Incest सेक्सी धोबन और उसका बेटा

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रे मेरी माँ निकला रे निकला मेरा निकल गया ओह माँ सारा सारा का सारा पानी तेरे मुँह में ही निकल गया रे". माँ का हाथ अब और तेज गति से चलने लगा ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरे पानी को गटागट पीते जा रही है. मेरे लंड के सुपरे से निकले एक-एक बूँद पानी चूस जाने के बाद माँ ने अपने होंठो मेरे को मेरे लंड पर से हटा लिया और मुस्कुराती हुई मुझे देखने लगी और बोली कैसा लगा.

मैने कहा "बहुत अच्छा ..
और बिस्तर पर एक तरफ लुढ़क गया. मेरे साथ साथ माँ भी लुढ़क के मेरे बगल में लेट गई और मेरे होंठो और गालो को थोड़ी देर तक चूमती रही.थोड़ी देर तक आँख बंद कर के पड़े रहने के बाद जब मैं उठा तो देखा की माँ ने अपनी आँखे बंद कर रखी है और अपने हाथो से अपने चुचियों को हल्के हल्के सहला रही थी. मैं उठ कर बैठ गया और धीरे से माँ के पैरों के पास चला गया. माँ ने अपना एक पैर मोड़े रखा था और एक पैर सीधा कर के रखा हुआ उसका पेटिकोट उसके जाँघों तक उठा हुआ था. पेटिकोट के उपर और नीचे के भागो के बीच में एक गैप सा बन गया था. उस गैप से उसकी झाँट अंदर तक नज़र आ रही थी. उसकी गुदज जाँघों के उपर हाथ रख के मैं हल्का सा झुक गया और अंदर तक देखने के लिए. हालाँकि अन्दर रोशनी बहुत कम थी परंतु फिर भी मुझे उसके काले काले झाटों के दर्शन हो गये. झाटों के कारण चूत तो ऩही दिखी परंतु चूत की खुशबु ज़रूर मिल गई. तभी माँ ने अपनी आँखे खोल दी और मुझे अपने जाघों के बीच झकते हुए देख कर बोली "हाय दैया... उठ भी गया तू मैं तो सोच रही थी अभी कम से कम आधा घंटा शांत पडा रहेगा, और मेरी जाँघों के बीच क्या कर रहा है? , देखो इस लड़के को बुर देखने के लिए दीवाना हुआ बैठा है,"

फिर मुझे अपने बाँहो में भर कर मेरे गाल पर चुम्मि काट कर बोली "मेरे लाल को अपनी माँ का बुर देखना है ना, अभी दिखती हू मेरे छोरे , है मुझे ऩही पता था कि तेरे अंदर इतनी बेकरारी है बुर देखने की"
मेरी भी हिम्मत बढ़ गई थी " माँ जल्दी से खोलो और दिखा दो"
"अभी दिखती हू, कैसे देखेगा, बता ना"
"कैसे क्या माँ , खोलो ना बस जल्दी से"
"तो ले ये है मेरे पेटिकोट का नाड़ा . खुद ही खोल के माँ को नंगा कर दे और देख ले"
"हाय , माँ मेरे से ऩही होगा, तुम खोलो ना"
"क्यों ऩही होगा, जब तू पेटिकोट ऩही खोल पाएगा तो आगे का काम कैसे करेगा"
" माँ आगे का भी काम करने दोगी क्या?"
मेरे इस सवाल पर माँ ने मेरे गालो को मसलते हुए कहा , "क्यों आगे का काम ऩही करेगा क्या, अपनी माँ को ऐसे ही प्यासा छोड़ देगा, तू तो कहता था कि तुझे ठंडा कर दूँगा, पर तू तो मुझे गरम कर छोड़ने की बात कर रहा है"
" माँ , मेरा ये मतलब ऩही था, मुझे तो अपने कानो पर विश्वास ऩही हो रहा कि तुम मुझे और आगे बढ़ने दोगी "
"गधे के जैसा लंड होने के साथ साथ तेरा तो दिमाग़ भी गधे के जैसा ही हो गया है, लगता है सीधा खोल के ही पुछना पडेगा , बोल चोदेगा मुझे? , चोदेगा अपनी माँ को, माँ की बुर चाटेगा ? , और फिर उसमे अपना लंड डालेगा, बोल ना."
"हाँ माँ , सब करूँगा, सब करूँगा जो तू कहेगी वो सब करूँगा, है मुझे तो विश्वास ऩही हो रहा की मेरा सपना सच होने जा रहा है, ओह मेरे सपनो में आने वाली परी के साथ सब कुछ करने जा रहा हू"
"क्यों सपनो में तुझे और कोई ऩही मैं ही दिखती थी क्या"
"हा माँ , तुम्ही तो हो मेरे सपनो की परी, पूरे गावं में तुमसे सुंदर कोई ऩही"
"है, मेरे 16 साल का जवान छोकरे को उसकी माँ इतनी सुंदर लगती है क्या?"
"हा माँ , सच में तुम बहुत सुंदर हो और मैं तुम्हे बहुत दिनों से चोदना चाहता हूँ ....पर कह ऩही पाता था"
"कोई बात ऩही बेटा अभी भी कुछ ऩही बिगड़ा है.. वो भला हुआ कि आज मैने खुद ही पहल कर दी, चल आ देख अपनी माँ को नंगा और आज से बन जा उसका सैयां "
कह कर माँ बिस्तर के नीचे उतर गई और मेरे सामने आके खडी हो गई और धीरे धीरे करके अपने ब्लाउज के एक बटन को खोलने लगी. ऐसा लग रहा था जैसे चाँद बादल में से निकल रहा है. धीरे धीरे उसकी गोरी गोरी चुचिया दिखने लगी. ओह गजब की चुचिया थी, देखने से लग रहा था जैसे की दो बड़े बड़े नारियल हों . दोनो तरफ लटक रहे हो. एकदम गोल और आगे से नुकीले तीर के जैसे. चुचियों पर नसों की नीली रेखाएं स्पष्ट दिख रही थी. निपल थोड़े मोटे और एकदम कड़े थे और उनके चारो तरफ हल्का गुलाबीपन लिए हुए गोल गोल घेरा था. निपल भूरे रंग के थे.

माँ अपने हाथो से अपने चुचियों को नीचे से पकड़ कर मुझे दिखाती हुई बोली "पसंद आई अपनी माँ की चूची , कैसी लगी बेटा बोल ना, फिर आगे का दिखाउंगी "
"हाँ माँ तुम सच में बहुत सुंदर हो, ओह कितनी सुंदर चूची है .....ओह"
माँ ने अपने चुचियों पर हाथ फेरते हुए और अच्छे से मुझे दिखाते हुए हल्का सा हिलाया और बोली "खूब सेवा करनी होगी इसकी तुझे, देख कैसे शान से सिर उठाए खडा है इस उमर में भी, तेरे बाप के बस का तो है ऩही अब तू ही इन्हे संभालना" कह कर वो फिर अपने हाथो को अपने पेटिकोट के नाड़ा पर ले गई और बोली "अब देख बेटा तुझे जन्नत का दरवाजा दिखती हूँ , अपनी माँ का स्पेशल मालपुआ देख, जिसके लिए तू इतना तरस रहा था".
Ffff
 

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