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मै सुबह देर से उठा मै नहा कर जल्दी से काम पर चला गया। मै ऑफिस में अपना एग्रीमेंट अपने साहब को दिखाया। उसमे दस हजार रुपए रूम रेंट एग्रीमेंट मै लिखा था तो हमारे अधिकारी ने एग्रीमेंट स्वीकार नहीं किया उसने मुझे अपना रूम दिखाने को कहा। उसने मुझे दोपहर खाने के बाद चलने को कहा कि साथ में चल कर अपना घर दिखाना पड़ेगा तब एग्रीमेंट स्वीकार किया जाएगा। उसने मुझे काम पर लगा दिया। दोपहर में मै कैंटीन में खाना खाने के बाद मै अपने अधिकारी के पास गया तो उन्होंने मुझे कहा कि आप थोड़ी देर रुक जाओ। उस एरिया में यहां का पुलिस अधिकारी रहता है मै उस को बुलाया है साथ में चलेंगे। करीब तीन बजे पुलिस अधिकारी के साथ हम तीनो उसके गाड़ी पर गए मै बगीचा का दरवाजा खोल कर अन्दर लेकर आया। वे लोग देख कर अचंभित हो गए। कि तुम यहां कैसे रूम खोज लिया। मै उन्हें अपने रूम में लेकर आया और फल काट कर दिया पानी पिलाया। दरोगा जी ने मुझ से पूछा कि कैसे आते जाते हो मै उन्हें बताया कि आज तो टैक्सी से गया। आगे देखा जाएगा उसने मेरे अधिकारी से बोला कि मेरे घर पर एक मोटर साइकिल है इसको दे दो इसको। दो नंबर का गाड़ी है इस लिए इसके लिए ठीक रहेगा। और देखने वाला तो मै हूं। अभी चलो मेरे साथ। मै दरोगा जी के घर पर गया तो देखा कि न्यू माडल बुलेट गाड़ी थी। जो कि बिल्कुल नया लग रहा था उसके आगे पीछे पुलिस लिखा था। दरोगा जी ने कहा कि इस गाड़ी का कोई मालिक नहीं मिला तो मै इसे अपने पास रख लिया। मेरे यहां इसको चलाने वाला कोई नहीं है तुम लेकर जाओ। तीन बज गए थे तो मेरे अधिकारी ने मुझे बोला की अब काम पर जाने का कोई जरूरत नहीं है। कल से टाइम पर आ जाना उसने मेरे एग्रीमेंट ओके कर के कल उसका फोटो कापी लेकर आने को बोला। मै बुलेट स्टार्ट किया और घर आ गया। मेरा सपना था बुलेट पर चलने का ओ आज बड़े सहज ही पूरा हो गया। भगवान को धन्यवाद करते हुए मै गाड़ी पापा के घर के सामने रोका। गाड़ी के आवाज सुनकर सब लोग बाहर आ गए। वर्दी में भी मम्मी हमे पहचान गई बाकी कोई नहीं पहचान पाया। जब मै अपना टोपी उतार दिया तब पापा ने मुझे पहचाना। पापा ने बताया कि मै डर गया को यहां कौन अधिकारी आ गए। ना नोटिस जारी किया गया और ना ही खबर किया। जय गर्व से मुझे सलाम ठोका। स्वीटी ने मुझे फ्लाइंग किस किया। मै अपना टोपी उसे पहना कर अन्दर आया। मै सबको बताया कि हमको मोटर साइकिल आने जाने के लिए मिला है। मै उन लोगों को नहीं बताया कि दो नंबर का गाड़ी है। पापा भी रंगीला आदमी है उसने भी बुलेट चलाने का शौक था तो उसने मुझे बोला मै भी चाभी दे दिया वे चाभी लेकर चले गए। स्वीटी मुझे टोपी देकर,और लंगड़ा कर अपने कमरे में जा रही थी को मै अब ध्यान दिया उस पर। मै मम्मी से पूछा तो मम्मी ने कहा कि जाकर तुम पूछ लो वो अपने कमरे में है। मै जाकर पूछा कि क्या हुआ है। वो अपने बेड पर लेट रही थी। मै सोचा कि पैर में मोच आ गई होगी। पर उसने कहा कि तुमने ही तो दर्द दिया है। मै पूछा कि क्या हुआ है। उसने अपनी पैंट नीचे कर दिया और अपनी चुत के तरफ दिखा कर बोली देखो। उसकी बिना बालों वाली चुत सूज कर लाल हो गई थी, चुत के होठ मोटे मोटे हो गए था। तभी मम्मी आ गई। मै पूछा कि ये क्या हो गया है, मम्मी ने मुस्कुराते हुए कहा कि तुमने रात को उसको बेदर्दी से अपना मूसल जैसा लन्ड से चोदा है। अब सजा भुगत रही है तुम्हारी करनी का। मै मम्मी से कहा कि रुको मै दवा लेकर आता हूं। मम्मी ने कहा कि मैं दर्द का दवा दे दिया है। बर्फ से सेकना चाहिए आराम जल्दी हो जाएगा मैंने मम्मी से बोला। मम्मी ने कहा कि फ्रिज से बर्फ निकाल कर सिकाई कर दो। मै स्वीटी के तरफ देखा तो स्वीटी के आंखो के इशारों से मै समझ गया कि वो क्या चाहती है। मै फ्रिज से बर्फ निकाल कर उसके चिकने चुत पर बर्फ रख दिया उसके मुंह से आह आह की आवाज निकाल गया। मै बर्फ उसके चिकने चुत पर घुमाने लगा धीरे धीरे स्वीटी गर्म होने लगी उसको देख कर मैं भी गर्म होने लगा मेरे लन्ड का उभर दिख रहा था। बर्फ पूरी पिघल गया तो मै उसकी चुत को कपड़े से साफ कर के उसकी पैंट ऊपर कर दिया। मै उसे किस करके बोला कि मै अब कपड़ा बदल कर आ रहा हूं, बोल कर मै बाहर निकल गया।
 
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बाहर मम्मी मिल गई मम्मी ने पूछा कि हो गया सिकाई। मै बोला हा हो गया मै कपड़ा बदल कर आ रहा हूं। मुझे याद आया कि मुझे एग्रीमेंट का फोटो कॉपी करना है। मै बाहर आया तो देखा कि दोनों बाप बेटा कोई काम कर रहे हैं। मै पूछा की कहीं यहां फोटो कॉपी करने का सूबिधा है। पापा ने बताया कि आगे एक डॉक्टर के घर पर है लेकिन बूढ़ा किसी का हेल्प नहीं करता है। मै पापा को बोला कि मै जाकर देखता हू मै। मै अपने मोटर साइकिल से सुधाकर जी के यहां गया, दरवाजे पर दस्तक दी तो एक खूबसूरत औरत ने दरवाजा खोला और बोली क्या बात है। मैंने कहा सुधाकर जी से काम था एक पेपर का जेरॉक्स निकालना है उसने कुछ सोचा और मुझे अन्दर आने को बोली शायद मेरे वर्दी का असर था। मै अन्दर गया उसने मुझे बैठने को बोलकर पेपर देने को बोली। उसने मुझे पेपर कॉपी करके वापस देते हुए कहा कि आपको पहले नहीं देखा यहां कभी। मै उस दिन चाय पीने के लिए आया था मै मुस्कुराते हुए कहा। हा मै उस दिन तुम्हे पहली बार देखा था, उसके पहले कभी नहीं देखा तुम्हे आे खूबसूरत औरत ने कहा। आप सुधाकर जी के बेटी हो। नहीं मै उनकी बहू हूं। ठीक है मैं अब चलता हू। चाय पीजिए तब तक बाबूजी भी आ जाएंगे मुलाकात भी हो जाएगा उसने बहुत आराम से कहा। मै उठकर दोनों हाथ जोड़ कर बोला कि आपका बहुत बहुत धन्यवाद फिर कभी आ जाऊंगा चाय पीने। बोल कर निकालने लगा, उसने भी दरवाजे तक आई। मै आते हुए उससे कहा कि मै आपका नाम जान सकता हूं। जी मेरा नाम अनीता है। जी आप से मिल कर बहुत अच्छा लगा धन्यवाद बोल कर मै निकल गया। मै जैसे ही अपनी गाड़ी के पास आया तभी सुधाकर जी दिखाई दिए। उसने मुझे पहचान लिया। मै उन्हें नमस्ते कहा और बताया कि मै क्यो आया हूं। उसने बोला कोई बात नहीं। सुधाकर जी ने मणि जी को आवाज लगाई। चंद्रकांत मणि जी बाहर आए तो सुधाकर जी ने उनसे कहा कि देखो मै सर्त जीत लिया। मै पूछा की क्या सर्त जीत लिया आपने। उसने बोला की कल मणि जी ने कहा कि तुम झूठ बोल रहे हो कि तुम कस्टम विभाग में कार्यरत नहीं को। मैंने कहा कि ये लड़का सही बोल रहा है इसलिए आज तुम वर्दी में देख कर ये बात पक्की हो गई है तुम कस्टम विभाग में कार्यरत हो। मै उनसे पूछा कि सर्त क्या बात का था। तब सुधाकर जी ने कहा इसका तो कोई बात नही हुआ कि सर्त क्या होगा। अब हम तीनो हसने लगे। सुधाकर जी ने हमे चाय के लिए बोला और हम तीनो लोग आ कर सुघाकर जी के यहां बैठ गए। सुधाकर जी अपनी बहू से चाय के लिए बोल दिया। हम लोग सर्त की बात कर रहे थे कि सर्त क्या होगा। हम तीनो हस हस कर बाते कर रहे थे। तभी अनीता चाय केवल दो कप चाय लेकर आई। और वही खड़ी हो गई। सुधाकर जी ने अनीता से कहा कि राणा को भी चाय पिलाओ। अनीता ने मुझे घूरते हुए कहा कि इसके पहले मै उनसे पूछी थी तो उसने मना कर दिया। क्यो भई क्यो मना कर दिया चंद्रकांत जी ने पूछा। मै अपनी सफाई में बोला की अनीता जी घर में अकेली औरत है सोच कर मै नहीं रुका अगर कोई व्यक्ति और होता तो मै जरूर रुकता। राणा जी अनीता भी डॉक्टर है, ओ भी सर्जन कुछ भी कर सकती है इन से डर के रहना चंद्रकांत जी ने हसकर बोला। तो सुधाकर जी भी हस्ते हुए कहा कि बेटी माफ कर दे इसे ये भोला भाला बच्चा है। अनीता मुस्कुरा कर बोली कि आज पहली बार माफ कर दिया दूसरी बार गलती माफ नहीं होती। और उसने मुझे चाय देने लगी तो ब्लाऊज के अन्दर लाल रंग की ब्रा में कैद उसकी चूचियों पर नजर चला गया। शायद उसको मालूम चल गया कि मै देख रहा हूं। उसने चाय पकड़ाते हुए मेरे हथेली पर अपने नाखून गड़ा दिया। मै अपने आप को संभाल लिया और मै जल्दी से चाय पी कर जाने लगा। अनीता की नज़रे अभी तक मुझे घुर रही थी। मै सुधाकर जी को धन्यवाद बोल कर जाने लगा तो सुधाकर जी ने कल जन्मदिन पर आने का याद दिलाया।
 
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मै अपने घर वापस आ गया। कपड़े निकाल कर चड्डी में ही बेड़ पर लेट गया। मुझे अनीता का भरा हुआ जिस्म बड़ी बड़ी आंखे सीसे जैसा चिकना और गुलाबी गाल लाल लाल होठ मुझे बेचैन कर दिया। उसकी लाल रंग की ब्रा मुझे मदहोश कर दिया। उसके मेरे हाथ पर नाखून गड़ा देना उसकी बड़ी आंखो से मुझे घूरना उसकी लचकती बलखाती कमर सोच कर मेरा लन्ड बड़ा हो गया था। मै आंखे बंद कर के इस पल का मजा ले रहा था कि मम्मी की आवाज से मेरी तंद्रा भंग हुआ। मम्मी आकर मेरे बेड़ पर बैठ गई और सीधे मेरे खड़े लन्ड पर हाथ रख दिया। और बोली क्यो बेचारे को परेशान कर रहा है देख मेरी चुत मै जाने के लिए तैयार खड़ा है। मै कुछ बोलना चाहा पर मम्मी ने कहा कि मै सब जानती हूं, स्वीटी के चुत को देख कर तुम्हारा नाग फुफकार रहा है। पर रात को जब से मै तुम्हारा मोटा लन्ड देखी हूं तब से मेरी बुर लपलपा रही है तुम्हारा लन्ड लेने के लिए। और उसने मेरा लन्ड को अपने मुंह में डाल कर गीला किया और अपनी बुर मेरे सामने खोल कर लेट गई। मुझे अपनी बुर पेलने के लिए बोला मेरे राजा अपनी मोटे मूसल जैसा लन्ड से मेरी प्यास बुझा दो जैसे मेरी बेटी को चोद कर उसकी चुत का चटनी बना दिया उसी तरह मेरे बुर को फाड़ डालो। मै नाग तो पहले से जख्मी था अब मैं इस हवस भरी बात सुन कर मै उसके थूक से गीला लन्ड उसकी लपलपती बुर में पेल दिया। उसकी रसदार चुत मेरे लन्ड का स्वागत किया और अपने गहराई तक जाने दिया। फिर बाहर निकाल कर अन्दर पेल दिया इस पर मम्मी आह आह कर दिया उसकी आवाज से मेरे अंदर एक जोश आ गया मै अपनी पूरी ताकत से अपना मूसल जैसा लन्ड उसकी बुर में पेलने लगा। अब उसकी सिसिकिया तेज होने लगी मेरा लन्ड भी तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था। मेरे झटको के साथ उसने भी अपनी गांड़ उठा कर मेरा साथ दे रही थी। आधा घंटा चोदने के बाद मै अपना लन्ड जड़ तक उसके रसदार बुर में घुसा कर अपना सारा पानी उसके अंदर छोड़ दिया। मै थक कर उसके बगल में लेट गया। दूसरे दिन मै शाम को काम से वापस आते समय बच्चे के लिए गिफ्ट लिया। घर आकर नहा धो कर तैयार हो गया। मै सोचा कि साथ मै जय को भी लेकर जाऊ और उसके घर गया तो देखा कि जय भी तैयार है। उसने मुझे देख कर बोला कि चलो आज तुम्हे पार्टी में लेकर चलता हूं। मै पूछा की किसके पार्टी में जाना है। तब उसने बताया की चंद्रकांत मणि के पोते का जन्मदिन है। मै उसको बताया कि मुझे भी बुलाया गया है। स्वीटी भी तैयार हो कर आई। उसने सलवार कमीज़ पहन रखी थी बहुत ही सलीके से दुप्पटा लगा रखी थी। उसने मुझे देख कर बोली कि आप भी चल रहे हो। मै बोला हा मै भी चल रहा हूं। तब उसने बोला की पहले बोलना चाहिए था। मै बोला कि क्यो क्या बात है। उसने कहा कि ड्रेस चेंज कर लेती। मै पूछा क्यो तो उसने कहा कि आपके साथ आपकी गर्लफ्रेंड बन कर चलती। मैंने कहा इसमें तुम और भी अच्छी लग रही हो। हम लोग समय से पहले पहुंच गए। वाहा कुछ बच्चे खेल रहे थे उन बच्चो ने मुझे पहचान लिया और मेरे साथ बाते करने लगे। मुझे कुर्सी दिया बैठने के लिए। स्वीटी लेडिस ग्रुप के साथ बैठ गई मै बच्चो के साथ टाइम पास करने लगा। मेरी किसी को खोज रही थी पर आे कहीं नहीं दिख रही थी। मैने एक बच्चे को चंद्रकांत जी को बुलाने के लिए बोला तो लड़का बुला लाया। चंद्रकांत जी ने मुझे देखकर बोल अच्छा किया तुम आए और उन्होंने अपने परिवार से मिलाया। मै पूछा की सुधाकर जी कहा है,वे बोले अभी नहीं आए हैं और उसने एक बच्चे को उनके घर भेज दिया बुलाने के लिए। तभी जय मुझे बुलाया और कहा कि चलो एक पैक मार लेते है उसके बाद पार्टी करते है। मै जय के साथ बाहर आ कर एक गाड़ी में बैठ गए उसमे दो लड़के और थे दूसरे लड़के ने मुझे एक छोटी सिसी दिया मुश्किल से पचास ग्राम था और मुझे पीने को बोला जय ने अपना सिसी एक बार में पूरा पी लिया। मै भी वैसा ही एक बार में पूरा पी गया इसका स्वाद मुझे होमियोपैथिक के दवाई कि तरह लगा। उसके बाद मुझे एक सिगरेट दिया मै सिगरेट का कस लगा कर गाड़ी के बाहर निकाला तभी सुधाकर जी का परिवार बाहर निकल रहा था। अनीता को देख कर मै जल्दी से सिगरेट को दो कस लगा कर फेक दिया और मै सुधाकर जी के तरफ बढ़ गया। उनके साथ एक औरत जो कि जरूरत से ज्यादा मोटी थी वो मुझे देख कर भड़क उठी, क्या हुआ, कौन है तुम, इधर क्यो आ रहा है, क्या काम है। मै उनकी बात सुन कर सकपका गया। तभी सुधाकर जी उसे रोका और कहा अपना ही बच्चा है। उसने उसको बोला तुम्हारा बच्चा है तो लेकर दूध पिलाओ इसे बड़ा आया बच्चा बच्चा करने। अनीता पीछे खड़ी सकुचा गई और अपने पति से कुछ कहा। उसके पती ने कहा मम्मी छोड़ो जाने दो पापा का दोस्त है। और उसे लेकर चला गया। अनीता जाते हुए मेरे कमर पर चुटकी काट दिया। मै अनीता को देखते रह गया उसने नीला रंग का लहंगा चोली पहन रखी थी उसकी गोरी कमर पर मेरा नजर अटक गया, तभी जय ने मुझे आवाज लगाई और पूछा क्या बात है मैंने कहा कोई बात नहीं बस ऎसे ही देख रहा था। हमलोग अन्दर आ गए वाहा केक काटने कि तैयारी चल रही थी। हमलोग भी जाकर आगे खड़े हो गए। सब लोग वाहा आ रहे थे जहा केक काटने के लिए टेबल रखा था। तभी मोटी खुसट बुढ़िया सुधाकर जी के बीबी ने मुझे साइड करके आगे खड़ी हो गई और साथ में अपनी बहू और बेटा को खड़ा कर लिया अनीता हमसे थोड़ा दूर खड़ी थी मै थोड़ा हिल डुल कर उसके पीछे आ गया। जब केक काटा गया तो सबलोग गुबारा फोड़ने लगे तभी मै अनीता के कमर पर चुटकी काट दिया। उसने घूम कर देखा और मुस्कुराई। फिर उन लोगों ने सबको मिठाई खिलाया। मिठाई खाकर कुछ लोग चले गए और कुछ रुक गए अनीता के सास ससुर भी चले गए। मै एक साइड में खड़ा हो कर मिठाई खा रहा था। मेरी नजर सुनीता पर टिकी हुई थी मुझे एक सिसी दारू के सुरसुरी चढ़ गई थी मै अन्दर से बहुत खुश हो रहा था। पूरे बदन में फुर्ती महसूस हो रहा था। सुनीता अपने पति के साथ बैठी हुई थी। सुनीता जवान और खूबसूरत भरे हुए बदन वाली औरत है। लेकिन उसका पति जवानी में ही बुढ़ापा झलक रहा है। खैर जो भी है उसका पति है। लेकिन उसकी खूबसूरती मेरे मन को भा रहा था। सीधी बात है कि मै उसका दीवाना हो गया था। तभी पीछे से किसी ने कुहनी मारी मै पलट कर देखा तो स्वीटी खड़ी थी उसने मुस्कुराते हुए, पूछा नज़रे कहा है तुम्हारी। मै बोला कि बस देख रहा हूं। स्वीटी अपनी आंखे नचा कर बोली लाईन मार रहा है मै बहुत देर से देख रही हूं तुमको तुम्हारी नजर डॉक्टर साहिबा पर टिकी हुई है। मै बोला कि सुंदर है तो देख रहा हूं। तभी चंद्रकांत जी खाना खाने के लिए बुलाने आए। हम लोग खाना खाए। मै अनीता से बात करना चाहता था पर। मुझसे हमेशा दूर ही रहती। मै स्वीटी खाना खा कर बाहर निकल आए और जय का इंतजार करने लगे। अनीता और उसके पति खाना खा कर बाहर आए। अनीता के पति मुझे देख कर मेरे पास आए और बोले कि मेरा नाम संजय है और ये मेरी पत्नी अनीता आपको मेरी मां ने कुछ गलत बोली उसके लिए मै माफी मांगता हूं। ओ दिल की अच्छी औरत है लेकिन जुबान से कड़क है। मेरे पूरे हॉस्पिटल में उसके बातो को कोई बुरा नहीं मानता है। मै बोला कि मेरा नाम राणा है यहां मुझे आपके पिता जी और चंद्रकांत जी के अलावा कोई नहीं जानता है। इसलिए मै उनके पास जा रहा था। मैंने अपनी सफाई दिया। तब उसने कहा कि कभी हमारे हॉस्पिटल में आओ। मै बोला कि आपके हॉस्पिटल का कार्ड है। तब उसने मुझे रुकने को बोला और कार्ड लेने अन्दर चला गया। अनीता वहीं खड़ी थी। मै उसको बोला आज आप काफी खूबसूरत लग रही हो। तभी स्वीटी ने मुझे बीच में टोक दिया और बोली क्यो कैसी भी है तुमको क्या करना है ओ अच्छी है बहुत अच्छी है इससे भी ज्यादा अच्छी मिलेगी लेकिन तेरी दाल यहां नहीं गलेगी। स्वीटी एक बार में सारी बाते बोल डाली। तभी संजय कार्ड लेकर आए और हमको देकर बोले कि मै सुबह आठ बजे से शाम को आठ बजे तक मिलूंगा। मै उसको बोला कि मै सुबह नौ बजे मिलूंगा। मेरा इशारा अनीता के तरफ था। उसने बोला की कभी भी आओ मुश्किल नहीं है लेकिन कभी इंतजार करना पड़ सकता है। हमलोग और भी बाते किया लेकिन अनीता एक शब्द भी नहीं बोली। तभी जय आ गया और हमलोग वापस आं गए।
 

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