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मेरा नाम शिवांगी हैं और में 45 की हूं । में उम्र के हिसाब से थोड़ी भारी भरा हुआ जिस्म की हूं बड़े बड़े मेरे वक्ष जिसको में लाख कशिश में भी छुपा नही पाती थी सारी ब्लाउज या सलवार कुर्ती पहनू हमेसा मेरी जिस्म कि बनावट नजर आती थी । में भी चाहती थी मेरी खूबसूरती लोग देखे लेकिन कुछ ऐसे ठरकी लोग हे जो मुझे हवास की नजर से देखते थे जो मुझे पसंद नही थी क्यू की में ऐसी वैसी औरत नही थी । मेरी नितंब भी बोहोत भारी थे कमर में आकर्षित आकार के सुगठित अनुमान से चर्बी थे कुल मिला कर मेरी जिस्म वक्र दृष्ट थी ऊपर से गोरी चिट्ठी भी थी ।
मेरा एक लौटा बेटा था राहुल जो की 23 साल का था और हाल ही में उसकी सरकारी नौकरी लगी थी वो दूसरे शहर में थी नौकरी के कारण । मेरे पति का देहांत चार चाल पहले हुई थी । घर पे में अकेली रहा करती थी वैसे रोज मेरे बेटे से फोन पर बात होती थी ।
एक दिन की बात हे में बीमार पड़ गई मुझे बोहोत बुखार था । और उसी दिन हमारे शहर की एक बरिस्तर की बीच सड़क पर गोलियों से भून कर हत्या कर दिया किसी ने । उसी मामले में दंगा फसात शुरू हो गई और शाम को कर्फ्यू लग गई । में भी दवाई लेने बाहर नही जा सकती थी ऊपर से इतनी ठंड शहर का टेंप्रेचर माइनस में थी बाहर बर्फ गिर रही थी । कंबल के अंदर ही रह कर मैने अपने बेटे को खबर दी । मेरा बेटा परेशान हो गया वो चाह कर भी नही आ सकता था एक तो कर्फ्यू के कारण और एक उसकी ट्रेनिंग चल रही थी । उन्होंने मुझे फोन पे कहा की मां ने रिदम को भेजता हूं वो आपकी देख भाल कर लेगा ।
रिदम मेरे बेटे का बचपन का दोस्त है मेरे घर आना जाना लगा रहता था उसका उसे अच्छे से जानती थी उसकी मां मेरी सहेली थी । एक किलोमीटर की दूरी पर रहता है वो ।
मेरे पास कोई दूसरा सहारा नही था मुझे बोहोत ठंड लग रही थी ऊपर से बुखार इतनी मेरी शरीर में बल ही नही थी हड्डियों की जोड़ बोहोत कमजोर लग रही थी । कुछ देर में दूर बेल बजी किसी तरह मैने दरवाजा खोला जा कर ।
मेरी हालत देख रिदम मुझे ले के कर फिक्रमंद हो गया और मुझे सहारा दे कर मुझे मेरे कमरे तक ले जाने लगा " आंटी आपकी हालत तो बोहोत खराब है आपने मुझे एक फोन कर दिया होता कब से बुखार है आपको दवाई ली आपने "
में बीमर आवाज में बोली " इतना ध्यान ही नही आया । दवाई कहा से लूं बाहर निकल ही नेही सकती । वैसे तू कैसे आया "
रिदम मुस्कुराया " बस ऐसे ही हम भी हीरो है। कोई बात नही में दवाई ले आया हूं "
उसने मुझे मेरे बिस्तर पर सुला दिया और चार ब्लैंकेट मेरे ऊपर डाल दी और दवाई खिलाया उसने मुझे । में फिर भी ठंड में थी " बेटा तेरी मां आती तो अच्छा होता "
रिदम बोला " नही आंटी उन्हे नही ला सकता बाहर माहोल बोहोत खराब है "
तभी मेरे बेटे का फोन आया और पूछा की रिदम आया की नहीं तो मैने रिदम को फोन दिया दोनो में बाते हुई और फोन रख दिया रिदम ने ।
रिदम के लाए हुए दवाई खाए दो घंटा हो गया था रिदम ने मेरे माथे पे हाथ रख के पूछा " आंटी अब कैसा लग रहा है"
में कपकपती हुई बोली " बेटा बुखार का पता नही लेकिन में ठंड से मर जाऊंगी "
उसने मुझे देखते हुए कुछ सोचा और अपना जूता और जकेट उतारा और अपना जींस भी वो इनर वेयर ने मै था अब । मुझे कुछ समझ नही आया पर मैने कुछ गलत नही समझा क्यू की मुझे पता है वो सीधा साधा लड़का है अपनी दोस्त की मां के बारे में कुछ गलत नहीं सोचेगा ।
वो मेरे ब्लैंकेट के अंदर आया और प्यार से बोला " आंटी में अपने शरीर का गर्मी दूंगा । आप जरा घूम जाओ इस वक्त यही एक इलाज हे"
में थोड़ी सोक में थी हाला की उसने इलाज के लिए बोला पर हे तो एक मर्द मुझे थोड़ा अजीब लगा शर्म महसूस हुई लेकिन फिर सोचा की उसका इरादा तो गलत नेही हे तो क्यू में इतना सोच रही हूं और में करवट में उसकी तरफ पीठ कर के घूम गई । उस वक्त में एक स्वेटर और एक लॉन्ग स्कर्ट पहन रखी थी लहंगा टाइप । मैने अंदर कुछ नही पहना था उस वक्त ।
रिदम ने मुझे पीछे से मेरे कमर बाहों में भर के पकड़ के अपनी छाती से मेरी पीठ रगड़ने लगा । वैसे तो ने जानती थी वो काफी स्ट्रॉन्ग लड़का के ऊंचा लंबा पर उस वक्त एहसास हुआ की उसका छीना काफी चौड़ी हे और बाजुए बोहोत सख्त । अच्छा लग रहा था मुझे गर्माहट का एहसास तो रहा था ।
मेरा एक लौटा बेटा था राहुल जो की 23 साल का था और हाल ही में उसकी सरकारी नौकरी लगी थी वो दूसरे शहर में थी नौकरी के कारण । मेरे पति का देहांत चार चाल पहले हुई थी । घर पे में अकेली रहा करती थी वैसे रोज मेरे बेटे से फोन पर बात होती थी ।
एक दिन की बात हे में बीमार पड़ गई मुझे बोहोत बुखार था । और उसी दिन हमारे शहर की एक बरिस्तर की बीच सड़क पर गोलियों से भून कर हत्या कर दिया किसी ने । उसी मामले में दंगा फसात शुरू हो गई और शाम को कर्फ्यू लग गई । में भी दवाई लेने बाहर नही जा सकती थी ऊपर से इतनी ठंड शहर का टेंप्रेचर माइनस में थी बाहर बर्फ गिर रही थी । कंबल के अंदर ही रह कर मैने अपने बेटे को खबर दी । मेरा बेटा परेशान हो गया वो चाह कर भी नही आ सकता था एक तो कर्फ्यू के कारण और एक उसकी ट्रेनिंग चल रही थी । उन्होंने मुझे फोन पे कहा की मां ने रिदम को भेजता हूं वो आपकी देख भाल कर लेगा ।
रिदम मेरे बेटे का बचपन का दोस्त है मेरे घर आना जाना लगा रहता था उसका उसे अच्छे से जानती थी उसकी मां मेरी सहेली थी । एक किलोमीटर की दूरी पर रहता है वो ।
मेरे पास कोई दूसरा सहारा नही था मुझे बोहोत ठंड लग रही थी ऊपर से बुखार इतनी मेरी शरीर में बल ही नही थी हड्डियों की जोड़ बोहोत कमजोर लग रही थी । कुछ देर में दूर बेल बजी किसी तरह मैने दरवाजा खोला जा कर ।
मेरी हालत देख रिदम मुझे ले के कर फिक्रमंद हो गया और मुझे सहारा दे कर मुझे मेरे कमरे तक ले जाने लगा " आंटी आपकी हालत तो बोहोत खराब है आपने मुझे एक फोन कर दिया होता कब से बुखार है आपको दवाई ली आपने "
में बीमर आवाज में बोली " इतना ध्यान ही नही आया । दवाई कहा से लूं बाहर निकल ही नेही सकती । वैसे तू कैसे आया "
रिदम मुस्कुराया " बस ऐसे ही हम भी हीरो है। कोई बात नही में दवाई ले आया हूं "
उसने मुझे मेरे बिस्तर पर सुला दिया और चार ब्लैंकेट मेरे ऊपर डाल दी और दवाई खिलाया उसने मुझे । में फिर भी ठंड में थी " बेटा तेरी मां आती तो अच्छा होता "
रिदम बोला " नही आंटी उन्हे नही ला सकता बाहर माहोल बोहोत खराब है "
तभी मेरे बेटे का फोन आया और पूछा की रिदम आया की नहीं तो मैने रिदम को फोन दिया दोनो में बाते हुई और फोन रख दिया रिदम ने ।
रिदम के लाए हुए दवाई खाए दो घंटा हो गया था रिदम ने मेरे माथे पे हाथ रख के पूछा " आंटी अब कैसा लग रहा है"
में कपकपती हुई बोली " बेटा बुखार का पता नही लेकिन में ठंड से मर जाऊंगी "
उसने मुझे देखते हुए कुछ सोचा और अपना जूता और जकेट उतारा और अपना जींस भी वो इनर वेयर ने मै था अब । मुझे कुछ समझ नही आया पर मैने कुछ गलत नही समझा क्यू की मुझे पता है वो सीधा साधा लड़का है अपनी दोस्त की मां के बारे में कुछ गलत नहीं सोचेगा ।
वो मेरे ब्लैंकेट के अंदर आया और प्यार से बोला " आंटी में अपने शरीर का गर्मी दूंगा । आप जरा घूम जाओ इस वक्त यही एक इलाज हे"
में थोड़ी सोक में थी हाला की उसने इलाज के लिए बोला पर हे तो एक मर्द मुझे थोड़ा अजीब लगा शर्म महसूस हुई लेकिन फिर सोचा की उसका इरादा तो गलत नेही हे तो क्यू में इतना सोच रही हूं और में करवट में उसकी तरफ पीठ कर के घूम गई । उस वक्त में एक स्वेटर और एक लॉन्ग स्कर्ट पहन रखी थी लहंगा टाइप । मैने अंदर कुछ नही पहना था उस वक्त ।
रिदम ने मुझे पीछे से मेरे कमर बाहों में भर के पकड़ के अपनी छाती से मेरी पीठ रगड़ने लगा । वैसे तो ने जानती थी वो काफी स्ट्रॉन्ग लड़का के ऊंचा लंबा पर उस वक्त एहसास हुआ की उसका छीना काफी चौड़ी हे और बाजुए बोहोत सख्त । अच्छा लग रहा था मुझे गर्माहट का एहसास तो रहा था ।