Adultery संस्कारी मम्मी ?

Member

Status

Posts

376

Likes

275

Rep

0

Bits

900

1

Years of Service

LEVEL 10
XP
स्वागतम सभी इस कहानी को पढ़ने पाठको को ! इस कहानी की घटना सच्ची हैं पर कुछ प्रसंग कुछ वृत्तांत लिखावट के हिसाब से बदला जाएगा ताकि कहानी में मनरंजन बने रहे कुछ ५०% सच्ची प्रसंग में होगा ।



 
  • Like
Reactions: AjS1432
OP
mutu
Member

Status

Posts

376

Likes

275

Rep

0

Bits

900

1

Years of Service

LEVEL 10
XP
कहानी की पात्र और स्थान में बदलाव किया गया है।



पात्र!

मिथिला स्वरांगी ( मेरी मम्मी, उम्र ४५साल, मम्मी मध्यम कथ काठी की थी ५फीट २इंच , और उनकी जिस्म का माप ३६-३०-३६, मम्मी दिखने में खूबसूरत थी ऐसा नही की ४५ की उम्र है और ३० की लगती हो जो उम्र थी उनपे वो दिखता था , गोलकार मुखरा आनंद प्रसंग मुस्कान ठीक वैसा ही हसमुख प्रबीर्ति की , जिस्म की वर्णन गोरा रंग मुलायम बदन मोधोसी सा महक उनकी बदन की सथीक संतुलित मात्रा में उनकी बदन में चर्बी जो की उन्हे गदराई हुई और आकर्षित बनाती थी, वैसे मम्मी हाईस्कूल की टीचर रह चुकी है )


मयूर स्वरांगी ( मेरी उम्र १८ साल ! दिखने में मम्मी की कुछ रूप , में जवान लौंडा बन गया था १८ साल में ही , पढ़ाई पे धीरे धीरे मन उठ रहा था मेरा दोस्तो के साथ मंडवाली करना मुझे उस समय बोहोत अच्छा लगता था , में १२ वी कक्षा में पढ़ रहा था )



जगत स्वरांगी ( मेरे पापा , उम्र 50 साल , साधारण दिखने वाला , पापा का लंद ४ इंच का है जो की मम्मी की मुंह से पता चला , पापा भी शांत स्वभाव के थे कभी किसी के साथ ऊंची आवाज में या लड़ाई झगरा करते हुए नही सुना है, हा मुझे बोहोत डांट लगाते थे अभी भी , बाप तो अच्छा ही हे पति कैसा है ये आपको बाद में पता चलेगा , वैसे पापा त्रितीय वर्ग की सरकारी कर्मसारी हैं)



मुकुंद कश्यप ( उम्र २० साल , मेरे ही स्कूल में पढ़ता था १२ वी में दो बार फेल हो चुका अब तीसरी बार देने जा रहा है । स्वभाव से थोड़ा आक्रामक था में उसे भैया ही बुलाता था क्यू हमारा पड़ोसी हे, बचपन से ले कर जवानी तक एक साथ खेल कूद के बड़े हुए हे हम , हम दोस्त लोग उसे हाइब्रिड बुलाते थे क्यू की वो बोहोत जल्दी ६फीट २इंच का हो गया था एथलेटिक किस्म का बॉडी है और बोहोत गोरा हे "
 
OP
mutu
Member

Status

Posts

376

Likes

275

Rep

0

Bits

900

1

Years of Service

LEVEL 10
XP
तो कहानी शुरू होती है मुकुंद भैया की पढ़ाई को ले कर उसके घर से दबाव आया की उसे इस बार १२ वी किसी तरह पास होना हे कैसे भी कर के । एक दिन मुकुंद भैया मुझसे ये बात कह रहे थे और ऐसे ही मेरे से कुछ उपाय मांग रहे थे तो मैने कहा वो ट्यूशन ले ले । मुकुंद भैया ने जवाब दिया की उसे झुंड में पढ़ाई नही होता और कोई टीचर उसे अकेले में पढ़ना नही चाहते है क्यू की वो पढ़ाई में कमजोर था और कोई टीचर उसे अकेला नहीं पढ़ना चाहता ।



मुझे याद आया की दो दिन पहले मम्मी किसी बच्चो को टूशन पढ़ाने की बात कर रही थी वो आज काल बोरियत फील करती है। मैने थोड़ा सोच के कह दिया मुकुंद भैया को की वो मेरी मम्मी से टूशन ले ले । इसने कुछ सोचा और कहा कि चाची से टूशन । कुछ अजीब नहीं लगेगा ।


हम इसी बारे में गप्पे लड़ा कर घर आए दोपहर का वक्त था और उस दिन रविवार भी था हम सारे दोस्त घूमने अड्डा जमाने सुबह से ही निकले थे । घर आ कर मम्मी की अच्छी खासी डांट पड़ी ।




शाम की समय मम्मी पापा में घर पर ही थे गर्मी का मौसम था सूरज अभी भी ढला नही था । शाम को मुकुंद भैया और उनकी मम्मी रीता हमारे घर आई ।



रीता काकी टिफिन में लड्डू ले कर आया था में तो झपटा मार के उनके हाथ से टिफिन चीन के लड्डू खाने लगा । पापा अपने कमरे में अपना काम कर रहा था जो अक्सर अपनी लैपटॉप और फोन कॉल्स में लगे ही रहते थे ।




मुकुंद भैया का घर हमारे घर लाइन से दो घर छोड़ के पड़ता था इतने सालों से हम पड़ोसी है तो हमारे बीच एक पारिवारिक जैसा संबंध भी बन गया था ।




मम्मी " देखो भाभी कितना बत्तमीज हैं ये कैसे तुम्हारी हाथों से टिफिन चीन के खा रहा हे राक्षस की तरह "



रीता काकी " छोड़ो ना मिथिला तुम भी बच्चो का लड़कपन है वैसे भी उसके लिए ही तो लाई थी "



मम्मी " अच्छा तो बताइए इतने दिनो बाद कैसे आना हवा आज "


रीता काकी " ऐसे कह रही हो मिथिला जैसे सालो बाद आई हूं पिछले हफ्ते ही तो आई थी । ऐसे ही आ गई आज बोहोत गर्मी हैं"



मम्मी ", हा आज कुछ ज्यादा ही गर्मी है मुझसे तो रहा नहीं गया तीन बार नहा लिया । और मुकुंद तू क्यू चुप हे जब से जवान हुए हो आता ही नहीं तू बाहर भी मिलने पर शर्माता है "


मुकुंद भैया मुस्कुराया मैने मुकुंद भैया की इशारे से मजाक उड़ाया ।


रीता काकी मुंह बना के " शर्माना नहीं तो और क्या , कॉलोनी की सभी बच्चे पास हो कर आगे निकल रहे हे और ये गधा हमारा पता नही पैदा करते वक्त किसकी मुंह देख लिया था । नाक कटा दी हे हमारी कही मुंह दिखाने लायक नही छोड़ा हमे "

मम्मी " कोई ना भाभी इस बार पास हो जायेगा , क्यू मुकुंद इस बार अच्छे से तैयारी कर रहे हो ना "



मुकुंद भैया भीगी बिल्ली की तरह नज़रे झुकाए था ।


रीता काकी बोली " मिथिला मयूर बोल रहा था की तुम टूशन के लिए बच्चे धुंध रहे हो क्या तुम मुकुंद को टूशन दोगी"


मम्मी मेरी तरफ देख कर कुछ सोचते हुए बोली " हा सोच रही थी में पर मैने कभी दसवीं के ऊपर की बच्चो को पढ़ाया नहीं "



रीता काकी ज्यादा पढ़ी लिखी नही थी " अरे तो क्या दो क्लास ही ऊपर का है मुझे तुम पर भरोसा है तुम पढ़ा लोगी मुकुंद को । मिथिला तुम जानती हो तुम ही अब आखरी उम्मीद हो माना मत करना "



मम्मी उलझन में बोली " अच्छा मुकुंद कोन कोनसा विषय है तुम्हारे "


मुकुंद भैया पता नहीं क्यू इतना शर्मा रहा था जवाब देने में वक्त लगा रहा था तो मैंने ही बोल दिया " मम्मी सैम सब्जेक्ट है मेरा जो जो सब्जेक हैं मुकुंद भैया की भी वोही सब्जेक्ट हे "



मम्मी बोली " अच्छा । ठीक है मुकुंद मुझे लगता हे इकोनॉमिक्स और जियोग्राफी पढ़ा सकती हूं और इंग्लिश और हिंदी ये में आसानी से पढ़ा पाऊंगी ठीक है "



मुकुंद भैया ने हल्का सा मुस्कुरा के हा में जवाब दिया । मम्मी भी उस पर हंस पड़ी ।



रीता काकी बोली " ठीक हे मिथिला काल से शाम को तेरे पास आयेगा ये और पढ़ नही पाए तो चढ़ी से पीटना इसे और फीस क्या दूंगी तुमको बता दो "



मम्मी हंस पड़ी " ना भाभी कोई फीस नहीं चाहिए बस ये पास हो जाए वोही मेरी फीस होगी और कभी कभी तुम्हारी हाथो की फिसकरी और मटन कारी मिलनी चाहिए । अभी में चाय बना रही हूं "




मम्मी के साथ रीता काकी भी किचन में गई। मुकुंद भैया और में अपने कमरे में चले गए । उनके गर्लफ्रेंड के साथ कुछ प्रोब्लम चल रहा था उसी बारे में हम बात करने लगे ।
 
  • Like
Reactions: AjS1432
OP
mutu
Member

Status

Posts

376

Likes

275

Rep

0

Bits

900

1

Years of Service

LEVEL 10
XP
अगली शाम मुकुंद भैया हमारे घर आए किताबो के साथ मम्मी ने उसे बैठक हल में ही पढ़ाने बिठा लिया । तभी में घर से निकल रहा था मम्मी ने टोका " ओए नालायक तू कहा जा रहा है चल आ जा तू भी किताबे ले कर आ "


में " क्या में अरे नही मेरी तैयारी अच्छी चल रही है अभी मेरा अपना टाइम हे "


ऐसा कह कर में चला गया और मम्मी गुस्से से मुझे पुकारती रही ।




ऐसे ही दिन बीतने लगा पूरा हफ्ता मुकुंद भैया मम्मी के साथ पढ़ते थे शाम को तीन चार घंटे तक कभी कभी को मम्मी मुकुंद भैया को रात का खाना भी खिला कर भेजती थी । शुरू शुरू में मुकुंद भैया मम्मी से बोहोत शर्माती थी धीरे धीरे मुकुंद भैया मम्मी के साथ खुलने लगा मम्मी भी मुकुंद भैया को अपने भाई भाभी की बच्चा समझ के मन से पढ़ाती थी ।



और इसी बीच शुरू हुई इंसान की फिदरत का खेल । जो हवस की भूख में अंधा हो जाते हे लोग । एक दिन की बात है हमेशा की तरह में शाम को निकल रहा था मम्मी मुकुंद भैया को पढ़ा रही थी ।


मम्मी " कहा जा रहा हे तू"



में " अभी आता हूं "



मम्मी " देख रही हूं आज काल तेरा पढ़ाई में ध्यान नही है देर से आता है किताब खोलते ही सो जाता है "


मुकुंद भैया मजाक में " चाची सुना हे मयूर की गर्लफ्रेंड बनी है "


में मुकुंद भैया को गुस्से से देखता हूं मुकुंद भैया मन मन मुस्कुरा रहे थे ।


मम्मी " क्या । क्या सुन रहा हूं में"


में " ऐसा कुछ नही हे" में भी शर्मा गया और निकल गया में ।




मेरे जाने के बाद ।





मम्मी " समझ आ रहा है की नहीं केवल हा हा में शिर हिला रहे हो "


मुकुंद भैया" हा चाची समझ आ रहा हे ये पन्ना मैने काल ही याद कर लिया है । बस अंग्रेजी व्याकरण का मेरा समझ नहीं आ रहा हे "


मम्मी " हा उसमे तू बोहोत कमजोर हे। ठीक है ये छोड़ो निकालो अंग्रेजी "


मम्मी मुकुंद भैया को अंग्रेजी पढ़ाने लगी ।



मम्मी आज एक पीली सारी ब्लाउज पहन रखी थी ज्यादातर वो सारी ब्लाउज ही पहना करती थी घर पर भी । मम्मी के बाल एक क्लिप से बंधे हुए थे पीठ तक ।




मम्मी मन से मुकुंद भैया को अंग्रेजी व्याकरण कॉपी में लिखते हुए समझा रही थी और मुकुंद भैया की नजर मम्मी की सूठोल चुचियों की घाटी पर टिकी हुई थी । जैसे ही मम्मी ने मुकुंद की तरफ देख कर कॉपी उसके तरफ कर दी मुकुंद भैया थोड़ा घबरा गया " उम्म इसका सॉल्यूशन लिख के दो मुझे "



मम्मी " तेरा मन है ना पढ़ने का या मेरा ही चेहरा देख रहे थे इतने समय से "



मुकुंद भैया मुस्कुरा कर " चाची आपने चेहरे पर आज कौनसा क्रीम लगाया है "


मम्मी " क्यू क्या हुवा क्रीम खराब हो गई है क्या "



मुकुंद भैया" अरे नहीं आप गलत समझ रही हो , मेरा मतलब है की आज आप ज्यादा ग्लो कर रही हो चेहरे उज्जलता आज ज्यादा है बोहोत गोरी लग रहीं हों ये गाल पर लाल लाल क्या है पिंपल हुई हे क्या "


मम्मी शर्मा गई " उफ्फ तुम भी ना मुकुंद , ऐसा कुछ नहीं है जो क्रीम रोज लगाती हूं वोही क्रीम लगाया है। और इस उम्र में पिंपल नही आते है मच्छर ने काटा हे "


मुकुंद भैया" अच्छा लेकिन अच्छा लग रहा है आप पे "


मम्मी जूठा गुस्सा दिखा कर " मक्खन मत लगाओ जल्दी से जल्दी मुझे सॉल्यूशन दो "




मुकुंद भैया" चाची अंधेरा हो गया हे रात होने ही वाली है आज के लिए काफी है वैसे भी मेरा अब मूड नही है पढ़ने का "



मम्मी घड़ी की तरफ देखते हुए " ७ ही बजे हे सिर्फ । नही चलो ये पूरा करो "



मुकुंद भैया मम्मी की लेफ्ट हाथों की उंगलियां अपनी उल्टे हाथों पर उठा कर बोले " चाची इन दो उंगलियों में नेलपोलिस क्यू नहीं लगाया "


मम्मी बोली " अरे वो में लगाने ही वाली थी तभी तुम आ गए तो रह गया। बाद में लगा लूंगी "



मुकुंद भैया" अच्छा चाची जाओ नेलपॉलिस ले कर आओ में आपको लगा दूंगा मुझे आता है मम्मी का नेलपोलिच में ही करता हूं "


मम्मी उसे घूरने लगी और मुकुंद भैया की ठुंडी उठा कर पूछने लगा " घर पर कोई कांड कर के आए हो जो मेरी सिफारिस से बचना चाहते हो इतना मक्खन क्यू लगा रहे हो "



मुकुंद भैया मुस्कुराएं " अरे नहीं चाची ऐसा कुछ नहीं बस मुझे लगा हम दोस्त जैसे है आपसे बात करना चाहता था । आज काल मेरा दोस्तो से मिलना जुलना नहीं होता है ना "



मम्मी गंभीरता से " एक तो में तुम्हारी चाची हूं और तुम्हारी टूशन टीचर भी हू कैसे तुम्हे लगा हम दोस्त है "


मुकुंद भैया ने ऐसे मुंह लटका लिया जैसे उसे बोहोत शर्मिंदिगी हुई हो तभी मम्मी मुस्कुराने लगी और मकुंड भैया के कंधा थपथपा कर बोली " अरे तुम भी ना इतना डरते क्यू हो । अच्छा तुम मुझे दोस्त मानते हो तो हम दोस्त है। रुकों में शाय बना कर लाती हुं "


मुकुंद भैया के चहरे खिल उठे ।




इसी तरह मुकुंद भैया मम्मी को हवास की नजरों से देखने लगा जब मम्मी पढ़ाती थी तब अक्सर टेबल के नीचे उसका लंद तंबू बना रहता । ज्यादा से ज्यादा मम्मी से घुल मिलने की कशिश करता और मम्मी को इंप्रेस करने के लिए पढ़ाई भी करता ।
 
OP
mutu
Member

Status

Posts

376

Likes

275

Rep

0

Bits

900

1

Years of Service

LEVEL 10
XP
दो महीना हो गया था ।


मुकुंद भैया अपनी हवस पर काबू नही पा रहे थे । वो हर कशिश आजमा रहे थे पर मम्मी कोई लड़की तो नही थी जो मुकुंद भैया मम्मी को प्रेमिका की रूप में पता ले ।



मुकुंद भैया एक दिन हद्द पार कर देते है।



मम्मी उसे पढ़ा रही थी कुछ दो घंटे हुए थे पढ़ाते हुए । मम्मी बोली " रुको में शाय बना के लाती हूं "


मुकुंद भैया बोला ," चाची मुझे ताजा दूध वाली शाय देना "


मम्मी भी मुस्कुराई " अब दूध वाला ताजा दूध देता ही की नही वो तो वोही जाने । ठीक हे लाती हूं मगर दूध वाली शाय शहद के लिए अच्छी नही है "



मुकुंद भैया" बात सही हे मगर आज काल ताजा दूध मिलता कहा है मिलावट का जमाना है सीधा भैंस के पास ही जाना होगा तभी मिलेगा "


मम्मी मुस्कुराती हुई चली गई किचन में । कुछ मिनिट बाद मुकुंद भैया भी किचन में चले गए । मुकुंद भैया की आखें सुर्ख लाल थे टांगो के बीच तंबू बने हुए थे हवस की शिखर पर था वो ।



मम्मी गाढ़ा नीली रंग की सारी ब्लाउज पहनी थी बालों को आज खुला रखा था । मुकुंद भैया दरवाजे पर रुका और मम्मी को वासना में मम्मी की हर एक कामुक अंग देखने लगा मम्मी को पता चल गया था की वो किचन में आ गया पर उसे देखे बिना ही बोली " तू क्यू आ गया में ले आती ना । रूको बस होने ही वाला है"



मुकुंद भैया कोई जवान नहीं देता और धीरे धीरे मम्मी की तरफ बढ़ा और होले से मम्मी की मादक कमर दोनो बाहों की आलिंगन करते हुए मम्मी की मखमली पेट छुआ और मम्मी की कंधे पर मुंह रगड़ते हुए सूंघ के बोला " आह चाची आप बोहोत खूबसूरत हो "



पहले तो मम्मी सोक में थी फिर परिस्थिति समझ के तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए मुकुंद भैया को पीछे धकेला और मुकुंद भैया की गाल पर एक कड़ारा झापड़ मार के गुस्से में बोली " क्या कर रहे थे तुम "



मुकुंद भैया बोहोत दर गया घबराहट के मारे पसीना पसीने हो गया ", में में में सॉरी में सॉरी चाची " वो सफाई भी नही दे पा रहा था और क्या सफाई दे अब उसका वासना टूट चुका था सपने की तरह ।




मम्मी " निकल मेरे घर से तू निकल । सोचा नही था तू इतना गन्दा लड़का होगा अपना लड़का समझ रहा था में तुम्हे और तू। छी शर्म हया कुछ है की नहीं छी निकल "


मुकुंद भैया को गलियां बकते हुए घर से निकाल दिया । मुकुंद भैया अब बोहोत दर गए थे उसे लगा कि मम्मी अब पापा को मुझे और उनके मम्मी पापा को बता देंगे ।




पर दो दिन गुजर गए और मुकुंद भैया को थोड़ी चैन मिला की मम्मी ने किसी को कुछ नहीं बताया । मम्मी भी नहीं चाहती थी भले ही मुकुंद को इसमें सजा मिलेगा पर ज्यादा नही चार लोगो के बीच में ही सही पर अब उसे भी शर्म आयेगी इसलिए उन्होंने किसी को नहीं बताया और लगा की मुकुंद को वैसे भी सबक मिल चुका है।





मुकुंद अब मम्मी के पास पढ़ने हमारे घर नही आता था ये बात मुझे भी नही पता चला मुझे लगा की मेरे जाने के बाद मुकुंद भैया आता होगा । और मम्मी भी या मुकुंद भैया से मिलने पर भी कुछ भी अजीब नहीं लगता था ।





एक हफ्ते बाद मुकुंद भैया ने मम्मी को व्हाट्सएप कर के बोहोत माफी मांगी पर मम्मी का कोई रिप्लाई नही मिला मुकुंद को उल्टा नंबर ही ब्लॉक कर दी थी मम्मी ने ।




दस दिन के बाद की बात है।



दोपहर का वक्त था मुकुंद भैया अकेले कही से बाइक से आ रहे थे एक सिंगल सर्विस रोड था थोड़ा सुनसान पड़ता था बाइक इंजन अचानक चीज हो गया मुकुंद भैया को बाइक कंट्रोल नहीं हुई और उनका छोटा सा एक्सीडेंट हो गया । बाइक ज्यादा स्पीड में नहीं थी ज्यादा बड़ा एक्सीडेंट नहीं हुवा पर दोनो घुटने उसका चोटिल हो गए और ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था । तो किनारे पे ही बैठ गया थोड़ा आराम लेने ।



उसी वक्त मम्मी भी मेकर्ट से स्कूटी से आ रही थी उसी रास्ते और मुकुंद को ऐसा पड़ा देख कर दूर से उन्हे पता चल गया था और तब सब कुछ भूल कर मम्मी उसके पास रुकी और फिक्र मंद से मुकुंद भैया को संभाला और ज्यादा गंभीर मामला नही था तो मम्मी ने एम्बुलेंस नही बुलाया और मुकुंद भैया के पापा को फोन कर के बुला कर हॉस्पिटल ले गए थे ।
 
OP
mutu
Member

Status

Posts

376

Likes

275

Rep

0

Bits

900

1

Years of Service

LEVEL 10
XP
इतना ज्यादा गंभीर चोट नही थी तो कुछ घंटों के बाद मुकुंद भैया को हॉस्पिटल से घर लाया गया । खबर मिलते ही में और हम दोस्त लोग उससे मिलने गए थे ।




दूसरे दिन की बात है मम्मी सुबह ११ बजे मुकुंद भैया के घर गई थी । रीता काकी काम में व्यस्त थी इसलिए वो मम्मी को मुकुंद भैया के कमरे में छोड़ के अपना काम करने लगी ।



कमरे में मुकुंद भैया और मम्मी अकेले चुप चाप एक दूसरे से नज़रे न मिला कर इधर उधर नज़रे फिराने लगे । दोनो के लिए ही असहज था जो हुवा था ।



खैर मम्मी ही बोलती है पहल करते हुए " तबियत कैसे है डॉक्टर ने क्या कहा है"


मुकुंद भैया अच्छे बच्चों की तरह जवाब देता हे " शींता की बात नही हे कुछ दिनों में ठीक हो जाऊंगा "


मम्मी बोली " पढ़ने क्यू नहीं गए "



मुकुंद भैया कोई जवाब धुंध नही पा रहा था और मम्मी को भी लगा की उसने गलत सवाल पूछ लिया हे नज़रे कमरे की दीवारों पर ज्यादा ।




मुकुंद भैया थोड़ी देर बाद बोला " मैने बोहोत सोचा आपसे मिल के माफी मांग लूं पर हिम्मत ही नहीं कर पाया इसलिए मेसेज में !"



मम्मी बोली " कायर लोगो अच्छे काम करने की कहा हिम्मत होती है "


मुकुंद भैया जैसे चुल्लू भर पानी में डूब के शर्म से मुरझा गया ।मम्मी ने फिर बोला " ठीक है अगर सच में पछतावा है तो काल से पढ़ने आ जाना "



मुकुंद भैया धीरे से बोले " काल से कैसे वो तो में "

मम्मी को एहसास हुवा की मुकुंद भैया तो ठीक से चल भी नहीं पाते तो वो कुछ सोच में बोली " ठीक हे में आया करूंगी अब से "



मुकुंद भैया बोले " कुछ दिन बाद पढ़ नहीं सकता क्या में "


मम्मी बोली " छोट पेड़ो को लगी हे दिमाग को तो नहीं इस बार कैसे भी कर के पास होना हे तुम्हे पुरा मोहल्ला जान चुका हे में तुम्हारी टूशन टीचर हूं मेरी नाक काट जायेगी अगर फैल हुआ तो । चलती हूं "


मम्मी उठ कर जाने लगी मगर पेट की भूख किसी तरह मिटा सकती है पर हवस का नामुमकिन है जो चाहिए वो चाहिए ही चाहिए । मुकुंद भैया की नजर मम्मी की चलती हुई कमर गोल नितम्ब की लचक पर चला गया ।






दूसरे दिन शाम को मम्मी मुकुंद भैया के घर गई पढ़ाने। मुकुंद भैया मम्मी से सामने से नज़रे नहीं मिला पा रहे थे मम्मी भी समझती थी इतना अचान नहीं और वो भी सरल नहीं हो पाई थी मुकुंद के मम्मी पापा के खातिर इतने सालों की पारिवारिक रिश्ता जैसा संबंध को खयाल रखते हुए वो मुकुंद को बापाछ पढ़ा रही थी और मुकुंद को सुधारने की कशिश कर रही थी ।





कूची दिनों में मुकुंद भैया ठीक हो गया पूरी तरह । मुकुंद भैया अब सतर्क थे वो फिर से वैसा गलती नहीं करेगा जिसके वजह से अब वो मम्मी से पहले की तरफ खुल के बात भी नहीं कर पा रहा हे और मम्मी भी कोई मौका नही दे रही थी उसे ।
 
OP
mutu
Member

Status

Posts

376

Likes

275

Rep

0

Bits

900

1

Years of Service

LEVEL 10
XP
सितंबर का महीना आ चुका था । मुकुंद भैया की तलब और गहरा होता जा रहा था वो चाहता की मम्मी कहे की वो अब ठीक हो गया है अब वो आपके घर आ के पढ़ाई कर सकता है पर नहीं कह पा रहा था और उसे भी लगता था की मम्मी नही मानेगी ।




एक दिन की बात हे मुकुंद के पापा अक्सर अपनी काम के सिलसिले में कोई कोई दिनो तक बाहर रहते थे और उस दिन भी उसके पापा नहीं थे घर पर और उनकी मम्मी भी मार्केट गई हुई थी और उसकी दीदी की तो कब्की शादी हो चुकी है जो अपने ससुराल में रहती थी ।




मम्मी शाम को मुकुंद भैया को पढ़ने गई । मुकुंद भैया बोले " चाची आज पढ़ने का मूड नहीं है काल पढ़ लूंगा "


मम्मी बोली " ऐसे कैसे पढ़ने का मूड नहीं है कहा हैं तेरी मम्मी जरा बुलाओ "


मुकुंद भैया बोले" मम्मी नहीं है बाजार गई है और मम्मी क्या बोलेगी एक दिन की ही तो बात है एक दिन का आराम तो बनता है"


मम्मी " पढ़ाई में ऐसा कौनसा मेहनत है जो तुझे आराम चाहिए हाथ दुखते हे या पेड़ दुखते हे "


मुकुंद भैया बोले" मुझे कुछ नहीं पता बस मुझे आज नहीं पढ़ना आप बैठो मम्मी आती ही होगी "


मुकुंद भैया सोफे पर टांगे लंबी कर के मोबाइल में गेम खेलने लगा मम्मी उसके रबिए को देखती रह गई । मम्मी भी समझ गई कि मुकुंद भैया आज नही पढ़ने वाला वो कुछ देर बैठी रही और बोर होने लगी


मम्मी मुकुंद भैया के पास वाली सोफे पे गई और बोली " अच्छा क्या खेल रहे हो मुझे भी खेलने दो ना "


मुकुंद भैया बोले " आप नहीं खेल पाएगी बोहोत हार्ड गेम है प्रो लेबल प्लेयर चाहिए इसे खेलने के लिए आप खेलोगी तो मेरी रैंक गिर जाएगा "


मम्मी चिढ़ उठी " ठीक है नही खेलना मुझे "



मम्मी फिर दो मिनिट बाद बोली " मुकुंद कोई ऐसा गेम नहीं है क्या जो हम दोनों खेल सकते हे"



मुकुंद भैया उठ कर बैठ गए " है कैरम खेलोगी आप "



मम्मी " हा लगाओ ना "


फिर मुकुंद भैया और मम्मी कैरम खेलने लगे । मुकुंद भैया डींगे मार रहा था वो मोबाइल कैरम गेम में चैंपियन है उसे कोई नहीं हरा सकता लेकिन चार गेम में मम्मी ने उसे हरा दिया और मम्मी भी बच्चो की तरह खुश हो रही थी और ठेंगा दिखा रही थी मुकुंद भैया को।

फिर लूडो खेलने लगे अंधेरा हो रहा था ।


मम्मी " तेरी मम्मी क्या पूरा बाजार उठा लाएगा क्या "


मुकुंद भैया" पता नहीं आप तो जानती हे मम्मी खरीदारी में लेजी है 50 पैसा कमाने के लिए कितना बर्गेन करती है "


मम्मी हंस पड़ी " हा सही कहा तेरी मम्मी बोहोत कंजूस हे "


मुकुंद भैया" आप भी बेरगेन करती हैं मैने देखा हैं आप एक दिन सब्जी मंडी में कितना मूल भाव कर रहे थे "


मम्मी बोली " कब देखा तूने । ये तो करना ही पड़ता हे ना "


मुकुंद भैया" चाची आपको बचपन में कौनसा गेम खेलना अच्छा लगता था "


मम्मी " उम्मम्म चुपन छुपाई मुझे बोहोत पसंद था खेलना । "



मुकुंद भैया " बचपन के दिन बोहोत अच्छे होते हैं ना "


मम्मी " वो तो हे। तुम्हारी पढ़ाई की ये दिन भी अच्छी होती है जब कमाने लग जाओगे जब सारी जमदारिया कंधे पर आयेगी तब एहसास करोगे इस दिन को । अच्छे से पढ़ाई कर अच्छी नौकरी करो आराम की जिंदगी जी पाओगे "


मुकुंद भैया" आप लोग इतना टेंशन मत लो इस बात में पक्का पास हो जाऊंगा "



मम्मी " पास होना ही होगा अच्छा देर हो गई है अब में चलती हूं ठीक हे "



मुकुंद भैया मम्मी को बाहर की गेट छोड़ने आए । मम्मी सड़क पर कदम रखा ही था मुकुंद भैया बोले " चाची क्या हम फिर से दोस्त बन सकते है "

मम्मी मुड़ कर बोली " क्या अभी हम दोस्त की तरह बाते नही की " मम्मी मुड़ कर जाने लगी ।


मुकुंद भैया के होठों पर मुस्कान आए
 
OP
mutu
Member

Status

Posts

376

Likes

275

Rep

0

Bits

900

1

Years of Service

LEVEL 10
XP
रात के ११ बजे ।



मम्मी पापा बिस्तर पर थे दोनों घरेलू काम काज की बाते कर रहे थे । पापा सोते समय लुंगी और बनियान पहने सोते थे गर्मी में सिर्फ लुंगी ही पहना करता था ।







मम्मी भी एक काली ब्रा और पेटीकोट में थी । पापा मम्मी के ऊपर चढ़ और लुंगी खोलने लगा " आज एक अच्छे कॉलेज के बारे में सुना है"


मम्मी भी अपनी पेटीकोट उठा कर जांघ खोल देती हे और पापा अपने लंद की सुपाड़े पर थोड़ा थूक लगा के मम्मी की चूत पर अपना लन्ड घुसा कर कमर हिलाने लगा और बोलने लगा " बस एक बार मयूर अच्छे से पास हो जाए तो उसका उस कॉलेज में एडमिशन दे दूंगा "



मम्मी भी पापा के गले में बाहें डाल के पूछा " कौनसा कॉलेज "


पापा " ******* में बोहोत नामी कॉलेज है हमारे बॉस का बेटा उसी कॉलेज में टॉप कर के लंदन में जॉब करने चला गया एक हफ्ते पहले "



मम्मी पापा के गाल सहलाने लगी तभी पापा तीन चार जोर का धक्का मारता हे और रुक जाता है। फिर पापा बगल में लुड़क के सोने लगा मम्मी दोनो हाथ पेट पर रख के ऊपर की तरफ देखती रही ।



कुछ १५ मिनिट बाद मम्मी धीरे से उठी और बाथरूम में घुस के टॉयलेट सीट पर बैठ गई पीठ टीका और अपनी दोनो चूचियां दोनो हाथों से मसलने लगी आंखे उनकी कामाग्मी में घुलने लगी अपनी एक हाथ दोनो जांघो के बीच ले जा कर अपनी चूत सहलाने लगी और उंगली करने लगी । अपनी बदन से कुछ आधा घंटा खेल कर बाथरूम से बाहर निकल कर बिस्तर पर जा कर सो गई ।









दूसरे दिन की बात ।




शाम के ४ बजने से पहले ही आज मुकुंद भैया हमारे घर किताबे ले कर आया मम्मी भी थोड़ा हैरान थी लेकिन दिखाया नही । में मुकुंद भैया से बात चीत कर के खेलने निकल गया ।



मम्मी तिरछी नजरों से देखते हुए " यहां क्यू आ गया में आने वाली थी ना"


मुकुंद भैया " मैने सोचा आज में अपने पेड़ो को तकलीफ दूं आपको बुरा लगा " मुकुंद भैया मुस्कुराया ।


मम्मी भी मुस्कुराई " बदमास। रूको में आती हूं "


मम्मी ऊपर अपनी कमरे में चली गई । मुकुंद भैया भी थोड़े देर बाद ऊपर मम्मी की कमरे में गया । मम्मी कंगी कर रही थी मुकुंद भैया को कमरे में घुसता देख के मम्मी घबरा गई " तू यहां क्यू आ गया "



मुकुंद भैया एक अजीब तरह से मुस्कुराते हुए मम्मी को पीछे से बाहों में भरा और मम्मी चिल्लाई " कमीने तू फिर छोड़ मुझे "



मम्मी मुकुंद भैया को पीछे धकेलने लगी पर मुकुंद भैया आज प्रतिज्ञा ले कर आए थे जैसे प्राण जाए पर बल ना जाए । वैसे भी वो ६फीट २इंच का और मम्मी सिर्फ ५फीट २इंच की उससे एक फीट छोटी और एक औरत मुकुंद भैया के शक्ति के मुकाबला करने के लिए उसके जैसा दो तीन चाहिए ।



मुकुल भैया मम्मी को पकड़ के उछालते हुए बिस्तर पर पेट के बल पटका मम्मी घबरा गई " मुकुंद तू क्या कर रहा हे छोड़ मुझे ।"



पर मुकुंद भैया मम्मी की ऊपर चढ़ के लेट गए और मम्मी दोनो कलाई मजबूती से पकड़ लिया मम्मी दब गई थी अब मम्मी बोहोत कशिश कर रही थी मुकुंद भैया से छूटने की और बोल रही थी " मुकुंद तेरे भले के लिए बोल रही हूं छोड़ मुझे "



मुकुंद भैया वासना में गुर्रा रहा था " नहीं छोडूंगा चिल्लाओ आप जितना चिल्लाना हे "



मम्मी बोहोत कशिश कर रही थी । मम्मी छूटने के लिए जोर लगा रही थी और मुकुंद भैया मम्मी की जोर पर जोर देने के लिए जोर लगा रहे थे । धीरे धीरे मम्मी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया सासें उखड़ने लगी उनकी और मुकुंद भैया की ही सासें उखड़ने लगा वासना में मम्मी की मुलायम गर्म जिस्म की बाहों में दबोचने की एहसास से मम्मी की जिस्म की महक जहन में लेते हुए ।




मम्मी धीरे धीरे कमजोर पड़ने लगी मम्मी सुबकने लगी " मुकुंद तेरे हाथ जोड़ती हूं छोड़ दे मुझे तेरी मां जैसी हूं प्लीज बेटा मान जा"



मुकुंद भैया बोले " एक शर्त पर मुझे बस ५ मिनिट आपको झप्पी करने दो फीर ने छोड़ दूंगा "


मम्मी बोली " नही प्लीज छोड़ दे मुझे "


मुकुंद भैया मम्मी की गर्दन चूमने लगा " तो फीर मेरा जो जो मन करेगा वो सब करूंगा "

मम्मी तुरंत बोल पड़ी " अच्छा अच्छा ठीक है "


मुकुंद भैया बोला " तो आपने शर्त मान ली "


मम्मी बोली " हा मान लिया अब छोड़ो मुझे "



मुकुंद भैया बोले " छोडूंगा तो झप्पी कैसे लूंगा "


मुकुंद भैया मम्मी के ऊपर हटा और मम्मी को पीठ के बल लिटा कर मम्मी को बाहों मे भर लिया और मुंह मम्मी के गर्दन पर घुसा लिया । मम्मी दोनो आखें खोल के भूत की तरह लेती रही। समय गुजरता गया मम्मी ने धीरे से मुकुंद भैया दोनों बाजू पर हाथ रख के बोली " ५ मिनिट हो गए हटो "


मुकुंद भैया बोले " बस दो मिनिट और फीर पक्का छोड़ दूंगा "


मम्मी ने भी कुछ नहीं कहा गहरी सांस लेती रही और समय निकलने का इंतजार करती रही दो मिनिट होने पर मम्मी बोली " बस हो गया हटो अब "



मुकुंद भैया मम्मी की कान में बोला " आपकी खुशबू बोहोत अच्छी है"


मम्मी ने जोर लगा के मुकुंद भैया को हटा दी " हटो कमीने कहीं के "

मुकुंद भैया मुस्कुराएं और मम्मी नाराजगी दिखाते हुए अपने कपरे ठीक कर के मुकुंद भैया को धक्का दे दे कर बाहर निकालने लगी " चले जाओ मेरे घर से दुबारा मत आना मेरे घर नही तो जान से मार दूंगी"


मुकुंद भैया मुस्कुरा कर मम्मी को फ्लाई किस दे कर चला गया मम्मी शिर पकड़ के बिस्तर पर बैठ गई ।
 
OP
mutu
Member

Status

Posts

376

Likes

275

Rep

0

Bits

900

1

Years of Service

LEVEL 10
XP
दूसरे दिन शाम की ४ बजे मुकुंद भैया किताबे ले कर आया । मम्मी थोड़ी सोक में और गुस्से में भी थी पर वैसा उसने प्रतीत नही होने दिया ।



में " अरे मुकुंद भैया लगता बोहोत पढ़ाकू बन गए हो आज काल जल्दी आ रहे हो लगता हे इस बार डिस्टिंग्सन पक्का "


मुकुंद भैया " हाहाहाहाहा उड़ा ले मजाक छोटे मेरा भी दिन आएगा "


में " हा देख लेंगे "

में तैयार हुआ और खेलने के निकल ही रहा था की मम्मी सख्ती से बोली " कहा जा रहा है आज तू कही ,नही जाएगा घर पर ही रहों",



में " रोज रोज मम्मी हद होती हैं खेलने ही तो जा रहा हूं भोली बॉल का मैच हे उस पार की गांव के लड़कों से ५००० हजार रुपिया का और इतज्जत का सवाल है में जा रहा हूं "


मम्मी कुछ बोले इससे पहले ही मुकुंद भैया बोले " क्या उस पार वालो के साथ मैच हे तब तो वो कुत्ता कामिना भूरे लाल जरूर टीम होगा । छोटे कुछ भी कर के उन सबको हराना मेरी तरफ से अल दा बेस्ट "



में " अरे भैया टेंशन मत लो उन्हे तो चुटकी में हरा देंगे ओके बाय "


में निकल गया ।



मुकुंद भैया टेबल पर किताबे खोल के बैठ गए मम्मी बोली " आज नही पढ़ना घर जा तू मुकुंद "


मम्मी ये कह कर अपनी कमरे में चली गई । पर मुकुंद भैया बैठे रहे । कुछ देर बाद मम्मी आई और मुकुंद भैया को देख कर गुस्सा हो गए " तू अभी तक बैठा हे कहा ना मुझे आज नही पढ़ना चले जाओ"


मुकुंद भैया बोला " चाची गुस्सा थूक दो आओ मुझे पढ़ा दो मैने पिछला हर एक सोल्यूशन निकाल लिया है अपनी दिमाग से कही से कॉपी नहीं किया हे देखो ना "



मम्मी मुकुंद भैया के पास आ कर किताबे फेक दी और गुस्से से बोली " तेरे जैसे घटिया इंसान को मुझे पढ़ना नही है। निकल जा मेरे घर से क्या समझता था और क्या हैं। घिन आती हे तुझे देख कर मुझे "



मुकुंद भैया उठ खड़े हुए और मम्मी की एक हाथ पकड़ के घुमा दिया और मम्मी को सामने की तरफ गिरा दिया सोफे पर फिर मुकुंद भैया मम्मी ऊपर चढ़ के मम्मी को दबोचा ।



मम्मी दर दर के बोलो " मुकुंद मुकुंद क्या कर रहा है दरवाजा खुला है कोई आ जायेगा तो छोड़ छोड़ मुझे "


मुकुंद भैया झट से उठ गए और घर का मुख्य दरवाजा बंद कर दिया । मम्मी तब तक उठ चुकी थी " क्या पागलपन हे ये । मुकुंद होस में आओ तुझे पता नही हे तु क्या कर रहा है अब तक में इसलिए चुप हूं मेरे बारे में कोई गलत न सोचे मगर तुम हद पार कर रहे हो मेरे पास मत आना वरना बात बोहोत बढ़ जाएगी इस बार में चुप नही रहूंगी हा "



मम्मी घबरा रही थी बस जैसे रोने ही वाली थी । मुकुंद भैया मम्मी के करीब जा कर मम्मी को जबरन बाहों में लिया और सोफे पर लिटा दिया और मम्मी को हवासी जानवर की तरह चूमने लगा मम्मी विरोध कर रही थी पर मुकुंद भैया मम्मी को बाहों में भर कर उनकी गर्दन चूमे जा रहा था।





मम्मी काफी देर तक जुजती रही मगर मुकुंद भैया की मजबूती में जरा भी ढील नही पड़ी । मम्मी धीरे धीरे कुछ समय बाद नर्म पड़ने लगी । मुकुंद भैया मम्मी के चेहरे को थाम के बोला " आई लव यू चाची "


मम्मी बोली " ये कोई लव सव नही हे तेरा ठरक है समझा मत बोल मुझे चाची नफरत करने लगी हूं तुमसे में "



तभी दरवाजे पे नॉक हुई मम्मी घबरा गई " मुकुंद कोई आया हे छोड़ो मुझे "

मुकुंद भैया " पहले मुझे एक पप्पी दो"

मम्मी को अंदाजा था की इस वक्त पापा ही आए होंगे और वो कोई रिक्स नही लेना चाहती थी और मम्मी ने मुकुंद के गाल में पप्पी दे कर बोली
 

58,905

Members

373,403

Threads

2,960,365

Posts
Newest Member
Back
Top