तो आज एक बहाना था। असल में शाम को अपनी बेहन के भीगे बदन ने उस पर ऐसा असर डाला था। कि उस का दिल चाहने लगा कि सोने से पहले वो एक दफ़ा फिर अपनी बेहन के भरे हुए भरपूर जिस्म को देख कर अपनी प्यासी आँखों को ठंडक पहुँचा सके।

इस बार भी ज़ाहिद टीवी देखते देखते ज़ाहिद तिरछी आँखो से अपनी बेहन के बदन का जायज़ा लेने लगा तो उस की किस्मत ने उस का भरपूर साथ दिया।

टीवी लाउन्ज में उस वक्त शाज़िया अपने भाई की प्यासी नज़रों से बे खबर यूँ बैठ कर टीवी देखने में मसरूफ़ थी। कि इस तरह बैठने से दुपट्टा ओढ़े होने के बावजूद ना सिर्फ़ उस के भाई ज़ाहिद को उस के बाईं तरफ के मम्मे का नज़ारा सॉफ देखने को मिल रहा था।

बल्कि साथ ही साथ शलवार में कसी हुई शाज़िया की मोटी गुदाज और चौड़ी गान्ड भी ज़ाहिद के मनोरंजन के लिए खुली किताब की तरह पूरी की पूरी ज़ाहिद की भूकि निगाहों से सामने पड़ी थी।

ज़ाहिद अपनी बेहन शाज़िया के बदन को खोजता रहा जिस से उस की बेक़ारारी बढ़ती रही।

थोड़ी देर तक ज़ाहिद टीवी देखने के बहाने अपनी बेहन के जवान जिस्म को अपनी गरम नज़रों से देख देख कर अपने दिल और लंड को गरम करता रहा।

आज ज़ाहिद का दिल उधर से उठने को नही चाह रहा था। मगर नोकरी की मजबूरी की वजह से सुबह सुबह उठना भी था।

इस लिए ज़ाहिद अपने लंड को काबू करता हुआ उठ कर बोझिल कदमो के साथ चलता अपने कमरे में आ गया।

ज़ाहिद के अपने कमरे में जाने के थोड़ी देर बाद शाज़िया भी अपने काम ख़तम कर के अपने कमरे में सोने के लिए चली आई।

अब घर में हालत यह थी कि रात के अंधेरे में अपने कमरे में लेटे हुए ज़ाहिद को नींद नही आ रही थी।

उस को पहले नीलोफर की दिखाई हुई उस की सहेली साजिदा की फोटोस ने बे हाल कर रखा था।

जब कि अब घर आ कर उस पर उस की अपनी सग़ी बेहन के चूचों ने कयामत ढा दी थी।

वो जब जब सोने के लिए अपनी आँखे बंद करता । उस की जवान बेहन के गीले जिस्म का सेरपा उस की आँखों के सामने आ कर उस की नींद उड़ा देता।

उस ने अपने दिल और दिमाग़ को समझाने की लाख कोशिश की । कि उस के अपनी बेहन के बारे में इस तरह सही नही।

मगर वो कहते हैं ना कि,

"लंड है कि मानता नही"

इसी लिए उस का लंड भी आज उस के काबू में नही रहा था।

नीलोफर की सहेली साजिदा का नंगा जिस्म और अपनी बेहन शाज़िया नीम उघड़ा होता बदन बार बार याद कर ज़ाहिद के लंड में ऐसा जोश आ गया था। कि जो कम होने का नाम ही नही ले रहा था।

खास तौर पर अपनी बेहन के उभरे हुए बड़े बड़े मम्मे को सोच सोच कर उस का लंड फनफना उठा था।

ज़ाहिद अंधेरे में अपने बिस्तर पर लेटा बेचैनी से करवटें बदल रहा था।

वो बिस्तर पर लेटा कभी अपने हाथ से अपने लौडे को मसलता तो कभी उल्टा लेट कर अपना लंड अपने बिस्तर से रगड़ने लगता।

वो जितनी भी उल्टी सीधी हरकतें करता। उस का लंड आज उतना ही उस के काबू से बाहर होता जा रहा था।

आख़िर कार ज़ाहिद ने अपने दिल और दिमाग़ की बात को रुड करते हुए अपने लंड की बात मानी। और अपनी बेहन के बदन को याद कर के अपनी शलवार का नाडा खोला और अपनी शलवार को नीचे कर के अपने लंड से खेलने लगा।

ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी बेहन के मुतलक सोचना शुरू किया तो जोश के मारे उस का सारा जिस्म अकड़ने लगा। और ज़ाहिद का लंड लोहे की राड की तरह सख़्त हो गया।

ज़ाहिद की आँखे बंद थीं और उस की आँखों के सामने उस की बेहन का नंगा जिस्म पूरी आबो ताब से घूमने लगा।

अपनी बेहन के मोटे मोटे मम्मे और उभरी हुई गान्ड को याद कर के ज़ाहिद के हाथ तेज़ी से उस के लंड पर फिसलने लगे।

मूठ मारते मारते ज़ाहिद के लंड ने एक झटका लिया और फिर दूसरे ही लम्हे वो "शाज़ियास्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स!" कहते हुए फारिग हो गया।

ज़ाहिद के लंड ने इतना पानी छोड़ा कि वो खुद हेरान हो गया। आज से पहले ज़ाहिद कभी इतनी जल्दी ना तो फारिग हुआ और ना ही उस के लंड से इतना ज़्यादा वीर्य निकला था।

आज पहली बार ज़ाहिद ने अपनी ही बेहन के बारे में सोच कर मूठ लगाई और फिर बेहन का नाम लेते ही अपने लंड का पानी छोड़ा था।

आम हालत में तो ज़ाहिद अपनी इस हरकत के बाद शायद डूब ही मरता। मगर आज हैरत अंगैज़ तौर पर उसे ज़रा भी शर्मिंदगी नही हुई थी।

इस की वजह शायद यह रही थी। कि नीलोफर और जमशेद से मिलने के बाद उस के दिल-ओ-दिमाग़ ने शायद सगे बेहन भाई के आपस में जिस्मानी ताल्लुक़ात को कबूल कर लिया था।

फारिग होने के बाद भी ज़ाहिद का जिस्म और लंड पुर्सकून ना हुए।

इस की वजह शायद यह थी। कि उस के लंड को अब अपनी बेहन की चूत की प्यास शिद्दत से लग चुकी थी।

मगर ज़ाहिद को अब भी यह समझ नही आ रही थी। कि वो भी जमशेद की तरह अपनी बेहन को काबू करे तो कैसे करे।

यही सोचते सोचती ज़ाहिद नंगा ही नींद में डूब गया।

उधर दूसरे कमरे में अपने बिस्तर पर लेटी शाज़िया का हाल भी अपने भाई से मुक्तिलफ नही था।

उस के तन बदन में भी अपनी सहेली नीलोफर की बातों ने आग लगाई हुई थी।

अभी शाज़िया नीलोफर के साथ अपनी लेज़्बीयन चुदाई के बारे में सोचने में मगन थी। कि उस के फोन की घेंटी बज उठी।

शाज़िया ने अपने तकिये के नीचे रखते हुए फोन को उठा कर देखा तो पता चला कि नीलोफर की कॉल है।

"केसी हो" शाज़िया के फोन आन्सर करते ही नीलोफर ने पूछा।

शाज़िया: ठीक हूँ,तुम सूनाओ।

नीलोफर: में तो ठीक हूँ मगर तुम्हारा यार बड़ा तड़प रहा है तुम्हारे लिए।

"क्या बकवास करती हो,मेरा कौन सा यार है" शाज़िया ने नीलोफर की बात पर थोड़ा गुस्सा होते हुए कहा।

नीलोफर: वो ही बड़े लंड वाला,जिस के साथ अपनी चुदाई की वीडियो में ने तुम को दिखाई थी।

"पहली बात कि वो मेरा यार नही,दूसरी बात कि वो तो मुझे जानता नही फिर वो मेरा कैसे पूछ सकता है" शाज़िया ने नीलोफर से कहा।

नीलोफर: यार अगर बुरा ना मानो तो एक बात बताऊ।

शाज़िया: कहो।

शाज़िया: अच्छा अब बको भी।

नीलोफर: शाज़िया मुझे ग़लत मत समझना क्योंकि तुम को पता है में जो भी कर रही हूँ तुम्हारे भले के लिए कर रही हूँ।

"अच्छा अब ज़्यादा पहेलियाँ मत बुझाओ मतलब की बात करो" शाज़िया अब चाहती थी कि नीलोफर के दिल में जो भी बात है वो जल्दी से उस की ज़ुबान पर आ जाय।

फिर झिझकते झिझकते नीलोफर ने शाज़िया को बता दिया। कि किस तरह उस ने शाज़िया की इजाज़त के बैगर उस की नगी फोटोस एक गैर मर्द को दिखा दी हैं।

जारी रहेगी
 
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